झारखंड में बिहारी लोकभाषा भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को द्वितीय भाषा का मिला दर्जा

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झारखंड सरकार ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में लंबे समय से अनेक समुदायों की चल रही मांग को पूरा करते हुए भोजपुरी, मैथिली, मगही एवं अंगिका को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दे दिया. मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया.

ज्ञात हो कि ये सभी भाषाएँ बिहार राज्य की प्रमुख भाषाएँ हैं, जो की बिहार के अलग-अलग हिस्सों में बोली जाती है| राज्य में इन चार भाषाओं को बोलने वालों की संख्या काफी है| आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 18.36 लाख लोग मगही बोलते हैं, जो कुल आबादी का 6.82% है|

मंत्री परिषद की बैठक में मगही, भोजपुरी, मैथिली तथा अंगिका को झारखंड राज्य की द्वितीय भाषा घोषित करने के लिए बिहार राजभाषा (झारखंड संशोधन) अध्यादेश 2018 के प्रारूप को स्वीकृति दी गई. ज्ञात हो कि इससे पूर्व झारखंड राज्य में 12 भाषाओं उर्दू, संथाली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुरुख(उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, बांग्ला और उड़िया भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जा चुका है.

झारखंड में 6.82 फीसदी लोग बोलते हैं मगही

– 2001 की जनगणना को आधार बनाकर इन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का फैसला लिया गया है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 18.36 लाख लोग मगही बोलते हैं, जो कुल आबादी का 6.82% है। इसी तरह 6.56 लाख यानी 2.44% लोग भोजपुरी, 1.41 लाख यानी 0.52% लोग मैथिली बोलने वाले हैं।

– अंगिका जनगणना सूची में शामिल नहीं है, लेकिन संथाल के लगभग सभी जिलों में अंगिका भाषियों की बहुलता है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि राज्य में यह बहुलता में बोली जाती है। पुलिस नियुक्ति नियमावली और शिक्षक नियुक्ति नियमावली में भी इन भाषाओं को वैकल्पिक विषय के रूप में मान्यता दी गई है।

इन जिलों में ये भाषाएं ज्यादा

मगही : लातेहार, पलामू और गढ़वा।
भोजपुरी: लातेहार, पलामू और गढ़वा।
मैथिली : जमशेदपुर, दुमका, देवघर, गोड्डा एवं साहेबगंज।
अंगिका : दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज एवं पाकुड़।

इन जिलों में ये भाषाएं ज्यादा

प्रस्ताव में कहा गया है कि झारखंड भाषाई दृष्टिकोण से विविध भाषा-भाषी प्रदेश है। राज्य की सामाजिक और सांस्कृतिक बहुलता की अभिव्यक्ति विभिन्न भाषाओं द्वारा होती है। सामाजिक समरसता और भाषाओं के बहुमुखी विकास के लिए पहले 12 भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया था। अब मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषाओं से जुड़ी जनभावनाओं को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है।

 

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