Aam Aadmi Parti, BJP, AAP, JDU, Nitish Kumar, MAnoj Tiwari, Arvind Kejriwal, Purvanchali in Delhi, Delhi Election, Bihari in Delhi, Bihar Election, Narendra Modi, Amit Shah, Shaheen Bagh Protest, Hindu party

Delhi Eletion: दिल्ली में बिहारियों ने भी बोला, जमे रहो केजरीवाल

दिल्ली में विधानसभा चुनाव था मगर चर्चा यूपी-बिहार का भी जोड़ो पर था| कारण था कि दिल्ली के लगभग 15 सीटों पूर्वांचल बहुल है जबकि आधी से ज्यादा सीटों पर पूर्वांचली वोटर जीत-हार तय करते हैं| आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लेकर कांग्रेस पार्टी, सबकी नजर पूर्वांचली वोटर्स पर थी| पूर्वांचली को लुभाने के लिए बीजेपी ने जहाँ प्रसिद्ध भोजपुरी गायक मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया हुआ है, तो कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले कृति आज़ाद (Kriti Azad) को प्रचार समीति का प्रमुख बनाया था| वहीं आम आदमी पार्टी को अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा था|

पूर्वांचलियों ने लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के पक्ष में वोट किया था| इसलिए बीजेपी को विधानसभा में भी उनसे बहुत उम्मीदें थी| मगर 11 फरवरी को रिजल्ट उसके ठीक उलट आया| बिहार और यूपी के लोगों ने बीजेपी के हिन्दू राष्ट्रवाद को नकार दिया और केजरीवाल(Arvind Kejriwal) के विकाश को अपना पूरा समर्थन दिया| यहाँ तक कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में लड़ रही बिहार की तीन पार्टियों का हाथ भी खाली रहा|

जहां बीजेपी ने दो सीटें जेडीयू और एक सीट एलजेपी को दी थी वहीं कांग्रेस ने आरजेडी के लिए चार सीटें छोड़ी थी| लेकिन लगभग सभी पूर्वांचली सीटों पर आप का परचम लहराया| सबसे बुरा हाल आरजेडी का रहा जिसके चारों उम्मीदवारों की जमानत तो जब्त हुई ही, तीन को नोटा से भी कम वोट मिले|

पिछले कुछ चुनाव से लगातार इंडिया टुडे एग्जिट पोल (India Today Exit Poll) लगभग सही हो रहा है| उनके सर्वे के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में कम्युनिटी वाइज वोट शेयर को देखा जाए तो लोगों ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया है| AAP के साथ दिल्लीवासी (55 फीसदी), पूर्वांचली (55 फीसदी), हरियाणवी (54 फीसदी), राजस्थानी (61) और अन्य (55 फीसदी) रहे| यानी इस चुनावी नतीजे से पता चलता है कि 2015 की तरह इस बार भी पूर्वांचली वोटर्स ने आम आदमी पार्टी को ही वोट दिया है|

दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा. Image: Subhash Barolia

पूर्वांचली के वोटिंग पैटर्न को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया था| 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सीएसडीएस ने पूर्वांचली वोटर्स पर एक सर्वे करवाया| इस सर्वे में जिन 56 फीसदी पूर्वांचली ने लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था, उनमें से 24 फीसदी पूर्वांचली ने कहा कि वो राज्य विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करेंगे| मतलब बीजेपी के आधे वोटर्स पहले से ही मन बना चुके थे कि वो 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट करेंगे| नतीजों से ऐसा लग भी रहा है|

धर्म के राजनीति को नकार, विकास की राजनीति को चुनकर दिया एक बड़ा सन्देश 

एक बड़ी बात ये भी रही है कि दिल्ली में पूर्वांचल के ज्यादातर वोटर्स वर्किंग क्लास से आते हैं| बहुत सारे लोग मेहनत मजदूरी करने वाले हैं| इन लोगों के लिए केजरीवाल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने काम किया| इस वजह से भी एक तरफ वो मोदी के चेहरे को केंद्र में देखना चाहते थे तो राज्य में उन्हें केजरीवाल जैसा सीएम ही चाहिए था| दिल्ली का मिडिल क्लास पूर्वांचली वोटर्स भी आम आदमी पार्टी का समर्थक है- वजह है बिजली और पानी पर मिलने वाली छूट| सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत और स्वास्थ्य सेवाओं की सुधरती स्थिति|

दिल्ली का चुनाव में बिहारियों या पूर्वांचलियों का वोट पैटर्न समझाना इसलिए भी जरुरी है कि इसी साल बिहार में भी विधानसभा चुनाव है| बिहार में भी भाजपा एक बड़ी पार्टी है| दिल्ली में उसके कट्टर हिंदूवादी प्रयोग के असफल हो जाने के बाद उसको फिर से अपनी रणनीति पर सोचना पड़ेगा| एक तरफ बीजेपी के कमजोर होने से उसके सहयोगी दल जदयू (Janta Dal United) खुश होगी, क्योकि अब वह बीजेपी से ज्यादा सीट लेने का दवाब बना सकेगी| वही दुसरे तरफ दिल्ली में शिक्षा के चुनावी मुद्दा बन जाने से नीतीश थोड़ा मुश्किल में होंगे, क्योंकि नीतीश कुमार के 15 साल के राज में शिक्षा उनकी सबसे कमजोर पक्ष है|

पूरे गर्मजोशी से मिले प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री जी से यह बात कहीं

नयी दिल्ली : राजनीति के मैदान में एक-दूसरे के मुखर विरोधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जदयू अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं आम आदमी पार्टी के प्रमुख व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ आज इंटर स्टेट काउंसिल की मीटिंग के दौरान पूरी गर्मजोशी से मिले.

 

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार भी गर्मजोशी से मिले. पीएम मोदी ने गर्मजोशी से नीतीश कुमार से हाथ मिलाया. प्रधानमंत्री के किसी सवाल के जवाब में नीतीश कुमार मुस्कुराते हुए भी नजर आये. इस बात इंटर स्टेट काउंसिल मीटिंग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुईं.

 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सभी राज्यों में राज्यपाल का पद समाप्त कर दिया जाना चाहिए। नीतीश कुमार के अनुसार वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसका जारी रहना जरूरी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उनकी टिप्पणी तब आयी है जब हाल में सुप्रीम कोर्ट ने अरूणाचल प्रदेश के राज्यपाल की राज्य में कांग्रेस सरकार की बर्खास्तगी को लेकर कड़ी आलोचना की थी।

जेडीयू अध्यक्ष कुमार ने कहा कि यदि संवैधानिक पद समाप्त करना संभव नहीं है तो उसके विवेकाधीन अधिकारों में कटौती की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री की राज्यपाल की नियुक्ति और उसे हटाने में भूमिका होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्यपाल का पद जारी रहना जरूरी नहीं है। यदि उसे समाप्त करना संभव नहीं तो हमारे विचार से राज्यपाल की नियुक्ति से जुडे प्रावधानों की स्पष्ट रूप से व्याख्या होनी चाहिए और उसे पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।

उन्होंने ये भी कहा कि इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री से भी मशविरा किया जाना चाहिए और राज्यपाल की नियुक्ति में सरकारिया आयोग की ओर से निर्धारित मापदंड का पालन किया जाना चाहिए। जब भी कोई नयी सरकार बनती है राज्यपाल को बदलने की प्रवृत्ति पर संवैधानिक प्रावधान करके रोक लगायी जानी चाहिए।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार कुमार ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल को हटाने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री से औपचारिक रूप से मशविरा किया जाना चाहिए। यदि जरूरी हो तो ऐसे मशविरे के लिए संविधान के अनुच्छेद 155 में संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने केंद्र-राज्य संबंधों पर पंछी आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि उसने यह भी सिफारिश की है किसी मुख्यमंत्री को हटाने से पहले राज्यपाल को सदन के नेता को सदन में बहुमत साबित करने का एक मौका देना चाहिए।

बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले कुमार ने पूरे देश में शराब की बिक्री और उसके सेवन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि संविधान में भी इसका उल्लेख है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को पूर्ण मद्यनिषेध लागू करने में पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से वांछित सहयोग मिल रहा है। उन्होंने इन राज्यों से आग्रह किया कि वे बिहार की सीमा से दो किलोमीटर के क्षेत्र में शराब की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करें।

कुमार ने कानून एवं व्यवस्था से संबंधित मामलों में एक नयी केंद्रीय इकाई या तंत्र स्थापित करने का विरोध किया और कहा कि यह केंद्र..राज्य संबंधों में एक बाधा बन सकता है। उन्होंने वित्त मंत्री से राज्य पुलिस को धनशोधन कानून के तहत पांच करोड़ रूपये तक की सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह संगठित अपराध को नियंत्रित करने में एक ‘‘गेम चेंजर’’ होगा। उन्होंने बिहार एवं अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने पर फिर से जोर दिया।