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फोर्ब्स पत्रिका ने दुनिया के 20 प्रभावशाली लोगों में 2 बिहारियों को दी जगह

विश्व की प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स ने 2020 के दुनिया के टॉप-20 प्रभावशाली लोगों की एक लिस्ट जारी किया है| फोर्ब्स लिस्ट में सामिल दुनिया के 20 लोगों में दो बिहारियों ने भी जगह बनाये हैं| वो दोनों हैं- जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष सह सीपीआई नेता कन्हैया कुमार।

फोर्ब्स ने कन्हैया कुमार के बारे में कहा है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 32 वर्षीय नेता कन्हैया कुमार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति का चेहरा उस समय बन गये, जब 2016 में देशद्रोह के आरोपों का जवाब दिया था। उन्होंने जेएनयू से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है. बिहार के बेगूसराय निर्वाचन क्षेत्र से सीपीआई के टिकट पर साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पहली लड़ाई लड़ी. हालांकि, वह बीजेपी के गिरिराज सिंह से 4.2 लाख वोटों से हार गये, लेकिन वह 22.03 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रहे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनके लिए शुरुआती दिन हैं. कन्हैया कुमार देश और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए सक्रिय रूप से देश भर में घूम-घूम कर विचार प्रकट करते रहे हैं. वह भविष्य में भारतीय राजनीति में शक्तिशाली पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

फोर्ब्स ने इन दोनों को साल 2020 के दुनिया के टॉप-20 शक्तिशाली लोगों में जगह देते हुए बताया है कि ये आगामी दशक के निर्णायक चेहरे हो सकते हैं।

फोर्ब्स मैगजीन की दुनिया के टॉप-20 शक्तिशाली लोगों में कन्हैया कुमार को 12वें और प्रशांत किशोर को 16वें स्थान पर रखा है|

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प्रशांत किशोर के बारे में मगज़ीन ने लिखा है कि 42 वर्षीय प्रशांत किशोर साल 2011 से एक राजनीतिक रणनीतिकार हैं. उन्होंने बीजेपी को गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की. इसके बाद उनकी राजनीतिक रणनीति फर्म सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस के तहत बीजेपी के लिए उन्होनें साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत में मददगार साबित हुए. बाद में ‘कैग’ का नाम बदलकर आईपीएसी (भारतीय राजनीतिक कार्रवाई समिति) कर दिया गया. प्रशांत किशोर अब संगठन के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं. साल 2019 में आईपीएसी ने तेलंगाना में वाईएसआर जगन मोहन रेड्डी और महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए रणनीतिक अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. चुनाव जीतने में दोनों पार्टियों को फायदा हुआ. प्रशांत किशोर तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए 2020 में सलाह दे रहे हैं. एक को छोड़ कर, आईपीएसी ने उन सभी अभियानों को जीत लिया है, जिनमें राजनीतिक दलों के लिए उन्होंने रणनीति तैयार की है. उन्होंने पूरी भारतीय राजनीतिक रणनीतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बदल दिया है. साल 2018 में प्रशांत किशोर एक राजनीतिज्ञ के रूप में जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गये. हालांकि, उन्हें अभी तक किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ा है.

कन्हैया कुमार और प्रशांत किशोर के अलावा पांच भारतीयों को भी इस सूची में स्थान मिला है। इनमें भारतीय मूल के यूरोप निवासी आर्सेलर मित्तल के ग्रुप सीएफओ व सीईओ, गोदरेज परिवार, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में शेफ भारतीय मूल की गरिमा अरोड़ा शामिल हैं। इस मैगजीन में पहले स्थान पर राजनीतिक टिप्पणीकार व कॉमेडियन हसन मिन्हाज हैं।

भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सूची में दो बिहारी भी शामिल

विश्व की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में से एक फोर्ब्‍स ने गुरुवार को भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सूची जारी की। ये सभी वर्ष 2016 के 100 सबसे अधिक अमीर भारतीय माने जाएंगे। पहले पांच के टॉप स्‍थान पर मुकेश अंबानी, दिलीप संघवी, हिंदुजा ब्रदर्स, अजीम प्रेमजी और पी मिस्‍त्री हैं। एल एन मित्‍तल छठे स्‍थान पर चले गए हैं। गुरुवार को जारी किये 100 सर्वाधिक अमीर भारतीयों की सूचि में बिहार के दो शख्सियत संप्रदा सिंह और अनिल अग्रवाल भी शामिल हैं।

संप्रदा सिंह: सूची में 42 वें स्थान पर

भारत की 5वीं सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनी एल्केम लैबोरेट्रीज के मालिक 179 अरब रुपये कुल संपत्ति 91 वर्षीय संप्रदा सिंह का जन्म 1925 में गया जिले में हुआ था।
उनकी कुल संपत्ति 179 अरब रुपये है। संप्रदा पिछले साल सूची में 49वें स्थान पर थे। संप्रदा ने भाई नरेंद्र के साथ 1973 में एल्केम लैबोरेट्रीज की स्थापना की थी। उनकी कंपनी इस वक्त भारत समेत यूरोप, एशिया, दक्षिण अमेरिका, अमेरिका में संचालित होती है। संप्रदा परिवार के साथ मुंबई में रहते हैं। एल्केम फार्मास्युटिकल्स को फार्मा लीडर अवार्ड मिल चुका है। 2009 में फार्मा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए संप्रदा सिंह को सत्या ब्रह्मा की फार्मास्युटिकल लीडरशिप समिट द्वारा लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया था।

अनिल अग्रवाल: सूची में 63वें स्थान पर

खनन व्यापारी अनिल अग्रवाल सौ अमीर भारतीयों की फोर्ब्स-2016 की सूची में 63वें स्थान पर हैं। पिछले साल अनिल 53वें पायदान पर थे। अनिल अग्रवाल की मौजूद कुल संपत्ति लगभग 74 अरब रुपये है। 2003 में शुरू हुई अनिल की वेदांता रिसोर्सेस लंदन स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज होने वाली पहली भारतीय कंपनी थी। पटना में जन्मे अनिल अग्रवाल ने 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ा और पुणे में पिता के एल्मुयनियम कंडक्टर बनाने के व्यापार में लग गए। 19 साल की उम्र में पुणे से मुंबई आए और अपना व्यापार शुरू किया। अनिल ने 1970 में स्क्रैप मेटल का काम शुरू किया। 1976 में शैमशर स्टेर्लिंग कार्पोरेशन को खरीदा।

दुनिया भर में बिहार का नाम रौशन करने वाले शरद सागर से खास बातचीत

बिहार के युवा हर जगह अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं और बिहार का नाम देश के साथ-साथ विदेश में भी रौशन कर रहे हैं. एक बार फिर बिहार के मिट्टी में जन्मे युवा ने फोर्ब्स जैसी विश्वप्रतिष्ठित पत्रिका में अपनी जगह बनाई हैं. फोर्ब्स ने 30 साल से कम उम्र के प्रभावशाली युवाओं में बिहार के शरद सागर को शामिल किया हैं. गर्व की बात यह है कि इस लिस्ट में सागर के साथ मार्क जुकरबर्ग, मलाला यूसफजई, केविन सीस्ट्रोम जैसे लोग भी शामिल हैं. फोर्ब्स पत्रिका ने 4 जनवरी को ’30 अंडर 30′ की लिस्ट जारी की थी.

बिहार की राजधानी पटना के 24 वर्षीय शरद साल 2008 में स्थापित अंतरराष्ट्रीय सामाजिक संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक और सीईओ हैं. अभी वह अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कूटनीति की पढ़ाई कर रहे हैं. शरद ने पटना के सेंट डॉमिनिक स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की और 12वीं के बाद वह 100 पर्सेंट स्कॉलरशिप पर अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं. इससे पहले साल 2013 में उन्हें रॉकफेलर फाउंडेशन ने इस शताब्दी के 100 इनोवेटर्स की लिस्ट में शामिल किया था.

शरद मूल रूप से सिवान के जीरादेई के रहने वाले हैं.

 

शरद सागर की जीवन यात्रा अपने आप में प्रेरणादायक है. वे बिहार के एक छोटे शहर से आते हैं. शरद ने “आपन बिहार को बताया कि:-

 

मैं बिहार में पला-बढ़ा हूँ. चौथी तक बिहार के छोटे-छोटे गाँवों में रहा. मेरे पिताजी स्टेट बैंक में काम करते है और वो जहाँ पर भी काम करते थे मैं वहां रहा करता था. 4th के बाद पटना में स्कूल गया. 12th के बाद मुझे अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के पहले विश्वविद्यालय के टॉप यूनिवर्सिटी में जाकर पढ़ने के लिए 3 करोड़ की स्कॉलरशिप मिली और मैं अमेरिका गया. जब यूएन के एक यूथ फ़ोर्स में था उस वक्त एक चीज देखी कि मैं जिन प्लेटफॉर्म पर अच्छा कर रहा था उसी प्लेटफॉर्म पर मेरे ढेर सारे दोस्त अच्छा नहीं कर पा रहे थे तो मेरे दिमाग में एक सवाल था कि मैं जिन चीजो में अच्छा कर रहा हूँ इसमें मेरे दोस्त जो कि उतना ही तेज है.. उतना ही मेहनती है, जिनके माता-पिता उतने ही लगे हुए है उनके शिक्षा में वो उन प्लेटफॉर्म पर क्यों नहीं जा पा रहे है. लगभग 2007-08 की बात है जब मेरी जिंदगी में एक मौका आया कुछ करने के लिए. मैं जिन प्लेटफॉर्म पर जा रहा था वो इसलिए कर रहा था क्योंकि वो मुझे जानकारी थी उसके बारे में इंटरनेट और न्यूज़पेपर पढ़ता था. मैंने 2008 में डेक्सटेरिटी ग्लोबल की शुरुआत की ताकि हम शिक्षा का लोकतांत्रिक करण कर सके. हम ढ़ेर सारी चीजो में लोकतांत्रिक करण करने की बात करते है. मुझे शिक्षा का लोकतांत्रिक करण  इसलिए जरुरी लगा क्योंकि मैंने अपनी ही जिंदगी में इसे महसूस किया था. मैं जिन छोटे-बड़े गाँवों और शहरो में रहा वहां ढेर सारे ऐसे बच्चे थे जो कठोर परिश्रम करते थे. जो खुब अच्छा करना चाहते थे मगर उन्हें जानकारी नहीं थी तो डेक्सटेरिटी इस मुद्दे को लेकर आगे आई कि हम शिक्षा का लोकतांत्रिक करण किस तरह कर सके. डेक्सटेरिटी के चार मेजर प्लेटफॉर्मस है जो कि बच्चों को हर वो जानकारी जो उनको भविष्य को बेहतर तैयार कर सके उससे कनेक्ट करती है. डेक्सटेरिटी बच्चों को लीडरशिप बेहतर करने में मदद करती है. बच्चों के हाई स्कूल पास करने के बाद डेक्सटेरिटी हर तपके से आने वाले बच्चों को एक लोकतांत्रिकृत  शिक्षा तक पहुंचती है जहाँ पर आपके पास पैसे हो या नहीं हो अगर आपके पास सपने हो तो डेक्सटेरिटी आपके साथ काम करती है और आपको प्लेटफॉर्म देती है जिससे की आप आगे जा सके. डेक्सटेरिटी में मेरी जो पर्सनल एक्सपीरियंस रही है स्पेशली बिहार में काम करते हुए स्टूडेंट के साथ वो ये रही है कि हमारे पास इतने सारे बच्चे है जो काफी तेज है, काफी प्रतिभावन है, काफी कुछ करना चाहते है, वो दिन-रात परिश्रम करते है मगर उन्हें पता नहीं होता है क्या करें? उसके लिए छोटा सा उदाहरण हमेशा देता हूँ- दुनिया की सबसे टॉप जो स्पेस साइंस की कॉम्पटीशन में लगभग 200 मीलियन बच्चे भाग ले सकते है मगर आज तक उस कॉम्पटीशन में शामिल होने वाले बच्चों की सबसे ज्यादा संख्या 951 है. ये किसी बड़ी समस्या को दर्शा रहा है और वो बड़ी समस्या से बिहार खुद ग्रसित है. हमारे पास दुनिया के सबसे तेज बच्चे है, हमारे पास ऐसे बच्चे है जो काफी अच्छा कर सकते है लेकिन उनमे जानकारी की कमी है तो डेक्सटेरिटी एक प्लेटफॉर्म है जो कि हम स्पेशली बिहार जे लिए रन कर रहे है. डेक्सटेरिटी टू कॉलेज उसके पीछे हमारा एक पर्सनल एक्सपीरियंस भी जुड़ा हुआ है वो ये है कि जब मैं US कॉलेज में पढ़ने गया था तब हमारे पाया ढेर सारे बच्चे आते थे कि हम हार्वेड में अप्लाई कर रहे है या हम टॉप 100 कॉलेज में अप्लाई कर रहे है पर हमें पता नहीं कि कैसे आगे जाना है तो  है तो हम उन्हें डेक्सटेरिटी द्वारा मदद किया करते थे. साथ ही साथ कुछ ऐसे बच्चे आते थे जिनके पास 100 डॉलर फी नहीं होती थी हम उन्हें 100 डॉलर देते थे और हमने देखा कि ऐसे बच्चे जो कि 100 डॉलर के कारण आगे नहीं बढ़ पाते थे वही बच्चे तीन-तीन स्कॉलरशिप के अमेरिका के टॉप कॉलेजो में है और वो धीरे-धीरे वापस आने का काम कर रहे है. वापस आकर देश में काम करना चाहते है. इस प्रोसेस में डेक्सटेरिटी ग्लोबल लांच किया ताकि कोई भी बच्चा बिहार के किसी भी कोने में हो अगर उसके पास टैलेंट है और कुछ अच्छा करना चाहता है तो हम उसका हर हाल में सपोर्ट कर सके. पिछले साल की बात है डेक्सटेरिटी में बेगूसराय का एक बच्चा प्रेवश परीक्षा निकाल कर आया था, मैंने उससे पूछा कि आप इस कैम्प में परीक्षा देने कैसे आये तो उस बच्चे ने बताया कि एक रात पहले आया था रेलवे प्लेटफॉर्म पर ही सो गया. उस चीज को देखकर एक बड़ी कहानी पता चलती है कि हम पूरे दिन बाते करते है रामेश्वरम् में एक देश का कलाम निकला. बिहार के गली-गली और हर कोने में ऐसे कलाम है, उनके पाया प्रतिभा है बस आप उस प्रतिभा को सामने आने दो. इसमें मैं लगा हुआ हूँ और सारे लोग लगे हुए है ताकि बिहारी प्रतिभा देश का अगला कलाम है. चाहे वो रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोकर भविष्य को बनाने की काम कर रहे हो या वो किसी तरह हर दिन खुद मेहनत करके हर बाधा को तोड़कर के आगे आने की कोशिश कर रहे है.

देखिए शरद सागर के साथ Exclusive Interview :-

 

हमलोग सब साथ है क्योंकि बिहार आगे आता है तो पूरा विश्व आगे आता है. हम विश्व को ढेर साड़ी चीजें दे सकते है. इतिहास में राजनीति से लेकर विज्ञान तक हमने विश्व को बहुत सिखाया है. हमारे इतने सारे बच्चे तैयार है जो विश्व को और आगे ले जायेंगे और मैं इस मुहीम “मत बदनाम करो बिहार को” का बहुत बड़ा समर्थक हूँ.

बिहारी प्रतिभा को अब विश्वप्रसिद्ध पत्रिका फोर्ब्स में मिली जगह

बिहार के शरद सागर

बिहार के शरद सागर

जँहा पुरे देश की मीडिया बिहार के शिक्षा का मजाक बनाते नही थकती है वंही दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पत्रिका’फ़ोर्ब्स’ ने दुनिया के 30 वर्ष से कम उम्र के सर्वश्रेष्ठ सामाजिक उद्यमियों की सूचि में बिहार के शरद सागर को भी शामिल किया है।

 

बिहार के लोग प्रतिभा के धनी होते हैं यह बात बिहार के शरद सागर ने साबित की है। यह पहला मौका है जब किसी बिहार के निवासी को फोर्ब्स पत्रिका में जगह मिली है। यह सूची फोर्ब्स ने 4 जनवरी को जारी की जिसके लिए पत्रिका के पास 15 हजार नाम आए थे। पत्रिका की ओर से प्रकाशित इस सूची में दुनिया के अरबपतियों, निवेशकों, हॉलीवुड अभिनेताओं, संगीतकार व अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के संस्थापक व सामाजिक कार्यकर्ताओं को शामिल किया गया है।

 

 

 

सिर्फ 24 वर्षीय शरद सागर अभी अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अंतर्राष्ट्रीय राजनीति व कूटनीति विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही शरद 2008 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक संगठन डेक्सटेरिटी ग्लोबल के संस्थापक व सीईओ भी हैं।शरद मूल रूप से सिवान (बिहार) के जीरादेई निवासी हैं। इनके पिता विमलकांत प्रसाद स्टेट बैंक में कार्यरत हैं। शरद ने पटना के संत डोमिनिक से 12वीं तक पढ़ाई की। 12वीं के बाद शरद शत-प्रतिशत छात्रवृत्ति पर अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं।

 

 

 

पत्रिका ने सागर के बारे में लिखा है कि इनके जीवन का लक्ष्य नेक्स्ट जेनेरेशन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साथ जोड़ना है। इनकी संस्था डेक्सटेरिटी ग्लोबल, शैक्षिक प्लेटफॉर्म की एक प्रणाली है जो दक्षिण एशियाई देशों के उच्च विद्यालयों व मध्य विद्यालयों के साथ काम करती है।

 

 

 

शरद को इससे पहले साल 2013 में रॉकेफेलर फाउंडेशन ने इस शताब्दी के 100 सर्वश्रेष्ठ सामाजिक उद्यमियों की सूची में शामिल किया था। इसके अलावा मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी ने मई 2015 में अपनी उद्यमिता पाठ्यक्रम में शरद व उनके विचारों का चित्रण भी किया था।

 

शरद सागर के इस उपलब्धि ने समस्त बिहारियों को गौरवांवित किया है। जँहा बिहार से बाहर लोग बिहार के शिक्षा का मजाक उड़ाते नही थकते थे वहीं आज विश्वभर के लोग बिहारी प्रतिभा के मुरीद होते नजर आ रहे हैं।

 

शरद सागर को भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं।