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वजन घटाने में मदद करती है लीची, जानिए सेहत से जुड़े इसके ऐसे ही कुछ फायदे

बढ़ती गर्मी, चिलचिलाती धूप और उमस लोगों को डिहाइड्रेशन का शिकार बना देती है। गर्मियों की शुरुआत के साथ, हम तले हुए और हैवी फूड् से परहेज करने लगते हैं। इस दौरान ताजे मौसमी फलों पर हमारी निर्भरता बढ़ जाती है। ताजे फल हमारे शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं और हमें हाइड्रेटेड और उर्जावान बनाए रखने में भी मदद करता है। गर्मियों में आम के साथ ही एक और फल है जिसके लिए ये मौसम जाना जाता है वो है लीची। बच्चे से लेकर बूढ़े तक, इस मौसम में रसीले फल का लुत्फ हर कोई उठता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फल आपके सेहत और शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

लीची एक ऐसा ग्रीष्मकालीन फल है जो भारत के लगभग सभी भागों में व्यापक रूप से उपलब्ध है। इस जूसी और मीठे फल से परहेज करना थोड़ा मुश्किल है। इसे आप ताजा छीलकर खाएं, जूस बनाएं, आइस क्रीम, या मॉकटेल में एड करें- हर तरह से इसका मीठा स्वाद आपको अपना दीवना बना देगा। इस फल की सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें पानी काफी मात्रा में होता है, जो इसे एक आइडियल समर फ्रूट बना देता है। लीची खाने से हमारे शरीर को विटामिन सी, पोटेशियम और नेचुरल शुगर मिलता है। इसके साथ ही इस तपते हुए मौसम में लीची आपके शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करती है।

लीची में मैग्नेशियम, विटामिन, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस जैसे कई जरूरी तत्व पाए जाते हैं। ये आपके शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही कई बीमारियों से बचाते हैं। आईए जानते हैं लीची के ऐसे ही फायदे जिनसे आप अब तक अनजान होंगे।

यह वजन घटाने में मदद करती है 

इस लॉकडाउन में अधिकतर लोगों को वजन बढ़ने का भी डर सता रहा है। लीची में मौजूद घुलनशील फाइबर मोटापा कम करने का अचूक उपाय है। ये आपके पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाती है और साथ ही भूख लगने की क्षमता कम करती है जिससे आप ओवरइंटिंग से बच सकते हैं। इस फल से इम्यूनिटी पावर भी बढ़ाती है, जिससे वजन तो कम होता ही है, आप जल्दी-जल्दी रोगों से संक्रमित होने से बचे रहते हैं।

इम्युनिटी होती है मजबूत 

लीची आपकी इम्यूनिटी के लिए बहुत अच्छी है. इसे खाने से आप अपने शरीर की इम्यूनिटी पावर को बूस्ट दे सकते हैं। लीची में  बीटा कैरोटीन, नियासिन, राइबोफ्लेविन और फोलेट भरपूर होता है। यह सभी चीजें बॉडी के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मददगार होती हैं। लीची में पाए जाने वाले विटामिन और मिनरल्स हमारे सेहत के लिए अच्छे होते हैं। लीची के सेवन से हमारा इम्यून सिस्टम ठीक रहता है।

डिहाइड्रेशन से बचाव 

गर्मियों में अक्सर हमें डिहाइड्रेशन की परेशानी होती है। लीची में काफी मात्रा में पानी मौजूद होता है। ये आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होने देती है और डिहाईड्रेशन से बचाकर रखती है। लीची शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम भी करती है। इसलिए गर्मियों में सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि डिहाईड्रेशन की परेशानी से बचने के लिए भी इसे खाएं।

यह लिवर कैंसर से लड़ती है

लीची के सेवन से कैंसर के सेल्स नहीं बढ़ते हैं। इसके अलावा लीची में कैंसर की सेल्स से लड़ने के गुण होते है। इसलिए लीची खाने से कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों को लीची खानी चाहिए। वैज्ञानिक पत्रिका कैंसर लेटर्स के अनुसार, लीची फ्रूट पेरिकारप के अर्क में कैंसर-रोधी गुण होते हैं और यह लिवर कैंसर से बचाने में मदद कर सकता है।

लीची में विटामिन ई की मात्रा अधिक होती है

वैज्ञानिकों का कहना है कि लीची में बहुत सारा विटामिन ई होता है, जो सनबर्न को ठीक करने में मदद करता है। यह दर्द और जलन बढ़ाने वाले सनबर्न से मुकाबला करती है। जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहती है। लीची आपकी त्वचा को नई चमक दे सकती है। इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन सी होता है जो एंटिऑक्स‍िडेंट फाइटिंग की तरह काम करता है। इससे आपकी त्वचा पर दाने या मुंहासे नहीं होते।

एहतियात जरुरी है

लीची कभी भी खाली पेट खाने की गलती न करें। साथ ही इसे ज्यादा क्वांटिटी में न खाएं। 10-11 से ज्यादा लीची न खाएं। ज्यादा लीची से नकसीर और सर दर्द, शरीर में खुजली, जीभ तथा होठों पर सूजन और सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती हैं।

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बिहार की मशहूर ‘शाही लीची’ के नाम एक और उपलब्धि, मिलेगा GI टैग

उत्तरी बिहार की मशहूर शाही लीचीको नया मुकाम मिलने वाला है। जरदालू आम, कतरनी चावल, और मगही पान के बाद अब शाही लीचीको जिऑग्रफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग के रूप में पहचान मिलने वाली है। ज्ञात हो कि बिहार के जर्दालु आम, मगही पान और कतरनी धान को जीआइ टैग (ज्योग्रफिकल इंडिकेशन) मिल चुका है|

इस साल के 5 जून के जिऑग्रफिकल इंडिकेशन जर्नल में शाही लीची के बारे में विस्तार से बताया गया है।

जीआई जर्नल नंबर 107 में जिक्र
जीआई जर्नल के नंबर 107 में प्रकाशित चैप्टर में शाही लीची की विशेषताओं का जिक्र है। इसमें जीआई का नाम, विवरण, कृषि विधि के साथ-साथ उत्पादन और उत्पत्ति का प्रमाण शामिल है। जर्नल में कहा गया है, ‘यह लीची की एक खास प्रकार की प्रजाति है। राज्य के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय और बिहार के एग्रो क्लाइमेटिक जोन-1 के निकटवर्ती इलाकों में मुख्य रूप से इसकी खेती होती है। मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और उसके आस-पास के इलाकों में पैदा होनेवाली लीची काफी रसदार और शुगर ऐसिड सम्मिश्रण के साथ बेहतरीन खुशूबू वाली होती है।’

‘कैल्शियम की वजह से बेहतरीन लीची’
जर्नल में आगे कहा गया, ‘ऐसा कहा जाता है कि मिट्टी में कैल्शियम की उच्च मात्रा की वजह से यहां की लीची दूसरे इलाकों से बेहतर होती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि अगर मिट्टी में कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा न हो तो लीची का नया पौधा लगाते वक्त मिट्टी में चूना मिलाना चाहिए।’

3 लाख मीट्रिक टन पैदावार में 60% शाही लीची
बिहार के प्रमुख सचिव (कृषि) सुधीर कुमार ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिहार में लीची की अलग-अलग किस्मों की 3 लाख मीट्रिक टन पैदावार हुई थी। इनमें से 60 प्रतिशत हिस्सा शाही लीची का था।’

जीआई टैग मिलने में अभी तीन महीने का इंतजार करने का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, ‘मुजफ्फरपुर के लीची उत्पादक संघ ने बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, सबौर के सहयोग से यह पहल की है। गर्मी के इस फल की बढ़ती मांग के बीच शाही लीची के कृषि क्षेत्र और उत्पादन दोनों में इजाफे के बाद यह कदम उठाया गया है।’

अब बिहार के दावे को तीन महीने तक पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा| अगर किसी राज्य ने इस दौरान कोई आपत्ति नहीं जतायी तो शाही लीची पर केवल बिहार का एकाधिकार होगा| साल 2016 के अक्टूबर में बिहान द्वारा भागलपुर के कतरनी धान, जर्दालु आम और मगही पान समेत शाही लीची को जीआइ टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया था|

 

खुशखबरी: बिहार के मुजफ्फरपुर में शुरु हुआ लीची प्रोसेसिंग प्लांट

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक लीची प्रोसेसिंग प्लांट शुरू किया गया है। इसका उद्घाटन यूनियन एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने किया है। उन्होंने कहा कि लीची के उत्पादन के मामले में बिहार सबसे आगे है। 32 हेक्टेयर जमीन से करीब 3 लाख मीट्रिक टन लीची का उत्पादन किया गया है। देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार 40 फीसदी हिस्सेदारी रखता है। लीची की महत्ता को ध्यान में रखते हुए ही 6 जून 2001 को नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन लीची की शुरुआत की गई थी।

 

वह बोले केंद्र सरकार का मुख्य उद्देश्य लीची की अलग-अलग वैरायटी और इसके उत्पादन के लिए अच्छी तकनीक विकसित करना है, जिससे कि लीची के उत्पादन को और अधिक बढ़ाया जा सके। उन्होंने कहा कि भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर और नेशनल रिसर्च सेंटर के साइंटिस्ट लीची को ट्रीट करने और 60 दिनों तक कम तापमान पर संरक्षित करने में सफलता प्राप्त कर चुके हैं।

उन्होंने कहा कि लीची के उत्पादन में मुजफ्फरपुर जिले का योगदान काफी अच्छा है, लेकिन यहां लीची की प्रोडक्टिविटी बढ़ाने की जरूरत है, जो मौजूदा समय में 8 टन है। ‘मेरा गांव-मेरा गौरव’ प्रोग्राम के जरिए साइंटिस्ट सफलतापूर्वक नई तकनीकों को छोटे गांवों में पहुंचा रहे हैं। सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी लीची का उत्पादन किया जा सकता है। इसलिए इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा देने की जरूरत है।

 

कृषि उत्पादन बढ़ाने में राज्य सरकार करेगी मदद : सूबे के कृषि मंत्री रामविचार राय ने लीची उत्पादन, फल- सब्जी विकास पर बल देते हुए कहा कि वर्तमान परिपेक्ष्य में जोत की जमीन घट रही है और आबादी बढ़ रही है। अगर उत्पादन को नहीं बढ़ाया गया तो स्थिति भयावह हो जाएगी। इसलिए ऐसी तकनीक अपनाई जाए कि कम जमीन में ही अधिक उत्पादन लिया जा सके। इसके लिए राज्य सरकार किसानों को हरसंभव मदद देने को तैयार है, ताकि कृषि उत्पादकता को बढ़ाई जा सके। इसके बाद ही किसानों की माली हालत में सुधार आ सकता है।

 

लीची को बीमा के दायरे में लाने की मांग : बोचहां विधायक बेबी कुमारी ने केंद्रीय कृषि मंत्री से लीची फसल को बीमा की श्रेणी में रखने की मांग की।

 

कार्यक्रम को इन्होंने भी संबोधित किया : कुढ़नी विधायक केदार प्रसाद गुप्ता, पूर्व विधायक सह जिला भाजपा अध्यक्ष रामसुरत राय, कुलपति राजेंद्र कृषि केंद्रीय विवि, अभय कुमार परमाणु ऊर्जा विभाग, डॉ. शेखर बसु अध्यक्ष बार्क, डॉ. आनंद कुमार सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आगत अतिथियों का स्वागत बार्क के निदेशक चट्टोपाध्याय एवं केंद्र निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने किया। मंच का संचालन प्रगतिशील किसान नीरज नयन ने किया ।

 

मंत्रीजी का इन मुद्दों पर रहा विशेष फोकस

 

-: स्वॉयल हेल्थ कार्ड

 

:14 करोड़ किसान को मिलना था

 

:अब तक 2 करोड़ 53 लाख ही बना

 

:इसके लिए हैंड डिवाइस लैब का निर्माण

 

:गुड़ प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण

 

:इंट्रीग्रेटेड फॉर्म

 

:वैज्ञानिकों द्वारा बागों को गोद लेना

 

:उक्त बागों पर विशेष ध्यान देना

 

: बार्क से दस वैज्ञानिक आए

 

: एनआरसी से केंद्र निदेशक डॉ. विशालनाथ, डॉ. एसडी पांडेय, डॉ. एसके पूर्वे, डॉ. अमरेंद्र कुमार, डॉ. स्वाति शर्मा, डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ. आलेम वती एवं डा. इवनिंग स्टोन मौजूद रहे।

मुजफ्फरपुर के प्रसिद्ध शाही लीची खाने के ये 7 फायदे आपको हैरत में डाल देंगे

बिहार की राजधानी तो पटना है लेकिन शायद आपको मालूम नहीं होगा कि लीची के कारण मुजफ्फरपुर राज्य की अघोषित राजधानी है। मुजफ्फरपुर बिहार ही नहीं पूरे विश्व में लीची को लेकर मशहूर है। यहां की लीची देश-दुनिया के लगभग सभी भागों में जाती है। और गर्मी के महीनों में लोगों के खास पसंदीदा फल में लीची सबसे प्रचलित है। जिसे हर राज्य के लोग बड़े चाव से खाते हैं। मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ-साथ अन्य वीआईपी लोगों को भी जिला प्रशासन के द्वारा गिफ्ट के रूप में भेजी जाती है।

 

लीची गर्मियों का एक प्रमुख फल है. स्वाद में मीठा और रसीला होने के साथ ही ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. लीची में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन सी, विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसमें पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और आयरन जैसे मिनरल्स भी पाए जाते हैं.

रोजाना लीची खाने से चेहरे पर निखार आता है और बढ़ती उम्र के लक्षण कम नजर आते हैं. इसके अलावा ये शारीरिक विकास को भी प्रोत्साहित करने का काम करता है. हालांकि लीची खाते समय ध्यान रखें कि इसे बहुत अधिक मात्रा में खाना नुकसानदेह हो सकता है. बहुत अधिक लीची खाने से खुजली, सूजन और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है.

लीची खाने के फायदे:

1. बीटा कैरोटीन और ओलीगोनोल से भरपूर लीची दिल को स्वस्थ रखने में मददगार है.

2. लीची कैंसर कोशि‍काओं को बढ़ने से रोकने में मददगार है.

3. अगर आपको ठंड लग गई है तो लीची के सेवन तुरंत फायदा मिलेगा.

4. अस्‍थमा से बचाव के लिए भी लीची का इस्तेमाल किया जाता है.

5. लीची का इस्तेमाल कब्ज से राहत के लिए भी किया जाता है.

6. मोटापा घटाने के लिए भी लीची का इस्तेमाल करना फायदेमंद है. इसके साथ ही ये इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करने का काम करती है.

7. सेक्स लाइफ को स्मूद बनाने के लिए भी लीची खाना फायदेमंद रहेगा.

प्रधानमंत्री मोदी जी को भी पसंद है बिहार के मुजफ्फरपुर का प्रसिद्ध शाही लीची

अभी लीची का मौसम है।  शायद ही कोई हो जो एक बार भी लीची खाया हो और उसका फैन न बना हो और वह भी बिहार के मुजफ्फरपुर का शाही लीची।

 मुजफ्फरपुर का शाही लीची

मुजफ्फरपुर का शाही लीची

बिहार का मुजफ्फरपुर पूरी दुनिया में लीची के शहर के नाम से ही प्रसिद्ध है। यहां की लीची देश-दुनिया के लगभग सभी भागों में जाती है। और गर्मी के महीनों में लोगों के खास पसंदीदा फल में लीची सबसे प्रचलित है। जिसे हर राज्य के लोग बड़े चाव से खाते हैं।

जिसने भी इसको चखा है वह इसका फैन हो गया। उस फैन में से एक नाम अपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का भी है।

प्रधानमंत्री जी को भी लीची पसंद है।  पिछली बार चुनाव प्रचार में जब मोदी जी मुजफ्फरपुर रुके थे तो मुजफ्फरपुर के लीची का जमकर तारिफ किया था।

 

लीची के लिए प्रसिद्ध मुजफ्फरपुर जिला प्रशासन इस वर्ष भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ देश और राज्य के मंत्री, सांसद सहित कई गणमान्य लोगों को लीची पहुंचाने में जुटा हुआ है.

शाही लीची के 600 पैकेट दिल्ली भेजे जाएंगे। प्रत्येक पैकेट में 50 किलोग्राम लीची होगी। मुजफ्फरपुर के कृषि पदाधिकारियों को शाही लीची के 600 पैकेट तैयार करने के निर्देश दिया गया है।

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आपको पता होगा कि कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत से ज्यादा है। बिहार में कुल 30,600 हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती की जाती है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2009-10 में राज्य में कुल 2.15 लाख टन लीची का उत्पादन हुआ था, जबकि पिछले वर्ष राज्य में दो लाख टन लीची का उत्पादन हुआ था।