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Coronavirus: पटना के NMCH के 83 जूनियर डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन में भेजने की मांग की

10 करोड़ के आबादी वाला बिहार राज्य कोरोना वायरस के आतंक से तो पहले ही सहमा हुआ है, सरकार के लापरवाही और लोगों को डरा रही है| कल खबर आई थी कि बिहार के दरभंगा के DMCH कोरोना किट की कमी के कारण डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा बंद कर दिया है| आज राज्य के दुसरे प्रतिष्ठित नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानी एनएमसीएच से भी वैसी ही खबर आ रही है|

एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने मांग की है कि उन्हें क्वारंटीन में भेजा जाए| राज्य के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल एनएमसीएच के 83 जूनियर डॉक्टरों ने खुद को क्वारंटीन में भेजने की मांग करते हुए अधीक्षक को चिट्ठी लिखी है|

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ रणविजय भारती ने बताया, “लगातार कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का इलाज हम लोग कर रहे हैं| पर एनएमसीएच में जो बुनियादी सुविधा हम डॉक्टरों के लिए होनी चाहिए, वह नहीं है| ना ही हमें सीनियर डॉक्टरों की मदद मिल रही है| ऐसे में पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने के दौरान अगर हम जूनियर डॉक्टरों को कुछ हो जाता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?” इन्हीं मुद्दों को लेकर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अधीक्षक को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि कुल 83 जूनियर डॉक्टरों को इससे अलग रखें|

पटना के डीएम कुमार रवि ने इस मामले पर कहा कि मुझे इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं है| जैसे जानकारी मिलती है मैं आपसे बात करूंगा|

ज्ञात हो कि कोरोना से बचाव को लेकर DMCH में भी कुव्यवस्था देखने को मिल रही थी| इस कारण डॉक्टर काफी नाराज थे| डॉक्टरों ने बताया कि डीएमसीएच में किट की तो कमी है ही, मास्क और ग्लव्स भी नदारद है| इसके साथ ही भागलपुर मेडिकल कालेज और पटना मेडिकल कालेज के डाक्टर और मेडिकल छात्रों के भी होश उड़े हैं कि बग़ैर सुरक्षा उपकरणों के कैसे मरीज़ के करीब जाएंगे।

बिहार को अब तक COVID -19 के टेस्ट के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), पुणे से 1,500 किट प्राप्त हुए हैं। जिसमें से 1,000 किट राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हैं, शेष 500 किट दरभंगा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (DMCH) के पास हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या बिहार जैसे आबादी वाले राज्य के लिए 1,500 किट पर्याप्त थे, बिहार मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ. सुनील सिंह ने कहा कि राज्य टेस्केट लिए केंद्र के प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है और ये किट इस समय के लिए पर्याप्त है।

कोरोना वायरस संदिग्ध के जांच सैंपल 6 मार्च से लेकर 23 मार्च की शाम 5 बजे तक कुल 187 नमूने पूरे बिहार से आर.एम.आर.आई. भेजे गए| जिसमें से कोरोना वायरस के तीन मरीजों का टेस्ट पॉजिटिव पाया गया है| साथ ही 175 कोरोना संदिग्ध मरीज निगेटिव और 9 सैंपल की जांच हो रही है, जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है|

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बिहार के सुमंत बने फोर्ब्स ऑनलाइन प्रतियोगिता का टॉपर, अमेरिका-यूरोप विशेषज्ञों को छोड़ा पीछे

पटना के सुमंत परिमल ने प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स (Forbes) द्वारा आईटी प्रोफेशनल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) विशेषज्ञों की ऑनलाइन कराई गई एक प्रतियोगिता को जीता है| इस प्रतियोगिता को जितने वाले वह पहले भारतीय है|

करीब दो महीने तक चली ऑनलाइन प्रतियोगिता में इस बिहारी ने अमेरिका, यूरोप, एशिया व ऑस्ट्रेलिया के विख्यात आईटी और एआई विशेषज्ञों को पीछे छोड़ा है। सुमंत की रेटिंग सबसे ऊंची रही, जिससे उन्हें फोर्ब्स ने वैश्विक विशेषज्ञों के पैनल में टॉप पर रखा है।

पटना के राजा बाजार के रहने वाले सुमंत ने मैसूर विश्वविद्यालय से एम.टेक और जेवियर लेबर रिसर्च इंस्टीट्यूट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (XLRI), जमशेदपुर से एमबीए किया है| वो कई वर्षों तक बोकारो स्टील प्लांट में अधिकारी रहे| इसके बाद उन्होंने पांच वर्षों तक अमेरिका में रिसर्च किया|

सुमंत दिल्ली-एनसीआर में 5ज्वेलर्स रिसर्च चीफ एनालिस्ट के पद पर कार्यरत हैं और उन्होंने एआई और रोबोटिक्स पर पांच साल तक काम किया है। ग्रेटर नोएडा में रोबोटिक्स टेक्नो. पार्क के प्रस्ताव में अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि दुनिया की प्रतिष्ठित टेक कंपनियां जैसे- आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न एआई पर काम कर रही हैं।

Sonpur Mela, Sonpur Cattle Fair, Patna

Know about the Sonpur Mela of Bihar, a vibrant rural carnival like no other

The Sonepur fair, held in the Saran District of Bihar at Sonpur area of ​​historical, religious and mythological significance at the confluence of the Mokshadayini Ganga and the Gandak River, starts from Kartik month and lasts for a month.

Even though the nature of this fair from ancient times has changed in Kalantar, its importance is still the same today. This is the reason that every year millions of domestic and foreign tourists reach here. Being a trade fair, animals of all varieties from elephants and camels to cats and guinea pigs can be bought here. It is unique fair in its kind and recognized as the biggest cattle fair in Asia.

Christophe Boisvieux/Getty Images

The annual Sonepur fair in Bihar is a vibrant rural fair that combines spirituality, animal trading, and amusement. Street magicians, religious gurus and tantriks, pilgrims, snack stalls, handicrafts, rides, circus performers, martial artists and dancing girls all create a carnival like no other.

Like other Indian festivals, this also has its roots in our ancient history. The buying and selling of cattle here has taken place for centuries, spread across an area of 500 acres. Local people says that the horses and elephants for great Mauryan emperor Chandragupta’s stables were bought here, after breeders travelled long distances to arrive at the site. It is a believed that historical figure like Emperor Akbar, Lord Clive of the East India Company and freedom fighter Baabu Kunwar Singh also visited here.

Traders from west and central Asia would bring horses to the fair; until the ‘90s, a brisk trade in elephants would be conducted by those who’d travelled up from Kerala, Tamil Nadu and Karnataka. Elephants, horses, cows, asses, even monkeys — there were a wide variety of animals sold at the cattle fair.

The changing face of the Sonepur cattle fair. Photo courtesy MI Khan

Since elephant trading is becoming increasingly illegal, most traders get their elephants for pomp and prestige. Horses of fine quality also gallop around for the same reason. The ‘Chiriya Bazaar’ or Bird Market is a space where birds and other small animals can be bought legally. Cow being symbolic of various things in India are also sold as pedigree items as well as other cattle and milch animals.

the Sonepur fair now has a more commercial focus with the aim of attracting both domestic and international tourists.

In 2014, extra stalls were added selling clothing, agricultural equipment, automobiles, and fast-moving consumer goods. A food plaza was also set up with branded national chains. In addition, there were various adventure activities. Sporting competitions and cultural programs were introduced in 2018 to further draw the crowd.

How to reach

Sonepur is fully connected to Patna, the capital of Bihar. The distance between Patna to Sonpur is 56 kilometers. At the same time, the distance from other major cities Muzaffarpur to Sonpur is 36 kilometers and from Hajipur is just 5 kilometers. The nearest airport is Patna Airport and the nearest railway station is Patna Junction besides Hajipur. If you wish, you can also take a taxi directly from the airport or railway station to Sonpur.

बिहार के आनंद कुमार प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में देंगें लेक्चर

पटना के सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार का दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है| वैसे तो आनंद कुमार अपने कामों से देश-दुनिया में पहले से ही जाने जाते हैं मगर इसी साल उनकी जिंदगी पर आई फिल्म के बाद उनकी लोकप्रियता आसमान छू रही है|

बिहार के प्रसिद्ध गणितज्ञ आनंद कुमार को विश्वभर में प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनियन और विश्व की सबसे पुरानी कैंब्रिज विश्वविद्यालय के डिबेटिंग एंड फ्री स्पीच सोसाइटी ने भाषण देने के लिए आमंत्रित किया है|

ज्ञात हो कि इंग्लैंड में स्थित कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने कभी पढाई के लिए उनको आमंत्रित किया था मगर पैसे की कमी के कारण वे वहां नहीं पढ़ सके थें|

विश्वविद्यालय द्वारा भाषण देने के लिए बुलाय जाने पर आनंद कुमार ने अपने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “आज लग रहा है जैसे सपना पूरा हो गया है । कभी पैसे के आभाव में एडमिशन मिलने के बावजूद कैंब्रिज नहीं जा सका था और आज कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के उस मंच पर बोलने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है जहाँ रोनाल्ड रेगन और विंस्टन चर्चिल जैसे लोग बोल चुके हैं l”

दो दशक पहले की थी सुपर-30 की स्‍थापना

आनंद ने पटना में दो दशक पूर्व सुपर-30 की शुरुआत की थी. इसका मकसद समाज के वंचित वर्गों के बच्चों को प्रतिष्ठित आईआईटी में प्रवेश के लिए बिना शुल्क लिए कोचिंग देना है. कैम्ब्रिज यूनियन ने आनंद कुमार को लिखे पत्र में कहा, ‘आपके निस्वार्थ सुपर-30 कार्यक्रम ने भारत में सामाजिक और शैक्षिक बाधाओं को तोड़ने में मदद की है. इसने दुनिया भर का ध्यान आकर्षित किया है.’

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अमेरिका में ‘द एजुकेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड 2019’ से सम्मानित हुये आनंद कुमार

बिहार के आनंद कुमार एक फिर अपने कामों के लिए सम्मानित किये गायें हैं| मगर इस बार उन्हें अपने देश में नहीं बल्कि विदेश में सम्मानित किया गया है|

सुपर-30 के संस्थापक और  IIT प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाली कोचिंग संस्था ‘सुपर 30′ (Super 30) के संस्थापक और गणित के विख्यात शिक्षक आनंद कुमार (Anand Kumar) को अमेरिका में शिक्षण से जुड़े एक प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है।

आनंद कुमार को ‘फाउंडेशन फॉर एक्सीलेंस’ (एफईई) संगठन ने ‘द एजुकेशन एक्सीलेंस अवॉर्ड 2019’ पुरस्कार से नवाजा। इस संगठन के 25 वर्ष पूरे होने के मौके पर कैलिफोर्निया के सैन जोस में आयोजित एक समारोह में कुमार को इस पुरस्कार से सप्ताहांत में नवाजा गया।

आनंद ने इस कार्यक्रम में अपने भाषण में कहा, ”लोगों तक गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की पहुंच होने से विश्व में बड़ा बदलाव आएगा क्योंकि इससे गरीबी, बेरोजगारी, जनसंख्या विस्फोट, पर्यावरण क्षरण सहित कई अन्य समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी।

आनंद कुमार का स्वागत लोगों ने तालियां बजाकर किया और इस समारोह में कई दिग्गज हस्तियां शामिल हुईं। कुमार ने कहा, ”भारतीय अमेरिका सहित पूरे विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा काम कर रहे हैं और अगर वह अपने समाज को वापस कुछ देते हैं तो यह उनके लिए बेहद संतुष्टिजनक होगा और शिक्षा से ज्यादा कीमती कोई उपहार नहीं हो सकता है।

कुमार ने कहा कि शिक्षित दुनिया बेहतर दुनिया होगी क्योंकि उसमें समझ और करूणा ज्यादा होगी। उन्होंने कहा, ”मौजूदा समय में खालीपन बढ़ता जा रहा है और इस खालीपन को सिर्फ शिक्षा ही भर सकती है। किसी को भी अच्छा अवसर दें तो वह अच्छा करके दिखाएगा। अंतत: अवसर ही मायने रखता है। हाल ही में कुमार पर बनी फिल्म ‘सुपर 30’ रिलीज हुई थी। इसमें ऋतिक रोशन मुख्य भूमिका में थे।

आनंद पिछले 18 सालों से भारत में सुपर-30 प्रोग्राम चला रहे हैं। जिसमें 30 छात्रों को एक साल के लिए आवासीय मुफ्त कोचिंग प्रदान किया जाता है। ये सभी बच्चे भारत के इंजीनियरिंग के उच्च संस्थान आईआईटी की परीक्षा आईआईटी-जेईई के लिए तैयार करते हैं।

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राजधानी पटना में जल्द खुलेगी टीसीएस सेंटर, आईटी हब बनने के तरफ पहला बड़ा कदम

पटना साहिब से नवनिर्वाचित सांसद और केंद्रीय आई.टी. मंत्री रविशंकर प्रसाद पटना को आई.टी. हब बनाने के दिशा में काम शुरू कर दिया है| आईटी क्षेत्र में विश्व के प्रतिष्ठित कंपनी टीसीएस ने बिहार के राजधानी पटना में अपना एक केंद्र खोलने का घोषणा किया है| हाल ही में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से दिल्ली में मुलाकात की और इसकी घोषणा की|

मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर इस मुलाकात की जानकारी दी और बताया कि टीसीएस (टाटा कंसल्टेन्सी सर्विसेज) जल्द ही पटना में अपना एक बड़ा केंद्र शुरू करने जा रही है| टीसीएस का ये केंद्र बिहार में किसी बड़ी बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी द्वारा किया गया पहला बड़ा निवेश होगा|

 

अपने ट्वीट में रविशंकर प्रसाद ने आशा जताई कि टीसीएस जैसी बड़ी कंपनी का बिहार में निवेश एक अच्छी शुरुआत है और इस से प्रेरित हो कर अन्य आईटी कंपनियां भी बिहार में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगी| रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पटना में टीसीएस के आने से युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और यहां के युवाओं के मौका मिलेगा. संभावना है कि जल्द ही टीसीएस के केंद्र का उद्घाटन होगा|

रविशंकर प्रसाद का यह पहल बहुत ही सराहनीय है| बिहार को निवेश की सबसे ज्यादा जरुरत है| टीसीएस के बिहार में केंद्र खोलने से एक बड़ा बदलाव आ सकता है| उम्मीद है और भी बड़ी कंपनियां बिहार का रुख करेगी|

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दिल्ली की तरह पटना के सड़कों पर भी दौरेंगी सीएनजी बसें, जारी हुआ टेंडर

दिल्ली और देश के अन्य बड़े शहरों के तरह अब पटना में भी सीएनजी बसें दौरेंगे| बिहार राज्य परिवहन निगम जल्द ही पटनावासियों को सीएनजी बसें मुहैया करवाने की कोशिश में है| निगम ने कुल 20 बसों की खरीद के लिए टेंडर निकाले हैं जिनमें 10 सीएनजी हैं और 10 डीजल|

अगस्त से सड़कों पर सीएनजी से चलने वाली बसें दौड़ लगाने लगेंगी। शहर के 14 रूटों पर वर्तमान में 120 सिटी बसें चल रही हैं। 50 हजार से अधिक यात्री प्रतिदिन यात्रा कर रहे हैं। 

परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि पटनावासियों ने सिटी बस सेवा को पसंद किया है। यातायात व्यवस्था में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। सिटी बसों के चलने के कारण बहुत से लोगों ने अपने वाहन के बदले सिटी बस से कार्यालय आना-जाना शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि सीएनजी बसों के चलने से शहर के प्रदूषण में काफी कमी आएगी।

नयी बसों के आने से बीएसआरटीसी की नगर सेवा के बसों की संख्या बढ़ कर 130 को जायेगी| इनमें 120 डीजल चालित, जबकि  10 सीएनजी बसें होंगी| ज्ञात हो कि इन दिनों बीएसआरटीसी की नगर सेवा के अंतर्गत 110 बसें चल रही हैं, जिनमें से सभी डीजल चालित हैं| पहले चरण में सभी 10 बसें शहर के भीतर ही दिया जायेगा और बाद वाले चरण में आसपास के जिलों में सीएनजी बसें चलेंगी|

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बिहार रणजी टीम ने 42 वर्षों बाद अपनी धरती पर दर्ज की जीत, सिक्किम को 395 रनों से हराया

जीत सबको अच्छा लगता है| खासकर वह जीत जिसका इंतज़ार लम्बे समय से हो और वह एतिहासिक जीत आपको अपनों के आँखों के सामने मिले तो उसका महत्व कहीं अधिक होता है| कुछ ऐसा ही भावनात्मक खुशी का पल कल बिहार क्रिकेट के लिए था|

बिहार की रणजी टीम ने अपनी ही धरती पर 42 वर्षों बाद जीत का स्वाद चखा है. मोइनुल हक स्टेडियम में बिहार ने सिक्किम को 395 रनों से हराया| इससे पहले वर्ष 1976 में तत्कालीन उड़ीसा के खिलाफ खेलते हुए जीत दर्ज की थी| 

पहले बल्लेबाजी करते हुए बिहार की टीम ने आशुतोष अमन (89) और विवेक कुमार (72) की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत पहली पारी में 288 रन बनाए थे. जवाब में सिक्किम की टीम सिर्फ 88 रन पर ही सिमट गई. बल्लेबाजी के बाद आशुतोष अमन ने गेंदबाजी में भी जौहर बिखेरा और 5 विकेट दर्ज किए.

200 रन की विशाल बढ़त दर्ज करने के बाद बिहार ने दूसरी पारी में भी 7 विकेट पर 296 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया| इंद्रजीत कुमार (30), रजनीश कुमार (25), रहमतुल्लाह (66), केशव कुमार (36), उत्कर्ष भास्कर (59) और विकास रंजन (55) ने उपयोगी पारियां खेली जबकि पहली पारी के अर्धशतकवीर खिलाड़ियों आशुतोष अमन और विवेक कुमार क्रमशः 17 और 5 रन पर नाबाद रहे| इस तरह बिहार ने सिक्किम के लिए 497 रनों का लगभग असंभव लक्ष्य दिया|

जवाब में सिक्किम की टीम सिर्फ 108 रन पर ही सिमट गई| सिक्किम की तरफ से अनुभवी खिलाड़ी विपुल शर्मा (32) ही कुछ संघर्ष कर सकें. आशुतोष अमन ने एक बार फिर धारदार गेंदबाजी करते हुए 5 विकेट लिए और शीर्ष क्रम को झकझोर कर रख दिया| इस बार अमन का साथ समर कादरी ने भी खूब दिया और 4 विकेट लिए| बिहार की इस जीत की सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने अपने घरेलू मैदान मोइन उल हक स्टेडियम में यह जीत दर्ज की|

ज्ञात हो कि बिहार ने इस साल विजय हजारे ट्रॉफी में भी शानदार प्रदर्शन करते हुए क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था|

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22 वर्षों के बाद पटना में होगा रणजी मैच का आयोजन, फ्री पास की व्यवस्था

भारतीय क्रिकेट में बिहार का 18 साल का वनवास ख़त्म होते ही बिहार क्रिकेट के अच्छे दिन आने लगे हैं| बिहार क्रिकेट टीम को रणजी खेलने का मौका मिलने के बाद अब बिहार रणजी मैच का आयोजन करने जा रहा है| 22 वर्षों के बाद 28 नवम्बर को पटना का मोईन-उल-हक स्टेडियम रणजी मैच का आयोजन करने जा रहा है|

एमएच स्टेडियम में बिहार और सिक्किम के बीच 28 नवंबर को मैच होगा| मैच के मुख्य अतिथि बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी होंगे। रणजी मैच को देखने के लिए फ्री पास की व्यवस्था की गई है। फ्री इंट्री पास मोइनुल हक स्टेडियम के बीसीए कार्यालय, बीसीए कार्यालय होटल वेलकम पैलेस, भट्टाचार्य रोड, होटल पाटलिपुत्र कॉन्टिनेंटल, अनिसाबाद, मुन्ना जी का क्रिकेट कैंप, मोइनुल हक स्टेडियम (बाहरी परिसर), अंशुल क्रिकेट एकेडमी, शिवाला में भी उपलब्ध है।

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चार मैचों का होगा आयोजन

पटना का एमएच स्टेडियम 4 मैचों का आयोजन करने जा रहा है| 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक सिक्किम के खिलाफ, 6 से 9 दिसंबर तक अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ, 22 दिसंबर से 25 दिसंबर तक नगालैंड के खिलाफ, 7 जनवरी से 10 जनवरी तक मणिपुर के खिलाफ। पटना के अलावा बिहार क्रिकेट टीम को आगे शिलांग में 14 दिसंबर से 17 दिसंबर तक मेघालय टीम के खिलाफ और जोरहट में 30 दिसंबर से 2 जनवरी तक मिजोरम टीम के खिलाफ मैच खेलने हैं।

गौरतलब है कि विगत वर्ष क्रिकेट में मान्यता मिलने के बाद बिहार क्रिकेट टीम विजय हजारे ट्रॉफी समेत 9 मैच खेल चुकी है, जिसमें से 7 मैचों में टीम को जीत मिली है।

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एही से छठ पर्व “महापर्व” कहाला

काँच ही बांस के बहंगिया बहँगी लचकत जाये
पहनी ना देवर जी पियरिया बहँगी घाटे पहुचाये”!!

ई गीत सुनते ही मनवा मे एगो लहर उठेला, दिल खुश हो जाला, छठ महापर्व के आगमन हो जाला। सभे बिहारी, परदेसी चाहे विदेसी छठ में अपना देस जरुर आवेला लोग भले एकरा खातीर ट्रेन के भीड़-भडा़का मे कुचलाए के पडे़।

छठ महापर्व के लीला ऐतना अपरंपार होला की तीवईया तीन दिन के निर्जला व्रत बिना कोउनो परेसानी के सारा विधि-विधान से ई पर्व खुशी-खुशी मनावेली।

नहाए-खा से शुरु होखे वाला ई पर्व तीन दिन तक चलेला।

माई गेहूं धो के दू दिन तक धूप मे सुखावेली फेर बाबूजी जाता मे पिसवाएनी।
नहाए-खा वाला दिन के घी वाला घीया के तरकारी और रोटी, और खरना (दूसरका दिन) के चुल्हा पर के गुड़ के खीर मनवा के और जीभ के मोह लेला।

नहाय खाय से शुरू होती है छठ महापर्व

दऊरा सजावल जाला तरह-तरह के फल-फुल, ठेकुआ, खजूर और दीयरी से| माई के ओठ प्यासल रहेला लेकिन छठी मईया के गीत झूमझूम के गावेली। बाबूजी पियरी पहिन दउरा घाटे लेकर जाएनी और माई, चाची, मौसी आपन आपन सिंदूरा लेकर, अलता से सजावल आपन पैर के पैजनीया रुनझून बजावत चलेली। साथ ही भईया के कांधे लचकत ऊखीया बडा़ निमन लागेला। घाट के खुबे शोभा बढे़ला जब सभे वरती पानी बीच खडा़ होकर सुर्य देवता के अरघ देवेले। बाबा जी घाटे बारहो बाजा बजवावेनी और खूब थपरी पीट-पीट के ठुमकेनी।

छठ महापर्व के एतना गुणगान होला की हर कोई जाने के चाहेला आखिर ई पर्व ‘महापर्व’ काहे कहाला?

हमहु ई जाने खातिर अपना माई से पूछनी। ऊ बतइली की –

“ई पर्व बिहार और हर बिहारीवासी खातिर सबसे बड़ पर्व होखेला काहे से की ई धारणा बा की ई पर्व के शुरूआत सबसे पहिले अंगराज कर्ण से भइल। अंग प्रदेश वर्तमान मे भागलपुर ह, जउन ब‌िहार में स्‍थ‌ित बा।

कर्ण के माता कुंती और सुर्य देवता के पुत्र मानल जाला। कर्ण सूर्य देवता के भक्त रहनी और नियम से कमर तक पानी मे खडा़ होकर सूर्य देव के पूजत रहनी और गरीबन के दान देत रहनी। कार्तिक शुक्ल षष्ठी और सप्तमी के दिने कर्ण सूर्य देव के विशेष पूजा करत रहनी। आपन राजा के सूर्य भक्ति से प्रभावित होके अंग देश के सभे निवासी सूर्य देव के पूजा करे लागल|

धीरे-धीरे सूर्य पूजा पूरा बिहार और पूर्वांचल मे फैल गइल। शुरू मे ई पर्व बिहार और उत्तर प्रदेश में ही मनावल जात रहे फेर धीरे-धीरे बिहार के लोग विश्व में जहां भी रहेला लोग ओजा ई पर्व के ओ ही श्रद्धा और भाव-भक्ति से मनावेला लोग।

ई पर्व से जुड़ल एगो और पौराण‍िक कथा बा कि कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी के सूर्यास्त और सप्तमी के सूर्योदय के मध्य वेदमाता गायत्री के जन्म भइल रहे. प्रकृति के षष्ठ अंश से उत्पन्न भइली षष्ठी माता बालकन सब के रक्षा करे वाली विष्णु भगवान द्वारा रचल गइल माया रहली।

….वैसे और भी कथा छठ पर्व से जुड़ल बा।”

तबही पीछा से मौसी कहली “ए बबुनी छठी मईया के महिमा अपरंपार बा, कब्बो खाली हाथ न जाए देवेली अपना तीवईया लोग के, सभे लोग के सपना पूरावेली त काहे न ई पर्व ‘महापर्व’ कहाई।”

शाम के अरघ के बाद रात मे कोसी भराला, सोहर गवाला, सभे गीत गावेला, जगमग दीयरी जरेला। माई के सिंदुरवा आज बडा़ सोहाला काहे से की आज ई नाक पर से माथा तक लागेला। ई सिंदुर बतावेला की माई छठी मईया से आपन सुहाग के लंबा उमर मांगत बारी।
छठ के सुबह वाला अरघ खातिर सुबह ३ बजे से ही चहलकदमी शुरु हो जाला, कल्पना और शारदा सिन्हा के गीत गूंजे लागेला। ठंडी मे रजाई छोड़कर उठे के पडे़ला, लेकिन घाटे जाए के खुशी के आगे नींद भी न सुहावन लागेला। सब लोग के उठे से पहिले माई तीन-चार खल के तरकारी बना देवेली।

घाटे के कमर तक के ठंडा पानी मे खडा़ होके, कप-कपाइल हाथ मे सूप लेकर, किटकिटाइल दांत और आँख मे एगो आस लिए सभे वरती सुर्य देव के राह ताकेला। ए दिन सुर्य देवता भी तनी नखरा दिखाएनी और ऊगे मे देर करेनी। पीछा से कल्पना अपना गीत मे कहेली की “ऊग हो सुरूज देव, भइल भिनुसरवा,अरघ के रे बेरवा,पुजन के रे बेरवा नू हो”

और सुर्य देवता के पहिला किरण लौकते ही सभे अरघ देकर आपन व्रत सफलतापुर्वक खत्म करेला लोग। और गरम पानी से आपन तीन दिन के व्रत पे विराम लगा देवेला लोग।

छठ महापर्व के महिमा पूरा जगजाहिर बा। यहा तक कि बिहार के मुस्लिम लोग भी ई महापर्व के मनावेला लोग और धीरे-धीरे पूरा विश्व मे धूमधाम से मनावल जाला।

जय घठी मईया

– शिल्पा कुंवर

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खुशखबरी: पीएमसीएच बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल, मिला 5540 करोड़

बिहार की राजधानी पटना में स्थित पीएमसीएच हॉस्पिटल सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा हॉस्पिटल बनेगा| नीतीश कैबिनेट ने पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) के पुनर्विकास को मंजूरी दे दी है। इसके तहत पीएमसीएच को करीब 5540.07 करोड़ रुपये की लागत से दुनिया का सबसे ज्यादा 5462 बिस्तरों वाले अस्पताल में तब्दील किया जाएगा।

बेडों की संख्या 1754 से बढ़कर 5462 हो जायेगी| एमबीबीएस, पीजी और सुपरस्पेशलिटी की भी सीटें बढ़ जायेंगी| इतना ही नहीं, यहां वर्ल्ड क्लास की चिकित्सकीय सुविधाएं मिलेंगी
मंत्रिपरिषद विभाग के प्रधानसचिव संजय कुमार ने बताया कि विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल बेलग्रेट में है| इस अस्पताल में 3500 बेड हैं| पीएमसीएच को इससे भी बड़ा अस्पताल होने का गौरव प्राप्त होगा|
पीएमसीएच में 5462 बेड होंगे| इसके लिए बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लि से प्राप्त प्रस्ताव एवं तकनीकी अनुमोदन के आधार पर कैबिनेट ने भी प्रस्ताव को प्रशासनिक स्वीकृति दे दी है| इससे प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में चिकित्सकों की कमी को दूर किया जा सकेगा और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी|
बढ़ जायेंगी सीटें
पीएमसीएच अस्पताल के पुनर्विकास के बाद विभिन्न कोर्स में सीटें बढ़ जायेंगी| स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एमबीबीएस के 150 सीटें वर्तमान में हैं, यह बढ़कर 250 हो जायेंगी| इसी तरह पीजी सीट के लिए 146 और सुपर स्पेशलिटी के लिए आठ सीटें हैं| यह बढ़ कर क्रमश: 200 और 36 हो जायेंगी| उधर, 883.10 करोड़ रुपये से मेडिकल उपकरणों को खरीदा जायेगा|

पटना के मछुआटोली, भिखना पहाड़ी, महेन्द्रू और राजेन्द्र नगर का विद्यार्थी जीवन

21-22 साल की छोटी सी उम्र में गाव की पगडंडियों से उठ कर, एक गठरी में दाल, चावल, आटा बांध कर जब एक लड़का खड़खड़ाती हुई बस में अपने हौसलो के उड़ान के साथ बैठता है तब उसके दिमाग में बत्तियां जलती है जो बत्तियां लाल होती है या नीली होती है और यही सोंचते-सोंचते वह कब पटना पहुंच जाता है उसको पता ही नहीं चलता। फिर यहाँ से शुरू होती है जिंदगी की जद्दोजहद, नौकरी की तलाश।

जब लड़का अपने कमरे में कदम रखता है उस दिन उसकी एक ऐसी साधना शुरू होती है जो कभी अकेला नहीं करता,

जब वह फॉर्म डालता है तो उसकी माँ किसी देवी माँ की मनौती मान देती है, उसकी बहन मन ही मन खुश होती है। उसके पिता दस लोगो से इसका जिक्र करते है और जब उसका परीक्षा जिस दिन रहता है उस दिन माँ व्रत करती है,

इस कामना के साथ की उसका लड़का आने वाले अपने पूरे जीवन भर फाइव स्टार होटल में खायेगा।

राजधानी के चकाचौंध में यहाँ लड़का कोचिंग करता है, अपने सीनियर, अपने दोस्त, अपने भाई आदि की सलाह भी लेता रहता है। अपनी तैयारी में धार देता हुआ आगे बढ़ता है।
कुकर की बजती सीटियों के बीच “विविध भारती “पर “लता मंगेशकर “की आवाज यहाँ का “राष्ट्र गान” है जो आप को लगभग हर कमरे में सुनाई देगा।

यहाँ का प्रतियोगी मैनेजमेंट भी बहुत अच्छा सीख लेता है। दस बाई दस के कमरे में, सब कुछ बिल्कुल अपनी जगह रखा मिल जाएगा। अलमारी किताबो से भरी, एक तरफ कुर्सी और मेज, एक तरफ लेटने के लिए चौकी, एक तरफ खाना बनाने के लिए एक मेज, दीवारों पर विश्व के मानचित्र और उसके बगल में लगे स्वामी विवेकानन्द और डॉ कलाम के पोस्टर और दरवाजे के पीछे लगी मुस्कुराती हुई मोनालिशा का बड़ा सा पोस्टर और कमरे की छज्जी पर रखे रजाई और कंबल। ये सब यहाँ के विद्यार्थी का मैनेजमेंट बताने के लिए पर्याप्त है ।

प्रतियोगी यहाँ अपने हर काम का टाइम टेबल बना के अपने स्टडी मेज के दीवाल के ऊपर चिपका के रखता है जिसमें यह तक जिक्र होता है कितने बजे अख़बार पढ़ना है और कितने बजे सब्जी लेने जाना है।

DBC यहाँ के छात्रों का मुख्य खाना है , DBC यानि दाल, भात, चोखा। कुल मिलाकर यहाँ के प्रतियोगी की जिंदगी कमोबेश एक सिपाही जैसी होती है।

इस तरह तैयारी करते करते 3-4 साल बीत जाते हैं कुछ साथी चयनित होकर अपने अनुजो का उत्साह बढ़ा के चले जाते है। यहाँ मछुआटोली, भिखना पहाड़ी, महेन्द्रू, राजेन्द्र नगर जैसे इलाकों में शाम के वक़्त छात्रों का चाय के दुकान पर संगम लगता है, जहाँ हर जगह से आये छात्र साथ बैठ कर चाय पीते-पीते देश की दशा, दिशा और परीक्षाओं पर भी सार्थक बहस करते हैं। यहाँ के प्रतियोगी को जितना अमेरिका के लोगो को उसके भौगोलिक स्थिति के बारे में नहीं पता होगा उससे ज्यादा इनको पता होता है।

यहाँ का प्रतियोगी जब अपने मेहनत के फावड़े से अपनी बंजर हो चुकी किस्मत पर फावड़ा चलाता है तो सफलता की जो धार फूटती है उसी धार से वह अपने परिवार को, समाज को सींचता है और इसी सफलता के लिए न जाने कितनी आँखे पथरा जाती है और प्यासी रह जाती है, लेकिन उस प्यास की सिद्दत इतनी बड़ी होती है कि एक अच्छा इंसान जरूर बना देती है।

सौ बार पढ़ी गई किताब को बार-बार पढ़ा जाता है, जब याद हो चुकी चीजो को सौ बार दुहराया जाता है फिर भी परीक्षा हॉल में कंफ्यूजन हो जाया करता है, उस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी। जब परीक्षा हॉल के अंतिम बचे कुछ मिनटों में बाथरूम एक सहारा होता है शायद वहा कोई एक दो सवाल बता दे उस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी।

जब खाना बन कर तैयार हो जाये तो उसी समय में दो और दोस्तों का टपक पड़ना और फिर उसी में शेयर कर के खाना इस मनोस्थिति का नाम है यहाँ का विद्यार्थी ।

प्रतियोगी का संघर्ष का दौर चलता रहता है, कुछ निराश होने लगे प्रतियोगियों को तब कोई कन्धा सहारा बन के आ जाता है, जब उसकी निराशा बढ़ने लगती है तो उस कंधे पर होता है रेशमी दुपट्टा। उसके बाद वो उस रेशमी दुपट्टे के आंचल में ऐसा खोता है कि तब उसे आप कहते सुन लेंगे कि वह इसके लिए IAS बन के दिखा देगा।

इस तरह शुरू होता है इश्क़ का दौर, घूमना, टहलना, पढाई का एक से बढ़ कर एक ट्रिक अपनी गर्ल फ्रेंड को देना, इन सभी चिजों का ये एक दौर चलता है। मुँह पर दुपट्टा बांधा जाता है, हेलमेट भी पहना जाता है फिर भी शाम को कोई मिल जायेगा और बोलेगा, “अरे यार आज तुमको हम भौजी के साथ मछुआ टोली में देखे थे”।

कुछ समय बाद यह भी दौर खत्म हो जाता है, लड़की के घर वाले उसके हाथ पीले कर देते है। फिर यह चुटकुला सुनने को मिल जाता है, जब मैं बीएड का फॉर्म लेने दुकान पर गया था तो वो अपने बच्चे को कलम दिला रही थी।

यहाँ तैयारी का फेस भी बदलता रहता है, शुरू में माँ-बाप के लिए IAS बनना चाहता है, उसके बाद गर्ल फ्रेंड के लिए IAS बनना चाहता है और अंत में दुनिया को दिखाने के लिए। वो कहता फिरता है कि मै दुनिया को दिखा दूंगा कैसे की जाती है तैयारी IAS की, पर जब वो असफल हो जाता है तो लोग उससे बात करना नहीं पसन्द करते, क्योंकि उनके नजर में वह असफल है, लेकिन यक़ीन मानिये असफल प्रतियोगी अपनी असफलता को बता सकता है, उसकी कमियों से सीखा जा सकता है, जिससे इतिहास रचा जा सकता है।

वैसे इस शहर में हमने भी पूरे वनवास काटे हैं, यहाँ के तैयारी करने वाले प्रतियोगियों का यही मज़ा है। आप बौद्धिकता से परिपूर्ण हो जाते है बेशक सफलता मिले न मिले।

टी.के. तिवारी
(एक छात्र)

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खुशखबरी: बिहार का पीएमसीएच बनेगा विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल, होंगे 500 बेड

देश ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा अस्पताल होगा पीएमसीएच। इसमें 5000 बेड होंगे। अभी विश्व में सबसे अधिक बेड वाला अस्पताल जोहांसबर्ग का क्रिस हैनी बरागवनाथ हॉस्पिटल है। इस अस्पताल में बेड की संख्या 3400 है। जबकि, देश में सबसे अधिक 2800 बेड का अस्पताल अहमदाबाद का सिविल हॉस्पिटल है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को 1 अणे मार्ग में पीएमसीएच को अत्याधुनिक अस्पताल के रूप में विकसित करने का प्रेजेंटेशन देखा। मुख्यमंत्री ने इसमें कुछ संशोधन की सलाह दी है जिसे दस से पंद्रह दिन में दिन में ठीक कर लिया जाएगा। इसके निर्माण पर अनुमानित 1200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यहां हेलीकॉप्टर उतरने के लिए हेलीपैड की भी व्यवस्था होगी। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि पहले चरण का निर्माण कार्य इसी साल शुरू होगा।

3 चरणों में तैयार होगा अस्पताल

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पीएमसीएच को तीन चरणों में बहुमंजिली अत्याधुनिक अस्पताल के रूप में विकसित किया जाना है| प्रथम चरण में इसकी क्षमता 2,100 बेड की होगी, दूसरे चरण में 1,600 अतिरिक्त बेड जोड़े जाएंगे जबकि तीसरे चरण में 1,300 अतिरिक्त बेड जोड़े जाएंगे|

तीसरे चरण के अंतिम तक पीएमसीएच की कुल क्षमता 5,000 बेड के अस्पताल के रूप में हो जाएगी|

ग्रीन बिल्डिंग कॉम्पलेक्स

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पीएमसीएच में ग्रीन बिल्डिंग कॉम्पलेक्स भी होगा और इसके निर्माण में बेस आइसोलेशन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा| अत्याधुनिक तौर पर विकसित होने के बाद पीएमसीएच 4 स्टार रेटेड कॉम्पलेक्स बन जाएगा|

प्रस्तुतिकरण के बाद नीतीश कुमार ने बताया कि पीएमसीएच को विकसित करने की योजना अच्छी है, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पीएमसीएच में आवासीय परिक्षेत्र एक जगह पर ही बनाने की जरूरत है जिससे पैरामेडिकल स्टॉफ, नर्सिंग स्टॉफ, डॉक्टर इत्यादि के रहने की व्यवस्था हो| उन्होंने कहा कि अस्पताल और आवासीय क्षेत्र के अलग-अलग होने से मरीजों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी|

मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि आवासीय परिक्षेत्र के लिए साउंडप्रूफ तकनीक का इस्तेमाल किया जाए ताकि किसी भी तरह के शोरगुल से बचा जा सके और मरीजों को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो| उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि पीएमसीएच की बिल्डिंग भूकंपरोधी और फायर प्रूफ होनी चाहिए| साथ ही बिल्डिंग के निर्माण हो जाने के बाद इसके रखरखाव पर पूरा ध्यान दिया जाए|

स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिए गए इस प्रस्तुतिकरण के दौरान मुख्यमंत्री के अलावा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे और मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह भी मौजूद थे|

सीएम ने कहा- दिल्ली एम्स जैसी सुविधाएं दीजिए, पैसे की चिंता नहीं

मुख्यमंत्री ने आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एनआर विश्वास से कहा कि दिल्ली एम्स के नजदीक पहुंचिए उससे अधिक पैसे देंगे। भरोसा रखिए। पैसे की चिंता मत कीजिए। जहां जितने पैसे की जरूरत होगी, उतना मिलेगा। ऐसी व्यवस्था करें कि जो भी मरीज आए, उसका इलाज हो जाए। कहा- इलाज के साथ लोगों को बीमारियों के प्रति जागरूक भी करें। जीवनशैली व खानपान ठीक रखें तथा खुले शौच से मुक्ति व शुद्ध पीने का पानी मिले तो 90 फीसदी बीमारी होगी ही नहीं। मुख्यमंत्री ने इलाज के साथ राज्यव्यापी जागरुकता अभियान चलाने की सलाह दी, ताकि लोगों को इलाज की जरूरत ही नहीं पड़े।

आईकॉनिक भवन बने

मुख्यमंत्री ने परामर्श दिया कि प्रस्तावित भवन एक आइकॉनिक बिल्डिंग होगा। निर्माण कंपनी को इस बाबत अपनी विशेष जिम्मेदारी समझनी होगी। भवन बनने के बाद उसका रख रखाव एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसका पूरा ध्यान रखा जाए।

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बिहार के एक छोटे से कस्बे की लड़की को गूगल ने दिया 1 करोड़ का पैकेज

बिहार की राजधानी पटना से सटे छोटे से कस्बे में रहने वाली मधुमिता को गूगल ने एक करोड़ का पैकेज दिया है| बिहार के खगौल की रहने वाली मधुमिता को विश्व की सबसे नामचीन कंपनी गूगल ने 7 राउंड के इंटरव्यू के बाद बुलावा भेजा| मधुमिता को सोमवार को स्विट्जरलैंड में गूगल के हेड ऑफिस में ज्वॉइन करना है|

इससे पूर्व उसके पास मर्सिडीज और अमेजन जैसी बड़ी कंपनियों से भी ऑफर आए थे।

सात चरणों में हुआ इंटरव्‍यू

मधुमिता ने बताया कि सात चरणों के इंटरव्यू को पास करने के बाद सफलता मिली। इंटरव्यू को पास करने वालीं मधुमिता भारत की एक मात्र कैंडिडेट थीं, जिन्हें गूगल ने सलेक्ट किया है|  गूगल में काम करना सपने पूरे होने जैसा है। उसका कहना है कि लक्ष्य निर्धारण के साथ दृढ़ संकल्प हो तो आइआइटी जैसे संस्थानों से शिक्षा ग्रहण किए बिना भी बड़े मुकाम को हासिल किया जा सकता है।

पटना व जयुपर में हुई शिक्षा

मधुमिता की प्रारंभिक शिक्षा पटना के डीएवी पब्लिक स्‍कूल (वाल्‍मी) से हुई। इसके बाद आर्य कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (जयपुर) से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद उसका एपीजी बेंगलुरु में प्लेसमेंट हुआ।

मधुमिता बताती हैं कि जयपुर के आर्या कॉलेज ऑफ इंजीनिर्यंरग नामी गिरामी संस्थान नहीं है। बावजूद गूगल में काम करने का संकल्प मैंने लिया। इस कंपनी में काम करने के लिए इसलिए भी ठाना था, क्योंकि कि गूगल में काम मिलना काफी कठिन होता है। मेरे लिए ये जानना जरूरी था कि आखिर ऐसा क्यों है। यही कारण है कि बाकी कंपनियों का ऑफर आने के बावजूद मैंने गूगल में ही काम करने का निश्चय किया। इसके लिए लगभग 6 से 7 महीने की तैयारी की। ये जाना की इस कंपनी में चयनित होने के लिए कैसी तैयारी करनी पड़ती है और इंटरव्यू में कैसे सवाल पूछे जाते हैं। तैयारी के बाद कम्पनी में अप्लाई किया और फिर शुरू हुआ इंटरव्यू का दौर जो लगभग ढाई महीने तक चला।

पटना एयरपोर्ट बनेगा वर्ल्ड क्लास, दरभंगा से भी जल्द उड़ेगी फ्लाईट: केंद्रीय मंत्री

केन्द्रीय उड्‌डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा कल पटना में थे। पटना भाजपा मुख्यालय में प्रेस वार्ता करते हुए यह जानकारी दी कि पटना एयरपोर्ट वर्ल्ड क्लास बनेगा और यहां एक नये टर्मिनल का निर्माण होगा। उन्होने बताया कि तीन से चार वर्षों में यह काम पूरा हो जाएगा।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि नागरिक उड्‌डयन के हिसाब से पटना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। अबतक यहां औसतन 10 लाख यात्रा सालाना हवाई यात्रा करते थे। इस साल यह संख्या 30 लाख से अधिक होने की संभावना है। ऐसे में एयरपोर्ट का विस्तार अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के विस्तार और नये टर्मिनल के निर्माण के साथ-साथ मौजूदा समस्या को दूर करने के उपायों पर भी काम हो रहा है।

उन्होंने दरभंगा, गया और बिहटा एयरपोर्ट को लेकर भी केन्द्र सरकार की योजनाओं की जानकारी दी। दरभंगा एयरपोर्ट से बंगलुरु, मुम्बई और दिल्ली के लिए उड़ान होगी जबकि गया पर और अधिक फ्लाईट आएगी। इसके अलावा पटना के बिहटा एयरपोर्ट को ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के रुप में विकसित किया जाएगा।

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सिन्हा ने केंद्रीय बजट में केंद्र सरकार की उपलब्धिया गिनाईं और बजट पर नेता प्रतिपक्ष के दिए बयान पर तंज कसते हुए कहा कि आंकड़े और तथ्य पर ध्यान देकर ही बयानबाजी करें। जयंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार प्रति वर्ष 60 से 65 लाख लोगों को रोजगार मुहैया करा रही है। उन्होंने ईपीएफओे डाटा के जरिए रोजगार की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।

मीडिया से बातचीत के बाद सिन्हा ने संघ कार्यालय राजेन्द्र नगर में संघ प्रमुख से मुलाकात की। वहां से निकलकर वे भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। उन्होंने भाजपा कार्यालय में मीडिया प्रभारी, प्रवक्ताओं और टीवी डिवेट में शामिल होने वाले नेताओं के साथ बैठक की और बैठक में विरोधियों के दुष्प्रचार का जवाब देने का गुर सिखाया।

खुशखबरी: बिहार में फिर शुरु होगा नीतीश-लालू को राजनीति सिखाने वाला छात्र संघ चुनाव

बिहार में में भले पिछले 27 वर्षों से सत्ता पर छात्र राजनीति से उठकर आये लोग सत्ता में हैं लेकिन इसका एक कड़वा सच यह भी है इनके शासन में छात्र संघ के चुनाव मात्र एक से दो बार से ज़्यादा नहीं हुए| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव हो या बीजेपी नेता सुशील मोदी सरीखे बिहार के अनेक नेता, सब छात्र राजनीति से ही राजनीतिक का ककहरा सीखा है| आज भी ये लोग मानते हैं कि छात्र राजनीति के बिना इन लोगों का राजनीतिक सफ़र अधूरा है, लेकिन यह भी सच है कि सत्ता पाने के बाद छात्र राजनीति ख़ासकर कॉलेज में चुनाव कराने में इन्होंने कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई|

बिहार के नए राज्यपाल सत्यपाल मलिक को जब ये मालूम चला तो उन्होंने अब चुनाव नियमित कैसे हो इसके लिए एक समिति का गठन किया है|  राज्यपाल ने चुनावों के लिए नियमावली बनाने के लिए एक तीन सदस्य कमिटी का गठन किया है| इसमें राज्य के तीन अलग-अलग विश्वविधायलय के कुलपति शामिल हैं|

राज्य में पिछली बार 2012 में छात्र संघ के चुनाव हुए थे| छात्रों के बीच एक अलग जोश देखने को मिलता था कि उन्हें 28 साल के बाद एक बार फिर छात्रों के लोकतंत्र के लिए चुनाव कराया जा रहा है| चुनाव भी हुआ और छात्र संघ का पूरा कैबिनेट तैयार भी किया गया| लेकिन ये ख़ुशी ज्यादा राश नहीं आई| विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रसंघ को वो पावर दिया ही नहीं, जो छात्रों को चाहिए था| पांच साल से ज्यादा का समय हो गया छात्रसंघ का कार्यकाल ख़त्म हो गया और जो इसके प्रतिनिधि हैं वो ठगे-ठगे से नजर आते हैं| पूसू के सचिव कहती है कि उस चुनाव को साजिश के तहत कराया गया था| दूसरे छात्र नेता भी विश्वविद्यालय की इस नीति से दुखी हैं| वो तो ये कहते हैं कि राजनेता ही नहीं चाहते हैं कि विश्वविद्यालय में छात्रसंघ निर्माण हो|

2012 से पहले बिहार में अंतिम छात्र संघ चुनाव 1984 में पटना विश्वविद्यालय में हुआ था| इससे पूर्व 1980 में मगध विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव हुआ था| राज्य के विश्वविद्यालयों के छात्र संघों के चुनाव 1984 के बाद से विभिन्न कारणों के चलते अब तक बंद हैं|

बिहार के प्रसिद्घ पटना विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं ने देश एवं प्रदेश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ी है| जेपी आंदोलन के कर्णधार रहे तत्कालीन छात्र नेता वर्तमान राजनीति में प्रमुख व्यक्तित्व हैं| वर्ष 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव थे, तो महासचिव वर्तमान उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी थे|

पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के 1977 में हुए चुनावों में राज्य के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अंतिम चुनाव में शंभू शर्मा अध्यक्ष एवं रणवीर नंदन महासचिव निर्वाचित हुए थे|

कुछ दिन पहले सत्यपाल मल्लिक को बिहार का राज्यपाल बनाया गया है| राज्यपाल जो राज्य के सभी विश्वविधायलय के कुलाधिपति भी होते हैं समिति के सदस्यों के अनुसार चाहते हैं कि छात्र संघ के चुनाव नियमित हो| राज्य में इन चुनाव के अभाव में कॉलेज और विश्वविधायलय को इसका नुक़सान भी उठाना पड़ता है| NAAC की मान्यता लेने में इस आधार पर आकड़ों में कटौती भी होती है| इसके अलावा छात्र पूरी पढ़ाई कर निकल जाते हैं लेकिन छात्र संघ क्या होता है उसका कोई ज्ञान नहीं होता| और उनकी समस्या की सुध लेने वाला भी कोई नहीं होता|