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घर वापसी ट्रेन: श्रमिक स्पेशल ट्रेन का कैसे मिलेगा टिकट और कौन करेगा खाने-पीने की व्यवस्था?

लॉकडाउन में फसे लोगों को अपने घर पहुचाने के लिए रेलवे ने स्पेशल ट्रेन चलाना शुरू किया है| रेलवे ने इसका नाम ‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन’ रखा है| यह ट्रेन आम ट्रेन से अलग है और इसके चलाने की प्रक्रिया से लेकर टिकट बुकिंग के तरीके भी अलग हैं|

पिछले रविवार को रेलवे ने इस विशेष ट्रेन को लेकर गाइडलाइन्स जारी किये| जिसके तहत ये ट्रेनें तभी चलेंगी जब कम से कम 90 फीसदी सीटों की बुकिंग हो जायेगी| सभी ट्रेने कम से कम 500 किलोमीटर के लिए होंगी और सिर्फ अपने अंतिम स्टेशन पर ही रुकेगी| एक ट्रेन में (मिडिल बर्थ को छोड़कर) करीब 1200 लोग सफर कर सकते हैं।

किसके जरिये होगा टिकट की बुकिंग?

टिकट बुकिंग और 90% यात्रियों का समूह तैयार कराने की जिम्मेदारी उस राज्य की होगी जहाँ से यह स्पेशल ट्रेन खेलेगी| लोगों को टिकट भी उसी राज्य सरकार के जरिये मिलेगी| टिकट का किराया भी राज्य सरकार यात्रियों से जमा करके रेलवे को सौपेगी| यात्रियों की सुरक्षा भी राज्य सरकार को करनी है| राज्य सरकार ही यात्रियों को सुरक्षित तौर पर स्टेशन पर लाती है और यह सुनिश्चित करती है की स्टेशन पर वही आये जिसके पास टिकट है|

कौन करेगा यात्रियों के खाने का इंतजाम?

श्रमिक स्पेशल ट्रेन से यात्रा करने वाले यात्रियों के खाने-पिने की व्यवस्था वह राज्य सरकार करती है जहाँ से ट्रेन खुलती है| अगर यात्रा का समय 12 घंटे या उससे से ज्यादा की होगी तो एक और टाइम खाना दिया जाता है जो की रेलवे देती है| इसके साथ इस त्रैनसे यात्रा करने वाले को मास्क पहनना जरुरी है एवं यात्रियों को आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है|

अपने राज्य पहुचने पर क्या करना होगा?

ट्रेन के गंतव्य स्टेशन पहुँचाने पर सारा जिम्मेदारी वहां के राज्य सरकार संभालती है| स्थानीय प्रशासन को स्क्रीनिंग, क्वारंटाइन और आगे की यात्रा आदि की व्यवस्था करती है| सामाजिक दूरी का पालन करवाने के लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था की व्यवस्था सरकार को करना होता है|

कैसे करें घर आने के लिए रजिस्ट्रेशन?

घर आने को लेकर उत्सुक सभी लोग यही पूछ रहे हैं कि आने के लिए रजिस्ट्रेशन कहाँ करें| इसके लिए सभी राज्य सरकार ने रजिस्ट्रेशन पोर्टल लांच किया है| जिसका लिंक निचे दिया गया है| मगर उससे पहले यह ठीक से समझ लें- स्पेशल ट्रेन से यात्रा करने वाले का रजिस्ट्रेशन उसी राज्य सरकार के पोर्टल से होगा, जहाँ अभी आप हैं| यानी अगर आप अभी राजस्थान में है और बिहार आने चाहते हैं तो आपको राजस्थान सरकार के रजिस्ट्रेशन पोर्टल में अपना नाम देना होगा न कि बिहार सरकार के| 

राज्य (जहां फंसे हैं बिहारी) और संबंधित क्षेत्र का लिंक

दिल्ली: delhipolice.nic.in
मध्य प्रदेश:  https://mapit.gov.in/covid-19/
गुजरात: https://www.digitalgujarat.gov.in/loginapp/CitizenLogin.aspx
पंजाब:  https://covidhelp.punjab.gov.in
महाराष्ट्र: https://covid19.mhpolice.in
राजस्थान:https://emitraapp.rajasthan.gov.in/emitraApps/covid19MigrantRegistrationService
हिमाचल प्रदेश: http://covidepass.hp.gov.in/
तामिलनाडु: http://tnepass.tnega.gov.in
हरियाणा: https://edisha.gov.in/eForms/MigrantService
कर्नाटक: https://sevasindhu.karnataka.gov.in/Sevasindhu/English
उत्तराखंड: http://dsclservices.org.in/uttarakhand-migrant-registration.php या http://smartcitydehradun.uk.gov.in/
उड़ीसा: https://covid19regd.odisha.gov.in/
केरल:  https://registernorkaroots.org
छत्तीसगढ़:  https://cglabour.nic.in
उत्तर प्रदेश:  https://uplabour.govt.in
पश्चिम बंगाल:  https://wb.govt.in
गोआ:  https://goaonline.govt.in
जम्मू और कश्मीर:  https://serviceonline.govt.in
झारखंड:  https://jharkhandpravasi.in

बिहार: https://covid19.bihar.govt.in (यह लिंक उनके लिए जो बिहार राज्य में फसे हैं और बिहार से बाहर/दूसरे राज्य में जाना चाहते हैं|)

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बिहार में रेलवे परियोजनाओं के लिए धन के आवंटन में 362 प्रतिशत की वृद्धि हुई है: केंद्र सरकार

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि बिहार में रेलवे परियोजनाओं के लिए धन के आवंटन में 362 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 55 परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान अनुपूरक सवालों के जवाब देते हुए, रेल राज्य मंत्री अंगदी सुरेश चन्नबसप्पा ने कहा कि बिहार के लिए 4,093 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, 362 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और राज्य में 55 परियोजनाएँ चल रही हैं।

हाजीपुर-मोहुआ रेल लाइन शुरू होने पर एक विशिष्ट प्रश्न पर, उन्होंने कहा कि यह लगभग 14 साल पहले शुरू किया गया था लेकिन कुछ कारणों से लंबित है।

“हाजीपुर-महुआ न्यू लाइन सेक्शन के लिए कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है। हालांकि, भगवानपुर (हाजीपुर से 20 किमी की दूरी पर स्थित) – महुआ (60 किमी) के बीच नई लाइन के लिए एक टोही-सह-यातायात-सर्वेक्षण (आरईटीएस) को कर लिया गया है”, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने एक लिखित जवाब में कहा।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, नई लाइनों के सर्वेक्षण और मंजूरी की मांग एक सतत प्रक्रिया है। एक परियोजना की मंजूरी पर अंतिम दृष्टिकोण सर्वेक्षण रिपोर्ट की जांच के बाद परियोजना पर वित्तीय और आर्थिक रिटर्न के आधार पर लिया जाता है, मंत्री ने कहा।

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क्या बिहार से फिर बनेगा कोई रेल मंत्री?

केंद्र में दुबारा बनने जा रही मोदी सरकार की अगली कैबिनेट में बिहार से पिछली बार से अधिक नेताओं की भागीदारी लगभग तय है। पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 31 सीटें जीती थी तो मोदी कैबिनेट में आठ मंत्री थे।

इस बार 39 सांसदों की जीत के आधार पर यह माना जा रहा है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में 10 मंत्री बन सकते हैं। संख्या बल के हिसाब से यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि बिहार को इस बार रेलवे, संचार, कृषि, ऊर्जा, ग्रामीण विकास जैसे अहम मंत्रालय मिल सकते हैं।

केंद्र सरकार के पिछले कार्यकाल को देखें तो सांसदों की संख्या के अनुसार ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहारी सांसदों की भागीदारी होती रही है। वर्ष 1999 की अटल सरकार में वर्तमान बिहार से 13 मंत्री थे। वहीं, वर्ष 2004 में बिहार से यूपीए के 28 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे तो 11 सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला था। 2009 में सत्ताधारी दल कांग्रेस के दो सांसद जीते तो मंत्रिमंडल में बिहार की भागीदारी शून्य हो गई। हां, मीरा कुमार जरूर लोकसभा अध्यक्ष बनी थीं। 2014 में जब फिर से सत्ताधारी दल के 31 सांसद जीते तो आठ सांसदों को मंत्रिमंडल में जगह मिली।

इस बार एनडीए की शानदार जीत के बाद मोदी सरकार में मंत्रियों की संख्या के साथ ही बिहार को अहम मंत्रालय भी मिलने के आसार अधिक हैं। इसमें एक रेल मंत्रालय का भी नाम मिडिया में आ रहा है| कहा जा रहा है कि एक बार फिर रेल मंत्रालय बिहार के किसी नेता को दिया जा सकता है| ज्ञात हो कि रेल मंत्रालय का बिहार से बहुत पुराना नाता है| बिहार ने अबतक देश को सबसे ज्यादा रेलमंत्री दिया है| मौजूदा एनडीए में सामिल रामविलास पासवान और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी केंद्र सरकार में रेल मंत्री रह चुके हैं| अबतक बिहार से 8 रेलमंत्री बन चुके हैं| अगर इसबार भी रेल मंत्रालय बिहार के किसी नेता को दिया गया तो एकबार फिर बिहार अपना रिकॉर्ड तोड़ेगा|

बिहार से रेल मंत्री बने नेताओं पर एक नजर :

1.बाबू जगजीवन राम (1962)
2. राम सुभग सिंह (1969)
3. ललित नारायण मिश्र (1973)
4. केदार पांडेय (1982)
5. जॉर्ज फर्नाडीस (1989)
6. रामविलास पासवान (1996)
7. नीतीश कुमार 1998 और 2001 (दो बार)
8. लालू प्रसाद यादव (2004)

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खुबसूरत मिथिला पेंटिंग से सजाई गयी बिहार संपर्क क्रांति एक्स्प्रेस

मधुबनी रेलवे स्टेशन को मिथिला पेंटिंग से सजाने के बाद अब धीरे-धीरे रेलवे मिथिला की सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत, मिथिला पेटिंग के रंग में रंगता जा रहा है| दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के नौ डिब्बों को मधुबनी पेंटिंग के रंग में रंगा गया है। बिहार की संस्कृति को समेटे दरभंगा से चलकर नौ डिब्बों के साथ यह ट्रेन जब शुक्रवार को नई दिल्ली पहुंची तो हर कोई इसकी खूबसूरती निहारने लगा।

बोगियों पर मिथिला पेंटिंग को पिछले एक महीने में 50 से अधिक महिला कलाकारों ने मिल कर बनाया है| हालांकि, अभी पूरी ट्रेन पर यह पेंटिंग नहीं हुई है| लेकिन, धीरे-धीरे ट्रेन की सभी कोचों पर यह पेंटिंग किया जा रहा है|

मीडिया से बात करते हुए DRM रविंद्र जैन ने कहा कि यह ट्रेन जिस रेल रूट से गुजरेगी, उधर ही मिथिला पेंटिंग का प्रचार -प्रसार होगा| इससे न सिर्फ मिथिला पेंटिंग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि ट्रेन की खूबसूरती भी बढ़ गयी है| वहीं, ट्रेन में सफर करने वाले लोग अपने आप को गौरवान्वित भी महसूस कर सकते है| उन्होंने बताया कि रेलवे ने इसे एक प्रयोग के रूप में शुरू किया है| इसके परिणाम अच्छे आने पर, आने वाले दिनों में और भी ट्रेनों की बोगियों पर मिथिला पेंटिंग की जायेगी| इधर उद्घाटन के पहले दिन इस ट्रेन में सफर करनेवाले लोग भी न सिर्फ खुशकिस्मत मान रहे है| तो वहीं, रेलवे के इस प्रयास की प्रशंसा भी कर रहे है| पहली बार मिथिला पेंटिंग से सजी ट्रेन के पहली बार पटरी पर आने से मिथिला पेंटिंग करने वाले महिला कलाकार काफी उत्साहित नजर आये|

मधुबनी स्टेशन पर की गई थी पेंटिंग
बिहार संपर्क क्रांति की बोगियों को सजाने का काम महिला कलाकारों ने किया है। बता दें कि इससे पहले भारतीय रेलवे द्वारा ‘रेल स्वच्छ मिशन’ के तहत मधुबनी स्टेशन की दीवारों पर भी इसी तरह की पेंटिंग बनाई गई थी। इस स्टेशन में सफाई अभियान चलाया गया था, जिसमें कलाकारों ने वेतन की मांग न करते हुए 14 हजार वर्ग फीट की दीवार तो ट्रेडिशनल मिथिला स्टाइल में पेंट किया था।

इस स्टेशन की दीवारों और फुटओवर ब्रिज पर यहां की परंपरागत मधुबनी पेंटिंग बनाई गई है। इस वजह से अब मधुबनी स्टेशन यात्रियों के आकर्षण का खास कारण बन गया है। दूर-दूर से लोग इस पेंटिंग को देखने आते हैं।

 

बिहार में उत्पादित बिजली से दौड़ती हैं मुंबई की लोकल ट्रेनें

मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश अक्सर यह कहते रहतें हैं कि अगर मुंबई में बिहारी लोग काम करना बंद कर दे तो मुंबई कि रफ्तार थम जायेगी। मगर क्या आपको पता है कि मुंबई की लाईफ-लाईन कही जाने वाली मुंबई लोकल ट्रेन भी बिहार में उत्पादित बिजली पर ही निर्भर है? 

जी हाँ, बिहार के नबीनगर में स्थित भारतीय रेल बिजली कम्पनी लिमिटेड के पॉवर प्लांट से मुंबई की लोकल ट्रेनों के लिए बिजली की आपूर्ति हो रही है। ज्ञात हो कि बिहार के नबीनगर में भारतीय रेल और एनटीपीसी के संयुक्त पॉवर प्लांट भारतीय रेल बिजली कम्पनी लिमिटेड से अगस्त में मुंबई में चलने वाली लोकल ट्रेनों को बिजली की आपूर्ति शुरू की गई। इस प्लांट की 90 प्रतिशत बिजली पर रेलवे का अधिकार होता है और शेष दस प्रतिशत बिहार सरकार खरीदती है। फिलहाल इस पॉवर प्लांट से 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. अगले साल नवंबर महीने तक दो और इकाइयों में जब उत्पादन शुरू होगा तब 500 मेगावाट और बिजली उपलब्ध होगी।

नीतीश कुमार ने इस प्लांट की रखी थी आधारशिला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस प्लांट की आधारशिला तब रखी थी जब वे रेल मंत्री थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. तब बिहार में बाढ़ में एक पावर प्लांट की आधारशिला रखी जा चुकी थी। रेलवे ने अपना पावर प्लांट लगाया ताकि राज्यों से ट्रेनों के परिचालन के लिए बिजली खरीदने के लिए निर्भरता खत्म हो जाए।

 

Source: NDTV

खुशखबरी: बिहार और नेपाल के बीच बिछाने लगा रेलवे ट्रेक, इस साल से दौड़ेगी ट्रेने

नेपाल से बिहार का सदियों पुराना नाता रहा है। यह रिश्‍ता दो देशों से बढ़कर सामाजिक व पारिवारिक स्तर तक है। बिहार व नेपाल के बीच निर्बाध आवागमन से इसे बढ़ावा दिया है। इस दिशा में नई पहल से यह रिश्‍ता और मजबूत होगा। अब अगले साल से बिहार व नेपाल के बीच ट्रेन सेवा भी शुरू होन जा रही है।

बिहार से नेपाल के लिए पहली ट्रेन अगले साल अक्टूबर महींने में दौड़ेगी। जानकारी के अनुसार बिहार के जयनगर से नेपाल के बर्दीबास तक आठ सौ करोड़ की लागत से 69 किमी सिंगल ट्रैक का निर्माण किए जाने का प्लान है। इसमें बिहार के जयनगर में तीन किमी रेल ट्रैक रहेगा। इसके लिए पहले चरण में जयनगर से जनकपुर होते हुए कुर्था तक 35 किमी रेल ट्रैक निर्माण का काम जारी है।

निर्माण कंपनी इरकॉन के अनुसार अप्रैल 2018 तक जयनगर (बिहार) से कुर्था (नेपाल) तक ट्रैक का निर्माण कर लिया जाएगा। अक्टूबर 2018 तक ट्रेन का ट्रायल भी हो जाने की उम्‍मीद है। इसके बाद ट्रेनों का नियमित परिचालन आरंभ हो जाएगा।

 

इसके बाद दूसरे चरण का काम आरंभ किया जाएगा। इसके तहत मार्च 2019 तक कुर्था से बिजलपुरा तक रेल ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। आगे तीसरे चरण में बिजलपुरा से बर्दीबास तक 16 किमी ट्रैक का निर्माण किया जाएगा।

इरकॉन के एक अधिकारी के अनुसार जयनगर से कुर्था तक अक्टूबर 2018 से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाएगा। नेपाल स्थित कुर्था से बिजलपुरा तक मार्च 2019 में ट्रेन सेवा शुरू की जाएगी। आगे बिजलपुरा से बर्दीबास तक 2021 से ट्रेनें चलेंगी।

दोनों देशो के इस पहल से अब बिहार तथा नेपाल के बिच की दूरियां और भी कम हो जाएगी। जिससे लोगों को आने -जाने में किसी भी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस नए रेलवे योजना से अब नेपाल और बिहार के साथ -साथ दोनों देशो के बिच का सम्बन्ध और भी मजबूत हो जाएगा।

 

खुशखबरी: सुरेश प्रभु ने बिहार को दिये ₹340 करोड़ का नया सौगात

बीते मंगलवार यानि 9 मई को गोपालगंज के महत्वपूर्ण थावे-छपरा भाया मशरख रेलखंड पर बड़ी लाइन की ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया। इस रेलखंड पर परिचालन का शुभारम्भ नागपुर से रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हरी झंडी दिखा कर किया।

रेल मंत्री नागपुर डीआरएम कार्यालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गोपालगंज की जनता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आम लोगों से अपनी आस्था और संकल्प को दोहराया। कहा कि केंद्र सरकार बिहार के विकास के लिए 226 फीसदी आवंटन की बढ़ोतरी की है।

बिहार के विकास के लिए  करीब 3696 करोड़ निवेश किया गया है।

जिनमें 826 करोड़ विद्युतीकरण पर खर्च किया जाएगा। यात्री सुविधाओं पर भी  विशेष ध्यान दिया जा रहा है। रेल लाइन क दोहरीकरण, नई ट्रेनें और यात्री सुविधा के साथ 2 रुपए में पानी की व्यवस्था उपलब्ध कराने की बाते कही। उन्होंने 1 बजकर 12 मिनट पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। साथ ही मंच से राजीव प्रसाद रूडी, जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, सांसद जनक राम द्वारा हरी झंडी दिखा ट्रेन को रवाना किया गया। उपस्थित लोगों ने  विशेष सवारी गाड़ी संख्या 55186 को छपरा कचहरी के लिए रवाना किया गया। थावे-मशरख रेलखंड की लंबाई 64 किलोमीटर है।

पटना और दिल्ली के लिए जल्द शुरू होगा ट्रेनों का परिचालन
छपरा रेलखंड के यात्रियों के लिए जल्द ही पटना और दिल्ली के लिए भी ट्रेनें चलाई जाएंगी। ये केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने दिघवा दुबौली स्टेशन पर कहीं। स्थानीय विधायक मिथिलेश तिवारी ने मांग रखी कि दिल्ली और पटना के लिए इस रेलखंड पर ट्रेनें मुहैया कराई जाए। जिस पर केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रुडी ने भरोसा दिलाया कि यहां के विधायक और स्थानीय लोगों के अनुरोध को  रेलमंत्री और प्रधानमंत्री के पास रखेंगे। पटना और दिल्ली के लिए रेल सेवा शुरू हो जाएगी। एक्सप्रेस ट्रेनें भी चलाई जाएंगी।
केन्द्रीय कौशल विकास एवं उद्द्मिता राज्य मंत्री राजीव प्रताप रुड़ी ने कहा कि इस रेलखंड पर पहली बार 19 साल बाद बड़ी लाइन का शुभारम्भ किया गया।
उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने इस रेल लाइन के अमान परिवर्तन का कार्य ठप्प कर दिया था जिसे बीते 2 साल में ही पूरा कर इस रेल लाइन पर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया। इसी तरह प्रदेश में 17 साल बिहार की महत्वपूर्ण दीघा पटना रेल लाइन बंद थी, जिसे चालू किया गया। मौके पर विधायक मिथिलेश तिवारी, विधायक सुभाष सिंह, एनडीए के जिलाधय्क्ष सहित कई नेता मौजूद थे।

अब ट्रेन में सोते हुए यात्री से टिकट नहीं मांगेगी TTE

अब रेलगाड़ी से यात्रा करने वाले यात्रियों को कोई भी टीटीई उसे जगा कर उससे टिकट नहीं मांग सकता।

जी हाँ बिल्कुल अब कोई भी यात्रियों के नींद में खलल नहीं पड़ेगी। अब रात में टिकट नहीं चेक किए जाएंगे। रात की ट्रेनों में टिकट जांचने के लिए समय तक तय हुआ है। इससे रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक आरक्षित बोगियों में टिकट जांच नहीं होंगे। रात को ट्रेन में सो रहे यात्री को टिकट जांचने के लिए अब नहीं उठाया जाएगा।

फाइल पिक

यात्रियों की शिकायत पर रेलवे बोर्ड से यह आदेश सभी जोन में भेजा गया है।  रात्रि ट्रेनों में ड्यूटी शुरू करने वाले टिकट निरीक्षक कोच में पहले से सो रहे यात्रियों से भी सीटों की जांच के लिए उन्हें जगाकर टिकट मांगते थे। काफी यात्रियों ने नींद में जगाने पर आपत्ति जताई थी। छोटा नागपुर पैसेंजर एसोसिएशन के महामंत्री डॉ. अरुण तिवारी ने कहा कि वर्ष 2010 से यह व्यवस्था लागू है। लेकिन, इसका पालन नहीं होता था। रेलवे बोर्ड के नए आदेश से यात्रियों को मानिसक शांति मिलेगी।
  • अब होगी ये व्यवस्था- 
    ट्रेनों में रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक नहीं होगी टिकट जांच।
  • रात की ट्रेन में सिर्फ चढ़ने वाले यात्रियों की ही होगी टिकट की जांच।
  • रेलवे बोर्ड से 27 जनवरी को यह आदेश सभी जोन में भेजा गया है।

बिहार तक रेल लाइन बिछाना चाहता है चीन: चीनी मीडिया

एक समय एसा था कि पूरी दुनिया की नजर बिहार पर थी समय के साथ हालात बदलते चले गये।  कहते है न इतिहास अपने को फिर से दोहराता है उसी तरह बिहार अपना खोया स्वाभिमान फिर से हासिल कर रहा।  फिर दुनिया का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहा है बिहार। 

 

यह खबर आ रही है ।  चीन ने बिहार तक रेल लाइन बिछाने की इच्छा जाहिर की है। ध्यान रहे कि तिब्बत के रास्ते सड़क और रेल नेटवर्क को नेपाल तक पहुंचाने के काम में वह पहले से ही लगा हुआ है। यह जानकारी चीन की सरकारी न्यूज एजेंसियों की रिपोर्ट में दी गई है।

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार के लिए कोलकाता के बदले इस इस रेल संपर्क के जरिये चीन के साथ व्यापार करना सुगम होगा और इसमें समय, लागत और दूरी की बचत होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से रेल-सड़क संपर्क नेपाल और नेपाल के लोगों के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इसके अलावा इसमें पूरे दक्षिण एशिया से कनेक्टिवटी के निर्माण की भी क्षमता है। नेपाल सरकार के पास इतिहास बनाने का मौका है। इसमें नेपाल में कुछ बड़ी परियोजनाओं के रास्ते में अड़चन डालने की भी आलोचना की गई है।

 

न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, रेल नेटवर्क के इस विस्तार का मकसद भारत और दक्षिण एशिया के साथ परिवहन संपर्क में सुधार करना है। चीन से नेपाल के सीमावर्ती रासुवगाधी क्षेत्र तक रेल लाइन बिछाने की बात दोनों देशों के बीच पहले से ही चल रही है। चीनी सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार चीन से नेपाल तक रेल लाइन 2020 तक पहुंचने की उम्मीद है। खबरों में कहा गया है कि इस रेल लाइन के जरिये चीन रासुवगाधा से बीरगंज मार्ग से भारत से जुड़ सकता है। यह बिहार सीमा से मात्र 240 किलोमीटर पर है।

इस परीयोजना से बिहार को भी बहुत लाभ होगा।

रेल और सड़क संपर्क को भारत का नेपाल में प्रभाव को कम करने के लिए चीन की दृश्टी से रणनीतिक माना जा रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि हिमालय पर्वत के रास्ते इस बेहद महंगे ढांचे का निर्माण तभी व्यावहारिक होगा जबकि इसे भारत से जोड़ा जाए। भारत, चीन द्विपक्षीय व्यापार 70 अरब डॉलर (करीब 4,73,857 करोड़ रुपये) के करीब है। इसमें से व्यापार संतुलन 48 अरब डॉलर (करीब 3,24,975 करोड़ रुपये) के बराबर चीन के पक्ष में है।

 

अगर यह परीयोजना बिहार के राष्ट्रीय हित के खिलाफ न हो तो भारत सरकार को भी इस पर विचार करना चाहिए।  आर्थिक नजर से देखे तो यह चीन के साथ भारत को फायदा है, खासकर बिहार के हित में होगा।