क्या कारण है, जो गरीब, किसान, और मजदुर के बच्चे सफल हो जाते है

किसान और गरीब परिवार के बच्चे इतनी अधिक संख्या में कैसे IAS बन जाता है?

ये आप बखूबी जानते होंगे की किसान कितने मेहनती होते हैं। और बिहार की अधिकतर लोग किसान ही हैं, और वो कृषि पर आश्रित होते हैं। जब वो दिन-रात मेहनत करके फसल उपजाते हैं और फसल के कटाई के समय किसी कारण बस उनका फसल नष्ट हो जाता है चाहे नष्ट होने कारण बारिश हो या जानवर हो, तब वो किसानों पर क्या बीतती है ये कोई अमीर लोग अंदाज नही लगा सकता। किसानों के साथ साथ किसानों के बच्चे भी कड़ी मेहनत करता है चाहे कड़ी धूप हो, बारिश हो, या कप-कापती ठण्ड। उस बच्चे को अगर इस कड़ी मेहनत के बदले पढाई करने को कहा जाये तो ये बच्चा क्यों नही पढाई करेगा अगर उस मेहनत का 30%भी पढाई में मेहनत करदे तो उसे सफल बनने से कोई नही रोक सकता।

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पढाई में मेहनत करना तय है क्योंकि बच्चा जानता है किसान और खेती का हाल वो समझ सकता है कि खेती एक जुए जैसा है ‘मिली तो मिली नही तो जय सिया राम’ लेकिन यदि मैं पढाई करूँ तो सफलता जरूर मिलेगी।

और वो पढ़ाई में मेहनत करने लगते हैं, उनका सबसे बड़ा डर रहता है कि माँ-बाप कितनी मेहनत करके हमें पढ़ा रहे है उनको मुझसे कई उम्मीदें है

यही सबसे बड़ी कारन है गरीब, किसान और मजदुर बच्चे के पीछे की सफलता का कारण…

खुशखबरी: केंद्र सरकार के इस योजना से बिहार के 16 लाख किसानों को फायदा मिलेगा, योजना लागू

राज्य और केंद्र सरकार के बिच मतभेद के वाबजूद आखिरकार बिहार सरकार ने भी इसी वर्ष खरीफ से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लागू कर दिया है। इस योजना से बिहार के 16 से 17 लाख किसानों को फायदा होगा।

जितनी क्षति उतना मुआवजा :
पंचायत स्तर पर चार फसल कटनी होगी। इसके आधार पर आकलन होगा कि 10% नुकसान हुआ या 50% या शत प्रतिशत। सरकारी बीमा कंपनी एआईसी सहित 6 बीमा कंपनियां बीमा करेंगी। सभी जिलों को 6 क्लस्टर में बांटा गया है।

किसानों को 15 अगस्त तक बीमा कराना है। हालांकि कृषि कार्य के लिए बैंकों से ऋण लेने वाले किसानों का प्रीमियम इस योजना के लिए पहले ही काटा जा चुका है। गैर ऋणी किसानों को बीमा कराने का मात्र तीन से चार दिन का ही समय मिलेगा। पिछले कई माह से योजना के प्रारूप को लेकर बिहार सरकार लगातार केंद्र से आपत्ति जता रही थी।

बुधवार को सहकारिता मंत्री आलोक मेहता ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि खरीफ में इस योजना को लागू कर रहे हैं, लेकिन स्कैन भी करेंगे कि किसानों को लाभ मिल रहा है या नहीं।   राज्य सरकार केद्रांश अधिक देने की मांग की थी। केंद्र सरकार ने प्रारूप में बदलाव से साफ इनकार कर दिया। केद्रांश बढ़ाने पर भी राजी नहीं हुई।