एक आस्ट्रेलियाई जिसने हिंदी और बिहारी साहित्य-संस्कृति के अध्ययन के प्रति दीवानगी पाल रखी है

हिन्दीसेवी इयान वुल्फोर्ड 37 वर्षीय युवा अमेरिकी नागरिक हैं जबकि जीविका के लिए वे ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में रहते हैं। ला ट्रोब यूनिवर्सिटी में वे हिंदी भाषा एवं साहित्य के लेक्चरर हैं। इयान का जन्म इंग्लैण्ड में हुआ और वहीं बचपन का एक बड़ा हिस्सा भी बीता। जबकि उनके माता पिता अमेरिका में रहते हैं। इयान की उच्च शिक्षा अमेरिका में हुई।

इयान अंग्रेजी तो जानते ही हैं, हिंदी, नेपाली, फ्रेंच और संस्कृत भी जानते हैं। अंग्रेजी तो वे इंगलिश, अमेरिकन, आस्ट्रेलियाई ही नहीं इंडियन भी बोलते हैं।

Eyan

इयान का बचपन इंग्लैण्ड, मॉरीशस, त्रिनिडाड में बीता जबकि अमेरिका में रहकर उन्होंने हिंदी की ऊंची पढ़ाई की है, हिंदी भाषा एवं साहित्य में वे एमए एवं पीएचडी हैं।

हिंदी से वे कैसे खिंचे चले आये, यह प्रश्न सामने आने पर वे इसका श्रेय अथवा कारण अपनी माँ की लोकसंगीत में विशेषज्ञता एवं ज्ञान के प्रभाव में आना बताते हैं। माँ ने भारतवंशी मॉरीशस के हिंदी एवं भोजपुरी भाषी नागरिकों के बीच यह शोधकार्य किया जिससे इयान में भी भारतीय भाषा एवं संस्कृति के प्रति एक रुचि जगी और वे हिंदी का होकर रह गए।
हिंदी की पढ़ाई करते एवं हिंदी पढ़ाते हुए उन्होंने रेणु और उनकी रचनाओं को जाना, मैला आँचल और आंचलिक उपन्यास कही जाने वाली इस ख्याति प्राप्त रचना में चित्रित परिवेश और पात्र को असल जीवन में ढूंढ़ने की ललक पैदा हुई। फल यह कि वे रेणु की धरती पूर्णिया और उनके गाँव औराही हिंगना कई बार जा चुके हैं। रेणु के निकट परिजनों, उनके गांव एवं आसपास के लोगों से गहरा रिश्ता उन्होंने जोड़ लिया है। करीब 12 वर्षों से इयान अपने शोध के सिलसिले में पूर्णिया और फारबिसगंज आ जा रहे हैं। एक बार तो वे लगातार दस माह रेणु ग्राम (औराही हिंगना) में रह गए थे।

रेणु जी के पुत्र के साथ ।

रेणु जी के पुत्र के साथ ।

इयान ने अपने रिसर्च प्रोजेक्ट को अब काफी फैला लिया है। रेणु की कहानियों एवं खास उपन्यास मैला आंचल में वर्णित पात्रों, स्थानों एवं गीतों पर शोध करते इयान अब मैथिली, भोजपुरी जैसी बिहारी भाषाओं एवं समाज पर कई कोनों से काम कर रहे हैं। वे मैथिली के आसपास की भाषाओं अंगिका एवं बज्जिका पर भी नजर रख रहे हैं। मैथिली के अनन्य हस्ताक्षर मशहूर कवि विद्यापति के गाँव की भी अध्ययन यात्रा कर चुके हैं।

धान रोपते हुए
इयान को धड़ल्ले से हिंदी बोलते, लोकगीत की पंक्तियों को गाते और मैथिली व भोजपुरी बोलने की कोशिश करते देखने का एक अपना मजा है।
इयान फेसबुक पर मौजूद हैं। वे फेसबुक पर अपनी पहचान-पसंद के हिंदी के बड़े लेखकों-कवियों-कहानीकारों से जुड़े विशेष दिवसों (जन्म एवं मृत्यु तिथियों) पर अपने विचार पोस्ट करना नहीं भूलते।

इयान अभी फिर से अपने इस रिसर्च-टूर (research tour) पर हैं।

Courtesy : Musafir Baitha

अंग्रेजों की धरती पर अपनी मातृभाषा हिन्दी की ज्योत जला रही है बिहार की यह बेटी

हिन्दुस्तान में हिन्दी भाषा को माँ का दर्जा प्राप्त है । हिन्दी सिर्फ एक भाषा नहीं है बल्कि एक ऐसी मजबूत धागा है जो लोगों को एक-दुसरे से जोड़ती है ।

हिन्दी को राष्ट्रभाषा, राजभाषा, सम्पर्क भाषा और जनभाषा होने का गौरव प्राप्त है साथ ही अब इन सबको पार कर हिन्दी विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है । इसी सपने को हकीकत में बदलने के मकसद से बिहार की एक बेटी अनुपमा कुमार ज्योति विदेशों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में लगी है, वह भी अंग्रेजी धरती ब्रिटेन में जो अंग्रेजी भाषा की जन्मभूमि है।

 

ब्रिटेन में युवा वर्ग को हिन्दी लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लंदन की युवा लेखक व बिहार की बेटी अनुपमा कुमार ज्योति और उनकी टीम ने हाल ही में लंदन में एक कार्यशाला का आयोजन किया । जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर प्रख्यात लेखिका और गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा थी और मशहूर कथाकार तेजेन्द्र शर्मा उपस्थित थे।

 

कार्यशाला में मृदुला सिन्हा ने अपने शुरूआती लेखन की बातों को बहुत ही रोजक ढंग से लोगों को सुनाया साथ ही राजनीतिक जीवन की जानकारी दी ।

Anupama Kumar jyoti

17 नवम्बर 2016 को ब्रिटेन की संसद में (हाउस ऑफ़ कॉमन्स )तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन के पहले दिन कथा यू.के. ने प्रवासी संसार पत्रिका के एक दशक पूरा होने का जश्न मनाया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल महामहिम श्रीमती मृदुला सिन्हा ने ब्रिटेन में सक्रिय संस्थाओं और अध्यापकों, लेखकों को उनके उल्लेखनीय कामों के लिए ब्रिटेन की संसद (हाऊस अॉफ कॉमन्स) में सम्मानित किया । इनमें प्रो. डॉ. कृष्ण कुमार (गीतांजलि), दिव्या माथुर (वातायन), रवि शर्मा (मिडिया), अनुपमा कुमार ज्योति( लेखक व कवि)आदि लोग शामिल थे।

 

“आपन बिहार” से बातचीत में अनुपमा कुमार ज्योति ने बताया कि हम यहाँ अभी बहुत सारे योजनाओं पर काम कर रहें हैं जिसमें भारतीय उच्चायोग लंदन से भी काफी सहयोग मिल रहा है । हिन्दुस्तान में तो हिन्दी लोकप्रिय है ही, हम लोग का मकसद है कि हिन्दी विदेशी धरती पर अपनी धाक जमाए और इसका विश्वस्तर पर विस्तार हो।

 

बिहार के बारे में उन्होंने कहा कि भले वह अपने मातृभूमि से बहुत दूर रहती है मगर अभी भी वह दिल से पक्का बिहारी है ।

जानें कौन है अनुपमा कुमार ज्योति

Anupama kumar gupta
अनुपमा कुमार ज्योति बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली है और अभी वर्तमान में लंदन में रहती है । उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई प्रभात तारा विद्यालय मुज़फ़्फ़रपुर से की। उसके बाद स्नातक की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरी की। यूनिवर्सिटी ओफ ससेक्स से पोस्ट ग्रैजूएशन करने के बाद वह समाज सेवा, हिंदी लेखन व ब्रिटेन की राजनीति में सक्रिय हो गयीं। वर्तमान में लंदन में हिन्दी भाषा में छपने वाली एकमात्र पत्रिका पुरवाई के संपादक मंडल में शामिल हैं। ब्रिटेन में कनजरवेटिव पार्टी की वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता भी है।