एक प्रवासी बिहारी युवा का ख़त मुख्यमंत्री जी के नाम 

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आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी

 

आशा है की आप स्वस्थ और सुचारु होंगे। आप दुधो नहाएँ फुले-फलें और चक्रवर्ती बनें पर इस पत्र के माध्यम से एक प्रवासी युवा जिसको 6 साल पहले बिहार छोरना पड़ा था उसने अपने मन का कुछ प्रश्न अपने प्रदेश के सबसे बड़े नेता से करना चाहता है।

जब आप 2005 मे मुख्यमंत्री बने थे तो मैं बच्चा था पर आपके जीतने के खुशी मे सबके साथ मैं भी नाचा, मुझे इसका मतलब पता नही था मैं सिर्फ ग्यारह साल का था पर मैंने देखा की मेरे आस-पास के सब लोग बहुत खुश थे।

सबको एक आस थी अब बदलेगा, गरीब-बीमारु-भ्रष्ट राज्य का तमगा हमसे हटेगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषी, सड़क, बिजली, भ्रष्टाचार और अपराध जैसे चीजों मे आप बदलाव लाएँगे इसलिए आपको सुशासन बाबू का नाम दिया गया। ये सब देख के एक बच्चा आशान्वित था और अपने भविष्य को लेकर सुरक्षित महसूस कर रहा था।

 

वक्त आगे बढ़ता गया, मैं बड़ा होता गया। अब-तक न मैंने शहर देखा था और न दूसरा राज्य। खबरों मे पढ़ता था की

बिहार अब विकास कर रहा है, आपने शिक्षकों की भर्तीयाँ कारवाई, साइकिल बांटी, सड़कें बनवाई,बिजली पहुंचवाई, अपराधियों और भ्रस्ट अफसरों पर नकेल कसी ।

ये सब मैं सुनता था और एक बच्चे के तौर पर सुकून और संतोष का अनुभव करता था। मुझे अपने गाँव और आस-पास मे कुछ बदलाव देखने को नही मिलता था पर मैं सोचता था की अभी वक्त लगेगा यहाँ तक पहुँचने में। मुझे बताया जाता था की पिछले सरकारों ने बिहार को बहुत पीछे कर दिया था इसलिए विकास को पटरी पर आने मे वक्त लगेगा, ये बात मैं भी मानता था।

 

फिर आया 2010, जनता ने आपको फिर चुना। आपने पूराने बंद पड़े मिलों और कारखानों को फिर से खुलवाने की बात की, शैक्षणिक हालात सुधारने की बात की, पलायन रोकने की बात की,  तो जनता ने आप पर फिर भरोषा किया। सबके साथ मैंने भी किया । अब तो पाँच साल हो गए हैं, अब शायद पटरी पर ट्रेन आ गयी है और अब गति पकड़ेगी।

एक साल बाद मुझे पढ़ाई के लिए दूसरे राज्य मे जाना पड़ा क्योंकि मुझे आगे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बिहार मे कोई समुचित संस्थान नहीं मिला। मैंने फिर भी सोचा की वक्त के साथ शायद हालात बदल जाएगी और पढ़ने के बाद नौकरी के लिए मुझे वापस आने का मौका मिलेगा। अब मैं बाहर था और इसलिए बिहार के जमीनी हकीकत से दूर था, जब मैंने दूसरा राज्य और शहर देखा तो फिर मुझे पता चला कि हम कितने पीछे हैं। हमारे राज्य के मजदूर ट्रेनों के जेनरल डब्बे मे भर-भर कर दिहारी मजदूरी के लिए आ रहे थे, यहाँ शहरों में फुटपाथ पर ठेला, रेडी लगा रहे थे। समय-समय पर उन्हें स्थानीय लोगों से गाली-मार सहनी पड़ती थी, बिहारी शब्द एक गाली के तौर पर प्रयुक्त होता था हमारे लिए। हमने ये सब देखा और सहा इस उम्मीद में की आगे सब बदलेगा, शायद वहाँ बिहार मे विकास हो रहा है क्योंकि खबरों में आप अब भी विकास पुरुष के तौर पर दिखाए जा रहे थे।

यहाँ बाहरी लोग बिहार को लालू से रीलेट करते थे और हंसी उड़ाते थे तो हमने उनको आप का नाम बताना शुरू किया ताकि बिहार को एक दूसरा उदाहरण मिले।

 

अब मैं वयस्क हो रहा था और चीजें मेरे समझ मे आने लगी थी। ये समझ अब मुश्किल खड़ी कर रहा था मेरे भरोसे के सामने। नए खुले दारू के ठेकों और शराब के उत्पादन से जीडीपी का ग्रोथ रेट खबरों मे था, केंद्र सरकार के हाईवे बन जाने से और पीले बल्ब वाले बिजली पहुँच जाने से विकास का ढ़ोल बजाया जा रहा था। पर अब, जब मैं गाँव जाता था तो मुझे दिखने लगा था की जिस बदलाव की खबरें हम बाहर पढ़ते हैं वो अब तक जमीन पर पहुंची ही नहीं है। लोग अब भी पलायन कर रहे थे और पहले से भी ज्यादा, शिक्षा व्यवस्था अपने निचले स्तर पर पहुँच चुका था, गांवों मे लोग खेती बंद कर रहे थे, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव मे जब गर्भवती महिलाओं को मरते देखा तो फिर आपसे भरोसा टूटने लगा।

एक भी बंद पड़ा चीनी मिल या कोई भी कारख़ाना आप खुलवा नहीं सके, एक भी शिक्षण संस्थान या विश्वविद्यालय की हालत आप सुधार नहीं सके, एक भी खेत तक पानी आप नही पहुंचवा सके। लोग अब शिकायत नही कर रहे थे, वो थक गए थे और हार गए थे। नाउम्मीदी हावी थी। मैं अब युवा हो चुका था और ये सब देख सकता था।

 

फिर 2014 के लोकसभा चुनावों का दौर आया, राजनीति अपने चरम पर थी। उठा-पटक के इस दौर मे आपने भी क्या खूब खेल खेला!  एनडीए से नाता तोड़ा और लोकसभा चुनाव मे आपकी पार्टी के हार के बाद एक आपने एक कठपुतली मंत्री को मुख्यमंत्री के रुप में बिहार के ऊपर थोप दिया वह भी बिलकुल लालू द्वारा राबरी को मुख्यमंत्री बनाने के स्टाइल में ।

कुछ दिनों बाद जब मांझी जी ने सत्ता छोडने से मना कर दिया तो फिर से सियासत का खेल हुआ और आप पुनः मुख्यमंत्री बने। अब तक भी ठीक था पर इसके बाद का प्रकरण इतिहास में आपके उपहास का कारण जरूर बनेगा! जिस लालू जी का विरोध आपके राजनीति का केंद्र था, आपने सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनसे भी गठबंधन किया। फिर से सरकार बनाई और बिहार को फिर से उसी युग मे खड़ा कर दिया ।  शराब को आपने ही गाँव-गाँव तक पहुंचाया था, शराबबंदी करके आपने अपना इमेज बनाया, समारोह करवाए, रैलियाँ की, खबरों मे आए पर काम कहीं नही हुआ। बिहार अटक चुका था फिर से और अब लोगों के पास कोई उम्मीद और ऑप्शन नहीं था। शिक्षा व्यवस्था के झोल, भ्रष्टाचारी , पलायन, गरीबी और अपराध की खबरें बाहर आ रही थी। अब बाहर रह रहे बिहारियों के पास कोई बचाव नहीं था अपना मजाक बनने से रोकने के लिए !

 

कल राजनीतिक उठा-पटक का एक नया रीकोर्ड बनाते हुए आप फिर से एनडीए से मिल चुके हैं और सत्ता फिर से आपके हाथ में है।

मैं अब जॉब कर रहा हूँ यहाँ मुंबई एक सॉफ्टवेयर एमएनसी में और रात के चार बजे आपको ये ख़त लिख रहा हूँ क्योंकि आज परेशान हूँ। आज सबके तरह मैंने भी फेसबूक पर वनलाइनर पंच लिखके मजे लिए हैं इस राजनीतिक खेल का । पर अभी मैं उस बच्चे के भरोसे को पूरी तरह टूट जाने का महसूस कर पा रहा हूँ । राजनीति से मुझे कुछ नहीं मतलब, कोई नृप हो हीं हमें का हानि पर अचानक आज ये एकसास हो गया की 12 साल तो हो गए हैं आपके आए हुए।

अब भी यदि हालात नहीं बदला है तो इसका कारण है कि आप अब तक सिर्फ राजनीति करते रहें हैं और विकास का ढ़ोल सिर्फ एक छ्लावा था। आपने लोगों के उम्मीद को ठगा है,भरोसे को तोड़ा है, उसपर अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा और राजनीति का महल खड़ा किया है। लोग आपसे हिसाब नहीं ले पायेंगे शायद मगर समय जरुर लेगा क्योंकि आपकी तरह यह भी किसी का नहीं है। आप राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं और आपके इस गुण का मै कायल भी हूँ मगर यह याद रहे कि राजनीतिक विज्ञान का हर चैप्टर एक दिन इतिहास होता है और इतिहास नेताओं को अपनी निर्धारित कसौटी पे तौलता है।

 

बहारों फूल बरसाओ,  पुनः सरकार आया है। 

एक बिहारी

आदित्य

शहाबुद्दीन से रिश्ते को लेकर पूरी तरह बेनकाब हुए लालू, बिहार में आया सियासी तूफान

भारतीय मीडिया के जाने-माने और टाइम्स नाऊ (Times Now) के पूर्व एडिटर इन चीफ अरनब गोस्वामी का टीवी चैनल रिपब्लिक टीवी शनिवार (6 मार्च) को लॉन्च हो गया। अरनब गोस्वामी ने पहले दिन पहले शो में देश के जाने-माने राजनेता और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को लेकर खुलासा किया। अरनब ने अपने शो में लालू यादव और माफिया डॉन मोहम्मद शहाबुद्दीन (आरजेडी के पूर्व सांसद) के बीच रिश्तों का खुलासा किया। रिपब्लिक द्वारा जारी किए गए टेप्स में खुलासा किया गया है कि लालू प्रसाद यादव फोन पर शहाबुद्दीन के साथ बात कर रहे हैं, जिसमें दोनों के बीच अप्रैल 2016 में हुए दंगों को लेकर चर्चा हुई।

इस बात का खुलासा होने पर बिहार में राजनीतिक तूफान आ गया है साथ ही बिहार के सुशासन और राज्य मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल किए जा रहे हैं। इसके साथ ही उनसे पूछा जा रहा है कि क्या वह यह सब सामने आने के बाद आरजेडी से गठबंधन खत्म करेंगे।

सुशील मोदी ने तो ट्वीट कर बिहार सरकार से एडवायजरी जारी करने की मांग की है. सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि शहाबुद्दीन को लालू ने बचाने की कोशिश की और इस मामले में नीतीश सबकुछ जानते हुए भी चुप क्यों रहे? टीवी रिपोर्ट में यह दिखाया गया है कि शहाबुद्दीन लालू से फोन पर बात करते हैं और सीवान के तत्कालीन एसपी के बारे में लालू को कुछ निर्देश देते हैं.

जीतन राम मांझी ने बोला हमला

वहीं, मामला सामने आने के बाद हम के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है कि इससे साफ साबित हो गया है कि बिहार में सरकार पूरी तरह माफियाओं के संरक्षण में चल रही है. मांझी ने केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. मामले पर मीडिया से बातचीत में राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह ने कहा है कि शहाबुद्दीन का लालू से बातचीत करना तो गलत है, लेकिन हमलोग शहाबुद्दीन को पार्टी से बाहर नहीं करेंगे. वह हमारी पार्टी में हैं और पार्टी में बने रहेंगे. वहीं जदयू नेता ने कहा कि इस मामले में अभी सच्चाई सामने आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. अभी इस बारे में कुछ कहना ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने बयान देने से किया इनकार

न्यूज चैनल के खुलासे के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता भी कुछ कहने से बच रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई संवाददाताओं ने उनसे संपर्क किया लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. वहीं सीवान के पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने नीतीश सरकार से गुहार लगायी है कि सरकार इस मामले की पूरी जानकारी हासिल करे और इसकी जांच कराए.

क्या हुई बात ? 

इस ऑडियों में दावा किया गया है कि एक आवाज लालू प्रसाद यादव और दूसरी शाहबुद्दीन की है। ऑडियो में शाहबुद्दीन लालू प्रसाद यादव को सीवान के एसपी को हटाने की बात कर रहा है। ऑडियो में शाहबुद्दीन को ‘आपका एसपी खत्म है’ कहते सुना जा सकता है। टैनल के द्वारा पेश किए गए इस ऑडियो में शाहबुद्दीन कह रहा है कि रामनवमी के दिन सीवान में पुलिस तैनात नहीं होनी चाहिए थी।

यहां तक की वह दंगे होने की बात कहकर लालू को चेतावनी देने की भी कोशिश करता है। शाहबुद्दीन लालू को बताता है कि सीवान के आसपास रामनवमी के दिन पत्थरबाजी और गोलियां चली हैं। शहाबुद्दीन की इस बात को लालू ध्यान से सुन रहे हैं।

इस ऑडियो टेप के आते ही बिहार की राजनीति सुर्खियों में आ गई है। इस ऑडियो के सामेन आते ही बीजेपी ने लालू के ऊपर हमला करना शुरू कर दिया है।भाजपा के नेता सुशील मोदी ने ट्वीट किया है कि टीवी चैनल ने लालू का पर्दाफाश कर दिया है। भाजपा नेता ने कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लालू पर तुरत कार्रवाई करनी चाहिए।

वहीं, चैनल के पत्रकार अर्नब गोस्वामी ने इस बात का भी खुलासा किया है कि लालू यादव को पता चल गया था कि वह उनपर स्टोरी करने वाले हैं इसलिए लालू की तरफ से स्टोरी को रुकवाने के लिए उन्हें 37 से ज्यादा बार फोन किया गया था।

राजनीति: चारा घोटाला के बाद लालू परिवार पर मिट्टी घोटाला का आरोप ! जानिए क्या है पूरा मामला?

संजय गांधी जैविक उद्यान में बिना टेंडर के 90 लाख की मिट्टी सप्लाई के मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद तथा उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आरोप की जांच के लिए राज्‍य सरकार कमेटी बना सकती है। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने संबंधित फाइल तलब कर ली है।

 

विदित हो कि बीते दिनों पूर्व मुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद व उनके मंत्री बेटों पर अपने निर्माणाधीन मॉल की मिट्टी पटना के चिडि़याघर को अवैध तरीके से बेचने का आरोप लगाया था। इस मामले पर राजनीति गरमा गई है। लालू प्रसाद ने आरोप को निराधार बताते हुए सरकार से जांच कराने का आग्रह किया था।

 

इस मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्‍य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने गुरुवार को कथित मिट्टी घोटाले से संबंधित फाइल तलब की है। मुख्‍य सचिव ने बताया कि मामले की जांच के बाद उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

 

आइए जानते हैं कि मोदी के आरोपों के मुताबिक क्या है पूरा मामला…

 

मॉल की मिट्टी बेची

आरोपों के मुताबिक राजधानी पटना में बिहार का सबसे बड़ा माल बनाया जा रहा है. इस मॉल की मालिक डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड है. इस कंपनी में आरजेडी अध्यक्ष के लालू प्रसाद के बड़े बेटे एवं राज्य के पर्यावरण एवं वन मंत्री तेजप्रताप यादव, छोटे बेटे एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनकी पुत्री चंदा यादव डायरेक्टर हैं. इस तरह आरोपों के मुताबिक इस मॉल का मालिक लालू प्रसाद यादव का परिवार ही है. मोदी के मुताबिक आरजेडी के सुरसंड से विधायक सैयद अबु दौजाना की कंपनी मेरिडियन कंस्ट्रक्शन (इंडिया) लिमिटेड इस शॉपिंग मॉल का निर्माण करवा रही है.

 

नब्बे लाख का फायदा

डिलाइट मार्केटिंग कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और चंदा यादव को 20 जून 2014 को निदेशक बनाया गया. आरोप है कि बिहार के सबसे बड़े मॉल की मिट्टी को पर्यावरण एवं वन विभाग ने बिना टेंडर निकाले 90 लाख रुपए में खरीद लिया. इस तरह मोदी के मुताबिक मिट्टी घोटाले का पूरा फायदा आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के परिवार को मिला.

 

लालू का भी है रोल!

बीजेपी नेता मोदी के मुताबिक यह वही कंपनी है जिसको लेकर बिहार के वर्तमान जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने वर्ष 2008 में आरोप लगाया था कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के रांची और पुरी के दो होटलों को गलत तरीके से होटल सुजाता के हर्ष कोचर को बेच दिया. इसके बदले में कोचर ने डिलाइट मार्केटिंग कंपनी को एक ही दिन में दस निबंधन के जरिए पटना में दो एकड़ जमीन हस्तांतरित की थी. यानी इस पूरे मामले में तार कहीं न कहीं लालू प्रसाद यादव से भी जुड़ जाते हैं.

 

बिना टेंडर के हुई खरीद मॉल के बेसमेंट की मिट्टी को खपाने के लिए काफी चतुराई से पर्यावरण एवं वन विभाग ने पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान के सौंदर्यीकरण के नाम पर बिना टेंडर निकाले केवल कोटेशन के आधार पर 90 लाख रुपये में मिट्टी खरीद ली और यह काम रूपसपुर के वीरेंद्र यादव की कंपनी एमएस इंटरप्राइजेज से करवाया गया.

 

घर का ही मंत्री और अपना ही विभाग

जू में मिट्टी की इतनी जरुरत नहीं थी, लेकिन शॉपिंग मॉल के मिट्टी को ठिकाना लगाना था इसलिये 90 लाख का टेंडर दिया गया. इस मॉल की मिट्टी को बिकवाने के लिए सौंदर्यीकरण के नाम पर अनावश्यक रूप से 90 लाख रुपए की मिट्टी खरीदने का अनुमान पगडंडी बनाने के नाम पर किया गया. इस प्रकार लालू प्रसाद का परिवार अपने मॉल की मिट्टी को अपने ही विभाग में बेच कर 90 लाख की कमाई कर चुका है. यह उद्यान पर्यावरण एवं वन विभाग के अंतर्गत आता है और इस विभाग के मंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव हैं.

टूट जायेगा महागठबंधन, यूपी के बाद बिहार में भी नीतीश के साथ बनेगी भाजपा सरकार!

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है । बीजेपी ने चुनाव जीती यूपी में मगर तुफान लेकर आई है बिहार के महागठबंधन के सरकार में । महागठबंधन में सबकुछ सही नहीं चल रहा है और यह सिर्फ कयास नहीं है बल्कि महागठबंधन में सामिल दलों के राजनितिक चाल इसकी गवाही दे रही है।

 

भाजपा नेता सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार में जदयू-राजद और कांग्रेस का महागठबंधन बिखराव की ओर अग्रसर है। यू तो सुशील मोदी विपक्ष के नेता है और महागठबंधन के खिलाफ बोलते ही रहते है मगर इस बार उनके बात में दम लग रहा है।

 

नीतीश कुमार के जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी के मुद्दे पर अपने सहयोगियों को अलग-थलग कर मोदी सरकार को सर्मथन देकर बीजेपी के करीब जाना, मोदी-नीतीश द्वारा एक दुसरे का तारीफ करना हो या राजद विधायकों और खुद राबड़ी देवी द्वारा तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग करना, लालू के इशारे पर राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद यादन द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जहरीले वार करना । यह सब बतलाने के लिए काफी है कि महागठबंधन अपने नाजुक दौर से गुजर रहा है ।

इसी क्रम में यूपी चुनाव के बाद राजद नीतीश कुमार पर कुछ ज्यादा ही हमलावर दिख रहा है। रघुवंश प्रसाद ने नीतीश कुमार को धोखेबाज और जेदयू नेताओं के गर्दा झाड़ देने की भी बात कहीं है।

तब यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बिहार की राजनीति पर यूपी चुनाव के नतीजों का असर पड़ने लगा है? या फिर नीतीश कुमार का दिल्ली में एमसीडी चुनाव में हिस्सा लेना आरजेडी को खटक रहा है?

 

आखिर रघुवंश प्रसाद सिंह जेडीयू नेताओं पर अचानक इतने हमलावर क्यों हो गये हैं? कहीं महागठबंधन के भीतर कोई और खिचड़ी तो नहीं पक रही?

ज्ञात हो कि चार दिन पहले वैशाली के राधोपुर में आयोजित सरकारी कार्यक्रम से न केवल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर गायब थी, बल्कि चारों तरफ राजद के झंडे लगे हुए थे।

राजद के अलावा सरकार में शामिल सहयोगी दल जदयू और कांग्रेस के किसी मंत्री और विधायक तक को कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के यात्रा कार्यक्रम में भी कहीं उपमुख्यमंत्री शामिल नहीं हुए।

 

सवाल ये है कि लालू प्रसाद या आरजेडी नेताओं को नीतीश से ताजा चिढ़ की वजह सिर्फ यूपी चुनाव है या कुछ और?

Breaking News: भागलपुर जेल से रिहा हुआ मोहम्मद शहाबुद्दीन, मिडिया से कहा…

 

FB_IMG_1473475457423 हत्या, रंगदारी और किडनैपिंग जैसे आरोपों में लिप्त मोहम्मद शहाबुद्दीन को पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जमानत मिलने के बाद आज शहाबुद्दीन भागलपुर जेल से बाहर आ गया।
जेल से रिहा होने के बाद शहाबुद्दीन ने कहा कि- नीतीश परिस्थितियों के सीएम हैं, लालू मेरे नेता है।

सीवान प्रशासन ने शहाबुद्दीन के जेल से बाहर आने की खबर मिलते ही जिले में सेना की चौकसी बढ़ा दी है। चौक-चौराहों पर पर अतिरिक्त बलों की तैनाती के अलावा गश्त भी तेज कर दी गई है। खबरों के मुताबिक शाहबुद्दीन के काफिले के लिए करीब 1300 गाड़ियों के साथ अपने गढ़ सीवान जाएगा।

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2 भाइयों की तेजाब से नहलाकर की हत्या
गौरतलब है कि दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई की हत्या के मामले में शहाबुद्दीन भागलपुर जेल में बंद था। दोहरे हत्याकांड में लिप्त आरोपी हाईकोर्ट से फरवरी में ही जमानत पा चुका था और अब गवाह की हत्या के मामले में भी बुधवार को शीर्ष अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली। ऐसे में शहाबुद्दीन की जमानत के बाद बिहार की राजनीति गर्म हो गई है, नीतीश की सत्तारूढ़ पार्टी फिलहाल इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रही है। विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया है कि लालू यादव से नजदीकी के चलते सरकार ने उसका केस कमजोर कर दिया, जिसके चलते ऐसे गुंडे को जमानत मिल गई।

खौफ में सीवान के लोग
शहाबुद्दीन के बाहर आने से की खबर के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का कहना है कि जंगल राज को बढ़ावा देने वाले शहाबुद्दीन के बाहर आने की खबर से लोग सहमे हुए हैं। सुशील मोदी ने कहा है कि लालू के दबाव में नीतीश ने केस को कमजोर कर दिया।

 

आज पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का जन्मदिन है, आधी रात को मनाया जन्मदिन…देखिए

पटना: आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रेलमंत्री, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के कद्दावर नेता श्री लालू प्रसाद यादव जी का 68 वां जन्मदिन है।  

 

जन्मदिन का केक काटते लालू यादव

जन्मदिन का केक काटते लालू यादव

 

आज आधी रात को ही पूरे सादगी के साथ अपने परिवार के साथ लालू यादव ने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया।  मीसा भारती ने फेसबुक पर लोगों के साथ यह तस्वीर शेयर किया।  बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू यादव की धर्मपत्नी राबरी देवी ने गुलदस्ता दे कर लालू यादव को जन्मदिन की बधाई दी।

जन्मदिन का बधाई देती राबडी देवी

जन्मदिन का बधाई देती राबडी देवी

 

गौरतलब है कि आज ही के दिन 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले के फूलवरियां गांव में एक यादव परिवार में लालू प्रसाद यादव का जन्म हुआ था।

एक बार मजाकिये लहजे में संसद में लालू प्रसाद ने कहा था कि,  1947 में अंग्रेजों को पता चल गया था कि 1948 में लालू यादव पैंदा लेने वाला है इसीलिये वे 1947 में ही देश छोड़ कर भाग गये। 

 

इस वर्ष का जन्मदिन लालू यादव के लिए कुछ खास है क्योंकि वर्षों के सत्ता से वनवास के बाद बिहार के सत्ता में उनकी पार्टी का जोरदार वापसी हुआ है। दोनो बेटा राज्य सरकार में मंत्री बन गया तो बेटी मीसा भारती भी राजद कोटे से राजसभा चली गयी।

 

11 जून 1948 को बिहार के एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाला एक बच्चा भैंस के पीठ से बिहार मुख्यमंत्री के खुर्सी तक पहुँचेगा और गरीबों का मसीहा कहलायगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था।

 

लालू प्रसाद बचपन के दिनों में गांव के छोटे बच्‍चों के साथ गाय और भैंसे चराया करते थे और उनके लिए चारे का व्‍यवस्‍था करते थे। ये अलग बात है कि बाद में चारा घोटाले में ही उन्हें जेल जाना पड़ा।

उन्‍हें बचपन से ही दूध और दही (माठा) खाने का बहुत शौक है। लालू प्रसाद यादव परिवार से होने के कारण उन्‍हें यादव बिरादरी के सभी कार्य करना आता है, जिसमें गायों और भैसों का दूध दूहने के साथ ही दूध-दही बेचना भी शामिल है।

 

लालू प्रसाद को बिहार का प्रमुख व्यंजन लिट्टी-चोखा तथा सत्तू (मक्‍के और चने का) खाना बेहद पसंद है। वे जब भी अपने गांव जाते हैं तो इस प्रमुख व्यंजन को खाना नहीं भूलते हैं।

 

लालू प्रसाद पटना के बीएन कॉलेज से स्‍नातक की पढ़ाई करते समय ही छात्र राजनीति में आए। जेपी के अनुयायी लालू नीतीश कुमार तथा रामविलास पासवान के राजनीतिक गुरु भी बने।

 

2003 में बिहार के कुछ हिस्‍सों में आई बाढ़ के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद का कहना था कि इतना पानी तो मेरी पाड़ी (भैंस का बच्चा) एक बार में पी जाती है। उन्‍होंने केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ पर पूछी गई जानकारी के जवाब में यह कहा।

 

लालू प्रसाद अपने भाषणों में देहाती भाषा के शब्दों का प्रयोग बहुत ही ज्‍यादा करते हैं। देश तथा विदेशा में भी इनके इस तरह के बोलने के स्‍टाइल पर फिदा है। लोग इन्‍हें राजनीति का बहुत बड़ा कॉमेडियन भी मानते हैं। देश की मीडिया में भी इनके इस स्‍टाइल की बहुत ही चर्चा होती है।

 

2005 लालू प्रसाद केंद्र की सता में यूपीए की सरकार आने के बाद रेल मंत्री बने थे। इसी दौरान उन्‍होंने रेलवे में तथा रेलवे स्‍टेशनों पर चाय मिट्टी के बर्तन (कुल्हड़) में बेचना अनिवार्य कर दिया था, जिसके बाद रेलव तथा कुल्‍लड़ बनाने वाले की काफी कमाई हुई थी। इतना ही नहीं जब तक लालू यादव रेलमंत्री रहे उन्होंने यात्री किराया नहीं बढ़ाया।

 

लालू यादव तब भी सुर्खियों आए जब उन्होंने कहा था कि वे बिहार की सड़कों को फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी के गालों जैसी बना देंगे। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि सभी यादवों के घर में एक गाय और भैंस होगी और जब भी मैं यहां आऊंगा तो आप मुझे दूध और दही खिलाना।

 

देश में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है जो 2002 में आई थी जिसमें कहा गया था कि ‘जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू। उस यह कथन बहुत ही ज्‍यादा प्रचलित हुआ था।

 

3 अक्‍टूबर 2013 को लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सीबीआई कोर्ट द्वारा सजा सुनाने वाले जज पीके सिंह कॉलेज के दिनों में लालू प्रसाद के जुनियर रह चुके हैं। हालांकि लालू प्रसाद को याद नहीं था, जज पीके सिंह ने वेलेंटाइन डे के एक मामले में केस की सुनवाई करते हुए लालू को कॉलेज के दिनों को याद कराया।

2005 में नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन के साथ बिहार का मुख्यमंत्री बन गये।  उसके बाद लालू यादव 10 वर्षों तक बिहार के सत्ता से दूर रहे और इसी बीच में चारा घोटाला मामले में जेल भी जाना पडा।

 

लोकसभा से पहले नीतीश कुमार का जेदयू से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी से लालू-नीतीश बुडी तरह बिहार में हार गये।

तब लालू प्रसाद यादव अपने सबसे बडे राजनीतिक दुश्मन नीतीश कुमार से मिल कर महागठबंधन बनाया और बिहार के सत्ता में जोरदार वापसी कर फिर से बिहार के राजनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीती में भी छा गये।

 

 

लालू यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट में मामला चल रहा है मगर अभी भी बिहार की जनता में उनकी जबरदस्त पकड़ है।  गरीब और पिछरे लोग लालू यादव को अपना मसीहा के रूप मानते है।  कहा जाता है अपने शासनकाल में लालू यादव ने दलितों और पिछडों को आवाज दिया था।  इस बार भी चुनाव में लालू यादव ने गरीबी और पिछरेपनको मुद्दा बना चुनाब लडा और जीता है।  तमाम आरोपों के वाबजूद लालू यादव भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखते है जि