तुम लोग सिर्फ ‘बिहारी’ हो, मैं ‘अटल बिहारी’ हूँ..

93 साल के उम्र में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का गुरुवार को निधन हो गया| उनके निधन पर पूरा देश शोक में डूबा हुआ है| बिहार से भी अटल जी की अनेक यादें जुड़ी हुई है| बिहार सरकार ने शुक्रवार को छुट्टी के साथ सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है|

अटल जी जब-जब बिहार आते थे तो वे कहते थे कि ‘तुम लोग सिर्फ बिहारी हो, मैं अटल बिहारी हूँ|”

वो जब भी बिहार आते थे तो किसी होटल में नहीं बल्कि किसी कार्यकर्ता के घर ही रहते थे।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने एक निजी बात को याद करते हुए कहा कि मैंने अटलजी को सिर्फ एक पोस्टकार्ड भेजकर अपनी शादी का निमंत्रण दिया था लेकिन चुनाव हारने के बावजूद वो हमारी शादी में पहुंचे थे। शायद वो इसलिए मेरी शादी में आये थे क्योंकि मेरा विवाह अंतर्जातीय विवाह था। अटलजी हमेशा से अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देते थे।

अपने पूरे जीवनकाल में अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार को जी भर जीया। जी भर कर दिया। उनके कार्यकाल में सिर्फ संयुक्त बिहार से 15 केंद्रीय मंत्री बनाय गए थे|

वो अटल बिहारी वाजपेयी ही थे जिनके कारण दो हिस्से में बंटे मिथिलांचल को 78 वर्षों के बाद एक होने का अवसर मिला। कोसी महासेतु के रूप में वाजपेयी ने बिहार को ऐसी सौगात दी, जिसने राज्य के दो हिस्सों को लंबी प्रतीक्षा के बाद एक कर दिया।

यह पुल सुपौल और मधुबनी को जोड़ता था, लेकिन वस्तुत: यह उत्तर बिहार के नौ जिलों को जोड़ने वाला सेतु था। जबतक यह पुल नहीं बना था, लोगों को सुपौल जाने के लिए 50 से 70 किलोमीटर तक की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती थी। वर्ष 1934 में भूकंप के कारण कोसी पर निर्मित पुल टूट गया। इसके कारण मिथिलांचल दो भागों में बंट गया। एक ओर दरभंगा और मधुबनी रह गए तो दूसरी ओर सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया और सीमांचल का इलाका था। वाजपेयी ने वर्ष 2003 में इसका शिलान्यास किया। वर्ष 2012 में पुल बनकर तैयार हुआ और मिथिलावासियों का दशकों पुराना सपना पूरा हुआ।

वह वाजपेयी ही थे जिन्होंने मैथिलि भाषा को सम्मान दिलाया था और उसे संवैधानिक दर्ज़ा दिलवाया था|

इसके अलावा भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार को कई सौगातें दीं, जो राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित हुईं|

171 किमी लंबी परियोजना का उद्घाटन
हाजीपुर-सुगौली रेलखंड की 171 किमी लंबी परियोजना का उद्घाटन वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल  बिहारी वाजपेयी ने किया था| उस समय नीतीश कुमार रेलमंत्री थे| हालांकि यह परियोजना समय पर पूरी नहीं हो सकी| यह अब वर्ष 2019 में पूरा होने की संभावना है| काम तेजी से चल रहा है|
बिहार को भी हुआ दूरसंचार क्रांति का लाभ 
वाजपेयी सरकार की नयी दूरसंचार नीति ने निश्चित लाइसेंस शुल्क की जगह भारत में दूरसंचार क्रांति की शुरुआत की| उन्होंने टेलीकॉम कंपनियों के लिए कई नीतियां और कानून बनाये| भारत संचार निगम लिमिटेड के लिए एक अलग पॉलिसी बनी| इससे विदेश संचार निगम लिमिटेड का आधिपत्य खत्म हुआ| इसका लाभ बिहार को भी हुआ|
मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में जगह: वाजपेयी जी ने बिहार की प्रमुख भाषा मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल किया। उन्होंने वर्ष 2003 में ही मैथिली को यह सम्मान दिया। उन्होंने कहा कि मैथिली इसकी वास्तविक हकदार थी। वाजपेयी जी ने बिहार की चिरप्रतिक्षित मांग पूरी की।

बिहार को वाजपेयी की प्रमुख देन: कोसी महासेतु, कोसी रेल पुल, मुंगेर में गंगा पर पुल, दीघा-सोनपुर गंगा पुल, हरनौत रेल कारखाना, राजगीर आयुध फैक्ट्री, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर।

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