Basant Sagar: बिहार के इस वैज्ञानिक के याद में मनाया जाता है ‘इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी’

आज (10 फरवरी) इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी (International Day of Dexterity) है| यह जानकर आपको खुशी होगी कि अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थान डेक्सटेरिटी ग्लोबल द्वारा मनाया जाने वाला यह विशेष दिन बिहार के गणितज्ञ की याद में मनाया जाता है| पिछले वर्ष बिहार के गौरव एवं प्रसिद्ध एमआईटी बोस्टन के वैज्ञानिक बसंत सागर के जन्मदिवस 10 फरवरी को इंटरनेशनल डे ऑफ़ डेक्सटेरिटी के रूप में मनाने की घोषणा की गयी थी|

कौन है बसंत सागर?

बसंत सागर — जो आधुनिक बिहार राज्य के पहले एवं एकमात्र स्कॉलर रहे जिन्हें पूरी छात्रवृत्ति पर विश्व के सर्वप्रथम संसथान एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला — अपने जीवन काल में बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के प्रेरणाश्रोत बने। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। एमआईटी बोस्टन और दुनिया भर के सैंकड़ो साइंटिस्ट् एवं स्कॉलर एवं कई नोबेल प्राइज विजेता बसंत को जीनियस के रूप में देखते थे।

बसंत सागर, जिनकी तुलना देश भर में श्रीनिवास रामानुजन से होती हैं, उनका निधन 6 नवंबर 2017 को हुआ। बसंत के 31वें जन्मदिवस और संस्थान की स्थापना के 10 साल पूरे होने पर, डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने बसंत सागर के जन्मदिवस को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है।

basant vivek Sagar, MIT Boston, mathematician, Bihar, Foundation

बसंत सागर

एक भारतीय नायक जिन्होंने अपने जीवन काल में अनगिनत युवाओं को प्रेरित किया और नासा, एम्आईटी  बोस्टन, वाइट हाउस जैसे संस्थानों एवं अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, जॉर्ज बुश एवं अरबपति ईलॉन मस्क एवं बिल गेट्स जैसे दिग्गजों से अनेकों बार प्रशंसा पायी।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के ऐतिहासिक दस साल

2008 में शरद सागर द्वारा संस्थापित डेक्सटेरिटी ग्लोबल ने पिछले दस साल में 6 मिलियन से भी ज़्यादा बच्चों को घरों एवं कक्षाओं में हर महीने शैक्षणिक अवसरों से जोड़ा है, 250,000 छात्र-छात्राओं को अपने चैलेंजों द्वारा प्रभावित किया है और 7 लाख बच्चों ने ऑनलाइन भाग लिया है। 2.5 लाख बच्चों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में दाखिला के लिए प्रशिक्षित किया है और देश भर में 10 लाख बच्चों एवं 5000 से भी अधिक शिक्षक-शिक्षिकाओं को इक्कीसवीं सदी के कौशल में प्रशिक्षण प्रदान किया है।

300 बच्चे डेक्सटेरिटी स्कूल ऑफ़ लीडरशिप एंड एन्त्रेप्रेंयूर्शिप से निकले हैं जिन्हे दुनिया भर में यूएन, नासा, वर्ल्ड बैंक, फेसबुक, पेप्सी, हार्वर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड, आईआईटी, आईआईएम्, एवं दुनिया भर में कई राष्ट्रपतियों एवं प्रधानमंत्रियों द्वारा सराहा गया है।

डेक्सटेरिटी टू कॉलेज के बच्चों ने पिछले दो सालों में दुनिया  सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों से कुल 40 करोड़ की छात्रवृत्ति पायी है।

बसंत सागर का ऐतिहासिक जीवन एवं उपलब्धियां

बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। बसंत अंतिम दिनों में बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।

बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले बढे बसंत को 13 साल की उम्र पर पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 2007 में  बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था। 2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।

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बसंत जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढाई की केवल 14 वर्ष थे जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई।

2003 में सिर्फ 14 वर्षीय सागर के बारे में लिखते हुए भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय जब इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।” पटना में हाई स्कूल की पढाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र हैं।

2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में बसंत एक अभूतपूर्व छात्र एवं स्कॉलर रहे । बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे।

वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक रहे। बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के छेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।

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बसंत सागर एक भारतीय नायक हैं जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की सच्ची निष्ठा से सेवा की और देश को अनेकों बार गौरवान्वित किया। बिहार में और देश भर में लाखों बच्चों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये। आज हम अपने देश के एक रत्न और उनके असाधारण एवं अद्वितीय जीवन को सलाम करते हैं और गर्व महसूस करते हैं कि उनका जीवन दुनिया भर के युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल होगा और युवाओं को प्रेरित करेगा कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने के लिए, अपनी सीमाओं को पार करने के लिए और खुद से बढ़ कर मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए।

बसंत सागर छात्रवृत्ति की घोषणा

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के प्लेटफॉर्मों के सभी बच्चों को इस साल से बसंत सागर स्कॉलरशिप से नवाज़ा जाएगा जिसके अंतर्गत उन्हें पूरी छात्रवृत्ति दी जाएगी। बसंत सागर छात्रवृत्ति के माध्यम से इस भारतीय नायक के जीवन एवं उपलब्धियों को और “डेक्सटेरिटी” की भावना को देश भर के बच्चों तक पहुंचाया जाएगा। बसंत सागर बिहार एवं देश भर के लाखों युवाओं के रोल मॉडल हैं और इस छात्रवृत्ति के माध्यम से इन युवाओं को अपनी शिक्षा के माध्यम से भारत की सेवा करने का अवसर प्राप्त होगा।

डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ का बयान –

शरद सागर

इस घोषणा पर डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक एवं सीईओ और भारतीय युवा आइकॉन शरद सागर ने कहा – “बसंत सागर की कहानी भारत की कहानी है। यह रामानुजन और कलाम की कहानी है। यह वो कहानी है जो हमें याद दिलाती है की आप कितने भी पीछे से क्यों न आते हों आप उससे तय नहीं होता की आप जीवन में कितना आगे जायेंगे। एक बच्चा जो आठवीं कक्षा में बिहार के एक छोटे से कोने में पहली बार स्कूल गया हो वो अगर इतनी कम उम्र तक दुनिया भर में नासा, एम्आईटी जैसे संस्थानों द्वारा एवं दो दो अमेरिकी राष्ट्रपति (बराक ओबामा और जॉर्ज बूश) द्वारा उनके कार्यकाल में सराहा जाता है यह एक अद्भुत कहानी है। बसंत सागर के जीवन से बिहार एवं भारत के लाखों युवाओं को प्रेरणा मिलती है और उनकी कहानी आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी ताकि वो भी अपना जीवन भारत एवं दुनिया की सेवा को समर्पित करें।”

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति का बयान

एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति एवं विश्व प्रसिद्द साइंटिस्ट रफाएल रैफ ने कहा – “श्री बसंत सागर का एमआईटी बोस्टन के छात्र एवं शोधकर्ता के रूप में एक अद्भुत जीवन रहा। बसंत सागर का असामयिक गुज़ारना वास्तव में पूरे एमआईटी परिवार के लिए एक गहरा नुकसान रहा लेकिन मुझे भरोसा है कि उनकी विरासत उनके परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और साथी शोधकर्ताओं के जीवन और काम के माध्यम से जीवित रहेगी। मैं और एमआईटी में मेरे सहयोगी बसंत के जीवन और विरासत का सम्मान करने के हर अवसर का स्वागत करेंगे।”

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