बिहार के शरद सागर ने जीता हार्वर्ड विश्वविधालय में छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भारतीय स्नातकोत्तर छात्र शरद सागर को हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में छात्र संघ के अगले अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में पढ़ रहे 50 देशों के 1,200 से अधिक छात्रों ने भारत के शरद सागर को छात्र संघ के सर्वोच्च पद यानी अध्यक्ष के लिए चयनित किया है। ज्ञात हो कि आठ अन्य उम्मीदवारों ने अध्यक्ष के प्रतिष्ठित पद के लिए चुनाव लड़ा था जिन्हें हराकर भारत के शरद सागर ने यह ऐतिहासिक जीत हासिल की।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने मंगलवार, 21 सितंबर को चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा की। हार्वर्ड के छात्रों के लिए मतदान की अवधि 14 सितंबर को शुरू हुई और 19 सितंबर को समाप्त हुई। अध्यक्ष के रूप में सागर छात्र संघ का नेतृत्व करेंगे जिसमें एक उपाध्यक्ष, एक प्रशासक और अन्य निर्वाचित सेनेटर शामिल होंगे। सागर हार्वर्ड में 50+ देशों के 1,200 से अधिक स्नातक छात्रों का छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में प्रतिनिधित्व करेंगे। सागर मई 2022 यानी की हार्वर्ड में अपने दीक्षांत समारोह तक इस पद पर बने रहेंगे। ज्ञात हो कि सागर को हार्वर्ड में उच्चतम स्कॉलरशिप प्राप्त है और वह प्रतिष्ठित के.सी. महिंद्रा स्कॉलर भी हैं।

शरद सागर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित सामाजिक उद्यमी और भारतीय युवा आइकॉन हैं जिनके शिक्षा और नेतृत्व के क्षेत्र में कार्य को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है। गौरतलब है कि बिहार के छोटे गाँवों एवं शहरों में पले-बढ़े शरद सागर 12 वर्ष की आयु में पहली बार स्कूल गए। 16 वर्ष की आयु में सागर ने राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की। 24 वर्ष की आयु में उन्हें फोर्ब्स ने उन्हें 30 वर्ष तक की आयु के 30 सबसे प्रभावशाली उद्यमियों की सूची में शामिल किया। 2016 में सागर राष्ट्रीय और वैश्विक समाचारों में थे जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें एकमात्र भारतीय के रूप में व्हाइट हाउस में होने वाले एक विशेष सभा के लिए आमंत्रित किया। उसी वर्ष नोबेल शांति केंद्र ने सागर को नॉर्वे में होने वाले नोबेल शांति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। सागर अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए जाने वाले प्रसिद्ध टेलीविजन शो कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) के विशेषज्ञ भी हैं।

शरद सागर का कथन

हार्वर्ड में छात्र संघ का अध्यक्ष चुने जाने पर सागर ने कहा, “1200+ छात्र! 50+ देशों से! 9 असाधारण उम्मीदवार! 1 चुनाव! आज मैं हार्वर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में छात्र संघ के अगले अध्यक्ष चुने जाने पर बहुत ही आभारी हूँ। मुझे पता है कि मैं हार्वर्ड से बहुत दूर पैदा हुआ था और मैं एक असंभव उम्मीदवार था। लेकिन हार्वर्ड के छात्रों द्वारा यह जिम्मेदारी दिए जाने के लिए वास्तव में आभारी हूँ। भारत के छोटे शहरों और गांवों में पला-बढ़ा, मैं पहली बार 12 साल की उम्र में स्कूल गया था। तब हार्वर्ड एक दूर के असंभव सपने जैसा लगता था। लेकिन, “होम-स्कूल से हार्वर्ड” तक का यह सफर अविश्वसनीय है। अध्यक्ष के रूप में मैं हार्वर्ड में एक ऐसे नेतृत्व की नींव रखना चाहता हूँ जो अग्रगामी, सर्वव्यापी और हार्वर्ड के छात्रों के जीवन में वास्तविक बदलाव ला पाए।

शरद सागर की पृष्ठभूमि और उपलब्धियां

एक शानदार हाई स्कूल करियर के बाद, जिसमें उन्होंने 200 से अधिक स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रश्नोत्तरी और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं जीतीं और छह से अधिक विभिन्न देशों में अंतर-सरकारी और संयुक्त राष्ट्र प्लेटफार्मों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया, सागर को अपनी स्नातक की डिग्री हासिल करने के लिए अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से 4 करोड़ रुपये की पूरी छात्रवृत्ति मिली, जहां उन्होंने प्रमुख विश्वविद्यालय रिकॉर्ड तोड़े। मई 2016 में सागर विश्वविद्यालय के इतिहास में दीक्षांत समारोह में भाषण देने वाले पहले भारतीय थे। स्नातक होने के कुछ महीनों के भीतर ही सागर विश्वविद्यालय के 160 वर्षों के इतिहास में “एलुमनाई अचीवमेंट अवार्ड” प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए। 2017-18 में सागर को इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के “क्वींस यंग लीडर्स” की सूची में शामिल किया गया।

भारत के हर जिले में स्थानीय नेतृत्व एवं प्रेरणास्रोत के निर्माण को समर्पित शरद सागर की संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल 65 लाख किशोरों एवं युवाओं को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ती है एवं प्रशिक्षित करती है। संगठन के बच्चों ने दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों से 72 करोड़ से भी अधिक की छात्रवृत्ति प्राप्त की है।

संगठनात्मक नेतृत्व के अतिरिक्त शरद सागर को अंग्रेजी एवं हिंदी के फायरब्रांड वक्ता के रूप में जाना जाता है। एक औसत वर्ष में शरद सागर 20 से अधिक राज्यों में 250 से अधिक प्रमुख सार्वजनिक भाषण देते हैं। नेतृत्व, राष्ट्र निर्माण और प्रबंधन पर अतिथि व्याख्यान देने के लिए उन्हें अक्सर आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा आमंत्रित किया जाता है। 2017 में एक प्रमुख भारतीय अखबार ने शरद सागर को “21वीं सदी के विवेकानंद” की उपाधि दी।

विश्वस्तरीय शिक्षा के द्वार मुसहर समाज में नेतृत्व की नीव डाल रहे हैं बिहार के शरद सागर

दलित समाज देश में सबसे गरीब और पिछड़ा समाज है, मगर बिहार में मुसहर जाति को दलितों में भी महादलित के रुप में जाना जाता है। गूगल पर जब आप मुसहर जाति को सर्च कीजियेगा तो आपको पता चलेगा कि इस समाज को ‘मुसहर’ इसलिए कहा जाता है कि इस जाती के लोग जीवित रहने के लिए चूहा (मूसा) खाते हैं। उनके गरीबी, पिछड़ेपन और उनके साथ हुए शोषण का अंदाजा आप इस बात से लगाईये कि किसी व्यक्ति को किस परिस्थिति में चूहा खाने को मजबूर होना पड़ता होगा।

मगर इसी गूगल न्यूज पर इसी समाज के दो होनहार छात्रों की एक खबर दो दिनों से पूरे देश में ट्रेंड कर रही है, जो न सिर्फ एक बेहतर कल की उम्मीद देती है, बल्कि देश के लोगों को प्रेरित भी कर रही है।

बिहार के महादलित समाज के गौतम कुमार (18) और अनोज कुमार (18) ने प्रतिष्ठित अशोका विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई के लिए 42-42 लाख रूपए की पूर्ण छात्रवृति हासिल की है। पटना जिले के मसौढ़ी और जमसौत रहने वाले ये दोनों छात्र मुसहर समुदाय से आते हैं। दोनों के पिता देहारी मज़दूर हैं और परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

सबसे बड़ी बात है कि गौतम और अनोज अपने परिवार से कॉलेज जाने वाले पहले सदस्य होंगे और उन दोनों को राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल द्वारा चयनित एवं प्रशिक्षित किया गया है। डेक्सटेरिटी ग्लोबल शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत एवं विश्व के लिए नेतृत्व की अगली पीढ़ी तैयार करने में कार्यरत है।

अनोज

यह छात्रवृति गौतम और अनोज के चार साल की पढाई की पूरी लागत को कवर करेगी – ट्यूशन, निवास, किताबें और आपूर्ति, स्वास्थ्य बीमा, और यात्रा व्यय इत्यादि। इसके अतिरिक्त दोनों छात्रों को व्यक्तिगत खर्चों के लिए मासिक जेब खर्च भी मिलेगा। अशोका विश्वविद्यालय प्रसिद्ध शिक्षाविदों एवं उद्योगपतियों द्वारा स्थापित एक प्रमुख लिबरल आर्ट्स संस्थान है जहाँ 18 से अधिक देशों के छात्र-छात्राएँ पढ़ते हैं।

अशोका विश्वविद्यालय में गौतम कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल करेंगे, जबकि अनोज गणित में अपनी प्रतिभा को आगे ले जाएंगे।

गौतम और अनोज दोनों ने अपने इस उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए यह जोड़ देकर यह कहा कि वे अपनी शिक्षा का उपयोग अपने समुदाय की सेवा करने में करेंगे। यह एक बड़ी बात है। अगर हम किसी भी समाज के पिछड़ेपन के वजह को खोजें तो एक प्रमुख वजह उस समाज में शिक्षा की कमी होती है।

बाबा साहब अम्बेडकर कहते थे कि पिछड़ों को अगर उनको अपना हक लेना है तो उसे सबसे पहले शिक्षित होना होगा।

जैसे बाबा साहेब ने छात्रवृत्ति पर विश्वस्तरीय शिक्षा हासिल करके दलितों और पिछड़ों को बराबरी का अधिकार दिलवाया। ठीक उसी तरह ये बच्चें जो आज छात्रवृत्ति पर विश्वस्तरीय शिक्षा हासिल करने जा रहे हैं, वो कल अपने समाज की आवाज़ बन सकते हैं।

गौतम और अनोज के इस कामयाबी के पीछे शरद सागर और उनकी संस्था डेक्सटेरिटी ग्लोबल का एक अहम योगदान है। शरद सागर ने अपने संस्था के माध्यम से इन छात्रों को लंबी छलांग लगाने के लिए तैयार किया है। ज्ञात हो कि पटना स्थित डेक्सटेरिटी ग्लोबल के कई बच्चें विश्वस्तरीय छात्रवृति और अवसरों को अपने नाम कर रहे हैं। शरद सागर शैक्षणिक अवसरों के द्वारा गौतम और अनोज जैसे युवाओं की एक फौज को अगली पीढ़ी के नेतृत्व के लिए तैयार कर रही है।

हाल ही में संगठन ने घोषणा किया कि संगठन के बच्चों को इस वर्ष एशिया, अमेरिका और यूरोप के शीर्ष कॉलेजों में पढ़ने के लिए 21.93 करोड़ से अधिक की छात्रवृति प्राप्त हुई है। सागर द्वारा बिहार के पटना से देश में नेतृत्व निर्माण की एक नई क्रांति की शुरुवात हो चुकी है। आने वाले समय इस संगठन से निकले होनहार छात्रों का प्रभाव राष्ट्र निर्माण में भी दिखेगा।

– अविनाश कुमार, संपादक

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बिहार के शरद सागर के संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल का होगा IIM में केस स्टडी

बिहार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित सामाजिक संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल इस महीने भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), नागपुर में एक केस स्टडी बनेगा। यह संगठन शिक्षा और नेतृत्व के क्षेत्र में काम करता है और इसकी स्थापना 2008 में बिहार के पटना में 16-वर्षीय शरद विवेक सागर द्वारा की गई थी।

अपने वार्षिक प्रबंधन उत्सव के अंतर्गत IIM नागपुर राष्ट्रीय स्तर की केस स्टडी प्रतियोगिता आयोजित करती है, जिसके तहत IIM ने केस स्टडीके रूप में शरद सागर के संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल को प्रदर्शित करने की घोषणा की है। इस राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पूरे भारत के सभीआईआईएम और शीर्ष बी-स्कूलों के प्रबंधन के छात्र भाग लेंगे।

पिछले साल, देश के विभिन्न IIM और अन्य शीर्ष क्रम के बिजनेस स्कूलों की 500 से अधिक टीमों ने भाग लिया। आईआईएम नागपुर द्वारा यह वार्षिक केस स्टडी प्रतियोगिता बिजनेस स्कूल के छात्रों को व्यावसायिक कौशल के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को संयोजित करने केलिए एक मंच देने पर केंद्रित है।

IIM नागपुर से आया डेक्सटेरिटी ग्लोबल को आधिकारिक निवेदन

आईआईएम (IIM) नागपुर द्वारा यह निवेदन 25 जनवरी को प्राप्त हुआ। यह देखते हुए कि डेक्सटेरिटी की 13 वर्ष की लंबी यात्रा प्रबंधनस्नातकों को गहरी अंतर्दृष्टि और नए अनुभव प्रदान करेगी और संगठन को उनके उपन्यास विचारों से भी लाभ होगा, डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने ईमेलके माध्यम से इस निवेदन को स्वीकार किया।

पिछले कुछ दिनों में, IIM के छात्रों और स्कॉलर्स ने केस स्टडी तैयार करने के लिए एवं संगठन की पृष्ठभूमि के बारे में अधिक जानकारी हासिल करने के लिए डेक्सटेरिटी ग्लोबल के वरिष्ठ अधिकारियों से डिजिटल माध्यम से बात-चीत की। केस स्टडी को फरवरी के मध्य में पब्लिक किया जाएगा और पूरे भारत के प्रबंधन के छात्रों को अपने समाधान प्रस्तुत करने के लिए फरवरी के अंत तक का समय होगा।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के बारे में

वर्ष 2008 में शरद सागर ने शैक्षिक अवसरों के माध्यम से नेताओं की अगली पीढ़ी को शक्ति प्रदान करने वाले राष्ट्रीय संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना की। पिछले 12 वर्षों से यह संगठन अपने शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के किशोरों एवं युवाओं को सेवा और नेतृव्त से जोड़ने का काम कर रही है। अपने शैक्षणिक पटलों के माध्यम से डेक्सटेरिटी भारत के विभिन्न राज्यों में 65 लाखसे भी अधिक किशोरों एवं युवाओं को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ती एवं प्रशिक्षित करती है। संगठन के छात्र-छात्राओं ने दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थानों से कुल 52 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति हासिल की है।

कोरोना काल में शरद सागर के संगठन ने भारत के युवाओं के लिए 1000 इंटर्नशिप तैयार किये। नागालैंड के वोखा से लेकर केरल के कन्नूर तक— देश के 27 राज्यों एवं 310 जिलों के युवाओं को संगठन ने इंटर्नशिप के साथ करियर ट्रेनिंग भी प्रदान की।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक व सीईओ शरद सागर के बारे में

शरद विवेक सागर बिहार के सामाजिक उद्यमी एवं भारतीय युवा आइकॉन हैं जिनके शिक्षा और नेतृत्व के क्षेत्र में किए गए कार्यों को दुनिया भर मेंसराहा गया है। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शरद सागर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया। फोर्ब्स ने उन्हें विश्व के 30 सबसे प्रभावशाली युवाओंकी सूची में शामिल किया। रॉकफेलर फाउंडेशन ने उन्हें अगली सदी के 100 इन्नोवेटर्स की सूची में जगह दी। नोबेल पीस सेण्टर ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार समारोह में आमंत्रित किया। इंग्लैंड की महारानी ने उन्हें “क्वींस यंग लीडर्स” में शामिल किया। सदी के महानायक अमिताभ बच्चनने उन्हें कौन बनेगा करोड़पति में देश के सबसे युवा एक्सपर्ट के रूप में आमंत्रित किया। रामकृष्ण मिशन ने उन्हें अपने वार्षिक कैलेंडर में चित्रितकिया और देश के प्रमुख अखबार दिव्य भास्कर ने उन्हें “21वीं सदी के विवेकानंद” की उपाधि दी। हालांकि, शरद सागर खुद को स्वामीविवेकानंद का सेवक एवं समर्पित कार्यकर्ता मानते हैं।

संस्थापक का कथन

“प्रति वर्ष हमें यूरोप,अमेरिका और एशिया के विश्वविद्यालयों से केस स्टडी के निवेदन प्राप्त हुए हैं। इस बार यह निवेदन एक प्रमुख भारतीय शैक्षणिक संस्थान से आया और हमने मंजूरी दी। मुझे यकीन है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन के छात्रों को डेक्सटेरिटी ग्लोबल की प्रेरक यात्रा केबारे में जानने से अत्यंत लाभ मिलेगा और अपने नए विचारों के साथ इस यात्रा में वह योगदान भी देंगे। मैं इस निवेदन के लिए IIM नागपुर का धन्यवाद करता हूँ और देश भर के सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देता हूँ।“

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सिर्फ कौन बनेगा करोड़पति में ही नहीं, असल जिंदगी में भी लोगों को करोड़पति बना रहे हैं शरद सागर

सोनी टीवी पर प्रसारित और महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया जाने वाला “कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी)” देश का सबसे लोकप्रिय टीवी शो है। जहां प्रतिभागी के पास कुछ सवालों के सही जवाब देने के बाद करोड़पति बनने का मौका होता है।

केबीसी के वर्तमान संस्करण में बिहार के शरद सागर बतौर एक्सपर्ट के भूमिका में लगातार नजर आ रहे हैं। डेक्सटरिटी ग्लोबल के सीईओ शरद प्रतिभागियों को मुश्किल सवालों के सही जवाब बताकर करोड़पति बनने में मदद करते हैं।

केबीसी में एक्सपर्ट के रूप में सागर

मगर क्या आपको पता है कि शरद सागर टीवी शो के दुनिया से इतर असल जिंदगी में भी कई लोगों को ‘ करोड़पति’ बना चुके हैं?

जी हां, शरद सागर की संस्था डेक्सटरिटी ग्लोबल शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है। जिसके जरिए वे छात्र- छात्राओं को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ते हैं और उन अवसरों को हासिल करने में उनकी मदद भी करते हैं।

इससे ही जुड़ी एक खबर आज बिहार के हर अखबार छपी है। बिहार के एक किसान परिवार के 17 वर्षीय रितिक ने अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित जार्जटाउन विश्वविद्यालय से 2.5 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति हासिल की है। पटना के गोला रोड निवासी रितिक पूरे परिवार से कॉलेज जाने वाले पहले व्यक्ति हैं। रितिक के इस कामयाबी के पीछे शरद सागर के डेक्सटरिटी ग्लोबल का अहम योगदान है।

अपनी सफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए रितिक कहते हैं, “13 साल की उम्र से ही डेक्सटेरिटी ग्लोबल में मुझे मिले मार्गदर्शन और सलाह के बिना यह संभव नहीं होता। शरद सागर सर ने न केवल मुझे बड़े सपने देखने में सक्षम बनाया बल्कि मुझे उन सपनों को हकीक़त में बदलने के लिए सही संसाधनों से लैस किया। अपने गुरु के मूल्यों से प्रेरित होकर, मैं भारत वापस आना चाहता हूं और अपना जीवन सार्वजनिक सेवा और राष्ट्र-निर्माण के लिए समर्पित करना चाहता हूं।”

डेक्सटरिटी के बच्चों ने अभी तक 49 करोड़ की छात्रवृत्ति हासिल की है

एक तरफ किसान अपने फसल के उचित दाम के लिए दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं तो दुसरे तरफ – शरद सागर के प्रयासों का ही परिणाम है कि एक किसान परिवार का बेटा करोड़ों के छात्रवृत्ति के साथ दुनिया के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पढ़ने जा रहा है|

ज्ञात हो कि डेक्सटरिटी लगभग 65 लाख लोगों को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ती है| अभी तक इस संस्था से जुड़े बच्चों ने लगभग 49 करोड़ की छात्रवृत्ति हासिल की है और 100 से ज्यादा बच्चों को विश्व के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से एडमिशन का ऑफर भी मिल चुका है|

इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि इन सभी बच्चों में से 80% बच्चें गरीब परिवार या कम आय वाले परिवार से आते हैं|

‘कौन बनेगा करोड़पति’ जीतकर जैसे एक आम इंसान की जिन्दगी बदल जाती है, उसी तरह शरद सागर साधारण परिवार से आने वालें बच्चों को करोड़ों का छात्रवृति हासिल करने में मदद कर उनको और उनके परिवार की जिंदगी बदल रहे हैं| इस सबके साथ डेक्सटरिटी से निकलने वाले बच्चें अच्छी शिक्षा हासिल कर देश निर्माण महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं|

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बिहार की फोर्ब्स 30 अंडर 30 संस्था डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने 1,000 इंटर्नशिप की घोषणा की

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित एवं फोर्ब्स की सूची में शामिल सामाजिक संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने भारतीय युवाओं के लिए 1,000 इंटर्नशिप की घोषणा की है। सोमवार को डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ शरद विवेक सागर ने एक सार्वजनिक पत्र के माध्यम से यह घोषणा की।

COVID-19 संकट के कारण प्रमुख भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी, इंटर्नशिप और वेतन में कटौती हुई है और नए रोज़गार देने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। अपने 1,000 इंटर्नशिप कार्यक्रम के माध्यम से डेक्सटेरिटी ग्लोबल 1,000 भारतीय युवाओं को इंटर्नशिप के साथ करियर और कौशल निर्माण में प्रशिक्षण प्रदान करेगी। इंटर्नशिप कार्यक्रम सभी विषयों के छात्र-छात्राओं और स्नातकों के लिए खुला है।

ज्ञात हो कि डेक्सटेरिटी ग्लोबल बिहार की एक प्रसिद्ध सामाजिक संस्था है जो शिक्षा के क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्व स्तर पर चर्चित एवं सम्मानित है| इसके संस्थापक शरद सागर भी मूल रूप से बिहार के सिवान जिले के जीरादेई ग्राम निवासी हैं|

डेक्सटेरिटी ग्लोबल की स्थापना 2008 में हुई थी और पिछले 12 वर्षों से यह संगठन अपने शैक्षणिक अवसरों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से भारत के किशोरों एवं युवाओं को सेवा और नेतृव्त से जोड़ने का काम कर रही है। अपने शैक्षणिक पटलों के माध्यम से डेक्सटेरिटी भारत के विभिन्न राज्यों में 60 लाख से भी अधिक किशोरों एवं युवाओं को शैक्षणिक अवसरों से जोड़ती एवं प्रशिक्षित करती है। संगठन के छात्र-छात्राओं ने दुनिया भर के शैक्षणिक संस्थानों से कुल 46 करोड़ से अधिक की छात्रवृत्ति हासिल की है।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के सीईओ शरद विवेक सागर द्वारा लिखे गए सार्वजनिक पत्र को पिछले कुछ घंटों में इंटरनेट पर 1 लाख से भी अधिक लोगों ने पढ़ा है और एक हजार के करीब लोगों ने शेयर किया। अपने भावुक पत्र में शरद विवेक सागर लिखते हैं,”यह हमारे देश के इतिहास में पहली पीढ़ी है जो नौकरी के प्रस्ताव या इंटर्नशिप के अवसर के बिना कॉलेज से निकल रही है।”

छात्रों के दर्द एवं पीड़ा को साझा करते हुए सागर ने लिखा, “पिछले कुछ हफ्तों में मैंने देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले युवाओं से लगातार संवाद किया है और ऐसी कई कहानियाँ सामने आई हैं जो दिल को दुःखी करती हैं – इंटरव्यू रद्द हुए हैं, वेतन वृद्धि स्थगित हुई है, किसी की नौकरी गई है तो किसी की इंटर्नशिप।”

भारत के युवाओं के प्रशिक्षण, अनुभव और आत्म-विश्वास में कोई कमी न होने देने का संकल्प लेते हुए शरद सागर ने लिखा कि — “मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व है कि हम अपने युवा नागरिकों को 1000 इंटर्नशिप प्रदान करेंगे। इतना ही नहीं, प्रत्येक इंटर्न को करियर और कौशल निर्माण में भी हम प्रशिक्षित करेंगे।”

2016 में शरद सागर देश और दुनिया की सुर्खियों में थे जब उन्हें तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एकमात्र भारतीय के रूप में वाइट हाउस आमंत्रित किया था। सागर फोर्ब्स पत्रिका के ग्लोबल 30 अंडर 30 सूची में भी आने वाले बिहार से पहले एवं एकमात्र हैं और उन्हें आईआईटी एवं आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थानों में नेतृत्व, राष्ट्र-निर्माण एवं प्रबंधन पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है। उनके प्रभावशाली काम के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र, नोबेल पीस सेण्टर, रॉकफेलर फाउंडेशन, क्वीन एलिज़ाबेथ एवं अन्य वैश्विक संगठनों द्वारा आमंत्रित एवं सम्मानित किया गया है और उनके हिंदी व अंग्रेजी के भाषण करोड़ों लोग सुनते हैं। 2017 में भारत के एक प्रमुख अखबार ने उन्हें “21वीं सदी के  विवेकानंद” की उपाधि दी।

अपने सार्वजनिक पत्र में इस फैसले की घोषणा करते हुए शरद सागर लिखते हैं कि — “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है – हमारे युवाओं के हाथ में एक अवसर होगा, एक नए अनुभव की तत्परता और तैयारी होगी और जब फॉर्च्यून 500 कंपनियां कुछ महीनों में आएंगी, तो एक फोर्ब्स अंडर 30 संगठन में उनके कार्य अनुभव से उन्हें वैश्विक स्तर पर इंटरव्यू और चयन में मजबूती मिलेगी।

मैं हमारे युवाओं के लिए सोचता रहूँगा, संघर्ष करता रहूँगा, समाधान लाता रहूँगा और यह सुनिश्चित करूंगा कि ना उनके सीवी पर कोई ब्रेक लगे और न ही उनके करियर पर।”

डेक्सटेरिटी ग्लोबल द्वारा स्थापित सभी 1,000 इंटर्नशिप डिजिटल होंगे। आवेदन चार विभागों में किए जा सकते हैं – अनुसंधान, संचार, प्रबंधन एवं डिजाइन। घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही 749 से अधिक युवाओं ने अपने आवेदन शुरू कर दिए हैं और 19 राज्यों एवं 69 जिलों से 104 आवेदन भरे भी जा चुके हैं। इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने के लिये क्लिक करें|

Basant Sagar: बिहार के इस वैज्ञानिक के याद में मनाया जाता है ‘इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी’

आज (10 फरवरी) इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी (International Day of Dexterity) है| यह जानकर आपको खुशी होगी कि अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान डेक्सटेरिटी ग्लोबल द्वारा मनाया जाने वाला यह विशेष दिन बिहार के गणितज्ञ की याद में मनाया जाता है| पिछले वर्ष बिहार के गौरव एवं प्रसिद्ध एमआईटी बोस्टन के वैज्ञानिक बसंत सागर के जन्मदिवस 10 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी के रूप में मनाने की घोषणा की गयी थी|

कौन है बसंत सागर?

बसंत सागर — जो आधुनिक बिहार राज्य के पहले एवं एकमात्र स्कॉलर रहे जिन्हें पूरी छात्रवृत्ति पर विश्व के सर्वप्रथम संसथान एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला — अपने जीवन काल में बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के प्रेरणाश्रोत बने। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। एमआईटी बोस्टन और दुनिया भर के सैंकड़ो साइंटिस्ट् एवं स्कॉलर एवं कई नोबेल प्राइज विजेता बसंत को जीनियस के रूप में देखते थे।

बसंत सागर, जिनकी तुलना देश भर में श्रीनिवास रामानुजन से होती हैं, उनका निधन 6 नवंबर 2017 को हुआ। बसंत के 31वें जन्मदिवस और संस्थान की स्थापना के 10 साल पूरे होने पर, डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने बसंत सागर के जन्मदिवस को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।

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बसंत सागर

एक भारतीय नायक जिन्होंने अपने जीवन काल में अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और नासा, एम्आईटी  बोस्टन, वाइट हाउस जैसे संस्थानों एवं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज बुश एवं अरबपति ईलॉन मस्क एवं बिल गेट्स जैसे दिग्गजों से अनेकों बार प्रशंसा पायी।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के ऐतिहासिक दस साल

2008 में शरद सागर द्वारा संस्थापित डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने पिछले दस साल में 6 मिलियन से भी ज़्यादा बच्चों को घरों एवं कक्षाओं में हर महीने शैक्षणिक अवसरों से जोड़ा है, 250,000 छात्र-छात्राओं को अपने चैलेंजों द्वारा प्रभावित किया है और 7 लाख बच्चों ने ऑनलाइन भाग लिया है। 2.5 लाख बच्चों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में दाखिला के लिए प्रशिक्षित किया है और देश भर में 10 लाख बच्चों एवं 5000 से भी अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को इक्कीसवीं सदी के कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया है।

300 बच्चे डेक्सटेरिटी स्कूल ऑफ़ लीडरशिप एंड एन्त्रेप्रेंयूर्शिप से निकले हैं जिन्हे दुनिया भर में यूएन, नासा, वर्ल्ड बैंक, फेसबुक, पेप्सी, हार्वर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड, आईआईटी, आईआईएम्, एवं दुनिया भर में कई राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों द्वारा सराहा गया है।

डेक्सटेरिटी टू कॉलेज के बच्चों ने पिछले दो सालों में दुनिया  सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों से कुल 40 करोड़ की छात्रवृत्ति पायी है।

बसंत सागर का ऐतिहासिक जीवन एवं उपलब्धियां

बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। बसंत अंतिम दिनों में बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।

बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले बढे बसंत को 13 साल की उम्र पर पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 2007 में  बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। 2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

basant vivek Sagar, MIT Boston, mathematician, Bihar, Foundation

बसंत जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढाई की केवल 14 वर्ष थे जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई।

2003 में सिर्फ 14 वर्षीय सागर के बारे में लिखते हुए भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय जब इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।” पटना में हाई स्कूल की पढाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र हैं।

2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में बसंत एक अभूतपूर्व छात्र एवं स्कॉलर रहे । बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे।

वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक रहे। बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के छेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।

basant vivek Sagar, MIT Boston, mathematician, Bihar, Foundation

बसंत सागर एक भारतीय नायक हैं जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की सच्ची निष्ठा से सेवा की और देश को अनेकों बार गौरवान्वित किया। बिहार में और देश भर में लाखों बच्चों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये। आज हम अपने देश के एक रत्न और उनके असाधारण एवं अद्वितीय जीवन को सलाम करते हैं और गर्व महसूस करते हैं कि उनका जीवन दुनिया भर के युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल होगा और युवाओं को प्रेरित करेगा कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने के लिए, अपनी सीमाओं को पार करने के लिए और खुद से बढ़ कर मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए।

बसंत सागर छात्रवृत्ति की घोषणा

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के प्लेटफॉर्मों के सभी बच्चों को इस साल से बसंत सागर स्कॉलरशिप से नवाज़ा जाएगा जिसके अंतर्गत उन्हें पूरी छात्रवृत्ति दी जाएगी। बसंत सागर छात्रवृत्ति के माध्यम से इस भारतीय नायक के जीवन एवं उपलब्धियों को और “डेक्सटेरिटी” की भावना को देश भर के बच्चों तक पहुंचाया जाएगा। बसंत सागर बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के रोल मॉडल हैं और इस छात्रवृत्ति के माध्यम से इन युवाओं को अपनी शिक्षा के माध्यम से भारत की सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ का बयान –

शरद सागर

इस घोषणा पर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ और भारतीय युवा आइकॉन शरद सागर ने कहा – “बसंत सागर की कहानी भारत की कहानी है। यह रामानुजन और कलाम की कहानी है। यह वो कहानी है जो हमें याद दिलाती है की आप कितने भी पीछे से क्यों न आते हों आप उससे तय नहीं होता की आप जीवन में कितना आगे जायेंगे। एक बच्चा जो आठवीं कक्षा में बिहार के एक छोटे से कोने में पहली बार स्कूल गया हो वो अगर इतनी कम उम्र तक दुनिया भर में नासा, एम्आईटी जैसे संस्थानों द्वारा एवं दो दो अमेरिकी राष्ट्रपति (बराक ओबामा और जॉर्ज बूश) द्वारा उनके कार्यकाल में सराहा जाता है यह एक अद्भुत कहानी है। बसंत सागर के जीवन से बिहार एवं भारत के लाखों युवाओं को प्रेरणा मिलती है और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी ताकि वो भी अपना जीवन भारत एवं दुनिया की सेवा को समर्पित करें।”

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति का बयान

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति एवं विश्व प्रसिद्द साइंटिस्ट रफाएल रैफ ने कहा – “श्री बसंत सागर का एमआईटी बोस्टन के छात्र एवं शोधकर्ता के रूप में एक अद्भुत जीवन रहा। बसंत सागर का असामयिक गुज़ारना वास्तव में पूरे एमआईटी परिवार के लिए एक गहरा नुकसान रहा लेकिन मुझे भरोसा है कि उनकी विरासत उनके परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और साथी शोधकर्ताओं के जीवन और काम के माध्यम से जीवित रहेगी। मैं और एमआईटी में मेरे सहयोगी बसंत के जीवन और विरासत का सम्मान करने के हर अवसर का स्वागत करेंगे।”

बिहार के स्वराज को मिला अमेरिका का प्रतिष्ठित ‘सैमुअल हंटिंगटन पब्लिक सर्विस अवार्ड’

अपने मेहनत, प्रतिभा और इमानदारी के लिए बिहार पुरे दुनिया में प्रसिद्ध है| दुनिया भर में फैले बिहारियों के उपलब्धियों के ख़बरें आते रहते हैं| ऐसी ही एक और खबर अमेरिका से आ रही है| बिहार के दरभंगा जिले के मूल निवासी स्वराज प्रियदर्शी ने अमेरिका के प्रतिष्ठित ‘सैमुअल हंटिंगटन पब्लिक सर्विस अवार्ड’ को जीतकर बिहार के साथ देश का नाम रौशन किया है|

सैमुअल हंटिंगटन पब्लिक सर्विस अवार्ड अमेरिकी कॉलेज से स्नातक कर रहे कुछ चुन्निदा छात्रों को दिया जाता है जो कॉलेज के बाद दुनिया के किसी भी हिस्से में जाकर सार्वजनिक सेवा करते हैं| इस अवार्ड के विजेता को 15 हज़ार अमेरिकी डॉलर (लगभग 10 लाख रूपये) दिया जाता है| इस बार मात्र 3 छात्रों को यह पुरस्कार दिया गया है, उसमें से एक बिहार के स्वराज हैं|

ज्ञात हो कि स्वराज प्रियदर्शी ने चार साल पहले 4 करोड़ के फुल छात्रवृति के साथ अमेरिका के प्रतिष्ठित टफ्टस यूनिवर्सिटी में पढने के लिए चुने गये थे| अंतराष्ट्रीय राजनीति के छात्र स्वराज इस साल ग्रेजुएट कर रहें हैं| वे डेक्सटेरिटी ग्लोबल के चीफ ऑफ़ स्टाफ भी हैं| कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद स्वराज अपने राज्य बिहार लौटकर अपने समाज सेवा के कामों को और आगे बढ़ाएंगे|

1989 में शरू हुआ सैमुअल हंटिंगटन पब्लिक सर्विस अवार्ड को अब तक 77 प्रतिभावान युवाओं को दिया गया है जो दुनिया भर में अपने सामाजिक कार्यों से बदलाव ला रहें हैं| पुरस्कार के प्राप्तकर्ता में मैकआर्थर “जीनियस”, एक अमेरिकी सर्जन जनरल, फोर्ब्स 30 अंडर 30 सम्मान, इंग्लैंड की युवा नेताओं की रानी और 2018 की बीबीसी की सबसे प्रभावशाली महिलाएं शामिल हैं। गौरतलब है कि बिहार के शरद सागर को भी इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है|

 

बिहार के महान गणितज्ञ बसंत सागर के सम्मान में मनाया जायेगा ‘इंटरनैशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी’

अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने भारतीय गणितज्ञ, बिहार के गौरव एवं प्रसिद्ध एमआईटी बोस्टन के वैज्ञानिक बसंत सागर के जन्मदिवस 10 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी के रूप में मनाने की घोषणा की है। बसंत सागर — जो आधुनिक बिहार राज्य के पहले एवं एकमात्र स्कॉलर रहे जिन्हें पूरी छात्रवृत्ति पर विश्व के सर्वप्रथम संसथान एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला — अपने जीवन काल में बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के प्रेरणाश्रोत बने। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। एमआईटी बोस्टन और दुनिया भर के सैंकड़ो साइंटिस्ट् एवं स्कॉलर एवं कई नोबेल प्राइज विजेता बसंत को जीनियस के रूप में देखते थे।

बसंत सागर, जिनकी तुलना देश भर में श्रीनिवास रामानुजन से होती हैं, उनका निधन 6 नवंबर 2017 को हुआ। बसंत के 31वें जन्मदिवस और संस्थान की स्थापना के 10 साल पूरे होने पर, डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने बसंत सागर के जन्मदिवस को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।

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बसंत सागर

एक भारतीय नायक जिन्होंने अपने जीवन काल में अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और नासा, एम्आईटी  बोस्टन, वाइट हाउस जैसे संस्थानों एवं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज बुश एवं अरबपति ईलॉन मस्क एवं बिल गेट्स जैसे दिग्गजों से अनेकों बार प्रशंसा पायी।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के ऐतिहासिक दस साल

2008 में शरद सागर द्वारा संस्थापित डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने पिछले दस साल में 6 मिलियन से भी ज़्यादा बच्चों को घरों एवं कक्षाओं में हर महीने शैक्षणिक अवसरों से जोड़ा है, 250,000 छात्र-छात्राओं को अपने चैलेंजों द्वारा प्रभावित किया है और 7 लाख बच्चों ने ऑनलाइन भाग लिया है। 2.5 लाख बच्चों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में दाखिला के लिए प्रशिक्षित किया है और देश भर में 10 लाख बच्चों एवं 5000 से भी अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को इक्कीसवीं सदी के कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया है।

300 बच्चे डेक्सटेरिटी स्कूल ऑफ़ लीडरशिप एंड एन्त्रेप्रेंयूर्शिप से निकले हैं जिन्हे दुनिया भर में यूएन, नासा, वर्ल्ड बैंक, फेसबुक, पेप्सी, हार्वर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड, आईआईटी, आईआईएम्, एवं दुनिया भर में कई राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों द्वारा सराहा गया है।

डेक्सटेरिटी टू कॉलेज के बच्चों ने पिछले दो सालों में दुनिया  सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों से कुल 40 करोड़ की छात्रवृत्ति पायी है।

बसंत सागर का ऐतिहासिक जीवन एवं उपलब्धियां

बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। बसंत अंतिम दिनों में बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।

बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले बढे बसंत को 13 साल की उम्र पर पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 2007 में  बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। 2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

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बसंत जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढाई की केवल 14 वर्ष थे जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई।

2003 में सिर्फ 14 वर्षीय सागर के बारे में लिखते हुए भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय जब इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।” पटना में हाई स्कूल की पढाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र हैं।

2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में बसंत एक अभूतपूर्व छात्र एवं स्कॉलर रहे । बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे।

वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक रहे। बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के छेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।

basant vivek Sagar, MIT Boston, mathematician, Bihar, Foundation

बसंत सागर एक भारतीय नायक हैं जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की सच्ची निष्ठा से सेवा की और देश को अनेकों बार गौरवान्वित किया। बिहार में और देश भर में लाखों बच्चों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये। आज हम अपने देश के एक रत्न और उनके असाधारण एवं अद्वितीय जीवन को सलाम करते हैं और गर्व महसूस करते हैं कि उनका जीवन दुनिया भर के युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल होगा और युवाओं को प्रेरित करेगा कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने के लिए, अपनी सीमाओं को पार करने के लिए और खुद से बढ़ कर मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए।

बसंत सागर छात्रवृत्ति की घोषणा

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के प्लेटफॉर्मों के सभी बच्चों को इस साल से बसंत सागर स्कॉलरशिप से नवाज़ा जाएगा जिसके अंतर्गत उन्हें पूरी छात्रवृत्ति दी जाएगी। बसंत सागर छात्रवृत्ति के माध्यम से इस भारतीय नायक के जीवन एवं उपलब्धियों को और “डेक्सटेरिटी” की भावना को देश भर के बच्चों तक पहुंचाया जाएगा। बसंत सागर बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के रोल मॉडल हैं और इस छात्रवृत्ति के माध्यम से इन युवाओं को अपनी शिक्षा के माध्यम से भारत की सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ का बयान –

शरद सागर 

इस घोषणा पर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ और भारतीय युवा आइकॉन शरद सागर ने कहा – “बसंत सागर की कहानी भारत की कहानी है। यह रामानुजन और कलाम की कहानी है। यह वो कहानी है जो हमें याद दिलाती है की आप कितने भी पीछे से क्यों न आते हों आप उससे तय नहीं होता की आप जीवन में कितना आगे जायेंगे। एक बच्चा जो आठवीं कक्षा में बिहार के एक छोटे से कोने में पहली बार स्कूल गया हो वो अगर इतनी कम उम्र तक दुनिया भर में नासा, एम्आईटी जैसे संस्थानों द्वारा एवं दो दो अमेरिकी राष्ट्रपति (बराक ओबामा और जॉर्ज बूश) द्वारा उनके कार्यकाल में सराहा जाता है यह एक अद्भुत कहानी है। बसंत सागर के जीवन से बिहार एवं भारत के लाखों युवाओं को प्रेरणा मिलती है और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी ताकि वो भी अपना जीवन भारत एवं दुनिया की सेवा को समर्पित करें।”

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति का बयान

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति एवं विश्व प्रसिद्द साइंटिस्ट रफाएल रैफ ने कहा – “श्री बसंत सागर का एमआईटी बोस्टन के छात्र एवं शोधकर्ता के रूप में एक अद्भुत जीवन रहा। बसंत सागर का असामयिक गुज़ारना वास्तव में पूरे एमआईटी परिवार के लिए एक गहरा नुकसान रहा लेकिन मुझे भरोसा है कि उनकी विरासत उनके परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और साथी शोधकर्ताओं के जीवन और काम के माध्यम से जीवित रहेगी। मैं और एमआईटी में मेरे सहयोगी बसंत के जीवन और विरासत का सम्मान करने के हर अवसर का स्वागत करेंगे।”

Sharad Sagar, Dexterity Global, Cambridge University

शरद सागर को प्राप्त हुआ इंग्लैंड के प्रसिद्द केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मान

बिहार के युवा उद्यमी एवं भारत के युवा आइकॉन शरद सागर को इंग्लैंड के प्रसिद्द केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से सम्मान प्राप्त हुआ। इंग्लैंड की महारानी क्वीन एलिज़ाबेथ के “यंग लीडर” के बतौर शरद सागर को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंटीन्यूइंग एजुकेशन से“नेतृत्व” एवं प्रशासन में डिप्लोमा प्राप्त हुआ है।

वर्ष 2018 के लिए शरद सागर को “क्वीन्स यंग लीडर्स” में शुमार किया गया था। इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के सम्मान में स्थापित किया गया यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल के 52 देशों से प्रभावपूर्ण कार्य कर रहे चुनिंदा युवाओं को सम्मानित करता है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार 2018 में आखिरी बार दिया गया और बिहार से यह सम्मान पाने वाले शरद पहले एवं एकमात्र युवा रहेंगे।

ख़ास क्वीन एलिज़ाबेथ के निर्देश पर केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने बनाया विशेष पाठ्यक्रम

क्वीन एलिज़ाबेथ के डायमंड जुबली ट्रस्ट के निर्देश पर केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने दुनिया भर से चुने गए “क्वींस यंग लीडर्स” के लिए यह ख़ास पाठ्यक्रम बनाया था ताकि उनकी दुनिया भर में नेतृत्व करने की क्षमता को और बल मिले जिसके लिए केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के दिग्गजों एवं विद्वानों को इस ख़ास पाठ्यक्रम के लिए नियुक्त किया गया था। दुनिया भर के 52 राष्ट्रमंडल देशों से चुने गए कुल 124 युवाओं को ही सिर्फ केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा यह पाठ्यक्रम पूरा करने का अवसर मिला।

Sharad Sagar, Gujrat, Navrachana University

शरद सागर

यह पाठ्यक्रम का आखिरी साल था। इस प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ फ्रांसिस ब्राउन ने शरद को लिखे पत्र में शरद को प्रोग्राम के “असाधारण” प्रतिभागियों में गिना है। डॉ ब्राउन अपने पत्र में लिखती हैं – “मुझे मालूम है की आप में हर वो चीज़ है जिससे आप अपने काम को और असाधारण जीवन को समाज कल्याण में लगाएंगे।”

इंग्लैंड में स्थित केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी दुनिया के सबसे पुराने एवं ऐतिहासिक विश्वविद्यालयों की सूची में शुमार है और दुनिया भर के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है।

केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी साल 1209 में इंग्लैंड के किंग हेनरी 3 के राजकीय़ अध्यादेश द्वारा स्थापित किया गया और पिछले कई शताब्दियों में दुनिया भर के महानतम लोगों ने यहाँ से शिक्षा ग्रहण की। भारत के कई प्रधान मंत्री एवं राष्ट्रपतियों की शिक्षा भी केम्ब्रिज विश्वविद्यालय में ही हुई।

शरद सागर ने कहा

“छोटी उम्र से ही हमने अपने किताबों में केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी एवं वहां के दिग्गजों के बारे में पढ़ा है चाहे वो न्यूटन हों, स्टीफेन हाकिंग हों या फिर रामानुजन हों। आज क्वीन एलिज़ाबेथ के माध्यम से अगर इस ऐतिहासिक विश्वविद्यालय से जुड़ने का मौका मिला तो यह मेरे लिए सम्मान की बात है।”

भारत के युवा आइकॉन शरद सागर

 शरद सागर एक भारतीय युवा आइकॉन, विश्व प्रसिद्द उद्यमी एवं 21वीं शताब्दी के लीडर हैं जिनके शिक्षा एवं सामाजिक सेवा में किये गए काम एक पूरी पीढ़ी को प्रेरणा देती है। कई यूएन पुरस्कार के विजेता शरद दुनिया भर के सबसे प्रभावशाली नेताओं, संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारों एवं अखबारों द्वारा चित्रित किये गए हैं एवं उन्हें संयुक्त राष्ट्र, वाइट हाउस, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड, आईआईटी एवं आईआईएम जैसे संस्थानों द्वारा आमंत्रित एवं सम्मानित किया गया हैं।

इस उपलब्धि के साथ शरद के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों की सूची और लंबी हो गयी है। 2016 में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा वाइट हाउस आने का आमंत्रण मिला। शरद विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर हैं। शरद फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 की सूची में मार्क ज़ुकेरबर्ग एवं मलाला यूसफज़ई के साथ शामिल होने वाले बिहार से एकमात्र हैं। दिसंबर 2016 में नोबेल पीस सेण्टर ने शरद को ओस्लो, नॉर्वे में होने वाले नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। शरद ने एशिया, अमेरिका और यूरोप में प्रसिद्ध भाषण दिए हैं और ऑनलाइन उनके भाषणों को लाखों लोग द्वारा सुना जाता है।

 

Father’s Day: इस बिहारी पिता के तपस्या के कारण इनके तीनों संतान दुनिया भर में हुए प्रसिद्ध

आज पूरा देश फादर्स डे माना रहा है| कहा जाता है कि किसी इंसान के सफलता या विफलता के पीछे उसको मिले परवरिस, संस्कार और शिक्षा का बहुत महत्व होता है, और भारतीय संस्कृति में इन सबके पीछे उस इंसान के पिता का सबसे सबसे बड़ा योगदान होता है| शायद इसीलिए कहते हैं कि पिता परमेश्वर होता है|

आज फादर्स डे के इस विशेष मौके पर, बिहार के एक ऐसे ही पिता की कहानी हम लेकर आए है| जिन्हें परमेश्वर से भी तुलना करना अतिशयोक्ति  नहीं होगी| हम बात कर रहे हैं, मूल रूप से सिवान के प्रसिद्ध जीरादेई गाँव निवासी श्री बिमल कांत प्रसाद जी का|

बिमल जी के नाम से शायद सभी लोग परचित नहीं होंगे मगर इनके परछाई रूपी दो पुत्र और एक पुत्री के कारनामे, उपलब्धि और प्रसिद्धी सिर्फ एक देश तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में फैली हुई है| संभवतः ये बिहार के पहले पिता हैं, जिनके तीनों संतान पुरे छात्रवृति के साथ अमेरिका स्थित दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से स्नातक हैं|

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बसंत सागर

इनके सबसे बड़े पुत्र बसंत सागर एक महान गणितज्ञ थे| वे बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ थे| बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हें पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र छात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। दुर्ग्भाग्य बस मात्र 29 वर्ष के आयु में इस महान व्यक्तित्व और बिमल जी के बड़े पुत्र का निधन हो गया| इतने कम समय में इनके असामान्य उपलब्धियों के कारण इनकी तुलना महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से की जाती है|

बसंत सागर को विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें |

बरसा

बिमल कांत जी की पुत्री बरसा भी अमेरिका के प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पूरी छात्रवृत्ति पर स्नातक हैं| वें पर्यावरण नीति और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में काम करती हैं। भारत के प्रसिद्ध जागृति यात्रा की आयोजक हैं और अभी वर्तमान में अमेरिका स्थित प्रसिद्ध एमआईटी के Climate CoLab में काम कर रहीं हैं। इसके साथ ही वे अपने कामों के लिए कई बार विदेशों में भी सम्मानित हो चुकी हैं|

यहाँ पढ़िए बरसा का विशेष इंटरव्यू

इनके सबसे छोटे पुत्र शरद सागर देश के युवा आइकॉन के रूप में प्रसिद्ध हैं| वे भी 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर अमेरिका के प्रतिष्ठित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से पढ़ें हैं| अक्टूबर 2016 में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा वाइट हाउस आने का आमंत्रण मिला। शरद विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर हैं। शरद फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 की सूची में मार्क ज़ुकेरबर्ग एवं मलाला यूसफज़ई के साथ शामिल होने वाले बिहार से एकमात्र हैं। दिसंबर 2016 में नोबेल पीस सेण्टर ने शरद को ओस्लो, नॉर्वे में होने वाले नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया और जून 2017 में अखबार दिव्य भास्कर ने शरद को “21वीं शताब्दी के स्वामी विवेकानंद” की उपाधि दी।

Sharad Sagar, Gujrat, Navrachana University

शरद सागर

जिस देश में ज्यादातर माता-पिता अपने संतानों को विदेशों में पढ़ाने का सपना देखते हैं और उसे विकशित देशों में अच्छी नौकरी मिलने की कामना करते हैं, वही बिमल जी का परवरिस कहिये या बचपन में इनके द्वारा दिए मूल्य और संस्कार| इनके तीनो संतानों द्वारा विदेशों में शिक्षा अर्जित करने और करोड़ों के ऑफर होने के बावजूद ये लोग स्वदेश लौटकर देश की सेवा कर रहें हैं|

बच्चों के सफलताओं के पीछे छुपा है बिमल जी का संघर्ष, त्याग और परिश्रम 

श्री बिमल कांत प्रसाद मूल रूप से बिहार के सिवान जिले से हैं और वर्तमान में पटना में रहते हैं| पूर्व में वे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में कार्यत थे और अभी वर्तमान में डेक्सटेरिटी ग्लोबल के अध्यक्ष हैं| उनकी प्राथमिक शिक्षा जयप्रकाश नारायण और प्रभावती देवी द्वारा स्थापित महिला चरखा समिति में हुआ| हालाँकि वह बालिका विद्यालय था मगर उसमे जिस लड़कों की बहन पढ़ती थी उसे वहां पढ़ने की इजाजत थी| जिसके कारण उनको जयप्रकाश नारायण के करीब रहने का मौका मिला| जयप्रकाश नारायण जी के वजह से ही वे अमेरिकन शिक्षा पद्धति से प्रभावित हुए|
उनकी हाई स्कूल की पढाई जयप्रकाश के निवास स्थल के ठीक सामने कदम कुआँ स्थित ‘सर जी.डी. पाटलिपुत्र हाई स्कूल’ में हुई|

बाद में 1974-76 के बीच वे जयप्रकाश नारायण के छात्र आन्दोलन में सक्रिय रूप से सामिल रहें| इसी आन्दोलन के दौरान वे छात्र संगठन ABVP से जुड़े| उसी दौरान ABVP में इन्हें सुशील मोदी, जे.पी. नड्डा, अश्वनी चौबे जैसे लोगों के साथ काम  करने का मौका मिला, जो कि अभी भारतीय राजनीति के स्तम्भ हैं|

उनकी उच्च शिक्षा 1979-84 में उस समय के भारतीय ऑक्सफ़ोर्ड के नाम से प्रसिद्ध एवं प्रतिष्ठित पटना यूनिवर्सिटी के पटना कॉलेज में हुई| बिहार में प्राचीन समय से नौकरी पाना ही मेधावी होने का प्रमाण रहा है| इस गलत धारणा का सिकार बिमल जी भी हुए| पढाई में इतने मेधावी होने के बाद भी, अपने इच्छा के विरुद्ध वे 1987 में भारतीय स्टेट बैंक में सरकारी नौकरी कर ली| स्टेट बैंक में नौकरी करने का सबसे बड़ा नुकसान उभर के यह आया कि स्टेट बैंक की ज्यादातर सखायें ग्रामीण क्षेत्र में थी जिसके कारण बच्चों के पढाई लिए अच्छे स्कूल और सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती थी|

इस चुनौती से वे निराश होने के जगह वे इसके लिए नयी पद्धति विकशित की और बच्चों को घर पर ही प्राथमिक शिक्षा देना शरू कर दिया| नौकरी करते हुए वे हर दिन अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की जिम्मेदारी अपने उपर ले ली| बैंकर्स के साथ वे टीचर्स की भूमिका निभाने लगे| यही नहीं अपने बच्चों को समय और बेहतर शिक्षा देने के लिए वे अपने पुरे नौकरी के दौरान कभी प्रमोशन नहीं ली, ताकि वह अपने बच्चों को पूरी समय दे सके|

एक मशहूर कहावत भी है की मजबूत नीव पर ही बड़ी इमारत खड़ी होती है| आज इनके जो तीनों बच्चे पुरे दुनिया में चमक रहें हैं और सबके लिए उदहारण हैं, उनके सफलता का मजबूत नीव इसी दौरान पड़ा| अपने बच्चों के लिए बिमल जी का संघर्ष, त्याग और परिश्रम का परिणाम अब पूरी दुनिया के सामने है| दुनिया के हर पिता का एक सपना होता है कि उसके संतानों के नाम से उनकी पहचान बने| इसमे अब कोई शक नहीं है कि बिमल कांत प्रसाद जी का वह सपना पूरा हो चुका है|

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बिहार के उपमुख्यमंत्री इन 50 चुनिंदा बच्चों को अपने आधिकारिक आवास पर करेंगे स्वागत

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी  इस वर्ष के डेक्सटेरिटी स्कूल ऑफ़ लीडरशिप एंड एंट्रेप्रेन्योरशिप (डेक्सस्कूल) के ग्रेजुएशन स्पीकर होंगे। वें डेक्सटेरिटी स्कूल में इससे पहले आये पद्मश्री विजेताओं, फोर्बेस में सूचित उद्यमी, नासा के साइंटिस्ट्स की लीग को आगे बढ़ाएंगे।

ज्ञात हो कि विश्व स्तरीय लीडरशिप एवं एंट्रेप्रेन्योरशिप के प्रोग्राम के लिए देशभर से 50 बच्चे चुनकर डेक्सस्कूल आते हैं| 2013 में स्थापित डेक्सस्कूल अपने छठे साल में देश भर के 40 शहरों एवं 16 राज्यों से बच्चों को साथ लाएगी और 6 जून से 12 जून के बीच इन्हें एक विश्वस्तरीय पाठ्यक्रम के माध्यम से नेतृत्व एवं उद्यमिता में प्रशिक्षण देगी। 

उपमुख्यमंत्री अपने आवास पर बच्चों का करेंगे स्वागत

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी न सिर्फ इन 50 प्रतिभावान बच्चों को संबोधित करेंगे बल्कि अपने आधिकारिक आवास पर इनका स्वागत भी करेंगे|

12 जून को संध्या 6 बजे से 1 पोलो रोड स्थित आधिकारिक उपमुख्यमंत्री आवास पर डेक्सस्कूल के दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा जहाँ उपमुख्यमंत्री ग्रेजुएशन स्पीकर होंगे एवं बच्चों से मुलाकात करेंगे और नेतृत्व एवं नीतियों से जुड़े उनके अनेक सवालों का भी जवाब देंगे।

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सुशील मोदी और शरद सागर

क्या है डेक्सस्कूल?

डेक्सटेरिटी स्कूल ऑफ़ लीडरशिप एंड एंट्रेप्रेन्योरशिप (डेक्सस्कूल) डेक्सटेरिटी ग्लोबल द्वारा संचालित, एक विश्व स्तरीय लीडरशिप एवं एंट्रेप्रेन्योरशिप का प्रोग्राम है जो युवा स्टूडेंट्स को लीडर्स के रूप में तैयार करता है। 2013 में स्थापित डेक्सस्कूल से अभी तक सैकरों यंग लीडर ग्रेजुएट्स कर चुकें हैं| वें अभी दुनिया भर के सबसे युवा लोगों में से हैं जो हार्वर्ड लॉ स्कूल के मामलों का अध्ययन करते हैं एवं राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर नीतियों को गढ़ने की भूमिका निभाते हैं। डेक्सस्कूल के आधिकारिक वेबसाइट पर दिए आंकड़े के अनुसार, डेक्सस्कूल से निकले बच्चें अभी दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में करोड़ों के छात्रवृति पाकर पढ़ रहें हैं, 50 से ज्यादा संस्थाओं के स्थापना कर चुकें हैं साथ ही 1100 से अधिक लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करवा रहें हैं|

डेक्सस्कूल के संस्थापक शरद सागर का बयान

डेक्सस्कूल की स्थापना भारत के युवा आइकॉन एवं सामाजिक उद्यमी शरद सागर ने की। शरद, जो एकमात्र भारतीय थे जिन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने  वाइट हाउस बुलाया और जो की बिहार से एकमात्र उद्यमी हैं जिनको अमेरिकी पत्रिका फोर्बेस की 30 अंडर 30 सूची में शामिल किया गया, ने कहा कि –

“डेक्सटेरिटी स्कूल भारत के सबसे ग्रामीण छेत्रों से लेकर महानगरों से बच्चों को चुनकर लाती है। यह बच्चे अपनी शिक्षा, कार्य-कौशल एवं नेतृत्व के माध्यम से देशसेवा करने का सपना देखते हैं।

अपने सार्वजनिक जीवन के चार दशक में उपमुख्यमंत्री जी ने अनेकाएक लोगों को एक अच्छे नेतृत्व एवं कुशल नीति से प्रेरित किया है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह बच्चे इनके अनुभवों से प्रेरणा लेंगे और हम सब सपनो का भारत के निर्माण में लग जाएंगे।”

रामकृष्ण मिशन के वार्षिक कैलेंडर पर बिहार के शरद सागर

26 वर्षीय सामाजिक उद्यमी और एवं भारत के युवा आइकॉन शरद सागर को दुनिया के सबसे विशाल धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं में शुमार रामकृष्ण मिशन के 2018 वार्षिक कैलेंडर पर चित्रित किया गया है। आध्यात्मिक गुरु एवं भारत के युवा आइकॉन स्वामी विवेकानंद द्वारा 120 साल पहले स्थापित किये गए रामकृष्ण मिशन द्वारा नए साल पर प्रकाशित कैलेंडर में शरद कोप्रेरणादायकबताया गया है।

परमवीर चक्र विजेता के साथ
शरद के आलावा कैलेंडर पर भारत गणराज्य के सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार परमवीर चक्र के सबसे युवा विजेता योगेंद्र यादव हैं और तेलंगाना के आविष्कारक एवं पद्मश्री विजेता चिंताकिंदी मल्लेशम हैं। शरद इस विश्व प्रसिद्द कैलेंडर के चित्रित होने वाले सबसे युवा आइकॉनों में शुमार हैं। जनवरी 12 को राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद जयंती) के अवसर पर शरद सागर को रामकृष्ण मिशन मुंबई में ख़ास अतिथि की तौर पर आमंत्रित भी किया गया है। ज्ञात को कि पिछले ही साल शरद सागर के भाषणों को जब 1 मिलियन से भी अधिक लोगों ने देखा था तब राष्ट्रीय अखबार दिव्य भास्कर ने शरद को “21वीं सदी के विवेकानंद” की उपाधि दी थी और शरद को देश भर में इस नाम से जाना जाता है।

शरद ने कहा
इस उपलब्धि पर शरद ने कहा – “मेरे माता पिता ने मेरा नाम स्वामी विवेकानंद पर रखा। स्वामी विवेकानंद और उनके विचारों का मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव रहा है पर शायद मैं कभी अपने सपने में भी नहीं सोच सकता था कि एक दिन मुझे स्वामी जी द्वारा स्थापित संस्था द्वारा इतना बड़ा सम्मान प्राप्त होगा।

भारत के युवा आइकॉन
इस उपलब्धि के साथ शरद के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों की सूची और लंबी हो गयी है। दिसंबर माह में ही शरद को इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के “यंग लीडर्स” की सूची में शामिल किया गया। उसी महीने शरद भारत के इतिहास के सबसे युवा कनवोकेशन स्पीकर बने। अक्टूबर 2016 में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा वाइट हाउस आने का आमंत्रण मिला। शरद विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर हैं। शरद फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 की सूची में मार्क ज़ुकेरबर्ग एवं मलाला यूसफज़ई के साथ शामिल होने वाले बिहार से एकमात्र हैं। दिसंबर 2016 में नोबेल पीस सेण्टर ने शरद को ओस्लो, नॉर्वे में होने वाले नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। शरद ने एशिया, अमेरिका और यूरोप में प्रसिद्ध भाषण दिए हैं और ऑनलाइन उनके भाषणों को लाखों लोग द्वारा सुना जाता है। शरद सागर एक भारतीय युवा आइकॉन, विश्व प्रसिद्द उद्यमी एवं 21वीं शताब्दी के लीडर हैं जिनके शिक्षा एवं सामाजिक सेवा में किये गए काम एक पूरी पीढ़ी को प्रेरणा देती है।

कई यूएन पुरस्कार के विजेता शरद दुनिया भर के सबसे प्रभावशाली नेताओं, संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारों एवं अखबारों द्वारा चित्रित किये गए हैं एवं उन्हें संयुक्त राष्ट्र, वाइट हाउस, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड, आईआईटी एवं आईआईएम जैसे संस्थानों द्वारा आमंत्रित एवं सम्मानित किया गया हैं।

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Person of The Year 2017: ‘अपना बिहार पर्सन ऑफ़ द ईयर 2017’ के टॉप 10 नाम

नववर्ष की शुभकामनाएं! हर साल की भाँति पिछले साल, यानी 2017, में भी बिहारियों ने पूरी दुनिया में बिहार और भारत के नाम का परचम लहराया। बिहारी जहाँ भी रहे अपनी सकारात्मक पहल से सबको लुभाते रहे और अपनी प्रतिभा का सिक्का जमाते रहे। उन तमाम बिहारियों को हम नमन करते हैं। 

इसी बीच कुछ बिहारियों की कामयाबी ने अपने साथ-साथ देश को भी गर्व का मौका दिया। ऐसे ही दस लोगों की सूची आज ‘अपना बिहार’ पर जारी की जा रही है जिनकी कामयाबी ने नई इबारत गढ़ी है, जिनके कदमों ने अलग राह बनाया है और बिहार का नाम देश ही नहीं, वरन विश्व पटल पर चमकाने का काम किया है। अपने क्षेत्रों में मुकाम हासिल करने वाले ये दस शख्सियत बने हैं ‘अपना बिहार पर्सन ऑफ द ईयर 2017’

पेश हैं सूची में शामिल शीर्ष के दस लोग…

 

10. प्रियंका कुमारी- बिहार की राजधानी की रहने वाली प्रियंका कुमारी फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में फर्स्ट रनरअप रहीं। पेशे से मेकैनिकल इंजीनियर पटना की मूल निवासी हैं।

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प्रियंका कुमारी

9. श्रुति झा- श्रुति झा बिहार की मूल निवासी हैं। इन्हें 2017 में बैंकॉक में आयोजित माइलस्टोन मिस एंड मिसेज इंडिया इंटरनेशनल में मिसेज इंडिया का खिताब मिला। वो दरभंगा जिले से संबंध रखती हैं।

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श्रुति झा

8. मनोज वाजपेयी- ‘सत्या’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फेम मनोज वाजपेयी बॉलीवुड के जानेमाने अभिनेता हैं। हर रोल में अपनी अलग छाप छोड़ने वाले मनोज वाजपेयी ने 2017 में सात समंदर पार भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। ‘फेस्टिवल ऑफ ग्लोब’ में इन्हें मुख्य अतिथि के रूप में शामिल किया गया।

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मनोज वाजपेयी

7. रुपाली झा- मूक-बधिर रुपाली झा बेगूसराय जिला की निवासी हैं। इन्होंने 2017 में ऑस्ट्रिया में आयोजित स्पेशल ओलंपिक विंटर गेम्स में हॉकी में शानदार प्रदर्शन किया। इसमें भारतीय टीम रजत पदक विजेता बनकर लौटी।

रुपाली झा

6. नीरज कुमार- वर्ल्ड बैडमिंटन सीनियर चैंपियनशिप में बिहार के पटना निवासी नीरज कुमार की नियुक्ति दल के प्रशिक्षक के तौर पर हुई। इससे पहले अमेरिका और स्पेन में आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में खिलाड़ी के रूप में भाग ले चुके थे।

नीरज कुमार

5. पंकज त्रिपाठी- ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ फेम पंकज त्रिपाठी की इस साल 2017 में रिलीज हुई फिल्में ‘नील बटे सन्नाटा’, ‘बरेली की बर्फी’ और ‘न्यूटन’ ने फ़िल्म समीक्षकों का ध्यान आकृष्ट किया है। इसके अलावा ‘न्यूटन’ फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नॉमिनेशन भी मिला। पंकज त्रिपाठी बिहार के गोपालगंज जिले के मूल निवासी हैं।

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पंकज त्रिपाठी

4. अनिता सिंह– अक्टूबर 2017 में उदयपुर में आयोजित हुए प्रतियोगिता में बिहार के ‘रियारपुर’ प्रखंड की बहू अनिता सिंह ने मिसेज इंडिया यूनिवर्स 2017 का खिताब अपने नाम किया। इसके अलावा इन्होंने मिसेज इंडिया एनसीआर 2017 और मिसेज इंडिया यूनिवर्स 2017 करेजियस अवार्ड की भी विजेता बनीं।

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अनीता सिंह

3. आलोक रंजन- भारतीय ज्ञानपीठ की नवलेखन पुरस्कार योजना के अंतर्गत वर्ष 2017 के लिए दिए जाने वाले पुरस्कारों में आलोक रंजन की दक्षिण भारत पर केंद्रित यात्रा-वृतांत की पांडुलिपि को चुना गया है। आलोक रंजन बिहार के सहरसा जिलानिवासी हैं।

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अलोक रंजन

2. मैथिली ठाकुर- बिहार के मधुबनी जिले में 2000 में जन्मी मैथिली ठाकुर वो गायिका हैं जिन्हें शंकर महादेवन, मोनाली ठाकुर और दिलजीत दोसांज जैसे संगीत की दुनिया के महारथियों ने सलाम किया। मैथिली संगीत की दुनिया में लगातार बिहार का नाम रौशन कर रही हैं। टेलीविजन के कई रियलिटी शो में प्रतिभागी रही मैथिली 2017 में शो राइजिंग स्टार में फर्स्ट रनरअप रहीं तथा नेशनल युथ फेस्टिवल में तीसरे पायदान पर रहीं।

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मैथली ठाकुर

1. शरद विवेक सागर

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शरद विवेक सागर को ‘अपना बिहार पर्सन ऑफ़ द ईयर’ के लिया चुना गया है| बिहार के शरद विवेक सागर देश के टॉप सामजिक उद्यमी में से एक हैं, वे डेक्सटेरिटी ग्लोबल नाम के कंपनी का संस्थापक हैं। वे सोशल मीडिया के साथ पुरे बिहार में एक जाने-माने हस्ती हैं साथ ही पूरी दुनिया में एक प्रसिद्ध वक्ता के रूप में जाने जाते हैं| इस वर्ष शरद सागर ने अपने नाम कई उपलब्धि दर्ज करवाई है| अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में से एक टफ्ट्स यूनिवर्सिटी ने शरद सागर के ‘डेक्सटेरिटी टू कॉलेज’ (डी2सीप्रोग्राम से निकले बच्चों के लिए करोड़ों की स्कॉलरशिप फण्ड स्थापित करने की घोषणा की। इस साल फिर शरद को ओबामा का निमंत्रण आया तो दूसरी तरफ ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ ने उनको सम्मानित करने की घोषणा की| शरद सागर देश के साथ विदेशों के विभिन्न एवं प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को संबोधित किया, साथ ही उनको देश का सबसे युवा कन्वोकेशन स्पीकर होने का गौरव भी प्राप्त हुआ| यही नहीं शरद सागर टफ्ट यूनिवर्सिटी के यंग एलुमनाई अवार्ड के लिए भी चुने गए|

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गुजरात में भी छा गये बिहार के लाल शरद सागर

चाय का दुकान, अखबार का हेडलाइन, प्राईम टाईम की बहस हो या सोशल मिडिया का चौपाल, हर तरफ गुजरात चुनाव छाया हुआ है। वैसे तो यह चुनाव एक राज्य का चुनाव है, मगर इस चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है। इस चुनाव के परिणाम देश की राजनीति का रुख तय करेगा।

चुनाव में देश के दो सबसे बड़े राजनीतिक दल आमने-सामने हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी अपना वजूद बजाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है तो दुसरी तरफ देश के प्रधानमंत्री अपना राजनीतिक किला बचाने के लिए खुद मैदान में है।

इस माहौल में जाहिर है कि लोग इसी पर बात करेंगे और मीडिया कि सुर्खियाँ भी यहीं बनेंगी। मगर इसी माहौल के बीच, एक बिहार का लाल गुजरात के अखबारों के सुर्खियों में छाया गया।

गत् 9 दिसम्बर को गुजरात के वडोदरा स्थिति नवरचना विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह था और उस समारोह के मुख्य अतिथि और देश के इतिहास में अबतक के सबसे युवा कौनवोकेशन स्पीकर के रूप में बिहार के शरद सागर को बुलाया गया था।

इस मौके पर उनके एतिहासिक भाषण को पूरे गुजराती मिडिया ने प्रमुखता से न सिर्फ जगह दिया बल्कि उनके भाषण के पंक्तियों को हेडलाइन बनाकर प्रस्तुत भी किया। वह भी तब, जब उसके अगले दिन, उसी शहर में, समारोह स्थल से कुछ ही किलोमीटर दूर, देश के प्रधानमंत्री का एतिहासिक भाषण होने वाला हो।

दिव्य भास्कर, गुजरात समाचार, टाइम्स ऑफ़ इंडिया एवं अन्य अखबारों ने शरद सागर का विस्तृत भाषण छापा।

शरद कहते हैं –

“पिछले 200 साल में इस देश में सब कुछ बदला लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था नहीं बदली, हमारे क्लासरूम नहीं बदले। हमारी शिक्षा व्यवस्था आज भी 20वीं सदी की है। हमें इक्कीसवीं सदी में इक्कीसवीं सदी की शिक्षा व्यवस्था की ज़रूरत है। हमारे पाठ्यक्रम का रोचक होना आवश्यक है।

 

“भारत के युवा आइकॉन शरद सागर ने नवरचना यूनिवर्सिटी की दीक्षांत समारोह में उपस्थित सैकड़ों युवा, माता-पिता, प्रोफेसरों एवं मीडिया के कहा कि हमारे युवा राजनीति से दूर जा रहे हैं। हमारी शिक्षा व्यवस्था में नेतृत्व कि कोई जगह नहीं है।

भारत के युवाओं को राजनीति में रूचि लेनी होगी। उन्हें अपने नेताओं से सवाल पूछने होंगे।

भारत के युवाओं में अनंत क्षमता है कि वे 21 वीं सदी को भारतीय सदी बना दें और इसके लिए हमारी शिक्षा पद्धति में बदलाव की आवश्यकता है। समय की मांग है कि शिक्षित और जागरूक युवा सभी छेत्रों में नेतृत्व लें – राजनीति में भी।”

 

इन अखबारों ने शरद सागर की बिहार के एक छोटे से गाँव से हार्वर्ड तक के सफर एवं अमेरिका से लौटकर भारत वापस आने के निर्णय पर भी प्रकाश डाला। गुजरात समाचार ने बिहार के लाल शरद सागर के बारे में लिखते हुए कहा कि सागर को दुनिया भर में एक युथ लीडर एवं विचारक के रूप में जाना जाता है। अखबार में लिखा गया कि शरद ने अपने भाषण में कहा कि “दुनिया अपने आप रातों रात नहीं बदलेगी, हमें दृढ़ संकल्प के साथ काम करते रहना होगा। आप बदलाव लाने के लिए कभी बहुत छोटे या कमज़ोर नहीं होते। याद रखें छोटे छोटे बदलावों से ही एक दिन बड़ा बदलाव आता है।”

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बिहार के शरद सागर को ब्रिट्रेन की महारानी एलिज़ाबेथ करेंगी सम्मानित

26 वर्षीय सामाजिक उद्यमी, भारत के युवा आइकॉन और बिहार के लाल शरद सागर को इस साल के क्वीन्स यंग लीडर्स में शुमार किया गया है। इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के सम्मान में स्थापित किया गया यह पुरस्कार राष्ट्रमंडल के 52 देशों से प्रभावपूर्ण कार्य कर रहे चुनिंदा युवाओं को सम्मानित करता है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार आखिरी बार दिया जाएगा और बिहार से यह सम्मान पाने वाले शरद पहले एवं एकमात्र युवा होंगे।

एशिया भर से 24 चुनिंदा युवाओं में से एक

शरद एशिया भर से 24 चुनिंदा युवाओं में से हैं जिन्हे ब्रिटेन के शाही परिवार द्वारा यह सम्मान प्राप्त होगा। ज्ञात हो कि इससे पहले शरद नॉर्वे देश के शाही परिवार, नोबेल पीस सेण्टर एवं पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के अतिथि के रूप में शामिल हो चुके हैं। पिछले ही हफ्ते शरद को राष्ट्रपति ओबामा द्वारा एक साल में अंदर में दूसरा न्योता आया।

विजेताओं की घोषणा करते हुए, ब्रिटेन शाही परिवार के प्रिंस हैरी ने कहा – “यह पुरस्कार उन सभी प्रेरणादायक युवाओं के साहस एवं प्रयासों को सम्मानित करता है जो राष्ट्रमंडल देशों के सबसे चुनौतीपूर्ण परेशानियों का समाधान कर रहे हैं और एक बेहतर दुनिया बनाने में अहम् भूमिका निभा रहे हैं। अपने काम से यह अन्य युवाओं को भी अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।”

भारत के युवा आइकॉन हैं शरद

ब्रिटेन के शाही परिवार द्वारा दिए गए इस पुरस्कार के साथ शरद के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों की सूची और लम्बी हो गयी है। अक्टूबर 2016 में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा वाइट हाउस आने का आमंत्रण मिला। शरद विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर हैं। शरद फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 की सूची में मार्क ज़ुकेरबर्ग एवं मलाला यूसफज़ई के साथ शामिल होने वाले बिहार से एकमात्र हैं। दिसंबर 2016 में नोबेल पीस सेण्टर ने शरद को ओस्लो, नॉर्वे में होने वाले नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया और जून 2017 में अखबार दिव्य भास्कर ने शरद को “21वीं शताब्दी के स्वामी विवेकानंद” की उपाधि दी। शरद ने एशिया, अमेरिका और यूरोप में प्रसिद्ध भाषण दिए हैं और ऑनलाइन उनके भाषणों को लाखों लोग द्वारा सुना जाता है। शरद सागर एक भारतीय युवा आइकॉन, विश्व प्रसिद्द उद्यमी एवं 21वीं शताब्दी के लीडर हैं जिनके शिक्षा एवं सामाजिक सेवा में किये गए काम एक पूरी पीढ़ी को प्रेरणा देती है।

शरद ने 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर अमेरिका के प्रतिष्ठित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी की। मई 2016 में शरद को टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के 160 साल के इतिहास में स्नातक भाषण देने वाले पहले भारतीय होने का सम्मान प्राप्त हुआ। उसी साल शरद ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मास्टर्स डिग्री के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत लौटकर बच्चों और युवाओं के साथ काम जारी रखने का निर्णय लिया।

कई यूएन पुरस्कार के विजेता शरद दुनिया भर के सबसे प्रभावशाली नेताओं, संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारों एवं अखबारों द्वारा चित्रित किये गए हैं एवं उन्हें संयुक्त राष्ट्र, वाइट हाउस, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड, आईआईटी एवं आईआईएम जैसे संस्थानों द्वारा आमंत्रित एवं सम्मानित किया गया हैं।

पिछले ही हफ्ते शरद भारत के इतिहास में किसी विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करने वाले सबसे युवा भारतीय बने। शरद सागर को गुजरात सरकार द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित नवरचना यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

बिहार के लाल शरद सागर को फिर आया बराक ओबामा का बुलावा

26 वर्षीय सामाजिक उद्यमी एवं भारत के युवा आइकॉन शरद सागर को एक बार फिर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का न्योता आया है। इस बार बराक ओबामा ने शरद सागर को ओबामा फाउंडेशन के एक विशेष सभा में सम्मलित होने के लिए न्योता भेजा है। यह सम्मलेन 01 दिसंबर को नई दिल्ली में होगा जहाँ शरद सागर बराक ओबामा के साथ शामिल होंगे।

ओबामा का शरद को दूसरा न्योता

यह साल भर में दूसरी बार है जब बराक ओबामा ने शरद सागर को अतिथि के तौर पर बुलाया है। पिछले ही साल अक्टूबर में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे राष्ट्रपति ओबामा ने वाइट हाउस आने का न्योता भेजा था।

शरद को भेजे गए आधिकारिक निमंत्रण में लिखा गया है कि – “एक बेहतर समाज बनाने के लिए आपने जो भूमिका निभाई है हम उससे प्रेरित हैं और हमें उम्मीद है कि आप इस विशेष आयोजन का हिस्सा बन पाएंगे। आप जैसे युवा भारतीय सिर्फ इस देश के भविष्य को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के भविष्य को बेहतर बनाने में लगे हैं।”

राष्ट्रपति के कार्यकाल के बाद यह बराक ओबामा का पहला भारतीय दौरा है और शरद ओबामा के ख़ास अतिथि के रूप में नई दिल्ली में होने वाले आयोजन में उनसे मिलने के लिए उत्साहित हैं।

भारत के युवा आइकॉन हैं शरद

इस आमंत्रण के साथ शरद के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों एवं सम्मानों की सूची और लंबी हो गयी है। अक्टूबर 2016 में शरद एकमात्र भारतीय थे जिन्हे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा वाइट हाउस आने का आमंत्रण मिला। शरद विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली युवा उद्यमियों की सूची में भारत से सबसे ऊपर हैं। शरद फोर्ब्स पत्रिका के 30 अंडर 30 की सूची में मार्क ज़ुकेरबर्ग एवं मलाला यूसफज़ई के साथ शामिल होने वाले बिहार से एकमात्र हैं। दिसंबर 2016 में नोबेल पीस सेण्टर ने शरद को ओस्लो, नॉर्वे में होने वाले नोबेल शान्ति पुरस्कार समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया और जून 2017 में अखबार दिव्य भास्कर ने शरद को “21वीं शताब्दी के स्वामी विवेकानंद” की उपाधि दी। शरद ने एशिया, अमेरिका और यूरोप में प्रसिद्ध भाषण दिए हैं और ऑनलाइन उनके भाषणों को लाखों लोग द्वारा सुना जाता है। शरद सागर एक भारतीय युवा आइकॉन, विश्व प्रसिद्द उद्यमी एवं 21वीं शताब्दी के लीडर हैं जिनके शिक्षा एवं सामाजिक सेवा में किये गए काम एक पूरी पीढ़ी को प्रेरणा देती है।

शरद ने 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर अमेरिका के प्रतिष्ठित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से पढाई पूरी की। मई 2016 में शरद को टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के 160 साल के इतिहास में स्नातक भाषण देने वाले पहले भारतीय होने का सम्मान प्राप्त हुआ। उसी साल शरद ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मास्टर्स डिग्री के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत लौटकर बच्चों और युवाओं के साथ काम जारी रखने का निर्णय लिया।
कई यूएन पुरस्कार के विजेता शरद दुनिया भर के सबसे प्रभावशाली नेताओं, संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सरकारों एवं अखबारों द्वारा चित्रित किये गए हैं एवं उन्हें संयुक्त राष्ट्र, वाइट हाउस, वर्ल्ड बैंक, हार्वर्ड, आईआईटी एवं आईआईएम जैसे संस्थानों द्वारा आमंत्रित एवं सम्मानित किया गया हैं।

पिछले ही हफ्ते शरद भारत के इतिहास में किसी विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करने वाले सबसे युवा भारतीय बने। शरद सागर को गुजरात सरकार द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित नवरचना यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

शरद ने कहा-

ओबामा द्वारा फिर से बुलाए जाने पर शरद ने कहा – “बहुत लोग जानते हैं कि मैं पहली बार स्कूल 12 साल की उम्र पर गया और मैंने स्कूल एवं कॉलेज के दिनों में छात्रवृत्तियां पाने के लिए कड़ी मेहनत की। मैंने अमेरिका के टफ्ट्स यूनिवर्सिटी से चार करोड़ की छात्रवृत्ति पर पढाई पूरी की और फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत आकर बच्चों एवं युवाओं के साथ कार्य को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। मैंने एक छात्र के रूप में कड़ी मेहनत की और अब उन सभी छात्र-छात्राओं के लिए जो इस देश के छोटे गावों एवं शहरों से बिना किसी संसाधनों के आते हैं उनके लिए कड़ी मेहनत कर रहा हूँ । मैंने कड़ी मेहनत की ताकि मैं अपने प्रेरणास्रोतों जैसा बन सकूं और इस देश की और यहाँ के लोगों की सेवा कर सकूं। अपने सबसे बड़े प्रेरणास्रोत राष्ट्रपति बराक ओबामा का साल में दो बार समर्थन पाना मेरे लिए सम्मान की बात है और मैं इसके लिए उत्साहित हूँ।”