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गुजरात में बिहार के लोगों पर हो रहा है हमला, डर से भाग रहे हैं लोग

इस देश का संबिधान देश के सभी नागरिकों को देश के किसी हिस्से में रहने और काम करने का अधिकार देता है, मगर कागज़ पर लिखे इस अधिकार और कानून का बार-बार तिलांजलि दिया जाता है| बिहार-यूपी जैसे राज्यों के लोगों पर अक्सर दुसरे राज्यों में हमला किया जाता है और उनके अधिकारों का सरेआम हनन होता है|

एक बार फिर बिहारियों पर हमला हो रहा है और इस बार यह हमला देश के प्रधानसेवक श्री नरेन्द्र मोदी जी के गृह राज्य गुजरात में हो रहा है| हमला का आतंक इतना है कि लोग गुजरात छोड़ के घर भाग रहें है| 

दरअसल, साबरकांठा जिले में पिछले हफ्ते 14 माह की बच्ची से कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप में बिहार के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के बाद राज्य के कई हिस्सों में गैर गुजरातियों को निशाना बनाया जा रहा है| जगह-जगह उत्तर भारतीयों खासकर यूपी और बिहार के लोगों को वहां की स्थानीय नागरिक निशाना बना रही है और मारपीट कर रही है|

पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि जिन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है, उन गैर गुजरातियों में बिहार एवं उत्तर प्रदेश के रहने वाले लोग खास तौर पर शामिल हैं| सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि करीब यूपी-बिहार के लोगों को निशाना बनाने और  इस तरह के हमले पिछले एक हफ्ते में गांधीनगर, मेहसाना, साबरकांठा, पाटन और अहमदाबाद जिलों में हुए हैं और इन घटनाओं के संबंध में 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है| अहमदाबाद से 116 किलोमीटर की दूरी पर स्थित साबरकांठा में पुलिस पेट्रोलिंग कर रही है| हालांकि, अब स्थिति नियंत्रण में है|

माना कि रेप का आरोपी बिहार का रहने वाला है, मगर पापी लोगों को भी क्या धर्म, जात और राज्य से जोड़ कर देखा जायेगा? दुष्कर्मी लोग सिर्फ दुष्कर्मी होते हैं, उसको किसी क्षेत्र के पहचान से मत जोड़िये| किसी क्षेत्र विशेष के लोगों के कामयाबी के जलन के कारण, इस दुष्कर्मी का बहाना बनाकर उस क्षेत्र को बदनाम मत कीजिए|

अगर फिर भी उसके कुकर्म को उसके क्षेत्र विशेष से जोड़ने पर तुले हो आप, तो सिर्फ उसका राज्य ही क्यों? उसके हर एक पहचान को उसके कुकर्म से जोड़ दो| उसके धर्म, जात और राज्य को जोड़ने के बाद भी मन न भरे, तो उससे राष्ट्र का नाम भी जोड़ दो और अगर उसके बाद खुद पर शर्म आ जाए तो चुल्लू भर पानी में डूब मरो|

बिहार के लाल को दिया गया उत्तर प्रदेश के डीजीपी की जिम्मेदारी

उतर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार के पहले दिन बागडोर संभालते हुए बिहार के रोहतास जिले के बिक्रमगंज प्रखंड क्षेत्र के मोरौना गांव के मूल निवासी रहे रजनीकांत मिश्रा को यूपी का नया डीजीपी नियुक्त किया है। अब बिहार के लाल के हाथों में यूपी के नागरिकों की सुरक्षा का पूरा दारोमदार होगा।नियुक्त आर के मिश्रा चार भाई और एक बहन है। अपने भाई बहनों में तीसरे स्थान पर है। इनकी शिक्षा-दीक्षा पटना में हुई है और इनके पिता पटना के साइंस कालेज में प्रोफसर थे। इनके बड़े भाई कांग्रेस के टिकट पर 1984 के दशक में गोपालगंज से चुनाव लड़ चुके है जबकि दूसरा टाटा में हार्ड का डॉक्टर है और चौथा हाई कोर्ट में अधिवक्ता है। जबकि गांव पर इनका भरा पूरा परिवार है। 85 वर्षीय इनके चाचा जीवित है और इनके भी तीन पुत्र है। जो गांव पर रहकर खेती बारी संभालने का कार्य करते है।मृदुभासी स्वभाव के रहने वाले नव नियुक्त डीजीपी का गांव से हमेशा लगाव रहा है और वर्ष में एक या दो बार गांव घूमने के लिए आते रहे है। यह हर कार्य में बखूबी निपुण बताये जाते है तथा बड़े ओहदे पर होने के उपरांत भी कभी अहंकार नही की आज भी गांव या परिचितों से आम लोगो की तरह मिलते-जुलते रहे है।बताया जाता है कि आर के मिश्रा क्रिकेट खेलने के अलावा तास के पत्तो में भी काफी माहिर खेलाड़ी माने जाते है।

Special train Time table

खुशखबरी: छठ-दिपावली में बिहार के लोगों के लिए रेलवे चलाएगी विशेष ट्रेन

पटना: रोजी-रोटी कमाने के लिए राज्य से दूर रह रहें बिहारी लोग जो छठ और दिपावली में ट्रेन का टिकत नहीं बुक करा पाने के कारण अपने घर नहीं आ पाते थे उनके लिए खुशखबरी है।  रेलवे ने यूपी, झारखंड और बिहार के लोगों को अपने गांव या शहर में दीपावली और छठ पूजा मनाने का मौका देने के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का फैसला लिया है।

 

हर साल त्योहारों के 15-20 दिन पहले विशेष ट्रेनों की घोषणा की जाती थी, जिससे इन ट्रेनों की सभी सीटें बुक नहीं हो पाती थी। इस बार रेलवे ने अक्टूबर से चलने वाली ट्रेनों की घोषणा अगस्त में ही कर दी है, ताकि लोगों को टिकट बुक करने का पर्याप्त समय मिल पाए।

रेलवे ने इस बार दीपावली और छठ पूजा को देखते हुए 14 जोड़ी विशेष ट्रेन चलाएगी। ये ट्रेनें अक्टूबर से चलाएगी। इन विशेष ट्रेनों में 24 कोच हो सकते हैं, जिसमें एक हजार सीटें आरक्षित होंगी। इन ट्रेनों में 499 लोग वेटिंग टिकट ले पाएंगे। ये ट्रेनें दिल्ली-हावड़ा रूट पर चलाई जाएंगी, जो उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से होकर गुजरेंगी।

 

फिलहाल दीपावली और छठ के आसापास के समय में बिहार और उत्तर प्रदेश जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में बुकिंग सीटें खत्म हो चुकी हैं।

 

वैसे छठ और दिपावली के समय घर आने वाले लोगों की भीड़ के मद्देनजर यह सिटों की संख्या अप्रयाप्त है।  उस दौरान रेलवे को यात्रियों के सुविधाम का विशेष ध्यान देने की जरूरत है और साथ ही सभी लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच सके इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए।

क्या देश के लिए शहीद जवान पहले सैनिक था या नीचे जात वाला??

 

हाँ तो तुम क्या कह रहे थे, की तुम ऊँची जाती के हो? ह्म्म्मम्म.
अच्छा, ठीक है ये बताओ, की ये ऊँची जाती होने का सर्टिफिकेट कहाँ से लिया. हाँ मतलब किसने कहा की फलाना जाती ऊँची रहेगी और फलाना जाती नीची रहेगी. हाँ बताओ ज़रा?
अब बकलोल जैसा मेरा मुँह मत ताको, जवाब दो. कहाँ लिखा है, कौन से वेद में, पुराण में, या गीता में, महाभारत में, या कुराण में? 
अजी हमने भी पढ़ा है, श्रीकृष्ण ने गीता में पुरा मोक्ष पाने का और उनतक पहुँचने का रास्ता स्टेप बाई स्टेप लिखा है, लेकिन कहीं ये नही लिखा की ये ऊँची जाती के लिए है और ये नीची जाती के लिए है.

चलो कोई एक कारन बता दो जिससे हम मान ले की तुम चूँकि ऊँची जाती के हो इसलिए ऐसा करते हो या इसलिए तुम्हारे साथ ऐसा होता है?
चलो इ बताओ अभी के अभी अगर पानी बरसने लगे, और बिना छत्ता के तुम भी खड़े हो और हम भी खड़े हैं, तो खाली हम ही भींगेंगे, तुम नही भीगोगे का?
अच्छा तुम भी भीगोगे? ठीक है.
अच्छा सोचो यहाँ अभी एकदम पगलवा टाइप धूप हो जाये तो गर्मी खाली हमको लगेगा या तुमको भी लगेगा?

अच्छा तुमको भी लगेगा? ठीक है.
एगो लास्ट बात और बताओ, अगर हम दुन्नो साथे ही आग में कूद जाते हैं, तो खाली हम ही जलेंगे की तुम भी जलोगे.
अच्छा तुम भी जलोगे, बढ़िया बात.
नही-नही पगलाए नही हैं हम. तुमको तुम्हारे ही जबान में सोचे समझा देते हैं, की आगे से तुम ऊँच और नीच जाती नही करेगा.

अब सुनो गौर से, जब आग भी तुमको उतना ही जलाता है जितना हमको, जब धूप भी तुमको उतना ही गर्मी देता है, जितना हमको और जब पानी भी तुमको उतना ही भिगाता है, जितना हमको, तो तुम काहे के ऊँच जात और हम काहे के नीच जात बे?

इ समझाओ हमको. और इ बताओ की ससुरा हम पागल की तुम पागल. हम इ सब बात रिजर्वेशन लेने के लिए नही कर रहे समझा. और न ही कल हमको मंडल-कमंडल हल्ला कर-कर के नेता ही बनना है. हम जा रहे हैं, सरहद पर, देस का सेवा करने. वहाँ कोनो ठिकाना नही है, मर-मुरा जायेंगे. तो जब तिरंगा में लिपटल आयेंगे न अपना घर, तो ससुरे चिता जलने देना कम से कम. हल्ला मत करना की ऊँची जाती के ज़मीन पर नीची जाती का चिता नही जलने देंगे.

हमको अपना चिंता नही है, कम से कम जो बेसहारा बाल-बच्चा को छोड़ जायेंगे न, उनके सामने ऐसा मत कर देना की उ लोग भी सोचने लगे की उसका बाप सैनिक पहले था या नीची जाती वाला पहले? 

अगर चिता ही नही जलने दोगे तो खाली कह देने भर से नही न होगा की “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा.” चलो अब चलते हैं. कश्मीर जा रहे हैं, १०-२० ससुर के नाती को तो जन्नत पहुंचाए के ही लौटेंगे अगली बार छुट्टी में. जय हिन्द. भारत माता की जय. तुम लोग सुतो आराम से बे, हम हैं न, पाकिस्तान और चाइना को तो हम अकेले ही सीना पर गोली मार कर और खा कर संभल लेंगे.

 

नोट: ये कहानी भारत माता के वीर सपूत वीर सिंह को समर्पित है, जो कश्मीर में ड्यूटी निभाते-निभाते शहीद हो गए. और जब तिरंगे में लिपटा शरीर उत्तरप्रदेश उनके घर लाया गया तो ऊँची जाती वालों ने उनके चिता के लिए सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल करने से मना कर दिया, सिर्फ इसलिए क्यूंकि वो नीची जाती के थे. आप भी सोचिये, की आप शहीद का साथ देंगे या अपनी जाती का.

 

लेखक- मुकुंद वर्मा