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बिहार के सरकारी स्कूल से पढाई करने वाले आदित्य को गूगल ने दिया 2 करोड़ से ज्यादा का पैकेज

बिहार देश के सबसे पिछड़े राज्यों में गिना जाता है| बिहार के लोगों के पास लाख बहाने हो सकते हैं कि वे फलाना-फलाना कारणों से जिन्दगी में कुछ नहीं कर सके| मगर इसके उलट, बिहारियों ने कमियों का रोना रोने के जगह इन चुनोतियों को सामना कर, दुनिया के सामने मिशाल कायम करते रहते हैं|

बिहार के पूर्णिया के रहने वाले 22 साल के आदित्य सिद्धांत, एक ऐसा ही उदहारण है| बिहार के सरकारी स्कूल से पढाई करने वाले आदित्य को विश्व की सबसे बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल ने 2.30 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज के साथ जॉब ऑफर किया है| भवानीपुर के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्रात करने वाले आदित्य 4 फरवरी को गूगल के कैलिफोर्निया स्थित हेड क्वार्टर में ज्वाइन किया।

इससे पहले आदित्य को माइक्रोसाॅफ्ट, फेसबुक, अमेजन जैसी दुनिया की चुनिंदा कंपनियों से ऑफर आ चुका है। 

सके पिता नंदकिशोर मूलत: कटिहार के रहने वाले हैं, फिलहाल खगड़िया में एडीएम हैं। प्लस टू की पढ़ाई कटिहार के स्कॉटिश पब्लिक स्कूल से करने के बाद आईआईटी गुवाहाटी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद विश्व के नामचीन कार्नेजी मेलॉन यूनिवर्सिटी (सीएमयू) पिट्सबर्ग से मास्टर डिग्री ली। बचपन से मेधावी आदित्य 2013 में आईआईटी की मुख्य परीक्षा में (गंभीर रूप से बीमार रहने के बावजूद बड़ी मुश्किल से परीक्षा में शामिल हुआ था) फिजिक्स में 120 में 120 अंक प्राप्त किया था। यह उपलब्धि औरों के लिए अप्रत्याशित थी, लेकिन उनके अभिभावक जानते थे कि वह तीक्ष्ण प्रतिभा का है और बचपन से हर कक्षा में पिछले सारे रिकार्डों को ध्वस्त कर आगे बढ़ता जा रहा था। इस प्रकार आदित्य ने पहले ही प्रयास में आईआईटी गुवाहाटी में दस्तक दी।

एजुकेशन की दुनिया में आदित्य सिद्धांत को कई पुरस्कार दिए जा चुके हैं| सिद्धांत को उनके जबरदस्त दिमाग की वजह से अमेरिका एक्सप्रेस एनालाइज अवार्ड से सम्मानित किया गया| जबकि इससे पहले ही आदित्य को साल 2017 में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने रिसर्च अवार्ड से सम्मानित किया था| एक हिंदी वेबसाइट से बातचीत के दौरान सिद्धांत ने बताया कि वह कंप्यूटर साइंस की दुनिया में भारत का नाम रोशन करना चाहता था| गूगल हेडक्वार्टर में काम करना सिद्धांत का बचपन का सपना था, जो अब जाकर पूरा हो गया है| बेटे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पिता बेहद खुश हैं. हालांकि वे अपने बेटे को एक IAS अधिकारी बनाना चाहते थे|

बिहार देगा देश को अगला कलाम, यह है 15 साल का ‘लिटिल मिसाइलमैन’…

बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है,  इस बात को बिहार के लोग मौका मिलने पर बार बार साबित करते आए हैं।  एक फिर बिहारी मेधा ने अपने काबलियत से बिहार का नाम रौशन किया है।

मुंगेर जिले के छोटे से मोहल्ले रामपुर भिखारी के मध्य वर्गीय परिवार प्रमोद जयसवाल का 15 वर्षीय पुत्र प्रभाकर जयसवाल ने अपने प्रोजेक्ट से सबको चौका दिया है. चेन्नई में यंग इंडिया साइंटिस्ट 2016 में इसने एक ऐसे प्रोजेक्ट को पेश किया जिसको देखकर देश-विदेश से आये वैज्ञानिकों ने उसे शाबाशी दी है. उसने सोलर वेपन तकनीक विकसित की है.

 

अगर यह तकनीक सफल हो गया तो भारत मिसाइल के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हासिल कर सकता हैै. इससे एक ऐसा हथियार तैयार हो सकेगा जिसके जरिये हम किसी भी मिसाइल और रॉकेट लॉन्चर की दिशा और दशा बदल सकते है साथ ही उन्हें नष्ट भी कर सकते हैं.

प्रभाकर ने बताया कि आने वाले समय में पड़ोसी देश चीन और पकिस्तान से खतरों से निपटने में यह सोलर वेपन काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. उसने बताया कि इस यंग साइंटिस्ट सम्मलेन में हमारा प्रोजेक्ट था कि जियो स्टेशनरी सैटेलाइट में सोलर एनर्जी को कैसे वेपन में रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्रभाकर ने बताया कि इस सोलर वेपन को हम एंटी बैलेस्टिक मिसाइल, एंटी न्यूक्लियर मिसाइल और एंटी टैंक में हम इस्तेमाल कर सकते है साथ ही बिजली उत्पादन के क्षेत्र में सोलर वेपन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
प्रभाकर के अनुसार ‘स्पेस किड्ज इंडिया ‘ चेन्नई में अपने मॉडल सोलर वेपन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया था . स्पेस किड्ज इंडिया को मेरा मॉडल को पसंद आया और मुझे चेन्नई बुलाया.
यंग साइंटिस्ट इंडिया 2016 के लिए 523 बच्चों ने पूरे भारत में ऑनलाइन अप्लाई किया था जिसमे 93 बच्चों का चुना गया जिसमे हम ईस्ट जॉन में सिर्फ एक ही यंग साइंटिस्ट इंडिया 2016 का अवार्ड मुझे दिया गया.
स्पेस किड्ज इंडिया संस्था जिसमे अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फाउंडेशन और रशियन सेंटर ऑफ साइंस एंड कल्चर आदि जैसी संस्था साइंटिस्ट बच्चों को बढ़ावा देती है.

 

प्रभाकर के पिता साधारण एक इलेक्ट्रॉनिक का दुकान चलाते है।  अपने लाल के इस कामयाबी से बहुत खुश है और उनको अपने बेटे पर नाज है।  उन्होंने बताया कि प्रभाकर बचपन से ही छोटे-मोटे अविष्कार करता रहता था। वे चाहते हैं कि आगे भी प्रभाकर देश के लिए ऐसा अविष्कार करते रहे और राज्य और देश का नाम रौशन करते रहें।