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Bihar Board Results 2020: जानें कब आयेगी बिहार बोर्ड मेट्रिक और इंटर का रिजल्ट?

 बि‍हार बोर्ड (Bihar Board) कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं समाप्‍त हो चुकी हैं और अब मूल्‍यांकन का काम भी लगभग समाप्‍त हो चुका है| हालांक‍ि बोर्ड ने मूल्‍यांकन का काम समाप्‍त करने के ल‍िये 12 मार्च तक का लक्ष्‍य रखा था| लेक‍िन श‍िक्षकों की कमी के कारण इसमें कुछ समय और लग रहा है| छात्र उम्‍मीद कर सकते हैं क‍ि मार्च के आख‍िरी सप्‍ताह तक बि‍हार बोर्ड, मैट्र‍िक और इंटरमीडिएट के पर‍िणाम जारी कर सकता है| सूत्रों की मानें तो बोर्ड ने कक्षा 10वीं की कॉप‍ियां 26 फरवरी से 8 मार्च 2020 के बीच जांच ली थीं और स‍िर्फ इंटरमीडिएट की कॉप‍ियां ही जांच के ल‍िये बाकी रह गई थीं|

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर के महाजन ने मंगलवार को कहा कि कोरोना को लेकर मैट्रिक व इंटर के मूल्यांकन (कापी जांच) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। दोनों ही परीक्षाओं के रिजल्ट अपने तय समय पर ही आएंगे। उन्होंने कहा कि यह शिक्षकों के सहयोग से ही संभव हो रहा है। इंटर की कापियों का मूल्यांकन समय पर चल रहा है। पुराने शिक्षक, अतिथि शिक्षक, वित्तरहित संस्थानों के शिक्षक और कुछ नियोजित शिक्षक मूल्यांकन कार्य में जुटे हैं। मैट्रिक का भी मूल्यांकन आरंभ हो चुका है। कापियों के मूल्यांकन में कोई विलम्ब नहीं हुआ है।

हालांक‍ि बोर्ड ने अब तक यह खुलासा नहीं क‍िया है कि‍ परीक्षा के पर‍िणाम की घोषणा कब तक कर दी जाएगी और आध‍िकार‍िक वेबसाइट पर इसे कब तक चेक क‍िया जा सकेगा| परीक्षा के पर‍िणाम से संबंधित ज्‍यादा जानकारी Biharboardonline.gov.in पर चेक क‍िया जा सकता है|

इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने के लिए, एक उम्मीदवार को प्रत्येक विषय के कुल अंकों का 30 प्रतिशत और प्रत्येक विषय के थ्योरी में कुल अंकों का 40 प्रतिशत अंक लाना होगा| फर्स्ट डिवीजन को प्राप्त करने के लिए, एक छात्र को 300 अंक प्राप्त करने होते हैं, जबकि दूसरे डिवीजन के लिए यह 225 अंक लाने होते हैं|

Bihar Board Result: बिहार बोर्ड रचेगा इतिहास, कल जारी होगा इंटर का रिजल्ट

लेट से रिजल्ट देने के लिए प्रसिद्ध बिहार बोर्ड एस बार नया कृतिमान स्थापित करने जा रहा है| बिहार बोर्ड इंटर रिजल्ट 2019 की घोषणा कहोने  रही है| बिहार बोर्ड इंटर मूल्यांकन दो मार्च से शुरू हुआ था। इस बार रिकॉर्ड समय में नतीजों की घोषणा की जा रही है।

 बिहार बोर्ड इंटर की तीनों स्ट्रीम कला, विज्ञान, वाणिज्य और वोकेशनल का रिजल्ट कल दोपहर 1 बजे जारी किए जाएंगे।

शिक्षा विभाग के अपर सचिव आरके महाजन और बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर रिजल्ट को बोर्ड वेबसाइट पर जारी करेंगे। शिक्षा विभाग के अपर सचिव आरके महाजन और बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर रिजल्ट को बोर्ड वेबसाइट पर जारी करेंगे।

बिहार ​बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के माध्यमिक प्रभाग में शनिवार यानी 30 मार्च को इंटरमीडिएट 2019 की परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जाएगा। रिजल्‍ट दोपहर एक बजे जारी किया जाएगा। मौके पर अध्यक्ष के अलावा शिक्षा विभाग के अपर सचिव आरके महाजन भी रहेंगे।

गौरतलब है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से पहली बार मार्च में रिजल्ट जारी किया जा रहा है। इसके पहले कई वर्षों से इंटरमीडिएट का रिजल्ट मई में जारी किया जाता रहा है।

बोर्ड ने इस बार समय पर रिजल्ट निकालने की बात कही थी और शनिवार को बिहार बोर्ड की घोषणा से यह सही साबित हो रहा है। बोर्ड के अनुसार इस बार महज 44 दिनों में ही इंटरमीडिएट के रिजल्ट जारी किए जा रहे हैं।

बता दें कि इस बार इंटर परीक्षा में कुल 13 लाख 15 हजार 371 परीक्षार्थी शामिल हुए थे। परीक्षा छह से 16 फरवरी तक चली थी। हर दिन दो पाली में परीक्षा ली गयी थी। तीनों संकाय का रिजल्ट एक साथ जारी की जायेगी। इंटर का मूल्यांकन मार्च के पहले सप्ताह से शुरू हुआ था। दस से अधिक दिन मूल्यांकन कार्य चला है।

 

 

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ख़बरदार! बिहार बोर्ड का प्रसिद्ध मेट्रिक और इंटर का रिजल्ट बस आने वाला है

बिहार बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के इम्तेहान खत्म हुए हैं. बस अब रिजल्ट आने भर की देरी है. हर साल की तरह इस साल भी ये चर्चा होगी, और फिर अगले साल खराब रिलज्ट आने तक मुल्तबी कर दी जाएगी.
पिछले महीने बिहार बोर्ड के दसवीं और बारहवीं के इम्तेहान खत्म हुए हैं. बस अब रिजल्ट आने भर की देरी है फिर सभी न्यूज चैनल वाले प्राइम-टाइम में ज्ञाताओं और नेताओं के साथ इस पर समीक्षा करते नज़र आएंगे. ज्ञाता सरकार की कमियों को गिनवाएंगे और नेता विपक्ष पर इस रिज़ल्ट का ठीकरा फोड़ेंगे और होने जाने वाला कुछ भी नहीं है इन चर्चाओं से. एक सप्ताह तक मुद्दा गर्माया रहेगा, आरोप-प्रत्यारोप का खेल चलेगा. कुछ लोग गिरफ़्तार होंगे और कुछ शिक्षा-अध्यक्षों को बर्खास्त किया जायेगा. इन चीजों से टीवी चैनल्स की TRP बनी रहेगी और फिर सब शांत हो जायेगा.
हर साल की तरह इस साल भी ये चर्चा अगले साल खराब रिलज्ट आने तक मुल्तबी कर दी जाएगी.
वैसे इस साल जिन कारणों से ये बोर्ड परीक्षाएं सुर्खियों में रही हैं उनमें से प्रमुख कारण रहे सभी परीक्षा केंद्रों पर कदाचार रोकने से लिए सीसीटीवी कैमरे का लगाया जाना. साथ में परीक्षार्थियों को जूता-मोजा पहन कर परीक्षा केंद्र में न आने के लिए बाध्य करना और 25 छात्रों पर एक परीक्षक का होना.
देखा जाए तो ये सभी कदम स्वागत योग्य हैं क्योंकि बिहार की जो एक छवि बन गयी थी कि वहां के बच्चे चोरी से इम्तेहान पास करते हैं, उस बात को एक तरह से इन प्रयासों द्वारा खंडित करने की कोशिश की गयी है. मगर इन सभी कारणों से दसवीं और बारहवीं मिलाकर लगभग साठ से सत्तर हज़ार विद्यार्थिओं ने परीक्षा नहीं देने का फैसला लिया. ठीक कुछ इसी तरह की खबर उत्तर प्रदेश भी आयी.
अब सोचने के लिए कई मुद्दे हैं, जिन पर विचार और बहस होना चाहिए.
आखिर उन बच्चों ने इम्तेहान देने से अपने हाथ क्यों खींच लिए? क्यों सरकार को ये सीसी टीवी वाला आइडिया परीक्षा के ठीक पहले आया? यही कैमरे अगर साल भर पहले स्कूलों में लगाए गए होते तो आज वो हजारों बच्चें इम्तेहान के डर से घर पर नहीं बैठ जाते.
आज 25 बच्चों पर एक परीक्षक बैठाया गया है अगर यही सरकार पहले सोचती और स्कूलों में शिक्षकों की कमी को समझती तो इतने परीक्षकों की जरुरत ही नहीं पड़ती. ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनपर अगर पहले से विचार किया जाता तो आज ये हजारों बच्चे साल भर के लिए पीछे नहीं जाते.
इन मुद्दों में जो सबसे प्रमुख मुद्दा है, वो है शिक्षकों की कमी और गुणवत्ता का आभाव.
इसको समझने के लिए थोड़ा पीछे जाने की आवश्यता है. जब नितीश कुमार पहली बार मुख्यमंत्री बने तो अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 2005 से 2010 के दौरान कुल 95000 शिक्षकों को बहाल किया. जिनमें हाई-स्कूल के शिक्षकों से लेकर शिक्षामित्र तक शामिल थे. ये बहालियां सिर्फ इस बेसिस पर ली गयीं कि उन्होंने सालों पहले टीचर्स-ट्रेनिंग किया हुआ था.
ये अच्छी बात है कि 95000 बेरोज़गार लोगों को नौकरियां मिलीं मगर उनका व्यवहारिक-ज्ञान कितना था इसकी जांच की जरुरत नहीं समझी गयी. न ही किसी ने ये सोचने की ज़हमत उठाई कि इन 95 हजार लोगों में राज्य की आने वाली नस्लों का भविष्य सौंपा जा रहा है. अगर शिक्षकों में समान्य-ज्ञान तक नहीं है तो सोचिये राज्य की कितनी नस्लें बर्बाद होंगी और हो रही हैं.
खैर, 2014-15 में जब ख़राब रिजल्ट आए तो सरकार को शिक्षकों की बहाली पर हल्का संदेह हुआ. उस संदेह में जांच हुई और पता चला कि इनकी बहाली में धांधली हुई है.
95000 में से 40000 फर्ज़ी डिग्री वाले शिक्षकों का पता चला और ताज्जुब की बात ये है कि बर्खास्त सिर्फ 3000 हजार शिक्षक ही हुए. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इन सरकारी स्कूलों में जो शिक्षा दी जा रही है उसका स्तर क्या है?
ऊपर से कोढ़ में खाज ये कि जो शिक्षक हैं वो स्कूल भी नियमित रूप से नहीं आते. अधिकांश शिक्षकों ने अपने शहर या गांव में तबादला करवा लिया है जहां वो पढ़ाना छोड़ बाकी हर तरह के व्यवसाय में तल्लीन हैं.
सरकार दावा करती है कि राज्य के लिए जो बजट मिल रहा है उसका 20 फीसदी हिस्सा शिक्षा के क्षेत्र में जा रहा है तो फिर परिवर्तन क्यों नहीं दिखाई दे रहा? क्यों छात्र इम्तेहान देने से कतरा रहे हैं?
अब आते हैं दूसरे मुद्दे पर. जब वक़्त पर शिक्षण-समाग्री नहीं उपलब्ध करवाई जाएगी तो पढाई कहां से होगी? राज्य के अन्य जिलों को छोड़ देते हैं, राजधानी पटना की बात करते हैं. पटना में कुल 190 राजकीय विद्यालय हैं जिनमें से लगभग 74 ऐसे स्कूल हैं जिनका अपना भवन नहीं है. अब आप इसी से अंदाजा लगाइये जब स्कूल की इमारत नहीं है. ये 74 स्कूल किसी दूसरे स्कूल के प्रांगण में चलाये जा रहे हैं तो यहां शिक्षकों की कमी का क्या अनुपात होगा. जबकि सरकारी नियम के मुताबिक एक किलोमीटर पर एक प्राथमिक विद्यालय और तीन से पांच किलोमीटर के दायरे में एक मध्य विद्यालय होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.
जब राजधानी का यह हाल है तो, अन्य जिलों का क्या कहना. साथ ही साथ यह भी बताती चलूं कि कई स्कूलों में आधा सत्र बीत जाने के बाद भी पाठ्य-पुस्तक मुहैया नहीं करवाई जातीं, तो छात्र पढ़ाई कहां से करेंगे?
इन सबके अलावा एक और अहम मुद्दा है जिसको हम अनदेखा नहीं कर सकते हैं वो है अभिवावकों में जागरूकता का अभाव. लेकिन वैसे गलती उन अभिवावकों की भी नहीं है. इन सरकारी स्कूलों में उन अभिवावकों के बच्चे ही पढ़ने जाते हैं या भेजे जाते हैं जिनकी माली हालत खराब हो यानी आर्थिक रूप से जर्जर. दूसरी बात वो स्वयं इतने पढ़े-लिखे भी नहीं होते हैं कि पढाई की महत्ता को समझ सकें. उनके लिए बस पढाई इसीलिए जरुरी है कि थोड़ा पढ़ लेगा तो थोड़ा ज्यादा पैसे कमा लेगा. इससे ज्यादा कुछ भी नहीं.
मगर वही कुछ अभिवावक अपनी तमाम कमियों से जूझते हुए भी अपने बच्चों को इन स्कूलों में भेजने के अलावा ट्यूशन वगरैह की व्यवस्था भी कर देते हैं. अब यहां से बच्चों की ज़िम्मेवारी बनती है कि वो पढाई पर फोकस करें. लेकिन आज जिस तरह से इंटरनेट की उपलब्धता बढ़ी है अधिकांश बच्चे सही मार्गदर्शन के आभाव में अपने अमूल्य समय को उन चीज़ों में बर्बाद कर रहे हैं.
कुल मिला कर देखा जाये तो स्तिथि बहुत ही चिंताजनक है. सुधार के लिए सरकार को वोट बैंक से निकलकर सोचने की जरूरत है. पहले तो शिक्षकों की रिक्तियों को सही तरीके से भरना चाहिए. फिर जो शिक्षक हैं उन्हें नई चीज़ों की ट्रेनिंग देकर इम्तेहान लेना चाहिए और जो पास करें उन्हें ही आगे नौकरी का हक़ मिलना चाहिए.
ये कोई हंसी-ठट्ठे की बात नहीं है, लाखों विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल है. इन विकट परिस्थितियों में अगर सरकार ये सोचकर निश्चिंत हो रही है कि, हमने कैमरा लगा दिया और कदाचार नहीं हुआ तो हम सफल हो गए, तो शर्मिंदगी से ज्यादा कुछ भी नहीं है.
– अनु रॉय

जानिए इस दिन आयेगा बिहार बोर्ड इंटर और मैट्रिक का रिजल्ट

मई महीना आते ही बच्चों में यह जानने की बेचैनी काफी बढ़ गई है कि बोर्ड एग्जाम का रिजल्ट कब आने वाला है । खासकर बिहार बोर्ड के छात्र इस बार कुछ ज्यादा ही उत्सुक हैं । पिछले वर्ष रिजल्ट में हुए गड़बड़ी और टॉपर घोटाले के बाद इस बार बिहार बोर्ड ने जिस कराई के साथ बोर्ड एग्जाम सम्पन्न कराया है उसके बाद छात्र के साथ उनके परिजन भी रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहें है ।

 

हलांकि 10 मई को इंटर साईंस का रिजल्ट आने कि सम्भावना जताई जा रहीं थी मगर रिजल्ट नहीं आया । उसके बाद सूत्र से मिल रहीं खबर के अनुसार बिहारबोर्ड 25 मई तक इंटर का रिजल्ट जारी कर सकता है। मैट्रिक का रिजल्ट 15 जून के बाद घोषित होगा। मैट्रिक की कुछ कॉपियों का मूल्यांकन बचा हुआ है। इसके अलावा आंसर की में गड़बड़ी का मसला अभी चल रहा है। इसलिए इंटर का रिजल्ट पहले घोषित कर दिया जाएगा।

 

सबसे पहले इंटर साईंस का रिजल्ट 20 मई को आने की सम्भावना है । इस संबंध में बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर का कहना है कि इंटर का रिजल्ट पहले आएगा।

 

 

इंटर के छात्रों को कॉलेजों में एडमिशन लेना होता है। कई कॉलेजों में एडमिशन शुरू हो गया है। साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों संकायों का रिजल्ट एक साथ तैयार किया जा रहा है। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि किस संकाय का रिजल्ट पहले आएगा।

 

 

गौरतलब है कि शिक्षकों के हड़ताल के चलते मैट्रिक और इंटर की कॉपियों की जांच में परेशानी आई थी। शुरू में कॉपी की जांच की रफ्तार काफी स्लो थी। 15 अप्रैल को शिक्षकों का आंदोलन समाप्त हुआ और इसके बाद कॉपी जांच में तेजी आई।

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बिहार बोर्ड का एक और कारनामा, बिहार के 16 लाख छात्रों का भविष्य खतरे में

पहले मैट्रिक परिक्षा में खुलेआम नकल करवाना और उसके ठीक अगले वर्ष टॉपर घोटाला से देश-विदेश में पूरे बिहार को बदनाम करवाने के बाद भी लगता है बिहार बोर्ड को मन नहीं भरा है ।

 

परिक्षा में खुलेआम हुए नकल और टॉपर घोटाले से हुए फजीहत के बाद बोर्ड ने नकल रहित परिक्षा का आयोजन कर मिशाल कायम किया । मगर लगता है बोर्ड सिर्फ परिक्षा का आयोजन करने तक ही गंभीर थी । तभी तो इतना बदनामी कराने के बाद भी बोर्ड ने एक और कारनामा किया है । यह कारनामा सीधे 16 लाख छात्रों के भविष्य से जुड़ा है।

 

दरअसल, कॉपी जांचने के लिए शिक्षकों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने एक मॉडल एंसर शीट दिया था. इस मॉडल एंसर शीट में सभी सवालों के सही जवाब लिखे होने चाहिए थे, जिससे कॉपी जांचने वाले शिक्षक छात्रों की कॉपियों में लिखे उत्तरों के मिलान कर सही नंबर दे सकें. लेकिन इसी बीच ईटीवी/ न्यूज18 हिंदी की टीम को ऐसे कागजात मिले हैं जिससे बेहद ही बड़ी लापरवाही का खुलासा हुआ है.

 

खुलासा ये है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के साइंस यानि फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी के मॉडल एंसर शीट के 15 फीसदी उत्तर गलत हैं. मतलब ये कि बीएसईबी की नजर में एलपीजी खाना पकाने वाली गैस नहीं है और एड्स का फुल फॉर्म एक्वॉयर्ड इम्यून डिफिसिएंसी सिंड्रोम की जगह एक्वॉयर्ड ऐमीनो डिफिसिएंसी सिंड्रोम है.

 

विज्ञान की कॉपी जांचने वाले शिक्षक विनय आनंद ने कहा कि जो भी एंसर बीएसईबी ने दिया था उसमें सात प्रश्न के उत्तर गलत हैं लिहाजा शिक्षकों से भी गलती हुई होगी और सही रिजल्ट आने की संभावना नहीं है.

 

हर बार बिहार बोर्ड रिजल्ट में गड़बड़ी का ठीकरा बच्चों पर फोड़कर अपना मुंह छुपा लेती है । बोर्ड न तो अपना नाकामी स्वीकार करती है और न ही खुद में सुधार करती है। अगर इस बार भी रिजल्ट में गड़बड़ी का मामला उठे तो वह आश्चर्य की बात नहीं होगी क्योंकि बिहार को बदनाम करने के लिए बिहार बोर्ड फिर से एक कारनामा कर चुका है।

 

Source: News 18 (ETV)

खुशखबरी: बिहार बोर्ड इंटर में फेल छात्रों के लिए सरकार ने किया बड़ा एलान

जो छात्र इस वर्ष इंटर परीक्षा में फेल कर गये है उनके लिए बहुत बडी खुशखबरी है।  बिहार बोर्ड ने पहली बार इंटर में कम्पार्टमेंटल परीक्षा के आयोजन का ऐलान किया है. परीक्षा सीबीआई पैटर्न पर ली जाएगी. शिक्षा विभाग ने बिहार बोर्ड को इंटर कम्पार्टमेंटल परीक्षा की तैयारी करने का निर्देश दिया है. 

 

जो छात्र इस वर्ष किसी विषय में फेल हो गये हैं वह फिर से परीक्षा देकर अपना रिजल्ट सुधार सकते है। इस परीक्षा में शामिल होकर वर्ष 2016 के सभी छात्र अपना रिजल्ट सुधार सकेंगे. सोमवार को इस संबंध में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव डॉ धर्मेन्द्र सिंह गंगवार ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर, सचिव अनूप कुमार सिन्हा और माध्यमिक शिक्षा निदेशक राजीव प्रसाद सिंह राजन के साथ बैठक की. बैठक के बाद उन्होंने कहा कि बोर्ड को इंटर की कम्पार्टमेंटल परीक्षा की तैयारी पूरी करने को कहा है.उन्होंने बताया कि तैयारी के बाद बिहार बोर्ड कम्पार्टमेंटल परीक्षा का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को भेजेगा इसके बाद इस परीक्षा की तिथि का ऐलान किया जायेगा.

 

गौरतलब है कि इस बार बोर्ड ने कदाचार मुक्त परीक्षा का आयोजन किया था उसका प्रभाव रिजल्ट पे भी देखने को मिला है।  काफी संख्या में बच्चे या तो फेल कर गये या उनका रिजल्ट खराब आया है।  इसी के मद्देनजर सरकार ने यह फैसला लिया है।