झूठ बोल बिहार को बदनाम करने वालों को बेनकाब किया तेजस्वी यादव ने!

पटना: समाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर के एक ट्वीट पर बिहार में बवाल मचा है। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि बिहार के एक फ्रेंड ने ये फोटो शेयर की है, जो वहां सड़क निर्माण में घोटाले की सच्चाई बयां कर रही है।  फोटो में एक युवक सड़क को चादर की तरह लपेटता दिख रहा है।

 

गौरतलब है कि यह फोटो सोशल मिडिया बिहार का सड़क बता बहुत दिनों से शेयर किया जा रहा है। लोगों ने फोटो शेयर कर दावा किया है कि यह बिहार की है। लोगों ने बिहार में सड़क निर्माण में घोटाले की बातें कही हैं।

 

फोटो के वायरल होने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि ये बिहार नहीं बल्कि बांग्लादेश की फोटो है। उन्होंने इस तरह का भ्रम फैलाने के लिए मधु किश्वर को आड़े हाथों लिया है। इसपर मधु किश्वर की प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है।

 

बिहार में पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पास है। तेजस्वी भी सोशल मीडिया पर इस फोटो के वायरल होने के बाद इसकी सच्चाई के साथ सामने आए हैं। उन्होंने Aapna Bihar द्वारा चलाये जा रहे #MatBadnamKaroBiharKo  हैशटैग को भी चलाया है। उन्होंने सोशल एक्टिविस्ट मधु किश्वर को लिखा, “आपसे ये उम्मीद नहीं थी।”

 

इस मामले में ट्विटर पर छाए हैं कुछ ऐसे कमेंट्स

– लालू यादव ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘ढोंग पाखंड की बदौलत तो ई लोग जिंदा हैं। झूठ, मक्कारी छोड़ दिया तो इनका दुकान बंद।’

– बिहार के अपमान वाली बात पर सत्यजीत चौधरी ने लिखा, ‘बिहारियों और बिहार का अपमान तो ये सजायाफ्ता चोर और उनके नालायक खानदान के लोग ही करते हैं।’

– सत्यजीत के ट्वीट का जवाब देते हुए सी. शेखर ने लिखा, ‘मुद्दे को भटकाने की कोशिश न करें। बिहार की जनता ने इन्हें जनमत दिया है। युवा तेजस्वी अच्छा काम कर रहे हैं।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘मैं बिहारी हूं और गर्व है मुझे अपने बिहारी होने का। किसी विषय पर विरोध अलग है, लेकिन बिहार का अपमान बर्दास्त नहीं।’

 

आखिर क्या है फोटो में

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फोटो में एक युवक सड़क को चादर की तरह लपेट रहा है। दावा किया गया है कि एक कार्यक्रम में किसी नेता को आना था तो जल्दीबाजी में सड़क बनाई गई। इसके बाद तंज कसा गया कि नेताजी के जाने के बाद अब सड़क को लपेट कर रखा जा रहा है।

 

 

 

 

UPSC-Defence Combined Exam : बिहार के बेटे का देश में चौथा स्थान

सीतामढ़ी :  लोग लाख बिहार की प्रतिभा का मजाक बना ले यहाँ के प्रतिभाशाली युवा का जोश और जज्बा कभी कम नही होगा,  जहां एक तरफ टॉपर्स घोटाले के कारण मीडिया ने बिहार की चरमराई शिक्षा का जमकर मजाक बनाया, वहीं दूसरी तरफ बिहार के धरती ने फिर से एक बार अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है और राज्य नाम फिर से रौशन किया है।

संघ लोक सेवा आयोग के कंबाइंड डिफेन्स सर्विसेज एग्जामिनेशन में बिहार के सीतामढ़ी जिले के रिटायर्ड फौजी संजीव कुमार चौधरी के पुत्र कृष्ण कुमार ने पुरे देश में चौथा रैंक लाकर टॉपर्स में अपना जगह बनाया है कृष्ण कुमार की इस उपलब्धि ने एक बार फिर से बिहार का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया है। जानकारी हो की कृष्ण कुमार सीतामढ़ी जिले के रून्नीसैदपुर प्रखंड के बघारी गांव के रहने वाले है। रुन्नीसैदपुर के योगेन्द्र कुमार ने कृष्ण कुमार इस उपलब्धि पर पूछे जाने पर बताया की मैं रून्नीसैदपुर का रहते हुए भी उन्हें नहीं जानता लेकिन आज उसी के कारण देश पूरा रून्नीसैदपुर को जान रहा है। इस से बढ़कर ख़ुशी की बात कुछ नहीं हो सकती।

बेंगलुरु में हुई कम्बाइंड डिफेंस सर्विस की साक्षात्कार में सफलता अर्जित होने के बाद कृष्णा को वायु सेना के पायलट का कमान सौपा गया है। कृष्ण कुमार को राज्य स्तर पर लाइटवेट मुक्केबाजी में कांस्य पदक भी मिल चुका है। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के दौरान “यू कैन विथ एन ग्रेप्ले से बुल टैगस” नाम की एक किताब भी लिखी है। कृष्ण कुमार की इस सफलता से पूरा बिहार गौरवान्वित महसूस कर रहा है, राज्य सहित गृह जिले सीतामढ़ी में खुशी का माहौल है।

समस्त देशवासियों के नाम इस बिहार की बेटी का खुला खत, पढ़कर बिहार के प्रति आपका सोच बदल जायेगा

#MatBadnaamKaroBiharKo

 

इस कैम्पेन की शुरुआत से ही जुड़ी हूँ।

अब तक डीपी नहीं बदल पायी, अब तक कोई फ़ोटो भी क्लिक नहीं किया (कुछ टेक्निकल प्रॉब्लम है, माफ़ी!), फिर भी इसके समर्थन में हूँ, पहले दिन से ही, एक आमजन की तरह। खैर, अब तक सोशल मिडिया को पता चल चुका है कैसे और कौन-कौन लोग इसको सपोर्ट कर रहे हैं।

सब अपनी-अपनी तरह से कोशिश कर रहे हैं ‘मैं आपके साथ हूँ।

ये आवाज इस कैम्पेन से जोड़ पाएं।

 

लेकिन मैंने पहले दिन से ही नोटिस किया, कमेंट्स देख कर, कुछ ऐसे जन भी हैं जो इस बड़े प्रयास को महज पब्लिसिटी का बहाना मान बैठे हैं। वो कहते हैं “इसकी कोई जरूरत ही नहीं”

 

सच कहूँ, आप सही कहते हैं “जरूरत ही नहीं थी ऐसे कैम्पेन की”

लेकिन इसे मिल रहा समर्थन ये साबित कर रहा है कि कितनी जरूरत है इस कैम्पेन की।

मैं जिस पीढ़ी की हूँ, सुन-सुन के थक चुकी हूँ वो सारे इल्जाम जो आप लगाते आये हैं बिहारियों पर। मैं वो बातें भी अब नहीं कहना चाहती जो आपके जवाब में हमारे बड़े कहते आये हैं, वही गौरवशाली इतिहास की बातें।

ऐसा सिर्फ मैं नहीं, एक पूरी पीढ़ी सोचती है।

क्योकि ये पीढ़ी जानती है, वो बातें अब कागज़ी हो चलीं हैं। हममें से कितने हैं जो शेरशाह शुरी के विकास का अंदाजा भी लगा पाएं। उस वक़्त के बने पहले जीटी रोड को अब हम तोड़-फोड़ के आगे निकल चुके हैं। शेरशाह के मकबरे पर जा कर अब भी हम उस गर्व को महसूस जरूर कर सकते हैं। पर हमारी पीढ़ी अपना गर्व खुद तलाशना चाहती है। हाल में पड़े धुल को साफ़ करना चाहती है। कहना चाहती है कि आपके इल्जाम भी कागज़ी हो चले हैं, हमारे इतिहास की तरह।

 

ये पीढ़ी नहीं चाहती कि आप उसे कहें “अरे यार! तुम बिहारियों की राजनितिक समझ बचपन में ही बन जाती है, कि तुमने सम्राट अशोक का मगध का विस्तार देखा है। तुमलोग वैज्ञानिक हो, क्योकि तुम्हारे यहाँ शून्य का आविष्कार करने वाला जन्मा।”

 

किताबी दुनिया से बाहर आईये तो नज़र आये वो मेहनत जो करके यहाँ के बच्चे खुद को राष्ट्रीय परिदृश्य में फिट करने की कोशिश रहे हैं। आप देखेंगे यहाँ परिवार का वो संघर्ष भी कि कैसे माँ-बाप अपने कलेजे के टुकड़े को दूर भेजते हैं ताकि वो पढ़ सके, कमा सके।

 

हमारा इतिहास हमें आज किसी तरह के विकास का ढांचा नहीं देता। हमें भी ये सब पाना होता है अपनी इच्छा शक्ति के दम पर, बिलकुल आपकी तरह।

मुझे कई लोग पूछते हैं “आपको नहीं लगता, आप थोड़ी अलग हैं, मतलब बिहार में रह के, बिहार की लड़की …..।”

सवाल पूरा नहीं होता, जवाब पूरा होता है, “नहीं, मुझे नहीं लगता।”

 

एक और वाकया सुनाती हूँ।

किसी ने मुझे बिहार न आने और यहाँ के लोगों से नफरत होने की अलग ही वजह बताई।

“मैं बिहार नहीं आना चाहता। बिहारी हर जगह ऊपर से नीचे तक की पोस्ट पर हैं और यहां के लोकल्स को नीची निगाह से देखते हैं, या शायद खुद को बड़ा समझते हैं।”

 

अब इस वजह का क्या जवाब दूँ, इससे ज्यादा क्या कहूँ कि वो उस जगह इसलिए हैं क्योकि वो जगह वो डिज़र्व करते हैं। उनकी मेहनत वो डिज़र्व करती है।

क्या कहूँ मैं कि आप एकबार बिहार आकर देखो, कैसे लड़के 10वीं पास करते ही सरकारी नौकरी के लिए घर से दूर रहने लगते हैं। कैसे यहाँ किसी पार्क, किसी कॉलेज में सरकारी नौकरी से इतर प्रेम कहानियां नहीं बनतीं। हर मुमकिन जगह, जहां एक ग्रुप बैठ सके, एसएससी CGL की ही बातें होतीं हैं। यहां तक कि रेलवे प्लेटफार्म तक पर सुबह 4 बजे से शाम के 6 बजे तक लड़के पढ़ते रहते हैं। आप यकीन ही तो नहीं करोगे। परिवार को खुश करने के लिए यहां लड़के ये नहीं सोचते कि उनका टैलेंट क्या है, उनका शौक क्या है। सीमित खर्चे में उन्हें बड़ा आदमी बनने के सपने दिखाए जाते हैं बचपन से। वो खुद से भिड़ते आये हैं एक इस ख़ुशी के लिए, इस गर्व के लिए। आप नहीं समझोगे।

बिहार फिर भी आपका स्वागत करेगा, कभी जरूर आना।

बिहार की लड़कियाँ या लड़के किसी से कम हों, ये क्यों सोचते हैं आप, मैं नहीं जानती। लेकिन शायद यही वजह है इस कैम्पेन के इस कदर छा जाने की, इस कदर पसंद किये जाने की।

 

हमारी कोशिश हमेशा से रही है “बिहार” को अलग समझने वालों को बताएं, “हाँ भइया! तुम्हारे जैसे ही हैं हम। हमें एलियन ना समझो। क्या हुआ जो हममें से कितने IIT वाले, कितने IIM वाले हैं। सच तो ये भी है कि हममें से कई बिहार बोर्ड में fail होने वाले भी हैं। हममें सत्यम है, हममें बच्चा राय को पैसे खिलाने वाले लोग भी हैं। हमें विद्वता के शिखर पर न रखो। हो सकता है हममें से कई या मैं खुद उस शिखर तक न पहुँच पाऊँ, तो क्या आप इसमें मेरी कमी गिनने की बजाए सीधा मेरी मातृभूमि की, मेरी परवरिश की कमियाँ गिनोगे?

 

आप तो जानते ही हो, बिहारी कर्मठ होते हैं तो क्या बिहारी आलसी नहीं हो सकते? होते हैं यार… ये बेहद व्यक्तिगत मसला है।

हम तो चाहते हैं आप हमारे सुख-दुःख के साथी बनो। अपनी उम्मीद, अपने अवसाद सब साझा कर सकें हम, जैसे अभी-अभी आपने पंजाब के लिए महसूस किया। हाँ! वैसे ही।

हम तो आपको महसूस करते हैं, आप कब शुरू करोगे हमें महसूस करना।”

कई साल पहले कुछ बिहारी मजदूरों को एक वीराने में छोड़ दिया गया था। परिणामस्वरुप एक देश “मॉरीशस” निकल कर हमसब के बीच अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर हो गया।

ये कोई फेयरी टेल का किस्सा नहीं, वरन् हकीकत है।

 

ऐसा ही कुछ बिहार अपने लिए भी करना चाहता है। अपने पर्यटन स्थलों को खूबसूरत, सुगम एवं सुविधाजनक बनाना चाहता है।

बिहार चाहता है कि इसके बारे में अफवाह न उड़ाई जाए। सच्ची बातें हों। कड़वी बातें भी हों। लेकिन बिहार आना-जाना न छोड़ा जाये।

ये बदनामी अब हमारी पीढ़ी तो बर्दाश्त नहीं ही करेगी न … रियेक्ट तो करेगी ही, कर भी रही है।

खुले विचारों के साथ मैं भी समर्थन देती हूँ इस कैम्पेन को।

और सुनो, कय बार कहें…

‘मत बदनाम करो बिहार को’।

जय हिन्द! जय बिहार

-नेहा नुपूर

 

#MatBadnamKaroBiharKo: आग की तरह फैल रहा है यह मुहिम, उप-मुख्यमंत्री ने भी किया समर्थन

#MATBADNAAMKAROBIHARKO

 

पटना: बच्चा राय, सौरव श्रेष्ठ और रूबी राय जैसे चंद फर्जी लोगो को मोहरा बना बिहार के मेधा को बदनाम करने वालों की बोलती बंद करा रहा है #MatBadnamKaroBiharKo   मुहीम। 

 

इस मुहीम के समर्थन में दुनिया के कोने-कोने में बसे बिहारियों का समर्थन मिल रहा है।  आईपीएस, पत्रकार,  कारोबारी, विद्यार्थी शिक्षक, राजनेता हो या कोई साधारण इंसान, सब इसके समर्थन में आवाज बुलंद कर रहे हैं।

इस में एक नाम बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव  का भी जुड गया है।  उनहोंने भी इस मुहिम का समर्थन किया है और कहा है ” मैं पूरी तरह इस मुहिम का समर्थन करता हूँ, राजनीति से उपर उठिए और बिहारी होने पर गर्व करें.. ”

 

उप-मुख्यमंत्री जी ने इस मुहिम का समर्थन किया है।

उप-मुख्यमंत्री जी ने इस मुहिम का समर्थन किया है।

 

यह मुहिम आग की तरह सोशल मिडिया के माध्यम से पूरे बिहार में फैल रही है।  अब बिहार लोग बिहार को बदनाम करने वालों को तर्क के साथ जवाब दे रहें है और लोग इस बात से सहमत है कि एक दो-नाम के सहारे बिहार को बदनाम करना गलत है।

 

इस से पहले सुपर 30 के संस्थापक और बिहार के गौरव आनंद कुमार भी इसका समर्थन करते हुए कहा कि ” मैं भी इस मुहिम का समर्थन करता हूँ क्योंकि दुनिया को यह पता चलना चाहिए कि बिहारी दिमाग एक पावर हाउस है और बिहारी लोग अपने क्षमता और कडी मेहनत के बदौलत इस मुकाम तक पहुँचे हैं”

 

आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

 

बिहार बाहर बसे लोग भी इस मुहिम का समर्थन कर रहें हैं।  अभी तक लाखों लोग इस मुहिम से जुड़ चुके है।  आईपीएस से लेकर साधारण कर्मचारी तक इसके पक्ष में आवाज बुलंद कर रहें है।

 

ips kamal kishor on mat badnam kro bihar ko

बच्चा राय और सौरभ श्रेष्ठ बिहार के अपवाद जरुर हो सकते हैं, इन जैसे लोगों का विरोध और बहिष्कार होना ही चाहिए मगर इसे बिहार की पहचान के साथ जोडना गलत है।  बिहार की पहचान आनंद कुमार,  अभयानंद, सत्यम कुमार, सरद सागर, भावना कंठ जैसे प्रतिभान लोगों से है।  एक अपवाद को मुद्दा बना बिहार को बदनाम करना कितना उचित है?

 

जन-जन की एक ही पुकार, मत बदनाम करो बिहार

पटना: अब बिहार के लोग पहले के तरह बिहार के खिलाफ कुछ भी सुन के चुप नहीं हो जाते बल्कि अब उसको करारा जवाब देते है वह भी सबूत और तथ्य के साथ। 

 

बिहार मेधा घोटाले, रूबी राय और बच्चा राय जैसे चंद नाम को ले और लोगों को आधा सच दिखा कुछ दिनों से मिडिया से लेकर सोशल साईटों पर बिहार के पूरे मेधा को और बिहारी लोगों के काबलियत का सरेआम मजाक उडाया जा रहा है और बिहार के छवि को नुकसान पहुचाया जा रहा है।  एक -दो लो उदाहरण को ले कर बिहार के सभी होनहार और टॉप बिहारी ब्रेन को रुबी राय नमूना बताया जा रहा है।

 

इसी के खिलाफ ‘आपन बिहार’ के नेतृत्व में सोशल साईटों पर बिहार को बदनाम करने वालों के खिलाफ एक जबरदस्त मुहीम चलाया जा रहा है हैशटैग #MatBadnamKaroBiharKo 

 

इस मुहीम के समर्थन में पूरा बिहारी समाज एक जुट हो गया है और फेसबुक,  Whatsapp से लेकर twitter तक यह हैशटैग ट्रेंड कर रहा है।  रोज हजारों की संख्या में लोग इस हैशटैग के साथ इसके समर्थन में पोस्ट व् शेयर कर रहें है चारों तरफ से लोग कह रहें है कि एक मामले को मुद्दा बना बिहार को बदनाम करना गलत है।

 

इस मुहीम के चलने के बाद बिहार को बदनाम करने वालों की आवाज अब कम सुनाई दे रही है और इसका असर भी दिख रहा है।

 

बिहार कैडर के आईपीएस अफसर कमल किशोर ने भी अपने फेसबुक इसके समर्थन में पोस्ट करते हुए कहा “What is wrong cannot and must not be condoned. But, the wrongdoings by a few should not be held against the entire clan,”

 

 तो सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने भी इस मुहीम का समर्थन करते हुए कहा कि “I am supporting the campaign because the world needs to know that Bihari mind is a powerhouse and Biharis have reached places through sheer talent and hard work,” said the maths teacher who has posed for the campaign with a signboard that says ‘Mat badnam karo Bihar ko’.

 

इस मुहीम में शेयर किये जा रहे कुछ तस्वीर

 

फेसबुक पर लोग इसे अपना प्रोफाईल फोटो लगा रहे है

फेसबुक पर लोग इसे अपना प्रोफाईल फोटो लगा रहे है

 

ये आज से नही कई दशको से ट्रेंड चला आ रहा है, बिहार को नीचा दिखाने का। कोई भी मौका नही चूकते ये बिहारियों को लताड़ने में। प्लीज़ अब बस भी करो। ‪#‎MatBadnamKaroBiharKo‬

ये आज से नही कई दशको से ट्रेंड चला आ रहा है, बिहार को नीचा दिखाने का।
कोई भी मौका नही चूकते ये बिहारियों को लताड़ने में।
प्लीज़ अब बस भी करो।
‪#‎MatBadnamKaroBiharKo‬

 

बिहार को बदनाम करने वाले आँखों पर एक अलग चश्मा लगा लिए हैं

बिहार को बदनाम करने वाले आँखों पर एक अलग चश्मा लगा लिए हैं

 

आपन बिहार के इस मुहीम को आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

आपन बिहार के इस मुहीम को आनंद कुमार ने भी समर्थन दिया है।

 

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विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने दुनिया के 30 साल से कम उम्र के 30 सर्वश्रेष्ठ सामाजिक उद्यमियों की सूची निकाली है जिसमें बिहार के शरद सागर को शामिल किया गया है। यह पहला मौका है जब किसी बिहार के निवासी को फोर्ब्स पत्रिका में जगह मिली है।

विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने दुनिया के 30 साल से कम उम्र के 30 सर्वश्रेष्ठ सामाजिक उद्यमियों की सूची निकाली है जिसमें बिहार के शरद सागर को शामिल किया गया है। यह पहला मौका है जब किसी बिहार के निवासी को फोर्ब्स पत्रिका में जगह मिली है।