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देश में भगवान बुद्ध की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा का बिहार के राजगीर में हुआ अनावरण

बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर अपने एतिहासिक कारण और खूबसूरती के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है|  राजगीर की खूबसूरती और इसकी उपलब्धि में अब एक और अध्याय जुड़ गया है|

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राजगीर महोत्सव का उद्घाटन करने से पहले घोडाकटोरा स्थित भगवान बुद्ध की 70 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। यह देश में भगवान बुद्ध की दूसरी सबसे ऊंची प्रतिमा है।

इस अवसर पर आयोजित धार्मिक अनुष्ठान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पहुंचे। मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से धार्मिक प्रक्रियाएं पूरी की।

सारनाथ में स्थापित प्रतिमा की प्रतिकृति

भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा सारनाथ में स्थापित प्रतिमा की प्रतिकृति है। घोड़ा कटोरा में बुद्ध की प्रतिमा की स्थापना का महत्व इसलिए भी अधिक है कि इसके ठीक पीछे गिरियक की तरफ घोड़ा कटोरा पहाड़ी पर बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य सारिपुत्र की अस्थियां स्तूप में दफन हैं। स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था। बुद्ध सारिपुत्र को अपने समानांतर मानते थे। सारिपुत्र ने बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में बड़ी भूमिका निभाई थी।

राजगीर महोत्सव का किया उद्घाटन 

प्रतिमा अनावरण के बाद मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में तीन दिवसीय राजगीर महोत्सव का शुभारम्भ किया|  उन्होंने कहा कि राजगीर में पांच धर्म के महान लोगों को प्रेरणा मिली. राजगीर महोत्सव का आयोजन भी शांति, प्रेम, भाईचारा, सद्भाव, अहिंसा और समाज सुधार का संदेश देने के लिए किया गया है|

इस अवसर पर मुख्‍यमंत्री ने कहा, राजगीर पौराणिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक जगह है। इसी को ध्यान में रखकर यहां का विकास किया जा रहा है।  राजगीर के साइक्लोपीयन वॉल का अध्ययन कराया जा रहा है। रिपोर्ट प्राप्त होते ही केंद्र सरकार से बात कर इसे प्राचीन नालंदा विवि के भग्नावशेषों की तरह विश्व धरोहर का दर्जा दिलाया जाएगा।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि बख्तियारपुर में ही रहकर बख्तियार खिलजी ने नालंदा विवि को नष्ट किया था। मैं भी उसी बख्तियारपुर में पैदा हुआ और नालंदा विवि की पुनर्स्थापना करा दी। कहा, हम हर चीज़ को तार्किक परिणति तक पहुंचा रहे हैं। 

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खुशखबरी: राजगीर की तर्ज पर 12 और रोपवे का निर्माण करेेगी सरकार

बिहार में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और पहारी क्षेत्र में स्थित अनेक शक्तिपीठों के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने विशेष योजना तैयार की है| इस योजना के तहत राजगीर की तर्ज पर पहाड़ी क्षेत्र के सुदूरवर्ती शक्तिपीठों में पर्यटन विभाग एक दर्जन रोपवे का निर्माण करेगा। इन रोपवे का निर्माण कर दुर्गम पहाड़ियों तक सैलानियों को लाने ले जाने का काम पर्यटन विभाग करेगा।

इस बात की घोषणा बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने मीडिया को दी| उन्होंने कहा कि पीएम मोदी द्वारा घोषणा किये गये बिहार पैकेज के एक लाख 65 हजार करोड़ में से 500 करोड़ रुपये पर्यटन विभाग को मिला है जिससे रोपवे सहित विभिन्न सर्किटों के विकास का काम किया जा रहा है|

मंत्री ने कहा कि पर्यावरण विभाग से एनओसी लेने की प्रक्रिया चल रही है,जिसके बाद रोपवे का काम तेजी से शुरू होगा, जिसमें मंदार पर्वत के अलावा राजगीर में भी एक और रोपवे का निर्माण होगा|

इसके साथ पर्यटन मंत्री ने कहा कि रामायण, बुद्ध, कांवरिया ,गांधी, गुरुगोविन्द सिंह सहित सूफी सर्किट के विकास के लिए काम किया जा रहा है लेकिन संबंधित जिले से डीएम द्वारा भेजे जाने वाले प्रस्ताव में देरी करने से थोड़ी बाधा आ रही है| र्यटन विभाग द्वारा संचालित मुजफ्फरपुर के लिच्छवी बिहार होटल का निरीक्षण करने के बाद मंत्री ने कहा कि सूबे में पीपी मोड में नये होटलों का निर्माण तेजी से किया जाएगा और साथ ही पर्यटकों को अच्छी सुविधा देने के लिए सभी पुराने होटलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा|

अपनी खोयी अस्मिता को पुनः प्राप्त करेगा नालंदा विश्वविद्यालय,दुनिया को देगा नया विजन

​नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति डॉ विजय पांडुरंग भटकर ने इस विश्वविद्यालय को लेकर अपनी सोच का जिक्र करते हुए कहा कि हम इसे एक ऐसी संस्था बनाना चाहते हैं जो छात्रों को केवल विश्वविद्यालय की डिग्री पाने में नहीं बल्कि समाज और समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय दुनिया को नया विजन देगा और नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय फिर से विज्ञान और अध्यात्म का अनूठा संगम कहलायेगा।

नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में गैर आवासीय भवनों का शिलान्यास करते हुए भटकर ने कहा, हम इसे एक ऐसी संस्था बनाना चाहते हैं जो छात्रों को केवल विश्वविद्यालय की डिग्री पाने में नहीं बल्कि अपने समाज और समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रेरित करे।
भारत के सूपरकम्प्युटर का जनक माने जाने वाले तकनीकी विशेषग्य भटकर को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गत 25 जनवरी को नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया था।
इस अवसर पर नालंदा के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन, पुलिस अधीक्षक कुमार आशीष सहित विश्वविद्यालय के कई शिक्षाविद और कर्मचारी मौजूद थे।
विश्वविद्यालय के गैर आवासीय भवनों में एकेडमिक ब्लॉक, पुस्तकालय, प्रशासन ब्लॉक, व्याख्यान कक्ष और सभागार शामिल हैं जिसे एक वर्ष के भीतर पूरा किया जाना है।
आवासीय भवनों में पुरुषों और महिलाओं के लिए छात्रावास, शिक्षकों के आवास के साथ डाईनिंग हॉल आदि भी शामिल हैं। सभी इमारतें पूरे परिसर में फैले पानी के नेटवर्क के साथ जुड़ी होंगी। परिसर के बीच एक तालाब होगा जिसको कमल सागर के नाम से जाना जायेगा।
यह परिसर नेट शून्य होगा अर्थात परिसर उर्जा पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के लिए आत्मनिर्भर होगा।

बिहार के विकास में सहयोग और निवेश करेगा जापान !

पटना| महामहिम राज्यपाल राम नाथ कोविन्द से कल (गुरूवार) कॉन्सुल जेनरल ऑफ जापान इन कोलकाता माशायूकी तागा ने राजभवन पहुँचकर शिष्टाचार मुलाकात की। राज्यपाल से मुलाकात के दौरान श्री तागा ने कहा कि भारत और जापान के बीच अत्यन्त सौहार्दपूर्ण सम्बन्ध रहे हैं और दोनों देशों की जनता के बीच भी बराबर सांस्कृतिक विचारों के आदान-प्रदान होते रहते हैं।

जापान के कॉन्सुल जेनरल श्री तागा ने राज्यपाल श्री कोविन्द को बताया कि जापान भारत के पूर्वी राज्यों-खासकर बिहार, पश्चिम बंगाल एवं उड़ीसा आदि राज्यों के आर्थिक विकास में सहयोग को उत्सुक है। उन्होंने बताया कि जापान इन राज्यों में आर्थिक निवेश के लिए इच्छुक है और इस दिशा में सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। श्री तागा ने बताया कि बिहार के बोधगया, राजगीर, नालन्दा, पावापुरी आदि पर्यटकीय स्थलों में जापानी पर्यटकों की गहरी अभिरूचि है।

 

राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने भारत के पूर्वी राज्यों में जापान की आर्थिक निवेश की उत्सुकता की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि बिहार के पर्यटकीय विकास में जापान सहयोग कर सकता है. राज्यपाल ने कॉन्सुल जनरल को बताया कि भगवान बुद्ध से जुड़े विभिन्न धार्मिक स्थल बिहार में मौजूद हैं, जिनके विकास के लिए ‘बौद्ध सर्किट’ की स्थापना की गयी है.
इन सभी पर्यटन स्थलों के सम्यक विकास के लिए चरणबद्ध प्रयास किये जा रहे हैं. राज्यपाल ने राजगीर के विश्व शांति स्तूप का उल्लेख करते हुए कहा कि फ्यूजी गुरुजी जैसे जापानी धार्मिक महात्मा के नेतृत्व में बना यह मंदिर बिहार का गौरव है. राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि जापान बिहार के विकास में अपेक्षा के अनुरूप सहयोग करेगा.

बिहार के इस गुफा में दफ़न है कई राजाओं का खजाना, खजाने के लिए अंग्रेजों ने बरसाए थे गोले

पयर्टन के लिए देश में अपना अहम स्थान रखने वाला राजगीर में एक ऐसा गुफा है जिसके बारे में इतिहासकारों का मानना है की यहां कई राजाओं का खजाना दफ़न है।
जरासंध राजाओं का खजाना लूटकर इसी पहाड़ी में रखा था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह सोन का भंडार मौर्य शासक बिंबिसार का था।  भगवान कृष्ण से जुड़ी एक जगह बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में भी है। कृष्ण के मामा के ससुर जरासंध ने खजाना छुपाने के लिए बनाई थी गुफा…

राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छुपाने के लिए गुफा बनाई थी। जिस कारण इस गुफा का नाम पड़ा था सोन भंडार। इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि सोने को रखने के लिए इस गुफा को बनवाया गया था। पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाए गए थे। गुफा के पहले कमरे में जहां सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी। वहीं, दूसरे कमरे में खजाना छुपा था। दूसरे कमरे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढंका गया है। जिसे आजतक कोई नहीं खोल पाया।

अंग्रेजों ने किया था तोप से उड़ाने का प्रयास, हुए थे नाकाम
अंग्रेजों ने इस गुफा को तोप के गोले से उड़ाने की कोशिश की थी, लेकिन वे इसमें नाकामयाब रहे थे, आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं। अंग्रेजों ने इस गुफा में छुपे खजाने को पाने के लिए यह कोशिश की थी, लेकिन वह जब नाकाम हुए तो वापस लौट गए।

अंदर जाते ही 10 मीटर लंबा चट्टान का कमरा मौजूद है यहां पर
सोन भंडार गुफा में अंदर प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है। इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे के दूसरी ओर खजाने का कमरा है। जो कि एक बड़ी चट्टान से ढंका हुआ है।

शंख लिपि में लिखा है खजाने का कमरा खोलने का रहस्य
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है।

जैन धर्म के भी हैं अवशेष
इस जगह पर जैन धर्म के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। यहां पर दूसरी ओर बनी गुफा में 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे थे।