इस साल सोनपुर मेले में हाथियों की प्रदर्शनी नहीं देखने को मिलेगी…जाने क्‍यों

विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में इस बार हाथियों को आपको देखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी. हाथी केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही दिखाई देंगे. सारण जिला प्रशासन द्वारा आयोजित शाही स्नान और केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ही ये हाथी लाये जायेंगे और इसके अलावा किसी भी हाल में हाथियों की सार्वजनिक प्रदर्शनी नहीं लगायी जायेगी. मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक ने इस संबंध में सख्त आदेश सारण के वन प्रमंडल पदाधिकारी को भेजा है. इसमें उन्हें बताया गया है कि किसी भी पालतू हाथी को अनुमति के बाद ही केवल सांस्कृतिक प्रयोजन के लिए लाया जा सकेगा. इसके बाद भी कोई खेल प्रदर्शनी में भी हाथी का उपयोग नहीं लाया जायेगा. सोनपुर में लगने वाला विश्वप्रसिद्ध पशु मेला इस बार 2 नवंबर से शुरू हो रहा है. एक माह तक चलने  वाले इस मेले का समापन इस बार 3 दिसंबर को होगा. मेले में एक से बढ़ कर एक गाय, भैंस, घोड़े,भालू, हिरण समेत अनेक पशुओं को बिक्री के लिए  लाया जाता है. अधिक डिमांड वाले पशुओं की बोली लगती है. इसके साथ ही सोनपुर मेले में इस बार आपको रंग-बिरंगी चिड़िया नहीं  दिखेंगी. कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होनेवाला लगनेवाले इस मेले दुनिया भर से  लोग आते हैं. इसमें एक से बढ़ कर एक पशु व पक्षी तक को बिक्री के लिए लाया  जाता है.
लेकिन इस बार पक्षी की बिक्री इस मेले में नहीं होगी. पहले यहां तोता की कई तरह की  वेराइटी यहां मिल जाती थीं. इसी तरह मोर, गौरैया, मैना, साइबेरियन, पहाड़ी  मैना, कोयल समेत अनेक पक्षी को भी बिक्री के लिए लाया जाता है. इसके लिए  बाजाप्ता चिड़िया बाजार नाम दिया गया था.  पटना हाईकोर्ट के हाल में आये आदेश के कारण ऐसा फैसला लिया गया है.  पटना हाईकोर्ट वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत दिया  है. हाईकोर्ट का मानना है कि पक्षियों को लुप्तप्राय सूची में शामिल किया  गया है.
हाथी का केवल कल्चरल प्रयोजन में ही प्रयोग किया जा सकेगा. इसके अलावा हाथी का और कहीं भी उपयोग नहीं हो सकेगा.  वहीं चिड़िया बाजार को भी बंद कर दिया गया है. अधिकांश संरक्षित पक्षियों के इसमें आने के कारण यह फैसला लिया गया है.
भारती ज्योति, सहायक मुख्य वन संरक्षक, वाइल्ड लाइफ, बिहार
– रविशंकर उपाध्याय

गाँधी सेतु का एक पाया धसा। लगा महाजाम..

पटना: जिसका डर था वही हुआ।  उत्तर बिहार का लाईफ-लाईन गाँधी सेतु का 46 नंबर पाया धंस गया।  आननफानन में यातायात रोका गया। पुलिसकर्मियों ने कमान संभाली और फिर इंजीनियरों को खबर की गई।

 

तत्काल पुल निर्माण निगम से जुड़े अधिकारी मौका मुआयना के लिए पहुंच गए। तबतक यातायात पूरी तरह अवरूद्ध था। जांच के दौरान इंजीनियरों ने कहा कि पाया नहीं धंसा है, सुरक्षित है। स्पैम में गड़बड़ी आई है जिसे ठीक किया जाएगा।

अभियंताओं की हरी झंडी के बाद पुलिस ने पुल से आवागमन की अनुमति दे दी जिसके बाद वाहनों को धीरे-धीरे निकाला जाने लगा। कई किलोमीटर तक जाम की नौबत होने से आवागमन सुचारू होने में समय लगा।

 

बिहार की शान गाँधी सेतु का हाल दयनीय है,  कभी भी यह बडी हादसा का शिकार हो सकता है और इसके लिए तत्काल कोई विकल्प भी मौजूद नहीं है।