सीता की जन्मस्थली ‘सीतामढ़ी’ को लेकर पर्यटन मंत्री का विवादित बयान, लोगों में आक्रोश

केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा के सीतामढ़ी को लेकर दिए गए बयान से सीतामढ़ी के संत समाज में आक्रोश है. संत समाज ने मंत्री से अपने बयान पर माफी मांगने को कहा नहीं तो दुष्परिणाम की चेतावनी दी है. बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता की प्रकट्य स्थली है. सदियों से ये मान्यता चली आ रही है कि मिथिला के राजा जनक ने भयंकर सूखे चपेट में आए राज्य में वर्षा के लिए जब हल चलाया तो सीतामढ़ी के निकट पुनौरा धरती से माता सीता का जन्म हुआ. वाल्मीकि रामायण में भी ये चर्चा की गई है कि मिथिला में माता सीता का जन्म हुआ था.

 

लेकिन केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘सीता की जन्मस्थली आस्था का विषय है जो प्रत्यक्ष प्रमाण पर निर्भर नहीं करता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वहां ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया है जिसकी वजह से सीतामढ़ी को सीता की जन्मस्थली माना जाए.’ इसपर विपक्षी सदस्यों ने महेश शर्मा को घेर लिया।

 

 

केंद्रीय मंत्री के इस बयान से केवल सीतामढ़ी ही नहीं बल्कि नेपाल में स्थित जनकपुर में कड़ी प्रतिक्रिया हुई है. सीतामढ़ी के संत समाज ने तो आंदोलन की चेतावनी दी है. उनकी मांग है कि मंत्री अपने बयान के लिए माफी मांगें. इसके लिए संत समाज की शुक्रवार को सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में एक आपात बैठक आयोजित की गई. बैठक में शामिल संतों ने मंत्री की आध्यात्मिक जानकारी पर प्रश्न उठाते हुए उनकी मानसिक स्थिति पर भी सवाल खड़ा किया.

 

मंदिर के पुजारी त्रिलोकी दास ने कहा कि सीतामढ़ी में त्रेयता युग में माता सीता के जन्म का प्रमाण है, जब राक्षसों के अत्याचार से 12 वर्षों तक भयानक सूखे के बाद राजा जनक के द्वारा हल जोतने के दौरान संतों के रक्त से भरे घड़े से माता सीता प्रकट हुई. ऐसे में सीता के जन्म पर सवाल उठाने वाले मंत्री जी राम को मानते हैं सीता को नहीं? इसका सीतामढ़ी का संत समाज कड़ा विरोध करता है और मंत्री जी को अविलंब माफी मांगनी चाहिए, इतना ही नहीं नारद मुनि के आवाह्न पर सीता की प्राकट्य स्थली का नाम सीतामढ़ी रखा गया. इसके प्रमाण पौराणिक ग्रंथों में भी है.

 

बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे आचार्य किशोर कुणाल कहते हैं कि केंद्रीय मंत्री द्वारा ऐसा बयान उनकी अज्ञानता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि आदिकाल से ही सीतामढ़ी सीता की जन्मभूमि मानी जाती है.

उन्होंने कहा कि वहां एक पाकड़ का पेड़ है, जिसकी आयु की जानकारी किसी को नहीं है. इस पेड़ की कई धार्मिक ग्रंथों में भी चर्चा की गई है. मंत्री उसी की वैज्ञानिक जांच करा लें, स्पष्ट हो जाएगा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों को लोग बेवजह तूल देते हैं. उन्होंने कहा कि वाल्मीकि ‘रामायण’ में सीता की जन्मस्थली मिथिला क्षेत्र ही बताई गई है.

 

महेश शर्मा बीजेपी के सांसद है. उनकी पार्टी अयोध्या को राम की जन्म भूमि मानती है पर सीता की जन्मस्थली पर सवाल खड़ा किया जा रहा है. हालांकि ये सही है कि अयोध्या में श्री राम का जन्म हुआ है इसका प्रमाण पुरात्व विभाग को मिला है. लेकिन सीता माता की जन्मस्थली के लिए उस स्तर पर शोध नहीं किया गया तो फिर प्रामाणिकता का क्या सवाल है. रही बात पौराणिक ग्रंथों में तो इसकी चर्चा जरूर मिलती है. और सबसे बड़ी बात अगर सीतामढ़ी में माता सीता का जन्म नहीं हुआ है तो फिर नेपाल में स्थित जनकपुर की क्या प्रामाणिकता है.

 

जबकि उस समय के मिथिला राज्य में गंगा से उतर स्थित भूभाग को मिथिला का सीमा माना गया है. साथ ही सरयू नदी से लगे क्षेत्रों मे रामायण काल की हुई घटनाओं का जिक्र है. चाहे वो अहिल्या स्थान हो पुनौरा धाम हलेश्वर स्थान पंथ पाकर धनुषा व जनकपुर ये सभी स्थान एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. पौराणिक ग्रंथों में इसकी चर्चा है कि सूखे से जल रही धरती पर वर्षा कराने के आहवान के साथ राजा जनक ने जनकपुर से कुछ दुरी पर हल चलाया था. सीतामढ़ी के पुनौराधाम से जनकपुर की दूरी कोई बहुत ज्यादा नहीं है.

हर साल विवाह पंचमी के अवसर पर अयोध्या से श्रीराम की बारात जनकपुर जाता है. तो क्या ये बिना किसी प्रमाण के ये आयोजन सदियों से चल रहा है. जिन धर्मग्रंथों में राम अयोध्या जनकपुर और लंका का जिक्र है उन्हीं में सीता और उनकी जन्मभूमि मिथिला का भी जिक्र है. उन्हीं धर्मग्रंथों से सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मस्थली माना है.

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