Bus To Patna-9: मेहन चचा आएं पटना घुमने …

– छी-छी-छी, माने भारतीय संस्कृति को ई सब नष्ट करिए देगा! अश्लीलता का पराकाष्ठा है एक्कदम.. राम-राम..

– अरे का हुआ महेन चा? काहे इतना बिगड़ गए?

– यही सब देखाने लाया था तुम हमको..! घोर कलयुग आ गया है. हम बोले थे कि महावीर मन्दिर ले चलो आ तुम इस जगह पर ले आया.. ऊ लड़की को देखो तो, कइसा कपड़ा पहनी है..! एक्को रत्ती शरम भी नहीं आता है ई सब को..

– अरे चचा, ऊ लड़की थोड़े है, ऊ ता लड़का है.. बाल बढ़ईले है खाली..

कौन जनम का पाप किए थे कि महेन चा को पी-एम मॉल घुमाबे ले आए.. ऊ टाइम पटना में नया-नया मॉल खुलबे किया था.. हमलोग डेली दस दिन में एक दिन पहुंच जाते थे.. चाहे कुछ खरीदे चाहे नहीं खरीदे लेकिन पूरा मॉल का चक्कर मारते थे.. अपने से ऊपर पहुंचाबे वाला आ नीच्चे लाबे वाला सीढ़ी दूसरा बार देखे थे ईहाँ, पहिला बार खाली फिलिम सब में देखे थे.. आज हमारे साथ मॉल में महेन चचा भी घूम रहे थे.. हमको बड़ा डर लग रहा था, इनके चक्कर में कहीं पिटाइयो ना जाएं.. लड़का-लड़की हाथ में हाथ धर के घूम रहा है, ई बात इनको एक्क्दम नहीं पच रहा था..

– ए चचा, अरे काहे उसको अइसे घूर रहे हैं? जाई दीजिए.. आप मार खिलाइए के मानिएगा!

– हमारा बेटा-बेटी अइसा निकल गया न ता काट के गंगा जी में फेंक देंगे! तुम तो नहीं ना घूमता है जी इहाँ अइसे? सब शिकायत करेंगे बाबूजी से तुम्हरा, तुम पहिले आओ घरे..

हम रो नहीं रहे थे कि हमारा सब दशा हो रहा था.. बेकारे चचा को ईहाँ ले आए.. मति मारा गया था हमारा.. ले जाते इनको महावीर मन्दिर, परसादी-उरसादी चढ़ाके छुटकारा पा लेते.. हमही ढेर काबिल बन गए.. चचा का दिमाग इधर-उधर भटकाना ज़रूरी था, इससे पहीले कि इनके भीतर का बजरंग दल बाहर आ जाए..🤢🤢

– चचा, शर्ट का कपड़वा लीजिएगा.. बहुत मस्त मिल जाएगा.. कहिया तक गाँव के टिप-टॉप रेडीमेड वाला कपड़ा पहिनिएगा..? चलिए आपको शर्ट का कपड़ा खरीदवा देते हैं आ चची के लिए एगो साड़ियो ले लीजिएगा.. वेन ह्युसैन वाला एक्क्दम पेओर कपड़ा देगा….

– का बोला रे, का बोला? कौन हुसैन? धरम भ्रष्ट कराएगा हमारा! शुद्ध पंडित आदमी हैं हम.. ई हुसैन-उसैन से कपड़वा नहीं लेंगे.. तुम सब दू अच्छर पढ़-लिख लिया ता गाँव के आदमी के बेकूफ बूझता है.. देखो बबुआ, ई सब का कपड़वा अगर तुम पहिनता है ता गाँव आबे से पहीले गंगा जी में नहा लेना, नहीं तो गाँव में टपने नहीं देंगे.. मतलब तुम बोल कइसे दिया कि हम उसका कपड़ा खरीदें..! अभी तुम्हारे बाबूजी को फोन करके तुम्हारा सब हरक़त बताते हैं..!!😣😡हमारे मुंह का बात मुंहे में रह गया.. चचा एक्के सुर में अइसे नॉनस्टॉप बोल रहे थे कि हमको कुछ बोलने का मौके नहीं मिला.. अइसा लग रहा था कि पूरा मॉल हमरे देख रहा है.. पूरा शरीर पसीना-पसीना हो गया था.. बहुत जोर लगाके, बहुत कोशिश करके हम बोले..😰😰

– ना-ना चाचा, गलती हो गया.. वेन ह्युसैन छोड़िए, आप सियाराम में चलिए.. सियाराम वाला भी बहुत मस्त कपड़ा रखता है.. सियाराम का दामो इससे कम है.. सियाराम…..

तभी हमारे पिछवाड़े पर एक लात पड़ा.. हमारा रूमपार्टनर चिल्ला रहा था – अरे काहे नींद में सियाराम-सियाराम बड़बड़ा रहे हैं जी.. उठिए चार बज गया.. मॉल नहीं चलना है आज.. आप ही बोले थे कि आज शाम में मॉल घूमे चलेंगे.. पसीना-पसीना काहे होअल हैं जी, कोनो डरावना सपना देख लिए का दिने में?

– ए भाई, मॉल कभियो बाद में चलेंगे.. आज हमको डॉक्टर के पास ले चलिए.. बुझाता है साला हमको महेनफोबिया हो गया है..!!

– अमन आकाश

Search Article

Your Emotions