Bihar Board Matric Results 2020: जानिए कौन बना इसबार का बिहार बोर्ड टॉपर

लम्बी इंतजार के बाद आज आख़िरकार बिहार बोर्ड इंटर का रिजल्ट जारी हो गया| बिहार बोर्ड ने दोपहर 12:30 बजे अपने अधिकारिक वेबसाइट http://onlinebseb.in और http://biharboardonline.com पर रिजल्ट जारी कर दिया है| रिजल्ट की घोषणा राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने किया| उनके साथ अपर मुख्य सचिव आरके महाजन और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन आनंद किशोर भी मौजूद थे| आप इन वेबसाइट पर जाकर अपना रिजल्ट देख सकते हैं|

कौन है इस बार का बोर्ड टॉपर

इस बार हिमांशु राज ने कुल 481 यानी 96.20 फीसदी अंक प्राप्त कर पूरे बिहार में टॉप किया है| हिमांशु राज का रौल कोड 74084 और रौल नंबर 2000479 है| वहीं समस्‍तीपुर के एसके हाईस्‍कूल के दुर्गेश कुमार सकेंड टॉपर हैं। उन्‍हें 480 अंक मिले हैं। थर्ड टॉपर तीन हैं। भोजपुर के श्री हरखेन कुमार जैन ज्ञान स्‍थली (आरा) के शुभम कुमार, औरंगाबाद के पटेल हाईस्‍कूल (दाउदनगर) के रणवीर तथा अरवल के बालिका हाईस्‍कूल की जूली कुमारी 478 अकों के साथ तीसरे स्‍थान पर रहे हैं। लड़कियों के वग में जूली कुमारी टॉपर बनी है।

इसबार गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ सालों से अधिकांश टॉपर्स जमुई के सिमुलतला आवासीय विद्यालय से निकले थे। लेकिन इस साल सिमुलतला के केवल तीन परीक्षार्थी ही टॉप 10 में जगह बना सके।

मैट्रिक की परीक्षा में कुल 4,03,392 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं| जबकि, 5,24,217 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी और 2,75,402 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं| इनमें 6,13,485 छात्र और 5,90,545 छात्राएं उत्तीर्ण हुई हैं| उत्तीर्ण विद्यार्थियों का कुल प्रतिशत 80.59 फीसदी है|

Bihar board, Matric result, Bihar board topper

कोमल का मैट्रिक पास होना हमारे लिए किसी के सीबीएसई टॉप करने से बड़ी खबर है

हाल ही में बिहार में दसवीं का रिजल्ट आया है। मीडिया में हर तरफ उन बच्चों का जिक्र है जो राज्य या अपने जिले के टॉपर हैं। इन सब में एक कहानी कोमल की है, महादलित जाति की कोमल को वैसे तो सिर्फ 42.4 फीसदी अंक आये हैं।

मगर उसकी कहानी इसलिए महत्वपूर्ण है कि 150 साल से बसे भागलपुर के घोघा के मुशहरी टोला की वह पहली मैट्रिक पास है। 50-60 घरों के उस टोले में आजतक कोई चौथी-पांचवी से आगे पढ़ ही नहीं पाया।

कोमल का मैट्रिक पास होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि जैसी उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि है उसमें एक लड़की का पढ़ना जंग जीत लेने जैसा है। पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और मां ईट-भट्ठे पर काम करती है। घर में पांच बहनें और एक भाई है। मां बीमार हुई तो उसके बदले मजदूरी करने कोमल को ईट भट्ठे पर जाना पड़ता है। नहीं तो घर और भाई-बहनों को संभालना, खाना-पकाना। गांव का समाज इतना दंभी और जातिवादी है कि इस टोले के लोगों पर कई किस्म के जातिवादी प्रतिबंध लगाता है। आज भी इस टोले में किसी की मौत होती है तो लोग शवयात्रा नहीं निकाल पाते। लाश को कपड़े में लपेट कर चुपके से ले जाना पड़ता है। इन परिस्थितियों में महादलित समुदाय की एक लड़की अगर पढ़कर मैट्रिक पास कर जाती है तो वह टॉपरों से बड़ी उपलब्धि है।

बड़ी बहनों ने उतनी पढ़ाई नहीं की, मगर कोमल इन तमाम बाधाओं के बीच लगातार पढ़ती रही। उस परिवेश के बीच जहां हर सुबह यह फिक्र की जाती थी कि शाम के खाने का किसी तरह इंतजाम हो जाये, वह रोज समय निकाल कर स्कूल जाती रही। और जब उसने दसवीं का फार्म भरा तो पता चला कि अपने टोले से इस परीक्षा में शामिल होने वाली वह पहली लड़की है। एक अख़बार ने उसकी कहानी छापी तो कहलगांव के व्यापारी मदद करने के लिए तैयार हो गये।

कोमल को पढ़ने में मन लगता था और वह होशियार भी थी। मगर अपने जीवन की परेशानियों के बीच उसे इतना कम समय मिलता कि वह हमेशा डरती रहती कि पास कर पायेगी या नहीं। उसने कभी नहीं सोचा था कि टॉप करेगी। वह पास करना चाहती थी। और वह पास कर गयी, इतने से ही वह खुश है।

एक ओर जहां सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा देने वाले संपन्न घर के बच्चे टेन लाने के लक्ष्य के साथ पढ़ाई करते हैं, वहीं बिहार जैसे राज्य स्तरीय बोर्ड का महत्व इसलिए है कि कोमल जैसी लड़कियां भी पढ़ लिखकर आगे बढ़ती है। इसलिए कोमल का मैट्रिक पास होना हमारे लिए किसी के सीबीएसई टॉप करने से बड़ी खबर है।

साभार: प्रभात कुमार और प्रदीप विद्रोही

हर साल बिहार बोर्ड के रिजल्ट आने पर अपना मुंह फाड़ के चिचियाने वाले लोग, जरा सुनों

पिछले तीन सालों से देख रहा हूँ कि बिहार बोर्ड सम्बंधित किसी भी रिजल्ट के आने के तुरंत बाद मीडिया और कुछ ज्यादा ही बौद्धिक टाइप के बाहरी लोग हो-हल्ला मचाना शुरू करते हैं, बिहार के शिक्षा व्यवस्था का मजाक उड़ाते हैं और ट्रोल करते हैं। शिक्षा व्यवस्था पे प्रश्न से दिक्कत नहीं है, ये तो स्वतः जगजाहिर है कि किन हालातों में पढ़के बिहारी छात्र बाहर आते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं| लेकिन जब आप शिक्षा व्यवस्था पे सवाल के स्थान पर आप बिहारी छात्रों का मजाक बनाने लगते हैं या उनकी डिग्री के विश्ववसनियता पर सवाल कर देते हैं तो कष्ट होता है।

साहब, आपको मजा आता है किसी रिजल्ट के तुरंत बाद दुनिया को कैटेगरीकली ये बताने में कि “अरे, बिहार से पढ़ने वालों की डिग्री का क्या भरोषा? जरूर सेटिंग करके पास किए होंगें या चोरी-चीटिंग ही इनके पास होने का जरिया रहा होगा”। हाँ, मानते हैं की कुछ लोगों ने ऐसा किया होता है और वो गलत हैं लेकिन उनके कारण पूरे बिहार के छात्रों को या उनकी डिग्री-मेहनत को गलत कह देना कहाँ तक सही है? आप कितना जानते हैं कि किन स्थितियों में बिहारी छात्र पढ़के आते हैं? कभी पहले आपको चिंता होती है की कैसी व्यवस्था के तले वो अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं?

साहब, बिना मास्टर के भी कई स्कूल चलती हैं हमारे यहाँ। कई जगह कमरा नहीं होता तो पेड़ के नीचे या खुले आसमान के नीचे भी बोरा-चटाई बिछा के पढ़ते हैं हमारे छात्र। पीने का पानी-शौचालय तक की सुविधा नहीं होती। आपके या आपके बच्चों के स्कूलों-ट्यूशनों में पंखे-ऐसी के बिना पढाई नहीं होती होगी लेकिन हमारे गांवों के स्कूलों में बिजली छोड़िए लायब्रेरी-लेबोरेटरी-स्पोर्ट्स-बेंच-डेस्क तक नहीं होती।

हमारे यहाँ कई बच्चे खेती-बाड़ी के साथ-साथ पढाई करते हैं, भैंस-बकरी भी चराते हैं और स्कूल भी जाते हैं। इतनी मेहनत और त्याग-लग्न से पढ़के वो नम्बर लाते हैं, जरा सा खुश होते हैं तभी पता चलता है की देश के मीडिया ने एक ऐसा माहौल बना दिया है की जैसे बिहार से पढ़के आने वाले सारे छात्र और उनकी डिग्रीयां फर्जी है।

सोचिए उस बच्चे के मन पर क्या गुजरता होगा…कई बच्चे जो मेरिटोरियस होते हैं उनके गारजीयन को लगता है कि यहाँ के व्यवस्था में तो उनके बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे, इसलिए वो अपने बच्चों को दिल्ली-कोटा आदि जगहों पर भेजते हैं न की शौक से। और वहाँ से भी जब रातें काली करके बच्चे पढ़ते-लिखते हैं और सफलता पाते हैं तब आपको अटेंडेंस आदि सूझने लगता है। आप ही बताइए की करें क्या वो बच्चे ?

तब आप ये तर्क बिल्कुले मत दिजिएगा कि इसी से तो व्यवस्था सुधरेगा, आपको व्यवस्था की फिक्र होती तो आप बांकी दिनों में स्कूलों में जाते| और वहाँ की व्यवस्था पर लिखते-बोलते या कुछ करते| आप सरकार को घेरते न की बच्चों को टारगेट करते। कितनी बार आप जैसे लोग साथ आते हैं जब हम विश्वविद्यालय सुधार के लिए प्रयास-आंदोलन करते हैं? हमारी किस्मत पे कुछ चोर-नालायक नेतालोग क्या बैठ गए, आप हमसबको फर्जी कहने लगिएगा?

इसलिए ये सब छोड़ दीजिए, ये सब आपके लिए सिर्फ मौका होता है। आप अपने साथ काम कर रहे उन बिहारियों का बस मजाक उड़ाते हैं या नीचा दिखाना चाहते हैं जिनके सामने प्रोफेशनली आप टीक नहीं पाते। इतना ही शक हो बिहारी शिक्षा व्यवस्था-डिग्रीयों और कैपेबिलिटी पर तो अपने ही आसपास के किसी भी परेल्लेल पोजिसन्ड बिहारी के पास बैठ जाइएगा और एक घण्टे का सेशन रख लीजिएगा। कैरीकुलर-प्रोफेशनल-फील्ड या टेक्निकल नॉलेज के अलावा एक ही घण्टे में आपको राजनीति-इतिहास-भूगोल-साहित्य-विज्ञान-ज्ञान-अध्यात्म और असली जीवल का अनुभव तक सब समझा देगा।

बांकी जिसको बेसी दाबी है, आ जाइएगा हवेली पे। आप होंगें, हम होंगें और कैमरा साला लाइव होगा|

– आदित्य मोहन 

Bihar Board Topper: मिलिए बिहार के इन तीन होनहार बटियों से

वास्तव में बेटी सर्वशक्तिमान से किसी भी पिता के लिए अनमोल उपहार हैं। और बिहार के बेटियों (कल्पना, निधि, कुसुम) ने जो किया वो शब्दों के परे है । बिहार बोर्ड इंटर नतीजों में साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स तीनों स्ट्रीम्स में कल्पना कुमारी ( 434 ) ,निधि सिंन्हा (434) और कुसुम कुमारी(424) अंको के साथ सर्वोच्च स्थान पाया ।

कल्पना कुमारी 

यह वही लड़की हैं जो नीट (NEET) 2018 एग्जाम में ऑल इंडिया टॉपर बनीं थी। नीट में कल्पना के 99.99% फीसदी नंबर आए थे।कल्पना बिहार के शिवहर जिले के नरवारा गांव की रहने वाली हैं।

Bihar board, Result 2018, Intermediate, Bihar Board Topper

वह शैक्षणिक पृष्ठभूमि से है ।पिता राकेश मिश्रा सीतामढ़ी के जिला मुख्यालय डुमरा में जिला शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (डायट) में प्राध्यापक हैं। उनकी मां ममता मिश्रा शिवहर स्थित मध्य विद्यालय में कार्यरत हैं।बड़ी बहन भारती ने एनआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद बीते वर्ष आईईएस (इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। फिलहाल उसने भारतीय रक्षा सेवा में योगदान दिया है। बड़ा भाई प्रणव प्रताप आईआईटी गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहा है। वह चौथे वर्ष का छात्र है।

निधि सिन्हा

Nidhi Sinha, Bihar Board

निधि सिन्हा

मुजफ्फरपुर के आरडीएस कॉलेज की निधी ने कॉमर्स में सूबे में टॉप किया है। इन्‍हें 434 अंक प्राप्‍त हुआ है। निधी प्रोफेसर बनना चाहती है। निधी एक अति साधारण परिवार की बेटी है ।उनके पिता राकेश सिन्हा मिठाई की दुकान चलाते हैं जबकि मां गृहिणी है।

कुसुम कुमारी

कुसुम कुमारी, kusum kumari, Bihar Board topper

कुसुम कुमारी

बिहार की गोपालगंज की रहने वाली कुसुम कुमारी ने आर्ट्स में टॉप किया है ।कुसुम कुमारी आगे दिल्ली यूनिवर्सिटी या फिर बीएचयू से पढ़ाई करना चाहती है और ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी करना चाहती है ।कुसुम के पिता गोपालगंज में भोला प्रसाद एक छोटा दवा दुकान चलाते हैं।

Bihar board, Result 2018, Intermediate, Bihar Board Topper

Bihar Board Result: बिहार बोर्ड इंटर का रिजल्ट जारी, इसमे भी कल्पना कुमारी की टॉप

बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट के छात्रों के लिए रिजल्ट का इंतजार खत्म हो गया है| बिहार बोर्ड के द्वारा 12वीं का रिजल्ट जारी कर दिया गया है| बीएसईबी कार्यालय में शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने रिजल्ट की घोषणा की| साइंस, ऑर्ट्स और कॉमर्स तीनों विषयों के रिजल्ट की घोषणा की गई है|  इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल हुए छात्रों में 52.9 प्रतिशत छात्र  सफल हुए है| कार्मस में 82 प्रतिशत, साइंस में 45 प्रतिशत और आर्ट्स में 42 प्रतिशत छात्र सफल हुए है|

बिहार इंटरमीडिएट रिजल्ट में साइंस संकाय से शिवहर की कल्पना कुमारी ने पहला स्थान प्राप्त किया है. वहीं, ऑर्ट्स संकाय से सिमुलतला की कुसुम और मुजफ्फरपुर की निधि सिन्हा ने कॉमर्स में टॉप किया है. साइंस टॉपर कल्पना को 434 अंक प्राप्त हुए है. जबकि कुसुम को 424 अंक प्राप्त हुए हैं.

बता दें कि कल्पना ने हाल ही में NEET टॉपर घोषित की जा चुकी है| शिवहर की रहने वाली कल्पना कुमारी ने अब बिहार बोर्ड इंटर परीक्षा में साइंस टॉपर बन गई है|

बिहार बोर्ड से जिन छात्रों को कम अंक मिले हैं वह स्क्रुटनी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। स्क्रूटनी के लिए 13 जून से ऑनलाइन आवेदन शुरू होंगे।

छात्र अब अपना रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर देख सकते हैं। बोर्ड 12वीं आर्ट्स रिजल्ट समेत अन्य स्ट्रीम के रिजल्ट भी आज ही जारी करेगा। बिहार बोर्ड की ओर से यह रिजल्ट बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइटों biharboard.ac.in और www.bsebssresult.com पर उपलब्ध होगा। इसके अलावा छात्र लाइव हिन्दुस्तान के ‘बोर्ड रिजल्ट्स’ पेज पर क्लिक कर भी अपना रिजल्ट पा सकते हैं।

बिहार बोर्ड ने कल मंगलवार को सूचना दी थी कि 12वीं के नतीजे आज शाम साढ़े चार बजे जारी किए जाएंगे। लेकिन कुछ कारणों की वजह से रिजल्ट कुछ मिनट देर से जारी हो सका। परीक्षाफल की घोषणा माननीय मंत्री, शिक्षा विभाग, श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा द्वारा की गई। इस अवसर पर श्री आरके महाजन, प्रधान सचिव, शिक्षा विभाग एवं श्री आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उपस्थित रहे।

बिहार बोर्ड इससे पहले 12वीं के नतीजे को 6 जून के बजाए एक दिन बाद 7 जून को घोषित करने जा रहा था। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन के चलते बोर्ड ने तारीख को बदलकर आज यानी 6 जून कर दिया।

वहीं, इस बार छात्रों को 10 प्रतिशत तक ग्रेस मार्क्स दिया गया है. फेल होनेवाले छात्रों को अधिकतम 10 फीसदी तक ग्रेस दिया गया है| हालांकि भाषा विषय में फेल होने वाले छात्रों को ग्रेस मार्क्स नहीं दिया गया है|