Shilpa Bihar

बड़े बॉलीवुड स्टार और अंतरराष्ट्रीय खिलाडियों को फिटनेस ट्रेनिंग देती है बिहार की प्रतिभा

बिहारी लोगों के बारे में देश में कई गलत धारणायें हैं| ज्यादातर धारणायें नकारात्मक हैं तो कुछ सकारात्मक किस्म के भी हैं| उसी में से एक बिहारी लोगों के प्रतिभा को लेकर है| जब भी बिहारी प्रतिभा की बात आती है तो ज्यादातर लोग उसे प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने से जोड़ देते हैं| मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं है| बिहारी लोग सिर्फ यूपीएससी में सफल नहीं होते बल्कि प्रतिभा हर क्षेत्र में अपनी क़ाबलियत का लोहा मनवा रही है|

ऐसी ही एक उदाहरण है बिहार की बेटी प्रतिभा प्रिया उर्फ शिल्पी| बिहार के सीतामढ़ी जिले के एक छोटे से गाँव से निकलकर प्रतिभा आज देश में फिटनेस ट्रेनर के रूप में आज एक बड़ा नाम बन चुकी है| वे दिल्ली के जनपथ स्थित हाई प्रोफाइल पाँच सितारा होटल ली मीरीडियन में सेलिब्रेटी फिटनेस इंस्ट्रक्टर हैं|

वे रोजाना बड़े-बड़े बॉलीवुड स्टार, नेशनल खिलाडियों को फिटनेस ट्रेनिंग और टिप्स देती हैं| जिन सेलिब्रेटियों को शिल्पी फिटनेस ट्रेनिंग दे चुकी है उसमें बॉलीवुड अभिनेता टाइगर श्रॉफ, अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी और स्पेन की ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता कैरोलिना मैरीन, साइना नेहवाल, पीवी सिंधू के साथ कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और अन्य सेलिब्रेटी हैं|

शिल्पी आज अपने जिले में रोल मॉडल बन चुकी है| वहां के लोगों के लिए शिल्पी ने सफलता की नयी परिभाषा गढ़ रही है| वह लड़कियों के लिए आदर्श बन चुकी है|

यही कारण है कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सीतामढ़ी जिला प्रशासन ने उसे ‘युथ आईकन’ घोषित किया था| यही नहीं, अपनी प्रतिभा के लिए शिल्पी गोवा के राज्यपाल डॉ. मृदुला सिन्हा से भी सम्मानित हो चुकी है|

ज्ञात हो कि शिल्पी राज्यस्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी हैं । नेशनल में ईस्ट जोन में बीआर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय को दो बार प्रतिनिधित्व कर चुकी है। शिल्पी एनसीसी की भी बेस्ट कैडेट रही है। दिल्ली के थल सैनिक कैम्प और आगरा के एडवांस्ड लीडरशिप कैम्प में मैप रीडिंग कॉम्पिटिशन में भी शिल्पी को गोल्ड मेडल मिल चुका है। शूटिंग में भी अवार्ड मिला और एनसीसी में बेहतर प्रदर्शन के लिए बिहार झारखण्ड के एनसीसी निदेशालय द्वारा भी शिल्पी को सम्मानित किया जा चुका है।

बिहार की लड़कियां लड़कों से कतई कम नहीं है| उन्हें जब-जब मौका मिला है, उन्होंने राज्य और देश का नाम रौशन किया है| बिहार की शिल्पा उसकी एक उदाहरण है|

Input by: Ranjeet Purbey 

 

 

 

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बिहार से उठी आवाज: सीता मां के बिना भगवान राम की मूर्ति, नारी शक्ति और मिथिला का अपमान

अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने को लेकर अभी देश में भूचाल मचा हुआ है| भगवान राम का नाम अज कल मंदिरों से ज्यादा सियासी अखारों में लिया जा रहे हैं| जहाँ राम का नाम होता है वहां सीता का नाम जरुर आता है, मगर आश्चर्य की बात है कि इस पुरे मामले से जगत जननी सीता को भगवान राम से अलग कर दिया गया है|

यूपी की योगी सरकार ने अयोध्या में भगवान श्री रामचंद्र की भव्य मूर्ति बनाने का निर्णय लिया है| पिछले शनिवार को मूर्ति का स्वरुप जारी किया गया| मगर इस स्वरुप में भी राम अकेले थे और माता सीता अभी भी वनवास पर थी|

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आखिरकार सीता जन्मभूमि मिथिला से यह मुद्दा उठा| बिहार के दरभंगा के सांसद कृति आजाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या में भगवान राम की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के निर्माण पर सवाल खड़े कर दिए हैं|

आजाद ने कहा है कि माता सीता के बिना भगवान राम की अयोध्या में मूर्ति की स्थापना करना न केवल मां सीता, बल्कि पूरे मिथिला और नारी शक्ति का अपमान है|

बिहार के मिथिला में हुआ था सीता का जन्म

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बिहार के सीतामढ़ी जिला में सीता का जन्म हुआ था| रामायण के अनुसार, त्रेतायुग में एक बार मिथिला नगरी में भयानक अकाल पड़ा था। कई सालों तक बारिश न होने से परेशान राजा जनक ने पुराहितों की सलाह पर खुद ही हल चलाने का निर्णय लिया। जब राजा जनक हल चला रहे थे तब धरती से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में थीं। इस जगह पर माता सीता ने भूमि में से जन्म लिया था, इसलिए उस जगह का नाम सीतामढ़ी पड़ गया।

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सीतामढ़ी बना बिहार का पहला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) जिला

कुछ दिनों से मीडिया में सीतामढ़ी सकारात्मक वजहों से लगातार चर्चा में है| हाल ही में सीतामढ़ी का कलेक्ट्रेट ऑफिस बिहार का पहला आईएसओ सर्टिफाइड कलेक्ट्रेट ऑफिस बना है| अब सीतामढ़ी बिहार का पहला खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) जिला बन चुका है| इस बात की जानकारी डीएम डा. रणजीत कुमार सिंह ने दी| जानकारी के मुताबिक, इस बात की घोषणा जल्‍द ही सीएम नीतीश कुमार के द्वार एक कार्यक्रम के माध्‍यम से की जाएगी|

यह उपलब्धि सीतामढ़ी के जिला अधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह के नेतृत्व एवं प्रयासों के दम पर हो पाया है| स्वच्छता अभियान में पीछे चल रहे बिहार में सीतामढी के इस उपलब्धि ने पुरे राज्य का मान बढाया है|

ज्ञात हो कि इस से पहले भी गुजरात के नर्मदा जिला का विकास अधिकारी रहते हुए, डॉ. रणजीत कुमार सिंह नर्मदा को देश का पहला खुले में शौच मुक्त जिला बना चुके हैं| जिसके लिए उन्हें गुजरात रत्ना पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है|

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सीतामढ़ी के डीएम बनते ही डॉ. रणजीत कुमार जिले को स्वच्छ बनाने के मुहिम में युद्धस्तर पर प्रयास लग गये| उन्होंने एक दिन में रिकॉर्ड एक लाख दस हज़ार गड्ढों की खुदाई के साथ 100 घंटों में 70 हजार शौचालय बनवाकर क्रितिमान स्थापित कर दिया| यही नहीं, मात्र एक दिन में शौचालय निर्माण के लिए 113 करोड़ रूपये जारी किया गया जो कि देश में पहली बार हुआ|

इस मुद्दे पर ‘अपना बिहार’ से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि को हासिल करने में सिर्फ मेरा नहीं बल्कि सभी लोगों एवं जिले के सभी जन प्रतिनिधियों का सहयोग मिला| मैंने सिर्फ इस मुहिम को दिशा और नेतृत्व प्रदान की|

 

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ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की प्रतिष्ठित संस्था ने सीतामढ़ी को आई.एस.ओ प्रमाणित जिला का दिया दर्जा

सभी जिले को पीछे छोड़ते हुए सीतामढ़ी बिहार का पहला आई.एस.ओ प्रमाणित जिला होने का गौरव प्राप्त किया है| ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड की संस्था इंटरनेशनल एक्रीडेशन फोरम जेएएस-एएनजेड द्वारा यह सर्टिफिकेशन उच्च गुणवत्तापूर्ण कार्य एवम पारदर्शिता को ध्यान में रखकर प्रदान किया जाता है।

डुमरा स्थित समाहरणालय के ऊपर I.S.O प्रमाणित 9001:2015 का बोर्ड लग गया है। बिहार का पहला सरकारी कार्यलय जिसे आईएसओ से नवाजा गया है। जिला पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि नोयडा से आई टीम द्वारा दो दिनों तक कार्यालय का निरीक्षण और कार्यपद्धति, पारदर्शिता, अनुशासन आदि को मानक मानते हुए यह सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है। डीएम ने बताया कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस, सीसीटीवी, लोक शिकायत पद्धति, डिलीवरी मैकेनिज्म, सिटीजन चार्टर, लैंड रेवेन्यू में कलेक्शन आदि उम्दा कार्यों के आधार पर यह प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

ज्ञात हो कि जिला अधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह के नाम पहले भी कई वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है।

जिला पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह द्वारा सीतामढ़ी जिला में बनाये गए वर्ल्ड रिकॉर्ड्स:

1) स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक दिन में 1 लाख 10 हज़ार गड्ढा खोदा गया ।
2) 100 घण्टे में 70 हज़ार शौचालय का निर्माण ।
3) एक दिन में स्कूलों में 18 हज़ार छात्र-छात्राओं का नामंकन ।
4) स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माणकर्ताओं के बीच 115 करोड़ का भुगतान ।
5) जिला में शिक्षा के जन आंदोलन के तहत 12 लाख लोगों की विशाल रैली ।

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बिहार के सीतामढ़ी जिले के आरपी ठाकुर बने आंध्र प्रदेश के डीजीपी

एक और बिहारी अधिकारी को एक बड़ी जिम्मेदारी मिला है| बिहार के सीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड के अमनपुर गांव निवासी रामप्रवेश ठाकुर को आंध्रप्रदेश सरकार ने डीजीपी बनाया है।

1986 बैच के आईपीएस अधिकारी रामप्रवेश ठाकुर डीजीपी बनने से पूर्व आंध्रप्रदेश में एंटी करप्शन विभाग के डीजी थे।

आंध्रप्रदेश कैडर में वह एसपी से लेकर एंटी करप्शन के डीजी और अब डीजीपी बने हैं। 

डीजीपी के तौर पर नियुक्त किये जाने के बाद पूरे बिहार सहित सीतामढ़ी जिले में खुशी की लहर है|  वह 2002 से 2007 तक पटना में सीआईएसएफ और डीआईजी भी रह चुके हैं| आरपी ठाकुर सेवानिवृत अंकेक्षक रामदेव ठाकुर के इकलौते पुत्र हैं| उनकी मां आशा देवी का निधन हो चुका है|

सीतामढ़ी में हुई प्रारंभिक शिक्षा 

अमनपुर निवासी सेवानिवृत्त अंकेक्षक रामदेव ठाकुर के इकलौते पुत्र राम प्रवेश ठाकुर की प्रारंभिक शिक्षा सुरसंड प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बखरी में हुई थी। मैट्रिक की शिक्षा ननिहाल रीगा प्रखंड के बभनगामा हाईस्कूल से ली। आइआइटी कानपुर से बीटेक कर रेलवे में इंजीनियर की नौकरी की। ट्रेनिंग समाप्त होते ही यूपीएससी की परीक्षा पास की। इसके बाद रेलवे की नौकरी छोड़ आइपीएस ज्वाइन कर ली।

गांव में पुश्तैनी मकान व खेती की जमीन है। यदा-कदा गांव भी आते रहते हैं। उनके भांजे सुरसंड प्रखंड के हनुमाननगर निवासी अविनाश कुमार ने बताया कि ईमानदार अधिकारी के होने के कारण आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें डीजीपी बनाया है। वहीं, चचेरे भाई शिक्षक राम अनेक ठाकुर व किसान साधु शरण ठाकुर ने बताया कि रामप्रवेश ठाकुर ने न केवल गांव, बल्कि जिला व बिहार का नाम रोशन किया है।

 

 

सीता की जन्मस्थली ‘सीतामढ़ी’ को लेकर पर्यटन मंत्री का विवादित बयान, लोगों में आक्रोश

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के सीतामढ़ी को लेकर दिए गए बयान से सीतामढ़ी के संत समाज में आक्रोश है. संत समाज ने मंत्री से अपने बयान पर माफी मांगने को कहा नहीं तो दुष्परिणाम की चेतावनी दी है. बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता की प्रकट्य स्थली है. सदियों से ये मान्यता चली आ रही है कि मिथिला के राजा जनक ने भयंकर सूखे चपेट में आए राज्य में वर्षा के लिए जब हल चलाया तो सीतामढ़ी के निकट पुनौरा धरती से माता सीता का जन्म हुआ. वाल्मीकि रामायण में भी ये चर्चा की गई है कि मिथिला में माता सीता का जन्म हुआ था.

 

लेकिन केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘सीता की जन्मस्थली आस्था का विषय है जो प्रत्यक्ष प्रमाण पर निर्भर नहीं करता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वहां ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया है जिसकी वजह से सीतामढ़ी को सीता की जन्मस्थली माना जाए.’ इसपर विपक्षी सदस्यों ने महेश शर्मा को घेर लिया।

 

 

केंद्रीय मंत्री के इस बयान से केवल सीतामढ़ी ही नहीं बल्कि नेपाल में स्थित जनकपुर में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है. सीतामढ़ी के संत समाज ने तो आंदोलन की चेतावनी दी है. उनकी मांग है कि मंत्री अपने बयान के लिए माफी मांगें. इसके लिए संत समाज की शुक्रवार को सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में एक आपात बैठक आयोजित की गई. बैठक में शामिल संतों ने मंत्री की आध्यात्मिक जानकारी पर प्रश्न उठाते हुए उनकी मानसिक स्थिति पर भी सवाल खड़ा किया.

 

मंदिर के पुजारी त्रिलोकी दास ने कहा कि सीतामढ़ी में त्रेयता युग में माता सीता के जन्म का प्रमाण है, जब राक्षसों के अत्याचार से 12 वर्षों तक भयानक सूखे के बाद राजा जनक के द्वारा हल जोतने के दौरान संतों के रक्त से भरे घड़े से माता सीता प्रकट हुई. ऐसे में सीता के जन्म पर सवाल उठाने वाले मंत्री जी राम को मानते हैं सीता को नहीं? इसका सीतामढ़ी का संत समाज कड़ा विरोध करता है और मंत्री जी को अविलंब माफी मांगनी चाहिए, इतना ही नहीं नारद मुनि के आवाह्न पर सीता की प्राकट्य स्थली का नाम सीतामढ़ी रखा गया. इसके प्रमाण पौराणिक ग्रंथों में भी है.

 

बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री द्वारा ऐसा बयान उनकी अज्ञानता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि आदिकाल से ही सीतामढ़ी सीता की जन्मभूमि मानी जाती है.

उन्होंने कहा कि वहां एक पाकड़ का पेड़ है, जिसकी आयु की जानकारी किसी को नहीं है. इस पेड़ की कई धार्मिक ग्रंथों में भी चर्चा की गई है. मंत्री उसी की वैज्ञानिक जांच करा लें, स्पष्ट हो जाएगा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों को लोग बेवजह तूल देते हैं. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि ‘रामायण’ में सीता की जन्मस्थली मिथिला क्षेत्र ही बताई गई है.

 

महेश शर्मा बीजेपी के सांसद है. उनकी पार्टी अयोध्या को राम की जन्म भूमि मानती है पर सीता की जन्मस्थली पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. हालांकि ये सही है कि अयोध्या में श्री राम का जन्म हुआ है इसका प्रमाण पुरात्व विभाग को मिला है. लेकिन सीता माता की जन्मस्थली के लिए उस स्तर पर शोध नहीं किया गया तो फिर प्रामाणिकता का क्या सवाल है. रही बात पौराणिक ग्रंथों में तो इसकी चर्चा जरूर मिलती है. और सबसे बड़ी बात अगर सीतामढ़ी में माता सीता का जन्म नहीं हुआ है तो फिर नेपाल में स्थित जनकपुर की क्या प्रामाणिकता है.

 

जबकि उस समय के मिथिला राज्य में गंगा से उतर स्थित भूभाग को मिथिला का सीमा माना गया है. साथ ही सरयू नदी से लगे क्षेत्रों मे रामायण काल की हुई घटनाओं का जिक्र है. चाहे वो अहिल्या स्थान हो पुनौरा धाम हलेश्वर स्थान पंथ पाकर धनुषा व जनकपुर ये सभी स्थान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पौराणिक ग्रंथों में इसकी चर्चा है कि सूखे से जल रही धरती पर वर्षा कराने के आहवान के साथ राजा जनक ने जनकपुर से कुछ दुरी पर हल चलाया था. सीतामढ़ी के पुनौराधाम से जनकपुर की दूरी कोई बहुत ज्यादा नहीं है.

हर साल विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से श्रीराम की बारात जनकपुर जाता है. तो क्या ये बिना किसी प्रमाण के ये आयोजन सदियों से चल रहा है. जिन धर्मग्रंथों में राम अयोध्या जनकपुर और लंका का जिक्र है उन्हीं में सीता और उनकी जन्मभूमि मिथिला का भी जिक्र है. उन्हीं धर्मग्रंथों से सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली माना है.

सीतामढ़ी की बेटी आशा खेमका को मिला ब्रिटेन में प्रतिष्ठित एशियन बिजनेस वूमेन सम्मान

सात समुंदर पार से बिहारी अस्मिता का गौरव बढाने वाला एक और खबर आ रहा है। बिहार की आशा खेमका को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित एशियन बिजनेस वूमेन पुरस्कार से नवाजा गया है। भारतीय मूल की महिला शिक्षाविद् को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार शुक्रवार को लंदन के एक समारोह में दिया गया ।

 

ब्रिटेन की महारानी से सम्मान लेती बिहार की बेटी आशा खेमका

 

कौन है आशा खेमका ? 

आशा खेमका बिहार के सीतामढ़ी जिले की रहने वाली है। वर्ष 2013 में ब्रिटेन के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘डेम कमांडर आॅफ द आॅर्डर आॅफ द ब्रिटिश अंपायर’ का सम्मान पा चुकी है । यह सम्‍मान पाने वाली यह भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। अभी वे ब्रिटेन में वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज की प्रिंसिपल हैं और पिछड़े वर्ग के लिए काम करती हैं- सिर्फ़ शिक्षा के क्षेत्र में नहीं बल्कि उन्हें रोज़गार लायक बनाने के लिए भी। उन्होंने अपनी चैरिटी भी शुरु की है।

 

दिलचस्प है सफलता का सफर

आशा 13 वर्ष की कम उम्र में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। 15 साल की उम्र में आशा की शादी डॉक्टर शंकर अग्रवाल से हो गयी। घर परिवार वालों ने उसकी शादी कर दी। शादी के बाद घर परिवार संभालते 25 की उम्र में वो पहुंच गयी। डॉक्टर पति इस बीच इंगलैंड में अपनी नौकरी पक्की कर लिया था।  शादी के बाद आशा जब ब्रिटेन गईं, तो उसे अंग्रेजी तक नहीं आती थी। लेकिन अाशा ने हार नहीं मानी और अंग्रेजी की पढ़ाई सुरू कर दी। इसके बाद फिर क्या था खेमका ने जज्बे के दम पर अंग्रेजी को अपने वश में कर लिया। फिर उसने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ सालों बाद कैड्रिफ विवि से बिजनेस मैनजमेंट की डिग्री ली और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में शुमार वेस्ट नॉटिंघमशायर कॉलेज में व्याख्याता के पद पर योगदान दिया। अब वो इसी कॉलेज की प्रिसिंपल हैं।

बिहार की आशा खेमका हर उस आदमी के लिए प्रेरणा है जिन्हें अंग्रेजी नहीं आती, हर उस उस महिलाओं के लिए उदाहरण जो शादी बाद भी अपने सपनों को उडान देना चाहती है और हर उस इंसान के लिए मिशाल है जो विपृत हालात में भी हार नहीं मानते । 

जगत जननी माँ सीता की जन्म भूमि ‘सीतामढ़ी’

जब मिथला के राजा जनक के राज्य में सुखे से नदी-नाले,कूप तालाव,सभी जल विहीन हो गये,सम्पूर्ण आकाश लाल चहूओर दूरभिक्ष से कोहराम,कोलाहल की बिकट स्थिति हो गयी। तब राज पुरोहितों,विधिज्ञों के परामर्श से महाराजा जनक स्वंय हल चलाते हलेश्वर स्थान से चले,पुनौरा धाम,सीतमढ़ी में हलटोन के नोक पर सोने के पात्र में माँते सीता भूमि देवी के गोद से उद्भव हुई। तक्षण नीलेआकाश सेअमृत जल के फुहार में हर्षों उल्ला स से राजपंक्षी मोड़-मयुर के साथ देवगण ऋषि मुनी,मानव, पशु-पक्षी,सभी जीव-जन्तु भाव विहबल होकर नाच उठे।

पुनौरा धाम, सीतामढ़ी

महर्षि वाल्मिकी के अनुसार मिथला के महाराजा शीरध्वज्य उर्फ जनक एवं महा रानी सुनैया(सुनैना) को कोई संतान नहीं थी। वे भूमि पुत्री को गोद लेकर अपनी पुत्री घोषित कर संतान सुख के साथ जग में पापहरणी सीता माँते को पाल कर अंहकारी राक्षषराज रावण का विनाश एवं रामराज्य की कल्पना को साकार किये।

ज्ञातव्य हो हल के नोक को सीता कहा जाता है,जिसके कारण सीता नामित हुई। महाराजा जनक को बिदेह कहा जाता था, जिसके फलस्वरूप बैदेही नामाकरण भी प्रचलित हुई।

हिन्दु धार्मिक पुस्तकों से प्रकट होता है कि दूबारे पुन:जन्म अनुसार रावण एवं मंन्दोद्री पुत्री थी।

पौराणिक कथायों में वेदवती धार्मिक नारी थी,जो भगवान विष्णु से शादी करना चाह रही थी।वह लौकिक जीवन में नदी किनारे तटबंध पर आश्रम निर्माण कर महातप कर तपस्वीनी, सन्यासी जीवन व्यतित कर रही थी।एक रोज ध्यान, चिंतन में मग्न थी। उसकी सौन्दर्य, सम्मोहन से सम्मोहित हो राक्षष राज रावण विमूढ़,दीवानापन में बल प्रयोग से कुक्रीत्य करने का प्रयास किया। वह दैवी शक्ति से उछल कर हवन के लिए बने अग्नी कुंण्ड में कुद गयी।जलने से पहले शाप् दे गयी।आकाश वाणी हुई कि दूसरे जन्म में वह जन्म लेकर रावण के मौत की कारण बनेगी।

तत्पश्चात दूसरे जन्म में रावण पुत्री के रूप में मंदोद्री के गर्भ गृह में जन्म ली।

दार्शनिकों,राजपुरोहितों के कथन अनुसार रावण के मृत्यु की कारण बनने की अाशंकाओं को मूल से विनाश करने के दृष्ट्री कोन से रावण अपने प्राण रक्षार्थ उस अबोध बच्ची को गहरे समुन्द्र की धारा में फेक दीये।बच्ची को समुन्द्री देवता परमेश्वर वरूणी नदीतल में धीरे-धीरे बहते हुए समुन्द्री तटबंध किनारे धरती माँते की गोद मे स्मर्पित कर दी।तत्पश्चात भूदेवी,धरती माँते महराजा जनक को वही बच्ची सुपूर्द कर दी।कालान्तर में यही जगत जननी माँते सीता पापहरणी ,अंहकारी राक्षष राज रावण के विनाश की कारण सिद्ध हुई तथा मर्यादा पुर्षोत्म राम के साथ वन में भटक कर नारी की मर्यादा को गौरवान्वीत की।

साथ ही जन्म स्थली सीतमढ़ी,पालन-पोषन स्थली जनकपुर (नेपाल)में पैत्रिक राजा जनक का महल एवं बिबाह हेतु प्रतिज्ञा शर्त,धनुष यज्ञ स्थल धनुषा जनकपुर बिदाई की (बाट)राह में विश्रामस्थल पंथपाकर,देवकुली,आदी के साथ ससुरालअयोध्या में महाराजा दशरथ के यश पराकर्म की अमर गाथायें चिर संस्मरणीय सदैव पुज्यनीय बना गयी।

  • हलेश्वर स्थान – महाराजा जनक जब दूर्भिक्ष,कोलाहल,कोहराम से त्राण एंव संतान की मनोकामना लेकर हलेश्वर धाम महादेव पूँजा,अर्चना कर हल चलाना प्रारंभ किये। तब पुनौराधाम में भूमिदेवी के गोद में हल के नोक पर सोने की पात्र में एक,बच्ची  मिली।चहूदिशायों में प्रकाश बिखर गया। नीले आकाश से पुष्ष बृष्ट्री के साथअमृत जल फुहार की वर्षा से देव गण,ऋषि-मुनी, मानव,पशु-पक्षी, सभी जीव-जन्तु हर्ष उल्लास से भाव-वभोर  होकर राज पंक्षी मोड़-मयुर के साथ नाच उठे। राजा जनक ,रानी सुनैया(सुनैना) की मनोकामना पूर्ण हुई। यही मान्यताये है कि हलेश्वर स्थान महादेव के पूँजा,अर्चना से मनोकामना पूर्ण होती है।जानकी सर्किट में दर्शणीय स्थल है।
  • जनकपुर धाम,नेपाल – महाराजा जनक का राज दरवार,जहाँ सीतमढ़ी से भूमि देवी पुत्री सीता को राजा जनक गोद लेकर लालन,पालन,पोषण एवं सफल धनुष यज्ञ शर्त पश्चात भगवान राम से व्याह रचा कर अयोध्या के लिए विदा किये।यह विशाल राजमहलआज दर्शणीय भव्य मंदीर है।सीतामढ़ी से भिठ्ठा मोड़ भारत-नेपाल सीमा पार कर सुगम मार्ग से दर्शणीय है।महल में मर्यादा पुर्षोतम भगवान राम एवं माँते सीता विबाह मंडप,हवन कुण्ड,शोभा यात्रा आदी की विस्तृत झांकियाँ दर्शनीय है।

    जनकपुर धाम, नेपाल

  • धनुष – माँते सीता के लिए योग्य पति की तलास में महाराजा जनक के शर्त “भगवान परशुराम के धनुष यज्ञ में महाप्रतापि विजेता”से ही धनुष यज्ञो परान्त सीता की शादी होगी।यही यज्ञ स्थल है।जहाँ आज भी धनुष का अवशेष पुज्यनीय, दर्शनीय है। यह विदेश नेपाल में जनकपुर से निकट है। सभी धार्मिक वृति के लोग पैदल परिक्रमा में दर्शण-पुँजा करते है।
  • अहिल्या स्थान,उचैठ भगवती माँते स्थली,अन्हारी मनोकामना महादेव,देवकुली भुनेश्वरनाथ महादेव धाम आदी माँते सीता एवं भगवान राम के दर्षणीय पुज्यनीय स्थल है।

 

बिहार के लाल चीन के छात्रों को पढ़ायेंगे राजनीति का पाठ

बिहार के लाल शुरू से ही दुनियाभर के लोगों के बिच ज्ञान का संचार करते आ रहे हैं इसीलिए डॉ राजीव रंजन की ये उपलब्धि राज्यवासियों के लिए ख़ुशी की खबर जरूर है लेकिन लोगों के लिए ये हैरान करने वाली बात नही है। अपने प्रतिभा के दम पर दुनियाभर के लोगों को अपना दीवाना बनाने वाले लोगों में से एक हैं सीतामढ़ी के राजीव

सीतामढ़ी के डॉ राजीव रंजन चीन के छात्र-छात्राओं को अब राजनीति-विज्ञान के पाठ पढ़ायेंगे।
डॉ राजीव रंजन का चीन के शंघाई विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ़ लीवरल आर्ट्स में राजनीतिक विज्ञान एवं लोक प्रशासन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में हुआ है।
डॉ रंजन की नियुक्ति चीन में होने  पर लोगों में हर्ष है। बताते चले की डॉ रंजन मूल रूप से परिहार प्रखंड के पीपरा विशुनपुर के रहने वाले हैं। उनके पिता रामानंद मंडल डुमरा प्रखंड के मध्य विद्यालय शिवहर में प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं। डॉ राजीव रंजन ने जेएनयू दिल्ली से राजनीति एवं अंतर-राष्ट्रीय सम्बंध में मास्टर की डिग्री प्राप्त की थी। इसके बाद उन्होंने चाइना स्टडीज के एमफिल व एनवायर्नमेंटल पॉलिटिक्स इन चाइना एंड क्लाइमेट डिप्लोमेसी विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वे चाइना के सांडौग विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 से 2015 तक सीनियर स्कॉलर भी रहे। वे विश्व मामलो
की भारतीय परिषद आईसीडब्लूए, नई दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर के पद पर भी कार्य कर चुके हैं। इतना ही नही डॉ राजीव रंजन ने वर्ष 2008 में चीन तथा वर्ष 2011 में स्टडी कैंप फॉर लीडर्स फ्रॉम साउथ एशिया एंड कोरिया के सदस्य के रूप में ताइवान में भाग ले चुके हैं।

बिहार के इन दो शहरों के स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है

भागलपुर के बाद बिहारशरीफऔर मुजफ्फरपुर के स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल होने का रास्ता भी साफ हो गया है।  मंगलवार को मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित हाई पावर कमेटी ने दोनों शहरों के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। 

 

इस प्रस्ताव को 30 जून तक केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भेज दिया जाएगा। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा पहली सूची की मंजूरी के बाद केंद्र ने मुजफ्फरपुर और बिहारशरीफ के लिए संशोधित प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया था।

 

गौरतलब है कि दुसरे सूची में बिहार के भागलपुर को पहले ही स्मार्ट सिटी  के दौर में शामिल किया जा चुका है।

 

राज्य में मुजफ्फरपुर, भागलपुर व बिहारशरीफ को स्मार्ट सिटी के रूप में चयन किया गया है. सौ शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से प्रस्ताव मांगा था. इसमें बिहार के तीन शहर मुजफ्फरपुर, भागलपुर व बिहारशरीफ का चयन किया गया है. तीनों शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अलग-अलग एजेंसियों को प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी थी.

नागरिक सुविधाओं का होगा विकास :

-स्मार्ट शहर बनाने के लिए शहर की नागरिक सुविधाओं का विकास किया जाना है.

इसमें सभी नागरिकों के लिए

-पर्याप्त जलापूर्ति

-सुनिश्चित विद्युत आपूर्ति

-ठोस कचरा प्रबंधन

-शहरी गतिशीलता के लिए सार्वजनिक परिवहन की सुदृढ़ व्यवस्था

-गरीबों के लिए किफायती आवास की सुविधा

-आइटी कनेक्टिविटी व डिजिटेलाइजेशन

-इ-गवर्नेंस व नागरिक भागीदारी, महिलाओं, बच्चों व वृद्ध नागरिकों की सुरक्षा के अलावा स्वास्थ्य व शिक्षा का व्यस्था की जानी है.

स्मार्ट शहर में किसी तरह की नागरिक सुविधाओं की कमी नहीं होगी और सभी तरह की सेवाओं के लिए आइटी के उपयोग की सुविधा दी जायेगी.

शहर के सुख-सुविधा को त्याग आईएएस अफसर की पत्नि बनी बिहार के एक गाँव की मुखिया, बदल रही है गाँव की तस्वीर

सीतामढी: गाँव से निकल लोग जब सफल हो जाते हैं तो उसके बाद पिछे मुड़ कर वे अपने गाँव और समाज को देखते भी नहीं है। गाँव में मौजूद परेशानियों पर लोग बडे – बडे भाषण तो जरूर देते है मगर इन परेशानियों को समाप्त करने के लिए कुछ प्रयास भी नहीं करते।  मगर बिहार के सीतामढी जिले से इसके उलट एक खबर आ रही है। 

अरूण कुमार जायसवाल की पत्नी ॠतु जायसवाल

अरूण कुमार जायसवाल की पत्नी ॠतु जायसवाल

दिल्ली में आईएएस के रूप में पदस्थापित अरूण कुमार जायसवाल की पत्नी ॠतु जायसवाल इन दिनों दिल्ली से लेकर बिहार तक चर्चा में है।

 दिल्ली की एक अखबार में छपी खबर

दिल्ली की एक अखबार में छपी खबर

शादी के 17 साल बाद जब वह अपने ससुराल लौटी तो गांव की हालत देख इतनी व्यथित हुईं कि बदलाव लाने के लिए सोचने लगीं। गांव के हालात देख कर उन्हें ऐसा महसूस हुआ मानो वे प्रेम चंद्र की कहानी में पहुंच गई हों।

दुसरे लोगों के तरह नजरअंदाज करने के जगह ऋतु ने गाँव में बदलाव लाने की ठानी और बिहार के सीतामढ़ी के सोनवर्षा प्रखंड के सिंघवाहिनी पंचायत से मुखिया पद पर जीत हासिल कर इस गांव को चर्चा में ला दिया है।

 

कहती हैं कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं किया था कि ऐसा भी कोई गांव हो सकता है। यह सब देख वे इतना द्रवित हुईं कि अपना सुख-सुविधाओं से भरा जीवन और दिल्ली जैसा शहर छोड़ने तक का फैसला कर लिया। पिछले दो साल से वे बराबर गांव आती रही हैं।

यहां कोशिश शुरू की तो एक गांव में आजादी के बाद पहली बार बिजली आई। जब उन्होंने एक बुजुर्ग महिला को बिजली के बल्ब को फूंक मारकर बुझाते देखा तो इस वाकये ने उन्हें झकझोर दिया। उन्हें गांव की हालत देख कर काफी दुख होता था।

 

अपने प्रयास से ऋतु ने लोगों को समझाया कि अपना वोट मत बेचो। मुखिया को पंचायत में शौचालय व पानी की व्यवस्था करनी होती है इसलिए उन्हें चंद रुपयों की लोभ में वोट नहीं बेचना चाहिए। ऐसा करने से वे सुविधाओं से वंचित हो जाते थे और आजीवन बीमारी के शिकार होते थें। लोगों ने भी बात को समझा और उन्हें समर्थन देकर भारी मतों से जीत दिलाया।

ritu of sitamarhi

 

उनके प्रयास से आजादी के बाद पहली बार बिजली आई। कुछ एनजीओ की मदद से बच्चों के लिए ट्यूशन क्लास शुरू करवाई गई। असर यह हुआ कि इस बेहद पिछड़े गांव की 12 लड़कियां एक साथ मैट्रिक पास हुई हैं। गांव के लोगों के कहने पर ही उन्होंने चुनाव लड़ा और तमाम जातीय समीकरणों के बावजूद भारी मतों से जीत गईं।

 

वह कहती हैं कि जिस संकल्प को लेकर वे मुखिया का चुनाव लड़ी हैं उसे वह हर हाल में पूरा करेंगी। अब गांव में रहकर ही गांव की तस्वीर बदलेंगी। उन्होंने बताया कि उनके गांव में ना तो चलने के लिए सड़क है और ना ही पीने के लिए शुद्ध पानी। लोगों को शौचालय के बारे में भी पता नहीं था कि शौचालय क्या होता है।  गांव के तक़रीबन अस्सी प्रतिशत लोग आज भी सड़कों पर शौच के लिए जाते हैं। बिजली सहित तमाम मूलभूत सुविधाओं से लोग अब भी कोसो दूर हैं।

वह कहती हैं कि मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के बाद विकास के काम पर ध्यान देंगी। विकास के लिए उन्होंने कृषि विभाग से बात किया है। विभाग यहां के लोगों को ट्रेंनिंग देगा जिससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा। यहां की भूमि कृषि योग्य है पर यहां के लोग अब बाहर जा रहे है कमाने के लिए। गांव में सिर्फ औरतें और बुजूर्ग हैं।

 

बिजली विभाग से बात कर एक गांव में बिजली लाने में सफल हुईं। अपने गांव की फोटो खींच एक डॉक्युमेंटरी बनाई और एनजीओ को दिखाया। फिर वह काम करने के लिए तैयार हो गएं। वे बताती हैं कि दो साल में कई एनजीओ आए और गांव की महिलाओं और लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दिलाया गया। यह सारा फंड एनजीओ ही वहन करते थे। करीब दो साल पहले नरकटिया के बच्चों के लिए सामुहिक रूप से दो ट्यूटर लगवाए। वे कहती हैं गांव की हालत अब सुधर रही है लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

 

सामाजिक कार्य में रुची उन्हें पहले से थी पर गांव को देख रुची और ज्यादा बढ़ गया। वे कहती हैं कि इस गांव से एक लगाव सा हो गया। सिंघवाहिनी पंचायत में नरकटिया को मिलाकर 6 गांव हैं। नरकटिया की आबादी 2300 के आसपास है। बाकी सभी गांव इससे बड़े हैं।  इससे पहले जितने भी मुखिया थे उन्होंने कुछ काम नहीं किया है।  इस बार भी बहुत लोगों ने मुखिया पद के लिए पर्चा भरा था।  चुनाव में उनको यहां के लोगों का तो साथ मिला ही साथ ही उनके पति का भी बहुत सहयोग रहा।

 

क्षेत्र में उनके द्वारा किये अच्छे कामों, प्रयासों और लोकप्रियता का ही नतीजा था कि उन्होंने एक शांति रैली निकाली जिसका मकसद था लोगों को जागरुक करना जिसमें छह हजार लोग शामिल हुए जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की थी कि इस रैली में इतने लोग शामिल होंगे। सबसे बड़ी बात तो यह थी कि महिलाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। उस रैली में ऐसी महिलाएं भी शामिल हुईं जो कभी घर से बाहर कदम भी नहीं रखी थीं। वह कदम से कदम मिलाकर चल रही थीं। यह उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। वे मुखिया का चुनाव दो हजार वोटों से जीतीं। यह जीत उन दो हजार लोगों के बदलते हुए समाज की जीत थी।

ॠतु जयसवाल ने अपनी पढ़ाई वैशाली महिला महाविद्यालय, हाजीपुर से किया है। उन्होंने बीए की डीग्री अर्थशास्त्र में ली। शादी के बाद भी पढ़ाई जारी रखा। उनके  दोनों बच्चे बैंगलोर के एक रेसीडेंशियल स्कूल में पढ़ते हैं। इसके लिए उनकी बेटी अवनि जो 7वीं में पढ़ती है उसने उनका बहुत सहयोग किया ताकि वे अपना ज्यादातर वक्त गांव में ही बीता सकें। वह अपने बेटी के बारे में कहती है कि जब उन्होंने अपनी बेटी से बात की तो वह बोली कि मैं तो होस्टल में रह लूंगी और आप बहुत सारे बच्चों की जिंदगी बदल पाएंगी। बेटी की इस बात से उन्हें बहुत हौसला मिला।

 

शहर की सारी सुख सुविधाओं को छोड सिर्फ समाज सेवा के मकसद से गाँव की तस्वीर बदलने में लगी है। इसकी जितनी भी तारीफ किया जाए कम है।  लोग तो सफलता मिलने के बाद गाँव को भूल ही जाते है, शहर को अपना घर बना लेते है और गाँव से अपना रिश्ता ही तोड लेते हैं मगर ऋतु जायसवाल ने न सिर्फ अपनेपति और परिवार का नाम रौशन किया बल्कि अन्य लोगों के लिए भी एक आदर्श अस्थापित करने का काम किया है।  हमें इन पे गर्व होना चाहिए।