बाढ़ से हुए भयंकर तबाही का मंजर देखने कल बिहार आयेंगें प्रधानमंत्री, जानिए कार्यक्रम

वैसे तो बिहार में बाढ़ हर साल आती है मगर इस बार बाढ़ ने बिहार में भयंकर तबाही मचाई है| सरकारी आंकरों के अनुसार बिहार में बाढ़ से करोड़ों लोग प्रभावित है, लाखों घर और परिवार तबाह हो चुकें हैं और सैकरों लोगों की जान जा चुकीं है| इस तबाही के मंजर को देखने खुद देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कल बिहार आ रहें हैं|

सीमांचल के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण करने वे 26 अगस्‍त को पूर्णिया आ रहे हैं। सुबह करीब 11:30 बजे वह पूर्णिया पहुंचेंगे|  वहां से वे सीमांचल के पूर्णियां, अररिया, किशनगंज और कटिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों का हेलीकॉप्‍टर से एरियल सर्वे करेंगे। फिर, पूर्णिया से ही दिल्ली लौट जाएंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय से आए कार्यक्रम के मुताबिक पीएम मोदी 26 अगस्त को दिल्ली से सुबह 10 बजे वायुसेना के विमान से सीधे पूर्णिया के चूनापुर हवाई अड्डा पर पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पूर्णिया हवाई अड्डा पर ही उनका स्वागत करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी पूर्णियां हवाई अड्डा से  वायुसेना के हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित पूर्णियां, अररिया, किशनगंज और कटिहार का एक घंटा तक एरियल सर्वे करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी उनके साथ रहेंगे।
प्रधानमंत्री पूर्णियां हवाई अड्डे पर ही राज्य के आला अधिकारियों के साथ बाढ़ पीडि़तों के लिए चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्यक्रमों की समीक्षा करेंगे। वहीं पर उन्हें राज्य में बाढ़ से हुई क्षति के संबंध में एक मेमोरंडम दिया जाएगा। प्रधानमंत्री अपराह्न 12 बजे दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे।

हालांकि पहले के कार्यक्रम के अनुसार, पूर्णिया में बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लेने के बाद उन्हें पटना आकर अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करनी थी| इसके बाद पटना से ही उन्हें नयी दिल्ली लौटना था| लेकिन, यह सूचना मिल रही है कि उनका पटना आना रद्द हो सकता है|हालांकि, इसकी अब तक आधिकारिक तौर पर कोई पुष्टि नहीं हुई है. फिर भी पटना में पीएम के आगमन से जुड़ी सभी तैयारियां रहेंगी, ताकि ऐन मौके पर पटना आने की स्थिति में प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह की कोई कमी नहीं रहे|

 

पीएम मोदी और नेपाली पीएम के साथ बैठकर बाढ़ के समस्या का हल निकालेंगे नीतीश

बिहार का काफी क्षेत्र हर साल नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ से तबाह हो जाता है| इन नदियों की बाढ़ से हर साल हजारों लोग बेघर होते हैं| गरीबी की मार के साथ-साथ ताउम्र अपनों के खोने की त्रासदी झेलते रहते हैं| हर साल की तरह इस बार भी बिहार का बहुत बड़ा हिसा बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है| हर साल की तरह इस बार भी हजारों-लाखों लोग बेघर हो चुकें है, भूखें तरप रहें हैं और यहाँ तक कि सैकरों लोगों की जान भी जा चुकी है|
जानकारों का कहना है कि बिहार में ऐसी बाढ़ पिछले पचास वर्षों में नहीं आई थी। बिहार के 14 जिले खासकर, अरहरिया, सुपौल, किशनजंग, कटिहार, पूर्णिया, पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण, दरभंगा और सीतामढ़ी जिले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उत्तर और पूर्वी बिहार के एक करोड़ लोग इस विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं।

2008 में जब कोसी का ‘कुसहा’ बांध टूटा था तब लगता था कि लोगों ने भयावह बाढ़ से उत्पन्न होने वाली विपदा से सीख ले ली है। उस समय ऐसा कहा जाता था कि बिहार सरकार और केंद्र सरकार मिलकर नेपाल सरकार से आग्रह करेंगी कि उन नदियों पर बांध बनाया जाए जो नदियां नेपाल से निकलती हैं। परन्तु लाख प्रयासों के बावजूद भी ऐसा संभव नहीं हो सका।

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा 26 अगस्त को बिहार आ रहें हैं और आपको बता दें कि अपने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 26 अगस्त को बिहार के दौरे पर रहेंगे और बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा करेंगे|
कहा जा रहा है कि 26 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी के साथ नेपाली प्रधानमंत्री देउबा भी बिहार के दौरे पर होंगे| उनसे बाढ़ की विभीषिका ने निपटने के स्थायी समाधान पर चर्चा होगी|
जदयू के महासचिव के सी त्यागी ने कहा कि देश के पीएम, नेपाली पीएम और सीएम नीतीश के बीच बाढ़ को लेकर परमानेंट मैकेनिजम बनाने पर जोर दिया जाएगा| बांध और तटबंध बनाकर बिहार में बाढ़ की विभीषिका को रोका जा सकता है|

नेपाल से निकलनें वालें नदियों पर बाँध बनाने का मुद्दा आज का नहीं है बल्कि यह मुद्दा दशकों पुराना है| यह सरकारों की नाकामी कहें या राजनितिक इच्छाशक्ति का न होना की अभी तक इस समस्या का हल नहीं निकल पाया है और इसका खामियाजा हर साल बिहार के गरीब जनता को झेलना परता है|

 

क्यों नहीं बन पा रहा है बांध

एक बार कुछ वर्ष पहले जब नेपाल में मित्रवत सरकार थी तब करीब-करीब इस बात पर सहमति हो गई थी कि नेपाल से निकलने वाली नदियों पर नेपाल के क्षेत्र में ही बांध और बराज बनाए जाएंगे और उससे प्राप्त होने वाली बिजली से नेपाल व बिहार दोनों को लाभ पहुंचेगा। भारत का कहना था कि उसने भूटान की नदियों को भी बांधा है, वहां बराज बनाए हैं और बड़े बड़े बिजली घर बनाए हैं। वहां बहुत अधिक बिजली का उत्पादन होता है, जिसमें से 90 प्रतिशत बिजली भारत सरकार खरीद लेती है। परन्तु उसका भुगतान भारतीय मुद्रा में किया जाता है। तत्कालीन भारत सरकार ने कहा था कि वह यही व्यवस्था नेपाल में करना चाहती है। वहां जो बिजली पैदा होगी उसका 80 प्रतिशत भाग भारत खरीद लेगा। मगर इसका भुगतान भूटान की तरह नेपाल को भारतीय मुद्रा में किया जाएगा। नेपाल की सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं हुई। वह भुगतान ‘डॉलर’ में चाहती थी। उसका कहना था कि वह बेशुमार भारतीय मुद्रा को लेकर क्या करेगी? दोनों सरकारें अपनी जिद पर अड़ी रहीं और अंतत: इस योजना का कार्यान्वयन नहीं हो सका।

 

जिन लोगों ने उत्तर बिहार की बाढ़ की विभिषिका को आंखों से नहीं देखा है वे इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि बाढ़ के आने पर लाखों लोग किस तरह देखते ही देखते संपन्नता से गिरकर दरिद्र हो जाते हैं। लोग मेहनत-मजदूरी करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और पंजाब आते हैं। सालभर की कमाई करके घर इस उम्मीद में लौटते हैं कि वे अपनी बहन-बेटियों का विवाह करेंगे। वे शादी का सामान लेकर और मेहनत की कमाई लेकर घर लौटते हैं। अचानक ही नेपाल से आने वाली नदियों में बाढ़ आ जाती है और देखते ही देखते सब कुछ बहकर समाप्त हो जाता है। दुखी और निराश होकर ये गरीब और मध्यम वर्ग के लोग फिर से मजदूर बनकर पंजाब और हरियाणा मजदूरी करने के लिए लौट जाते हैं यह सोचते हुए कि अब उनकी बेटी बहनों का विवाह कैसे होगा? जिन लोगों ने उत्तर बिहार की बाढ़ की विभिषिका को नहीं देखा है वे इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

उम्मीद है कि इस बार नेपाली प्रधानमंत्री के साथ बैठ के देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार इस समस्या का हल जरुर निकालेंगें और बिहार का भला करेंगे|

बाढ़ के प्रकोप से त्राहि-त्राहि हुआ बिहार, मुख्यमंत्री ने कहा जिंदगी में पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद सोमवार को कहा की ऐसी विनाशकारी बाढ़ पहले कभी नहीं आई थी।

नीतीश ने कहा कि जिस तरीके से यह बाढ़ आई है इससे किसी को भी संभलने का मौका नहीं मिला पाया है। नीतीश ने आगे कहा कि हमें आपदा प्रबंधन पर नए सिरे से विचार करना होगा। चूंकि बाढ़ इतनी तेजी से आई की हम पीड़ितों तक पहुंच नहीं पाए। बारिश इतनी तेज हुई कि वो चाहे उत्तर बिहार का इलाका हो या फिर नेपाल का तराई क्षेत्र यह नए किस्म का दृश्य था। इतना तेज बहाव होने की वजह से गांव के गांव तबाह हो गए. एक सड़क भी नहीं बची एनएच का भी वही हाल हैं।

हालांकि नीतीश कुमार ने तत्काल प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री से बात की, साथ ही चंद घंटों के अंदर मदद उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री को शुक्रिया अदा किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा हमें बहुत सारी बाढ़ों का अनुभव है लेकिन ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी, इतना नुकसान पहुंचा है। बता दें कि बिहार के 17 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिससे एक करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। जबकि 153 लोगों की मौत हो चुकी है। नीतीश ने बताया कि सरकार ही नुकसान की भरपाई करेगी, जिनका घर टूटा है, उनका घर बनवाएगी। हमने केन्द्र से केवल राहत और बचाव के लिए मदद मांगी है, अभी पैसे नहीं मांगे हैं। साथ ही बताया कि केन्द्र सरकार से हर तरह की मदद मिलेगी। बिहार के खजाने पर पहले बाढ़ पीड़ितों का हक है और हर पीड़ित तक राहत का सामना पहुंचाया जाएगा।

 

बोधगया: बाढ़ पीड़ितों की कुशलता के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा

बाढ़ पीड़ितों की कुशलता के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा

इन दिनों एक तरफ उत्तर बिहार में बाढ़ से जान -माल की भारी छति एवं तबाही हुई है वही दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश के चांगलान जिले में बाढ़ से हुई भारी नुकसान को लेकर बोधगया के अंतरराष्ट्रीय साधना केंद्र में बौद्ध भिक्षुओ ने विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया।

उतर बिहार और अरुणाचल प्रदेश के चांगलान जिले में बाढ़ की विभीषिका ने जन जीवन को अस्त – वयस्त कर दिया अरुणाचल की तबाही ने भारत की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है।

बिहार में बाढ़ का कहर, सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर 1070 डायल करें।

बिहार में अब भी बाढ़ का कहर जारी है, खासकर उत्तरी बिहार और सीमांचल के जिलों की स्थिति अभी भी विकराल बनी हुई है।

बाढ़ से बिहार के 21 जिले प्रभावित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मार राज्य के 14 जिलों पर पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने गोपालगंज जिला को भी बाढ़ से प्रभावित जिलों में शामिल कर लिया है। आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी लगातार जिलों में कैंप कर रहे हैं, लेकिन बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है।

वहीं सरयू के बढ़ते जलस्तर ने चिंता बढ़ा दी है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही सरयू नदी, तटबंधों पर  दबाव बढ़ गया है, कई जगहों पर कटाव जारी है, जिसकी वजह से गोपालगंज पर खतरा बढ़ गया है।

प्रशासन ने बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए हेल्पलाइन नंबर 1070 जारी किया है। इस नंबर पर डायल कर बाढ़ग्रस्त इलाके के लोग फोन कर अपनी परेशानी बता सकते हैं। प्रशासन की तरफ से बाढ़ पीड़ितों को हरसंभव सहायता पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। राजधानी पटना से आपदा प्रबंधन विभाग, जल संसाधन विभाग पल-पल की जानकारी ले रहा है। वहीं मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री भी बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण कर खुद जानकारी ले रहे हैं। राज्य में करीब 75 लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं। राहत और बचाव का कार्य जारी है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित सेना के जवान मुस्तैदी से तैनात हैं। अबतक 2 लाख 74 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। राहत में 504 राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। लोगों को सुविधाएं पहुंचाने के प्रयास जारी है।

बाढ़ के कारण राज्य में रेल और सड़क यातायात पूरी तरह बाधित हो गया है। दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड और बगहा-बेतिया मुख्य मार्ग पर आवाजाही पूरी ठप्प है, वहीं मोतिहारी-सुगौली रेलखंड पर भी सेवा बाधित है।

 

बिहार में बाढ़ का कहर जारी, गंगा सहित कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर

बिहार में बाढ़ का कहर जारी है, गंगा जँहा 40 साल का रिकार्ड तोड़कर उफान पर वंही सोन, पुनपुन सहित अन्य नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही है.
पटना समेत राज्य जे अन्य जिलों में नदियों का पानी घुस चूका है. राज्य में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. खतरे से निपटने के लिए सरकार ने सेना और वायुसेना को तैयार रहने का अनुरोध किया है.

– इस बार बिहार में बाढ़ के हालात दूसरे राज्यों में हुई तेज बारिश के बाद खराब हुए हैं। गंगा खतरे के निशान से डेढ मीटर ऊपर बह रही है।
– पटना से सटे नकटादियारा पूरी तरह से गंगा में समा गया है। यहां अभी भी करीब तीन हजार से ज्यादा लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं।
– पटना के गांधी घाट के पास लोगों के कमर से ज्यादा पानी प्रवेश कर गया है। एलटीसी घाट के आस पास रहने वाले लोगों के घर में पानी प्रवेश कर गया है।

1975 के बाद सोन से दूसरी बड़ी तबाही

– 1975 के बाद दूसरी बड़ी तबाही लेकर पहुंची है सोन नदी। शनिवार की सुबह तीन बजे 11 लाख 67 हजार घन क्यूसेक पानी इंद्रपुरी बराज पहुंचा।

– इससे पहले 1975 में अब तक का रिकार्ड 14 लाख 48 हजार घन क्यूसेक पानी पहुंचा था, जिससे भारी तबाही मची थी।
– सोन में आए उफान के कारण सौ गांवों में पानी घुस गया है। सासाराम और औरंगाबाद के 25 ऐसे गांव हैं जिनका मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है।
– 40 वर्षों के बीच दूसरी सबसे बड़ी तबाही में नौहट्टा से लेकर काराकाट तक सोन के किनारे रहने वाले लोगों ने प्रशासन से हेल्प मांगी है।
– रोहतास और नौहट्टा के बीच सोन नदी के लगभग छह टीलों पर तीन सौ से ज्यादा लोग फंसे हुए थे, जिनमें से दो सौ को प्रशासन ने निकाल लाने का दावा किया है।

सारण में डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित

– सारण में पहले से बाढ़ आई ही थी, इसी बीच शुक्रवार की रात इंद्रपुरी बराज से 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जिले में 1971 से भी भीषण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है।
– लोगों की मानें तो 1971 की अपेक्षा आज के समय में शहर के दक्षिण स्थित सरयू नदी के किनारे वाले सड़कों की उंचाई 10 फीट से अधिक हो गई है। डीएम ने बाढ़ की भीषण स्थिति को देखते हुए शनिवार को आपात बैठक बुलाई और कई आदेश जारी किया है।
– उन्होंने एनएच-19 पर तीन से चार फीट पानी को बहता देख छपरा-पटना रोड पर यातायात बंद कर दिया है और गड़खा-भेल्दी-बसंत रोड का उपयोग करने को कहा है। छपरा के दक्षिण स्थित रिविलगंज प्रखंड के दर्जनभर गांव बाढ़ में पूरी तरह से बह गए हैं।

– पटना जिला के 25 पंचायतों में फिलहाल बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। इससे करीब एक लाख लोग प्रभावित हुए हैं।

कर्मचारियों की छुट्टी रद्द

सरकार ने कर्मचारियों की सभी छुट्टी को रद्द कर दी है। पानी की वर्तमान स्थिति को देखने के बाद जिला प्रशासन स्कूलों की छुट्टी पर आज फैसला करेगी। जिला प्रशासन की ओर से शनिवार और रविवार को होने वाली गंगा आरती पर भी रोक लगा दी थी। गंगा का पानी गांधी घाट के पास शहर में प्रवेश कर गया है।

खतरे के निशान से ऊपर बह रही ये नदियां

गंगा पटना के दीघा घाट, गांधी घाट और हाथीदह के अलावा भागलपुर के कहलगांव में, सोन कोईलवर और मनेर में, पुनपुन श्रीपालपुर में, घाघरा सिसवन में, बूढ़ी गंडक खगड़िया में और कोसी बलतारा व कुरसेला में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।

NDRF की 5 टीमें चेन्नई से पटना पहुंची

बाढ़ के हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने चेन्नई से एनडीआरएफ की पांच टीमें मंगी थी। ये टीम आज सुबह पटना पहुंच गई है। पटना में एनडीआरएफ की चार अतिरिक्त टीमें पहले से तैनात हैं। ये बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने में लगी हैं।

ये है आपदा प्रबंधन का हेल्पलाइन नंबर
आपदा प्रबंधन विभाग ने बाढ़ के संभावित खतरे को देखते हुए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। विभाग का राज्य आपदा ऑपरेशन केन्द्र 24 घंटे कार्यरत रहेगा। इन नंबरों पर बाढ़ से संबंधित सूचना दी जा सकेगी। ये नंबर हैं – 0612-2217301, 2217302, 2217303, 2217304, 2217305.