Bihari Girl, Bihari Topper

बिहार की इन बेटियों ने यूपीएससी परीक्षा में किया शानदार प्रदर्शन, जल्द बनेगी आईएएस अधिकारी

यूपीएससी में परीक्षा में बिहारियों के सफलता की कहानी सोशल मिडिया से लेकर अख़बारों तक में तैर रही है| इन कहानियों में बिहार के बेटों के साथ कई बेटियों के भी कई शानदार कहानी है| समाज में लड़कों के अपेक्षा लड़कियों को घर से बहार निकलकर पढाई करने का बहुत कम मौका मिलता है मगर हर परीक्षाओं कि तरह यूपीएससी में भी लड़कियों ने कामल का प्रदर्शन किया है| सभी को बधाई!

बिहार की 28 वर्षीय एक लड़की, दिव्या शक्ति ने 79 वीं रैंक हासिल करते हुए अपने दूसरे प्रयास में सफलता हासिल कर ली| वह जल्द ही एक आईएएस अधिकारी बन जाएगी। दिव्या एक एक डॉक्टर परिवार से है। बिहार के छपरा के जलालपुर प्रखंड के कोठेया गांव निवासी डॉक्टर धीरेंद्र कुमार सिंह और मंजुला प्रभा की बेटी दिव्या बचपन से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थी। इस सफलता पर जब उनकी प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने कहा, “”मानवीय क्षमता अटूट है।”

UPSC IAS Topper- Divya Shakti from Bihar cracks the exam

दिव्या शक्ति

जहानाबाद जिले की डॉक्टर हर्षा प्रियंवदा ने भी बाजी मारी है

यूपीएससी में सफलता का परचम लहराने वाली हर्षा को 165 वीं रैंक मिली है।  शहर के जाने-माने व्यवसायी लक्ष्मी फैशन प्रतिष्ठान के संचालक दिलीप कुमार की भतीजी हर्षा प्रियंवदा वर्तमान में एमबीबीएस डॉक्टर हैं।

jehanabad daughter dr harsha priyamvada succed in upac civil services exam 2019 and got 165th rank i

हर्षा प्रियंवदा

यूपीएससी में बेहतर रैंक के साथ सलेक्शन होने के बाद डॉक्टर हर्षा के परिवार में खुशी का माहौल व्याप्त है। दिलीप कुमार ने बताया कि वह एवं उनका परिवार डॉ हर्षा की उपलब्धि से अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉक्टर हर्षा प्रियंवदा की प्राथमिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर बोकारो से हुई है। दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने कार्मेल स्कूल डिगावाडीह  से तथा 12वीं की पढ़ाई डीपीएस बोकारो से की है। बचपन से ही होनहार डॉक्टर हर्षा प्रियंवदा ने 2018 मे पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है।

डुमरांव की प्रीति ने यूपीएससी में लहराया परचम

यूपीएससी परीक्षा परिणाम में डुमरांव की बेटी ने सफलता का परचम लहराकर क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। पुराना भोजपुर निवासी कुंज बिहारी प्रसाद की बेटी प्रीति कुमारी ने यूपीएससी की परीक्षा में 261वां रैंक लाकर यह सफलता हासिल की है।

डुमरांव की प्रीति ने यूपीएससी में लहराया सफलता का परचम

प्रीति कुमारी

दिल्ली सेंट्रल स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद प्रीति ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.टेक तथा एमबीए की है। फिलहाल प्रीति प्राइवेट जॉब में अच्छे मुकाम पर थी, लेकिन उनका ख्वाब यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल करना था। इससे पहले प्रीति दो बार इस परीक्षा में भाग ली थी। लेकिन, तीसरे प्रयास में प्रीति को सफलता हाथ लगी। प्रीति के पिता कुंज बिहारी प्रसाद सीमा सुरक्षा बल में सहायक समादेष्टा हैं तथा वर्तमान में उनकी पोस्टिग पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में है।

जियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया परीक्षा में बिहार की बेटी अंजू का पांचवा स्थान

बिहार की बेटी ने अपने प्रतिभा के दम पर राज्य का नाम फिर रौशन किया है। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित जियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया परीक्षा में देश में पांचवा स्थान प्राप्त कर दिखा दिया की बिहार की बेटियां किसी भी क्षेत्र में किसी से कम नही है।

सासाराम की अंजू कुमारी ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित ग्रुप ए जियोलॉजिस्ट के चयन हेतु जियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की परीक्षा में पूरे भारत भर में पाँचवा स्थान प्राप्त करके पूरे राज्य का नाम रोशन किया है. 2010 में आइआइटी की परीक्षा पास कर उन्होंने धनबाद (आईएसएम) में एडमिशन लिया और गोल्ड मैडल के साथ एप्लाइड जियोलॉजी में इंटीग्रेटेड मॉस्टर कोर्स पूरा किया. वे लगातार पांचों साल अपने विभाग की टॉपर रहीं। वे 10 और 12 में कैमूर जिले की टॉपर भी रह चुकी हैं.  उनके बड़े भाई कुमार गौरव ने 2008 में आइआइटी की परीक्षा पास की और वे आइआइटी बीएचयू से खनन अभियांत्रिकी में गोल्ड मैडलिस्ट रह चुके हैं.  इनकी छोटी बहन सिंधु कुमारी आईजीआईएमएस पटना से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं. इनकी दीदी अहमदाबाद में हैं और उनके पति भारतीय रक्षा विभाग के चिकित्सा विभाग में कार्यरत हैं.

इनके पिता देवब्रत सिंह, जो कि मध्य बिहार ग्रामीण बैंक में वरीय अधिकारी हैं, उनका कहना है कि लैंगिक विभिन्नता बस एक सामाजिक अवधारणा है. समान अवसर मिलने पर लड़के और लड़कियां दोनों किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने अपील की है कि जब सरकार विभिन्न योजनाओं जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के माध्यम से लैंगिक भेदभाव दूर करने की कोशिश कर रही है तो हमें भी एक अच्छे नागरिक की तरह इस भेदभाव को पारिवारिक स्तर से खत्म करना चाहिए. उनकी मां जो कि एक गृहिणी है, उन्होंने कहा कि हर माता पिता को अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा और अपना कैरियर चुनने की स्वतंत्रता देनी चाहिए, ताकि वे एक जिम्मेदार नागरिक बन सकें.  अंजू ने न केवल अपने माता पिता बल्कि पूरे बिहार का नाम देश भर में रोशन किया है.

कभी पिता ने पढ़ाई करने से रोका था और अब इस बिहारी बेटी को यूरोपियन यूनिवर्सिटी से मिला स्कॉलरशिप

यह बिल्कुल सत्य और प्रमाणित है की जितनी कम सुविधाओं में अच्छा करने की ललक बिहारी छात्र-छात्राओं में है उतना किसी में नही।
बिहार इ नवादा जिले की खगड़िया की बेटी शिल्पी जिसे कभी उसके पिता ने दसवीं के बाद पढ़ाई करने से मना किया था आज वो बेटी यूरोप के देशों में रिसर्च करने जा रही है।
शिल्पी को ग्रेनेडा यूनिवर्सिटी से इसके लिए 40 लाख का स्कॉलरशिप भी मिला है।

– शिल्पी बिहार के नवादा जिले की खगड़िया की रहने वाली हैं।
– करीब 2006 में शिल्पी ने फर्स्ट डिविजन से दसवीं पास की थी।
– वह आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन उनकेे पापा इसके लिए तैयार नहीं थे।
– वे जल्द से जल्द उनकी शादी कर देना चाहते थे। शादी भी तय कर दी थी।
– लेकिन दहेज की भरपाई नही कर पाए इसलिए शादी टूट गई। तब शिल्पी बमुश्किल 16 साल की थी।

पिता से झगड़ कर पहुंची थी दिल्ली

– दसवीं के बाद किसी तरह शिल्पी ने इंटर साइंस किया। इसके बाद जब उन्होंने JNU में एडमिशन के लिए इंट्रेंस एग्जाम दिया और वे सफल हुई।
– शिल्पी ने जब घर में ग्रैजुएशन की पढ़ाई की बात की तो सबने विरोध किया।
– इसके बाद ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए शिल्पी पिता की मर्जी के खिलाफ दिल्ली पहुंच गई।
– यहां स्काॅलरशिप के चार हजार रुपए मिले। उनकी फैमिली को लगा कि जब पैसे खत्म हो जाएंगे तो वह वापस लौट आएगी। लेकिन शिल्पी ने हिम्मत नहीं हारी।
– यहां उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया, पैसे जोड़े और दिल्ली में जम गई।
– दिल्ली से ही शिल्पी ने स्पेनिश लैंग्वेज से पीजी तक पढ़ाई की। फिर एम फिल की।
– तभी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने रिसर्च के लिए विश्व स्तर पर 100 लोगों को चुना। इनमें दस का आखिरी रूप से चयन हुआ, जिसमें शिल्पी भी है।

वुमन एंड जेंडर स्टडी पर करेंगी रिसर्च

– यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने यूरोपियन मास्टर्स डिग्री इन वुमन एंड जेंडर स्टडीज के लिए शिल्पी का चयन किया है।
– शिल्पी को दो साल में 49 हजार यूरो (करीब 40 लाख रुपए) की स्कॉलरशिप मिली है। पहले साल स्पेन में स्टडी करेगी।
– फिर रिसर्च के लिए कई यूरोपीय देश जाएगी। इसमें स्पेन, इटली, हंगरी, यूके, पोलैंड, नीदरलैंड और न्यूजर्सी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा के पार्टनर है।

शिल्पी ने दो बहन और भाई की संवारी जिंदगी

– शिल्पी के परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं था। पिता संजय गुप्ता नाॅन मैट्रिक, मां अनुप्रिया देवी साक्षर, दादा साक्षर जबकि दादी निरक्षर थीं।
– शिल्पी के मुताबिक, बेटियों को इंगलिश स्कूल में भी नहीं भेजा जाता था। मैट्रिक की पढ़ाई आखिरी थी। इसके लिए सिर्फ पापा जिम्मेदार नहीं थे।
– सामाजिक परिवेश ही ऐसा था। लेकिन दादा शिल्पी के पक्षधर थे। शिल्पी ने इस परंपरा को तोड़ा। वह खुद आगे बढ़ी। दो बहनों और एक भाई की भी मददगार बनी।
– दिल्ली में रहकर शिखा बीएससी, जबकि शिवानी फ्रेंच से ग्रेजुएशन कर रही है। भाई आकाश बंगलुरू की निजी कंपनी में एकाउंटेंट है।

दहेज न मांगने की शर्त पर अपनी पंसद से की शादी

– शिल्पी ने 2015 में अपनी पसंद से नवादा के सुशांत गौरव से बिना दहेज के परिवार की सहमति से शादी की।
– सुशांत स्पेनिश लैंग्वेज के प्रोफेसर हैं। शिल्पी के पिता संजय गुप्ता कहते हैं कि बेटी की सफलता पर उन्हें गर्व है।
– शिल्पी की सास प्रो. प्रमिला कुमारी भी खुश हैं। वे कहती हैं कि उनकी बहू ने उनके परिवार का मान बढ़ाया।