अब्दुल बारी सिद्दीकी झूठ बोल रहे हैं या उनके बेटे ने झूठ बोलकर लिया है हार्वर्ड में एडमिशन?

सिद्दीकी चाहते हैं कि उनकी संतानें इस देश की नागरिकता छोड़ दे और विदेश में ही बस जाए.

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देश में कुछ लोगों को जब तक सत्ता का सुख मिल रहा था, तब तक वो कहते थे “सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा।” वहीं जब जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर किया तब वे कहने लगे “सारे जहां से “असुरक्षित” हिन्दुस्तान हमारा।”

राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी को इस देश की जनता ने 6 बार विधायक के रूप में चुना। 1995 से 2005 तक वे बिहार में कैबिनेट मंत्री और पुनः 2015 से 2017 तक वो राज्य के वित्त मंत्री भी रहें। इस दौरान उनके बेटे और बेटी भी इसी देश में थे और बिना किसी तकलीफ़ के जिंदगी जी रहे थे।

सिद्दीकी साहब 2020 बिहार विधानसभा चुनाव क्या हारे, उनको भारत असुरक्षित लगने लगा है। वे चाहते हैं कि उनकी संतानें इस देश की नागरिकता छोड़ दे और विदेश में ही बस जाए। एक कार्यक्रम में अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा,

‘मेरा एक बेटा है जो हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ता है और एक बेटी है जो लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स की पास आउट है। देश का जो माहौल है, ऐसे में हमने अपने बेटा-बेटी को कहा कि उधर ही नौकरी कर लो। अगर नागरिकता भी मिले तो ले लेना। अब भारत में माहौल नहीं रह गया है। पता नहीं तुम लोग झेल पाओगे या नहीं झेल पाओगे।”

एक जनप्रतिनिधि के नाते अब्दुल बारी सिद्दीकी का यह बयान न सिर्फ निंदनीय है बल्कि यह उनके दोहरे चरित्र को भी रेखांकित करता है। एक तरफ वे सार्वजनिक तौर पर अपने बेटे को हार्वर्ड से पढ़ाई करके भारत न लौटने की सलाह दे रहें हैं। वहीं दूसरी तरफ उनके बेटे का हार्वर्ड विश्विद्यालय में इस आधार पर एडमिशन हुआ है कि वो हार्वर्ड से पढ़कर अपने देश लौटेगा और अपनी शिक्षा का उपयोग अपने देश में सकारात्मक बदलाव और प्रगति के लिए करेगा।

अब्दुल बारी के बेटे अनीस बारी स्टूडेंट वीजा पर हार्वर्ड के मैसन प्रोग्राम (Mason Program) के तहत पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मिड – करियर एमए कर रहे हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के वेबसाइट अनुसार इस प्रोग्राम में एडमिशन लेने के लिए जरूरी है कि आप किसी विकाशील देश से हो और आप में अपने देश या क्षेत्र में लौटकर सकारात्मक बदलाव और विकास करने की इक्षाशक्ति हो।

एक तरफ सिद्दीकी साहब अपने बेटे को हार्वर्ड से पढ़कर भारत न लौटने की सलाह दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनका बेटा भारत लौटकर उसकी सेवा करने के आधार पर हार्वर्ड में पढ़ रहा है। या तो सिद्दीकी साहब झूठ बोल रहे हैं या उनके बेटे ने हार्वर्ड से झूठ बोला है! अब्दुल बारी सिद्दीकी को इसका जवाब देना चाहिए कि झूठा कौन है?

अब्दुल बारी सिद्दीकी जैसे गैर-ज़िम्मेदार लोगों के कारण ही कोई देश या समाज पिछड़ा रह जाता है। वो अपने देश और समाज का नाम लेकर फायदा तो उठाते हैं मगर जब लौटाने की बारी आती है तब वो उससे अपना नाता तोड़ लेते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिहार है, जहां से लोग निकलकर देश और दुनिया में नाम कमाते हैं मगर कामयाबी मिलते ही अपने राज्य को भूल जाते हैं और अपनी पहचान पर शर्म करने लगते हैं। अपना बिहार इस विषय पर हर बार आवाज उठाता रहा है।

अब्दुल बारी सिद्दीकी एक जन प्रतिनिधि हैं। अगर देश में कोई समस्या है तो उसका हल ढूंढने की जिम्मेदारी उनकी भी है। कायदे से उनको अपने बच्चों को बिहार बुलाना चाहिए और राज्य के विकास के लिए उनको काम करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

एक तरफ जब देश एकजुट होकर G20 की अध्यक्षता मिलने का जश्न मना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अब्दुल बारी सिद्दीकी अपने शर्मनाक बयान से देश को बदनाम कर रहे हैं। उनको अपना यह बयान वापस लेना चाहिए और देश- प्रदेश के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।

देश में 2014 लोकसभा चुनाव के बाद अवॉर्ड वापसी के ऐलान की एक नई परंपरा शुरू हुई- जिसे अवॉर्ड वापसी गैंग के नाम से भी जाना जाता है। आमिर खान, नसरुद्दीन शाह, आदि जैसे लोगों को अचानक देश असहिष्णु लगने लगा था। क्या भारत की G20 अध्यक्षता से ठीक पहले देश को “मुसलमानों के लिए असुरक्षित” बताना देश को विश्वपटल पर बदनाम करने की साजिश है?

– अविनाश कुमार (संपादक, अपना बिहार)

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