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Delhi Eletion: दिल्ली में बिहारियों ने भी बोला, जमे रहो केजरीवाल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव था मगर चर्चा यूपी-बिहार का भी जोड़ो पर था| कारण था कि दिल्ली के लगभग 15 सीटों पूर्वांचल बहुल है जबकि आधी से ज्यादा सीटों पर पूर्वांचली वोटर जीत-हार तय करते हैं| आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लेकर कांग्रेस पार्टी, सबकी नजर पूर्वांचली वोटर्स पर थी| पूर्वांचली को लुभाने के लिए बीजेपी ने जहाँ प्रसिद्ध भोजपुरी गायक मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया हुआ है, तो कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले कृति आज़ाद (Kriti Azad) को प्रचार समीति का प्रमुख बनाया था| वहीं आम आदमी पार्टी को अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा था|

पूर्वांचलियों ने लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के पक्ष में वोट किया था| इसलिए बीजेपी को विधानसभा में भी उनसे बहुत उम्मीदें थी| मगर 11 फरवरी को रिजल्ट उसके ठीक उलट आया| बिहार और यूपी के लोगों ने बीजेपी के हिन्दू राष्ट्रवाद को नकार दिया और केजरीवाल(Arvind Kejriwal) के विकाश को अपना पूरा समर्थन दिया| यहाँ तक कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में लड़ रही बिहार की तीन पार्टियों का हाथ भी खाली रहा|

जहां बीजेपी ने दो सीटें जेडीयू और एक सीट एलजेपी को दी थी वहीं कांग्रेस ने आरजेडी के लिए चार सीटें छोड़ी थी| लेकिन लगभग सभी पूर्वांचली सीटों पर आप का परचम लहराया| सबसे बुरा हाल आरजेडी का रहा जिसके चारों उम्मीदवारों की जमानत तो जब्त हुई ही, तीन को नोटा से भी कम वोट मिले|

पिछले कुछ चुनाव से लगातार इंडिया टुडे एग्जिट पोल (India Today Exit Poll) लगभग सही हो रहा है| उनके सर्वे के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में कम्युनिटी वाइज वोट शेयर को देखा जाए तो लोगों ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया है| AAP के साथ दिल्लीवासी (55 फीसदी), पूर्वांचली (55 फीसदी), हरियाणवी (54 फीसदी), राजस्थानी (61) और अन्य (55 फीसदी) रहे| यानी इस चुनावी नतीजे से पता चलता है कि 2015 की तरह इस बार भी पूर्वांचली वोटर्स ने आम आदमी पार्टी को ही वोट दिया है|

दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा. Image: Subhash Barolia

पूर्वांचली के वोटिंग पैटर्न को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया था| 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सीएसडीएस ने पूर्वांचली वोटर्स पर एक सर्वे करवाया| इस सर्वे में जिन 56 फीसदी पूर्वांचली ने लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था, उनमें से 24 फीसदी पूर्वांचली ने कहा कि वो राज्य विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करेंगे| मतलब बीजेपी के आधे वोटर्स पहले से ही मन बना चुके थे कि वो 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट करेंगे| नतीजों से ऐसा लग भी रहा है|

धर्म के राजनीति को नकार, विकास की राजनीति को चुनकर दिया एक बड़ा सन्देश 

एक बड़ी बात ये भी रही है कि दिल्ली में पूर्वांचल के ज्यादातर वोटर्स वर्किंग क्लास से आते हैं| बहुत सारे लोग मेहनत मजदूरी करने वाले हैं| इन लोगों के लिए केजरीवाल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने काम किया| इस वजह से भी एक तरफ वो मोदी के चेहरे को केंद्र में देखना चाहते थे तो राज्य में उन्हें केजरीवाल जैसा सीएम ही चाहिए था| दिल्ली का मिडिल क्लास पूर्वांचली वोटर्स भी आम आदमी पार्टी का समर्थक है- वजह है बिजली और पानी पर मिलने वाली छूट| सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत और स्वास्थ्य सेवाओं की सुधरती स्थिति|

दिल्ली का चुनाव में बिहारियों या पूर्वांचलियों का वोट पैटर्न समझाना इसलिए भी जरुरी है कि इसी साल बिहार में भी विधानसभा चुनाव है| बिहार में भी भाजपा एक बड़ी पार्टी है| दिल्ली में उसके कट्टर हिंदूवादी प्रयोग के असफल हो जाने के बाद उसको फिर से अपनी रणनीति पर सोचना पड़ेगा| एक तरफ बीजेपी के कमजोर होने से उसके सहयोगी दल जदयू (Janta Dal United) खुश होगी, क्योकि अब वह बीजेपी से ज्यादा सीट लेने का दवाब बना सकेगी| वही दुसरे तरफ दिल्ली में शिक्षा के चुनावी मुद्दा बन जाने से नीतीश थोड़ा मुश्किल में होंगे, क्योंकि नीतीश कुमार के 15 साल के राज में शिक्षा उनकी सबसे कमजोर पक्ष है|

बिहार में दो बार आई भीषण बाढ़, बावजूद बाढ़ राहत राशि में केंद्र सरकार ने राज्य से किया भेदभाव

बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ और उससे होने वाली तबाही जगजाहिर है| बाढ़ से उत्तर बिहार तो हर लगभग हर साल डूबता है मगर बीते साल बाढ़ ने राजधानी पटना में भी अपनी धमक दिखा दी| राज्य के उपमुख्यमंत्री को हाफ-पैन्ट में रेस्क्यू किये जाने की तस्वीर तो अभी भी सबको याद होगा|

मगर इनसब के बावजूद केंद्र सरकार पर बाढ़ सहायता राशि देने में बिहार करने का गंभीर आरोप लग रहा है| यह सवाल तब उठा जब बीते मंगलवार केंद्र द्वारा राज्यों को बाढ़ राहत के लिए 5908 करोड़ रुपए जारी किए गए| बिहार में पिछले साल दो बार भीषण बाढ़ आई लेकिन इसके बावजूद बिहार की मांग पर विचार नहीं किया गया|

कर्नाटक को सर्वाधिक 1869 करोड़ रुपए राहत राशि दी गई| मध्य प्रदेश को 1749 करोड़ रुपए और उत्तर प्रदेश को 956 करोड़ रुपए की राशि देने का निर्णय हुआ| इससे पहले भी कर्नाटक को 1200 करोड़, मध्य प्रदेश को एक हजार करोड़ और महाराष्ट्र को 600 करोड़ रुपए की राहत राशि मुहैया कराई गई थी| उस समय बिहार को 400 करोड़ रुपए दिए गए थे| बिहार में बाढ़ राहत की मद में नुकसान और पुनर्वास के मद में केंद्र से 4000 करोड़ रुपए की सहायता मांगी गई थी| एक केंद्रीय टीम ने राज्य का दौरा भी किया था| मंगलवार की बैठक के बाद जब बिहार सरकर ने जानकारी मांगी कि आखिर किन कारणों से राज्य की मांग पर विचार नहीं किया गया, तब उन्हें बताया गया कि केंद्रीय टीम जल्द राज्य का फिर से दौरा करेगी|

मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा राहत फंड में राज्यों की मांग पर विचार के लिए एक बैठक आयोजित की गई थी| बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) भी मौजूद थीं|

बिहार के साथ यह भेदभाव तब हो रहा है जब राज्य में केंद्र में सत्ताधारी दल भाजपा और जेदयू की सांझी सरकार है| यही नहीं मौजूदा केंद्र सरकार में भी राज्य से 6 मंत्री है|

केंद्र के इस फैसले के बाद राज्य में राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है| जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी (KC Tyagi) ने कहा कि नीतीश सरकार ने 2000 करोड़ रुपए से अधिक तो बाढ़ प्रभावित लोगों के खाते में सहायता राशि ट्रांसफर की है| उसके बाद यह हमारी समझ से परे है कि किस आधार पर बिहार के गरीब लोगों के साथ नाइंसाफी हो रही है| उम्मीद करते हैं कि केंद्र जल्द से जल्द इस गलती पर भूल सुधार करेगा| वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायक शकील अहमद खान (Shakeel Ahmed Khan) ने कहा कि केंद्र सरकार नीतीश कुमार को नहीं बल्कि बिहार की जनता को डबल इंजन की सरकार के नाम पर उल्लू बना रही है|

 

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बिहार के आईएएस साकेत कुमार बने गृह मंत्री अमित शाह के निजी सचिव

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में सबसे शक्तिशाली मंत्री और सरकार में नंबर 2 अमित शाह ने अपने निजी सचिव के रूप में एक बिहारी को चुना है| बिहार कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के 2009 बैच अधिकारी साकेत कुमार को केंद्रीय मंत्री अमित शाह का निजी सचिव (PS) बनाया गया है।

साकेत 2018 से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैैं। हाल तक वह पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के निजी सचिव थे। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के पूर्व वह भवन निर्माण विभाग में अपर सचिव के रूप में तैनात थे। वह बिहार स्थित मधुबनी के रहने वाले हैैं।

आईएएस साकेत कुमार बिहार के मधुबनी के रहने वाले हैं. उनके पिता मधुबनी के एक कॉलेज में प्रोफेसर थे| उन्‍होंने अपनी स्‍कूल की पढ़ाई डॉन बास्‍को मधुबनी और मॉडल स्‍कूल दिल्‍ली से पूरी की| साकेत ने ग्रेजुएशन और पीजी की पढ़ाई दिल्‍ली के हिंदू कॉलेज से की| वर्ष 2009 के आईएएस एग्‍जाम में उनकी 13वीं रैंक आई थी|

साकेत कुमार ने दूसरे प्रयास में ही आईएएस की परीक्षा में टॉप किया था| संघ लोक सेवा आयोग में उनका 13वां रैंक आया था| इसके साथ ही उन्‍होंने आईएएस की परीक्षा में बिहार में टॉप किया था| चयन के बाद उनकी पोस्टिंग बिहार में भी रही है| वह समस्‍तीपुर में डीडीसी और वैशाली में एसडीओ का पद संभाल चुके हैं| वह खगडिया और बांका के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं|

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नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजी मुजफ्फरपुर की शाही लीची

बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची उस जिला के साथ बिहार का पहचान बन चुकी है| पुरे देश और दुनिया में शाही लीची को पसंद करने वाले लोग हैं| पुरे देश में कुल लीची के पैदावार का 52 फीसदी लीची अकेले मुजफ्फरपुर से आता है| इसीलिए लीची बिहार का गौरव बन चुका है|

वैसे तो मुजफ्फरपुर के लीची का निर्यात पुरे देश में होता है मगर हर साल खास तौर पर बिहार सरकार देश के राष्ट्रपत्ति और प्रधानमंत्री को लीची भेजती है| इस साल भी खासतौर पर लीची इन गण्यमान लोगों को भेजी गयी है| यह 3 जून को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित एक हजार गणमान्यों के आवास पर पहुंचेगी|

दरअसल बिहार सरकार की ओर से मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध शाही लीची प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ मोदी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को भेजी गई है| ज्ञात हो कि पिछले 14 सालों से नई दिल्ली के माननीयों को शाही लीची भेजने की पंरपरा चली आ रही है| वर्ष 2005 में सीएम बनने के बाद नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर की शाही लीची और भागलपुर के जर्दालु आम हरेक साल भेजना शुरू किया था जो अब तक कायम है|

शासन की ओर से हरेक साल लीची भेजने वाले आर के केडिया बताते हैं कि इस बार भी शाही लीची के बागानों की देखभाल साल भर पहले से करनी शुरू की गई थी, लेकिन तापमान 42 से 44 डिग्री सेल्सियस होने और मई माह में बारिश नहीं होने के कारण शाही लीची को न तो सही आकार मिला न ही कलर और मिठास| फिर भी पीएम और राष्ट्रपति के भेजे जाने वाले शाही लीची के लिए जिले के 50 बागानों से लीची मंगवाई गई| सर्वे के बाद मंगवाई गई लीची को नई दिल्ली से ग्रेडिंग के लिए आए 25 सदस्यीय एक्सपर्ट दल ने बिना दाग वाले और अच्छी गुणवत्ता वाले फ्रेश लीची का चयन किया|

बिहार में इसबार जनता ने अपने जात वाले नेताओं को क्यों हरा दिया?

बिहार के 40 में से 39 सीटें एनडीए ने जीती है। जमीनी स्तर पर देखें तो यह जीत आश्चर्यजनक कतई नहीं है मगर हाँ, राजनितिक पंडित जो पुराने परंपरा और पुराने आंकड़ों के नजर से देख रहे थे, उनके लिए यह वाकई आश्चर्य करने लायक रिजल्ट है।

वर्षों से बनाया गया जातीय समीकरण यू ही नहीं टूट गया। इसके पिछे वर्षों से उनको गुमराह करने की राजनीति और मोदी-नीतीश के रूप में एक भरोसेमंद और लाभकारी विकल्प था।

विपक्ष मोदी सरकार पर उसके हिंदुत्व के विचारधारा को लेकर हमला कर रही थी। इसके साथ मोदी सरकार के बड़े कदम जैसे, नोटबंदी और जीएसटी पर हमला कर रही थी। विपक्ष की ये सब बाते तो सही थी मगर वे लोग मोदी सरकार के अनेक कल्यानकारी योजनाओं को बहुत हलके में ले लिया।

मोदी सरकार ने उज्जवला योजना के तहत काफी संख्या में गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर दिया, आजादी से लेकर अबतक जितने शौचालय नहीं बने थे, उससे कही अधिक मोदी सरकार ने पाँच साल में बनाया, पीएम आवास योजना के तहत गरीब लोगों को यूपीए के तुलना में काफी अधिक पक्का मकान के लिए पैसा दिया। कभी बिहार में बिजली सपना जैसा था मगर इस बार चुनाव में बिजली मुद्दा ही नहीं था। बिहार के गाँव तक सड़को का जाल बिछा दिया गया है।

ये सब काम सिर्फ कागजों पर आंकड़े बनाने के लिए नहीं हुए, बल्कि जमीन पर जाईये तो यह दिखता भी है। कॉलेज से जब-जब मैं गाँव गया, पाँच साल में उसका प्रभाव देखा हूँ। इन सब योजना का फायदा सबसे ज्यादा गरीब लोगों को हुआ है। सबसे ज्यादा गरीब दलित और पिछड़े जाती के लोग हैं, जाहिर है सबसे ज्यादा फायदा उन्हीं को मिला है।

यहाँ एक बात गौर किजियेगा, गैस सिलेंडर, शौचालय, पक्का मकान और बिजली समृद्धी के तौर पर देखा जाता है। बिहार में ये चार चिजें समृद्ध लोगों के पास ही था। अगर जातीय नजर से देखें तो वर्षों से ये सब चिजें खानदानी अमीर और उच्च जाती के लोग के पास ही थे।

नरेंद्र मोदी ने यह सब पाँच सालों में गरीब पिछड़ों तक भी पहुंचा दिया। समाजिक न्याय सिर्फ आरक्षण की माँग करने से नहीं मिलेगा, यह नेताओं को अब सोचना होगा। दशकों से अपने जात वाला नेता, जिसको लोग जात पर वोट देते आय थे। उसने जो नहीं दिया, वह मोदी ने पाँच साल में दिया है। जाहिर है लोगों ने इस बार जात के जगह विकास पर वोट दिया है। किसान न्यूनतम आय योजना और स्वास्थ बिमा योजना इस कड़ी का अगला पड़ाव है। इसका प्रभाव देखना बाकी है। इस सब के साथ नीतीश कुमार और उनके काम का भी फायदा एनडीए को मिला है। यह अच्छी खबर है कि बिहार जातीवाद से आगे बढ़ रहा है।

– अविनाश कुमार

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प्रधानमंत्री के हेलिकॉप्टर की तलाशी लेने वाला ‘बहादुर’ आईएएस अधिकारी है बिहारी

ओडिशा के संबलपुर में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच करने वाले 1996 बैच और कर्नाटक काडर के आईएएस अफसर मोहम्मद मोहसिन को बुधवार को चुनाव आयोग ने निलंबित कर दिया। वह संबलपुर लोकसभा क्षेत्र में सामान्य पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात थे।

मोहसिन ने प्रधानमंत्री मोदी के हेलिकॉप्टर की जांच की थी। बताया जा रहा है कि इस जांच की वजह से प्रधानमंत्री को 15 मिनट इंतजार करना पड़ा था। जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय ने चुनाव आयोग से की थी। जिसपर कार्रवाई करते हुए आयोग ने उन्हें दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने की वजह से निलंबित कर दिया।

चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए सभी संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में सामान्य पर्यवेक्षकों की तैनाती करता है। इससे पहले मोहसिन, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पेट्रोलियम मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान के भी हेलिकॉप्टर की तलाशी भी ले चुके हैं।

बिहार के रहने वालें हैं मोहसिन

1969 में जन्में मोहम्मद मोहसिन बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले हैं और कर्नाटक सरकार में समाज कल्याण विभाग में सचिव हैं। वह कर्नाटक काडर से आईएएस बने हैं। पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने बीकॉम की पढ़ाई की है। साल 1994 में वह लोकसेवा की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आए थे।

पहली बार में वह लोकसेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा में सफल नहीं हुए थे और उन्होंने दोबारा इसकी तैयारी की। इसके बाद वह परीक्षा में सफल तो हुए लेकिन कम नंबर की वजह से आईएएस नहीं बन पाए। उन्होंने फिर तैयारी की और 1996 में आईएएस अधिकारी बने।

मोहसिन ने उर्दू के साथ अपनी पढ़ाई की थी। उनकी एक सोशल मीडिया प्रोफाइल के अनुसार वह कर्नाटक सरकार के शिक्षा विभाग और अन्य विभागों में अधिकारी रह चुके हैं। कर्नाटक के कई प्रशासनिक पदों पर वह अपनी सेवाएं दे चुके हैं। शुरुआत में वह उपजिलाधिकारी के पद पर रहे और बाद में जिला पंचायत और ग्रामीण विभाग में उपायुक्त के पदों पर तैनात रहे।

बिहार के मूल निवासी और कर्नाटक कैडर के इस आईएएस के ईमानदारी और उनके उसूलों की चर्चा पूरे साउथ में होती रही है। कहा जाता है वे एक कार्य भी गलत होने नहीं देते हैं। यही वह वजह है कि पिछले दिनों मोदी के हेलीकॉप्टर से काला संदिग्ध बैग ले जाने के बाद इस अधिकारी ने मोदी के हेलीकॉप्टर की तलाशी लेने का फैसला किया।

क्या ऐसा कोई कानून है कि चुनाव की ड्यूटी पर तैनात अधिकारी प्रधानमंत्री के काफिले की गाड़ी चेक नहीं कर सकता है?

अगर ऐसा कोई कानून है तो चुनाव आयोग को पब्लिक को इसके बारे में बताना चाहिए| और अगर किसी अधिकारी ने हेलिकाप्टर की जांच कर दी तो क्या यह इस हद तक का अपराध है कि उस अधिकारी को निलंबित कर दिया जाए.. चुनाव आयोग ने मोहम्मद मोहसिन को निलंबित कर दिया और कहा कि स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा घेरे में रहने वाले लोगों की जांच की प्रक्रिया के अनुसार उन्होंने काम नहीं किया। हालाँकि इस से पहले भी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा घेरे में रहने वाले कई लोगों के हेलिकॉप्टर की तलाशी ली जाती रही है|

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17 फरवरी को पीएम मोदी सात हजार करोड़ से बननेवाले बरौनी खाद कारखाना रखेंगे आधारशिला

17 फरवरी को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बिहार के दौरे पर आ रहे हैं और साथ में बिहार राज्य के लिए एक बड़ा तोहफा भी लेकर आ रहे हैं| 17 को पीएम मोदी उलाव हवाई अड्डे पर उतरेंगे और बेगूसराय में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे| इसके साथ ही वे बरौनी में सात हजार करोड़ से बननेवाले नये खाद कारखाने की आधारशिला रखेंगे|

अब बरौनी खाद कारखाना हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड के नाम से जाना जायेगा| इस कारखाने के निर्माण पर सात हजार करोड़ खर्च होंगे| इसका निर्माण कार्य जनवरी, 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है| साथ ही मई, 2021 से ही यहां यूरिया का उत्पादन शुरू हो जायेगा| 

जाहिर हैं यही से पीएम मोदी बिहार में अगामी लोकसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगे| बिहार बीजेपी के सारे नेती इसी तैयारी में लगा दिए गए हैं|

वहीं, बरौनी खाद कारखाने में करोड़ों रुपये खर्च कर प्रधानमंत्री के आगमन स्थल को तैयार किया जा रहा है| 1998 से बंद परे बरौनी खाद कारखाने में अब तेजी से चीजें बदलने लगी हैं| खंडहर पड़े भवन डेंटिंग-पेंटिंग कर सवार दिए गए हैं| कैंपस में कई एकड़ में निर्माण का कार्य चल रहा है, जिसके लिए सैकड़ों की संख्या में मजदूर, अभियंताओं की टीम और अधिकारी लगे हुए हैं|

 

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2019 लोकसभा चुनाव: बिहार में 50-50 सीट पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी-जदयू

बिहार में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए सीटों को लेकर स्थिति साफ़ होती दिख रही है| शुक्रवार शाम को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार मीडिया के सामने आकर यह साफ़ कर दिया कि बिहार में बीजेपी और जेदयू 50-50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी|

हालांकि एनडीए में सामिल अन्य दलों के सीटों को लेकर अभी कोई घोषणा नहीं की गयी है| भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि अन्य दलों के सीट को लेकर भी 2-3 दिनों में घोषणा कर दी जाएगी| जदयू और बीजेपी के बीच 50-50 पर समझौता होने के बाद एनडीए खेमे में हरकंप मच गया है|

अन्दर से आ रही ख़बरों के अनुसार बीजेपी और जदयू 16-16 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, रामविलास पासवान के लोजपा को 6 और उपेन्द्र कुशवाहा को 2 सीट दिया जायेगा| हालांकि लोजपा और रालोसपा के नाराजगी को देखते हुए अभी सीटों की संख्या नही बताई गयी है|

बता दें कि जब दिल्ली में अमित शाह और नीतीश कुमार अपने डील के बार में मीडिया को बता रहे थे, लगभग उसी समय बिहार के अरवल में केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिल रहे थे| हालांकि उन्होंने इस मुलाकात को महज संयोग बताया और कहा कि वे अभी भी एनडीए में हैं और मोदी को फिर से पीएम बनाने की कोशिश कर रहे हैं| वहीं तेजस्वी ने कहा कि एनडीए में उपेंद्र कुशवाहा का अपमान हो रहा है|

बिहार में एनडीए की पहली पारी में जेडीयू बड़ी भूमिका में थी| साल 2009 में जेडीयू और बीजेपी ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा| उस दौरान बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में से जेडीयू ने 25, तो बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था|

लेकिन साल 2014 में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा, जिसमें नीतीश की पार्टी को महज दो सीटें मिलीं थी| वहीं बीजेपी ने सबसे ज्यादा 22 सीटें हासिल की थीं|

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बिहार के आलोक वर्मा को रातों-रात सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाने पर मचा सियासी बवाल

देश की सबसे बड़ी जांच संस्था सीबीआई में कुछ दिनों से घमासान मचा हुआ है| इमानदार आइपीएस अफसर के रूप में शुमार आलोक वर्मा को सरकार ने सीबीआई डायरेक्टर के पद से अचानक हटा दिया है| इस मामले को लेकर देश में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया है|

क्या है मामला?

गौरतलब है कि CBI ने राकेश अस्थाना (स्पेशल डायरेक्टर) और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मीट कारोबारी मोइन कुरैशी की जांच से जुड़े सतीश साना नाम के व्यक्ति के मामले को रफा-दफा करने के लिए घूस लेने के आरोप में FIR दर्ज की थी| इसके एकदिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया| इस गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को सीबीआई ने अस्थाना पर उगाही और फर्जीवाड़े का मामला भी दर्ज किया|

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया| और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया| चार्ज लेने के साथ ही नागेश्वर राव ने मामले से जुड़े 13 अन्य अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया|

कोर्ट में पंहुचा मामला 

आलोक वर्मा ने खुद को छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है| जिसकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है और शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी| सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कई तरह के इशारे किये हैं| आलोक वर्मा ने अपनी याचिका में इस बात की ओर भी इशारा किया है कि सरकार ने सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है|

आलोक वर्मा की याचिका के मुताबिक, 23 अक्तूबर को रातोंरात रैपिड फायर के तौर पर CVC और DoPT ने तीन आदेश जारी किए| यह फैसले मनमाने और गैरकानूनी हैं, इन्हें रद्द किया जाना चाहिए|

राफेल डील की जांच करने वाले थे आलोक वर्मा !

आलोक वर्मा को पद से हटाने को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लग रहे हैं| मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के अनुसार राफेल डील की जांच करने वाले थे आलोक वर्मा, इसलिए मोदी सरकार ने उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है| कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आलोक वर्मा राफेल डील की जांच शुरू करने वाले थे इसलिए उन्हें हटा दिया गया और उनके अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया गया| सुरजेवाला ने दावा किया कि आलोक वर्मा नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या मामले में सख्ती बरत रहे थे| इसलिए मोदी सरकार ने उन्हें हटा दिया|

सिर्फ कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी को भी राफेल और सीबीआई के अधिकारियों को हटाने में कोई संबंध नजर आ रहा है| केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, क्या राफेल डील और आलोक वर्मा के हटाने के बीच कोई संबंध है| केजरीवाल ने पूछा, क्या आलोक वर्मा राफेल डील की जांच शुरू करने वाले थे जो आगे चलकर मोदी जी के लिए समस्या खड़ी कर सकता था|

मूलरूप से बिहार के रहनेवाले आलोक वर्मा

साफ-सुथरी छविवाले आईपीएस अधिकारी माने जानेवाले आलोक वर्मा मूलरूप से बिहार के रहनेवाले हैं| बिहार के तिरहुत प्रमंडल के शिवहर जिला निवासी आलोक कुमार वर्मा मात्र 22 वर्ष की उम्र में वर्ष 1979 में आईपीएस चुन लिये गये थे| 14 जुलाई, 1957 को जन्मे आलोक वर्मा ने 22 वर्ष की उम्र में ही आईपीएस चुने गये थे| वह अपने बैच के सबसे कम उम्र के अभ्यर्थी थे| हालांकि, उनकी शिक्षा दिल्ली में हुई है| उन्होंने सेंट जेवियर स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की|

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महागठबंधन के रथ पर सवार होकर बीजेपी के राष्ट्रवाद के खिलाफ बेगूसराय से चुनाव लड़ेंगे कन्हैया

दो साल पहले जेएनयू कैंपस में एक विवादास्पक घटना घटी| कैंपस के अंदर ही बुलाए गए एक सभा में राष्ट्र विरोधी नारें लगायें गए| मीडिया में खबर आते ही इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया| चुकी यह मामला राष्ट्र हित से जुड़ा था और केंद्र में एक राष्ट्रवादी विचारधारा की सरकार थी, इस घटना का राजनीतिकरण तो होना ही था|

12 फरवरी 2016 को दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया| हालाँकि कन्हैया कुमार ने अपने उपर लगे आरोप को बेबुनियाद बताया और जेल से निकलते ही जेएनयू कैंपस में देश की आजादी पर एक एतिहासिक भाषण दिया|

इस घटना ने कन्हैया कुमार की किस्मत बदल दी| जेएनयू के कैंपस राजनीति से बाहर निकलकर वे देश के मुख्यधारा के राजनीति में छा गयें और विपक्ष का एक मुखर आवाज बनकर उभरे| हालांकि कन्हैया कुमार को एक तरफ जितने पसंद करने वाले लोग हैं, दुसरे तरफ लोगों का एक बड़ा तबका कन्हैया को अभी भी देशद्रोही मानता है| (कोर्ट से बेगुनाह साबित होने के बाद भी)

हालांकि बहुत पहले से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि कन्हैया बिहार के बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, मगर मीडिया और सूत्रों से आ रही खबरों के अनुसार अब यह पक्का हो गया है|

कन्हैया कुमार 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार के बेगूसराय से मैदान में उतरेंगे| सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कन्हैया कुमार बेगूसराय से महागठबंधन के उम्मीदवार बनेंगे| हालांकि औपचारिक तौर पर कन्हैया कुमार सीपीएम के केंडिडेट होंगे, लेकिन  उन्हें महागठबंधन के आम उम्मीदवार के रूप में पेश किया जाएगा| बिहार में महागठबंधन में आरजेडी समेत कांग्रेस, एनसीपी, हम(एस), शरद यादव की एलजेडी के अलावा लेफ्ट पार्टियां भी शामिल हैं|

ज्ञात हो कि जेल से रिहा होने के बाद पटना दौरे पर आये कन्हैया कुमार तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव दोनों से मिले थे| उस समय लालू प्रसाद यादव को पैर छू कर प्रणाम करने पर उनके विरोधियों ने जमकर निशाना भी साधा था| सूत्रों के मुताबिक लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव कन्हैया कुमार को टिकट को राजी हैं और कांग्रेस के साथ बातचीत के बाद बेगूसराय सीट से कन्हैया कुमार को मौका दिया जा रहा है|

सीपीएम लीडर सत्य नारायण सिंह ने एक प्रमुख अंग्रेजी अख़बार से बातचीत के दौरान इस बात कि पुष्टि की है| उन्होंने कहा कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर अभी औपचारिक तौर पर कोई बात नहीं हुई है, लेकिन इतना निश्चित है कि बेगूसराय से कन्हैया कुमार को ही उतारा जाएगा| उन्होंने बताया कि एक बार खुद लालू प्रसाद यादव ने भी बेगूसराय के लिए कन्हैया कुमार का नाम सुझाया था|

कन्हैया मूल रूप से बेगूसराय के रहने वालें हैं

कन्हैया मूल रूप से बेगूसराय जिले के बरौनी ब्लॉक में बीहट पंचायत के रहने वाले हैं| उनकी मां मीना देवी एक आंगनबाड़ी सेविका हैं और उनके पिता जयशंकर सिंह यहीं एक किसान थे|

अभी वर्तमान में बेगूसराय लोकसभा सीट पर बीजेपी के भोला सिंह काबिज़ है| बिहार में बेगूसराय को लेफ्ट विचारधारा का गढ़ माना जाता रहा है| गढ़ भी ऐसा कि बेगूसराय को लेनिनग्राद यानी लेनिन की धरती तक कहा जाने लगा। लेकिन इसी बेगूसराय में सामाजिक न्याय की फसल भी खूब लहलहायी और और अब यहां जातिवादी फसलों की बहार है। महागठबंधन के तरफ से कन्हैया कुमार उम्मीदवार के तौर पर अगर उतरते हैं तो मुकाबला वाकई दिलचस्प होगा| एक बार फिर बिहार का बेगूसराय राजनितिक प्रयोगशाला का केंद्र होगा| उनके उम्मीदवारी में लेनिनवाद और जातिवाद दोनों का छौंक है|बेगूसराय लेनिनवाद-जातिवाद के साथ राष्ट्रवाद का मुकाबला देखना दिलचस्प होगा|

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बिहार: एनडीए में सीटों के बटवारे की खबर लीक, बीजेपी के फ़ॉर्मूले को सहयोगी पार्टियों ने नकारा

पिछले दिनों मीडिया रिपोर्टों में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों के बीच सीटों का बटवारा होने की खबर छाई रही| खबर के अनुसार बिहार के 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 20, जेडयू 12, एलजेपी 5 और रालोसपा को दो सीट पर चुनाव आएगी| साथ ही, पार्टी से निलंबित सांसद अरुण कुमार को भी मैदान में उतारने की बात कही जा रही है| बताया जाता है कि जदयू को रिझाने के लिए जरूरत पड़ने पर झारखंड में एक सीट चुनाव लड़ने के लिए दी सकती है|

हालाँकि यह खबर लीक होते ही बिहार के राजनीतिक गलियारों में हरकंप मच गया| गठबंधन में सामिल सभी दल ने एक सुर में इसे अफवाह बताया| एलजेपी नेता चिराग पासवान ने एनबीटी से कहा कि सीटों के फॉर्म्युले की बात अफवाह है। अभी इस बारे में कुछ भी फाइनल नहीं हुआ है। वहीं, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सीटों पर बात के लिए पार्टी की ओर से चिराग अधिकृत हैं और वह पंजाब में हैं। अभी इस बारे में कोई बात नहीं हुई है। एनडीए के दूसरे सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अभी यह महज अटकलें हैं। सीट समझौते को लेकर एनडीए दलों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। बाद में बीजेपी और जेडीयू नेताओं ने भी सीटों को लेकर कोई अंतिम सहमति बनने से इनकार किया।

वैसे,सूत्रों से मिल रही ख़बरों के अनुसार जेडीयू 15-16 सीटों पर सहमत हो सकती हैं, वहीं रालोसपा अपने लिए 7 सीटों की मांग कर रही है मगर पार्टी सूत्रों के अनुसार वह 3 सीटों पर भी मान सकती है अगर पार्टी से बागी संसद अरुण कुमार को एनडीए से दूर रखा जाता है|

गौरतलब है कि रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा बीजेपी पर दवाब बनाने के लिए लगातार आरजेडी के साथ जाने की संकेत दे रहे हैं| हाल ही में उनका खीर वाला बयान मीडिया के सुर्ख़ियों में छाया रहा| कुशवाहा ने हालिया बयान में कहा था कि यदुवंशियों (राजद) का दूध और कुशवाहों (रालोसपा) का चावल मिल जाए तो खीर बनने में देर नहीं… लेकिन खीर बनाने के लिए केवल दूध और चावल ही नहीं बल्कि छोटी जाति और दबे-कुचले समाज के लोगों का पंचमेवा भी चाहिए। इस बयान को कुशवाहा के महागठबंधन के प्रति रुझान के तरह देखा गया|

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आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री जी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा, पढ़िए पूरा भाषण

आज भारत के आजादी की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। लालकिले से लेकर देश का हर शहर जश्न-ए-आजादी के रंग में रंगा है। पीएम मोदी लाल किले से देश को संबोधित किया है| पढ़िए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा भाषण..

12 साल बाद लहलहा रहे हैं नील कुरिंजी के फूल
आजादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज देश आत्मविश्वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्प के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करके देश नई ऊंचाइको पार कर रहा है। आज का सूरज नया उमंग, नई उत्साह लेकर आया है। हमारे देश में 12 साल में एक बार नील कुरिंजी का फूल उगता है। इस साल दक्षिण के नीलगिरी पहाड़ियों पर नील कुरुंजी का फूल जैसे मानों तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह लहलहा रहा है।

बेटियों ने सात समंदर पार किया
आजादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं जब हमारी बेटियां, उतराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंगकर लौट आईं। एवरेस्ट विजयी तो बहुत हुए। हमारे अनेक वीरों और बेटियों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। आजादी के इस पर्व पर याद करूंगा कि आदिवासी इलाकों के हमारे बच्चों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इसकी शान और बढ़ा दी है।

संसद सत्र में सामाजिक न्याय के लिए काम
अभी-अभी लोकसभा और राज्यसभा के सत्र पूरे हुए हैं। यह सत्र बहुत अच्छे ढंग से चला और संसद का यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्याय को समर्पित था। सोशित, वंचितों और महिलाओं की हकों की रक्षा के लिए संवेदनशीलता के साथ समाजिक न्याय को मजबूत किया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़ों-अति पिछड़ों के हकों की रक्षा का प्रयास किया।

सकारात्मक माहौल
हमारे देश में उन खबरों ने देश में एक चेतना लाई है कि भारत विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। ऐसे सकारात्मक माहौल में हम आजादी का पर्व मना रहे हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए बापू के नेतृत्व में लाखों लोगों ने जवानी जेलों में गुजार दी। बहुत से लोगों ने आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया। मैं उन वीरों को सलाम करता हूं। इस तिरंगे की आन-बान-शान के लिए सैनिक दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं। मैं अर्धसैनिक बलों और पुलिसबल को लाल किले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं।

इन दिनों देश के कोने-कोने से अच्छी बर्षा के साथ बाढ़ की खबरें आ रही हैं। अतिवर्षा की वजह से जिन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ीं उनके लिए देश खड़ा है। जिन्होंने अपनों को खोया है उनके दुख में मैं सहभागी हूं।

अगले साल जलियावाला बाग की घटना को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। मैं उन सभी वीरों को नमन करता हूं।

ये आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्य बापू के नेतृत्व में नौजवानों, सत्याग्रहियों ने जवानी जेलों में काटकर हमें आजादी दिलाई। उन्होंने कुछ सपने भी संजोए थे। आजादी से पहले तमिलनाडु के कवि सुब्रमण्यन भारती ने कहा था ‘भारत दुनिया के सभी बंधनों से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा।’ इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आजादी के बाद बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में समावेशी संविधान बनाया। इसमें समाज के हर तबके को समान रूप से अवसर दिया गया है।

हमारा संविधान कहता है कि गरीबों को न्याय मिले। जन जन को आगे बढ़ने का मौका मिले। निम्न मध्य वर्ग, मध्य वर्ग को और उच्च वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिले। हमारे बुजुर्ग हमारे दिव्यांग, महिलाएं, दलित, पिछड़े, सोशित, आदिवासी को आगे बढ़ने का मौका मिले। हम चाहते हैं कि दुनिया में भारत की धमक हो।

मैंने पहले भी टीम इंडिया का सपना आपके सामने रखा है। जब जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटते हैं तो क्या कुछ नहीं हो सकता। मैं नम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि 2014 में सवा सौ करोड़ देशवासियों ने सिर्फ सरकार नहीं बनाया, देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटे रहे।

एलपीजी गैस कनेक्शन 2013 की रफ्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में 100 साल भी ज्यादा लगता। ऑपटिकल फाइबर बिछाने में उस गति से पहुंचाने में सदियां लग जातीं। देश की अपेक्षाएं बहुत हैं। आज देश में बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है। हवा, आसमान वही हैं। अधिकारी वही हैं फाइलें वहीं हैं, लेकिन 4 साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश दोगुने हाइवे बना रहा है चार गुना मकान बना रहा है। देश रेकॉर्ड अन्न के साथ रेकॉर्ड मोबाइल बना रहा है। रेकॉर्ड ट्रैक्टर से रेकॉर्ड हवाई जहाज खरीदारी हो रही है। देश में नए आईआईटी, नए आईआईएम, नए एम्स बना रहा है। टायर-2 टायर थ्री सिटी में स्टार्टअप्स की बाढ़ है।

सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के लिए काम करा है। तो उतने ही लगाव के साथ दिव्यांगों के लिए काम कर रहा है। हमारा किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती कर रहा है तो पुरानी बंद पड़ी सिंचाई योजनाओं को शुरू किया जा रहा है।

हमारी सेना मुसीबत में घिरे लोगों को बाहर निकालती है। वही सेना सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन के दांत खट्टे करती है। देश नई उमंग से आगे बढ़ रहा है।

किसान संगठन एमएसपी वृद्धि की मांग कर रहे थे। सालों से डेढ़ गुना एमएसपी की बात हो रही थी, लेकिन हमने हिम्मत के साथ फैसला लिया। जीएसटी पर कौन सहमत नहीं था। सबस चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। आज हमारे व्यापारी के सहयोग से देश ने जीएसटी लागू कर दिया है। व्यापारियों को जीएसटी के साथ शुरू में कठिनाई आने के बावजूद आगे बढ़ाया।

आज इन्सॉलवेंसी और बैंकरप्सी का कानून बना है। किसने ऐसा करने से रोका था। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून क्यों नहीं बन पाया था। सैनिक वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे। हमने इसे पूरा किया। हम कड़े फैसले लेने का साहस रखते हैं, क्योंकि हम देशहित में काम करते हैं दलहित में नहीं।

आज पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। हमारी छोटी-छोटी बातों को भी पूरी दुनिया गौर से देख रही हैं। 2014 से पहले दुनिया की ओर से कहा जा रहा था कि भारत की इकॉनमी में रिस्क है, लेकिन अब वही लोग कह रहे हैं कि सुधारों से बदलाव आ रहा है। दुनिया तब रेड टेप की बात कहती थी औज रेड कार्पेट की बात हो रही है। भारत के लिए पॉलिसी पैरालिसिस की बात कही जाती थी। वो भी एक वक्त था जब भारत को फ्रेगाइल-5 में गिना जाता था और आज दुनिया कह रही है भारत मल्टी ट्रिल्यन डॉलर निवेश का गंतव्य बन गया है।

दुनिया कभी बिजली जाने और बोटलनैक की बात करते थे और आज दुनिया कह रही है कि सोया हुआ हाथी ब दौड़ने लगा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया कह रही हैं कि आने वाले तीन दशक तक भारत दुनिया को गति देने वाला है। ऐसा विश्वास आज भारत के लिए पैदा हुआ है।

आज भारत की बात को दुनिया में सुना जा रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज को बुलंद की है। आज हमें अनगिनत संस्थाओं में स्थान मिला है। आज भारत ग्लोबल वार्मिंग की बात करने वालों के लिए उम्मीद बना है। आज कोई भी भारतीय जब कहीं कदम रखता है तो स्वागत होता है। भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ गई है। विश्व में यदि कहीं भी हिंदुस्तानी संकट में है तो उसे विश्वास है कि देश हमारे साथ खड़ा है।

विश्व में भी भारत की ओर देखने का नजरिया मिला है। भारत में जब नॉर्थ ईस्ट की खबरें आती थीं तो लगता था कि ऐसी खबरें ना आएं तो अच्छा। लेकिन आज नॉर्थ ईस्ट से अच्छी खबरें आ रही हैं। खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचने और इंटरनेट पहुंचने की खबरें आ रही हैं। आज नॉर्थ ईस्ट के नौजवान बीपीओ खोल रहे हैं। हर्बल खेती का केंद्र बन गया है।

हमारे देश के युवाओं ने आज प्रगति के सारे मापदंडों को बदल दिया है। नौजवानों ने नेचर ऑफ जॉब को बदल दिया है। नए क्षेत्रों से देश को ऊंचाइयों पर ले जा रह है। 13 कोरोड़ मुद्रा लोन दिया गया है। इनमें 4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया है। आज हिंदुस्तान के गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर युवा चला रहे हैं।

रेलवे, रोड, हाइवे के मामले में देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने हमारे देश का नाम रोशन किया है। 100 से ज्यादा सेटेलाइट एक साथ आसमान में भेजकर दुनिया को चकित कर दिया। पहले ही प्रयास में मंगलयान की सफलता, वैज्ञानिकों की शक्ति दिखाता है। हम जल्द ही नाविक लॉन्च करने जा रहे हैं।

आज लाल किले की प्राचीर से मैं एक खुशखबरी देना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने लक्ष्य रखा है कि 2022 में मां भारत का कोई संतान बेटा हो या बेटी वे अंतरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा लेकर जाएंगे। अब हम मानव को लेकर गगनयान लेकर जाएंगे। तब विश्व के अंदर चौथे देश बन जाएंगे।

मैं देश कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को बहुत बधाई देता हूं। हमारे किसानों को भी वैश्विक चुनौतियों की सामना करना पड़ता है। आज हमारा पूरा ध्यान कृषि क्षेत्र में आधुनिकता लाने पर है। हम किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं। बहुत से लोगों को इस पर आशंका होती है। हम मक्शन पर लकीर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं।

हम बीच से लेकर बाजार तक आधुनिकीकरण करना चाहते हैं। कई फसलों का रेकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। आज हमारा देश मछली उत्पादन में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। आज शहद का निर्यात दोगुना हो चुका है। इथेनॉल का उत्पादन तीनगुना हो गया है। हम गांव के संसाधन और सामर्थ्य को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

खादी का नाम पूज्य बापू के साथ जुड़ा है। खादी की बिक्री पहले से डबल हो गई है। सोलर फार्मिंग की ओर भी हमारा किसान ध्यान देने लगा है। हैंडलूम का रोजगार भी बढ़ा है। मानव की गरिमा सर्वोच्च है। हमें उन योजनाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि लोग सम्मान के साथ आगे बढ़ें।

उज्जवला योजना के तहत हमने घर-घर रसोई गैस पहुंचा रहे हैं। कल राष्ट्रपति जी ने बताया कि कैसे सेवा लोगों तक पहुंच रही है। मैंने इसी लाल किले से स्वच्छता की बात कही थी तो कुछ लोगों ने मजाक बनाया था। पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आई है, इसमें कहा गया है कि स्वच्छता की वजह से भारत में तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे उन्हीं की प्रेरणा से स्वेच्छाग्रही तैयार हुए।

देश के 10 करोड़ परिवारों को यानी करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की योजना देने वाले हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आज 15 अगस्त से परीक्षण शुरू हो रहा है। 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर इसे लॉन्च कर दिया जाएगा। कोई गरीब गरीबी में जीना-मरना नहीं चाहता। कोई गरीब अपने बच्चों को विरासत में गरीबी देकर जाना नहीं चाहता। वह झटपटा रहा होता है। गरीबों को सशक्त बनाने का यही अपाय है। हमारा प्रयास रहा है कि गरीब सशक्त हो।

पिछले 2 साल में भारत में पांच करोड़ गरीब करीबी रेखा से बाहर आए। हमने गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई है। लेकिन बिचौलिए गरीबों का लाभ उस तक पहुंचने नहीं देते। हमारी व्यवस्था में जो त्रुटिया हैं उन्हें दूर करके लोगों में विश्वास पैदा करना जरूरी है। जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, छह करोड़ लाभार्थी ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए। लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। जो इंसान पैदा नहीं हुआ, फर्जी नाम लिखकर पैसे मार लिए जाते थे।

करीब 90 हजार करोड़ रुपया जो गलत लोगों के हाथों में गलत तरीके से जा रहे थे आज वह बचे हैं। ऐसा होता क्यों है। यह देश गरीब की गरिमा के लिए काम करने वाला है। ये बिचौलिये क्या करते हैं। बाजार में गेहूं की कीमत 24-25 रुपये है। जबकि सरकार इस दर पर खरीदकर केवल 2 रुपये में गरीब को देती है। चावल 30-35 रुपये में लेकर 2 रुपये में गरीब तक पहुंचाती है।

जो इमानदार टैक्सदाता है। उन पैसों से ये योजनाएं चलती हैं। इसका पुण्य ईमानदार टैक्सदाताओं को जाता है। जब आप खाना खा रहे हैं तो तीन गरीब परिवार भी खाना खा रहा है और इसका पुण्य टैक्सदाता को मिलता है। देश में टैक्स ना भरने का माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन जब टैक्सदाता को पता चलता है कि उसके पैसे से तीन गरीब परिवारों का पेट भर रहा है तो इससे ज्यादा संतोष की बात क्या होगी। प्रत्यक्ष टैक्सदाताओं की संख्या 2013 तक 4 करोड़ थी और आज पौने 7 करोड़ है, यह ईमानदारी का उदाहरण है। अप्रत्यक्ष कर 70 सालों में 70 लाख था, जीएसटी के बाद एक साल में यह आंकड़ा 1 करोड़ 16 लाख पहुंच गया। जो भी आगे आ रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूं।

देश को दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया। दिल्ली के गलियारों में आप पावर ब्रोकर नजर नहीं आते। कुछ लोग देश बेडरूम में बैठकर कहते थे सरकार की नीतियां बदल दूंगा, उनकी दुकानें बंद हो गईं। करीब 3 लाख फर्जी कंपनियां बंद कर दी गईं।

एक समय पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ था, हमने सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी है। आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं, यह गर्व का विषय है। आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जब महिलाओं को इतना सम्मान मिला है। भारतीय सेना में सॉर्ट सर्विस कमीशन से नियुक्त महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों की तरह स्थायी कमीशन की घोषणा करता हूं। भारत की महिलाएं देश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। खेत से लेकर खेल के मौदान तक योगदान दे रही हैं। स्कूल से लेकर सेना तक कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसे समय में कुछ राक्षसी शक्तियां भी हैं। बलात्कार की घटनाएं पीड़ा पहुंचाती हैं। पीड़िता से ज्यादा हमें पीड़ा होनी चाहिए। इस बुराई से देश को मुक्त करना होगा। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में 5 दिन में बलात्कारियों के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। राजस्थान में भी ऐसा हुआ। इसकी चर्चा जितनी होगी इन राक्षसों को भय होगा। इन खबरों की चर्चा अधिक होनी चाहिए। इस सोच पर प्रहार करने की जरूरत है। हमारे लिए कानून का न्याय सर्वोच्च है।

मुस्लिम महिलाओं को मैं लाल किले से कहना चाहता हूं कि 3 तलाक ने उन्हें पीड़ा दी है। हमने इस संसद सत्र में तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश किया था, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे पारित नहीं होने देना चाहते। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको न्याय दिलाकर रहूंगा।

आए दिन नॉर्थ ईस्ट से बम-बंदूक की खबरें आती थीं। आज हमारे सुरक्षाबलों, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से कुछ वर्षों बाद त्रिपुरा और मेघायल अफस्पा मुक्त हो गया है। आज नक्सलवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है।

जम्मू-कश्मीर के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने हमें रास्ता दिखाया था। हम उन्हीं की तरह इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का विकास करना है। हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। कश्मीर के पंच आकर हमसे अपील करते थे कि पंचायत चुनाव हो। जल्द ही वहां पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव होंगे।

हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। हमारा मंत्र है- सबका साथ सबका विकास। मैं एक बार फिर इस तिरंगे झंडे के नीचे खड़े रहकर मैं संकल्प दोहरना चाहता हूं। सभी देशवासी के पास अपना घर हो। सभी घर में बिजली हो। सभी घर को धुएं से मुक्ति मिले। हर भारतीय को स्वच्छ पानी और शौचालय मिले। हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले। हर भारतीय को बीमा सुरक्षा मिले। हर भारतीय को इंटरनेट की सुविधा मिले।

लोग मेरे लिए भी भांति-भांति की बातें करते हैं। लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो मैं सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता हूं मैं बेसब्र हूं। मैं बेसब्र हूं देश को आगे ले जाने के लिए। मैं बेचैन हूं देश को कुपोषण को मुक्त करने के लिए। मैं व्याकुल हूं कि देश के सभी व्यक्ति को बीमा कवर मिले। मैं बेसब्र हूं कि देश के लोगों का जीवनस्तर में सुधार हो। मैं आतुर हूं कि क्योंकि मैं चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए।

हम जा आज हैं कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते हैं। रुकना और झुकना हमारे स्वभाव में नहीं। यह देश ना रुकेगा ना झुकेगा और ना थकेगा। हम सिर्फ भविष्य देखकर अटकना नहीं चाहते हैं।

अपने मन में एक लक्ष्य लिए मंजलि अपनी प्रत्यक्ष लिए…हम तोड़ रहे हैं जंजीरे…हम बदल रहे हैं तस्वीरें

यह नवयुग है यह नवभारत है…खुद लिखेंगे अपनी तकदीर…बदल रहे हैं तस्वीर

हम निकल पड़े हैं अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगना है…अंबर से आगे जाना है…एक भारत नया बनाना है।

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मोदी सरकार का बिहार को सौगात, कोसी नदी पर बनेगा नया फोर लेन पुल

केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार को एक नयी सौगात दी है|  मधेपुरा जिले के फुलौत के पास कोसी नदी पर फोरलेन पुल बनेगा| आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इसकी मंजूरी दे दी है|

नेशनल हाईवे 106 पर फुलौत में 6.930 किलोमीटर लंबे 4-लेन पुल का निर्माण होगा। सीसीईए ने बिहार में राष्‍ट्रीय राजमार्ग-106 के मौजूदा बीरपुर-बिहपुर खंड के उन्नयन व पुनर्वास को हरी झंडी दी है। इसके तहत 106 किलोमीटर से 136 किलोमीटर तक ‘पेव्‍ड शोल्‍डर के साथ 2-लेन’ दुरुस्त होंगे। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह जानकारी केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया को दी|

इस परियोजना पर 1478.40 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस परियोजना के लिए निर्माण अवधि 3 वर्ष है और इसे जून 2022 तक पूरी होने की उम्‍मीद है। इस नये पुल से निर्माण के क्रम में लगभग 2.19 लाख श्रम दिवस के लिए प्रत्‍यक्ष रोजगार सृजित होंगे।

नए पुल के बन जाने से मधेपुरा, सुपौल, सहरसा और भागलपुर के बीच बेहतर सड़क संपर्क कायम होगा। यही नहीं इनके बीच की दूरी 60 किलोमीटर कम हो जाएगी। वर्तमान में फुलौत से बिहपुर जाने के लिए लगभग 72 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। इस परियोजना के तहत कोसी नदी पर 4-लेन वाले इस नये पुल के निर्माण होने पर फुलौत और बिहपुर के बीच की दूरी घटकर महज 12 किलोमीटर रह जाएगी।

दरअसल, राष्‍ट्रीय राजमार्ग 106 पर फुलौत और बिहपुर के बीच 10 किलोमीटर लंबा लिंक नादारद है और वह कोसी नदी के कटाव क्षेत्र में आता है। इस नये पुल के निर्माण से बिहार में राष्‍ट्रीय राजमार्ग 106 पर उदाकिशुनगंज और बिहपुर के बीच मौजूदा 30 किलोमीटर लम्‍बी खाई दूर हो जाएगी जो नेपाल, उत्‍तर बिहार, पूर्व-पश्चिम गलियारा (एनएच-57 से होते हुए) और दक्षिण बिहार, झारखंड, स्‍वर्ण चतुभुर्ज (एनएच-2 से होते हुए) के बीच संपर्क मुहैया कराएगी। इसके अलावा राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या-31 की पूर्ण उपयोगिता सुनिश्चित होगी।

वर्तमान में यह राष्‍ट्रीय राजमार्ग केवल एक लेन (मध्‍यवर्ती लेन) के साथ खराब स्थिति में है। इसलिए इस राजमार्ग पर वाहनों के लिए औसत गति 20 किलोमीटर प्रति घंटे से कम है। लेकिन इस राजमार्ग के ‘पेव्‍ड शोल्‍डर के साथ 2-लेन’ में उन्‍नयन एवं पुल के निर्माण से यातायात की गति बढ़कर करीब 100 किलोमीटर प्रति घंटे हो जाएगी।

 

मोदी ने कुछ इस तरह ठुकरा दिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मांग, जनता ने नहीं बजाई ताली

कभी ‘ऑक्सफोर्ड ऑफ द ईस्ट’ के नाम से मशहूर एतिहासिक पटना विश्वविद्यालय (पीयू) ने अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर लिए| पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 में हुई थी और आज भी यह विश्वविद्यालय बिहार के सर्वाधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। स्थापना से पहले इसके अंतर्गत आनेवाले आने वाले कॉलेज कलकता विश्वविद्यालय के अंग थे। देश में ऐसे कम ही विश्वविद्यालय हैं, जो नदी किनारे हैं। उनमें से एक पीयू पटना में गंगा के किनारे अशज़क राजपथ में स्थित है। विश्वविद्यालय का मुख्य भवन दरभंगा हाउस के नाम से जाना जाता है, जिसका निर्माण दरभंगा के महाराजा ने करवाया था।

पटना विश्वविद्यालय १०० साल के अपने स्वर्णिम इतिहास का जश्न मना रहा है और इस जश्न में आज देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामिल होकर इस विश्वविद्यालय के इतिहास में एक और अध्याय जोड़ दिया और इस विश्वविद्यालय के समारोह में सामिल होने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बन गये|

इस विश्वविद्यालय ने अपने स्वर्णिम अतीत से लेकर अबतक कई उतार-चढ़ाव देखें हैं| देश के आज़ादी का आन्दोलन हो या लोकनायक जयप्रकाश नारायण का सम्पूर्णक्रांति का आन्दोलन, देश के निर्माण में इस विश्वविद्यालय ने अपना बहुमूल्य योगदान दिया है| इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, फिल्म अभिनेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, पूर्व रेलमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, सामाजिक कार्यकर्ता व सुलभ इंटरनैशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक समेत कई विशिष्ठ लोग शामिल हैं। खास बात यह कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में वित्तमंत्री रहे यशवंत सिन्हा पटना कॉलेज के प्राध्यापक भी रह चुके हैं।

इस विश्वविद्यालय का जितना गौरवपूर्ण इतिहास है, वर्तमान उतना ही दुखद है| कभी ‘पूरब का ऑक्सफ़ोर्ड’ कहा जाने वाला यह विश्वविद्यालय आज बहुत ही ख़राब स्थिति से गुजर रहा है| पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भारी कमी है, कई डिपार्टमेंट में एक ही शिक्षक है तो कई डिपार्टमेंट में एक भी नहीं| २००३ के बाद से शिक्षकों की बहाली नहीं की गयी है| जहाँ पहले जियोलॉजी विभाग में २६ शिक्षक हुआ करते थें वहां अभी मात्र ४ हैं| शिक्षकों के कमी के कारण कई विभागों को बंद कर दिये गये हैं| यहाँ सिर्फ मकान बचें हैं और वह भी खंडहर बन चुका है|

आज प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय में आए थे| लोगों को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय का किस्मत बदल देंगे और पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा देंगे| मंच पर प्रधानमंत्री के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह मांग भी रख दी| उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का हर छात्र चाहता है कि इसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिले, जिसके समर्थन में पूरा पंडाल तालियों के जरिये अपना समर्थन जाता दिया|

मुख्यमंत्री के भाषण के बाद प्रधानमंत्री मोदी लोगों को संबोधित करने आए| प्रधानमंत्री ने अपनी बात बिहार और विश्वविद्यालय के गौरवगाथा के साथ शुरु किया| जैसे ही प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्ज़ा देने की मांग की चर्चा किया, पूरा पंडाल भारी उम्मीदों के साथ प्रधानमंत्री के तरफ देखने लगा| लोगों को लगा कि प्रधानमंत्री जी इस विश्वविद्यालय का किस्मत बदलने का अब एलान कर देंगे| नीतीश कुमार की मांग पर पीएम मोदी ने कहा कि केंद्रीय यूनिवर्सि‍टी बीते हुए कल की बात है| मैं उससे आगे ले जाना चाहता हूं| नई योजना की तहत देशभर के 10 प्राइवेट यूनिवर्सिटी और 10 पब्लिक यूनिवर्सिटी को वर्ल्ड स्टैंडर्ड बनाने के लिए सरकार के कानूनों से मुक्ति देने की योजना है| आने वाले 5 साल में इन यूनिवर्सिटी 10 हजार करोड़ रुपये देने की योजना है| हालांकि, इसमें शामिल होने के लिए प्रोफेशनल एजेंसियों की मदद से टेस्ट में अव्वल आना होगा|

प्रधानमंत्री ने एक तरह से पटना को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मांग को ठुकरा दिया| अभी विश्वविद्यालय की जैसी स्थिति है, उसे देखकर इन १० यूनिवर्सिटी के लिस्ट में जगह बनाना असंभव सा ही लगता है| शायद यही कारण था कि प्रधानमंत्री के भाषण ख़त्म होने के बाद लोगों ने ताली तक नहीं बजाई|

हालांकि प्रधानमंत्री ने इस मौके पर पटना विश्वविद्यालय के विकास के लिए 10 करोड़ की राशि देने की घोषणा की|

सरस्वती की साधना में बिहार ने खुद को खपाया, ऐसी धरती को प्रणाम: प्रधानमंत्री मोदी

 पटना यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे पीएम मोदी ने देश के विश्वविद्यालयों को लेकर एक बड़ी घोषणा की है। इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार की भी जमकर तारीफ की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम केंद्रीय विश्वविद्यालय से आगे की सोच रहे। भारत सरकार एक ऐसी योजना लाई है जिसके तहत देश के 10 सरकारी और 10 निजी विश्वविद्यालयों को वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा। इसके लिए पूरी प्रक्रिया राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर होगी और प्रतियोगिता में सर्वश्रेष्ठ 10 सरकारी और 10 निजी विश्वविद्यालयों को सरकार 10 हजार करोड़ की सहायता देकर वैश्विक स्तर का बनाएगी।

इसके बाद मोदी ने कहा कि हिंदुस्तान जवान है और उसके सपने भी जवान हैं, पहले हम सांप से खेलते थे और अब ‘माउस’ से खेलते हैं। पटना यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हर राज्य में सिविल सर्विस के ज्यादातर सीनियर अधिकारी वहीं के होते हैं।
मोदी ने कहा कि बिहार के पास सरस्वती की कृपा है, लेकिन अब वक्त बदल गया है और अब लक्ष्मी की कृपा की भी जरूरत है। मोदी ने बिहार की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य के पास ज्ञान और गंगा दोनों है। मैं मां सरस्वती और लक्ष्मी दोनों को साथ-साथ चला रहा हूं। बिहार के पास सरस्वती की कृपा है। बिहार पर लक्ष्मी की कृपा भी हो सकती है। इसमें केंद्र पूरी तरह प्रदेश सरकार का सहयोग करेगा। पीएम मोदी ने आगे कहा कि बिहार को 2022 तक समृद्ध राज्य बनाना है।

दिमाग को खाली करने और खोलने की जरूरत
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि दिमाग को खाली करने की जरूरत है। देश की यूनिवर्सिटी को टीचिंग नहीं बल्कि लर्निंग प्रॉसेस पर ध्यान देने की जरूरत है। हमारी यूनिवर्सिटी में दिमाग खोलने और खाली करने का अभियान चलाया जाना चाहिए। तभी देश आगे बढ़ेगा। हमारी यूनिवर्सिटी में आने वाले हर नए विद्यार्थी के लिए चुनौती है कि पुराना सीखकर जो आए हैं उसे कैसे भुलाएं।

स्टार्टअप में भारत चौथे नंबर पर
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आने वाले युग की आवश्यकता की पूर्ति के लिए इनोवेशन पर ध्यान देना जरूरी है। मैं देश की सभी यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स और फैकल्टी से आवाहन करना चाहता हूं कि हमारे आसपास जो समस्या देखते हैं उसके समाधान के लिए इनोवेटिव और सस्ती टेक्नॉलजी ढूंढिए। इनोवेशन यानी नवाचार हर युग के लिए महत्वपूर्ण है। छोटे- छोटे इनोवेशन स्टार्टअप के रूप में हमारे देश को आगे ले जाएंगे। अभी स्टार्टअप में भारत चौथे नंबर का देश है। मोदी ने कहा कि दुनिया के वही देश आगे बढ़ते हैं जो नई सोच को बढ़ावा देते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भविष्य को देखते हुए संसाधन के बारे में सोचना समय की मांग है।


अब मेरा देश माउस से खेलता है
एक घटना का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं कुछ समय पहले ताइवान गया था। तब मैं सीएम नहीं था। वहां मेरे साथ एक इंटरप्रेटर रखा गया था। 10 दिन का टूर था तो रोजाना बातचीत के दौरान दोस्ती हो गई। एक दिन उसने मुझसे पूछा कि क्या हिंदुस्तान अब भी वैसा ही है सांप सपेरे वाला, मैंने कहा तब मेरा देश सांप से खेलता था अब माउस से खेलता है। वह समझ गया कि मैं टेक्नॉलजी की बात कर रहा हूं और खुश हुआ।

इस मौके पर नीतीश ने कहा कि प्रधानमंत्री के पटना आने से उन्हें बेहद खुशी है। सीएम ने पटना यूनिवर्सिटी का दर्जा बढ़ाकर केंद्रीय विश्वविद्यालय करने की भी मांग की।

 

 

बाढ़ से हुए भयंकर तबाही का मंजर देखने कल बिहार आयेंगें प्रधानमंत्री, जानिए कार्यक्रम

वैसे तो बिहार में बाढ़ हर साल आती है मगर इस बार बाढ़ ने बिहार में भयंकर तबाही मचाई है| सरकारी आंकरों के अनुसार बिहार में बाढ़ से करोड़ों लोग प्रभावित है, लाखों घर और परिवार तबाह हो चुकें हैं और सैकरों लोगों की जान जा चुकीं है| इस तबाही के मंजर को देखने खुद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल बिहार आ रहें हैं|

सीमांचल के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने वे 26 अगस्‍त को पूर्णिया आ रहे हैं। सुबह करीब 11:30 बजे वह पूर्णिया पहुंचेंगे|  वहां से वे सीमांचल के पूर्णियां, अररिया, किशनगंज और कटिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हेलीकॉप्‍टर से एरियल सर्वे करेंगे। फिर, पूर्णिया से ही दिल्ली लौट जाएंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय से आए कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी 26 अगस्त को दिल्ली से सुबह 10 बजे वायुसेना के विमान से सीधे पूर्णिया के चूनापुर हवाई अड्डा पर पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पूर्णिया हवाई अड्डा पर ही उनका स्वागत करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी पूर्णियां हवाई अड्डा से  वायुसेना के हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित पूर्णियां, अररिया, किशनगंज और कटिहार का एक घंटा तक एरियल सर्वे करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी उनके साथ रहेंगे।
प्रधानमंत्री पूर्णियां हवाई अड्डे पर ही राज्य के आला अधिकारियों के साथ बाढ़ पीडि़तों के लिए चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। वहीं पर उन्हें राज्य में बाढ़ से हुई क्षति के संबंध में एक मेमोरंडम दिया जाएगा। प्रधानमंत्री अपराह्न 12 बजे दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।

हालांकि पहले के कार्यक्रम के अनुसार, पूर्णिया में बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लेने के बाद उन्हें पटना आकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करनी थी| इसके बाद पटना से ही उन्हें नयी दिल्ली लौटना था| लेकिन, यह सूचना मिल रही है कि उनका पटना आना रद्द हो सकता है|हालांकि, इसकी अब तक आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है. फिर भी पटना में पीएम के आगमन से जुड़ी सभी तैयारियां रहेंगी, ताकि ऐन मौके पर पटना आने की स्थिति में प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की कोई कमी नहीं रहे|