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बिहार के मधुबनी से लोकसभा सांसद हुकुमदेव नारायण को मिला उत्‍कृष्‍ट सांसद का पुरस्‍कार

बिहार के मधुबनी से लोकसभा सांसद और भाजपा के कद्दावर नेता हुकुमदेव नारायण को 2014 के लिए सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान दिया गया| राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को संसद भवन में उनको यह सम्मान दिया| इनके साथ पक्ष और विपक्ष के अन्य 4 लोगों को यह सम्मान दिया गया|

इनमें हुकुमदेव नारायण के अलावा नजमा हेपतुल्ला, गुलाम नबी आजाद, दिनेश त्रिवेदी और भर्तृहरि महताब शामिल हैं। इन पांचों सांसदों को संसद भवन में एक कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी शामिल थे।

हुकुमदेव नारायण यादव को यह सम्मान 2014 के लिए दिया गया| जबकि जबकि 2015 के लिए गुलाम नबी आजाद को, 2016 के लिए दिनेश त्रिवेदी और 2017 के लिए  भतृहरि माहताब को उत्‍कृष्‍ट सांसद का पुरस्‍कार दिया गया|

ज्ञात हो कि 17 नवंबर 1939 को बिहार के दरभंगा जिला के बिजूली में जन्‍मे  हुकुमदेव नारायण यादव काफी लोकप्रिय सांसद माने जाते हैं| वो भाजपा की ओर से बिहार के मधुबनी से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं| सबसे पहले हुकुमदेव नारायण यादव 1977 में लोकसभा के लिए चुने गये|

बिहार ही नहीं,भारत का इकलौता गांव जिसने तीन पद्म श्री पुरस्कार अपने नाम किया

बिहार ही नहीं,भारत का इकलौता गांव जिसने तीन पद्म श्री पुरस्कार अपने नाम किया।

मधुबनी बिहार राज्य का एक ऐसा गांव है जिसने एक नहीं बल्कि तीन-तीन पद्मश्री पुरस्कार अपने नाम किया है।

प्रधानमंत्री मिथिला पेंटिंग के साथ

अभी तीसरा पद्मश्री पुरस्कार वौआ देवी को मिला है। मधुबनी के इस गांव का नाम है जितवारपुर।जिसकी मिट्टी के हर कण में जीत ही जीत है।

दीपक कुमार,मधुबनी
मधुबनी जिला के जितवारपुर गांव की 75 वर्षीया बौआ देवी को पद्मश्री अवार्ड के लिए चयनित किया गया है। मिथिला पेंटिंग के गढ़ माने जाने वाले जितवारपुर गांव की दो । महान शिल्पी जगदम्बा देवी और सीता देवी पद्मश्री अवार्ड से पहले ही सम्मानित हो चुकी हैं।
मधुबनी जिला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर रहिका प्रखंड के नाजिरपुर पंचायत का जितवारपुर गांव आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। 670 परिवारों को अपने दामन में समेटे इस गांव का इतिहास गौरवशाली है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इस गांव की तीन शिल्पियों को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है।
देश के इतिहास में यह पहली मिसाल है जब एक ही गांव को तीन पद्मश्री मिले हों। अब की बार तीसरी बार सिद्धहस्त शिल्पी बौआ देवी को यह सम्मान मिला है।
इससे पहले जगदम्बो देवी और सीता देव  को यह सम्मान मिल चुका है। ये दोनों भी इसी जितवारपुर गांव की निवासी रही हैं। सीता देवी का देहांत 2005 में हुआ।
लगभग साठ वर्षों से बौआ देवी मिथिला पेंटिंग से जुड़ी हुई हैं। बौआ देवी को 1985-86 में नेशनल अवार्ड मिल चुका है। वह मिथिला म्यूजियम जापान 11 बार जा चुकी है। जापान के म्यूजियम में मिथिला पेंटिंग की जीवंत कलाकृतियां उकेरी है।

बऊवा देवी

बौआ देवी बताती है कि तरह वर्ष की उम्र से ही मिथिला पेंटिंग बना रही हैं। नेशनल अवार्ड मिलने के बाद से अब तक लगातार उनको हर मुकाम पर सफलता मिली। वह देश के कोने-कोने में मिथिला पेंटिंग को लेकर हर मंच से सम्मानित हो चुकी हैं।
उनका पूरा परिवार इस विधा से जुड़ा है। वे अपने दो बेटे अमरेश कुमार झा,विमलेश कुमार झा व तीन बेटियां रामरीता देवी, सविता देवी और नविता झा को मिथिला पेंटिंग में सिद्धहस्त कर चुकी हैं।
 गांव के हर घर में यह कला रचती-बसती है। गांव के हर समुदाय के लोगों में कला कूट-कूट कर भरी हुई है।मिथिला आर्ट और कल्चर को करीब से जानने वाली पत्रकार
कुमुद सिंह कहती हैं मिथिला स्‍कूल आफ आर्ट को संरक्षित करने में जो भाूमिका इस गांव की महिलाओं की रही है वो अतुल्‍यनीय है। कला को संरक्षित करने में जितवारपुर की महिलाओं ने अपना पूरा जीवन सौंप दिया, उस नजर से देंखें तो यह पुरस्‍कार इन्‍हें काफी देर से मिला है।
मिथिला स्‍कूल आफ आर्ट को संरक्षित करने में जो भाूमिका इस गांव की महिलाओं की रही है वो अतुल्‍यनीय है। कला को संरक्षित करने में जितवारपुर की महिलाओं ने अपना पूरा जीवन सौंप दिया, उस नजर से देंखें तो यह पुरस्‍कार इन्‍हें काफी देर से मिला है।

http://www.aapnabihar.com/2017/01/special-award/

बिहार पुलिस: अपराधियों के लिए ‘लेडी सिंघम’ तो बच्चों के लिए ‘दीदी’ है बिहार यह डीएसपी साहिबा..

मधुबनी: पुलिस में कुछ एसे भ्रष्ट अफसर होते है जिनके कारण पूरा पुलिस डिपार्टमेंट बदनाम होता है तो कुछ एसे भी अफसर होते हैं जो अपने ईमानदारी,  बहादुरी या अपने सामाजिक कामों के वजह से चर्चा में रहते हैं और अपने डिपार्टमेंट का नाम रौशन करते रहते हैं। 

 

डीएसपी निरमला

डीएसपी निरमला

 

ऐसे ही एक अफसर है मधुबनी ज़िले के बेनीपट्टी की डीएसपी निरमला।  बेनीपट्टी अनुमंडल के सरकारी विद्यालयों में इन दिनों  शिक्षा की जोत जलाने में योगदान दे रही है।

लिस की नौकरी की तमाम व्यवस्तताओं के बीच भी गरीब छात्रों की चहेती बनी हुई है।बच्चे उनकी सहृदयता और अपनेपन से अभिभूत होकर डीएसपी साहिबा को प्यार से दीदी बुलाते है। गरीब बच्चों के बीच जा के वे सिर्फ बच्चों से बात-चीत या उनका मनोबल ही नहीं बल्कि उनके पढाई में आने बाली छोटी-मोटी परेशानियां भी देर करती है। उनके बीच जाकर किताब कॉपी पेन और कपड़ा देना अब निर्मला के लिए रोज की दिनचर्या सी बनती जा रही है।

 

इसी कड़ी में डीएसपी निर्मला जब एक सरकारी स्कूल में पहुंची तो वहा बच्चों को जमींन पर बोरा बिछा कर बैठकर पढ़ाई करते देखा। बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ाता देख उन्होंने उस स्कूल में अपने प्रयासो से बेंच और डेस्क प्रोवाइड करा दिया है।

 

dsp nirmala of bihar

बच्चों के बिच डीएसपी साहिबा

बच्चों के पढाई के लिए डीएसपी साहिबा अपने स्तर पर लगातार प्रयासरत है और इसके लिए काम कर रही है। थ ही बच्चों की पढ़ाई को सुचारू रूप से जारी रखने खातिर लगातार अभियान चला रही है। अब तक कई स्कूलो का सूरते हाल देख उसमे सुधार की प्रक्रिया शुरू कर चुकी।

 

जहां कुछ भ्रष्ट पुलिस वाले गरीब जनता का शोषण करने बाज नहीं आते और सिर्फ अपना जेब भरने में लगे रहते हैं तो डीएसपी निरमला जैसी अफसर अपना स्वार्थ छोड़ ईमानदारी से समाज के लिए काम कर सबके लिए मिशाल कायम कर रहीं है।  इनके प्रयास से लोगों का पुलिस पर विश्वास भी बढ़ रहा है।

सूबे को अपनी इस निस्वार्थ भाव से शिक्षा की जोत जलाने वाली बेटी पर गर्व होना चाहिए।