Nitish Kumar, Sushma Swaraj, Bihar, Muzaffarpur

मुजफ्फरपुर को आज भी याद है सुषमा जी का नारा, ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा’

भारत की पूर्व विदेश मंत्री और लोकप्रिय राजनेता सुषमा स्वराज जी का कल शाम असमय मृत्यु हो गयी| उनके मौत के कारण पूरा देश शोक में है| राजनीति में विरले ऐसे लोग होते हैं जिनको चाहने वाले सभी राजनितिक दल, विचारधारा और सोच में विश्वास रखने वाले लोग होते हैं| सुषमा स्वराज उसी विरले नेता में से एक थी|

सुषमा जी के देहांत की खबर जब ही बिहार के मुजफ्फरपुर पहुंची| लोगों को आपातकाल का वह दौर याद आ गया, जब सुषमा स्वराज मुजफ्फरपुर आई थी| जॉर्ज फर्नांडिस के लिए ऐतिहासिक चुनाव प्रचार और हाथ उठाए हथकड़ी वाला जॉर्ज का कटआउट के साथ सुषमा का वह एतिहासिक नारा, ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा‘, आज भी लोगों को याद है|

वह आपातकाल का काला दौर था। जॉर्ज और उनके साथियों को जून 1976 में गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल में रहते जॉर्ज ने चुनाव लड़ा और जीते भी। उनकी चुनावी नैया पार कराने के लिए सुषमा स्वराज पहुंचीं। सुबह से देर शाम तक बिना किसी ताम-झाम के लगातार नुक्कड़ सभाएं करतीं। यह चुनाव का वह दौर था, जब मुजफ्फरपुर के लोगों ने परिवर्तन की लहर देखी।

1977 के लोकसभा चुनाव में जॉर्ज ने जेल से ही नामांकन किया। उनका यहां कोई परिवार या रिश्तेदार नहीं था। सुषमा स्वराज उस समय दिल्ली कोर्ट में अधिवक्ता थीं। जॉर्ज के चुनाव प्रचार के लिए मुजफ्फरपुर पहुंचीं। सुषमा सभा में नारा लगाती थीं, ‘जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा।’ यह नारा आम लोगों की जुबान पर छा गया।

पुराने दिनों को याद करते हुए जॉर्ज के करीबी रहे डॉ. हरेंद्र कुमार कहते हैं, हाथ उठाए हथकड़ी वाला जॉर्ज का कटआउट चुनाव प्रचार का बैनर-पोस्टर था। सुषमा स्वराज स्टार प्रचारक थीं। पूर्व जदयू जिलाध्यक्ष विजय प्रसाद सिंह और पूर्व विधान पार्षद गणेश भारती कहते हैं कि तब एक अलग ही दौर था। हर उम्र के लोग उनके लिए प्रचार करते। चंदा जुटाते।

भोला चौधरी बताते हैं, वे सुषमा स्वराज के काफिले के साथ मीनापुर गए। वहां प्रचार करते देर शाम हो गई। कार्यकर्ताओं ने सरकारी स्कूल में रहने की व्यवस्था की। वहीं रात्रि विश्राम हुआ। किसी कार्यकर्ता के यहां से रोटी तो किसी के यहां से भुजिया बनकर आई। करीब 10 दिनों तक रहकर सुषमा ने प्रचार किया। 2014 के चुनाव प्रचार में भी वह कटरा आईं।

धर्मशाला चौक पर चाय की दुकान का संचालन करनेवाले वरीय भाजपा नेता 65 वर्षीय भोला चौधरी उर्फ भोला भाई कहते हैं कि जॉर्ज की चुनावी कमान सुषमा स्वराज ने संभाल रखी थी। उस समय प्रचार का अलग तरीका था। नुक्कड़ सभा का प्रचलन था। वह सुबह तैयार होकर नाश्ता कर लेतीं। उसके बाद उनके साथ कार्यकर्ताओं की टीम चल पड़ती। आपातकाल व देश के विकास पर केंद्रित उनका भाषण होता था। परिवर्तन हो, यही अपील वह करतीं।

आज सुषमा स्वराज इस दुनिया से चली गयी मगर उनकी याद हमेसा जिन्दा रहेगी|

Source: Dainik Jagran

सऊदी में फंसे बिहार के 50 युवक, न खाने को रोटी और न ही रहनेको छत है

सिवान: अपना और आने वाली पीढ़ी का भविष्य बदलने का सपना आंखों में सजाए विदेश गए सिवान के 50 युवक सऊदी आरब में जलालत की जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें न खाने को दो समय का रोटी नसीब हो रहा है और न ही रहने को कोई छत।  वे पाँच महिने से साऊदी अरब के दम्माम स्थित एक कंपनी में बुरी तरह फसें है।  

 

वे जिस कम्पनी में काम करते थे, उन्होंने काम करवा कर उनको वेतन नहीं दिया।  पास में इतने पैसे नहीं की अपने देश लौट सके।  दिन पर दिन उनकी हालत खराब होती जा रही है।  यहाँ उनके घर वाले बेचैन है और दर-दर मदद को गुहार लगा रहे हैं।  खबर मिलने पर सिवान के सांसद ओमप्रकाश यादव ने मदद करने का भरोसा दिया है और कहा है जल्द ही उनके परिवारवालों से पूरी जानकारी ले उनकी बात भारत के विदेश मंत्रालय तक पहुंचाई जाएगी और उनके वतन वापसी का इंतजाम किया जाएगा।

 

दम्माम स्थित साद ग्रुप में कारपेंटर की नौकरी करने वाले जीबी नगर के डिहियां दीनदयालपुर निवासी मो. शमशाद ने शनिवार को सऊदी से फोन कर बताया कि उसके साथ जिले के 50 से अधिक युवक हैं। खाने तक के पैसे नहीं हैं। कंपनी के बेहाल कर्मचारियों ने सऊदी लेबर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 16 जून को फैसला आना था, लेकिन फिर कंपनी को मोहलत दे दी गई है।

 

शमशाद ने बताया कि कंपनी में राजस्थान, दिल्ली, यूपी आदि राज्यों के सैकड़ों युवक हैं। सिर्फ एक बार शाम को भोजन दिया जा रहा है। रात मेंं खुले आसमान के नीचे रहने को वे लोग मजबूर हैं।

 

कई लोग बिमार है मगर इलाज को पैसे नहीं

सिवान जिले के बड़हरिया, तरवारा, मैरवा के कई युवक बीमार भी चल रहे हैं।  बीमारों में हंसराज कुशवाहा, जितेन्द्र यादव, रामअवतार, सुरेन्द्रनाथ चौरसिया, अमरजीत प्रसाद शामिल हैं। इलाज कराने के लिए उनके पास पैसे नहीं है तो वहां की साऊदी सरकार भी उनकी कोई मदद नहीं कर रही। उन लोगों ने सरकार से भी मदद की गुहार लगा चुके हैं। जीबी नगर तरवारा के चाड़ी बाजार के ग्यासुद्दीन अंसारी कहते है वहां की सरकार से उनका विश्वास उठ चुका है।

 

 

मो. शमशाद ने सऊदी में फंसे सिवान के युवकों की सूची भी भेजी है। इन युवकों में पचरुखी के गम्हरिया के अवधेश कुमार, दारौंदा के सद्दाम, हरिहांस के रिजवान अहमद, पचरुखी रसुलपुर के ऐनुल अंसारी, गोरेयाकोठी के मो. जलील अंसारी, हसनपुरा के फरियाद अहमद, लहेजी के इनायत हुसैन, लहेजी के ही संजय कुमार, नौतन के मैनुद्दीन खान, जीरादेई के नन्हे हुसैन, मोहद्दीपुर के मो. निजामुद्दीन, ओरमा के अली इमाम, धनौती के बाबू हुसैन आदि शामिल है।

 

उनके खबर सुनते ही यहां खर वाले उनके सलामती के लिए भगवान से प्राथना कर रहें हैं तो रमजान के महीने में वे अपने परिजन की खैरियत के साथ उनके शीघ्र लौटने की दुआएं भी कर रहे हैं। उनकों उम्मीद है कि वे घर जल्द लौटेंगे।

 

 

हाल ही में ऐसे मामलों में भारतीय विदेश मंत्रालय ने जैसी सक्रियता दिखाई है, उससे उनके जल्द वतन वापसी की उम्मीद बढ़ गई है।  विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने सोशल मिडिया से भी ऐसे मामले का संज्ञान ले कई लोगों की मदद कर मिशाल कायम किया है।  उम्मीद है की इन लोगों की बात भी उनके पास तक पहुंचेगी।  कृपया इसे शेयर कर उनकी मदद करें।