बुद्ध की ज्ञानभूमि बिहार पर अपनी आस्था प्रकट करना मेरी महत्वपूर्ण उपलब्धि: म्यांमार के राष्ट्रपति

बोधिवृक्ष के निकट उन्होंने बीटीएमसी को 3 फीट की भूमि स्पर्श मुद्रा की बुद्ध प्रतिमा भेंट की

अपने ही देश भारत में बिहार राज्य के प्रति चाहे कितनी भी गलतफहमियां हो मगर विदेशों में, खासकर बौद्ध धर्म को मानने वाले देशों के लिए बिहार ‘मक्का-मदीना’ है| हर साल अनेक देशों से हजारों लोग बिहार के धरती पर माथा टेकने आते हैं| उनलोगों में आम से लेकर खास सभी होते हैं| जैसे म्यांमार के राष्ट्रपति यू विन मिंट व उनकी पत्नी दाउ चो चो ने शुक्रवार को बोधगया पहुंच महाबोधि मंदिर (Mahabodhi Temple) में दर्शन-पूजन किया।

महाबोधि मंदिर में पूजा के बाद म्यांमार के राष्ट्रपति महामहिम यू विन मिंट ने कहा, “थेरवादी बौद्ध परंपरा को मानता हूं। उस नाते भगवान बुद्ध की ज्ञानभूमि पर अपनी आस्था प्रकट मेरी महत्वपूर्ण उपलब्धि है।”

उन्होंने कहा कि बोधिवृक्ष की पूजा करना उनके लिए एक आस्थापूर्ण अनुभूति है। इसे मेरिटोरियस काम बताया। उन्होंने इन बातों को विजिटर रजिस्टर में दर्ज किया।

इससे पूर्व उन्होंने महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में लगभग 14 मिनट तक थेरवादी परंपरा से पूजा की, जिसमें बीटीएमसी (BTMC) के मुख्य भिक्षु चालिंदा, केयर टेकर भिक्षु दीनानंद सहित अन्य मौजूद थे। म्यांमार के भिक्षुदल भी मौजूद थे। भिक्षुओं ने मेत्त सुत्त का पाठ करते हुए उन्हें कहा, न च खुदं समाचरे किंचित येन विञ्ञू परे उपवदेय्युं, सुखिनो वा खेमिनो होन्तु सब्बे सत्ता भवंतु सुखितत्तां अर्थात ऐसा कोई छोटा से भी छोटा काम न करें, जिसके लिए दूसरे विज्ञ लाग उसे दोष दें। सब प्राणी सुखी हों, सबका कल्याण हो, सभी अच्छी तरह से रहें। इसके बाद बोधिवृक्ष ने निकट लगभग 20 मिनट तक पूजा हुई। मंदिर परिसर में लगभग एक घंटे का समय व्यतीत किया। बाद में 80 फुट बुद्ध मूर्ति को भी दिखा व मठ परिसर में रखे म्यांमार के अभिलेख को देखा।

राष्ट्रपति ​को महाबोधि मंदिर प्रबंधन द्वारा बुद्ध की एक प्रतिमा भी भेंट की गई है| म्यांमार के राष्ट्रपति का स्वागत करने पहुंचे मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि गया और बोधगया में सनातन एवं बौद्ध धर्म से जुड़े वीवीआईपी का आना बिहार के लिए स्वाभाग्य की बात है|

सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) बोधगया के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं और वे बिहार से आने वाले विदेशी प्रतिनिधिमंडल को उचित सम्मान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं|

दो दिवसीय दौरे के पहले दिन म्यांमार के राष्ट्रपति ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ महाबोधि मंदिर के साथ ही म्यांमार मोनास्ट्री, 80 फीट बुद्ध मूर्ति एवं बोधगया मठ को भ्रमण किया था| गौरतलब है कि म्यांमार के राजा कई दशक पहले बोधगया आने पर यहां के सनातन धर्म के बोधगया मठ में ही ठहरे थे और वहीं अपने नाम से शिलापट्ट भी लगाया था जिसकी वजह से वहां के राष्ट्रपति मठ का भ्रमण कर उस शिलापट्ट का अवलोकन किया|

राष्ट्रपति ने भेंट की तीन फीट की मूर्ति

बोधिवृक्ष के निकट उन्होंने बीटीएमसी को 3 फीट की भूमि स्पर्श मुद्रा की बुद्ध प्रतिमा भेंट की। इससे पहले विशेष पूजा के दौरान बीटीएमसी के मुख्य भिक्षु व भिक्षु दीनानंद को दान दी। इसके उपरांत वे बोधिवृक्ष का नमन किया तथा संक्रमण, राजयतन, मुचलिन्द सरोवर एवं मेडिटेशन पार्क, मंदिर का फोटो गैलरी का भ्रमण किया। मेडिटेशन पार्क में उन्होंने घंटा भी बजाया।

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