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बिहार के इस गाँव में एक भी मुस्लिम नहीं, पर मस्जिद में रोज होती है अजान और पांच वक्त की नमाज

जिस समय देश में मस्जिद बनाम मंदिर की कानूनी लड़ाई चल रही है, देश में सांप्रदायिक तनाव चरम पर है और लोगों में दुसरे धर्मो के प्रति नफरत बढ़ रही है| उस समय बिहार का एक गाँव सबके सामने मिसाल कायम कर रहा है| नालंदा जिले के बेन प्रखंड के माड़ी गांव में सिर्फ हिन्दू समुदाय के लोग रहते हैं मगर जिले का यह गांव हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है|

यह जानकर किसी को भी आश्चर्य होगा कि इस गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं है, परंतु यहां स्थित एक मस्जिद में नियमानुसार पांच वक्त की नमाज अदा की जाती है और अजान होती है| यह सब कुछ हिंदू समुदाय के लोग करते हैं|

गांव वासी बताते हैं कि वर्षों पूर्व यहां मुस्लिम परिवार रहते थे, परंतु धीरे-धीरे उनका पलायन हो गया और इस गांव में उनकी मस्जिद भर रह गई है| लेकिन यहां एक मस्जिद भी है| और यह मस्जिद मुसलमानों की अनुपस्थिति में उपेक्षित नहीं है, बल्कि हिंदू समुदाय इसकी बाकायदा देख-रेख करता है, यहां पांचों वक्त नमाज अदा करने की व्यवस्था करता है. मस्जिद का रख-रखाव, रंगाई-पुताई का जिम्मा भी हिंदुओं ने उठा रखी है|

इस मस्जिद का निर्माण कब और किसने कराया, इसे लेकर कोई स्पष्ट प्रमाण तो नहीं है, परंतु स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पूर्वजों ने जो उन्हें बताया है, उसके मुताबिक यह करीब 200-250 साल पुरानी है| मस्जिद के सामने एक मजार भी है, जिस पर लोग चादरपोशी करते हैं|

गांव के हंस कुमार कहते हैं, “हम हिंदुओं को अजान तो आती नहीं है, परंतु पेन ड्राईव की मदद से अजान की रस्म अदा की जाती है|” गांव वालों का कहना है कि यह मस्जिद उनकी आस्था से जुड़ी हुई है|

मस्जिद की साफ-सफाई की जिम्मेदारी संभाल रहे गौतम कहते हैं कि किसी शुभ कार्य से पहले हिंदू परिवार के लोग इस मस्जिद में आकर दर्शन करते हैं|

बिहार का एक गांव, जहां नहीं है एक भी मुस्लिम, पर मस्जिद में रोज होती है अजान और पांच वक्त की नमाज

गांव के जानकी पंडित आईएएनएस से कहते हैं, “मस्जिद में नियम के मुताबिक सुबह और शाम सफाई की जाती है, जिसका दायित्च यहीं के लोग निभाते हैं| गांव में कभी भी किसी परिवार के घर अशुभ होता है तब वह परिवार मजार की ओर ही दुआ मांगने पहुंचता है|”

बहरहाल, माड़ी गांव की इस मस्जिद से भले ही मुस्लिमों का नाता-रिश्ता टूट गया हो, परंतु हिंदुओं ने इस मस्जिद को बरकरार रखा है| सांप्रदायिकता को लेकर बिहार हमेशा सतर्क रहा है| हालांकि हाल ही के दिनों में कई सांप्रदायिक शक्ति बिहार का राज्य का शांतिपूर्ण और धर्मनिर्पेक्ष माहौल को बिगाड़ने की नाकाम कोशिश की है, मगर बिहार ने अपनी गंगा-जमुनी तहजीब बरकार रखी है| यह गाँव बिहार की वही चरित्र दिखा रही है|

Source:  आईएएनएस

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खुशखबरी: जुलाई में अपनी नयी बिल्डिंग में शिफ्ट हो जायेगा नालंदा विश्वविद्यालय

गुरुवार को नई दिल्ली में नालंदा विश्वविद्यालय के गवर्निंग बोर्ड का 17वीं बैठक चांसलर डा. विजय भटकर की अध्यक्षता में हुई। बैठक में कई अहम फैसले लिए गायें| बैठक में इस शैक्षणिक सत्र (2019-20)में नालंदा विश्वविद्यालय में पी.एच.डी और पोस्ट डोक्टोरल प्रोग्राम्स शरू करने का निर्णय लिया गया है| इसके साथ ही पेशेवर लोगों के लिए पार्ट टाइम पी.एच.डी. कोर्स भी शुरू किया जायेगा|

इसके साथ ही तीन नये स्कूल खोले जाएंगे। स्कूल ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट में एमबीए की पढ़ाई होगी। वहीं स्कूल ऑफ बे ऑफ बंगाल स्टडीज और स्कूल ऑफ इंडिया-एशियन नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज शुरू किये जाएंगे। सभी विषयों में पीएचडी, पोस्ट डॉक्टरल और शोघ के पाठ्यक्रम शुरू किये जाएंगे।

अभी यहां 4 स्कूल संचालित किये जा रहे हैं। स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ इकोलॉजी एण्ड इनवॉयरमेंट स्टडीज, स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज फिलॉसफी एंड कम्प्रेटिव रिलिजिएस और स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज एंड लिटरेचर की पढ़ाई हो रही है। इसमें भारत के विभिन्न राज्यों समेत 11 अन्य देशों के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

17 पूर्व एशियाई देशों की भागीदारी वाले अंतरराष्ट्रीय इस संस्था में, BIMSTC (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) के तहत आगामी शैक्षणिक सत्र से सेंटर ऑफ बंगाल स्टडीज की शुरुआत होगी। इसके साथ ही गवर्निंग बोर्ड ने विश्वविद्यालयों के आसियान-भारत नेटवर्क के लिए NU को नोडल संस्थान बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।

नया बिल्डिंग में शिफ्ट होगा कैंपस

जुलाई से विश्वविद्यालय अपनी नयी बिल्डिंग में शिफ्ट हो जायेगा। पांच भवन बनकर तैयार हैं। उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से आग्रह किया जाएगा। नया परिसर पटना से लगभग 110 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, राजगीर के पास 455 एकड़ के विशाल क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है, जिसमें 2,727.1 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग होगा। नए परिसर में गैर-आवासीय भवनों में दो स्कूल, प्रशासनिक ब्लॉक, संचार केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, एम्फीथिएटर, आर्केड, डाइनिंग हॉल, फैकल्टी क्लब, स्कूल, चिकित्सा केंद्र, खेल केंद्र, वाणिज्यिक बाजार, पोस्ट ऑफिस और बैंक जैसी परिसर सुविधाएं शामिल हैं।

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भारत के स्वतंत्रता दिवस पर ब्रिटेन ने लौटाई बिहार से चोरी की गयी बुद्ध की एतिहासिक मूर्ति

देश का स्वतंत्रता दिवस दिवस वैसे तो पुरे देश के लिए खास होता है| मगर इसबार का स्वतंत्रता दिवस खासकर बिहार के लिए एक बहुत बड़ा सौगात लेकर आया है| भारत के 72वें स्वतंत्रता दिवस पर ब्रिटेन ने भारत को एक अहम गिफ्ट दिया है|

ब्रिटिश पुलिस ने भारत को 57 साल पहले बिहार के नालंदा म्यूजियम से चोरी हुई 12वीं शताब्दी की एक बुद्ध प्रतिमा सम्मान सहित लौटाई है। दरअसल, यह कांसे से बनी मूर्ति भारत के नालंदा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संग्रहालय से 1961 में चोरी की गई 14 मूर्तियों में से एक है।

लंदन में नीलामी के लिए के लिए सामने लाए जाने से पहले यह बरसों तक कई हाथों से गुजरी। मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार डीलर और मालिक को इस मूर्ति के बारे में बताया गया कि यह वही मूर्ति है जो भारत से चुराई गई थी। तब उन्होंने पुलिस की कला एवं पुरावशेष इकाई के साथ सहयोग किया तथा वे इसे भारत को लौटाए जाने पर राजी हो गए।

 

 

लंदन के मेट्रोपॉलिटन पुलिस आर्ट एंड एंटीक्स यूनिट के डिटेक्टीव कॉन्स्टेबल सोफी हेस ने कहा, “यह मामला कानून, व्यापार और स्कॉलर्स के बीच सहयोग का एक वास्तविक उदाहरण रहा है।”

लंदन के इंडिया हाउस में स्वतंत्रता दिवस के लिए एक समारोह में स्कॉटलैंड यार्ड ने ब्रिटेन के भारतीय उच्चायुक्त वाई. के सिन्हा को यह मूर्ति वापस कर दी।

सिन्हा ने भी ब्रिटिश पुलिस के इस व्यवहार और फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है अब यह मूर्ति वहीं जाएगी जहां से यह है। हमारे स्वतंत्रता दिवस पर, यह वाकया (मूर्ति की वापसी) हमारे दोनों देशों के बीच बहुमुखी सहयोग का उदाहरण है।” इसके साथ ही हम उन लोगों की भी सराहना करते हैं जिन्होंने इतने साल बाद भी इस अनमोल मूर्ति की पहचान कर पुलिस को जानकारी दी।

लगभग 60 साल पहले बिहार के जिस धरती से भगवान बुद्ध की यह एतिहासिक मूर्ति चुराई गयी थी, उम्मीद है वह फिर से उसी स्थान पर वापस आयगी| बिहार की धरती और भगवान बुद्ध का रिश्ता अटूट है| भगवान बुद्ध बिहार का धरोहर है|

बिहार में शराब के बोतल के साथ ली सेल्फी तो पहुँच गये सलाखों के पीछे

बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृहजिले नालंदा के एक युवक को सोशल मीडिया फेसबुक पर विदेशी शराब रॉयल स्टेज की बॉटल लेकर फेसबुक पर तस्वीर शेयर करना महंगा पड़ गया। नालन्दा पुलिस ने शराब के शौक़ीन उस युवक को साथियों संग सलाखों के पीछे पहुचा दिया है।

नालंदा पुलिस कफ्तान कुमार आशीष


नालंदा के बिहारशरीफ के एक युवक ने रविवार को देर शाम अपने फेसबुक वॉल पर एक तस्वीर साझा की।तस्वीर में जनाब खुद शराब की आधी भरी बोतल संग अपने एक अन्य दोस्त के साथ “पार्टी ऑल नाईट” का स्टेटस लिख कर शेयर किया है। नालन्दा एसपी को जैसे ही सोशल साइट पर फेसबुक पर इस तरह की पोस्ट पढ़ी उन्होंने इसे एक चैलेंज लेते हुए “विक्की आर्य” नामक इस युवक की गिरफ्तारी के लिए खुद ही इस मुहीम में जुट कर उसकी तलाशी शुरू कर दिए। मखौल उड़ाने वाले युवक विक्की आर्य को गिरफ्तार करने के लिए एसपी कुमार आशीष एवं उनकी टीम ने लगातार तलाशी अभियान जारी रखे हुए थे।वही एसपी कुमार आशीष स्वयं भी लगातार टीम को जरुरी दिशा निर्देश देते हुए विक्की आर्य नामक इस युवक को दबोचने की सटीक रणनीति के तहत लोकेशन की पुष्टी में लगे रहे। आखिरकार खाकी धारियों की मुहीम रंग लाई और फेसबुक पर शेखी बघारने वाले विक्की को लहेरी थाना क्षेत्र से शराब के नशे में धुत्त उसके 4 अन्य साथियों के संग गिरफ्तार कर लिया गया।

 नालंदा के पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष ने सोमवार को बताया कि विक्की के पास से शराब की वह बोतल भी बरामद की गई है, जिसकी तस्वीर पोस्ट की गई है। उन्होंने बताया कि सभी की मेडिकल जांच की जा रही है। बिहार में इस तरह की यह पहली घटना है, जब फेसबुक पर शराब की बोतल के साथ फोटो पोस्ट करने पर गिरफ्तारियां हुई हैं।

गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल महीने से पूर्ण शराबबंदी है। शराबबंदी को लेकर सख्त कानून का प्रावधान किया गया है। शराब को किसी भी तरीके से बढ़ावा देने और उसका प्रचार-प्रसार करने पर भी रोक लगाई गई है।

मुख्यमंत्री का ऐलान : बिहार में बनेगा अंतराष्ट्रीय स्तर का स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स

राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने खेल दिवस सम्मान समारोह में ऐलान किया की नालन्दा में अंतराष्ट्रीय स्तर का स्पोर्ट्स कॉम्पेक्स का निर्माण किया जायेगा.

बिहार में बेहतर खेल सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पटना में मोइनुल हक स्टेडियम का विकास किया गया है। बिहार में स्पोर्ट्स एकेडमी का निर्माण होगा। नालंदा में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है। ये बाते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में खेल दिवस सम्मान समारोह में कही।

नीतीश ने कहा कि नालंदा के खंडहर को देखने देश-दुनिया से लोग आते हैं। उसे पुनर्जीवित किया गया। अब वहां नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि में पढ़ाई भी हो रही है। वहां एक आइटी सिटी बनाया जाएगा। साथ ही वहां स्पोर्ट्स एकेडमी बनाया जाएगा। निकट ही एक क्रिकेट स्टेडियम भी बनेगा। इन सब के लिए जमीन का आवंटन हो चुका है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग पूछते हैं कि हमारे यहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच नहीं हागा? इसक लिए हम काम कर रहे हैं। हमारा काम है इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, जो हम कर रहे हैं।

नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में खेलकूद की गतिविधियां बढ़नी चाहिए। युवाओं को अवसर मिलने चाहिए।

वर्तमान नालंदा विश्वविद्यालय एक सपना साकार होने जैसा है : राष्ट्रपति

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आज बिहार के लिए बहुत एतिहासिक दिन था।  800 वर्षों बाद फिर बिहार ने इतिहास को दोहराया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और विश्वविद्यालय के पहले सत्र के कुल बारह छात्रों को सम्मानित किया । इसमें दो छात्र, शशि अहलावत और साना सालाह को गोल्ड मेडल से नवाजा। इसके साथ ही 10 अन्य को सर्टिफिकेट दिए गए।

इस एतिहासिक मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि पुराने नालंदा विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक महत्व रहा है। बिहार में नालंदा और विक्रमशिला जैसे ऐतिहासिक महत्व के विश्वविद्यालय रहे हैं। वर्तमान नालंदा विश्वविद्यालय एक सपना साकार होने जैसा है।

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साथ ही राष्ट्रपति ने पर्यावरण असंतुलन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “धरती हमारे लिए बहुत कुछ करती है और आज हम धरती के लिए क्या कर रहे हैं, यह सभी को सोचना चाहिए।” उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की योजना खुद बिजली पैदा करने की है, यह प्रणाली अन्य शिक्षण संस्थानों को भी लागू करनी चाहिए।

 

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि विश्वविद्यालयों को अभिव्यक्ति की आजादी का केन्द्र होना चाहिए तथा इनमें असहिष्णुता, पूर्वाग्रह और नफरत के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
मुखर्जी ने इस विशेष मौके पर कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय उच्च स्तरीय वाद-विवाद और चर्चाओं के लिए विख्यात रहा है। यह महज एक भौगोलिक संरचना नहीं था बल्कि विचारों एवं संस्कृति को प्रतिङ्क्षबबित करता है। नालंदा मित्रता, सहयोग, वाद-विवाद, चर्चा और बहस का संदेश देता है। वाद-विवाद एवं चर्चा हमारे व्यवहार और जीवन का हिस्सा है।

विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षा संस्थान वाद-विवाद, चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के सर्वश्रेष्ठ मंच हैं। उन्होंने कहा बदलावों को आत्मसात करने के लिए हमें अपनी खिड़कियां खुली रखनी चाहिए लेकिन हवा के साथ बहना भी नहीं चाहिए। हमें पूरी दुनिया से हवाओं को अपनी ओर आने देना चाहिए और उनसे समृद्धि हासिल करनी चाहिए।

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राष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत विश्व को ज्ञान की रोशनी देता आ रहा है। यहां तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और कई अन्य विश्वविद्यालय थे जहां उच्च शिक्षा के लिए देश-विदेश से लोग आते थे। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय से कई विद्वान और बौद्ध भिक्षु चीन गये थें लेकिन यह सिर्फ एकतरफा नहीं था । चीन से भी कई विद्वान यहां आयें।

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इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2006 में इस विश्वविद्यालय की शुरूआत हुई। नालंदा विश्वविद्यालय को बिहार सरकार पूरी मदद दे रही है। इसके लिए 70 एकड़ जमीन इनडाउनमेन्ट के लिए उपलब्ध कराई गई है ताकि विश्वविद्यालय राज्य और केंद्र सरकार पर आश्रित ना होकर आत्मनिर्भर हो जाए। मैं चाहता तो यह जल्द से जल्द इसे अपनी बिल्डिंग में शिफ्ट हो जाता। मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा को विश्व धरोहर में शामिल किया जाना गौरव की बात है। अब तेल्हाड़ा और विक्रमशिला को भी विकसित करना है।

 

इस मौके पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन, डॉ़ मेघनाथ देसाई, राज्यपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित राज्य के कई मंत्री और गणमान्य लोग उपस्थित थे। नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में आठ देशों के प्रतिनिधिमंडल और राजदूत भी शामिल हुए।

बिहार के इस गुफा में दफ़न है कई राजाओं का खजाना, खजाने के लिए अंग्रेजों ने बरसाए थे गोले

पयर्टन के लिए देश में अपना अहम स्थान रखने वाला राजगीर में एक ऐसा गुफा है जिसके बारे में इतिहासकारों का मानना है की यहां कई राजाओं का खजाना दफ़न है।
जरासंध राजाओं का खजाना लूटकर इसी पहाड़ी में रखा था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह सोन का भंडार मौर्य शासक बिंबिसार का था।  भगवान कृष्ण से जुड़ी एक जगह बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में भी है। कृष्ण के मामा के ससुर जरासंध ने खजाना छुपाने के लिए बनाई थी गुफा…

राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छुपाने के लिए गुफा बनाई थी। जिस कारण इस गुफा का नाम पड़ा था सोन भंडार। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि सोने को रखने के लिए इस गुफा को बनवाया गया था। पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाए गए थे। गुफा के पहले कमरे में जहां सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी। वहीं, दूसरे कमरे में खजाना छुपा था। दूसरे कमरे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढंका गया है। जिसे आजतक कोई नहीं खोल पाया।

अंग्रेजों ने किया था तोप से उड़ाने का प्रयास, हुए थे नाकाम
अंग्रेजों ने इस गुफा को तोप के गोले से उड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें नाकामयाब रहे थे, आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं। अंग्रेजों ने इस गुफा में छुपे खजाने को पाने के लिए यह कोशिश की थी, लेकिन वह जब नाकाम हुए तो वापस लौट गए।

अंदर जाते ही 10 मीटर लंबा चट्टान का कमरा मौजूद है यहां पर
सोन भंडार गुफा में अंदर प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है। इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे के दूसरी ओर खजाने का कमरा है। जो कि एक बड़ी चट्टान से ढंका हुआ है।

शंख लिपि में लिखा है खजाने का कमरा खोलने का रहस्य
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है।

जैन धर्म के भी हैं अवशेष
इस जगह पर जैन धर्म के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। यहां पर दूसरी ओर बनी गुफा में 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे थे।

देश के राष्ट्रपति आ रहे है बिहार, सज-धज के तैयार हो रहा है राजगीर

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26 अगस्त महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मूखर्जी बिहार में रहेंगे। वे प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के दिक्षांत समारोह में सामिल होने नालंदा आ रहें है।  राष्ट्रपति के आगमन को लेकर नालंदा में तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं।

26 अगस्त को होने वाले दीक्षांत समारोह को लेकर राजगीर में सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किये जा रहे हैं। जिले के डीएम ने राजगीर के दुकानदारों और आम लोगों से अपील की है कि राष्ट्रपति के स्वागत में अपने-अपने घरों का रंग रोगन करवा लें, ताकि देश-विदेश से आने वाले लोगों के मन में राजगीर की छवि और भी बेहतर बन कर उभरे।

कार्यक्रम में राष्ट्रपति समेत अन्य देशों के भी प्रतिनिधि आयेंगे। शहर की सड़कों पर सफेद लाइनिंग कराने का काम भी शुरू कर दिया गया है. सुरक्षा के मद्देनजर कार्यक्रम स्थल पर काफी संख्या में सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं।

बिहार की यह अनाथ बेटी अब अमेरिकन घर की लक्ष्मी बनेगी

नालंदा: अमेरिका की एक दंपती ने दो वर्षीय एक अनाथ बिहारी बच्ची सरस्वती कुमारी को गोद लिया है। 

नालंदा के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित मदर टेरेसा अनाथ सेवा आश्रम से सरस्वती को अमेरिकी दंपती बेसली मोन मैथ्यू व मिन्नी सिली अन्न मैथ्यू ने गुरुवार को गोद लिया. सरस्वती सात माह की थी तब इस अनाथ आश्रम में आयी थी. बाल कल्याण समिति गया के द्वारा भेजी गयी. यह अबोध यहां रह कर पल और बढ़ रही थी.

 

गुरूवार को पुलिस कप्तान कुमार आशीष ने अनाच् बच्ची को अमेरिकी दंपती वेसली मोन मैथ्यू एवं उनकी पत्नी मिन्नी सीली अन्न मैथ्यू को सारी कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद सौंप दिया। इस अवसर पर एसपी ने कहा कि सरस्वती आज के बाद भारतीय से अमेरिकन हो गई है। वे उसके सुखमय जीवन की कामना करते हैं। उन्होंने अनाथ आश्रम की प्रशंसा करते हुए कहा की यहां की कर्मियों की जितना भी प्रशंसा की जाए कम होगी। उन्होंने कहा कि अनाथ और लावारिश्च् बच्चों की देख भाल करना सबसे बड़ा पुण्य का काम है।

 

सरस्वती के नये पिता अमेरिका में कम्प्यूटर इंजीनियर है। पत्नी नर्स हैं। आश्रम के अध्यक्ष अमित कुमार पासवान ने कहा कि यह बिहार की नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सौभाग्य की बात है कि नि:संतान माता-पिता इस संस्थान के माध्यम सच् बच्चों एवंच्बच्चियों को गोद लेकर पुत्र एवं पुत्रियों की कमी को दूर कर रहे हैं।

यह बच्ची बाल कल्याण समिति गया से आयी थी। इस संस्था से विदेश जाने वाली यह छठ बच्ची है।

यह बहुत सराहनीय काम है जिसका स्वागत होना चाहिए।  यह इंसानियत की मिशाल है।  यह संस्था द्वारा भी जो काम किया जा रहा, उसकी जितनी भी तारिफ किया जाए कम है।  इनके प्रयासों से अनाथों को भी माता-पिता का प्यार मिलेगा और उनको अच्छी परिवरीस मिलेगी।