अपने जन्मदिन पर मशहूर आईपीएस शिवदीप लांडे ने बिहार को किया याद, हुए भावुक

सही कहा गया है कि अच्छे लोगों को लोग कभी नहीं भूलते| उन्ही में से एक है बिहार कैडर के सबसे मशहूर और देश के सबसे इमानदार अफसरों में से एक आईपीएस शिवदीप लांडे| शिवदीप लांडे का एक साल पहले बिहार से महाराष्ट्र ट्रान्सफर हो गया चुका है मगर बिहार में आज भी लोग उनको याद करते हैं और उनकी मिशाल देते हैं| अभी शिवदीप लांडे मुम्बई के ऐंटि नार्कोटिक सेल के डिप्टी कमिश्नर हैं और आज उनका जन्मदिन है|

वह अभी मुंबई में हैं मगर आज उनके जन्मदिन पर पुरे बिहार से लोग उनको शुभकामना सन्देश भेज रहें हैं| सोशल मीडिया पर लाखों लोग उनको जन्मदिन की बधाई दे रहें हैं| बिहार से दूर जानें के बाद भी लोगों का यह प्यार देख खुद शिवदीप लांडे भावुक हो गएँ और “अपना बिहार” से खास बातचीत में उन्होंने बिहार के लोगों को धन्यवाद दिया और कहा –

वैसे मैं बचपन से ही अपना जन्मदिन नहीं मनाया है और न मानता हूँ मगर आज ढेर सारे लोगों का शुभकामना सन्देश मिल रहें हैं। एक साल पहले मेरा ट्रान्सफर बिहार से महाराष्ट्र हो गया मगर फिर भी बिहार से इतनी संख्या में लोगों का शुभकामना सन्देश देख लग रहा है जैसे मैं आज भी पटना में हूँ| बिहार के लोगों को इस प्यार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| बिहार मेरी कर्मभूमि रही है और मेरी हर सांस के साथ बिहार की यादें हमेशा जुड़ी रहेंगी|

शिवदीप लांडे को देखने के लिए लगी भीड़

गौरतलब है कि शिवदीप लांडे हमेशा अपने इमानदारी और बहादुरी के लिए पुरे देश में जानें जाते हैं। बिहार में रहते हुए उन्होंने कई एसा बहादुरी वाला काम किया है जिसे लोग आज भी याद करतें हैं| यही नहीं बिहार से जानें के बाद महाराष्ट्र में भी उन्होंने अपना यह काम जारी रखा है| बिहार में खनन माफिया के बाद उन्होंने मुंबई में ड्रग माफिया का जीना हराम कर दिया है और आय दिन उनकें कारनामें अखबारों की सुर्खियाँ बनती रहतीं हैं| लांडे ने दुसरे पुलिस अफसरों के लिए भी एक मिशाल कायम कर दिया है।

भले आज लांडे मुंबई में हैं मगर अभी भी लोगों को पूरी उम्मीद है कि 3 साल पुरे होनें के बाद बिहार का सिंघम फिर लौटेगा अपने कर्मभूमि बिहार|

फिर इस रियल लाइफ सिंघम ने याद किया बिहार को।

हर बार की तरह इस बार भी बिहार को याद कर रियल लाइफ सिंघम शिवदीप लांडे ने यह साबित किया कि बिहार उनके दिल में बस्ता है।

बिहार से जाने से पहले आपन बिहार से बातचीत के दौरान शिवदीप लांडे ने कहा था, कि ये पहचान हमें बिहार ने ही दिया है हमारी सांसे जब तक चलेगी दिल में रहेगा बिहार।

इम्फाल में चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में पहुंचे शिवदीप लांडे, चौराहे पर लगे एक बैनर को देखते कहा इस बैनर ने मुझे निःशब्द कर दिया है।

शिवदीप लांडे अपने facebook पोस्ट पर लिखते हैं:-

“HATE traffic police, Obey traffic rules”

आज इम्फाल के एक चौराहें पे लगे इस बैनर ने मुझे निःशब्द कर दिया ।

मुझे याद है जब मैं पटना में ट्रैफिक का जिम्मा लिए दिन भर चौराहों और गलियों में घुमा करता था। मेरे साथी ट्रैफिक पुलिस वाले सर्वदा बिना दिन या रात, बारिश या धुप, आँधी या ओले की परवाह किये, डट कर अपने कर्त्तव्य का पालन करते थे। मेरी एक महिला पुलिस साथी अपने प्रसव के 6 माह के बाद ही तेज़ धुप में यातायात को सामान्य कराने में लगी थी। क्या इतना जोख़िम और फ़र्ज़ के पीछे हमारा इतना दीवानापन केवल इस लिए है ताकि लोग हमसे “घृणा” (Hate) करें??

मैं आज निःशब्द हूँ, मुझे आज……..……………. ….………………………… …………………………………………..

जय हिन्द।

 

माह-ए-मुहब्बत 1: आगाज़ बिहार के हीरो एवं प्रसिद्ध आईपीएस लांडे की रियल प्रेम कहानी से

एक हट्ठा-कट्ठा, फिट-गबरू जवान, जीवन की कई कठिनाइयों से लड़ते हुए भारतवर्ष की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक को पास करता है। आईपीएस बनता है और बिहार में अपनी सेवा देना शुरू करता है। वो चाहता तो अन्य ऑफिसरों की तरह शांति से अपनी नौकरी के साथ जी सकता था। मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया।

एक सच्चे इंसान बनने की जो बीज परिवार ने बोई थी, उसके फलने-फूलने के दिन आ गए थे। वह नवजवान प्रसिद्ध होने लगा। जिस भी तरीके से हो सका, उसने अपना कर्तव्य निभाया। लड़कियों के बीच पूजा जाने लगा। माफियाओं में खलबली मचा के रख दी। दुश्मन बढ़ते गये, उससे कई गुना अधिक चाहने वाले बढ़ते गये। किसी ने ‘सिंघम’ कहा, किसी ने ‘दबंग’।

ये था हीरो का इंट्रोडक्शन। हर बड़े होते बच्चे की तरह ये हीरो भी अपने माता-पिता का बड़ा होता बच्चा था। हीरो की हिरोइन भी तो उसी टक्कर की होनी चाहिए थी। हीरो जानता था कि उसके इस अव्यवस्थित और असुरक्षित जीवनशैली के बीच कौन लड़की अपने जीवन की सुरक्षा तलाश करेगी! बस इसी सोच ने उसे शादी-विवाह के बारे में सोचने से दूर रखा हुआ था।

खैर! हर अभिभावक की तरह हीरो और हीरोइन के अभिभावकों ने भी दोनों को मिलवाने का कार्यक्रम तय कर रखा था। दोनों मिलते हैं।

पहली ही मुलाक़ात की पहली ही वार्ता में हीरो कहता है, “मैं नहीं जानता अपनी ज़िंदगी में मैं क्या करने वाला हूँ। हर रोज़ नये चैलेंज से खेलना ही मेरा शौक है। जरूरी नहीं आपकी हर मुश्किल घड़ी में आपके साथ रह पाऊँ। मैं देश-सेवा की जिम्मेदारी को सबसे ऊपर रखता आया हूँ, अपनी जान से भी ऊपर। क्या आप ऐसे लड़के के साथ अपना जीवन देखती हैं?”

इतना कहने के बाद, लड़के को पूरी उम्मीद थी कि लड़की पीछे हट जाएगी। फिर कोई शादी की बातें नहीं करेगा। आखिर कौन सी लड़की ऐसे लड़के के साथ ज़िन्दगी बसर करना चाहेगी जिसके हज़ारों दुश्मन हों, जिसकी ज़िन्दगी पर हर वक़्त खतरा मंडराता हो, जिसकी ज़िन्दगी असुरक्षित हो!

मगर वो लड़की भी क्या लड़की होगी जो सच्चाई से कही गयी बातों के भाव न समझ सके! वो लड़की भी तो पेशे से डॉक्टर थी, चैलेंज लेना तो उसे भी भाता था। आत्मनिर्भर वो लड़की भी दिल से समाज के लिए सेवा-भाव रखती थी। इस जमाने में जिसे सच्चा प्रेम और भरोसेमंद दोस्त मिल रहा हो, वो अपने जीवनसाथी में और क्या तलाशे। बिना एक पल भी गवाये उस लड़की के दिल ने हीरो की सच्चाई स्वीकार ली और जवाब ‘हाँ’ में ही दिया।

बस वो पहली मुलाक़ात ही प्रेम की वो डोर साबित हुई जिसके सहारे दोनों बंधते और बढ़ते चले गए।

आज इस दंपति के दाम्पत्य जीवन की चौथी वर्षगाँठ है। आज वसंत पंचमी का महोत्सव है, और आज ही से शुरू हो रहा है माह-ए-मुहब्बत में हमारी कहानियों का सिलसिला।

ये कहानी किसी और की नहीं, बिहार, बल्कि देश के सबसे प्रसिद्ध आईपीएस ऑफिसरों में शुमार होने वाले आईपीएस शिवदीप लांडे और उनकी पत्नी श्रीमती ममता शिवतारे (Mamata Shivtare) की प्रेम-कहानी का एक छोटा सा अंश मात्र है। दोनों के अंदर समाज की अपने-अपने स्तर से सेवा का जो भाव है, शायद इसी ने दोनों के दिल मिलाये। श्रीमती लांडे स्वयं भी गरीब बच्चियों की शादी करवाने की जिम्मेदारी का वहन करती आई हैं।

ये दोनों ही सुखी समाज की कल्पना करते हैं। गाहे-बगाहे शिवदीप लांडे के फेसबुक प्रोफाइल पर इनकी बेटी ‘अरहा’ की तस्वीरें आती रहती हैं, जिसमें अपने माता-पिता की जिंदादिली, वीरता और समाज के प्रति समर्पण की झलक भी साफ़ दिखती है। इस दंपति को आजीवन स्वस्थ, सुखी और समृद्ध होने की शुभकामनायें।


नोट- प्रस्तुत कहानी स्वयं श्री शिवदीप लांडे द्वारा आपन बिहार से हुई वार्तालाप में साझा की गयी है। आपके पास भी हो अपनी या अपनों की ऐसी ही कोई प्रेम कहानी तो लिखिए और भेजिए हमें, पढ़ेगा पूरा बिहार। हमारा पता है- [email protected]

बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी प्रसि़द्ध आईपीएस शिवदीप लांडे का हो रहा चर्चा

बिहार कैडर के प्रसिद्ध आईपीएस शिवदीप लांडे बिहार के बाद महाराष्ट्र में भी अपने अनोखे अंदाज के लिए चर्चा में है ।

जिस देश में एक साधारण दरोगा भी सार्वजनिक परिवहन के साधनों का उपयोग करना अपने शान के खिलाफ समझते हैं वहीं आईपीएस शिवदीप लांडे आज कल मुंबई की लाईफ लाईन माने जाने वाली लोकल ट्रेन से आम लोगों के तरह सफर कर रहे है। हाल ही में उन्होंने अपने अधिकारिक फेसबुक एकाउंट पर एक सेल्फी पोस्ट किया है।

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फोटो में आप देख सकते है शिवदीप लांडे आम लोगों के साथ खचाखच भरे ट्रेन के बोगी में सफर कर रहे है। शिवदीप लांडे खुद बहुत गरीबी से आए हुए है और वें न सिर्फ आम लोगों के दुख-दर्द और परेशानियों को समझते है बल्कि उनको उसका अनुभव भी है और उसको महसूस भी करते है । इसलिए शायद वह खुद को आम लोगों से इतना जोड़ पाते है और उनमें में इतना लोकप्रिय है।

इस पर काफी लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है । बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक और वरिष्ठ आईपीएस अरविंद पांडे ने भी पोस्ट पर कमेंट कर लिखा कि

” आप सिर्फ पुलिस अफसर ही नहीं बल्कि सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए आदर्श है. . “

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ज्ञात हो बिहार कैडर के आईपीएस शिवदीप लांडे को हाल ही में तीन साल के प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र भेजा गया है । शिवदीप लांडे को बिहार का सिंघम कहा जाता है । बिहार में अपने कई कारनामों के लिए प्रसिद्ध है और देश के टॉप 10 इमानदार अफसरों में शामिल है।

महाराष्ट्र पुलिस के यूनिफार्म में

महाराष्ट्र पुलिस के यूनिफार्म में

बिहार से विदा लेते हुए शिवदीप लांडे हुए भावुक, कहा “मेरी हर सांस के साथ बिहार की यादें जुड़ी रहेंगी..

आखिरकार आज बिहार पुलिस के सबसे मशहूर एसपी शिवदीप लांडे का नम आखों के साथ विदाई हो गई। उनको तीन साल तक महाराष्ट्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है।

एयरपोर्ट पर उनके आने से पहले ही युवाओं का हुजूम फूल, माला औ और गुलदस्ता के साथ शिवदीप लांडे का इंतजार कर रहा था। लोगों के चेहरे पे उदासी और उनके जाने का गम चेहरे पर साफ झलक रहा था। अपने प्रति लोगों के अपार प्रेम देख और अपने कर्मभूमि बिहार को छोड़कर जाने का दर्द को वह भले काले चश्मा लगा के छुपाने में सफल हो गये मगर बिहार से जाने के बाद अपने भावना  को ज्यादा देर तक छुपा न सकें और अपने अधिकारिक फेसबुक आईडी से पोस्ट कर सबके सामने जाहिर कर दिये ।

“मैं  आज न चाहते हुए भी खुद को भावुक होने से न रोक सका, पर मेरे इस काले चश्मे ने मेरे नम आँखों को सबके सामने आने से रोक लिया। मुझे लोगों ने हमेशा एक टफ़ छवि में देखा है और मैं वैसा ही वहां से विदा होना चाहता था। बिहार मेरा परिवार है, सभी बिहारी मेरे दिल में बसते हैं और मैं वापस आकर अपने परिवार की हिफाज़त करता रहूँगा।”

-शिवदीप  

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माहौल पूरा इमोशनल था । एक पुलिस अफसर के लिए लोगों की यह दिवानगी शायद ही कभी दिखा होगा।

शिवदीप लांडे ने जाने से पहले “आपन बिहार” के कामों का सराहना किया तथा “आपन बिहार टीम” को शुभकामना दी और कहा आपन बिहार ने हमेशा मेरे एसटीएफ एसपी होने के तौर पे साथ निभाया है और जो भी महत्वपूर्ण अॉपरेशन हुए हैं उसको लोगों के सामने लाया है। उन्होंने कहा “जब-तक मेरी सांसे चलती रहेगी.. हर सांस के साथ बिहार की यादें जुड़ी रहेंगी”.

शिवदीप लांडे हमेशा अपने इमानदारी और बहादुरी के लिए बिहार में याद किये जायेंगे । उन्होंने दुसरे पुलिस अफसरों के लिए भी एक मिशाल कायम कर दिया है। इसमें  तो कोई दो राय नहीं कि बिहार ने एक बहादुर और ईमानदार अफसर को खो दिया।

लोगों को पूरी उम्मीद है कि 3 साल बाद बिहार का सिंघम फिर लौटेगा ।

कानून का एक सच्चा सिपाही उम्मीदों के शहर से अधूरी ख्वाहिश लेकर विदा हो गया!

पिछले 12 वर्षों से टीवी पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हूँ। जिले से लेकर राजधानी तक का एक छोटा सा सफर तय कर लिया जिस दौरान कई अनुभवों के साथ खट्टी मीठी यादें भी जुड़ गयी। एक अध्याय आईपीएस शिवदीप लांडे से भी जुड़ा है जिनके अंदाज से भले ही अपराधी और माफिया खौफजदा होते थे लेकिन पत्रकारों की नजर में इनकी बाजीगरी खबर बन जाती थी लेकिन आज नम आँखों से बड़े ही अफ़सोस के साथ कहना पर रहा है कि अब ऐसे ऑफिसर हम सबके बीच से यानि बिहार की सरजमीं से विदा हो गए और महाराष्ट्र के सफर पर निकल पड़े। इस ऑफिसर का गुनाह क्या था? ये हम नही जानते लेकिन इतना तय है कि सुर्ख़ियों में यूँ ही कोई नही आता बल्कि कुछ तो काम करना पड़ता है। लांडे ने भी खनन माफिया, अपराधी, नक्सलियों और सफेदपोश को बेनकाब करने की बीड़ा उठा ली थी और अंजाम कुछ भी हो इस ऑफिसर को परवाह नही होती थी।मिला क्या तो सियासत से इनाम की जगह सेंटिंग पोस्ट की सजा क्योंकि हुक्मरानों को ईमानदारी और वफ़ादारी हजम नही होता। आज लांडे की विदाई हो गयी लेकिन चर्चे नही हुए ,हमें शर्म आती है कि हमेशा सुर्ख़ियों में रहनेवाले की विदाई एक गुमनाम मुसाफिर की तरह हुई, अधिकारियों से लेकर समाजसेवियों और सियासत के रहनुमाओं के पास वक्त नही था या फिर बिहार की राजधानी पटना में फूलों की माला ख़त्म हो गयी थी। चला चली की उस बेला में शुक्र था कि मेरी मुलाकात इस ऑफिसर से हो गयी और कुछ बाते चलते चलते सुन लिये और एक तस्वीर भी खिंचवा लिए ताकि कोई बेईमान और चाटुकार अफसरों की कार्यप्रणाली से दीदार होना पड़े तो ये तस्वीरें ईमानदारी की गवाही देगी।चाणक्य की पंक्ति है कि किसी भी ब्यक्ति को अधिक ईमानदार नही होनी चाहिए क्योंकि सीधे पेड़ सबसे पहले काटे जाते है शायद लांडे के साथ भी यही हुआ क्योंकि एक ईमानदार ब्यक्ति ना तो प्रकाश से डरता है ना ही अंधकार से। सिटी एसपी हो या एसपी फिर प्रभारी एसएसपी चाहे एसटीएफ एसपी या गवर्नर एडीसी सभी जगहों पर अच्छे कार्यों से लांडे ने पहचान बनाई और लोगों के दिलो पर राज किया।ऐसे ऑफिसर का मनोबल तोडना मतलब अपराध को बढ़ावा देना, अपराधियों को सहानुभूति मिलना, माफियाओ का दबदबा बढ़ाना नही तो और क्या है। जब भी बड़े माफियाओं ,गुंडे के गिरेबां तक लांडे के हाथ पहुँचते थे सियासत में भूचाल मच जाती थी और इस ऑफिसर का ट्रांसफर पोस्टिंग कर तुरंत ही ठिकाना लगा दिया जाता था लेकिन आग और हवा को कब तक कैद रखोगे आखिर यही हुआ लांडे ने बिहारी सिस्टम से तौबा करने का जिद ठाना और महाराष्ट्र सरकार ने लांडे की सेवा पर मुहर लगा दी जिसके बाद आज बिहार के गृहविभाग ने विरमित होने की स्वीकृति दे दी और कानून का ये जावाज सिपाही हँसते हँसते बिहार की सरजमी से विदा हो गया और कई यादे छोड़ गया।ऐसे ऑफिसर और भी है जो अच्छे कार्यों का परिणाम भुगत रहे है क्योंकि उनके भी बुलंद चट्टानी इरादों को सियासत के सौदागरों ने तोड़ का रख दिया है अब ऐसे में बेचारे सिस्टम से लड़े तो कैसे लड़े,आईपीएस विकास वैभव की बात कर रहा हूँ जिनकी सादगी,शालीनता और पुलिसिंग किसी से छुपी नही है। मुझे जो कहना था कह दिया लेकिन सरकार अपने कर्मों का फल भुगत रही है और जनता चोट खा रही है अब भी अगर हीरे को नही तरासोगे तो मिटटी की तरह इंसानियत भी बेजान हो जायेगी और एक दिन कानून बेजान होकर खिलौना बन जायेगा और अपराध हम सभी के जीने का अधिकार छीन लेगा।

 

रजनीश कुमार (ETV, Bihar)

कल बिहार से विदा लेंगे बिहारी सिंघम शिवदीप लांडे, लोग हुए भावुक

बिहार में अपराधियों की नाक में दम करने वाले 2006 बैच के आइपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे 3 साल के लिए महाराष्ट्र जा रहे है. अब बिहार में रियल लाइफ के सिंघम शिवदीप लांडे का खौफ नहीं दिखेगा. लड़कियों के बीच इनका क्रेज हीरो जैसा था. उन्हें लड़कियों के हजारों लव मैसेज मिलते थे. बिहार सरकार ने महाराष्ट्र में उनकी प्रतिनियुक्ति को मंजूर कर लिया है. शिवदीप गुरुवार यानि कल  पटना से मुंबई के लिए निकलेंगे.

बिहार में खाकी वर्दी में रियल सिंघम नाम से चर्चित आईपीएस शिवदीप लांडे महाराष्ट्र में सेवा देने जा रहे हैं. इसकी चर्चा मात्र से अपराधियों में खुशी है तो लड़कियों में उदासी का माहौल है. विदित हो कि अपराधियों पर लगाम लगाने वाला वर्दी वाले इस हीरो के पीछे लड़कियां दीवानी रही हैं. उन्हें लड़कियां लव मैसेज भेजती रहीं हैं, हालांकि वे शादीशुदा है. इनके जाने से पुरे बिहार के लोग उदास है वही आज इनके टीम यानि एसटीएफ के सदस्य “अपना बिहार” से बात करते-करते भावुक हो गए. उनका कहना था कि शायद ही ऐसे साहब से अब आएंगे.

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शिवदीप लांडे ने अपना बिहार से कहा कि यहां के युवाओं में काम करने का जो जज्बा है वह किसी और प्रदेश में देखने को नहीं मिलता. मुझे जो काम दिया गया उसे मैंने पूरी ईमानदारी से पूरा करने का प्रयास किया. मेरी कोशिश थी कि जो कोई मेरे पास आए उसे पूरा न्याय मिले.

 

गौरतलब हो कि बेहद कड़क और अपराधियों के नंबर वन दुश्मन के रूप में जाने पहचाने गए अधिकारी हैं. शिवदीप ने पटना में अपने खास अंदाज में काम कर अपराधियों पर नकेल कसी. इसी कारण उन्हें ‘सिंघम’ के नाम से भी बुलाया जाने लगा. उन्होंने रोहतास में अवैध खनन के कारोबार को ध्वस्त कर दिया तथा मुंगेर, अररिया व पूर्णिया में भी अपराधियों के नाक में दम कर दिए. शिवदीप लांडे का नाम देश के टॉप टेन ईमानदार ऑफिसर के लिस्ट में हैं. शिवदीप अपने पेमेंट के 60% हिस्सा एनजीओ को दान में देते हैं.

 

शिवदीप लांडे अपने ऑफिसियल फेसबुक आईडी पर भी लिखा… 

‘बिहार’ ये महज़ एक राज्य का नाम नहीं है मेरे लिए पर मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा और प्रिय अंश है। हम कहाँ और किसके यहाँ पैदा हो ये हमारे वश में नहीं, हमारा नाम भी हमारे होश के पहले तय कर दिया जाता है। बचपन का पहला समझ आने पे हम देश, राज्य, धर्म और विश्वाशों के बीच में खुद को पाते हैं।

बचपन से ही मुझे कुछ अलग हट कर करने का जुनून था। अत्यंत आभाव था घर में पर वो मजबूरियाँ भी कभी मेरे पैरों की बेरियाँ बनने की सफलता नहीं पा सकी। महाराष्ट के एक प्रसिद्ध कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी और फिर I.R.S. का पदभार भी मुझे बहुत दिनों तक रोक नहीं पाया। 2006 में I.P.S. की सफलता और फिर बिहार को बतौर राज्य मिलना मेरे जीवन का लक्ष्य तय करने वाला था।

बिहार ने मुझे इन आठ वर्षों के नियुक्ति में मुझे बहुत सारे याद संजोने को दिया है। मुंगेर से तबादले के बाद 6 k.m. तक फूलों से विदा करना, भीषण ठण्ड में पटना से मेरे तबादला में लोगो का भूख हड़ताल, अररिया से तबादले पे मुझे 48 घंटों तक लोगो ने मुझे जिला से बाहर न जाने दिया, रोहतास में पत्थर माफियों के खिलाफ मेरे मुहीम में सबका मेरा साथ और अनेकों मौकों पर सबका मेरे साथ खड़ा होना शायद हमेशा मेरे दिल में रहेगा। अनेकों बार मुझपे जानलेवा हमले हुए लेकिन फिर भी अगर मुझे बिहार के रक्षा में अपनी जान भी देनी होती तो शायद बहुत कम होता।

मेरी नियुक्ति जहाँ भी रही मुझे लोगों ने अपनाया है। मैं अपने अभिवावक तुल्य मेरे सीनियर्स, मीडिया के भाई, मेरे साथ काम कर रहे मेरे मित्र और मेरे सम्पूर्ण परिवार बिहार की जनता का मैं पुरे दिल से धन्यवाद देता हूं। मीडिया के भाइयों ने कभी मुझे ‘दबंग’, ‘सिंघम’, ‘रोबिन हुड’ और न जाने कितने उपनाम दिए पर मुझे ख़ुशी है कि मेरे मित्रों ने मुझे मेरे मेरे ‘शिवदीप’ नाम से बुलाना ज्यादा पसंद किया है। मैं हमेशा आपका अपना शिवदीप ही रहना चाहता हूँ।

मेरा प्रतिनियुकी आज अगले तीन वर्षों के लिए महाराष्ट हुआ है। जब मैंने पुलिस सर्विश को अपनाया तो फिर केंद्र सरकार के आह्वाहन पे मुझे कहीं भी अपना फ़र्ज़ को निभाना होगा। मैं जन्म से शायद महाराष्ट का हूँ पर अपने कर्म और मन से पूरा बिहारी हूँ। बिहार की शान को बढ़ाना ही मेरा शौभाग्य होगा।

जय हिंद।।

पत्रकार राजदेव रंजन के हत्या के बाद बिहार में फिर एक पत्रकार की हुई गोली मार के हत्या

सीवान में पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या की आग अभी बुझी भी नहीं थी कि बिहार के रोहतास जिला के दैनिक भास्कर के पत्रकार को गोली मार के हत्या कर दी

सासाराम के धर्मेंद्र सिंह नाम के पत्रकार सुबह घर के पास ही चाय की दुकान पर चाय पी रहे थे, तभी एक बाइक पर सवार तीन लोगों ने उन्हें मार दी। फायरिंग के बाद तीनों मौके से फरार हो गए।

सूत्रों के मुताबिक, धर्मेंद्र अवैध खनन करने वाले माफियाओं के निशाने पर थे। वे लगातार जिले में खनन माफियाओं की पोल खोल खोल रहे थे और साथ ही माफियाओं और पुलिस गठजोड़ की पोल खोल कर रहे थे और उनके अवैध खनन पर खबरों की सीरीज चला रहें थे।

ज्ञात हो कि रोहतास जिले में खनन माफियाओं पर लगाम लगाने पर सरकार और प्रशासन नकाम रही है।
दो साल पहले रोहतास के तत्कालीन एसपी शिवदीप लांडे ने अपने कार्यकाल में रोहतास के साथ-साथ आसपास के कई जिलों में पत्थर के अवैध खनन को बंद करा दिया था। इस दौरान उनपर भी जानलेवा हमला भी हुआ था मगर पत्थर माफियाओं पर पुलिस की सख्ती नहीं रूकी तो पत्थर माफियाओं के दबाव में सरकार ने उनका ट्रांसफर कर दिया ।

 

इस हत्याकांड के बाद सासाराम में पत्रकारों के बीच काफी नाराजगी है। गौरतलब है कि 13 मई को बिहार के सीवान में भी पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस हत्या के तार गैंगस्टर और आरजेडी नेता शहाबुद्दीन से जुड़े थे।

बिहार पुलिस के जांबाज और लोकप्रिय अफ़सर शिवदीप लांडे की विदाई बिहारियों को मंजूर नहीं

कहते हैं ज्ञान, अच्छाई और वीरता की कद्र हर जगह होती है| अमूमन ये तीनों गुण किसी इंसान में एक साथ पाया जाना मुश्किल है, और इन तीनों गुणों के साथ अपनी पहचान बना पाना तो समुद्र में मोती ढूंढने जितना मुश्किल| सवाल यहाँ ये भी है कि क्या जनता के साथ हमारी सरकारें भी इन गुणों का उचित सम्मान कर पा रही है?

अभी कुछ दिनों पहले बिहार कैडेट के लोकप्रसिद्ध और सबसे सफल नायक और आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे

फेसबुक लाइव के जरिये अपने फ़ॉलोवर्स से जुड़ते हैं और पता चलता है कि ये भारत में अब तक का तीसरा सबसे सफल लाइव आयोजन रहा| अद्भुत बात ये भी रही कि एक सरकारी अधिकारी होते हुए भी, शिवदीप लांडे के लिए एक भी नकारात्मक कमेंट नहीं आया|

अपना  बिहार  द्वारा किये गये एक ऑनलाइन सर्वे  में 100% लोगों ने कहा कि शिवदीप लांडे को बिहार से बाहर नहीं जाने देना चाहिए| यह भी शायद एक अजूबा रिकॉर्ड ही है जब 100% लोग किसी अफसर की प्रतिनियुक्ति को गलत ठहरा रहे हों|
इनके द्वारा किये गये कार्यों की सूची बनाना उद्देश्य नहीं, न ही यहाँ मकसद किसी की तारीफ़ करना ही है, बल्कि इस ओर इशारा करना है कि आमजन तक इतनी सकारात्मक पहुँच रखने वाले अफसर को अब 3 साल की प्रतिनियुक्ति पर जाना पड़ रहा है| वजह और फैसला राजनैतिक रंजिश का हो सकता है, सामूहिक दबाव का हो सकता है, जन्मभूमि की पुकार हो सकती हैं, या व्यक्तिगत/ निजी ख़्वाहिश भी हो सकती है, मगर ये बिहार में कानून का राज स्थापित करने के वादे के साथ आई सरकार के लिए सही नहीं लगता| 

लोगों से घिरे शिवदीप लांडे

लोगों से घिरे शिवदीप लांडे

ऐसा नहीं कि शिवदीप लांडे ने अकेले पूरे बिहार में कानून का राज स्थापित करने का बीड़ा उठाया था| वो खुद भी हमेशा ये श्रेय लेने से इंकार करते रहे हैं| लेकिन जब अग्रणी अफ़सर ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ हो, अपने काम की जिम्मेदारी समझने वाला हो तो निश्चित तौर पर उनके निर्देशन में अच्छे काम ही होंगे, और अब तक ऐसा होते भी आया है| उनकी सकारात्मक ऊर्जा ने प्रशासन के चेहरे से कलंक को साफ़ तो किया ही, साथ ही छवि में सुधार लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी| उनके साथियों के लिए प्रेरणादायक रहे हैं वो| प्रशासन व्यवस्था में ईमानदार लोगों के संबल हैं वो| ये संबल जितना कमजोर होगा असामाजिक तत्वों का संबल उतना ही मजबूत होता जायेगा|

शिवदीप लांडे अक्सर कहते हैं कि उनके लिए पूरा देश उनकी कर्मभूमि है, और पूरे देश को वो एक सामान ही देखते हैं|

जैसा कि हमसब जानते हैं वो महाराष्ट्र से ताल्लुक रखते हैं, मगर बिहार के प्रशासनिक खेती को उन्होंने उसी तत्परता से सींचा है| शिवदीप लांडे ने अबतक अपनी प्रतिनियुक्ति के विषय पर कुछ नहीं कहा है| लेकिन ये टिस तो सभी समझ सकते हैं जब किसी को उसकी कर्मभूमि, जिसकी वजह से उसकी पहचान है, से अकारण कहीं और जाने को विवश होना पड़े| शिवदीप लांडे के समर्थन में आज सारा बिहार उठ खड़ा हुआ है| सभी जानते हैं, उनका यहाँ से जाना बिहार में जंगलराज होने की आहट देता है| उनका जाना बिहार से सुरक्षाकवच के उतारे जाने जैसा है| उनका जाना कुछ ‘खास’ लोगों के लिए अच्छा हो भी सकता है, मगर ये उनके लिए बिलकुल सही नहीं जो बिहार का रखवाला होने का दंभ भरते हैं|
ज्ञान, अच्छाई और वीरता का सम्मान करना जिसे भी आता है वो ऐसे अफसरों को हमेशा अपने आस-पास देखना चाहेंगे| मगर ऐसे अफसर कहाँ रहें, ये फैसला राजनैतिक हो जाना एक गंभीर विषय है|

शिवदीप लांडे का बिहार से जाना दुखद है| बिहार इनके कार्यों को याद रखेगा| उम्मीद है इनके संगत में कुछ और फ़ौज तैयार हुई होगी जो इनके कार्यों को आगे बढ़ाएगी| बिहार इन्तेजार करेगा अपने सफलतम आईपीएस को पुनः इस धरती पर कार्य करते देखने के लिए और शुभकामनाएँ हैं आप जहाँ भी रहें, निरंतर सकारात्मक माहौल देते रहें|

बिहार पुलिस की शान शिवदीप लांडे जा रहे है बिहार से !

अपने इमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, बहादुरी और समाज सेवा के लिए प्रसिद्ध बिहार पुलिस के जाबाज आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे बिहार से विदा लेने वाले है।  महाराष्‍ट्र आईपीएस लांडे का गृह प्रदेश है । नई दिल्‍ली से मिल रही खबरों के मुताबिक होम मिनिस्‍ट्री ने लांडे को महाराष्ट्र भेजने का निर्णय लिया है। अब मात्र बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही शिवदीप लांडे जैसे बहादुर अफसर को बिहार में रोक सकते है। फैसला मुख्यमंत्री के हाथ में है।

 

गौरतलब है कि शिवदीप लांडे का नाम देश के 10 सबसे इमानदार अफसर के रूप में आता है। शिवदीप लांडे सिर्फ बिहार पुलिस की पहचान ही नहीं बल्कि बिहार पुलिस का ब्रह्मास्त्र है जिसके पहुंच से कोई भी अपराधी दूर नहीं । बिहार के अपराधियों और अंडरवर्ल्ड में जहाँ शिवदीप लांडे के नाम का आतंक है तो बिहार के जनता में उनके लिए सम्मान और प्यार है।

इस अफसर के इमानदारी और बहादुरी के लिए  जहाँ उन्हें सरकार को इसका ईनाम देना चाहिए तो वही सरकार ने इस ईमानदार अफसर को राजनीतिक कारणों से बार-बार परेशान और उपेक्षित करने का काम किया है।

शिवदीप लांडे बिहार पुलिस की शान है। बिहार को ऐसे इमानदार अफसरों की जरूरत है । उम्मीद है की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी अंतर आत्मा की बात सुनेंगे और शिवदीप लांडे को बिहार से नहीं जानें देंगे।

शिवदीप लांडे के टीम ने कटिहार से अगवा कारोबारी की पुत्री स्पर्श उर्फ छवि को नेपाल से बरामद किया

देश के सबसे इमानदार अफसर में शुमार बिहार पुलिस के जबाज आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे और उनकी एसटीएफ की टीम ने फिर कमाल कर दिया है।

पुरे कटिहार में ख़ुशी का माहौल. बिहार में कटिहार से अगवा कारोबारी की पुत्री स्पर्श उर्फ छवि अग्रवाल को एसटीएफ की टीम ने नेपाल पुलिस की मदद से विराटनगर से बरामद कर लिया है. अपहर्ताओं ने उसकी फिरौती के लिए 25 करोड़ रुपये की मांग की थी. डीआइजी पीके ठाकुर ने स्पर्श की बरामदगी की पुष्टि करते हुए बताया कि वह सकुशल है.

मालूम हो कि पांच दिनों पूर्व अपहरणकर्ताओं ने स्पर्श उर्फ छवि को कटिहार में स्कूल से लौटते वक्त अगवा कर लिया था. स्पर्श कटिहार के कुर्सेला पेट्रोल पंप मालिक भानु अग्रवाल की बेटी है. पूर्व सांसद के बेटे ने कारोबारी से उसकी रिहाई के बदले 25 करोड़ रुपये की मांग की थी. पुलिस एसडीपीओ लालबाबू यादव के मुताबिक इस केस में पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश यादव के पुत्र संतोष यादव और उसके एक साथी सुनील ने स्पर्श के अपहरण के बाद उसके पिता भानु अग्रवाल से मोबाइल पर फोन कर पच्चीस करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी. इस बात की सूचना मिलने पर पुलिस छानबीन में जुट गयी थी.स्पर्श की बरामदगी के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बच्ची की बरामदगी के लिए एसटीएफ को भी लगा दिया था. एसटीएफ की टीम एसपी शिवदीप लांडे के नेतृत्व में बच्ची की बरामदगी के लिए नेपाल पहुंच कर लगातार छापेमारी कर रही थी. स्पर्श की बरामदगी के लिए एसटीएफ टीम को लगाये जाने से लोगों व परिजनों की उम्मीद जगी थी कि जल्द ही उनकी बच्ची को बरामद कर लिया जायेगा. एसटीएफ एसपी शिपदीप लांडे को तेजतर्रार एसपी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कई बड़े मामलों का खुलासा भी किया है.

जब से एसटीएफ का कमान शिवदीप लांडे के हाथों में गया है तब से एसटीएफ बिहार पुलिस के लिए सबसे बडा हथियार बन के उभरा है।  अपराधियों के बिच शिवदीप लांडे के नाम का आतंक कायम हो रहा है।  अपराधी क्राईम कर कहीं भी छुप जाए एसटीएफ की टीम उसे खोज दबोच ही लेती है।

इस बच्ची को गोद लेने के बाद एसपी शिवदीप लांडे के आखें नम हो गई.

पटना: किसी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है।  सभी लोग एक ही समाज में रहते है मगर सबकी पहचान अलग-अलग होता है।  कोई अपने बुरे कर्मों के लिए चर्चा में होता है तो कोई उसके द्वारा किये गये अच्छे कामों के लिए चर्चा में रहता है। 

 

ऐसे ही चर्चा में रहने वालों में एक नाम है बिहार पुलिस का जबाज अफसर एसपी शिवदीप वमन लांडे।जो हमेशा अखबासुर्खियों में रहते है,  कभी अपने बहादुरी और ईमानदारी के लिए तो कभी अपने समाज सेवा के लिए।

 

अनाथ बच्चों के साथ लांडे

अनाथ बच्चों के साथ लांडे

 

जी हाँ,  बिहार पुलिस का यह एसपी सिर्फ अपराधियों को पकड़ता नहीं है बल्कि समाज सेवा के लिए भी हमेशा तत्पर रहता है।  आप में से बहुत कम लोगों को ही यह पता होगा की शिवदीप लांडे खुद गरीबी से निकले हुए है।  वह गरीबी के दंश को जानते है और उसको महसूस करते है।  इसीलिए हमेशा गरीबों के मदद के लिए वह तैयार रहते है।

 

शिवदीप लांडे पने कुल वेतन का 60%  NGO को दान कर देते है जो गरीब-अनाथ बच्चों को आसरा प्रदान कराता है और गरीब लड़कियों के शादी करवाता है।

 

शिवदीप लांडे कहते है कि “बकरीकी चोरी की शिकायत करने वाली एक सत्तर साल की वृद्धा कड़कती ढंड में थाने और एसपी दफ्तर के चक्कर लगा रही है तो बात बकरी की चोरी की तक ही सीमित नहीं है। संवेदनशीलता यह समझने की है कि उसकी बकरी नहीं बल्कि उसकी पूरी आजीविका ही चोरी हो गई है। हर कोई अपने स्तर से समाज के लिए कुछ कर सकता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप पुलिस सेवा में हों। कोई विद्यार्थी यदि किसी वृद्ध या लाचार को सड़क पार करने में मदद करता है तो यह भी बड़ी समाज सेवा है।”

 

इसी सब के कारण शिवदीप लांडे और सब पुलिस अफसर से काफी अलग है और बिहार में सबसे अलग है।  बिहार के युवा लांडे को अपना आदर्श मानते हैं और उनके जैसा बनने का सपना देखते हैं तो माता-पिता भी अपने संतान को लांडे जैसा बनाना चाहते हैं।

 

एक शिशु का नाम रखते हुए

एक बच्ची का नामाकरण करते हुए

 

हाल ही में  कार्यालय के बाहर एक पिता अपने नवजात बच्ची के साथ आया इस उम्मीद से की लांडे उसका नामकरण करे। ताकि वो उनके जैसी बन सके।  खुद लांडे उस पल भावुक हो गये।

वे कहते है  ‘ 

अनेकों उदाहरणों के बीच हम बड़े होते हैं। कुछ हमारे अतीत से और कुछ हमारे बीच से । इन सब सच्चे-झूटे उदाहरणों के साथ हम अपनी भी एक अलग दुनिया बनाते हैं। एक ऐसी दुनिया जहाँ हम अपने हीरो जैसा बनना चाहते हैं। सबसे अच्छा और सबसे अलग। हम लगातार कोशिश भी करते हैं अपने उस सपने की दुनिया को इस दुनिया में जीने का ।

पर दोस्तों, सबसे सुकून तब लगता है जब कोई आपको बोले की आप उनके उदाहरण हो, कोई आप जैसा बनना चाहता है, कोई अपने बच्चे को आपके जैसा बनाना चाहता है। यकीन मानिये जब मेरे कार्यालय के बाहर एक पिता अपने नवजात बच्ची के साथ आया इस उम्मीद से की मैं उसका नामकरण करूँ ताकि वो मेरे जैसी बन सके तब न चाहते हुए भी मेरे आखों में नमी आ गयी थी। मेरे को लगा की शायद मैंने अभी तक अपने वसूलों पे चल कर सही किया है, आज शायद मेरी माँ के संस्कार और तपस्या सार्थक हुआ है।

 

Real Hero: एसपी शिवदीप लांडे को सिर्फ देखने के लिए लोग दौड़ पड़े…

भागलपुर: शिवदीप लांडे का रूतवा किसी फिल्मी हिरो से कम नहीं है बिहार में।  अपने ईमानदार और बहादुरी के लिए तो चर्चा में रहते ही है साथ ही बेसहारे लोगों के मदद करने के लिए हर समय तत्पर रहते है।  अपराधियों के दुश्मन है और बेसहारे लोगों का सहारा है लांडे। 

 

शिवदीप लांडे को देखने के लिए लगी भीड़

शिवदीप लांडे को देखने के लिए लगी भीड़

कल (28 मई) को भागलपुर जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करने शनिवार को एसटीएफ एसपी शिवदीप लांडे पहुंचे.  वहां के लोगों ने उनका स्वागत दिल खोल कर किया।  लोगों का उत्साह देख लांडे भी आश्चर्यचकित थे।  उनको देखने के लिए लोग उमड़ पडे।

 

यह कार्यक्रम एक एनजीओ की तरफ से गरीब छात्रों एवं दिव्यांगों के लिए आयोजित किया गया था।  उन्होने होनहार छात्रों एवं दिव्यांगों को पुरस्कृत भी किया।

जब एसपी लांडे वहां पहुचे तो मौसम खराब था,  खुद लांडे सर को भी इसका अंदाजा नहीं था कि इतने लोग जुटेंगे मगर खराब मौसम और बारिस के बावजूद लोगों ने उनका इंतजार किया और उनको सुना।  शिवदीप लांडे जब अपना भाषण दे रहे तो बारिस होने लगी तो आयोजक ने छाता ले कर लांडे के पास पहुंचे मगर उन्होंने मना कर दिया और बोला यहां सभी लोगों के पास भी छाता नहीं है।