पान बेचने वाले की बेटी बनी कराटे की नेशनल चैंपियन।

बिहार के चंपारण जिले के एक बेटी अनुप्रिया ने फिर एक बार साबित किया कि प्रतिभा किसी दायरे में सीमित नहीं रह सकती

बगहा की 11 साल की एक बेटी अनुप्रिया ने राष्ट्रीय स्तर की कराटे प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। उसने नागपुर में संपन्न 33वीं अखिल भारतीय रिपब्लिक कप कराटे प्रतियोगिता में बिहार का प्रतिनिधित्व करते हुए पहला स्थान प्राप्त किया है।

अनुप्रिया ने अंडर-12 स्तर की प्रतियोगिता में सफलता हासिल की है। उसके पिता बालाजी जायसवाल बगहा में स्टेट बैंक चौराहे पर पान की दुकान चलाते हैं। मां कुसुम देवी हाउसवाइफ हैं।

अनुप्रिया अपने माता पिता के साथ

 अनुप्रिया ने बताया की उसका सपना बड़ी होकर कराटे में महारत हासिल कर ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने का है। और वो इस सफलता का श्रेय अपने प्रशिक्षक अर्जुन मलहोत्रा और शिक्षक एसएन तिवारी को देती है।

रियो ओलंपिक में देश की बेटी साक्षी ने भारत को दिलाया पहला पदक

sakshi_medal-18-08-2016-1471471726_storyimageरियो ओलंपिक में भारत का पदक का सूखा खत्म हो गया।भारतीय पहलवान साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक में कांस्य पदक हासिल कर इतिहास रच दिया है.

उन्होंने महिलाओं की फ्रीस्टाइल कुश्ती के 58 किलोग्राम भारवर्ग में भारत के लिए पदक जीता. ये रियो ओलंपिक में भारत का पहला पदक है.

 

साक्षी ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने वाली पहली महिला पहलवान बन गई हैं.

उन्होंने कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में किर्गिस्तान की ताइनिवेकोवा आइसिलु को 8-5  से  हराया।

पहले राउंड में विरोधी पहलवान साक्षी पर भारी पड़ी और वो 0-5 से पिछड़ गई। लेकिन दूसरे राउंड में साक्षी ने शानदार वापसी करते हुए किर्गिस पहलवान को चारों खाने चित कर दिया। निर्णायक स्कोर टेइक्निकल प्वॉइंट्स 8-5 और क्लास प्वॉइंट्स 3-1 रहा।

sakshi_malik

साक्षी ने साढ़े सात घंटे के अंदर पांच फाइट पूरी की। कुछ इस तरह से ही योगेश्वर दत्त ने लंदन ओलंपिक में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था।

 

ओलंपिक में भारत के लिए साक्षी से पहले कभी किसी महिला पहलवान ने पदक नहीं जीता था.

साक्षी के पहले भारत की ओर से ओलंपिक में सिर्फ तीन महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी, मैरी कॉम और साइना नेहवाल ही पदक जीत सकी थीं.