MS dhoni, Bihar

पल दो पल का शायर हूं मैं, पल दो पल मेरी कहानी है- अलविदा- ए- धौनी

स्वतंत्रता दिवस की शाम थी, जब पूरा देश आजादी दिवस मना रहा था तभी 7:29 मिनट पर करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को एक झटका सा लगा। जी हां यह वो वक़्त था जब माही अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे। इंस्टाग्राम के रील वीडियो के जरिए उन्होंने दुनिया को बताया कि अब वह नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे। करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को यह समझ नहीं आ रहा था इस न्यूज पर खुश हो या उदास। सोशल मीडिया मिश्रित भावनाओं से सराबोर था। एक तरफ उनके करोड़ों फैन्स उनके बेहतरीन क्रिकेट यात्रा को सेलिब्रट कर रहे थे तो एक तरफ सभी की आंखे भी नम थी कि धौनी अब कभी भी नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे।

जब भी गेम आखिरी ओवर में फसेगा तब कोई नहीं होगा तस्सली के लिए कि माही है ना। कई लोगों के लिए क्रिकेट का महत्व तभी तक था जब तक महेंद्र सिंह धौनी क्रिकेट में थे।

माही के अलविदा कहते ही सोशल मीडिया पर#dhoniretires ट्रेंड करने लगा। फिल्म जगत से लेकर राजनीति जगत तक उनके कारनामों को याद किया और यह पल सबसे ज्यादा भावुक था खेल जगत के लिए जहां भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भावुक होते यह लिखा कि दुनिया ने कारनामे देखे है लेकिन उन्होंने इंसान देखा है। धौनी का व्यक्तिव शब्दों से परे है, वह एक बेहतरीन बल्लेबाज, सर्वश्रेष्ठ कप्तान, सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपर के साथ साथ धैर्य एवम् शालीनता के भी प्रतीक हैं। धोनी सिर्फ क्रिकेट जगत के लिए ही प्रेरणादायक नहीं है। धोनी का व्यक्तिव एक बेहतर जीवन जीने में भी सहायक है। उन्होंने अपने स्वभाव से दुनिया को धैर्य और शालीनता का पाठ पढ़ाया। उनके शांत स्वभाव के मुरीद पूरा विश्व है नतीजन उन्हें कैप्टन कूल भी कहा जाता है।

वैसे तो धौनी को ले कर बिहार और झारखंड में लड़ाई होते रहती हैं कुछ बिहार के लोग उन्हें बिहार का बताते हैं और झारखंड के लोग बोलते है कि जब धौनी खेलना शुरू किया है तब झारखंड बिहार से अलग हो चुका था। पर धोनी सिर्फ एक राज्य का हिस्सा ना हो कर पूरे देश के सपूत बने।

उनके कप्तानी के अलविदा कहने के बावजूद भी लोग उन्हें ही कैप्टन मानते रहे, यहां तक कि वर्तमान कप्तान विराट कोहली आज तक उन्हें अपना कप्तान मानते हैं।

Will jersey No.7 retire with MS Dhoni? Dinesh Karthik raises ...

आज उनके सम्मान में शब्द कम पड़ रहे हैं। धोनी ने हर छोटे शहरों के लोगों को सपना देखना सिखाया और जिंदगी में रिस्क लेना सिखाया। धोनी ने पूरे देश को हर समय गौरवान्वित महसूस कराया। 3-3 विश्व कप जीत कर उन्होंने दुनिया को यह बताया कि अरमानों को कैसे पूरा करते हैं। उन्होंने अपने क्रिकेटिंग कैरियर में भारतीय क्रिकेट को वह सब कुछ दिया जो भारतीय क्रिकेट को चाहिए था। उनका अलविदा कहना भारतीय क्रिकेट में एक रिक्त स्थान पैदा कर दिया है क्यूंकि यह बहुत ही मुश्किल है कि एक विकेट कीपर, एक बल्लेबाज और एक कप्तान किसी एक व्यक्ति में मिलना।

भावनाओं का अभी उधेड़- बुन चल ही रहा था कि एक और क्रिकेटर सुरेश रैना ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। रैना धोनी दौर के एक बेहतरीन बल्लेबाज थे जिन्होंने हर फॉरमेट में शतक बनाए। रैना ने इस कथन को सत्य कर दिखाया – follow your captain।

धौनी की यात्रा को याद कर आंखे और नम हो जाती हैं जब यह हम जानते है कि जिन्होंने धोनी का दूसरा भाग दिखाया एक फिल्म के जरिए वह अब इस दुनिया में नहीं है। काश सुशांत सिंह राजपूत आज जीवित रहते और धोनी के शानदार यात्रा को हम सभी के साथ सेलिब्रेट करते।

बहरहाल, धौनी विश्व के सर्वश्रेष्ठ कप्तान थे, और उनकी ख्याति को अचानक से भूल जाना असंभव है। उनके सजदे में यह सर हमेशा झुका है और आगे भी झुकेगा।

एक नज़र धौनी के क्रिकेट करियर पर

वैसे तो धौनी के जितना क्रिकेटिंग करियर शायद ही किसी क्रिकेटर का रहा होगा और इतना बेहतरीन करियर किसी और खिलाड़ी को प्राप्त हो यह उसके लिए सौभाग्य की बात होगी।

महेंद्र सिंह धौनी ने अपने करियर की शुरूआत भी रन आउट से कि थी और अंत भी रन आउट से ही किया।

उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण कप 2007 T-20 वर्ल्ड कप, 2011 वन डे World Cup एवम् 2013 चैंपियंस ट्राफी है। यह कीर्तिमान विश्व का अभी तक कोई कप्तान स्थापित नहीं कर पाया है।

उनकी कुछ महत्पूर्ण पारिया जो कि हमारे दिलो में हमेशा रहेगी और जिन्होंने धौनी को विश्व का बेस्ट फिनिशर बनाया, जिनमे से एक है 2011 विश्व कप का फाइनल मैच जिसमें धौनी नंबर चार पर उतार कर 91 रन की नाबाद पारी खेलकर भारत को दूसरी बार विश्व कप जीताया था।

2006 में धौनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 72 रन नाबाद पारी खेल कर टीम को जीत दिलाई थी। वैसे ही 2013 में धौनी ने 44 रन की नाबाद पारी खेल कर चौथा वन डे में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ जीत दिलाई थी। उनकी करियर के शुरुवाती दौर में सन् 2005 में 183 रन श्रीलंका के खिलाफ बना कर अपने करियर का सबसे बड़ी पारी खेलने थी। कमाल की बात यह है कि यह सारे पारियां माही ने तब खेली थी जब भारतीय टीम बुरी तरह लड़खड़ा जाती थी। धौनी हमेशा नंबर 4 के बाद ही बैटिंग करने आते थे लेकिन तभी टीम को जीता कर ही जाते थे।

उनके कारनामों कि लिस्ट बहुत लंबी है, इतना शातिर विकेट कीपर शायद ही विश्व ने देखा होगा। पल भर में मैदान में जब गिल्लियां बिखर जाती थी यह बल्लेबाज के समझ के पार था।

धौनी ने टीम को सर्वोत्तम माना है और उन्होंने हमेशा खुद से पहली टीम के बारे में ही सोचा है,  उनका रिटायरमेंट वीडियो भी उनके बारे में कम उनके टीम के बारे में ज्यादा था।

अपने पुराने मीडिया इंटरव्यू में धौनी ने इस बात का खुलासा किया था कि वह कभी भी नहीं चाहते थे कि उन्हें शतक मारने का मौका मिले क्योंकि वह अंत में बैटिंग करने आते थे यदि उन्हें शतक मारना पड़े तो जाहिर सी बात है कि उनकी टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं की है जो वो बिल्कुल भी नहीं चाहते थे।

किसी भी कप को लेने का अधिकार सिर्फ कैप्टन को ना हो कर पूरे टीम का होना चाहिए, इसलिए हम हमेशा माही को पाते थे कि विनिंग कप हमेशा वो टीम के यंग प्लयेर को देकर खुद पीछे हट जाते थे। उनका टीम स्पिरिट अतुल्य है।

वह हमेशा कहते थे कि लोग उन्हें क्रिकेटर के तौर पर नहीं एक अच्छे इंसान के तौर पर जाने, आज धौनी को हम क्रिकेटर के साथ साथ एक अच्छे इन्सान के तौर पर भी जानते है। उनके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम होगा बस हम साभी यही उम्मीद करते हैं कि माही हमें फिर से मेंटर और कोच के तौर पर नजर आए।

We miss you Mahiya।

– ऋतु

खुशखबरी! पद्म भूषण अवॉर्ड के लिए BCCI ने की धोनी के नाम की सिफारिश, देश का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान

भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी का नाम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने पद्म भूषण अवॉर्ड के लिए प्रस्तावित किया है। धौनी दुनिया के इकलौते ऐसे कप्तान हैं, जिनकी कप्तानी में टीम ने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हों। धौनी ने हाल ही में श्रीलंका के खिलाफ 300 वनडे खेलने का रिकॉर्ड बनाया था। इसी के साथ वनडे में 100 स्टंपिंग करने वाले वो दुनिया के इकलौते विकेटकीपर भी हैं।

धौनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 2007 आईसीसी वर्ल्ड टी20, 2011 वर्ल्ड कप और 2013 आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जीता है। धौनी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जारी पांच मैचों की सीरीज के पहले वनडे में भी एक ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया। इस मैच में उन्होंने मुश्किल हालात में पचासा जड़ा, जो उनके करियर का 100वां इंटरनेशनल पचासा था। धौनी की ही कप्तानी में टीम इंडिया टेस्ट में नंबर-1 बना था। उन्होंने 2014 के अंत में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था। इसी साल की शुरुआत में उन्होंने वनडे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ दी थी। बीसीसीआई के एक अधिकारी के मुताबिक, ‘इस फैसले को लेकर बीसीसीआई में कोई मतभेद नहीं था। धौनी की कप्तानी में भारत ने 2011 का वर्ल्ड कप और 2007 का आईसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20 जीता है।

धौनी 10,000 वनडे रन के करीब हैं, 90 से अधिक टेस्ट मैच खेल चुके हैं और इस समय उनसे बेहतर कोई विकल्प हो ही नहीं सकता।’ धौनी को इससे पहले भी खेल रत्न, पद्म श्री और अर्जुन अवॉर्ड भी मिल चुका है। अगर धौनी का नाम पद्म भूषण के लिए चुना जाता है, तो वे ये अवॉर्ड पाने वाले 11वें क्रिकेटर होंगे।

धौनी से पहले सचिन तेंदुलकर, कपिल देव, सुनील गावस्कर, राहुल द्रविड़, चंदू बोर्डे, प्रोफेसर डीबी देवधर, कर्नल सीके नायडू और लाला अमरनाथ को ये सम्मान दिया जा चुका है। धौनी अभी तक 302 वनडे मैच में 9737 रन बना चुके हैं, धौनी का वनडे में औसत 52.34 है। उनके नाम 10 वनडे सेंचुरी हैं।

रिपोर्ट: गुंजन कुमार

महेंद्र सिंह धोनी ने किया कमाल, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जड़ा 100वां अर्धशतक

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक और मुकाम अपने नाम कर लिया है। धोनी के अब इंटरनेशनल क्रिकेट में 100 अर्धशतक हो गए हैं। एेसा करने वाले वह भारत के चौथे खिलाड़ी हैं। अॉस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में खेले जा रहे पहले वनडे में उन्होंने अपनी 67वीं हाफ सेंचुरी जड़ी। इसी के साथ उन्होंने यह कीर्तिमान भी अपने नाम कर लिया।

भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया था, लेकिन उनकी शुरुआत बेहद खराब रही। 11 रन के स्कोर तक तीन विकेट गिर चुके थे और नाथन कुल्टर-नाइल की बेहतरीन गेंदबाजी की बदौलत अजिंक्य रहाणे (5), विराट कोहली (0) और मनीष पांडे (0) पवेलियन में थे। इसके बाद रोहित शर्मा ने केदार जाधव के साथ 53 रन जोड़कर टीम को संभाला, लेकिन 16वें ओवर में मार्कस स्टोइनिस ने रोहित (28) को आउट कर दिया। 22वें ओवर में केदार जाधव भी 40 रन बनाकर स्टोइनिस की गेंद पर आउट हुए और 87/5 के स्कोर पर भारतीय पारी काफी मुश्किल में थी।

यहाँ से हार्दिक पांड्या ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ  छठे विकेट के लिए 118 रन जोड़े और 66 गेंदों में 83 रनों की पारी के साथ भारतीय पारी का रुख बदल दिया। पांड्या ने अपनी पारी में 5 बेहतरीन छक्के लगाये और तीसरा अर्धशतक लगाया। 41वें ओवर में हार्दिक आउट हुए, लेकिन इससे पहले उन्होंने टीम को 200 के पार पहुंचा दिया था।

हालांकि अभी महेंद्र सिंह धोनी की जबरदस्त बल्लेबाजी अभी बाकी थी और उन्होंने सातवें विकेट के लिए भुवनेश्वर कुमार के साथ ताबड़तोड़ 72 रनों की साझेदारी की। धोनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपना 100वां और एकदिवसीय में 66वां अर्धशतक लगाया। भुवनेश्वर कुमार 32 गेंदों में 32 रन बनाकर नाबाद रहे और भारत ने 281 रन बनाये। भारत ने आखिरी 20 ओवरों में 160 और आखिरी 10 ओवरों में 83 रन बनाये।

ऑस्ट्रेलिया की तरफ से नाथन कुल्टर-नाइल ने तीन और मार्कस स्टोइनिस ने दो विकेट लिए। एडम ज़ाम्पा और जेम्स फॉकनर ने 1-1 विकेट लिया।

बारिश के कारण ऑस्ट्रेलिया की पारी देरी से शुरू होगी और उन्हें डकवर्थ-लुईस नियम के तहत जीतने के लिए 43 ओवरों में 260 रनों का लक्ष्य मिल सकता है।

महेंद्र सिंह धोनी को बिहारी कहकर चिढ़ाते थे साथी खिलाड़ी, युवराज सिंह को दे दिया था ऐसा जवाब कि…

अपने कूल माइंडेड गेम को लेकर फेमस धोनी का कॅरियर और लो​कप्रियता इस हद तक रही है कि वह ऐसे एकमात्र भारतीय क्रिकेटर हैं जिनपर संन्यास से पहले ही फिल्म बनी है। महेंद्र सिंह धोनी इकलौते ऐसे कप्तान रहे हैं, जिन्होंने आईसीसी की तीनों बड़ी ट्रॉफ़ी पर कब्ज़ा जमाया है. हालांकि कामयाबी के शिखर पर पहुंचने के बाद उन्होंने कप्तानी छोड़ दी.लेकिन बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज़ वे अभी भी टीम के लिए उपयोगी बने हुए हैं.

महेंद्र सिंह धोनी को बिहारी कहकर चिढ़ाते थे साथी खिलाड़ी

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी काफी कूल मिजाज के माने जाते हैं लेकिन जब वो टीम के साथ जुड़े तो शुरुआती दौर में उन्हें युवी समेत साथी खिलाड़ी बिहारी कहकर पुकारते थे। धोनी को इस बात का बुरा भी लगता लेकिन वह ये बखूबी समझते कि साथी खिलाड़ी ये सब मजाकिया अंदाज में कहते हैं तो इसे माही इग्नोर कर दिया करते थे। मगर एक बार युवराज सिंह ने उन्हें कुछ ऐसा कहा, जिसपर धोनी ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ ही दी।

दरअसल हुआ यूं कि युवराज सिंह धोनी से पहले ही टीम में अपनी जगह बना चुके थे। माही 2005 में जब भारतीय टीम से जुड़े तो वह अक्सर चौके-छक्के लगाने की फिराक करते और ऐसे में अपना विकेट भी गंवा बैठते। ऐसे में अक्सर युवराज सिंह उन्हें चिढ़ाते और कहते कि चौके-छक्के लगाने से कुछ नहीं होता, मैच जिताने वाली इनिंग भी खेलनी पड़ती है।

एक दिन युवी के तानों से परेशान होकर कैप्टन कूल धोनी भी कूल नहीं रहे पाए। उन्होंने युवराज सिंह से पूछ ही डाला –

‘भाई तुम मेरी खिंचाई करना छोड़ो और यह बताओ कि ​तुम इतना गुस्सा आखिर लाते कहां से हो?’ कहा जाता है कि इस सवाल के बाद से दोनों में काफी अच्छी दोस्ती हो गई।

 

स्कूल में ही थामा बल्ला

महेंद्र सिंह धोनी का जन्म संयुक्त बिहार के रांची में हुआ था, उनके पिता का नाम पान सिंह और मां का नाम देवकी देवी है, धोनी की एक बहन जयंती और एक भाई नरेंद्र भी है। धोनी के परिजनों ने कभी सोचा भी नहीं था, कि उनका बेटा एक दिन पूरी दुनिया में उनका और अपने देश का नाम रौशन करेगा। धोनी की पढ़ाई रांची के जवाहर विद्यालय में हुई, इसी स्कूल में सबसे पहले धोनी ने क्रिकेट का बल्ला भी थामा था। 1992 में जब धोनी छठी क्लास में पढ़ रहे थे, तभी उनके स्कूल को एक विकेट कीपर की जरूरत थी, लिहाजा उन्हें विकेट के पीछे खड़े होने का मौका मिला। जब स्कूल के दोस्त पढ़ाई से समय बचने पर खेलते थे तब महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट से समय मिलने पर पढ़ाई किया करते थे। स्कूल के बाद धोनी जिलास्तरीय कमांडो क्रिकेट क्लब से खेलने लगे थे। इसके बाद उन्होंने सेंट्रल कोल फील्ड लिमिटेड की टीम से भी क्रिकेट खेला और हर जगह अपने खेल से लोगों का दिल जीतते चले गए।

धोनी को कप्तानी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया :आदित्य वर्मा

बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा ने कहा धोनी को कप्तानी छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

गैर मान्यता प्राप्त बिहार क्रिकेट संघ के पदाधिकारी हैं आदित्य, बीसीसीआई के ज्वॉइंट सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी को बताया वजह, कहा-धोनी पर दबाव डाला गया, जिसके कारण उन्होंने कप्तानी छोड़ी।

भारतीय क्रिकेट जगत में इस समय काफी उथल-पुथल हो हो रही है। ऐसे में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को लेकर एक बड़ी खबर आई है।

गैर मान्यता प्राप्त बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा ने इस बार महेंद्र सिंह धोनी को लेकर नया खुलासा किया है। उनके मुताबिक धोनी ने कप्तानी छोड़ी नहीं बल्कि उन्हें उनसे छुड़वाई गई है। वर्मा के अनुसार, धोनी पर दबाव डाला गया जिसके चलते उन्होंने कप्तानी त्याग दी।
आदित्य वर्मा इस सबके पीछे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के ज्वॉइंट सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी को वजह बता रहे हैं। आदित्य वर्मा के मुताबिक, चौधरी ने धोनी से झारखंड के लिए सेमीफ़ाइनल खेलने के लिए कहा था लेकिन चूंकि माही पहले ही इस फ़ॉर्मेट से संन्यास ले चुके हैं इसलिए उन्होंने इससे इनकार कर दिया और टीम के साथ मेंटॉर के तौर पर जुड़ गए. वर्मा के अनुसार, झारखंड के गुजरात के हाथों सेमीफ़ाइनभारतीय क्रिकेट जगत में इस समय काफी उथल-पुथल हो हो रही है. ऐसे में पूर्व कप्तान नहेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को लेकर एक बड़ी खबर आई है. गैर मान्यता प्राप्त बिहार क्रिकेट संघ के सचिव आदित्य वर्मा ने इस बार महेंद्र सिंह धोनी को लेकर नया खुलासा किया है. उनके मुताबिक धोनी ने कप्तानी छोड़ी नहीं बल्कि उन्हें उनसे छुड़वाई गई है. वर्मा के अनुसार, धोनी पर दबाव डाला गया जिसके चलते उन्होंने कप्तानी त्याग दी.
आदित्य वर्मा इस सबके पीछे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के ज्वॉइंट सेक्रेटरी अमिताभ चौधरी को वजह बता रहे हैं. आदित्य वर्मा के मुताबिक, चौधरी ने धोनी से झारखंड के लिए सेमीफ़ाइनल खेलने के लिए कहा था लेकिन चूंकि माही पहले ही इस फ़ॉर्मेट से संन्यास ले चुके हैं इसलिए उन्होंने इससे इनकार कर दिया और टीम के साथ मेंटॉर के तौर पर जुड़ गए।

वर्मा के अनुसार, झारखंड के गुजरात के हाथों सेमीफ़ाइनल हारते ही अमिताभ ने मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद को फ़ोन कर धोनी के भविष्य के बारे में पूछने को कहा और ऐसा होते ही धोनी ने कप्तानी से संन्यास की घोषणा कर दी।

यहाँ पर हम आपलोगों को यह बता देना चाहता हूँ की, आदित्य वर्मा द्वारा लगाए गए इन आरोपों की Aapna Bihar पुष्टि नहीं करता।

गौरतलब है कि धोनी ने बुधवार को भारतीय वन-डे और टी-20 टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था। उन्होंने इस बारे में बीसीसीआई को भी सूचना दे दी थी।

अपने इस फैसले की जानकारी देते हुए धोनी ने बताया था कि वे इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी-20 मैचों की सीरीज़ के लिए खिलाड़ी के रूप में उपलब्ध रहेंगे। इस बारे में बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी ने कहा था ‘हर भारतीय क्रिकेट फैन की तरफ से मैं धोनी को बतौर कप्तान क्रिकेट के सारे फॉर्मेट में उनके योगदान के लिए शुक्रिया अदा करता हूं।

धोनी नेतृत्व में भारतीय टीम ने नई बुलंदियों को छुआ, भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास में उनका नाम हमेशा दर्ज हो गया है’।

टीम इंडिया के सबसे महान कप्तान ने दिया कप्तानी से इस्तीफा

आज क्रिकेट के दुनिया का सबसे चौकाने वाला खबर आया है जिसे सुन सभी हतप्रभ है। बुधवार शाम को खबर आई कि दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक महेंद्र सिंह धोनी ने भारत के वनडे और टी 20 क्रिकेट में भी कप्तानी छोड़ दी है. उन्होंने बीसीसीआई को इस बारे में जानकारी दे दी है. धोनी इंग्लैंड के खिलाफ वनडे और टी 20 सीरीज के लिए उपलब्ध रहेंगे.

धोनी इससे पहले ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान दिसंबर 2014 को टेस्ट से रिटायर होने का फैसला कर चुके हैं. धोनी ने 199 वनडे और 72 टी 20 मैचों में भारत की कप्तानी की.

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बीसीसीआई के सीईओ ने धोनी के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए कहा ‘हर भारतीय क्रिकेट प्रेमी और बीसीसीआई की तरफ से मैं महेंद्र सिंह धोनी को बतौर कप्तान क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में टीम इंडिया की सेवा करने के लिए धन्यवाद देता हूं। उनके नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। उनकी सफलताओं के निशान भारतीय क्रिकेट के पटल पर हमेशा बने रहेंगे।

आज मैच शुरू होने से पहले कप्तान एमएस धोनी ने देश के नाम दिया एक बड़ा संदेश

दिवाली के खास मौके पर आज भारतीय टीम न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 5 वनडे मैचों की सीरीज़ के करो या मरो फाइनल मुकाबले में मैदान पर उतर चुकी है। आज पूरी टीम इंडिया सीरीज जीत देश को दिवाली का तोहफा देने के इरादे से मैदान में उतरी है और साथ ही टीम इंडिया अपनी मां को शुक्रिया करते हुए मैदान पर उनके नाम लिखी जर्सी पहनकर खेलने उतरी है.

 

कप्तान एमएस धोनी ने आज एक बार फिर से टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फैसला किया. इस खास मौके पर स्टार प्लस की मुहिम ‘मां के नाम’ नई सोच पर भी कप्तान धोनी ने हर शक्स के जीवन में मां के खास योगदान को याद किया.

टॉस के बाद माही ने कहा ‘मां का योदगान भी जवानों के जैसा ही होता है जिसका हमें शुक्रिया अदा करना चाहिए.

 

 

धोनी ने कहा, ‘मां का योगदान भी हमारे जीवन में बहुत अहम होता है, ऐसा नहीं है कि मेरे जीवन में मेरे पिता का कोई योगदान नहीं है लेकिन कई बार हम मां के योगदान को उतना महत्व नहीं देते जितना पिता को याद रखते हैं. इस खास मौके पर मैं पूरे देश से ये भी निवेदन करना चाहूंगा कि हम सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर देश के जवानों को नमन करते हैं जबकि उनका योगदान इतना बड़ा है कि हमें हर रोज़ उठकर उनके बलिदान के याद करना चाहिए और ठीक वैसा ही मां के साथ भी किया जाए.’

 

कप्तान धोनी आज अपनी मां के नाम देवकी वाली टीशर्ट पहनकर मैदान पर उतरे हैं.