अब प्रतिष्ठित विश्व बैंक ( Wold Bank) ने भी इस बिहारी को आमंत्रित किया है !

बिहार-बिहार-बिहार, बिहारी-बिहारी-बिहारी हर तरफ आप सुनते होंगे|
बिहार के बारे में आप कैसा सुनते हैं वो इस पर निर्भर करता है कि आपकी संगति कैसी है! कुछ लोगों को बिहारी मतलब बांके बिहारी श्री कृष्णा समझ में आता है, अयोध्यावासी तो बिहारी या मिथिला सुन के हंसी-मजाक करना शुरू कर देते हैं| मंत्रालय, सचिवालय में बिहारी का मतलब कोई बड़ा साहेब या IAS अधिकारी होता है| कहीं बिहारी शब्द सुन के मुँह से वाहे गुरु जैसा शब्द भी निकल जाता है| ये बहुत बड़ा और मजेदार विषय है| खैर आज जिन शक्सियत से हम आपको मिलवाने से जा रहे हैं, उसका आत्म-विश्वास उन्हें खास बनाता है|

सबसे पहले तो नाम ही बहुत खास है इनका| नाम में प्रयुक्त शब्दों को देखें तो इनका एक जबरदस्त व्यक्तिव बनता है| ज्ञान व् ‘विवेक’ का ‘सागर’ जो अनंत गहराईयों में बिहार व् देश के लिए सुन्दर सपना रखता हो, साथ में व्यव्हार-विचार बिलकुल मृदु हो, साधारण हो, सरल हो वो ही शायद ये कहला सकता है-  ” शरद विवेक सागर “!

अब हम बताते हैं हाल ही में इन्हें मिली एक और उपलब्धि के बारे में जो इनके अक्टूबर महीने में अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा से मुलाकात के बाद दूसरी बड़ी खबर है और उपलब्धि भी है; उनके लिए, हमारे बिहार के लिए, हर भारतीय के लिए!
उन्होंने लगभग 9 घंटे बिताया अमेरिका के वाइट हाउस में और वो ९० मिनट का खास Session रहा अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ | राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उसी दौरान शरद विवेक सागर को बधाई देते हुए कहा कि “उम्मीद करता हूँ मजा आ रहा होगा आपको, वाइट हाउस में”| आपको पता ही है, ये भारत के एक मात्र नागरिक हैं जिन्हें इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुलाया| इस खबर को हर छोटे बड़े मीडिया हाउस ने खूब जगह दी थी| यह चर्चा का विषय बन गया था|

अब इसी महीने  इनको  “वर्ल्ड बैंक यूथ सबमिट ” में आने का आमंत्रण मिला है !

24 वर्षीय ‘Dexterity Global’ के CEO को इस साल नवम्बर महीने में होने वाले ‘World Bank Youth Summit’ में आमंत्रित किया गया है, जो अमेरिका के वाशिंगटन DC में आयोजित होना है| इस प्रोग्राम का नाम है ‘The World Bank Youth Summit: Rethinking Education for the New Millennium’, जो इस बार साथ लायेगा वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि व् पूरी दुनिया के कुछ चुनिंदा यूथ लीडर्स को जिन्होंने प्राइवेट सेक्टर या सरकारी सेक्टर में अपने बेहतर काम, नई सोच, इनोवेशन के साथ अलग मुकाम पाया है| यहाँ ये सभी आपस में विचारों का आदान प्रदान करेंगे |
इस प्रोग्राम के लिए विश्व भर से लगभग १८०० लोगो में से कुछ विशेष शख्सियतों को बुलाया गया है जिनकी इस सदी में ‘शिक्षा व् शिक्षा व्यवस्था’ को ले के उम्दा और अलग सोच है|

हाँ ये वही शरद विवेक सागर हैं जिन्होंने केवल 16 साल की उम्र में Dexterity Global की स्थापना की, जहाँ बच्चों को शिक्षा में एक प्लेटफार्म देना इनका एक मात्र उदेश्य हैं| जहाँ ये बच्चों में लीडरशिप क्वालिटी से लेकर कई मौके प्रदान करते हैं| सही और सटीक दिशा निर्देश दे के ये भारत में हर साल लगभग १२ लाख बच्चों को लाभांवित करते हैं अपने इस प्रयास से|

साल 2016 इनके लिए लाजबाब रहा है, और हम बिहारवासियों के लिए भी जब जनवरी -फरवरी में शुरुआत हुई थी धमाकेदार उपलब्धि से; जब पहली बार किसी बिहारी का नाम दुनिया के प्रसिद्द मैगज़ीन Forbes में शामिल हुआ| शरद विवेक सागर का नाम टॉप 30 अंडर 30 लीडर/ उभरते बिजनेसमैन के लिस्ट में आया था, जिसमें फेसबुक के Mark Zuckerbarg , Malala Yousafzai समेत कई जानी-मानी हस्तियाँ थीं| मीडिया में हर तरफ चर्चा का विषय तब जो शुरू हुआ आज तक चल रहा है| एक के बाद उपलब्धियों से धमाल मचा रखा है शरद विवेक सागर जी ने!

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अअभी 2 महीने और बचे हैं 2016 में| न जाने कितनी और उपलब्धियों और रिकॉर्डस से बिहार का यह लाल देश का नाम रोशन करेगा| ये अनुमान भी लगा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा है|

आपन बिहार टीम की ढेर सारी शुभकामनायें इनके साथ हैं।

खुशखबरी: विश्व बैंक बिहार को देगा 29 करोड़ डॉलर

दिल्ली: विश्व बैंक ने बिहार में गरीबों को रोजी-रोटी के बेहतर मौके उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ शुक्रवार को 29 करोड़ डॉलर के कर्ज का करार किया। बिहार ट्रांसफॉर्मेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (जीविका-2) नामक इस परियोजना से 300 प्रखंडों और 32 जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा।

 

विश्व बैंक ने बताया कि इस धन राशि का उपयोग ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूह बनाने तथा बाजार, सार्वजनिक सेवाओं तथा वित्तीय सेवाओं तक पहुँच उपलब्ध कराने के लिए किया जायेगा। उन्हें वाणिज्यिक बैंकों तथा अन्य औपचारिक प्रतिष्ठानों के जरिये वित्तीय सहायता मुहैया कराई जायेगी।
परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जायेगी।महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कंपनियों की स्थापना के लिए मदद की जायेगी।महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराये जायेंगे।

 

परियोजना में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। महिलाओं की स्वामित्व वाली कृषि उत्पाद कंपनियों की स्थापना के लिए मदद की जाएगी। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी पैसे मुहैया कराए जाएंगे। समेकित बाल विकास कार्यक्रम तथा स्वच्छ भारत अभियान के जरिये पोषण, हाइजिन तथा साफ-सफाई को बढ़ावा इस परियोजना का लक्ष्य होगा।

 

इन समूहों को नौ हजार 500 ग्रामीण संगठनों के तहत रखा गया जिन्हें पुन: 161 क्लस्टर लेवल फेडरेशन बनाकर उनके तहत लाया गया।दूसरे चरण में आजीविका-2 के तहत उन 32 जिलों और 300 प्रखंडों को शामिल किया जायेगा जो पहले चरण का हिस्सा नहीं थे।
परियोजना के ऋण दस्तावेज पर भारत सरकार की ओर से आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव राज कुमार, बिहार सरकार की ओर से ग्रामीण विकास विभाग में सचिव अरविंद कुमार चौधरी तथा विश्व बैंक की तरफ से भारत में कार्यवाहक निदेशक जॉन ब्लामकिस्ट ने हस्ताक्षर किये।

 

विश्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराये गये इस ऋन से बिहार के विकाश को और ज्यादा रफ्तार मिलेगी। बिहार में चल रहे महिला शक्तिकरण को और बल मिलेगा तथा ग्रामीण क्षेत्र के विकाश में तेजी आएगी।

विश्व बैंक के डायरेक्टर के पद पर भी एक बिहारी है

पटना: बिहार की मिट्टी ने अपनी प्रतिभा का लोहा दुनिया भर में मनवाया है। अपनी प्रतिभा की चमक वे दुनिया भर में विखेर रहें है और बिहार एवं देश नाम रौशन कर रहें है।  ऐसे ही प्रतिभाशाली बिहारी के लंबी लिस्ट में एक नाम है बिहार के सहरसा जिले के श्री सरोज झा। 

 

सहरसा जिले के बनगांव निवासी सेवानिवृत्त बीडीओ मदन मोहन झा व कुंता देवी के पुत्र सरोज कुमार झा विश्व बैंक के सीनियर डायरेकटर है। वे 1990 बैच के आइएएस अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने कानपुर आइआइटी से सिविल इंजीनियरिंग व डवलपमेंट इकोनॉमिक्स की डिग्री हासिल की है।

 

सरोज कुमार झा की स्कूली शिक्षा बनगांव प्राथमिक स्कूल में हुई. रांची के संत जेवियर्स उन्होंने इंटर किया और फिर उनका सलेक्शन आईआईटी के लिए हो गया.

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सरोज झा ने विश्व बैंक में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2005 में की थी. उस समय वे वरिष्ठ ढांचागत विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किए गए थे. इससे पहले सरोज झा यूनाइटेड नेशन के डेवलपमेंट प्रोग्राम के लिए सीनियर एग्जीक्यूटिव के रुप में भी काम कर चुके हैं.

 

इसी वर्ष एक फरवरी को  एक फरवरी को विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यंग ङ्क्षकग ने उन्हें कमजोरी, टकराव व ङ्क्षहसा की चुनौती से निपटने के लिए अग्रणी नेतृत्व की भूमिका निभाने का काम सौंपा है।

 

स्कूली शिक्षा हुई गांव में

सरोज कुमार झा की स्कूली शिक्षा बनगांव एलीमेंट्री स्कूल में हुई जबकि मिडिल बेगूसराय और हाई स्कूल तक की शिक्षा पथरगामा (अभी झारखंड) में हुई। संत जेवियर्स, रांची से उन्होंने इंटर किया और फिर आइआइटी में उनका सेलेक्शन हो गया।

 

सरोज कुमार झा की इस उपलब्धि पर उनके मुहल्ले और गांव के लोगों में जबरदस्त उत्साह है। अपने घर और यहां की माटी से सरोज का गहरा लगाव है। यही वजह है कि वे हर दो-तीन माह पर एक बार जरूर सहरसा आते हैं।

कहा सरोज झा ने-

सहरसा और कोसी क्षेत्र पर मुझे गर्व है। इस इलाके में काफी संभावनाएं हैं। विश्व बैंक का सीनियर निदेशक बनने के बाद वे जल्द ही सहरसा आएंगे। सहरसा में उनके माता-पिता रहते हैं।

– सरोज कुमार झा, आइएएस

जहां कई लोग बडे पद या कामयाबी मिलते ही अपने गाँव व् समाज को भूल जाते हैं तो वही दुनिया के इतने बडे पद पर पहुंचने के बाद भी सरोज झा, अपने गाँव समाज व् अपने राज्य को नहीं भूले।  बिहार को गर्व है अपने इस लाल पर।