इस अफसर के नाम से ही डरते है बिहार के मोस्ट वांटेड अपराधी, जानिए इस दबंग अफसर के बारे में

बिहार पुलिस में बहादुर और ईमानदार अफसर की कमी नहीं है।  शिवदीप लांडे, मनु महाराज, विकाश वैभव और जितेंदर राना का नाम तो सभी जानते हैं मगर इसके अलावा भी कई अफसर है जो अपने बहादुरी का मिशाल कायम कर रहे हैं।

 

हाल ही में शिवदीप लांडे के नेतृत्व में कुख्यात मुकेश पाठक को एसटीफ नी गिरफ्तार किया है।  शिवदीप लांडे के टीम में मौजूद डीएसपी इस अभियान के हिरो है।

 

एसटीएफ डीएसपी रामाकान्त बिहार के अपराधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम हैं। हाल के दिनों में उत्तर बिहार में लिबरेशन आर्मी का आतंक, पत्रकार राजदीप हत्याकांड और उसके पहले राजधानी पटना में अविनाश हत्याकांड जैसे चर्चित मामलों के उद्भेदन में डीएसपी रमाकांत की अहम भूमिका रही है।

 

हाल के दिनों में बिहार में कई बड़ी आपराधिक घटनाएं हुई हैं। और सरकार पर दबाव इस कदर बढ़ा कि विपक्ष ने जंगलराज तक की संज्ञा देने में गुरेज नहीं की। उत्तर बिहार में संतोष झा और मुकेश पाठक गिरोह ने एके-47 का राज कायम कर रखा था।

वहीं, बिहार के दूसरे जिलों में भी एके-47 की गूंज सुनाई देने लगी थी। ऐसे में बिहार सरकार के लिए तुरुप का इक्का एसटीएफ साबित हुआ। एसटीएफ एसपी शिवदीप लांडे की टीम में शामिल डीएसपी रामाकांत ने कई चर्चित कांडों का उद्भेदन कर सरकार को राहत दिलायी।

 

संतोष झा को भी रामाकांत ने गिरफ्तार किया था
इसके पहले साल 2012 में रमाकांत ने मुकेश पाठक गिरोह के सरगना संतोष झा को गिरफ्तार किया था। और हाल में मुकेश पाठक को भी गिरफ्तार करने में डीएसपी रामाकांत की अहम भूमिका रही है। इस अधिकारी ने मुकेश पाठक गिरोह के कई गुर्गों को भी गिरफ्तार किया है। इंजीनियर हत्याकांड में प्रयुक्त एके-56 के साथ तीन कुख्यात अपराधी भी गिरफ्तार किये गये हैं।

रामाकांत पटना के विभिन्न थानों में भी पदस्थापित रहे हैं। उस दौरान भी उनकी अलग पहचान थी। पटना में रहने के दौरान भी उन्होंने कई उपलब्धि हासिल की है। उसके बाद पटना सदर के डीएसपी भी रहे हैं।

 

दरभंगा मर्डर कांड के मास्टर माइंड और कुख्यात अपराधी मुकेश पाठक को शिवदीप ने दबोचा

बीते 26 दिसम्बर को दरभंगा के बहेड़ी में रंगदारी की मांग को लेकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो इंजीनियरों की हत्या मामले में फरार चल रहे संतोष झा गैंग का कुख्यात शूटर मुकेश पाठक को आज पटना एएसटीएफ ने रामगढ़ रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया।

 

पूरे बिहार में अपने ईमानदारी और बहादुरी के लिए प्रसिद्ध एसटीएफ एसपी शिवदीप लांडे और उनकी टीम को आज फिर एक बडी कामयाबी मिली है।

मुकेश पाठक एवं उसके गिरोह के सदस्यों ने दरभंगा में सड़क निर्माण कार्य में लगी बीएससी-सीएंडसी ज्वाएंट वेंचर कंपनी से दो करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी। कंपनी द्वारा रंगदारी देने से इनकार करने पर मुकेश पाठक व उसके एक साथी ने औरंगाबाद निवासी इस कंपनी के इंजीनियर ब्रजेश कुमार व बेगुसराय निवासी ठेकेदार की बीते 26 दिसम्बर को गोली मार कर उस वक्त हत्या कर दी थी जब दोनों निर्माण कार्य के साइट पर बैठे थे।

सोमवार को मुकेश पाठक टाटा-जम्मूतावी ट्रेन से यूपी भागने के फिराक में था तभी रामगढ़ स्टेशन पर उसकी घात में सादी वर्दी में लगी एसटीएफ की टीम ने उसे ट्रेन से ही गिरफ्तार कर लिया। इंजीनियर हत्याकांड के कुछ माह पूर्व ही मुकेश पाठक शिवहर जेल से जमानत पर बाहर आया था जहां वह अपनी पत्नी पूजा के साथ एक आपराधिक मामले में बंद था।

 

Exclusive pic: गिरफ्तारी के समय का मुकेश पाकठ का फोटो

Exclusive pic: गिरफ्तारी के समय का मुकेश पाकठ का फोटो

इंजीनियर हत्याकांड के बाद जेल में बंद मुकेश की पत्नी पूजा के गर्भवती होने का मामला प्रकाश में आया तब हड़कंप मच गया था। शिवहर के तत्कालीन जिलाधिकारी और मुजफ्फरपुर के जेल अधीक्षक की बनाई गई एक संयुक्त जांच दल ने जांच कर अपनी जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी वह भी चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट में कहा गया कि ‘10 जून 2015 को शिवहर जेल के जेलर औरा चार काराकर्मी के सहयोग से जेलर कक्ष में मुकेश और पूजा को रालीला रचाने के लिए लगभग आधे घंटे के लिए अकेले छोड़ दिया गया था।’

 

गौरतलब है किमुकेश पाठक बिहार लिबरेशन आर्मी का कथित स्वंभू कमांडर संतोष झा गिरोह का शूटर है। इस घटना के बाद फरार हुए मुकेश पाठक व एक अन्य हत्यारों को दबोचने के लिए बिहार पुलिस जी जान से लगी थी।

इस बच्ची को गोद लेने के बाद एसपी शिवदीप लांडे के आखें नम हो गई.

पटना: किसी व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है।  सभी लोग एक ही समाज में रहते है मगर सबकी पहचान अलग-अलग होता है।  कोई अपने बुरे कर्मों के लिए चर्चा में होता है तो कोई उसके द्वारा किये गये अच्छे कामों के लिए चर्चा में रहता है। 

 

ऐसे ही चर्चा में रहने वालों में एक नाम है बिहार पुलिस का जबाज अफसर एसपी शिवदीप वमन लांडे।जो हमेशा अखबासुर्खियों में रहते है,  कभी अपने बहादुरी और ईमानदारी के लिए तो कभी अपने समाज सेवा के लिए।

 

अनाथ बच्चों के साथ लांडे

अनाथ बच्चों के साथ लांडे

 

जी हाँ,  बिहार पुलिस का यह एसपी सिर्फ अपराधियों को पकड़ता नहीं है बल्कि समाज सेवा के लिए भी हमेशा तत्पर रहता है।  आप में से बहुत कम लोगों को ही यह पता होगा की शिवदीप लांडे खुद गरीबी से निकले हुए है।  वह गरीबी के दंश को जानते है और उसको महसूस करते है।  इसीलिए हमेशा गरीबों के मदद के लिए वह तैयार रहते है।

 

शिवदीप लांडे पने कुल वेतन का 60%  NGO को दान कर देते है जो गरीब-अनाथ बच्चों को आसरा प्रदान कराता है और गरीब लड़कियों के शादी करवाता है।

 

शिवदीप लांडे कहते है कि “बकरीकी चोरी की शिकायत करने वाली एक सत्तर साल की वृद्धा कड़कती ढंड में थाने और एसपी दफ्तर के चक्कर लगा रही है तो बात बकरी की चोरी की तक ही सीमित नहीं है। संवेदनशीलता यह समझने की है कि उसकी बकरी नहीं बल्कि उसकी पूरी आजीविका ही चोरी हो गई है। हर कोई अपने स्तर से समाज के लिए कुछ कर सकता है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप पुलिस सेवा में हों। कोई विद्यार्थी यदि किसी वृद्ध या लाचार को सड़क पार करने में मदद करता है तो यह भी बड़ी समाज सेवा है।”

 

इसी सब के कारण शिवदीप लांडे और सब पुलिस अफसर से काफी अलग है और बिहार में सबसे अलग है।  बिहार के युवा लांडे को अपना आदर्श मानते हैं और उनके जैसा बनने का सपना देखते हैं तो माता-पिता भी अपने संतान को लांडे जैसा बनाना चाहते हैं।

 

एक शिशु का नाम रखते हुए

एक बच्ची का नामाकरण करते हुए

 

हाल ही में  कार्यालय के बाहर एक पिता अपने नवजात बच्ची के साथ आया इस उम्मीद से की लांडे उसका नामकरण करे। ताकि वो उनके जैसी बन सके।  खुद लांडे उस पल भावुक हो गये।

वे कहते है  ‘ 

अनेकों उदाहरणों के बीच हम बड़े होते हैं। कुछ हमारे अतीत से और कुछ हमारे बीच से । इन सब सच्चे-झूटे उदाहरणों के साथ हम अपनी भी एक अलग दुनिया बनाते हैं। एक ऐसी दुनिया जहाँ हम अपने हीरो जैसा बनना चाहते हैं। सबसे अच्छा और सबसे अलग। हम लगातार कोशिश भी करते हैं अपने उस सपने की दुनिया को इस दुनिया में जीने का ।

पर दोस्तों, सबसे सुकून तब लगता है जब कोई आपको बोले की आप उनके उदाहरण हो, कोई आप जैसा बनना चाहता है, कोई अपने बच्चे को आपके जैसा बनाना चाहता है। यकीन मानिये जब मेरे कार्यालय के बाहर एक पिता अपने नवजात बच्ची के साथ आया इस उम्मीद से की मैं उसका नामकरण करूँ ताकि वो मेरे जैसी बन सके तब न चाहते हुए भी मेरे आखों में नमी आ गयी थी। मेरे को लगा की शायद मैंने अभी तक अपने वसूलों पे चल कर सही किया है, आज शायद मेरी माँ के संस्कार और तपस्या सार्थक हुआ है।