Lipi Singh, Election Commission, Bihar Election

चुनाव आयोग के निष्पक्षता पर सवाल, ईवीएम में राजद के “लालटेन” के आगे बटन ही नहीं

बिहार विधानसभा के पहले चरण में हुए उम्मीद से अच्छे वोटिंग होने से चुनाव आयोग गदगद है| मगर राज्य में आचारसंहिता लागू होने के बाद जो कुछ घटना घटी है, उसके कारण चुनाव आयोग पर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं|

बिहार विधानसभा चुनाव में मुंगेर सदर विधानसभा सीट के एक बूथ के ईवीएम में राजद उम्मीदवार के चुनाव चिह्न लालटेन के आगे बटन ही गायब था। लोगों ने जब इसकी शिकायत की तो 3 घंटे 13 मिनट बाद ही ईवीएम को बदला जा सका। हैरानी वाली बात है कि इसके शिकायत के बावजदू भी मशीन बदले जाने तक मतदान नहीं रोका गया। ऐसे में शुरुआती तीन घंटे तक राजद उम्मीदवार के खाते में एक भी वोट नहीं गए।

इस पूरे मामले में राजद उम्मीदवार अविनाश कुमार विद्यार्थी के चुनाव प्रभारी शिशिर कुमार लालू ने एकतरफा वोटिंग कराए जाने का आरोप लगाया।

मुंगेर गोलीकांड पर भी चुनाव आयोग पर सवाल

बिहार की राजधानी पटना से लगभग 200 किलोमीटर दूर मुंगेर में बीते सोमवार की रात शहर के दीन दयाल चौक के समीप दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान निहत्थे श्रद्धालुओं पर पुलिस की तरफ़ से कथित तौर पर गोलियां चलाई गईं और उन्हें लाठियों से पीटा गया|

सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं जिन्हें मुंगेर की घटना से जुड़ा बताया जा रहा है| इन वीडियो में पुलिसकर्मी हाथों में हथियार लहराते दिखते हैं, फायरिंग की आवाजें सुनाई देती हैं, भगदड़ मचती है, प्रतिमा को पकड़ कर बैठे लोगों पर भी पुलिस लाठियां बरसाती दिखती है|

आचारसंहिता लागू होने के बाद लॉ एंड आर्डर चुनाव आयोग के अंदर आ जाता है, मगर इस घटना के बाद चुनाव आयोग ने तीन दिन बाद करवाई की है, वह भी जनता के सड़क पर उतरने के बाद| लोगों का आरोप है कि चुनाव आयोग जदयू के नेता के इशारे पर काम कर रही है|

कोविड-19 के दिशानिर्देश का नहीं हुआ पालन

बिहार की सभी विपक्षी पार्टी कविड-19 के कारण चुनाव को टालने की अपील कर रही थी| बीजेपी ने भी कभी चुनाव टालने पर अपनी आपत्ति नहीं जताई मगर सिर्फ जदयू ने इसका विरोध किया और चुनाव समय पर करने की मांग की थी| आयोग ने समय पर चुनाव कराने का घोषणा तो किया था मगर कोरोना को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष दिशानिर्देश भी जारी किये थे|

मगर चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के रैलियों में उन दिशानिर्देशों की जमकर उलंघन किया और आयोग घामोसी से देखती रही|

international yoga day, yoga day, yoga city , munger, bihar school of yoga,

Yoga Day: 57 साल से विश्व में योग की अलख जगा रहा मुंगेर का योग विद्यालय

दुनियाभर में कोरोना वायरस संकट के बीच आज आंतरारष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। 21 जून को 6वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर को लेकर लोग काफी उत्साहित है। कुछ ऐसा ही हाल बिहार का है। प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में योग की समृद्ध परंपरा रही है। बिहार के मुंगेर जिले को ‘योग नगरी’ के नाम से जाना जाता है। यहां स्थित है दुनिया का पहला योग विद्यालय ‘बिहार स्कूल ऑफ योगा’। योग को आगे बढ़ाने में ‘बिहार स्कूल ऑफ़ योगा’ का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है। ‘बिहार स्कूल ऑफ़ योगा’ की स्थापना स्वामी सत्यानंद ने सन् 1964 में मुंगेर के गंगा नदी के तट पर की थी। ‘बिहार स्कूल ऑफ योगा’ को दुनिया का पहला योग विद्यालय माना जाता है। आज यहां पूरी दुनिया के लोग बिना किसी भेदभाव के योग सीखते हैं।

स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग सिखाने के लिए 300 से ज्यादा पुस्तकें लिखीं, जिसमें योग के सिद्धांत कम और प्रयोग ज्यादा हैं। वर्ष 2010 में सत्यानंद स्वामी के निधन के बाद इस स्कूल की जिम्मेदारी स्वामी निरंजनानंद के कंधों पर आ गई। बिहार स्कूल ऑफ योग के शिक्षक दीपक ब्यास कहते हैं, “यह स्कूल केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है, यह देश के विभिन्न कॉलेजों, जेलों, अस्पतालों और अन्य कई संस्थाओं में लोगों को योग का प्रशिक्षण देता है।  आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित 14,000 शिष्य और 1,200 से अधिक योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।”

पतंजलि और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान को समन्वय कर आज योग की व्यावहारिक शिक्षा दे रहा है। बिहार स्कूल ऑफ़ योगा की स्थापना के समय स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था कि योग भविष्य की संस्कृति बनेगी। उनकी कही यह बातें आज सच हो रही हैं।

The Cultural Heritage of India: The Great Bihar School of Yoga at ...

आश्रम के नियम

आश्रम में प्रतिदिन सुबह चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित नियमित कार्यक्रम के अनुसार कक्षाएं शुरू होती हैं। शाम 6:30 बजे कीर्तन के बाद 7:30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है। रात आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है। यहां खास-खास दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव महिमा स्त्रोत, सौंदर्य लहरी, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने का भी नियम है। बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) के दिन हर साल स्कूल का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, नवरात्र, शिव जन्मोत्सव व स्वामी सत्यानंद संन्यास दिवस पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

योगा एट होम विद फैमिली

योग का अभ्यास शारीरिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी इंसान को मजबूत बनाता है। कोविड-19 वैश्विक महामारी से बचाव के दृष्टिगत सरकार की ओर से छठे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन ‘योगा एट होम विद फैमिली’ की थीम पर ऑनलाइन किया जा रहा है। इस वक्त लोग वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में बचाव और रोकथाम के लिए दुनियाभर में इस महामारी से रोकथाम के लिए स्वास्थ्य संगठन और चिकित्सक लोगों को अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति को मजबूत करने और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए योग जैसे पौराणिक व्यायाम करने का सुझाव दे रहे हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने योग दिवस पर देशवासियों को बधाई दी है। कई केंद्रीय मंत्री और नेताओं समेत अन्य लोग अपने घरों पर योगाभ्यास करते नजर आए। वहीं, देश की सीमाओं पर जवानों ने भी योगाभ्यास किया।

योग दिवस : बिहार के पावन भूमी से ही पूरी दुनिया में योग का विस्तार हुआ

पटना: 21 जून विश्व योग दिवस है।  पूरी दुनिया आज योग के रंग में रंगा है।  योग भारत की पहचान है मगर क्या आपको पता है बिहार के पावन धरती से ही विश्व भर में योग का प्रसार हुआ।  बिहार में ही विश्व का पहला अंतराष्ट्रीय योग स्कूल है।  

 

बिहार के मुंगेर में स्थित ‘गंगा दर्शन’ योगाश्रम ने योग को विश्व पटल पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इसके माध्यम से स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचा दिया। उन्होंने बिहार में जिस योग क्रांति का सूत्रपात किया, उसका प्रभाव आज पूरी दुनिया पर दिख रहा है।

 

ज्ञान की इस रोशनी के बल पर यह संस्थान योग के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान कर रहा है। अपने परम गुरु परमहंस स्वामी शिवानंद की स्मृति में अखंड दीप प्रज्वलित कर वर्ष 1964 में वसंत पंचमी के दिन इसकी शुरूआत की थी।

21 जून को विश्व योग दिवस के अवसर पर भी यहां विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

 

गुरु व संन्यासी का मिलन स्थल ‘गंगा दर्शन’
गंगा दर्शन आश्रम कोई मठ-मंदिर नहीं, बल्कि यह गुरु व संन्यासी का वह मिलन स्थल है, जहां नि:स्वार्थ सेवा व सकारात्मक प्रवृत्ति का विकास किया जाता है।

स्वामी सत्यानंद ने गंगा तट पर डाली नींव
मुंगेर में गंगा तट पर स्थित एक पहाड़ी पर असामाजिक तत्वों का अड्डा था। यहां लोग दिन में भी जाने से डरते थे। यहां के ऐतिहासिक कर्णचौरा व प्राचीन जर्जर भवन पर शासन-प्रशासन की नजर नहीं थी। इस उपेक्षित स्थल पर वर्ष 1963-64 में स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने अपने गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से ‘शिवानंद योगाश्रम’ की स्थापना की।
योग की यह हल्की किरण 1983 में ‘गंगा दर्शन’ की स्थापना तक वैश्विक विस्तार पा चुकी थी। इसी गंगा दर्शन में वह योगाश्रम स्थित है, जिसे 20वीं सदी में एक बार फिर भारत में योग क्रांति का सूत्रधार बनने का गौरव प्राप्त है। इसका आध्यात्मिक प्रकाश आज भारत सहित विश्व के 40 से अधिक देशों में फैल रहा है।

 

गंगा दर्शन वर्तमान में योग शिक्षा का एक आधुनिक गुरुकुल है। यहां एक महीने के प्रमाण पत्र से लेकर डॉक्टरेट तक के योग पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।

 

साधकों व श्रद्धालुओं के लिए सख्त नियम
आश्रम में आने वाले साधकों व श्रद्धालुओं को यहां के सख्त नियमों का पालन करना पड़ता है। आश्रम में प्रतिदिन प्रात: चार बजे उठकर व्यक्तिगत साधना करनी पड़ती है। इसके बाद निर्धारित रूटीन के अनुसार कक्षाएं आरंभ होती हैं। सायं 6.30 में कीर्तन के बाद 7.30 बजे अपने कमरे में व्यक्तिगत साधना का समय निर्धारित है। रात्रि आठ बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है।

 

यहां खास-खास दिन महामृत्युंजय मंत्र, शिव महिमा स्तोत्र, सौंदर्य लहरी, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ करने का नियम है। वसंत पंचमी के दिन हर साल आश्रम का स्थापना दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा, नवरात्र, शिव जन्मोत्सव व स्वामी सत्यानंद संन्यास दिवस पर भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

 

फ्रांस की शिक्षा पद्धति में शामिल है सत्यानंद योग
आज इस विशिष्ट योग शिक्षा केंद्र से प्रशिक्षित करीब 15 से 20 हजार शिष्य व करीब 13 से 15 सौ योग शिक्षक देश-विदेश में योग ज्ञान का प्रसार कर रहे हैं।
यही नहीं आज फ्रांस की शिक्षा पद्धति में भी मुंगेर योग संस्थान के संस्थापक सत्यानंद के योग की पढ़ाई हो रही है। स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग रिसर्च सेंटर की स्थापना कर जिसकी अनुशंसा की थी और योग को आम लोगों तक पहुंचा कर विश्व में योग क्रांति का जो सूत्रपात किया था उसी का परिणाम है कि आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग स्थापित हुआ है।

 

विश्व योग सम्मेलन का आयोजन
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने 1973 में मुंगेर में प्रथम विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से देश व दुनिया का ध्यान योग की ओर केंद्रित किया था। 20 वर्षों बाद फिर 1993 में बिहार योग विद्यालय की स्वर्ण जयंती के अवसर पर द्वितीय विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया गया। पुनः स्वामी निरंजनानंद सरस्वती ने 2013 में मुंगेर में विश्व योग सम्मेलन के माध्यम से दुनिया में योग को स्थापित किया। आज भी यह परंपरा निर्बाध गति से चल रही है। देश- विदेश से लोग यहां योग की शिक्षा लेने आ रहे हैं।

 

 


योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए आश्रम की व्यापक सराहना होती रही है। इससे प्रभावित होने वालों में शामिल न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई तो केवल उदाहरण मात्र हैं।

 

राजनीतिज्ञों के अलावा योग गुरु बाबा रामदेव भी योगाश्रम से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे। उन्होंने आश्रम के प्रमुख स्वामी निरंजनानंद सरस्वती को खुद से अधिक ज्ञानी बताते हुए कहा था कि 21वीं सदी योगज्ञान की होगी और भारत इसका मार्गदर्शक होगा।
बाबा रामदेव ने कहा कि स्वामी सत्यानंद महाराज ने योग का जो अलख जगाया, उसे ही वह घर-घर तक पहुंचने में लगे हैं। योग को वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ दुनिया में स्थापित करने वाले स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने कहा था कि योग विद्या भारत की सबसे प्राचीन संस्कृति एवं जीवन पद्धति है, इसी विद्या के बल पर मनुष्य सुखी, समृद्धि एवं स्वास्थ्य जीवन बिता सकते हैं। इसलिए हर व्यक्ति को योग करना चाहिए।
परमहंस मेंहीं दास ने भी योगाश्रम की सराहना की थी।

 

खुद कर सकते योग।
योगाश्रम ने लोगों से अपील की है कि सुबह छह बजे से एक घंटे के लिए अपने घर या सामुदायिक केंद्र की छत, बरामदे, आंगन या अन्य खुली जगह पर आसन और प्राणायाम करें। योगाश्रम के संदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना किसी योग शिक्षक के भी इसे कर सकता है। सबसे पहले दो बार ‘ओम’ मंत्र का उच्चारण कर इसकी शुरूआत करें और अंत पांच चक्र ‘सूर्य नमस्कार’ से होगा।

 

आज पूरी दुनिया जिस योग का कायल है,  भारत जिस योग पर गर्व करता है, उस योग का सबसे बडा केंद्र बिहार है।  बिहार क्रांतिओं का भूमी रहा है।  अनेक क्रांतिओं के साथ योग क्रांति भी बिहार के इसी पावन भूमी से शुरू हुआ था।  बिहार की भूमी महान है।