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Inside Story: नीतीश के लिए भाजपा को इतना क्यों आ रहा है प्यार और क्यों महागठबंधन में बढ़ रहा है तकरार

कहा जाता है कि दिल्ली में सत्ता का रास्ता बिहार और यूपी से गुजरता है । 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे बड़ी कामयाबी इन्ही दो राज्यों में मिले थे । यूपी विधानसभा चुनाव जीत बीजेपी ने 2019 के लिए अपना रास्ता तो साफ कर लिया है मगर रास्ते में अभी एक चुनौती मौजूद है और वह है बिहार । पूरे देश में मोदी हवा चला मगर लालू-नीतीश की दोस्ती ने मोदी हवा को बिहार में रोक दिया ।

 

भाजपा किसी भी हालत में बिहार में महागठबंधन को तोड़ना चाहती है। यूपी चुनाव के बाद महागठबंधन में चल रहें खटपट भी बीजेपी को काफी पसंद आ रहा है।

सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी पर नीतीश कुमार का मोदी सरकार का साथ देना भले ही लालू यादव पर दबाव बनाने की राजनीति हो मगर बीजेपी इसको एक अवसर के रूप में देख रही है।

 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का खुले तौर पर नीतीश की प्रशंसा करना हो या खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शराबबंदी पर नीतीश के तारीफ में पूल बांधना । ये सब यू ही नहीं हुआ बल्कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया है।

 

दरअसल बीजेपी एक तीर से कई निशाना लगाना चाहती है । बीजेपी किसी भी तरह महागठबंधन को तोड़ना तो चाहती ही है साथ ही नीतीश कुमार को अपने साथ जोड़ना चाहती है । इसमें तो कोई सक नहीं की बिहार जीत के बाद नीतीश कुमार मोदी के सामने सबसे बड़े विपक्षी नेता के तौर पर राष्ट्रीय राजनीति में उभर के आए है तो शराबबंदी और प्रकाशपर्व के बाद बिहार के साथ ही देश में भी अपनी सकारात्मक छवि बनाने में कामयाब हुए है। नीतीश कुमार के साथ आने से बीजेपी को बिहार में फिर से एक चेहरा तो मिल ही जायेगा साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में भी मोदी को चुनौती देने वाला विपक्ष खत्म हो जायेगा । इसीलिए कई बड़े नेताओं द्वारा नीतीश को एनडीए में सामिल होने का निमंत्रण भी मिल चुका है।

 

सब जानते है कि भले लालू यादव और नीतीश सरकार में साथ है मगर दोनों एक दुसरे को कमजोर करने में लगें है। यह मजबूरी का गठबंधन है । अगर आपको कुछ दिनों में महागठबंधन टूटने की खबर मिले और विकास के नाम पर या बीजेपी के किसी विशेष पैकेज के बहाने नीतीश कुमार के घर वापसी की खबर आए तो हैरान नहीं होईयेगा ।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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