Army, CRPF, CRPF Jawan, Phulwama Attack

प्लीज़, शहादत पर गर्व करना बिल्कुल बन्द करिए, सवाल करिए

शहादत पर गर्व करना बंद करिए. सवाल करिए. प्लीज़ सवालों की जगह गर्व करना एकदम बन्द करिए. यह गंदा है. लाइफ़ में आपने जिस भी स्थिति पर गर्व किया होगा, उसे बार बार लाना चाहते होंगे. आपका लड़का फर्स्ट आया होगा तो आपको उसपर गर्व हुआ होगा, आप चाहते होंगे वो फ़र्स्ट बार बार आए. आपने घर खरीदा होगा तो प्राउड फ़ील किया होगा. आप इसे भी दोहराना चाहते होंगे. यह ऐसे ही काम करता है.

क्या आप इस शहादत वाले गर्व को बार बार दोहरवाना चाहेंगे? नहीं. क्या आपने ऐसी किसी और स्थिति का सामना कभी और किया है जहाँ ‘न चाहते हुए भी गर्व करना पड़े’? नहीं. इसलिए बन्द करिए ये. यहाँ गर्व नहीं, सवाल होने चाहिए.

दूसरी बात ये भी, कि आप ऐसी शहादत पर कैसे गर्व कर सकते हैं जिसमें शहीद होने वाला अपना पराक्रम दिखा ही न पाया हो? क्या किसी पहलवान को कोई सनकी पीछे से छुरी मार दे तो आप उस पहलवान की पहलवानी का जश्न मनाएँगे? क्या लॉजिक है ये? अगर वो सनकी आदमी उस पहलवान से सामने से लड़ा होता तो जीत पाता? नहीं. क्या अगर ये घोषित युद्ध होता तो वो 10-15 बोक्के हमारे जवानों को मार पाते? नहीं.

यह मुँहचोरी थी, जो गर्व करने से उनकी ही सीनाज़ोरी जैसी दिखेगी. मत करिए ये. यह युद्ध नहीं था. वो लड़कर नहीं हारे. वो सनकियों का शिकार हुए हैं. ठीक वैसे जैसे दुनिया के किसी भी कोने में ‘अघोषित’ आतंकवाद करता है. यहाँ गर्व न करिए.

आप शहीदों के घर गर्व लेकर किस मुँह से जाएँगे? क्या कहेंगे कि हमें गर्व है कि आपके पिता शहीद हुए? हमें गर्व है कि वो अब नहीं लौटेंगे? हमें गर्व है कि अब वो राखी नहीं बंधवा पाएँगे? कितना घटिया है ये. बन्द करिए ये. गर्व करना बिल्कुल बन्द करिए. सवाल करिए. सवाल क्या करना है ये बहुत ही सिम्पल है.

एक एक मौत को एक एक मौत की तरह देखिए. एक एक परिवार का उजड़ना महसूस करिए. यह कोई चुनाव नहीं जहाँ ‘पिछली बार से ज़्यादा सीटें आ गईं हैं तो कोई पार्टी बड़ी हो गई है. पिछली बार से ज़्यादा शहादतें हुईं हैं तो पिछले बार से ज़्यादा बड़ा हमला हुआ ये’. ये भी घटियापना है. कोई एक भी शहादत होती है तो आप उस एक के घर की सोचिए. आपको वो भी भारी लगेगा. बड़ा हमला छोटा हमला वाली हेडलाइन बन्द करिए. प्लीज़.

यह हमला पॉलिटिकल फेलियर है. यह इंटेलीजेंस फेलियर है. यह हमारी ताक़त का फेलियर है. नीतियों का फेलियर है.

इन फेल होते अटेंप्ट्स का ज़बाब माँगिए. कस के पूछिए. उलझ जाइए. सरकारों को हाँफ जाने दीजिए. बोलिए कि हमें गर्व नहीं बल्कि दुःख हो रहा है. गर्व और दुःख एकसाथ नहीं हो सकते. गर्व के साथ तो खुशी आती है. यह कैसा गर्व. इससे बाहर निकलिए. आपका शहादत पर गर्व करना इन नेताओं का पॉलिटिकल शिल्डिंग बन गया है. तत्काल जब आपको उनकी नीतियों पर सवाल पूछकर उनकी हालत ख़राब करनी चाहिए तो आप गर्व कर रहे होते हैं. न करिए ये. उनसे पूछिए कि हमारे किसी जवान की महानता केवल शहीद होने में क्यों है? बिना युद्ध के वो शहीद आख़िर क्यों हुआ? किसकी ग़लती से हुआ ये? कौन है वो ज़िम्मेदार? कौन-कौन फेल हुआ?

‘शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले’ सबसे बुरी कविता है. शहीदों की चिंताओं पर मेले नहीँ, जुलूस निकलने चाहिए.

हमारे जवानों की जाती जानों के सवालों की बौछारों का शक्तिशाली जुलूस. हमारे उन जवानों ने किसी कायर के हाथों शहीद होना नहीं सोचा था. वो लड़ते-लड़ते मर जाने के सपने भले ही देख लेते होंगे. अपने तमाम सिस्टम के फेलियर को, उन जवानों की शहादत पर अपना अनचाहा गर्व लाकर मत थोपिए. एक एक ज़िम्मेदार को कटघरे में ले आइए. प्लीज़ सवाल करिए. गर्व मत करिए.

साभार: विवेक पाण्ड्य (ये लेख उनके फेसबुक आईडी से ली गयी है)

गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किए गए बिहार के 11 जवान।

बिहार में गणतंत्र दिवस के मौके पर, अदम्य साहस के साथ दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने तथा सैन्य सेवा में विशिष्ट योगदान के लिए 26 जनवरी को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में कार्यरत बिहार के 11 जवानों को सम्मानित किया गया।


पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने राज्य सरकार की ओर से तीनों सेनाओं के 11 जवानों को युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया।

  1. थल सेना के दरभंगा जिला निवासी ब्रिगेडियर सुधीर कुमार झा को युद्ध सेवा मेडल
  2. नौसेना के मुजज्फरपुर निवासी कैप्टन आलोक आनंद को युद्ध सेवा मेडल
  3. वायु सेना के सहरसा जिला निवासी ग्रुप कैप्टन संदीप खां को वायु सेना मेडल
  4. थल सेना के पूर्वी चंपारण जिला निवासी कर्नल संजीव कुमार को सेना मेडल
  5. सारण के मेजर वैभव विशेष को सेना मेडल
  6. सीतामढ़ी के लांस हवलदार धर्मेंद्र कुमार को सेना पदक से सम्मानित किया गया।
  7. समस्तीपुर के वाइस एडमिरल सरोज कुमार झा (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट मेडल
  8. बक्सर के एयर कोमोडोर डॉ. संजय कुमार (सेवानिवृत्त) को विशिष्ट सेवा मेडल
  9. नवादा के लेफ्टिनेंट जनरल आशीष रंजन प्रसाद को विशिष्ट सेवा मेडल
  10. पटना के कर्नल उदय कुमार यादव को विशिष्ट सेवा मेडल
  11. मुजफ्फरपुर के ग्रुप कैप्टन शैलेश रंजन को विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया गया।

बिहार की एक बेटी इतिहास बनाने को तैयार, आसमान में उडायगी फाईटर प्लेन

पटना: 18 जून भारतीय एयरफोर्स का ऐतिहासिक दिन बनेगा, जब 18 जून को महिला फाइटर पायलट का पहला बैच शामिल होगा। इस उपलब्धि में राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार भागीदार बनेगा। अन तीनों राज्यों से आने वाली भावना कांत, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी भारतीय एयरफोर्स में महिला शक्ति की पहचान बनने जा रही हैं। बिहार का नाम रौशन कर रही है भावना कांत।  

 

अवनी मध्यप्रदेश की है,  मोहना राजस्थान की तो भावना कांत अपने बिहार के दरभंगा की बेटी है। दरभंगा के एक साधारण परिवार में जन्मी भावना कांत कभी आसमान में फाईटर प्लेन उडायगी, यह किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा।

 

उनके दादा एक इलेक्ट्रिशियन, तो पिता मैकेनिक रहे हैं। भावना ने डीएवी स्कूल, बरौनी रिफ़ाइनरी, बेगूसराय से वर्ष 2009 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने बीएमएस बेंगलुरू से वर्ष 2014 में बीटेक किया। पिछले साल उन्हें भारतीय वायु सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत शामिल किया गया था।

 

भारतीय सेना में पहली बार किसी महिला को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए वर्ष 1927 में शामिल किया गया था। वर्ष 1992 में तत्कालीन सरकार की मंजूरी के बाद सेना के तीनों अंगों में महिला अधिकारियों को शामिल किया जाने लगा।

 

यह पहला मौका होगा, जब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान की कॉकपिट में कोई महिला बैठेगी। इंडियन एयरफोर्स में फिलहाल 94 महिला पायलट हैं, लेकिन ये पायलट सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग जैसे फाइटर जेट्स नहीं उड़ाती हैं। वायुसेना में लगभग 1500 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। 1991 से ही महिलाएं हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं, लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था।।

 

आज महिलायें सभी क्षेत्रों में आगे बढ रहीं है।  बेटा और बेटी का फर्क मिटता जा रहा है।  लड़कियां भी लड़को से कम नहीं है।  भारत को गर्व है अपने नारी शक्ति पर।  बिहार को भी गर्व है अपने इस बेटी पर।