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जानिए बिहार की नई औद्योगिक नीति कैसे बदल सकती है राज्य की तकदीर?

नीतीश कैबिनेट ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में कई बदलाव किए हैं

बिहार में कैबिनेट बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया हैं। कैबिनेट ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में नई औद्योगिक नीति की बड़ी आवश्यकता है। मार्च 2025 तक तमाम सर्वेक्षण और रिपोर्टों के सहारे से एक कसी हुई नई औद्योगिक नीति तैयार कर ली जाएगी ताकि बिहार में उद्योगों को लेकर काम किया जा सके।

शुक्रवार की कैबिनेट की बैठक में कुल 24 एजेंडों पर मुहर लगी है। इसमें भारत- चीन की सीमा पर शहीद जवानों के परिजनों को बिहार सरकार नौकरी देने का फैसला किया है। नीतीश कैबिनेट ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति 2016 में कई बदलाव किए हैं।

इसमें केंद्र की महती भूमिका भी जरूरी है। सरकार का मानना है कि केंद्रीय प्रोत्साहन से ही नीति को फायदा मिलेगा। दूसरे राज्यों से बिहार में औद्योगिक इकाइयां शिफ्ट करने वाले उद्यमियों को न केवल शिफ्टिंग खर्च, बल्कि कच्चा माल लाने और तैयार माल को बाजार में पहुंचाने में जो खर्च होगी, उसका 80 फीसदी तक सरकार देगी। लेकिन इसके लिए उद्यमियों को कम से कम 25 लाख रुपए का निवेश और 25 लोगों को रोजगार देना होगा।


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कच्चा माल और तैयार माल की आवाजाही के खर्च को देने की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए तय की है। संशोधित नीति को कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दी। यह नीति 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी।

31 मई 2025 तक लागू रहेगी नई नीति, ढेर सारी छूट और रियायतें

कोरोना संक्रमण काल में लॉकडाउन की वजह से रोड़ टैक्स जमा नहीं करने वाले ट्रांसपोर्टरों को बड़ी राहत दी गई है। अब 31 जुलाई 2020 तक रोड टैक्स जमा करने वालों को 40 प्रतिशत छूट देने के साथ फाइन भी माफ कर दिया गया है।

लॉडाउन के दौरान औद्योगिक एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को फिक्सड चार्ज में पूर्ण छूट दी गयी है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अंतर्गत बिहार वनों के क्षेत्र पदाधिकारी संवर्ग नियमावली 2013 के संशोधन की मंजूरी भी कैबिनेट से मिल गयी है।

नई प्रोत्साहन नीति में 500 करोड़ रुपए की निवेश और 500 लोगों को रोजगार देने वाले उद्योग घरानों को काफी रियायतें दी जाएगी। राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने और बिहार लौटे श्रमिकों को रोक रखने के लिए विशेष प्रोत्साहन पैकेज के तहत अतिरिक्त अनुदान दिया जा रहा है।

अनुदान के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में सचिवों की कमेटी गठित की जाएगी। इसके अलावा उच्च प्राथमिकता के क्षेत्रों, प्राथमिकता के क्षेत्रों और गैर प्राथमिकता के क्षेत्रों के अधिक औद्योगिक इकाई के अंतर्गत उच्च प्राथमिकता कोटि में ई-वाहन निर्माण क्षेत्र को जोड़ा गया है।

इथेनॉल उत्पादन, दाल उत्पादन, गेंहू आधारित उद्योग, मसाला आधारित और जड़ी-बूटी आधारित उद्योगों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद है। विकास आयुक्त की अध्यक्षता में सचिवों की एक सहमति बनाई जाएगी। विशेष अनुदान के लिए भी समिति बनाई जाएगी।


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औद्योगिक नीति में संशोधन पर मंत्री श्याम रजक ने कहा कि नई नीति 2025 तक प्रभावी रहेगी. बाहर से आने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता के हिसाब से काम दी जाएगी। बाहर से जो उद्योग आएंगे, उनको सरकार अनुदान देगी।

 

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