गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किए गए बिहार के 11 जवान।

बिहार में गणतंत्र दिवस के मौके पर, अदम्य साहस के साथ दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने तथा सैन्य सेवा में विशिष्ट योगदान के लिए 26 जनवरी को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में कार्यरत बिहार के 11 जवानों को सम्मानित किया गया।


पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने राज्य सरकार की ओर से तीनों सेनाओं के 11 जवानों को युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल और परम विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया।

  1. थल सेना के दरभंगा जिला निवासी ब्रिगेडियर सुधीर कुमार झा को युद्ध सेवा मेडल
  2. नौसेना के मुजज्फरपुर निवासी कैप्टन आलोक आनंद को युद्ध सेवा मेडल
  3. वायु सेना के सहरसा जिला निवासी ग्रुप कैप्टन संदीप खां को वायु सेना मेडल
  4. थल सेना के पूर्वी चंपारण जिला निवासी कर्नल संजीव कुमार को सेना मेडल
  5. सारण के मेजर वैभव विशेष को सेना मेडल
  6. सीतामढ़ी के लांस हवलदार धर्मेंद्र कुमार को सेना पदक से सम्मानित किया गया।
  7. समस्तीपुर के वाइस एडमिरल सरोज कुमार झा (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट मेडल
  8. बक्सर के एयर कोमोडोर डॉ. संजय कुमार (सेवानिवृत्त) को विशिष्ट सेवा मेडल
  9. नवादा के लेफ्टिनेंट जनरल आशीष रंजन प्रसाद को विशिष्ट सेवा मेडल
  10. पटना के कर्नल उदय कुमार यादव को विशिष्ट सेवा मेडल
  11. मुजफ्फरपुर के ग्रुप कैप्टन शैलेश रंजन को विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान किया गया।

बिहार की एक बेटी इतिहास बनाने को तैयार, आसमान में उडायगी फाईटर प्लेन

पटना: 18 जून भारतीय एयरफोर्स का ऐतिहासिक दिन बनेगा, जब 18 जून को महिला फाइटर पायलट का पहला बैच शामिल होगा। इस उपलब्धि में राजस्थान, मध्यप्रदेश और बिहार भागीदार बनेगा। अन तीनों राज्यों से आने वाली भावना कांत, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी भारतीय एयरफोर्स में महिला शक्ति की पहचान बनने जा रही हैं। बिहार का नाम रौशन कर रही है भावना कांत।  

 

अवनी मध्यप्रदेश की है,  मोहना राजस्थान की तो भावना कांत अपने बिहार के दरभंगा की बेटी है। दरभंगा के एक साधारण परिवार में जन्मी भावना कांत कभी आसमान में फाईटर प्लेन उडायगी, यह किसी ने शायद सोचा भी नहीं होगा।

 

उनके दादा एक इलेक्ट्रिशियन, तो पिता मैकेनिक रहे हैं। भावना ने डीएवी स्कूल, बरौनी रिफ़ाइनरी, बेगूसराय से वर्ष 2009 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। उन्होंने बीएमएस बेंगलुरू से वर्ष 2014 में बीटेक किया। पिछले साल उन्हें भारतीय वायु सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत शामिल किया गया था।

 

भारतीय सेना में पहली बार किसी महिला को मिलिट्री नर्सिंग सर्विस के लिए वर्ष 1927 में शामिल किया गया था। वर्ष 1992 में तत्कालीन सरकार की मंजूरी के बाद सेना के तीनों अंगों में महिला अधिकारियों को शामिल किया जाने लगा।

 

यह पहला मौका होगा, जब भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान की कॉकपिट में कोई महिला बैठेगी। इंडियन एयरफोर्स में फिलहाल 94 महिला पायलट हैं, लेकिन ये पायलट सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग जैसे फाइटर जेट्स नहीं उड़ाती हैं। वायुसेना में लगभग 1500 महिलाएं हैं, जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। 1991 से ही महिलाएं हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं, लेकिन फाइटर प्लेन से उन्हें दूर रखा जाता था।।

 

आज महिलायें सभी क्षेत्रों में आगे बढ रहीं है।  बेटा और बेटी का फर्क मिटता जा रहा है।  लड़कियां भी लड़को से कम नहीं है।  भारत को गर्व है अपने नारी शक्ति पर।  बिहार को भी गर्व है अपने इस बेटी पर।

हल चलाने वाले का बेटा उड़ाएगा फाइटर प्लेन

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किसी भी मां-बाप के लिए सबसे बड़ा खुशी का पल तब आता है जब वो अपने संतान को कामयाबी के शिखर पर पहुंचता हुआ देख ले। बिहार के रोहतास जिला  के सूर्यपुरा प्रखंड में पड़रिया नामका एक गांव है और इस गांव के एक मध्यमवर्गीय किसान हैं सत्येंद्र सिंह। आज सत्येंद्र सिंह की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं हैं क्योंकि उनका बेटा विवेक एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर जो बन गया है। सत्येंद्र सिंह के घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है और जो भी बधाई देने पहुंचे रहे हैं उनका मुंह मीठा कराया जा रहा है।

अब हम आपको विवेक के बारे में कुछ और जानकारी दे दें। बचपन से ही मेधावी विवेक की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। उसके बाद विवेक का एडमिशन झुमरी तलैया के मशहूर सैनिक स्कूल में हुआ। विवेक ने एनडीए की परीक्षा पास किया। एयरफोर्स में 22 वां रैंक हासिल करने के बाद अब विवेक फ्लाइंग ऑफिसर बन गए हैं। पुणे में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद विवेक को फिलहाल हैदराबाद में तैनात किया गया है।

ट्रेनिंग के बाद जब विवेक गांव वापस लौटे तो अपनी कामयाबी का श्रेय उन्होंने माता-पिता और अपने गुरु हिटजी कोचिंग संस्थान के निदेशक आर के श्रीवास्तव को दिया। विवेक ने कहा कि मां पिता के आशीर्वाद की ही बदौलत आज वो इस मुकाम तक पहुंचे हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कठिन परिश्रम और लगन हो तो अपने लक्ष्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। विवेक की सफलता पर उनके गांववालों को भी गर्व महसूस हो रहा है।