narendra modi, 15 august, red fort, 72 independance day, India, narendra modi full speech, jai hind

आजादी की 72वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री जी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा, पढ़िए पूरा भाषण

आज भारत के आजादी की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। लालकिले से लेकर देश का हर शहर जश्न-ए-आजादी के रंग में रंगा है। पीएम मोदी लाल किले से देश को संबोधित किया है| पढ़िए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पूरा भाषण..

12 साल बाद लहलहा रहे हैं नील कुरिंजी के फूल
आजादी के पावन पर्व की आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं। आज देश आत्मविश्वास से भरा हुआ है। सपनों को संकल्प के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करके देश नई ऊंचाइको पार कर रहा है। आज का सूरज नया उमंग, नई उत्साह लेकर आया है। हमारे देश में 12 साल में एक बार नील कुरिंजी का फूल उगता है। इस साल दक्षिण के नीलगिरी पहाड़ियों पर नील कुरुंजी का फूल जैसे मानों तिरंगे झंडे के अशोक चक्र की तरह लहलहा रहा है।

बेटियों ने सात समंदर पार किया
आजादी का यह पर्व हम तब मना रहे हैं जब हमारी बेटियां, उतराखंड, हिमाचल, मणिपुर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बेटियों ने सात समंदर पार किया और सातों समंदर को तिरंगे रंग से रंगकर लौट आईं। एवरेस्ट विजयी तो बहुत हुए। हमारे अनेक वीरों और बेटियों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया है। आजादी के इस पर्व पर याद करूंगा कि आदिवासी इलाकों के हमारे बच्चों ने एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर इसकी शान और बढ़ा दी है।

संसद सत्र में सामाजिक न्याय के लिए काम
अभी-अभी लोकसभा और राज्यसभा के सत्र पूरे हुए हैं। यह सत्र बहुत अच्छे ढंग से चला और संसद का यह सत्र पूरी तरह सामाजिक न्याय को समर्पित था। सोशित, वंचितों और महिलाओं की हकों की रक्षा के लिए संवेदनशीलता के साथ समाजिक न्याय को मजबूत किया। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़ों-अति पिछड़ों के हकों की रक्षा का प्रयास किया।

सकारात्मक माहौल
हमारे देश में उन खबरों ने देश में एक चेतना लाई है कि भारत विश्व की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। ऐसे सकारात्मक माहौल में हम आजादी का पर्व मना रहे हैं। देश को आजादी दिलाने के लिए बापू के नेतृत्व में लाखों लोगों ने जवानी जेलों में गुजार दी। बहुत से लोगों ने आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया। मैं उन वीरों को सलाम करता हूं। इस तिरंगे की आन-बान-शान के लिए सैनिक दिन रात देश की सेवा में लगे रहते हैं। मैं अर्धसैनिक बलों और पुलिसबल को लाल किले की प्राचीर से शत-शत नमन करता हूं।

इन दिनों देश के कोने-कोने से अच्छी बर्षा के साथ बाढ़ की खबरें आ रही हैं। अतिवर्षा की वजह से जिन्हें मुसीबतें झेलनी पड़ीं उनके लिए देश खड़ा है। जिन्होंने अपनों को खोया है उनके दुख में मैं सहभागी हूं।

अगले साल जलियावाला बाग की घटना को 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। मैं उन सभी वीरों को नमन करता हूं।

ये आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। पूज्य बापू के नेतृत्व में नौजवानों, सत्याग्रहियों ने जवानी जेलों में काटकर हमें आजादी दिलाई। उन्होंने कुछ सपने भी संजोए थे। आजादी से पहले तमिलनाडु के कवि सुब्रमण्यन भारती ने कहा था ‘भारत दुनिया के सभी बंधनों से मुक्ति पाने का रास्ता दिखाएगा।’ इन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए आजादी के बाद बाबा साहेब आंबेडकर के नेतृत्व में समावेशी संविधान बनाया। इसमें समाज के हर तबके को समान रूप से अवसर दिया गया है।

हमारा संविधान कहता है कि गरीबों को न्याय मिले। जन जन को आगे बढ़ने का मौका मिले। निम्न मध्य वर्ग, मध्य वर्ग को और उच्च वर्ग को आगे बढ़ने का मौका मिले। हमारे बुजुर्ग हमारे दिव्यांग, महिलाएं, दलित, पिछड़े, सोशित, आदिवासी को आगे बढ़ने का मौका मिले। हम चाहते हैं कि दुनिया में भारत की धमक हो।

मैंने पहले भी टीम इंडिया का सपना आपके सामने रखा है। जब जन-जन देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटते हैं तो क्या कुछ नहीं हो सकता। मैं नम्रता के साथ कहना चाहूंगा कि 2014 में सवा सौ करोड़ देशवासियों ने सिर्फ सरकार नहीं बनाया, देश को आगे बढ़ाने के लिए जुटे रहे।

एलपीजी गैस कनेक्शन 2013 की रफ्तार से चले होते तो उस काम को पूरा करने में 100 साल भी ज्यादा लगता। ऑपटिकल फाइबर बिछाने में उस गति से पहुंचाने में सदियां लग जातीं। देश की अपेक्षाएं बहुत हैं। आज देश में बदलाव आया है। देश वही है, धरती वही है। हवा, आसमान वही हैं। अधिकारी वही हैं फाइलें वहीं हैं, लेकिन 4 साल में देश बदलाव महसूस कर रहा है। देश दोगुने हाइवे बना रहा है चार गुना मकान बना रहा है। देश रेकॉर्ड अन्न के साथ रेकॉर्ड मोबाइल बना रहा है। रेकॉर्ड ट्रैक्टर से रेकॉर्ड हवाई जहाज खरीदारी हो रही है। देश में नए आईआईटी, नए आईआईएम, नए एम्स बना रहा है। टायर-2 टायर थ्री सिटी में स्टार्टअप्स की बाढ़ है।

सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया के लिए काम करा है। तो उतने ही लगाव के साथ दिव्यांगों के लिए काम कर रहा है। हमारा किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती कर रहा है तो पुरानी बंद पड़ी सिंचाई योजनाओं को शुरू किया जा रहा है।

हमारी सेना मुसीबत में घिरे लोगों को बाहर निकालती है। वही सेना सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन के दांत खट्टे करती है। देश नई उमंग से आगे बढ़ रहा है।

किसान संगठन एमएसपी वृद्धि की मांग कर रहे थे। सालों से डेढ़ गुना एमएसपी की बात हो रही थी, लेकिन हमने हिम्मत के साथ फैसला लिया। जीएसटी पर कौन सहमत नहीं था। सबस चाहते थे, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही थी। आज हमारे व्यापारी के सहयोग से देश ने जीएसटी लागू कर दिया है। व्यापारियों को जीएसटी के साथ शुरू में कठिनाई आने के बावजूद आगे बढ़ाया।

आज इन्सॉलवेंसी और बैंकरप्सी का कानून बना है। किसने ऐसा करने से रोका था। बेनामी संपत्ति के खिलाफ कानून क्यों नहीं बन पाया था। सैनिक वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे। हमने इसे पूरा किया। हम कड़े फैसले लेने का साहस रखते हैं, क्योंकि हम देशहित में काम करते हैं दलहित में नहीं।

आज पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है। हमारी छोटी-छोटी बातों को भी पूरी दुनिया गौर से देख रही हैं। 2014 से पहले दुनिया की ओर से कहा जा रहा था कि भारत की इकॉनमी में रिस्क है, लेकिन अब वही लोग कह रहे हैं कि सुधारों से बदलाव आ रहा है। दुनिया तब रेड टेप की बात कहती थी औज रेड कार्पेट की बात हो रही है। भारत के लिए पॉलिसी पैरालिसिस की बात कही जाती थी। वो भी एक वक्त था जब भारत को फ्रेगाइल-5 में गिना जाता था और आज दुनिया कह रही है भारत मल्टी ट्रिल्यन डॉलर निवेश का गंतव्य बन गया है।

दुनिया कभी बिजली जाने और बोटलनैक की बात करते थे और आज दुनिया कह रही है कि सोया हुआ हाथी ब दौड़ने लगा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसिया कह रही हैं कि आने वाले तीन दशक तक भारत दुनिया को गति देने वाला है। ऐसा विश्वास आज भारत के लिए पैदा हुआ है।

आज भारत की बात को दुनिया में सुना जा रहा है। दुनिया के मंचों पर हमने अपनी आवाज को बुलंद की है। आज हमें अनगिनत संस्थाओं में स्थान मिला है। आज भारत ग्लोबल वार्मिंग की बात करने वालों के लिए उम्मीद बना है। आज कोई भी भारतीय जब कहीं कदम रखता है तो स्वागत होता है। भारतीय पासपोर्ट की ताकत बढ़ गई है। विश्व में यदि कहीं भी हिंदुस्तानी संकट में है तो उसे विश्वास है कि देश हमारे साथ खड़ा है।

विश्व में भी भारत की ओर देखने का नजरिया मिला है। भारत में जब नॉर्थ ईस्ट की खबरें आती थीं तो लगता था कि ऐसी खबरें ना आएं तो अच्छा। लेकिन आज नॉर्थ ईस्ट से अच्छी खबरें आ रही हैं। खिलाड़ी मेडल जीत रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के दूरदराज के गांवों में बिजली पहुंचने और इंटरनेट पहुंचने की खबरें आ रही हैं। आज नॉर्थ ईस्ट के नौजवान बीपीओ खोल रहे हैं। हर्बल खेती का केंद्र बन गया है।

हमारे देश के युवाओं ने आज प्रगति के सारे मापदंडों को बदल दिया है। नौजवानों ने नेचर ऑफ जॉब को बदल दिया है। नए क्षेत्रों से देश को ऊंचाइयों पर ले जा रह है। 13 कोरोड़ मुद्रा लोन दिया गया है। इनमें 4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार लोन लेकर स्वरोजगार शुरू किया है। आज हिंदुस्तान के गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर युवा चला रहे हैं।

रेलवे, रोड, हाइवे के मामले में देश बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने हमारे देश का नाम रोशन किया है। 100 से ज्यादा सेटेलाइट एक साथ आसमान में भेजकर दुनिया को चकित कर दिया। पहले ही प्रयास में मंगलयान की सफलता, वैज्ञानिकों की शक्ति दिखाता है। हम जल्द ही नाविक लॉन्च करने जा रहे हैं।

आज लाल किले की प्राचीर से मैं एक खुशखबरी देना चाहता हूं। हमारा देश अंतरिक्ष की दुनिया में प्रगति करता रहा है। हमारे वैज्ञानिकों ने लक्ष्य रखा है कि 2022 में मां भारत का कोई संतान बेटा हो या बेटी वे अंतरिक्ष में जाएंगे। हाथ में तिरंगा लेकर जाएंगे। अब हम मानव को लेकर गगनयान लेकर जाएंगे। तब विश्व के अंदर चौथे देश बन जाएंगे।

मैं देश कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को बहुत बधाई देता हूं। हमारे किसानों को भी वैश्विक चुनौतियों की सामना करना पड़ता है। आज हमारा पूरा ध्यान कृषि क्षेत्र में आधुनिकता लाने पर है। हम किसानों की आय दोगुना करना चाहते हैं। बहुत से लोगों को इस पर आशंका होती है। हम मक्शन पर लकीर नहीं पत्थर पर लकीर खींचने वाले हैं।

हम बीच से लेकर बाजार तक आधुनिकीकरण करना चाहते हैं। कई फसलों का रेकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। आज हमारा देश मछली उत्पादन में दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। आज शहद का निर्यात दोगुना हो चुका है। इथेनॉल का उत्पादन तीनगुना हो गया है। हम गांव के संसाधन और सामर्थ्य को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

खादी का नाम पूज्य बापू के साथ जुड़ा है। खादी की बिक्री पहले से डबल हो गई है। सोलर फार्मिंग की ओर भी हमारा किसान ध्यान देने लगा है। हैंडलूम का रोजगार भी बढ़ा है। मानव की गरिमा सर्वोच्च है। हमें उन योजनाओं को लेकर आगे बढ़ना चाहिए ताकि लोग सम्मान के साथ आगे बढ़ें।

उज्जवला योजना के तहत हमने घर-घर रसोई गैस पहुंचा रहे हैं। कल राष्ट्रपति जी ने बताया कि कैसे सेवा लोगों तक पहुंच रही है। मैंने इसी लाल किले से स्वच्छता की बात कही थी तो कुछ लोगों ने मजाक बनाया था। पिछले दिनों डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट आई है, इसमें कहा गया है कि स्वच्छता की वजह से भारत में तीन लाख लोगों की जिंदगी बची है। गांधी जी ने सत्याग्रही तैयार किए थे उन्हीं की प्रेरणा से स्वेच्छाग्रही तैयार हुए।

देश के 10 करोड़ परिवारों को यानी करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा की योजना देने वाले हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का आज 15 अगस्त से परीक्षण शुरू हो रहा है। 25 सितंबर को दीन दयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर इसे लॉन्च कर दिया जाएगा। कोई गरीब गरीबी में जीना-मरना नहीं चाहता। कोई गरीब अपने बच्चों को विरासत में गरीबी देकर जाना नहीं चाहता। वह झटपटा रहा होता है। गरीबों को सशक्त बनाने का यही अपाय है। हमारा प्रयास रहा है कि गरीब सशक्त हो।

पिछले 2 साल में भारत में पांच करोड़ गरीब करीबी रेखा से बाहर आए। हमने गरीबों के लिए कई योजनाएं बनाई है। लेकिन बिचौलिए गरीबों का लाभ उस तक पहुंचने नहीं देते। हमारी व्यवस्था में जो त्रुटिया हैं उन्हें दूर करके लोगों में विश्वास पैदा करना जरूरी है। जब से हम इस सफाई अभियान में लगे हैं, छह करोड़ लाभार्थी ऐसे थे जो कभी पैदा ही नहीं हुए। लेकिन उनके नाम से पैसे जा रहे थे। जो इंसान पैदा नहीं हुआ, फर्जी नाम लिखकर पैसे मार लिए जाते थे।

करीब 90 हजार करोड़ रुपया जो गलत लोगों के हाथों में गलत तरीके से जा रहे थे आज वह बचे हैं। ऐसा होता क्यों है। यह देश गरीब की गरिमा के लिए काम करने वाला है। ये बिचौलिये क्या करते हैं। बाजार में गेहूं की कीमत 24-25 रुपये है। जबकि सरकार इस दर पर खरीदकर केवल 2 रुपये में गरीब को देती है। चावल 30-35 रुपये में लेकर 2 रुपये में गरीब तक पहुंचाती है।

जो इमानदार टैक्सदाता है। उन पैसों से ये योजनाएं चलती हैं। इसका पुण्य ईमानदार टैक्सदाताओं को जाता है। जब आप खाना खा रहे हैं तो तीन गरीब परिवार भी खाना खा रहा है और इसका पुण्य टैक्सदाता को मिलता है। देश में टैक्स ना भरने का माहौल बनाया जा रहा है। लेकिन जब टैक्सदाता को पता चलता है कि उसके पैसे से तीन गरीब परिवारों का पेट भर रहा है तो इससे ज्यादा संतोष की बात क्या होगी। प्रत्यक्ष टैक्सदाताओं की संख्या 2013 तक 4 करोड़ थी और आज पौने 7 करोड़ है, यह ईमानदारी का उदाहरण है। अप्रत्यक्ष कर 70 सालों में 70 लाख था, जीएसटी के बाद एक साल में यह आंकड़ा 1 करोड़ 16 लाख पहुंच गया। जो भी आगे आ रहे हैं उन्हें मैं नमन करता हूं।

देश को दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने बर्बाद किया। दिल्ली के गलियारों में आप पावर ब्रोकर नजर नहीं आते। कुछ लोग देश बेडरूम में बैठकर कहते थे सरकार की नीतियां बदल दूंगा, उनकी दुकानें बंद हो गईं। करीब 3 लाख फर्जी कंपनियां बंद कर दी गईं।

एक समय पर्यावरण की मंजूरी भ्रष्टाचार का पहाड़ था, हमने सारी व्यवस्था ऑनलाइन कर दी है। आज सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज हैं, यह गर्व का विषय है। आजादी के बाद यह पहली कैबिनेट है जब महिलाओं को इतना सम्मान मिला है। भारतीय सेना में सॉर्ट सर्विस कमीशन से नियुक्त महिला अधिकारियों को पुरुष अधिकारियों की तरह स्थायी कमीशन की घोषणा करता हूं। भारत की महिलाएं देश के विकास में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। खेत से लेकर खेल के मौदान तक योगदान दे रही हैं। स्कूल से लेकर सेना तक कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसे समय में कुछ राक्षसी शक्तियां भी हैं। बलात्कार की घटनाएं पीड़ा पहुंचाती हैं। पीड़िता से ज्यादा हमें पीड़ा होनी चाहिए। इस बुराई से देश को मुक्त करना होगा। पिछले दिनों मध्य प्रदेश में 5 दिन में बलात्कारियों के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। राजस्थान में भी ऐसा हुआ। इसकी चर्चा जितनी होगी इन राक्षसों को भय होगा। इन खबरों की चर्चा अधिक होनी चाहिए। इस सोच पर प्रहार करने की जरूरत है। हमारे लिए कानून का न्याय सर्वोच्च है।

मुस्लिम महिलाओं को मैं लाल किले से कहना चाहता हूं कि 3 तलाक ने उन्हें पीड़ा दी है। हमने इस संसद सत्र में तीन तलाक के खिलाफ बिल पेश किया था, लेकिन कुछ लोग अभी भी इसे पारित नहीं होने देना चाहते। मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको न्याय दिलाकर रहूंगा।

आए दिन नॉर्थ ईस्ट से बम-बंदूक की खबरें आती थीं। आज हमारे सुरक्षाबलों, केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से कुछ वर्षों बाद त्रिपुरा और मेघायल अफस्पा मुक्त हो गया है। आज नक्सलवाद 126 जिलों से कम होकर 90 जिलों तक सिमट गया है।

जम्मू-कश्मीर के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने हमें रास्ता दिखाया था। हम उन्हीं की तरह इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का विकास करना है। हम कश्मीरियों को गले लगाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। कश्मीर के पंच आकर हमसे अपील करते थे कि पंचायत चुनाव हो। जल्द ही वहां पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव होंगे।

हमें देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। हमारा मंत्र है- सबका साथ सबका विकास। मैं एक बार फिर इस तिरंगे झंडे के नीचे खड़े रहकर मैं संकल्प दोहरना चाहता हूं। सभी देशवासी के पास अपना घर हो। सभी घर में बिजली हो। सभी घर को धुएं से मुक्ति मिले। हर भारतीय को स्वच्छ पानी और शौचालय मिले। हर भारतीय को अच्छी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मिले। हर भारतीय को बीमा सुरक्षा मिले। हर भारतीय को इंटरनेट की सुविधा मिले।

लोग मेरे लिए भी भांति-भांति की बातें करते हैं। लेकिन जो कुछ भी कहा जाता हो मैं सार्वजनिक रूप से स्वीकार करता हूं मैं बेसब्र हूं। मैं बेसब्र हूं देश को आगे ले जाने के लिए। मैं बेचैन हूं देश को कुपोषण को मुक्त करने के लिए। मैं व्याकुल हूं कि देश के सभी व्यक्ति को बीमा कवर मिले। मैं बेसब्र हूं कि देश के लोगों का जीवनस्तर में सुधार हो। मैं आतुर हूं कि क्योंकि मैं चाहता हूं कि देश अपनी क्षमता और संसाधनों का पूरा लाभ उठाए।

हम जा आज हैं कल उससे भी आगे बढ़ना चाहते हैं। रुकना और झुकना हमारे स्वभाव में नहीं। यह देश ना रुकेगा ना झुकेगा और ना थकेगा। हम सिर्फ भविष्य देखकर अटकना नहीं चाहते हैं।

अपने मन में एक लक्ष्य लिए मंजलि अपनी प्रत्यक्ष लिए…हम तोड़ रहे हैं जंजीरे…हम बदल रहे हैं तस्वीरें

यह नवयुग है यह नवभारत है…खुद लिखेंगे अपनी तकदीर…बदल रहे हैं तस्वीर

हम निकल पड़े हैं अपना तन-मन अर्पण करके, जिद है एक सूर्य उगना है…अंबर से आगे जाना है…एक भारत नया बनाना है।

देश के लिए लड़ते हुए सीमा पर बिहार का एक बेटा शहीद

देश में दीवाली का माहौल है. हमारी खुशीहाली में खलल नहीं पड़ने के लिए हमारे जवान सीमा पर जान की बाजी खेल रहे है। भारत-पाक सीमा पर हमारी सुरक्षा में तैनात बिहार के एक जवान कल शहीद हो गए।
कुछ दिनों से भारत-पाक की सीमा से लगे आरएसपुरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की जा रही है। फायरिंग में कल बिहार के एक बीएसएफ जवान जितेंद्र कुमार सिंह शहीद हो गये। सूचना मिलने के बाद जितेंद्र के परिजनों में शोक की लहर दौड़ गयी। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल के रहने वाले जितेंद्र 1993 में सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुए थे। पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ की नाकाम कोशिश और सीजफायर का उल्लंघन लगातार जारी है। जानकारी के मुताबिक अदलियां में हुई सीमा पार से फायरिंग में जितेंद्र सिंह की मौत हो गयी।
वही उनके गांव में शोक की लहर दौड़ने के कारण पूरे इलाके में दीपावली और छठ की तैयारी रोक दी गयी है।

इस दिवाली अपने प्रधानमंत्री जी ने की है एक शानदार पहल, जान आपका भी सीना हो जायेगा 56 इंच का

हर साल , हर विशेष पर्व त्यौहार को बड़े ही खुशनुमा कर देते हैं माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ! कुछ न कुछ ऐसा कर गुजरते ही की देश की तमाम जनता का दिल जीत लेते हैं और वहीँ राजनीतिक प्रतिद्वंदी को भी स्तब्ध कर देते हैं !

2014 – पहला साल दिवाली का !

सबसे पहले सुबह सुबह सियाचिन गए १२ हजार फीट उपर भारतीय सेना के कैंप में ! वहां  हमारे जवानों का हौशला बढाया , शुभकामनाये  दी सुर १२५ करोड़ भारतवासी के तरफ से हार्दिक धन्यवाद और प्यार दिया ! उन्होंने कहा की देश हर्षो  उल्लास के साथ दिवाली मना रहा है तो वो आपकी वजह से !

उन्होंने कहा  “I have specially come on the occasion of Diwali to be with you. I am aware how it feels like to spend Diwali with your family. The happiness is different, but you are so involved in the devotion of your motherland that family is spending Diwali somewhere else and you are somewhere else guarding the motherland,”

साथ में ऐसे अपनी भावनाओ को शब्द कहा जिससे हमारे जवानों का मनोवल बढ़ा  “My coming to this place will not fill the void of your family members, but as a representative of 125 crore people… after being with you I feel proud and satisfied,” 

उसी २०१४  दोस्तों हमारे जम्मू कश्मीर के  भाई बहन भीषण बाढ़ के प्राकृतिक हादसा से  रु-बरु हुए थे जो की की 100 साल में सबसे बुरी  तरह प्रभवित था ! जिसमे लगभग 300 जाने गयी थी  और 15 लाख  लोग प्रभावित  हुए थे ! उस दिवाली प्रधानमंत्री  ने इस दुःख की अवधि में , दिवाली शाम  में जम्मू कश्मीर  में मनाई  थी ! साथ में 570 करोड़  रुपए पुनर  आवास के  लिए घोषित  भी किया था !

2015 – दूसरा  साल दिवाली का !

हाँ 2015 की दिवाली भी फिर से भारतीय सेना के साथ ! इस बार वो तोहफा  भी साथ ले गए थे सालो से अटकी मांग थी , वो सुलझा  दिया  गया ऐसा समाचार  ले के ! वो था OROP (One-Rank-One-Pension). इस साल वो पश्चिमी बॉर्डर पे गए जो 1965 भारत -पाकिस्तन  की लड़ाई  से जुडी सारे जगहों का मुयाना  किया , शहीदों, उनके योगदानो  को याद  किया ! 2015 , 50वा साल  था था , 1965 के जंग  का !  उन्होंने सीमा  के जवानों के साथ बातचीत कर के अपना  अनुभव और भावनाए Tweet के जरिये व्यक्त  की !

“Today was a very satisfying day. Visited some important places along our western border that saw action in 1965,”

“It was great spending time with our troops & interacting with them. Their courage & patriotism inspires,”

“My visit to these places comes when we are marking the 50th anniversary of the 1965 war. We salute everyone who fought in that war,”

“The places I visited were the places where our troops laid down their lives while defending our Motherland. We are proud of our armed forces,”

2016 – तीसरा साल दिवाली का 

अभी 2016 की दिवाली आने मे 7 दिन बांकी है और इधर हमारे प्रधानमंत्री जी ने शुरुआत कर दी , एक विशेष तरीके का आवाहन  किया  है देश से ! लगातार तीसरे साल भी ये हमारी भारतीय  सेना  से जुडा हुआ कदम ! फिर से दिल जीत लेने वाला कार्य , ऐसा  कार्य  जिससे हर भारतवासी खुद  को जोड़ पायेगा , हर भारतीय सैनिक फुले नहीं समाएगा !  इज्जत, हौसला , अपनापन , प्यार , मोहब्बत , दिल , जान , वतन  हम,आप, समाज , देश , साथ , दिवाली , मिठाई , भावना , सागर , जोश , उन्माद , बरसात, दिवाली , दीपावली हाँ  दीपावली !

तो ये शुरुआत है सन्देश भेजने का अपने देश के जवानों के नाम #Sandesh2Soldier नाम से ये शुरुआत है माननीय प्रधानमंत्री जी का , जिससे इन्होने एक लघु विडियो के जरिये भावनाओ  को व्यक्त  किया है ! जो की दिल को छू लेने वाला ही नहीं मनमोहक और सराहनीय भी  है !

आप अपना सन्देश विचार ट्विटर , फेसबुक पे #Sandesh2Soldier के साथ व्यक्त कर सकते हैं ! आप चाहे तो पोस्टकार्ड द्वारा भी भेज सकते हैं ! इस पते पे :-

आल इंडिया रेडियो, आकाशवाणी भवन , संसद मार्ग, नई दिल्ली – पिन 110001

#जयहिन्द #JayHind

#BihariKrantikar: #13 जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है,

जिससे हो सकता उऋण नहीं, ऋण भार दबा तन रोम-रोम,
सौ बार जन्म भी लूँ यदि मैं, जिसके हित जीवन होम-होम||

जयप्रकाश नारायण जी के बारे में ब्रिटिश विद्वान ह्यूग गैट्स केल ने कहा था, “उनकी एक हस्ती है जिनका समाजवाद केवल उनकी राजनीति में ही नहीं चमकता, केवल उनकी सिखावत में ही नहीं रहता, बल्कि उनके सारे जीवन में समाया हुआ है|”

राजनीतिज्ञों की धरती, बिहार, से निकले देशभक्त क्रांतिकारियों में जयप्रकाश नारायण का नाम अग्रणी है| इनका जन्म छपरा जिले के सिताबदियारा नामक गाँव में दशहरे के दिन 11 अक्टूबर, 1902 को हुआ था| पिता का नाम श्री दयाल तथा माँ का नाम फूलरानी देवी था| पशु-पक्षियों से प्रेम रखने वाला बालक जयप्रकाश काफी सोच-समझ कर ही बोला करते थे| इन वजह से इनके पिता जी मजाक-मजाक में कहते थे, “ई त बूढ़ लरिका हउअन”|
16 मई 1920 ई० को इनका विवाह प्रभावती देवी से हो गया, जो राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेती थीं और देशभक्ति उनके रग-रग में थी| तभी तो उन्होंने आजीवन अपने जीवनसाथी का सहयोग दिया और खुद भी कैद हुईं|
जयप्रकाश नारायण ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक करने से इनकार कर दिया था तथा अपना जीवन देश के नाम करने का दृढ़ निश्चय लिया|

नारायण जी की निर्भीकता, क्रांतिकारी भावना, मनुष्यता, पौरुष, सौजन्य तथा आकर्षण शक्ति पर सारा देश मन्त्र-मुग्ध हो उठता था| क्रांतिकारी भावनाओं से अनुप्राणित भारतीय नवयुवक तो उन पर प्राण न्यौछावर करते थे| विचारों में काफी भेद होते हुए भी गांधी जी जयप्रकाश जी से प्रेम करते और उनकी न्यायनिष्ठा पर पूरा विश्वास रखते थे| 1940 ई० में हुए जयप्रकाश नारायण की गिरफ्तारी का गाँधी जी ने पुरजोर विरोध भी किया था|
1942 ई० की घटना है| जे.पी. हजारीबाग जेल में कैद थे| करो या मरो का नारा जोरों पर था, भारत छोड़ो आन्दोलन अपने चरम पर, ऐसे में जे.पी. जेल में छटपटा रहे थे, देश के लिए कुछ न कर पाने का अफ़सोस था उन्हें| तभी दिवाली का त्योहार आया| जेल के कैदियों और कर्मचारियों को जेलर की ओर से दावत का आयोजन था, फिर नाच और गाने का प्रोग्राम था|
रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने उस जश्न का संचालन किया| वातावरण में मस्ती का माहौल था| इधर जे.पी. ने धोतियों की रस्सी बनाई और 6 मिनट में जेल की दीवार लाँघ गये| साथ में 6 मित्र और थे| इस फरारी की रामवृक्ष बेनीपुरी जी ने 12 घंटे तक किसी को कानो-कान खबर न होने दी|जेल के अधिकारीयों को जब ये बात मालूम चली तब तक जे.पी. की टोली काफी दूर निकल गयी थी| ब्रिटिश सरकार के लिए ये बहुत बड़ी चुनौती थी| उन्होंने जे.पी. को जिन्दा या मुर्दा पकड़ने पर 10 हजार का इनाम भी रखा|

एक दिन ये सभी मित्र नेपाल में पकड़े गये| लेकिन इतना आसन भी नहीं था कि कोई जे.पी. और उनकी टीम को कैद रखे| बकायदा स्कीम बनाई गयी| सातों कैदी सो गये, अचानक गोलियाँ चलने लगीं| सातों बहादूर दौड़ पड़े, कोई कहीं गया और कोई कहीं| सभी ब्रिटिश कैद से मुक्त हो गये|
जे.पी. कोलकाता चले गये| एक दिन वो एस.पी. मेहता के नाम से रावलपिंडी जा रहे थे| अमृतसर स्टेशन पर गाड़ी ठहरी| जे.पी. चाय पीने के लिए नीचे उतरे| चाय अभी पी ही रहे थे कि अंग्रेज अधिकारी आ गये| ब्रिटिश सरकार को लोहे के चने चबाने पर मजबूर कर देने वाले जे.पी. पुनः कैद कर लिए गये| लाहौर जेल में उन्हें कई तरह की यातनाएँ दी गईं| कुर्सी पर बाँध कर पिटाई की गयी, लेकिन जे.पी. की तरफ से एक भी राज की बात सामने नहीं आई| लाहौर से वो आगरा भेज दिए गये| 1946 में उन्हें कैद से आजादी मिली| आजाद होते ही वे बापू से मिलने गये| बापू ने प्रार्थना सभा की बैठक में जे.पी. की मुक्त कंठ से प्रशंसा की|

आजादी के बाद जे.पी. विनोबा भावे के भूमि समस्या पर चल रहे कार्यक्रम से बहुत प्रभावित हुए| 1954 ई० में उन्होंने सर्वोदय के लिए अपना जीवन दान दे दिया| उनसे प्रेरित होकर 582 लोगों ने खुद को सर्वोदय के लिए समर्पित किया| इसके बाद देश-विदेश के 50 से अधिक सभाओं में जे.पी. के महत्वपूर्ण भाषण हुए|
1972 ई० की बात है| चम्बल घाटी के खूंखार डकैत निःशंक और निर्भय होकर जे.पी. के समक्ष आत्मसमर्पण करते थे| जे.पी. उन्हें गीता और रामायण की पुस्तकें देते| चम्बल घाटी का सरनाम डाकू मोहर सिंह, जिसको जिन्दा या मुर्दा पकड़ने वालों को मध्य-प्रदेश सरकार की तरफ से 2 लाख के इनाम की घोषणा थी, ने जे.पी. के सामने घुटने टेक दिए| अपना सर उसने जे.पी. के कदमों में रख दिया| उन चरणों में कुल 501 डाकुओं ने जे.पी. के सामने हथियार डाला तथा अच्छाई और सच्चरित्रता का जीवन अपनाने का संकल्प लिया| यह विचारों में आई क्रांति ही थी, जिसने उन डाकुओं को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया|
छात्रों और बिहार की जनता की प्रार्थना पर जे.पी. ने अस्वस्थ होने के बावजूद बिहार आन्दोलन का नेतृत्व किया| 1974 का वो आन्दोलन आज भी युवाओं में जोश भर देता है| आज भी उसे आजादी के बाद का सबसे महत्वपूर्ण एवं मजबूत आन्दोलन कहा जाता है| आज भी कहा जाता है कि जिस कदर जनसमूह ने जे.पी. आन्दोलन का समर्थन किया, वो अविश्मर्णीय है| 1977 में भारत की जनता को जनता पार्टी के रूप में नेतृत्व प्रदान कर जे.पी. ने ‘युग-परिवर्तन’ किया| शायद इसका अंदेशा नेहरु जी को पहले से ही था|

नेहरु जी ने एकबार रेडियो प्रसारण में कहा था, “जयप्रकाश जी की काबिलियत और ईमानदारी पर मुझे कभी कोई शक नहीं रहा है| एक मित्र के नाते मैं उनकी इज्जत करता हूँ और मुझे यकीन है कि एक वक्त आएगा जब भारत के भाग्य निर्माण में वे महत्वपूर्ण पार्ट अदा करेंगे|”

8 अक्टूबर1979 ई० को देश के सच्चे भक्त, देश निर्माण और जनसमूह के नेता, क्रांतिकारियों के क्रांतिकारी नायक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिहार के जे.पी. इस दुनिया को अलविदा कह गये| किसी भी बड़े आन्दोलन में अब भी जे.पी. का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है| ऐसे देशभक्त को हमारा नमन|
राष्ट्रकवि दिनकर के शब्दों में-

“है जयप्रकाश जो कि पंगु का चरण, मूक की भाषा है,
है जयप्रकाश वह टिकी हुई जिस पर स्वदेश की आशा है|

है जयप्रकाश वह नाम जिसे इतिहास समादर देता है,
बढ़कर जिसके पदचिन्हों को उर पर अंकित कर देता है|

कहते हैं उसको जयप्रकाश, जो नहीं मरण से डरता है,
ज्वाला को बुझते देख कुंड में कूद स्वयं जो पड़ता है|”

#BihariKrantikari: इस देशभक्त ने एक हाथ में गीता और दूसरे हाथ में कृपाण रख देश की आजादी की कसम खाई थी

बिहार के मुंगेर जिला में माउर नामक ग्राम का एक संभ्रांत कृषक परिवार| 21 अक्टूबर 1887 ई० को पिता हरिहर सिंह के चौथे पुत्र के रूप में आये श्री कृष्ण सिंह| पिताजी शिवभक्त थे, जिसका प्रभाव पुत्रों पर भी आजीवन बना रहा| श्री कृष्ण सिंह न सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री रहे बल्कि ये आधुनिक बिहार के निर्माता भी माने गये हैं| भारत माता के महान सपूत, स्वतंत्रता संग्राम के नायक, स्वच्छ राजनीतिज्ञ, अनासक्त कर्मयोगी और किसानों और गरीबों के मसीहा, श्री कृष्ण सिंह को लोग यूँ ही प्यार से ‘श्री बाबू’ नहीं कहते| आजीवन देश को समर्पित रहे श्री सिंह कई बार कहा करते थे, “प्रत्येक नागरिक को सदैव यह स्मरण रखना चाहिए कि पहले देश है, फिर शेष|”
छात्र जीवन में ही मुंगेर के कष्टहरणी घाट पर, एक हाथ में गीता और दूसरे हाथ में कृपाण लेकर श्री बाबू ने संकल्प लिया था कि “जब तक देश आजाद नहीं हो जायेगा, तब तक चैन से नहीं बैठूँगा”|
श्री कृष्ण सिंह ने महात्मा गांधी की अगुआई में सन् 1920, 1930, 1940 एवं 1942 ई० में संचालित राष्ट्रिय आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाई| इन्होंने 10 वर्षों तक जेल की यातनाएं सहीं| 1916 ई० में उन्होंने सेंट्रल हिन्दू कॉलेज, बनारस में गांधी जी का भाषण पहली बार सुना और इतने प्रभावित हुए कि होमरूल आन्दोलन के सक्रिय हो गये| इन्होंने मुंगेर के गाँव-गाँव में घूमकर स्वराज का सन्देश किसानों को सुनकर उन्हें संगठित किया|
1920 ई० में गांधी जी से पहली बार साक्षात्कार के बाद ये वकालत छोड़ कर असहयोग आन्दोलन में सक्रिय हुए| उनके क्रांतिकारी भाषणों से जनता आंदोलित हो उठी| 1920 ई० के कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में श्री बाबू को 260 प्रतिनिधियों में सर्वप्रमुख प्रतिनिधि चुना गया| फलतः उनका कार्यक्षेत्र समस्त बिहार बन गया| 1921 ई० में ये एक साल के लिए गिरफ्तार कर लिए गये|
असहयोग आन्दोलन के स्थगित होने पर ये स्वराज दल से जुड़े| 1923 ई० में खड़गपुर में उन्होंने बिहार के जमींदारों द्वारा किसानों पर किये जाने वाले जुल्म के खिलाफ किसानों को संगठित किया| उस वक्त श्री बाबू किसान सभा के सचिव थे| किसानों की और से सिंहेश्वर चौधरी ने उन्हें ‘बिहार केसरी’ की उपाधि से विभूषित किया|
श्री बाबू के सहृदय, धर्म-निरपेक्ष होने की कई घटनाएँ सामने आती हैं| 1924 ई० में मुंगेर जिला परिषद के चुनाव में उन्हें सर्व सम्मति से अध्यक्ष मान लिया गया| किन्तु उन्होंने अपने अग्रज शाह मुहम्मद जुबैर, जो एक प्रतिष्ठित वकील थे, को अध्यक्ष बना कर खुद उपाध्यक्ष बने| 1930 ई० में जुबैर साहब की मृत्यु के पश्चात् ही इन्होंने अध्यक्ष पद स्वीकार किया|
नमक सत्याग्रह की घटना श्री बाबू के क्रांतिकारी विचार को खुल कर सामने रखती है| उस समय वो अस्वस्थ चल रहे थे, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद भी नहीं चाहते थे कि ऐसी परिस्थिति में श्री बाबू नमक सत्याग्रह में भाग लें| लेकिन श्री बाबू उस हालत में भी मुंगेर से 30-35 मील पैदल चलकर बेगुसराय मंडल के ‘गढ़पुरा’ ग्राम में नमक सत्याग्रह में भाग लेने पहुँचे| वहाँ श्री बाबू ने पुलिस पदाधिकारी द्वारा विरोध जताने पर, खुलते कड़ाहे की मूठ को दोनों हाथों से पकड़ लिया| हाथ में फफोले पड़ गये लेकिन श्री बाबू ने मूठ नहीं छोड़ी|
श्री बाबू वो शख्स रहे हैं जिन्होंने कभी चुनाव में हार नहीं देखी| 20 जुलाई 1937 ई० में ये बिहार के प्रधानमंत्री बने, किन्तु 1939 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को विश्वयुद्ध में झोंकने के खिलाफ आकर इन्होंने पद त्याग दिया| 1940 में पटना में छात्र-सभा में इन्होंने कहा, “न देंगे एक पाई, न देंगे एक भाई”| इसके बाद इन्हें पुनः 9 महीने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया|
आजादी के बाद जब-जब आम चुनाव हुए, श्री बाबू विजयी रहे| विशेष बात यह थी कि ये कभी वोट मांगने अपने कार्यक्षेत्र में नहीं गये| कई विरोधियों के बावजुद एवं स्वयं वोट मांगने न जाने के बावजुद भी ये हर बार विजयी हुए| ये एक निस्वार्थ देश सेवक का अपने कार्य पर विश्वास नहीं तो और क्या है!
श्री बाबू ने बिहार के विकास में कई कार्य किये| निर्विवाद रूप से ये कहा जाता है कि आज विकासोन्मुख बिहार में जो भी प्रगति का प्रबल स्तंभ दिख रहा है, उन सब की परिकल्पना श्री बाबू ने ही दी थी| बिहार में जमींदारी प्रथा का उन्मूलन कर उन्होंने नया कीर्तिमान स्थापित किया| जमींदारों के शोषण से मुक्त होकर किसान प्रगति की ओर उन्मुख हुए| शोषण और दमन में पिसती अनुसूचित जनजातियों का उद्धार किया|
श्री बाबू पुस्तक प्रेमी और स्वाध्यायी थे| मुख्यमंत्री आवास में उनका एक निजी पुस्तकालय भी था, जिसको अंतिम समय में उन्होंने ‘मुंगेर सेवा सदन’ को दान कर दिया| श्री बाबू कहते थे, “ दुनिया में दो बड़ी चीजें हैं- एक बोलना, दूसरा लिखना| बोली और लेखन से हम अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाते हैं| तुलसी की बात हम नहीं जानते, यदि उनमें बोलने-लिखने की ताकत नहीं होती| भाव तो पैदा होकर खत्म हो जायेगा| छः हजार वर्ष पहले वेद की ऋचाएँ कही गईं| फिर गीता बोली गई| अब तो उनपर अनेक भाष्य और पुस्तकें बनकर तैयार हो गयी हैं| बोलने और लिखने की ताकत, इन्हीं दोनों से मनुष्य आगे बढ़ता है| आज पुस्तकों से ही संभव है कि कुछ ही वर्षों में लड़के सब जान लेते हैं, जिसे जानने में संसार को हजार वर्ष लगे थे|”
विपत्ति में धैर्य, अभ्युदय में क्षमा, सभा में वाक्चातुर्य, युद्ध में विक्रम और स्वभाव में शीतलता श्री बाबू के व्यक्तित्व की विशेषताएँ हैं| मैथली शरण गुप्त ने इन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा था-
“तुम स्वराज संयुग के योद्धा,
सिंह निहिंसन-वृति-वितृष्ण,
लो, स्वीकार करो हे विजयी,
इन जन का भी- ‘जय श्री कृष्ण’|”
लम्बे समय तक राजनीति में रहते हुए भी श्री बाबू ने कभी अपने परिवारजन को राजनीति में शामिल नहीं होने दिया| वो वंशवाद के विरोधी थे| जब तक वो मुख्यमंत्री रहे, उन्होंने अपने परिवार से किसी को टिकट नहीं दिया| यहाँ तक की उन्हें ये भी पसंद नहीं था कि उनके बेटे उनके मुख्यमंत्री आवास में रहें|
1961 ई० में श्री बाबू ने अंतिम साँसें लीं| उनके निधन के पश्चात् उनकी तिजोरी खोली गयी| उसमें एक बड़ा लिफाफा था, जिसके अन्दर 3 छोटे लिफाफे थे| एक लिफाफे में 22 हजार रूपये थे, जिसके ऊपर लिखा था कि इसे बिहार प्रांतीय काँग्रेस कमिटी को दे दिया जाये, जिसका मैं आजीवन सदस्य रहा| दूसरे लिफाफे में 2 हजार रूपये थे जो उनके महरूम मित्र, जो उनके मंत्रिमंडल के सदस्य थे, के दूसरे बेटे को समर्पित था, जो उस वक्त आर्थिक कठिनाई में थे| तीसरा लिफाफा, जिसमें 1000 रूपये थे, उनके अत्यंत निकट राजनीतिक शख्सियत के नाम पर उसकी पुत्री की शादी के अवसर पर देने के लिए थे| 40 वर्षों तक राजनैतिक शिखर पर रहने वाले, 17 वर्षों तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने वाले इंसान के पास जो भी पूंजी थी, वह किसी को दान में देने के लिए ही थे|
श्री बाबू के जीवन से जुड़ी कई ऐसी कहानियाँ मिलती हैं जो उनके निस्वार्थ देशभक्त होने का पुख्ता सबूत देती हैं| सिर्फ बिहार नहीं, वो देश की बात किया करते थे| ऐसे सच्चे देशभक्त को हमारा नमन| ऐसे सहृदय व्यक्तित्व, स्वतंत्रता के नायक को हम कभी भूल न पाएंगे| इनके जैसे मिसाल बहुत कम लोग स्थापित करते हैं| राष्ट्रकवि दिनकर के शब्दों में-
“कौन बड़ाई चढ़े श्रृंग पर, अपना एक बोझ लेकर?
कौन बड़ाई पार गये यदि, अपनी एक तरी खेकर?
सुधा गरल वाली यह धरती, उसको शीश झुकाती है
खुद भी चढ़े साथ ले झुककर, गिरतों को बांहें देकर||”