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बिहार के सभी जिलों में लागू हो राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम: आईएमए

बिहार के कई शहर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं. वायु प्रदूषण स्वास्थ्य एक गंभीर खतरा बन चुका है. लेकिन यह दूर्भाग्यपूर्ण है कि अभी तक इससे निपटने के लिये कोई ठोस कदम जमीन पर नहीं उठाया जा सका है. पिछले वर्ष ग्रीनपीस और एयरविजूयल्स की रिपोर्ट ने पटना, गया और मुजफ्फरपुर को विश्व के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल किया था. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकेड़े भी प्रदूषण की भयावहता को बार-बार जाहिर करते हैं.
इसी बाबत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) एकेएन सिन्हा इंस्टिट्युट ने बिहार में वायु प्रदूषण की रोकथाम के संबंध में केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है.
पत्र में आईएमए की ओर से चिंता जाहिर की गई है कि बिहार में उद्योगों की संख्या कम होने के बावजूद प्रदूषण का स्तर खतरनाक है. चिकित्सों का मानना है कि वायु प्रदूषण पर रोक लगाना राज्य में बिमारियों के बोझ को कम करना अति आवश्यक है. आईएमए के अनुसार, “प्रदूषण की रोकथाम को सार्वजनिक स्तर पर ही किया जा सकता है और सरकार पर इसकी बड़ी जिम्मेदारी है.”

आईएमए बिहार के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के कहा कि वायु प्रदूषण की जांच के लिए बिहार के सभी जिलों में  मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किये जाने की जरूरत है. “फिलहाल बिहार के सिर्फ तीन शहरों- गया, पटना और मुजफ्फरपुर में ही मॉनिटरिंग स्टेशन उपलब्ध हैं. इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को पूरे बिहार में तत्काल लागू किया जाना चाहिए,” डॉ. अजय कुमार ने कहा. उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण की रणनीति बेहद मजबूत , कारगर और लक्ष्य केंद्रित बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया. इसके साथ ही इसे एक तय समय सीमा के भीतर लागू करना होगा.

आईएमए ने सरकार से अपील की है कि वे प्रदूषण के रोकथाम के लिए सरकार को हर तरह का सहयोग देने को तैयार हैं.
ग्रीनपीस के सिनियर कैंपेनर अविनाश चंचल ने आईएमए की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम को पूरे देश में लागू किए जाने की जरूरत है. “मॉनटरिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ सरकार को प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए प्रदूषण स्त्रोतों की नियमित रिपोर्ट जारी करनी चाहिए,” अविनाश चंचल ने कहा.
– रोहिण कुमार

आज बिहार के इस बेटी की शादी है मगर शादी से पहले ही सबके लिए मिसाल बन गई

मोतिहारी: मोतिहारी शहर से 10 किलोमीटर दूर तुरकौलिया का मझार गांव. यहां की रहनेवाले जीतेंद्र सिंह के यहां चहल-पहल है. घर में मंडप लगा है. बेटी किरण, जो राज्य स्वास्थ्य समिति पटना में काम करती है, उसकी सात जुलाई को शादी है। किरण अपने शादी के दिन भी हाथों में मेहंदी की जगह वह अपने गाँव को हरा भरा बनाकर ससुराल जाना चाहती है.

हमारे यहाँ तो शादी के कुछ दिन पहले से महिलाओ को घर से निकलने की ज्यादा इजाजत नहीं होती है लेकिन किरण ने बिहार ही नहीं पुरे देश में एक मिशाल कायम करना चाहती है. आम दुल्हन अपनी साज-सज्जा, वेश-भूषा और भावी पति की कल्पना में खोयी रहती है. लेकिन ये इस दिन अपने गाँव और पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपनी शादी के दिन यानि सात जुलाई को हाथ में फावड़ा-कुदाल लिए निकल पड़ेगी और गाँव के सड़क व नदी के किनारे खाली पड़े जगहों को पौधों व हरिहाली से पाट देगी.

 

पौधरोपण से लेकर शादी तक की सारी तैयारी पूरी हो चुकी हैं। मेंहदी की रस्म हो गई है। पौधे भी तैयार हैं। गड्ढे खोद दिए गए हैं। वन विभाग ने पौधे मुहैया कराए हैं। किरण बताती हैं कि पौधरोपण के माध्यम से वह अपनी शादी को यादगार बनाना चाहती हैं। इससे दूसरे लोग भी प्रेरित होंगे।

 

राष्ट्रपति से पा चुकी है सम्मान

किरण का बचपन से ही प्रकृति से लगाव रहा है. 2006 में उसने शीशम के सूखते पेड़ों को बचाया था. रेपाईपैक नाम के रोग की दवा की खोज की थी. उस समय 150 शीशम व 10 आम के पेड़ों को बचाया था. इसके लिए 2006 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने सम्मानित किया था. इसके बाद 2007 में तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह के हाथों भी किरण को सम्मान मिला था. 2011 में विज्ञान कांग्रेस में राष्ट्रीय अवार्ड मिला.