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स्नो स्कल्पचर कॉम्पिटिशन में भारत को प्रथम स्थान दिला, बिहार के रवि ने जापान में लहराया तिरंगा

देश के हर नागरिक का सपना होता है कि एक दिन वह अपने काम से देश का नाम रौशन करें| विदेशी धरती पर शान से देश का तिरंगा फहराने का अनुभव सबसे अलग होता है| इसके लिए जरुरी नहीं कि आप सिर्फ भारतीय सेना में जाकर ही देश की सेवा कर सकते हो| कोई भी इन्सान किसी भी क्षेत्र में चाहे तो देश का नाम रौशन कर सकता है|

बिहार के कैमूर जिले के रहने वाले देश के उभरते युवा मूर्तिकार रवि प्रकाश ने ऐसा ही एक एतिहासिक काम किया है| रवि प्रकाश ने जापान में भारत का परचम लहरा है|

जापान के नयोरो में आयोजित इंटरनेशनल स्नो स्कल्पचर कॉम्पिटिशन ‘जापान कप 2019, नयोरो’ में रवि ने न सिर्फ प्रथम स्थान लाकर भारत का परचम लहराया बल्कि जापान की जमीं पर भारत का तिरंगा फहराया|

बता दें कि यह पहली बार हुआ जब कोई भारतीय टीम इस प्रतियोगिता में भाग लिया| भारतीय टीम के स्पोंसर के रूप में ‘विश्व समन्वय संघ’,सन्निधि ,राजघाट, नई दिल्ली का पूर्ण सहयोग रहा| टीम अभ्युदय ने भारतीय संस्कृति से जुड़ी भगवान विष्णु के वराह अवतार जीवंत मूर्ति बनाकर देश का गौरव बढ़ा दिया|

गौरतलब है कि जापान में पांच फरवरी से नौ फरवरी तक इंटरनेशनल स्नो स्कल्पचर प्रतियोगिता ‘जापान कप 2019, नयोरो’ का आयोजन किया गया था| जिसमें प्रथम स्थान भारत, दूसरा स्थान रूस व तीसरा स्थान थाईलैंड को मिला| जिसमें भारत की तरफ से कैमूर जिले के पकड़ीहार गांव का रवि प्रकाश, यूपी के लखिमपुर खिरी का रजनीश वर्मा व दिल्ली के सुनील कुमार कुशवाहा ने हिस्सा लिया था|

टीम के कप्तान रवि ने बताया कि अन्य देशों से एक से अधिक टीमें काफी अनुभवी प्रतिभागियों के साथ हिस्सा ली थी| हम भारतीय कलाकारों के लिए इस तरह के प्रतियोगिता में नया अनुभव था| फिर भी हमलोग पूरे जुनून के साथ अपनी संस्कृति को रखने का काम किया| जापान में अपने देश जैसा कुछ भी नहीं दिख रहा था, लेकिन हमलोग प्रतियोगिता स्थल के पास लहराता हुआ तिरंगा झंडा हमें बहुत कुछ संदेश दे रहा था|

मालूम हो कि रवि प्रकाश इसके पूर्व जनवरी माह में चीन में आयोजित 24वें इंटरनेशनल स्नो स्कल्पचर प्रतियोगिता में चौथा अंक लाकर देश को एक्सीलेंस आवार्ड दिलाया था| जबकि इसके पूर्व रवि प्रकाश देश के नाम कई आवार्ड ला चुके है|

साभार: रोहतास डिस्ट्रिक्ट

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खुशखबरी: दिल्ली और बिहार के बीच शरू होने जा रही है लक्ज़री सरकारी एसी बस सेवा

दिल्ली में रहने वाले बिहारियों के लिए बड़ी खबर है| बिहार और दिल्ली के बीच वातानुकूलित सरकारी बस शुरू हो रही है| अगले दो हफ्ते में ये सेवाएं शरू हो जायेंगे| अभी तत्काल में 4 बसों के साथ ये सुविधा शुरू हो रही| जनवरी तक बसों की संख्या 30 कर डी जायेंगीं|

बिहार ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी संजय कुमार अग्रवाल के अनुसार ये लक्ज़री वॉल्वो बसें होंगी| जिसमें एसी के अलावा सीसीटीवी, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट, एलइडी टीवी और जीपीएस ट्रैकर जैसी सुविधाएँ होंगी| लगभग 1,065 किमी यात्रा के लिए यात्रा अवधि लगभग 16-18 घंटे होगी। उन्होंने कहा की अभी भरा तय नही हुआ है| 25 दिसम्बर को क्रिसमस के मौके पर यह लांच किया जा सकता है|

दो बसें हर दिन दोपहर दिल्ली और पटना से निकल जाएंगी। दूसरे चरण में, दिल्ली से बिहार के अन्य जिलों में अधिक एसी बसें पेश की जाएंगी, जिनमें मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, गया, किशनगंज और पूर्णिया शामिल हैं।

यह सुविधा चालू हो जाने से लोगों का रेलवे पर से निर्भरता कम हो जाएगी| दिल्ली-बिहार बस का भरा तो कम हो ही जायेगा साथ ही यह निजी बस वालों के मनमानी से भी लोगों को राहत देगा| निजी बसों के लिए एक तरफा टिकट आमतौर पर एक रेक्लिनेर के लिए 1000-1,200 रुपये और स्लीपर के लिए 1,400 रुपये से 1,600 रुपये खर्च करता है।

“दिल्ली से बिहार के लिए 10 से अधिक ट्रेनें हैं। मांग इतनी अधिक है कि छह महीने पहले कोशिश करने के बावजूद, कई प्रतीक्षा सूची में खत्म हो जाते हैं। अग्रवाल ने कहा, त्योहारों के मौसम में स्थिति खराब हो जाती है।

जब बस से यात्रा की बात आती है, हर दिन बिहार में कम से कम 5000 लोग दिल्ली से आते हैं। राष्ट्रीय राजधानी से इस राज्य में 100 से अधिक बसें चल रही हैं लेकिन सभी निजी सेवाएं हैं। इसका मतलब है कि दरों को तय नहीं किया गया है और लोगों को मनमाने ढंग से चार्ज किया जाता है, जो त्योहारों के मौसम के दौरान आसमान छूने लगता है|

 

 

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आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री जी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा, पढ़िए पूरा भाषण

आज भारत के आजादी की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। लालकिले से लेकर देश का हर शहर जश्न-ए-आजादी के रंग में रंगा है। पीएम मोदी लाल किले से देश को संबोधित किया है| पढ़िए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा भाषण..

12 साल बाद लहलहा रहे हैं नील कुरिंजी के फूल
आजादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज देश आत्मविश्वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्प के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करके देश नई ऊंचाइको पार कर रहा है। आज का सूरज नया उमंग, नई उत्साह लेकर आया है। हमारे देश में 12 साल में एक बार नील कुरिंजी का फूल उगता है। इस साल दक्षिण के नीलगिरी पहाड़ियों पर नील कुरुंजी का फूल जैसे मानों तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह लहलहा रहा है।

बेटियों ने सात समंदर पार किया
आजादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं जब हमारी बेटियां, उतराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंगकर लौट आईं। एवरेस्ट विजयी तो बहुत हुए। हमारे अनेक वीरों और बेटियों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। आजादी के इस पर्व पर याद करूंगा कि आदिवासी इलाकों के हमारे बच्चों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इसकी शान और बढ़ा दी है।

संसद सत्र में सामाजिक न्याय के लिए काम
अभी-अभी लोकसभा और राज्यसभा के सत्र पूरे हुए हैं। यह सत्र बहुत अच्छे ढंग से चला और संसद का यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्याय को समर्पित था। सोशित, वंचितों और महिलाओं की हकों की रक्षा के लिए संवेदनशीलता के साथ समाजिक न्याय को मजबूत किया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़ों-अति पिछड़ों के हकों की रक्षा का प्रयास किया।

सकारात्मक माहौल
हमारे देश में उन खबरों ने देश में एक चेतना लाई है कि भारत विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। ऐसे सकारात्मक माहौल में हम आजादी का पर्व मना रहे हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए बापू के नेतृत्व में लाखों लोगों ने जवानी जेलों में गुजार दी। बहुत से लोगों ने आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया। मैं उन वीरों को सलाम करता हूं। इस तिरंगे की आन-बान-शान के लिए सैनिक दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं। मैं अर्धसैनिक बलों और पुलिसबल को लाल किले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं।

इन दिनों देश के कोने-कोने से अच्छी बर्षा के साथ बाढ़ की खबरें आ रही हैं। अतिवर्षा की वजह से जिन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ीं उनके लिए देश खड़ा है। जिन्होंने अपनों को खोया है उनके दुख में मैं सहभागी हूं।

अगले साल जलियावाला बाग की घटना को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। मैं उन सभी वीरों को नमन करता हूं।

ये आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्य बापू के नेतृत्व में नौजवानों, सत्याग्रहियों ने जवानी जेलों में काटकर हमें आजादी दिलाई। उन्होंने कुछ सपने भी संजोए थे। आजादी से पहले तमिलनाडु के कवि सुब्रमण्यन भारती ने कहा था ‘भारत दुनिया के सभी बंधनों से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा।’ इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आजादी के बाद बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में समावेशी संविधान बनाया। इसमें समाज के हर तबके को समान रूप से अवसर दिया गया है।

हमारा संविधान कहता है कि गरीबों को न्याय मिले। जन जन को आगे बढ़ने का मौका मिले। निम्न मध्य वर्ग, मध्य वर्ग को और उच्च वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिले। हमारे बुजुर्ग हमारे दिव्यांग, महिलाएं, दलित, पिछड़े, सोशित, आदिवासी को आगे बढ़ने का मौका मिले। हम चाहते हैं कि दुनिया में भारत की धमक हो।

मैंने पहले भी टीम इंडिया का सपना आपके सामने रखा है। जब जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटते हैं तो क्या कुछ नहीं हो सकता। मैं नम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि 2014 में सवा सौ करोड़ देशवासियों ने सिर्फ सरकार नहीं बनाया, देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटे रहे।

एलपीजी गैस कनेक्शन 2013 की रफ्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में 100 साल भी ज्यादा लगता। ऑपटिकल फाइबर बिछाने में उस गति से पहुंचाने में सदियां लग जातीं। देश की अपेक्षाएं बहुत हैं। आज देश में बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है। हवा, आसमान वही हैं। अधिकारी वही हैं फाइलें वहीं हैं, लेकिन 4 साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश दोगुने हाइवे बना रहा है चार गुना मकान बना रहा है। देश रेकॉर्ड अन्न के साथ रेकॉर्ड मोबाइल बना रहा है। रेकॉर्ड ट्रैक्टर से रेकॉर्ड हवाई जहाज खरीदारी हो रही है। देश में नए आईआईटी, नए आईआईएम, नए एम्स बना रहा है। टायर-2 टायर थ्री सिटी में स्टार्टअप्स की बाढ़ है।

सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के लिए काम करा है। तो उतने ही लगाव के साथ दिव्यांगों के लिए काम कर रहा है। हमारा किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती कर रहा है तो पुरानी बंद पड़ी सिंचाई योजनाओं को शुरू किया जा रहा है।

हमारी सेना मुसीबत में घिरे लोगों को बाहर निकालती है। वही सेना सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन के दांत खट्टे करती है। देश नई उमंग से आगे बढ़ रहा है।

किसान संगठन एमएसपी वृद्धि की मांग कर रहे थे। सालों से डेढ़ गुना एमएसपी की बात हो रही थी, लेकिन हमने हिम्मत के साथ फैसला लिया। जीएसटी पर कौन सहमत नहीं था। सबस चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। आज हमारे व्यापारी के सहयोग से देश ने जीएसटी लागू कर दिया है। व्यापारियों को जीएसटी के साथ शुरू में कठिनाई आने के बावजूद आगे बढ़ाया।

आज इन्सॉलवेंसी और बैंकरप्सी का कानून बना है। किसने ऐसा करने से रोका था। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून क्यों नहीं बन पाया था। सैनिक वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे। हमने इसे पूरा किया। हम कड़े फैसले लेने का साहस रखते हैं, क्योंकि हम देशहित में काम करते हैं दलहित में नहीं।

आज पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। हमारी छोटी-छोटी बातों को भी पूरी दुनिया गौर से देख रही हैं। 2014 से पहले दुनिया की ओर से कहा जा रहा था कि भारत की इकॉनमी में रिस्क है, लेकिन अब वही लोग कह रहे हैं कि सुधारों से बदलाव आ रहा है। दुनिया तब रेड टेप की बात कहती थी औज रेड कार्पेट की बात हो रही है। भारत के लिए पॉलिसी पैरालिसिस की बात कही जाती थी। वो भी एक वक्त था जब भारत को फ्रेगाइल-5 में गिना जाता था और आज दुनिया कह रही है भारत मल्टी ट्रिल्यन डॉलर निवेश का गंतव्य बन गया है।

दुनिया कभी बिजली जाने और बोटलनैक की बात करते थे और आज दुनिया कह रही है कि सोया हुआ हाथी ब दौड़ने लगा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया कह रही हैं कि आने वाले तीन दशक तक भारत दुनिया को गति देने वाला है। ऐसा विश्वास आज भारत के लिए पैदा हुआ है।

आज भारत की बात को दुनिया में सुना जा रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज को बुलंद की है। आज हमें अनगिनत संस्थाओं में स्थान मिला है। आज भारत ग्लोबल वार्मिंग की बात करने वालों के लिए उम्मीद बना है। आज कोई भी भारतीय जब कहीं कदम रखता है तो स्वागत होता है। भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ गई है। विश्व में यदि कहीं भी हिंदुस्तानी संकट में है तो उसे विश्वास है कि देश हमारे साथ खड़ा है।

विश्व में भी भारत की ओर देखने का नजरिया मिला है। भारत में जब नॉर्थ ईस्ट की खबरें आती थीं तो लगता था कि ऐसी खबरें ना आएं तो अच्छा। लेकिन आज नॉर्थ ईस्ट से अच्छी खबरें आ रही हैं। खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचने और इंटरनेट पहुंचने की खबरें आ रही हैं। आज नॉर्थ ईस्ट के नौजवान बीपीओ खोल रहे हैं। हर्बल खेती का केंद्र बन गया है।

हमारे देश के युवाओं ने आज प्रगति के सारे मापदंडों को बदल दिया है। नौजवानों ने नेचर ऑफ जॉब को बदल दिया है। नए क्षेत्रों से देश को ऊंचाइयों पर ले जा रह है। 13 कोरोड़ मुद्रा लोन दिया गया है। इनमें 4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया है। आज हिंदुस्तान के गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर युवा चला रहे हैं।

रेलवे, रोड, हाइवे के मामले में देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने हमारे देश का नाम रोशन किया है। 100 से ज्यादा सेटेलाइट एक साथ आसमान में भेजकर दुनिया को चकित कर दिया। पहले ही प्रयास में मंगलयान की सफलता, वैज्ञानिकों की शक्ति दिखाता है। हम जल्द ही नाविक लॉन्च करने जा रहे हैं।

आज लाल किले की प्राचीर से मैं एक खुशखबरी देना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने लक्ष्य रखा है कि 2022 में मां भारत का कोई संतान बेटा हो या बेटी वे अंतरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा लेकर जाएंगे। अब हम मानव को लेकर गगनयान लेकर जाएंगे। तब विश्व के अंदर चौथे देश बन जाएंगे।

मैं देश कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को बहुत बधाई देता हूं। हमारे किसानों को भी वैश्विक चुनौतियों की सामना करना पड़ता है। आज हमारा पूरा ध्यान कृषि क्षेत्र में आधुनिकता लाने पर है। हम किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं। बहुत से लोगों को इस पर आशंका होती है। हम मक्शन पर लकीर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं।

हम बीच से लेकर बाजार तक आधुनिकीकरण करना चाहते हैं। कई फसलों का रेकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। आज हमारा देश मछली उत्पादन में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। आज शहद का निर्यात दोगुना हो चुका है। इथेनॉल का उत्पादन तीनगुना हो गया है। हम गांव के संसाधन और सामर्थ्य को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

खादी का नाम पूज्य बापू के साथ जुड़ा है। खादी की बिक्री पहले से डबल हो गई है। सोलर फार्मिंग की ओर भी हमारा किसान ध्यान देने लगा है। हैंडलूम का रोजगार भी बढ़ा है। मानव की गरिमा सर्वोच्च है। हमें उन योजनाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि लोग सम्मान के साथ आगे बढ़ें।

उज्जवला योजना के तहत हमने घर-घर रसोई गैस पहुंचा रहे हैं। कल राष्ट्रपति जी ने बताया कि कैसे सेवा लोगों तक पहुंच रही है। मैंने इसी लाल किले से स्वच्छता की बात कही थी तो कुछ लोगों ने मजाक बनाया था। पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आई है, इसमें कहा गया है कि स्वच्छता की वजह से भारत में तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे उन्हीं की प्रेरणा से स्वेच्छाग्रही तैयार हुए।

देश के 10 करोड़ परिवारों को यानी करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की योजना देने वाले हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आज 15 अगस्त से परीक्षण शुरू हो रहा है। 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर इसे लॉन्च कर दिया जाएगा। कोई गरीब गरीबी में जीना-मरना नहीं चाहता। कोई गरीब अपने बच्चों को विरासत में गरीबी देकर जाना नहीं चाहता। वह झटपटा रहा होता है। गरीबों को सशक्त बनाने का यही अपाय है। हमारा प्रयास रहा है कि गरीब सशक्त हो।

पिछले 2 साल में भारत में पांच करोड़ गरीब करीबी रेखा से बाहर आए। हमने गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई है। लेकिन बिचौलिए गरीबों का लाभ उस तक पहुंचने नहीं देते। हमारी व्यवस्था में जो त्रुटिया हैं उन्हें दूर करके लोगों में विश्वास पैदा करना जरूरी है। जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, छह करोड़ लाभार्थी ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए। लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। जो इंसान पैदा नहीं हुआ, फर्जी नाम लिखकर पैसे मार लिए जाते थे।

करीब 90 हजार करोड़ रुपया जो गलत लोगों के हाथों में गलत तरीके से जा रहे थे आज वह बचे हैं। ऐसा होता क्यों है। यह देश गरीब की गरिमा के लिए काम करने वाला है। ये बिचौलिये क्या करते हैं। बाजार में गेहूं की कीमत 24-25 रुपये है। जबकि सरकार इस दर पर खरीदकर केवल 2 रुपये में गरीब को देती है। चावल 30-35 रुपये में लेकर 2 रुपये में गरीब तक पहुंचाती है।

जो इमानदार टैक्सदाता है। उन पैसों से ये योजनाएं चलती हैं। इसका पुण्य ईमानदार टैक्सदाताओं को जाता है। जब आप खाना खा रहे हैं तो तीन गरीब परिवार भी खाना खा रहा है और इसका पुण्य टैक्सदाता को मिलता है। देश में टैक्स ना भरने का माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन जब टैक्सदाता को पता चलता है कि उसके पैसे से तीन गरीब परिवारों का पेट भर रहा है तो इससे ज्यादा संतोष की बात क्या होगी। प्रत्यक्ष टैक्सदाताओं की संख्या 2013 तक 4 करोड़ थी और आज पौने 7 करोड़ है, यह ईमानदारी का उदाहरण है। अप्रत्यक्ष कर 70 सालों में 70 लाख था, जीएसटी के बाद एक साल में यह आंकड़ा 1 करोड़ 16 लाख पहुंच गया। जो भी आगे आ रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूं।

देश को दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया। दिल्ली के गलियारों में आप पावर ब्रोकर नजर नहीं आते। कुछ लोग देश बेडरूम में बैठकर कहते थे सरकार की नीतियां बदल दूंगा, उनकी दुकानें बंद हो गईं। करीब 3 लाख फर्जी कंपनियां बंद कर दी गईं।

एक समय पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ था, हमने सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी है। आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं, यह गर्व का विषय है। आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जब महिलाओं को इतना सम्मान मिला है। भारतीय सेना में सॉर्ट सर्विस कमीशन से नियुक्त महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों की तरह स्थायी कमीशन की घोषणा करता हूं। भारत की महिलाएं देश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। खेत से लेकर खेल के मौदान तक योगदान दे रही हैं। स्कूल से लेकर सेना तक कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसे समय में कुछ राक्षसी शक्तियां भी हैं। बलात्कार की घटनाएं पीड़ा पहुंचाती हैं। पीड़िता से ज्यादा हमें पीड़ा होनी चाहिए। इस बुराई से देश को मुक्त करना होगा। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में 5 दिन में बलात्कारियों के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। राजस्थान में भी ऐसा हुआ। इसकी चर्चा जितनी होगी इन राक्षसों को भय होगा। इन खबरों की चर्चा अधिक होनी चाहिए। इस सोच पर प्रहार करने की जरूरत है। हमारे लिए कानून का न्याय सर्वोच्च है।

मुस्लिम महिलाओं को मैं लाल किले से कहना चाहता हूं कि 3 तलाक ने उन्हें पीड़ा दी है। हमने इस संसद सत्र में तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश किया था, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे पारित नहीं होने देना चाहते। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको न्याय दिलाकर रहूंगा।

आए दिन नॉर्थ ईस्ट से बम-बंदूक की खबरें आती थीं। आज हमारे सुरक्षाबलों, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से कुछ वर्षों बाद त्रिपुरा और मेघायल अफस्पा मुक्त हो गया है। आज नक्सलवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है।

जम्मू-कश्मीर के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने हमें रास्ता दिखाया था। हम उन्हीं की तरह इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का विकास करना है। हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। कश्मीर के पंच आकर हमसे अपील करते थे कि पंचायत चुनाव हो। जल्द ही वहां पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव होंगे।

हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। हमारा मंत्र है- सबका साथ सबका विकास। मैं एक बार फिर इस तिरंगे झंडे के नीचे खड़े रहकर मैं संकल्प दोहरना चाहता हूं। सभी देशवासी के पास अपना घर हो। सभी घर में बिजली हो। सभी घर को धुएं से मुक्ति मिले। हर भारतीय को स्वच्छ पानी और शौचालय मिले। हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले। हर भारतीय को बीमा सुरक्षा मिले। हर भारतीय को इंटरनेट की सुविधा मिले।

लोग मेरे लिए भी भांति-भांति की बातें करते हैं। लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो मैं सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता हूं मैं बेसब्र हूं। मैं बेसब्र हूं देश को आगे ले जाने के लिए। मैं बेचैन हूं देश को कुपोषण को मुक्त करने के लिए। मैं व्याकुल हूं कि देश के सभी व्यक्ति को बीमा कवर मिले। मैं बेसब्र हूं कि देश के लोगों का जीवनस्तर में सुधार हो। मैं आतुर हूं कि क्योंकि मैं चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए।

हम जा आज हैं कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते हैं। रुकना और झुकना हमारे स्वभाव में नहीं। यह देश ना रुकेगा ना झुकेगा और ना थकेगा। हम सिर्फ भविष्य देखकर अटकना नहीं चाहते हैं।

अपने मन में एक लक्ष्य लिए मंजलि अपनी प्रत्यक्ष लिए…हम तोड़ रहे हैं जंजीरे…हम बदल रहे हैं तस्वीरें

यह नवयुग है यह नवभारत है…खुद लिखेंगे अपनी तकदीर…बदल रहे हैं तस्वीर

हम निकल पड़े हैं अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगना है…अंबर से आगे जाना है…एक भारत नया बनाना है।

बिहार के राकेश को बराक ओबामा के विशेष सभा में शामिल होने का मिला मौका

भागलपुर के 22 वर्षीय राकेश को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के ओबामा फाउंडेसन द्वारा आयोजित एक विशेष सभा में सम्मलित होने का अवसर मिला। यह सम्मलेन एक दिसंबर को नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ। जहाँ राकेश देश भर के चुनींदा युवा प्रतिनिधियों संग बराक ओबामा के साथ शामिल हुए। इस साल राष्ट्रपति ओबामा ने जर्मनी, इंडोनेशिया और ब्राजील में युवा प्रतिनिधियों के साथ सम्म्मेलन की मेजबानी  कििया और उसके बाद वो भारत आएं।

राकेश पी. साईनाथ की संस्था परी के साथ मिलकर ग्रामीण भारत के लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी के पर डिजिटल संग्रहालय बनाने की दिशा में काम कर रहे है। साथ ही
वे सम्मलेन में बिहार के ग्रामीण अंचल में शिक्षा, आजीविका और मानवाधिकार जैसे सामाजिक सरोकारों को सामाजिक उद्यमिता और सामुदायिक विकास की अपनी परियोजना पर काम कर रहें हैं। ओबामा फाउंडेसन सामाजिक बदलाव के लिए प्रयासरत और उभरते युवाओं को सहयोग दे रहें हैं।

राकेश का मानना है कि समाज के सभी वर्गों के बच्चों को सामान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।इसके लिए उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे युवाओं,शिक्षाविदों,पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओ को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। ताकि ग्रामीण अंचल के सभी परिवार खुशहाल और गरिमापूर्ण जीवन जी सके।

मध्य विद्यालय सरकंडा और साहिबगंज कॉलेज से शिक्षा पूरी करने के बाद राकेश ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय में मास्टर्स इन सोशल वर्क में अध्ययनरत है।
उनकी इस उपलब्धि पर ग्रामीणों ने उनके पिता राजेंद्र रजक को बधाई दी और सभी ने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

खुशखबरी: बिहार और नेपाल के बीच बिछाने लगा रेलवे ट्रेक, इस साल से दौड़ेगी ट्रेने

नेपाल से बिहार का सदियों पुराना नाता रहा है। यह रिश्‍ता दो देशों से बढ़कर सामाजिक व पारिवारिक स्तर तक है। बिहार व नेपाल के बीच निर्बाध आवागमन से इसे बढ़ावा दिया है। इस दिशा में नई पहल से यह रिश्‍ता और मजबूत होगा। अब अगले साल से बिहार व नेपाल के बीच ट्रेन सेवा भी शुरू होन जा रही है।

बिहार से नेपाल के लिए पहली ट्रेन अगले साल अक्टूबर महींने में दौड़ेगी। जानकारी के अनुसार बिहार के जयनगर से नेपाल के बर्दीबास तक आठ सौ करोड़ की लागत से 69 किमी सिंगल ट्रैक का निर्माण किए जाने का प्लान है। इसमें बिहार के जयनगर में तीन किमी रेल ट्रैक रहेगा। इसके लिए पहले चरण में जयनगर से जनकपुर होते हुए कुर्था तक 35 किमी रेल ट्रैक निर्माण का काम जारी है।

निर्माण कंपनी इरकॉन के अनुसार अप्रैल 2018 तक जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक ट्रैक का निर्माण कर लिया जाएगा। अक्टूबर 2018 तक ट्रेन का ट्रायल भी हो जाने की उम्‍मीद है। इसके बाद ट्रेनों का नियमित परिचालन आरंभ हो जाएगा।

 

इसके बाद दूसरे चरण का काम आरंभ किया जाएगा। इसके तहत मार्च 2019 तक कुर्था से बिजलपुरा तक रेल ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। आगे तीसरे चरण में बिजलपुरा से बर्दीबास तक 16 किमी ट्रैक का निर्माण किया जाएगा।

इरकॉन के एक अधिकारी के अनुसार जयनगर से कुर्था तक अक्टूबर 2018 से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। नेपाल स्थित कुर्था से बिजलपुरा तक मार्च 2019 में ट्रेन सेवा शुरू की जाएगी। आगे बिजलपुरा से बर्दीबास तक 2021 से ट्रेनें चलेंगी।

दोनों देशो के इस पहल से अब बिहार तथा नेपाल के बिच की दूरियां और भी कम हो जाएगी। जिससे लोगों को आने -जाने में किसी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस नए रेलवे योजना से अब नेपाल और बिहार के साथ -साथ दोनों देशो के बिच का सम्बन्ध और भी मजबूत हो जाएगा।

 

पीएम मोदी और नेपाली पीएम के साथ बैठकर बाढ़ के समस्या का हल निकालेंगे नीतीश

बिहार का काफी क्षेत्र हर साल नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ से तबाह हो जाता है| इन नदियों की बाढ़ से हर साल हजारों लोग बेघर होते हैं| गरीबी की मार के साथ-साथ ताउम्र अपनों के खोने की त्रासदी झेलते रहते हैं| हर साल की तरह इस बार भी बिहार का बहुत बड़ा हिसा बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है| हर साल की तरह इस बार भी हजारों-लाखों लोग बेघर हो चुकें है, भूखें तरप रहें हैं और यहाँ तक कि सैकरों लोगों की जान भी जा चुकी है|
जानकारों का कहना है कि बिहार में ऐसी बाढ़ पिछले पचास वर्षों में नहीं आई थी। बिहार के 14 जिले खासकर, अरहरिया, सुपौल, किशनजंग, कटिहार, पूर्णिया, पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और सीतामढ़ी जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उत्तर और पूर्वी बिहार के एक करोड़ लोग इस विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं।

2008 में जब कोसी का ‘कुसहा’ बांध टूटा था तब लगता था कि लोगों ने भयावह बाढ़ से उत्पन्न होने वाली विपदा से सीख ले ली है। उस समय ऐसा कहा जाता था कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार मिलकर नेपाल सरकार से आग्रह करेंगी कि उन नदियों पर बांध बनाया जाए जो नदियां नेपाल से निकलती हैं। परन्तु लाख प्रयासों के बावजूद भी ऐसा संभव नहीं हो सका।

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा 26 अगस्त को बिहार आ रहें हैं और आपको बता दें कि अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 26 अगस्त को बिहार के दौरे पर रहेंगे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा करेंगे|
कहा जा रहा है कि 26 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के साथ नेपाली प्रधानमंत्री देउबा भी बिहार के दौरे पर होंगे| उनसे बाढ़ की विभीषिका ने निपटने के स्थायी समाधान पर चर्चा होगी|
जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि देश के पीएम, नेपाली पीएम और सीएम नीतीश के बीच बाढ़ को लेकर परमानेंट मैकेनिजम बनाने पर जोर दिया जाएगा| बांध और तटबंध बनाकर बिहार में बाढ़ की विभीषिका को रोका जा सकता है|

नेपाल से निकलनें वालें नदियों पर बाँध बनाने का मुद्दा आज का नहीं है बल्कि यह मुद्दा दशकों पुराना है| यह सरकारों की नाकामी कहें या राजनितिक इच्छाशक्ति का न होना की अभी तक इस समस्या का हल नहीं निकल पाया है और इसका खामियाजा हर साल बिहार के गरीब जनता को झेलना परता है|

 

क्यों नहीं बन पा रहा है बांध

एक बार कुछ वर्ष पहले जब नेपाल में मित्रवत सरकार थी तब करीब-करीब इस बात पर सहमति हो गई थी कि नेपाल से निकलने वाली नदियों पर नेपाल के क्षेत्र में ही बांध और बराज बनाए जाएंगे और उससे प्राप्त होने वाली बिजली से नेपाल व बिहार दोनों को लाभ पहुंचेगा। भारत का कहना था कि उसने भूटान की नदियों को भी बांधा है, वहां बराज बनाए हैं और बड़े बड़े बिजली घर बनाए हैं। वहां बहुत अधिक बिजली का उत्पादन होता है, जिसमें से 90 प्रतिशत बिजली भारत सरकार खरीद लेती है। परन्तु उसका भुगतान भारतीय मुद्रा में किया जाता है। तत्कालीन भारत सरकार ने कहा था कि वह यही व्यवस्था नेपाल में करना चाहती है। वहां जो बिजली पैदा होगी उसका 80 प्रतिशत भाग भारत खरीद लेगा। मगर इसका भुगतान भूटान की तरह नेपाल को भारतीय मुद्रा में किया जाएगा। नेपाल की सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं हुई। वह भुगतान ‘डॉलर’ में चाहती थी। उसका कहना था कि वह बेशुमार भारतीय मुद्रा को लेकर क्या करेगी? दोनों सरकारें अपनी जिद पर अड़ी रहीं और अंतत: इस योजना का कार्यान्वयन नहीं हो सका।

 

जिन लोगों ने उत्तर बिहार की बाढ़ की विभिषिका को आंखों से नहीं देखा है वे इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि बाढ़ के आने पर लाखों लोग किस तरह देखते ही देखते संपन्नता से गिरकर दरिद्र हो जाते हैं। लोग मेहनत-मजदूरी करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और पंजाब आते हैं। सालभर की कमाई करके घर इस उम्मीद में लौटते हैं कि वे अपनी बहन-बेटियों का विवाह करेंगे। वे शादी का सामान लेकर और मेहनत की कमाई लेकर घर लौटते हैं। अचानक ही नेपाल से आने वाली नदियों में बाढ़ आ जाती है और देखते ही देखते सब कुछ बहकर समाप्त हो जाता है। दुखी और निराश होकर ये गरीब और मध्यम वर्ग के लोग फिर से मजदूर बनकर पंजाब और हरियाणा मजदूरी करने के लिए लौट जाते हैं यह सोचते हुए कि अब उनकी बेटी बहनों का विवाह कैसे होगा? जिन लोगों ने उत्तर बिहार की बाढ़ की विभिषिका को नहीं देखा है वे इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

उम्मीद है कि इस बार नेपाली प्रधानमंत्री के साथ बैठ के देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार इस समस्या का हल जरुर निकालेंगें और बिहार का भला करेंगे|

ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिंहा ने पटना में छात्रों को किया संबोधित

​एवरेस्ट पर चढ़ने वाली विश्व की पहली दिव्यांग महिला पद्मश्री अरुणिमा सिंहा कल शाम पटना में विश्वप्रसिद्ध लीडरशिप एंड एंटरप्रेन्योरशिप संस्था डेक्स स्कूल के स्नातक समारोह में छात्रों को संबोधित किया। छात्रों को संबोधित करते हुए अरुणिमा ने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं को व्यक्त कर लोगों को हतप्रभ कर दिया।
लक्ष्य निर्धारण कर उसे पूरा करने की हो जिद 


अरुणिमा ने कहा कि जीवन में हर इंसान को अपना लक्ष्य पता होना चाहिए। उसे पूरा करने के लिए अपनी सारी उर्जा लगा दो, लोग क्या कहते हैं इस बात को न ध्यान देते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। सिन्हा ने कहा कि आंखों के सामने जब मौत दिखती है तो बड़े-बड़े महारथी के हौसले पस्त हो जाते हैं।
डर को अपने आप से करना होगा दूर 

 युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में हर किसी को किसी न किसी चीज से डर लगाता है। ऐसे में व्यक्ति डर के साये में जीता है। जीवन में उतार-चढ़ाव आते है ऐसे में अपने मन से डर को निकाल लक्ष्य की ओर बढ़ने का जज्बा होना चाहिए।
युवाओं में हो लीडरशिप के गुण 

सिन्हा ने कहा 25-30 साल की उम्र में युवाओं में लीडरशीप का गुण विकसित होना चाहिए। इसके बाद युवा अपने आप को दूसरे से अलग पाते हैं और लोगों के आदर्श बन जाते हैं। सिन्हा ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि समय एक जैसा नहीं होता। सुख और दुख को समान समझ कर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने लिए नए रास्ते तलाश करें। जो बात बीत गई हो उसके बारे में सोचने से और रोने से कुछ नहीं मिलता। जीवन में बहुत कुछ करना बाकी है। जब भी किसी जरूरतमंद की सेवा करने का अवसर मिले तो कभी अपने पैर पीछे मत हटाना। गलत कामों के लिए हमेशा अपनी आवाज उठाएं।
लाइफ के असली हीरो हम सभी 

सिन्हा के ऊपर फिल्म बन रही है। फिल्म के बारे में अवगत कराते हुए कहा कि 2019 तक फिल्म बनकर तैयार हो जाएगी। फिल्म में संभवत: अभिनेत्री कंगना रनौत अरुणिमा का किरेदार में होंगी। सिन्हा ने कहा कि फिल्मकार तो सिर्फ फिल्म बनाते हैं और हीरो कोई और होता है लेकिन यहां तो हीरो और फिल्मकार आप सभी होते हैं। इसलिए अपनी मंजिल तलाश कर अकेले चलते रहें। सिन्हा लड़कियों को प्रशिक्षण देकर उसे जिंदगी का पाठ पढ़ा रही हैं। मौके पर स्वराज प्रियदर्शी आदि कई लोग मौजूद थे।
याद दिलाया उस काली रात का मंजर
कहा कि साल 2011 के 11 अप्रैल को पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली जा रहीं थीं। रात के लगभग एक बजे कुछ शातिर अपराधी ट्रेन के डिब्बे में दाखिल हुए और सिन्हा को अकेले देख गले की चैन छिनने का प्रयास किया। अरुणिमा ने इसका विरोध किया जिसके बाद अपराधी ने चलती ट्रेन से बरेली के पास फेंक दिया। पैर कटने के बाद दर्द से चीखती-चिल्लाती रहीं फिर काफी समय बाद उन्होंने अपने आप को हास्पिटल में पाया। बताया कि हॉस्पिटल में कुछ समय बिताने के बाद पेपर में एवरेस्ट के बारे पढ़ा और फिर अपने लक्ष्य को देख उसकी तैयारी में लग गई।

अब प्रतिष्ठित विश्व बैंक ( Wold Bank) ने भी इस बिहारी को आमंत्रित किया है !

बिहार-बिहार-बिहार, बिहारी-बिहारी-बिहारी हर तरफ आप सुनते होंगे|
बिहार के बारे में आप कैसा सुनते हैं वो इस पर निर्भर करता है कि आपकी संगति कैसी है! कुछ लोगों को बिहारी मतलब बांके बिहारी श्री कृष्णा समझ में आता है, अयोध्यावासी तो बिहारी या मिथिला सुन के हंसी-मजाक करना शुरू कर देते हैं| मंत्रालय, सचिवालय में बिहारी का मतलब कोई बड़ा साहेब या IAS अधिकारी होता है| कहीं बिहारी शब्द सुन के मुँह से वाहे गुरु जैसा शब्द भी निकल जाता है| ये बहुत बड़ा और मजेदार विषय है| खैर आज जिन शक्सियत से हम आपको मिलवाने से जा रहे हैं, उसका आत्म-विश्वास उन्हें खास बनाता है|

सबसे पहले तो नाम ही बहुत खास है इनका| नाम में प्रयुक्त शब्दों को देखें तो इनका एक जबरदस्त व्यक्तिव बनता है| ज्ञान व् ‘विवेक’ का ‘सागर’ जो अनंत गहराईयों में बिहार व् देश के लिए सुन्दर सपना रखता हो, साथ में व्यव्हार-विचार बिलकुल मृदु हो, साधारण हो, सरल हो वो ही शायद ये कहला सकता है-  ” शरद विवेक सागर “!

अब हम बताते हैं हाल ही में इन्हें मिली एक और उपलब्धि के बारे में जो इनके अक्टूबर महीने में अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा से मुलाकात के बाद दूसरी बड़ी खबर है और उपलब्धि भी है; उनके लिए, हमारे बिहार के लिए, हर भारतीय के लिए!
उन्होंने लगभग 9 घंटे बिताया अमेरिका के वाइट हाउस में और वो ९० मिनट का खास Session रहा अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ | राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उसी दौरान शरद विवेक सागर को बधाई देते हुए कहा कि “उम्मीद करता हूँ मजा आ रहा होगा आपको, वाइट हाउस में”| आपको पता ही है, ये भारत के एक मात्र नागरिक हैं जिन्हें इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुलाया| इस खबर को हर छोटे बड़े मीडिया हाउस ने खूब जगह दी थी| यह चर्चा का विषय बन गया था|

अब इसी महीने  इनको  “वर्ल्ड बैंक यूथ सबमिट ” में आने का आमंत्रण मिला है !

24 वर्षीय ‘Dexterity Global’ के CEO को इस साल नवम्बर महीने में होने वाले ‘World Bank Youth Summit’ में आमंत्रित किया गया है, जो अमेरिका के वाशिंगटन DC में आयोजित होना है| इस प्रोग्राम का नाम है ‘The World Bank Youth Summit: Rethinking Education for the New Millennium’, जो इस बार साथ लायेगा वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि व् पूरी दुनिया के कुछ चुनिंदा यूथ लीडर्स को जिन्होंने प्राइवेट सेक्टर या सरकारी सेक्टर में अपने बेहतर काम, नई सोच, इनोवेशन के साथ अलग मुकाम पाया है| यहाँ ये सभी आपस में विचारों का आदान प्रदान करेंगे |
इस प्रोग्राम के लिए विश्व भर से लगभग १८०० लोगो में से कुछ विशेष शख्सियतों को बुलाया गया है जिनकी इस सदी में ‘शिक्षा व् शिक्षा व्यवस्था’ को ले के उम्दा और अलग सोच है|

हाँ ये वही शरद विवेक सागर हैं जिन्होंने केवल 16 साल की उम्र में Dexterity Global की स्थापना की, जहाँ बच्चों को शिक्षा में एक प्लेटफार्म देना इनका एक मात्र उदेश्य हैं| जहाँ ये बच्चों में लीडरशिप क्वालिटी से लेकर कई मौके प्रदान करते हैं| सही और सटीक दिशा निर्देश दे के ये भारत में हर साल लगभग १२ लाख बच्चों को लाभांवित करते हैं अपने इस प्रयास से|

साल 2016 इनके लिए लाजबाब रहा है, और हम बिहारवासियों के लिए भी जब जनवरी -फरवरी में शुरुआत हुई थी धमाकेदार उपलब्धि से; जब पहली बार किसी बिहारी का नाम दुनिया के प्रसिद्द मैगज़ीन Forbes में शामिल हुआ| शरद विवेक सागर का नाम टॉप 30 अंडर 30 लीडर/ उभरते बिजनेसमैन के लिस्ट में आया था, जिसमें फेसबुक के Mark Zuckerbarg , Malala Yousafzai समेत कई जानी-मानी हस्तियाँ थीं| मीडिया में हर तरफ चर्चा का विषय तब जो शुरू हुआ आज तक चल रहा है| एक के बाद उपलब्धियों से धमाल मचा रखा है शरद विवेक सागर जी ने!

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अअभी 2 महीने और बचे हैं 2016 में| न जाने कितनी और उपलब्धियों और रिकॉर्डस से बिहार का यह लाल देश का नाम रोशन करेगा| ये अनुमान भी लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है|

आपन बिहार टीम की ढेर सारी शुभकामनायें इनके साथ हैं।

पाकिस्तान में सर्जिकल अटैक का असर बिहार में भी दिख रहा है, शक होते ही गोली मारने का आदेश

उरी में पाकिस्तान के तरफ से आतंकी हमला और भारत के तरफ से उसके जवाब में सर्जिकल अटैक के बाद दोनों देश के खराब हालत का असर दिखने लगा है। भारत के सर्जिकल अटैक के बाद पाकिस्तान की तिलमिलाहट को देखते हुए और खुफिया रिपोर्ट के बाद  दरभंगा के वायु सेना केंद्र को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। घुसपैठियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। वायु सेना केन्द्र के आसपास इस आशय के कई बोर्ड भी लगा दिए गए हैं। अत्याधुनिक हथियार से लैस जवान केंद्र की सुरक्षा में लगाए गए हैं।

 

माना जाता है कि नेपाल सीमा से करीब होने के कारण दरभंगा वायु सेना केंद्र दुश्मनों के निशाने पर हो सकता है। हालांकि कड़ी सुरक्षा के बावजूद पूर्व में यहां संदिग्ध पकडे़ जा चुके हैं, जो चोरी छिपे तस्वीर ले रहे थे या प्रतिबंधित क्षेत्र में घुम रहे थे।

वायु सेना केंद्र के अधिकारी की माने तो यह एयरपोर्ट पाकिस्तान या चीन के साथ युद्ध के समय भी काफी मददगार होगा। अधिकारी के मुताबिक देश के कई आतंकी हमले के तार दरभंगा से भी जुड़े हैं और कई संदिग्ध भी यहां से पकड़े गए हैं। ऐसे में दरभंगा वायुसेना को वैसे ही अलर्ट रहने की जरूरत है। ताकि विपरीत परिस्थितियों में समय रहते दुश्मन को मुहतोड़ जवाब दिया जा सके। दरभंगा वायु सेना केंद्र के विंग कमांडर दीपक नेरकर ने बताया कि हवाई अड्डे की सुरक्षा चाक-चौबंद की गयी है।

 

 

पीओके में हुए ऐतिहासिक सर्जिकल स्ट्राइक में बिहारी जवानों ने निभाया अहम रोल

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पहली बार पाकिस्तान में घुसकर हुए ऐतिहासिक सर्जिकल करवाई में भारतीय सेना के स्पेशल पैरामिलिट्री फ़ोर्स ने 50 से अधिक आतंकियों को मारकर अबतक का आतंक के खिलाफ जबदस्त करवाई किया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सैटेलाइट के जरिए मिली तस्वीरों  ने इसका खुलासा किया है. हालांकि भारत सरकार की ओर से भारत के सभी संवेदनशील शहरों को आतंकी हमले के मद्देनजर अलर्ट जारी किया गया है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है. सूत्र बताते हैं कि भारत ने उसे एक ऐसा घाव दे दिया है जिससे वह जल्दी उबर नहीं पायेगा और अपने नापाक मंसूबों को कामयाब करने के लिये शहरों को भी निशाना बना सकता है. इस बीच पाकिस्तान में सरगर्मी बढ़ गयी है और नवाज शरीफ ने कैबिनेट की अहम बैठक भी बुलाई है.

वहीं दूसरी ओर जानकार सूत्रों की माने तो सर्जिकल स्ट्राइक में बिहार के रहने वाले सेना के जवानों ने अपनी महती भूमिका निभाई है. इस स्ट्राइक में भारतीय सेना में बिहार के दस और डोगरा बटालियन के घातक कमांडो ने मिलकर इस स्ट्राइक को सफलता पूर्वक अंजाम दिया है. बताया जा रहा है कि दो कारणों से इस बटालियन को इस स्ट्राइक के लिये चुना गया. पहला तो यह कि उरी हमले का निशाना यही बटालियन बना था और यदि यह हमला करता तो इनका मनोबल बढ़ता. इस बटालियन को एलओसी के पास पाकिस्तानी सेना की सभी गतिविधियों की जानकारी भी थी.

साक्षर भारत अभियान पुरस्कार में बिहार दूसरे स्थान पर

साक्षर भारत अभियान पुरस्कार में इस बार बिहार को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ रहा है जबकि छत्तीसगढ़ को लगातार दूसरे बार साक्षर भारत पुरस्कार के रजत कैटेगरी में नाम आगे कर दिया है.इसपर जन शिक्षा निदेशालय ने सवाल भी किया है क्योकि इस बार कार्यों के हिसाब से बिहार की दावेदारी मजबूत थी

छत्तीसगढ़ को वर्ष 2015 में भी साक्षर भारत पुरस्कार मिला था। इस वर्ष अपने कार्यों के आधार पर बिहार ने तगड़ी दावेदारी पेश की थी, लेकिन दूसरे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। इस पर जन शिक्षा निदेशालय ने सवाल उठाया है।

जन शिक्षा निदेशक विनोदानंद झा ने कहा कि लगातार एक ही राज्य को दूसरे वर्ष पुरस्कार कैसे मिल सकता है? इस वर्ष इसमें बदलाव होना चाहिए था। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर साक्षरता के क्षेत्र में बिहार ने काफी कार्य किया। सूबे के 10 ग्राम पंचायतों ने पंचायत कैटेगरी में आवेदन किया था। इसमें से समस्तीपुर के लगुनिया-सूर्यकंठ पंचायत साक्षरता समिति का चयन किया गया। समिति की वरीय प्रेरक अनीता कुमारी व लगुनिया मध्य विद्यालय के प्रधानाचार्य सौरव कुमार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित किया। वर्ष 2010 से पंचायत में साक्षरता कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इस पंचायत में साक्षर भारत अभियान के तहत संचालित लोक शिक्षा केंद्र के कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर माना गया।

मुंबई विवि ने किया था एसेसमेंट

केंद्र सरकार ने राज्य जिला व पंचायत स्तर पर आवेदन मंगाए थे। इन आवेदनों के आधार पर किए गए कार्यों की जांच थर्ड पार्टी से कराई जाती है। इस वर्ष मुंबई विवि की टीम ने एसेसमेंट किया। टीम को एक पुरस्कार के लिए तीन नाम देने होते हैं। इस प्रकार राज्यों के आवेदन के आधार पर तीन राज्यों का नाम दिया गया। वहीं, नौ जिलों, 15 ग्राम पंचायत और छह रिसोर्स सपोर्ट संगठनों का चयन किया गया। इसमें केंद्र ने एक राज्य, तीन जिला, पांच पंचायत व दो रिसोर्स संगठन को पुरस्कार के लिए चुना। उन्हें विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने पुरस्कार दिया।

साक्षरता में मिला पांचवां पुरस्कार

साक्षरता के क्षेत्र में बिहार को पांचवां पुरस्कार मिला है। वर्ष 1996 में पहली बार संयुक्त बिहार के दुमका जिले को सत्येन मित्रा अवॉर्ड मिला था। वर्ष 2008 में बेगूसराय जिले को सत्येन मित्रा पुरस्कार मिला। राज्य के बंटवारे के बाद राज्य का यह पहला लिटरेसी पुरस्कार था। वर्ष 2010 से  साक्षर भारत अभियान शुरू होने व पंचायतों को इससे जोड़े जाने के बाद वर्ष 2013 में एक बार फिर बेगूसराय को पुरस्कार मिला। वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर सूबे में महिला साक्षरता में सर्वश्रेष्ठ वृद्धि के लिए पुरस्कार मिला। शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव व वर्तमान मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने यह पुरस्कार लिया था।  इस वर्ष लगुनिया-सूर्यकंठ पंचायत ने फिर पुरस्कार जीता है।

साक्षर भारत पुरस्कार, 2016 की विभिन्न कैटेगरी में विजेता

– राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकार : छत्तीसगढ़

– जिला लोक शिक्षा समिति
-पाकुड़, झारखंड।
–  सोनितपुर, आसाम।
–  सरगुजा, छत्तीसगढ़।

ग्राम पंचायत लोक शिक्षा समिति

– वीरनापल्ली, करीम नगर, तेलंगाना।
– बकाराम जागिर, रंगा रेड्डी, तेलंगाना।
– वट्टामुथरमपट्टी, सलेम, तमिलनाडु।
– लगुनिया-सूर्यकंठ, समस्तीपुर, बिहार।
– येओली, गढिचरौली, महाराष्ट्र।

रिसोर्स सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन

– स्टेट रिसोर्स सेंटर, रायपुर, छत्तीसगढ़।
– जन शिक्षण संस्थान, रायगढ़, महाराष्ट्र।

The Independence Day of India

independence day of india
The people we fight are the people we love. The people we might not know are the people we ought to die for. The people never matters for us are the people we are living for. We Indians bleed blue.
In the struggle for oneness, we are classified and further declassified into various sub-groups. Each sub-groups is the strength of unity and yet a diversification of a whole. And a whole into a bigger whole. It is no shame that in this 70th Independence Day we are still talking of poverty, caste, illiteracy, elimination of social injustice and a moral society based on intellect which would have been done back in the time. At least we are talking. It would have been a problem, a greater problem when the system even stops talking on it.
A much-agreed thesis is to load the burden on the incapable system to further unload our responsibilities towards the nation. To blame for what it is rather than to change from what it is. Anti-social fashions have crept into the foundational principles of youth are redefining the wrongs to right. The desire of the freedom from feudal society has razed the impeccable boundaries causing indestructible harm into the personal dignity of human race. Thus, breaking barriers and creating another in a process to redefine the freedom is the renaissance towards the better end. A mishandled dogmatic decision could lead to the destruction of all. Terrorists are not Indian. They could be controlled or killed but a terrorist born within is hard to cure.
Diversified groups into sub-groups and further has never been a problem for the nation but a classification on the grounds of inferiority is indigestible. Inferiority begets insecurity begets violent destruction of the social stratification. Fragments out of such destructions are the cause of violent uprising of deformative society.
A renaissance shall draw through scientific rationalisation of constructive principles to utilize the nation its highest potential.
Hope the future lies in wisdom.

 

Amar Bharat

#BihariKrantikar: #13 जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है,

जिससे हो सकता उऋण नहीं, ऋण भार दबा तन रोम-रोम,
सौ बार जन्म भी लूँ यदि मैं, जिसके हित जीवन होम-होम||

जयप्रकाश नारायण जी के बारे में ब्रिटिश विद्वान ह्यूग गैट्स केल ने कहा था, “उनकी एक हस्ती है जिनका समाजवाद केवल उनकी राजनीति में ही नहीं चमकता, केवल उनकी सिखावत में ही नहीं रहता, बल्कि उनके सारे जीवन में समाया हुआ है|”

राजनीतिज्ञों की धरती, बिहार, से निकले देशभक्त क्रांतिकारियों में जयप्रकाश नारायण का नाम अग्रणी है| इनका जन्म छपरा जिले के सिताबदियारा नामक गाँव में दशहरे के दिन 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था| पिता का नाम श्री दयाल तथा माँ का नाम फूलरानी देवी था| पशु-पक्षियों से प्रेम रखने वाला बालक जयप्रकाश काफी सोच-समझ कर ही बोला करते थे| इन वजह से इनके पिता जी मजाक-मजाक में कहते थे, “ई त बूढ़ लरिका हउअन”|
16 मई 1920 ई० को इनका विवाह प्रभावती देवी से हो गया, जो राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेती थीं और देशभक्ति उनके रग-रग में थी| तभी तो उन्होंने आजीवन अपने जीवनसाथी का सहयोग दिया और खुद भी कैद हुईं|
जयप्रकाश नारायण ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक करने से इनकार कर दिया था तथा अपना जीवन देश के नाम करने का दृढ़ निश्चय लिया|

नारायण जी की निर्भीकता, क्रांतिकारी भावना, मनुष्यता, पौरुष, सौजन्य तथा आकर्षण शक्ति पर सारा देश मन्त्र-मुग्ध हो उठता था| क्रांतिकारी भावनाओं से अनुप्राणित भारतीय नवयुवक तो उन पर प्राण न्यौछावर करते थे| विचारों में काफी भेद होते हुए भी गांधी जी जयप्रकाश जी से प्रेम करते और उनकी न्यायनिष्ठा पर पूरा विश्वास रखते थे| 1940 ई० में हुए जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी का गाँधी जी ने पुरजोर विरोध भी किया था|
1942 ई० की घटना है| जे.पी. हजारीबाग जेल में कैद थे| करो या मरो का नारा जोरों पर था, भारत छोड़ो आन्दोलन अपने चरम पर, ऐसे में जे.पी. जेल में छटपटा रहे थे, देश के लिए कुछ न कर पाने का अफ़सोस था उन्हें| तभी दिवाली का त्योहार आया| जेल के कैदियों और कर्मचारियों को जेलर की ओर से दावत का आयोजन था, फिर नाच और गाने का प्रोग्राम था|
रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने उस जश्न का संचालन किया| वातावरण में मस्ती का माहौल था| इधर जे.पी. ने धोतियों की रस्सी बनाई और 6 मिनट में जेल की दीवार लाँघ गये| साथ में 6 मित्र और थे| इस फरारी की रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने 12 घंटे तक किसी को कानो-कान खबर न होने दी|जेल के अधिकारीयों को जब ये बात मालूम चली तब तक जे.पी. की टोली काफी दूर निकल गयी थी| ब्रिटिश सरकार के लिए ये बहुत बड़ी चुनौती थी| उन्होंने जे.पी. को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने पर 10 हजार का इनाम भी रखा|

एक दिन ये सभी मित्र नेपाल में पकड़े गये| लेकिन इतना आसन भी नहीं था कि कोई जे.पी. और उनकी टीम को कैद रखे| बकायदा स्कीम बनाई गयी| सातों कैदी सो गये, अचानक गोलियाँ चलने लगीं| सातों बहादूर दौड़ पड़े, कोई कहीं गया और कोई कहीं| सभी ब्रिटिश कैद से मुक्त हो गये|
जे.पी. कोलकाता चले गये| एक दिन वो एस.पी. मेहता के नाम से रावलपिंडी जा रहे थे| अमृतसर स्टेशन पर गाड़ी ठहरी| जे.पी. चाय पीने के लिए नीचे उतरे| चाय अभी पी ही रहे थे कि अंग्रेज अधिकारी आ गये| ब्रिटिश सरकार को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर देने वाले जे.पी. पुनः कैद कर लिए गये| लाहौर जेल में उन्हें कई तरह की यातनाएँ दी गईं| कुर्सी पर बाँध कर पिटाई की गयी, लेकिन जे.पी. की तरफ से एक भी राज की बात सामने नहीं आई| लाहौर से वो आगरा भेज दिए गये| 1946 में उन्हें कैद से आजादी मिली| आजाद होते ही वे बापू से मिलने गये| बापू ने प्रार्थना सभा की बैठक में जे.पी. की मुक्त कंठ से प्रशंसा की|

आजादी के बाद जे.पी. विनोबा भावे के भूमि समस्या पर चल रहे कार्यक्रम से बहुत प्रभावित हुए| 1954 ई० में उन्होंने सर्वोदय के लिए अपना जीवन दान दे दिया| उनसे प्रेरित होकर 582 लोगों ने खुद को सर्वोदय के लिए समर्पित किया| इसके बाद देश-विदेश के 50 से अधिक सभाओं में जे.पी. के महत्वपूर्ण भाषण हुए|
1972 ई० की बात है| चम्बल घाटी के खूंखार डकैत निःशंक और निर्भय होकर जे.पी. के समक्ष आत्मसमर्पण करते थे| जे.पी. उन्हें गीता और रामायण की पुस्तकें देते| चम्बल घाटी का सरनाम डाकू मोहर सिंह, जिसको जिन्दा या मुर्दा पकड़ने वालों को मध्य-प्रदेश सरकार की तरफ से 2 लाख के इनाम की घोषणा थी, ने जे.पी. के सामने घुटने टेक दिए| अपना सर उसने जे.पी. के कदमों में रख दिया| उन चरणों में कुल 501 डाकुओं ने जे.पी. के सामने हथियार डाला तथा अच्छाई और सच्चरित्रता का जीवन अपनाने का संकल्प लिया| यह विचारों में आई क्रांति ही थी, जिसने उन डाकुओं को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया|
छात्रों और बिहार की जनता की प्रार्थना पर जे.पी. ने अस्वस्थ होने के बावजूद बिहार आन्दोलन का नेतृत्व किया| 1974 का वो आन्दोलन आज भी युवाओं में जोश भर देता है| आज भी उसे आजादी के बाद का सबसे महत्वपूर्ण एवं मजबूत आन्दोलन कहा जाता है| आज भी कहा जाता है कि जिस कदर जनसमूह ने जे.पी. आन्दोलन का समर्थन किया, वो अविश्मर्णीय है| 1977 में भारत की जनता को जनता पार्टी के रूप में नेतृत्व प्रदान कर जे.पी. ने ‘युग-परिवर्तन’ किया| शायद इसका अंदेशा नेहरु जी को पहले से ही था|

नेहरु जी ने एकबार रेडियो प्रसारण में कहा था, “जयप्रकाश जी की काबिलियत और ईमानदारी पर मुझे कभी कोई शक नहीं रहा है| एक मित्र के नाते मैं उनकी इज्जत करता हूँ और मुझे यकीन है कि एक वक्त आएगा जब भारत के भाग्य निर्माण में वे महत्वपूर्ण पार्ट अदा करेंगे|”

8 अक्टूबर1979 ई० को देश के सच्चे भक्त, देश निर्माण और जनसमूह के नेता, क्रांतिकारियों के क्रांतिकारी नायक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिहार के जे.पी. इस दुनिया को अलविदा कह गये| किसी भी बड़े आन्दोलन में अब भी जे.पी. का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है| ऐसे देशभक्त को हमारा नमन|
राष्ट्रकवि दिनकर के शब्दों में-

“है जयप्रकाश जो कि पंगु का चरण, मूक की भाषा है,
है जयप्रकाश वह टिकी हुई जिस पर स्वदेश की आशा है|

है जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है,
बढ़कर जिसके पदचिन्हों को उर पर अंकित कर देता है|

कहते हैं उसको जयप्रकाश, जो नहीं मरण से डरता है,
ज्वाला को बुझते देख कुंड में कूद स्वयं जो पड़ता है|”

विश्व के 100 प्रभावशाली युवाओं की सूचि में बिहार के शरद तीसरे स्थान पर

बिहारियों में जी तोड़ मेहनत करने की क्षमता होती है ये बात पहले से प्रमाणित है, बिहार के युवा हर क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय पटल पर बिहार का डंका बजे रहे हैं चाहे वो ज्ञान का क्षेत्र, विज्ञान का क्षेत्र हो, खेल का क्षेत्र हो या कला का, बिहारी सब जगह आगे आ रहे हैं।

नामचीन ब्लॉग और डिजिटल न्यूजपेपर ने हाल ही में दुनिया के सौ सर्वश्रेष्ठ युवा उद्यमियों की सूचि जारी की है जिसमे बिहार के राजधानी पटना के निवासी और सामाजिक संस्था डेक्सटीरिटी ग्लोबल के संस्थापक शरद सागर को तीसरे स्थान पर शामिल किया है, बिहार सहित पुरे देश के लिए ये गौरव की बात है। शरद अपनी इस उपलब्धि  समस्त देशवासियों को समर्पित किये हैं।

शरद सागर को इससे पहले जनवरी में विश्व की सर्वश्रेष्ठ पत्रिकाओ में एक फ़ोर्ब्स में भी जगह मिल चुकी है।

24 वर्षीय शरद सागर अपने संस्थान डेक्सटीरिटी ग्लोबल के माध्यम से नेक्स्ट जनरेशन को अंतराष्ट्रीय स्तर से जोड़ना चाहते हैं। शरद चाहते हैं की शिक्षा का लोकतांत्रीकरण हो।

डेक्सटीरिटी शिक्षा में लोकतांत्रीकरण को बढ़ावा देता है। शरद सागर का एक स्पेशल प्रोग्राम बिहार के बच्चों के लिए चलाया जा रहा है जिसका नाम है डेक्सटीरिटी टू कॉलेज, इसके माध्यम से इनकी संस्था बिहार के प्रतिभावान बच्चों को स्कॉलरशिप देती है ताकि वो बेहतर कर सके।

शरद का कहना है की देश सिर्फ एक रामेश्वरम् की कलाम को जानता है जबकि बिहार के हर गांवों में एक कलाम बैठा है वो देश का अगला जरूर बन सकता है अगर उसे भी सारी जरूरी जानकारी और सुविधा उपलब्ध कराई जाये तो।

शरद कहते हैं की हमने विश्व को अनेकों उपहार दिए हैं चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या राजनीति का, फिर आज का बिहार क्यों पीछे रहेगा, वो बिहार को अंतराष्ट्रीय पटल पर लाने की बात करते हैं क्योकि उनका मानना है की अगर बिहार आगे आता है तो देश आगे आएगा और अगर देश आगे आता है तो समस्त संसार आगे आएगा।

 

 

खुशखबरी: विश्व बैंक बिहार को देगा 29 करोड़ डॉलर

दिल्ली: विश्व बैंक ने बिहार में गरीबों को रोजी-रोटी के बेहतर मौके उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ शुक्रवार को 29 करोड़ डॉलर के कर्ज का करार किया। बिहार ट्रांसफॉर्मेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (जीविका-2) नामक इस परियोजना से 300 प्रखंडों और 32 जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा।

 

विश्व बैंक ने बताया कि इस धन राशि का उपयोग ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूह बनाने तथा बाजार, सार्वजनिक सेवाओं तथा वित्तीय सेवाओं तक पहुँच उपलब्ध कराने के लिए किया जायेगा। उन्हें वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य औपचारिक प्रतिष्ठानों के जरिये वित्तीय सहायता मुहैया कराई जायेगी।
परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कंपनियों की स्थापना के लिए मदद की जायेगी।महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराये जायेंगे।

 

परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कंपनियों की स्थापना के लिए मदद की जाएगी। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराए जाएंगे। समेकित बाल विकास कार्यक्रम तथा स्वच्छ भारत अभियान के जरिये पोषण, हाइजिन तथा साफ-सफाई को बढ़ावा इस परियोजना का लक्ष्य होगा।

 

इन समूहों को नौ हजार 500 ग्रामीण संगठनों के तहत रखा गया जिन्हें पुन: 161 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाकर उनके तहत लाया गया।दूसरे चरण में आजीविका-2 के तहत उन 32 जिलों और 300 प्रखंडों को शामिल किया जायेगा जो पहले चरण का हिस्सा नहीं थे।
परियोजना के ऋण दस्तावेज पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव राज कुमार, बिहार सरकार की ओर से ग्रामीण विकास विभाग में सचिव अरविंद कुमार चौधरी तथा विश्व बैंक की तरफ से भारत में कार्यवाहक निदेशक जॉन ब्लामकिस्ट ने हस्ताक्षर किये।

 

विश्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराये गये इस ऋन से बिहार के विकाश को और ज्यादा रफ्तार मिलेगी। बिहार में चल रहे महिला शक्तिकरण को और बल मिलेगा तथा ग्रामीण क्षेत्र के विकाश में तेजी आएगी।

मोदी मंत्रीमंडल विस्तार : दस राज्यों से 19 नए मंत्री शामिल

मोदी कैबिनेट का दूसरा विस्तार मंगलवार को हो गया. कैबिनेट में 10 राज्यों से 19 नए चेहरों की एंट्री हुई. वहीं राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कैबिनेट मंत्री के रूप में प्रमोशन किया गया. राष्ट्रपति भवन के अशोेका हॉल में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. जबकी बिहार के लिए कोई नई खबर नही है, पहले ये खबर आ रही थी की बिहार से केंद्रीय राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा का प्रमोशन हो सकता है लेकिन पिछले दिनों हुई पार्टी में घमासान के कारण उनके प्रमोशन पर ब्रेक लग गया है।

प्रकाश जावड़ेकर का प्रमोशन

सबसे पहले शपथ लेने वाले जावड़ेकर को अब कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. जावड़ेकर के बाद मध्य प्रदेश के मंड्या से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. इनके बाद एसएस अहलूवालिया ने शपथ ली. इसके बाद रमेश जिगाजिगानी ने राज्य मंत्री की शपथ ली. उनके बाद विजय गोयल को मंत्रिमंडल में जगह मिली.

नीली पगड़ी में आए अठावले

इसके बाद नीली पगड़ी पहनकर आए महाराष्ट्र के मशहूर दलित नेता रामदास अठावले ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली. इनकी पार्टी

आरपीआई एनडीए का हिस्सा है. शपथ ग्रहण के दौरान अटकने और अपना नाम नहीं ले पाने की वजह से उन्हें तीन बार बीच में टोका गया. उन्होंने शपथ लेने के बाद जय भीम, जय भारत का नारा लगाया. उनके बाद असम के नौगांव से बीजेपी सांसद राजन गोहेन राज्य मंत्री बने. मध्य प्रदेश से राज्यसभा सासंद और नर्मदा नदी संरक्षण में सक्रिय अनिल माधव दवे भी राज्य मंत्री बनाए गए.

मोदी कैबिनेट में 19 नए चेहरों को एंट्री, देखें तस्वीरें

बीजेपी के झंडे के रंग की पगड़ी पहने थे मेघवाल

गुजरात से बीजेपी के राज्यसभा सांसद पुरुषोत्तम रुपाला भी राज्य मंत्री बने. उनके बाद बीजेपी के प्रवक्ता, राज्यसभा सांसद और पूर्व पत्रकार एमजे अकबर ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद बीजेपी के झंडे की तरह की पगड़ी बांधकर आए बीकानेर से सांसद अर्जुन राम मेघवाल को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई गई.

 

यूपी से दो महिलाएं बनीं मंत्री

गुजरात के दाहोद से बीजेपी सांसद जसवंत सिंह भांभोर ने उनके बाद राज्य मंत्री पद की शपथ ली. उनके बाद यूपी के चंदौली से बीजेपी सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय राज्य मंत्री बने. उत्तराखंड के अलमोड़ा से बीजेपी सांसद अजय टम्टा राज्य मंत्री बनाए गए. यूपी के ही शाहजहांपुर से सांसद कृष्णा राज ने राज्य मंत्री पद के लिए गोपनीयता की शपथ ली.

गुजरात से राज्यसभा सांसद मनसुख मंडाविया राज्य मंत्री बनाए गए. मंत्रिमंडल विस्तार में दूसरी महिला मंत्री के रूप में यूपी के मिर्जापुर से अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही पटेल मोदी कैबिनेट की सबसे युवा मंत्री हो गई. राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद सीआर चौधरी भी राज्य मंत्री बनाए गए.

राजस्थान के ही पाली से सांसद पीपी चौधरी ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली. इसके बाद महाराष्ट्र के धुले से सांसद और देश के प्रसिद्ध कैंसर सर्जरी विशेषज्ञ सुभाष राम राव भामरे ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली.

दो साल के कार्यकाल में दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का मंगलवार को विस्तार हुआ. बताया जाता है कि आखि‍री दौर के मंथन में सोमवार को आरएसएस से चर्चा के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बातचीत कर फाइनल लिस्ट पीएम मोदी को सौंपी.

कई सांसदों ने अमित शाह से की मुलाकात

बताया जाता है कि इनमें से कई नेताओं ने सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की, जो जल्द ही पार्टी की संगठनात्मक टीम की भी घोषणा कर सकते हैं.  इस समय प्रधानमंत्री समेत 64 केंद्रीय मंत्री हैं और संवैधानिक व्यवस्था के तहत अधिकतम 82 मंत्री हो सकते हैं.

कैबिनेट विस्तार से पहले एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने नाराजगी जताई थी. हालांकि मंगलवार को उनकी नाराजगी दूर हो गई. अब शिवसेना की ओर से शपथ ग्रहण समारोह में राज्य मंत्री अनंत गीते औपचारिक तौर पर शामिल हुए.

 

शपथ ग्रहण में नहीं आने को लेकर सुषमा की सफाई

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कैबिनेट विस्तार के दौरान शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो पाई. उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया कि वह राष्ट्रपति भवन में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में आने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने लिखा कि हंगरी के विदेश मंत्री के साथ पहले से तय मीटिंग की वजह से वह समारोह में नहीं आ सकेंगी. इसके साथ ही उन्होंने मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले साथी सांसदों को बधाई दी. सुषमा ने मीडिया से आग्रह किया है कि वह शपथ ग्रहण समारोह में उनके नहीं आने को हेडिंग न बनाए