भ्रष्ट राज्यों में टॉप पर था बिहार, स्थिति सुधरी मगर लोगों का परशेप्शन नहीं बदला

2005 में बिहार देश का सबसे भ्रष्ट राज्य था । उस समय जब भ्रष्ट राज्य का रैंकिंग आया था तो बिहार सबसे टॉप पर था । मगर समय के साथ बिहार भी बदला और बिहार ने वह बदनुमा दाग धो दिया । अब बिहार भष्टाचार के मामले में देश के कई बड़े राज्यों से पिछे है मगर सवाल धारणा (परसेप्शन) का है जो अभी तक नहीं बदला है। अब भी बड़ा तबका मानता है कि राज्य में भ्रष्टाचार में उतनी कमी नहीं आई है, जितना बताया जा रहा है ।

 

डेली लाइफ में पब्लिक से सीधे जुड़ाव (पब्लिक सर्विसेज) वाले महकमों यानी इलेक्ट्रिसिटी, पानी, एजुकेशन, हेल्थ, बैंकिंग, न्याय, टैक्स, जमीन, पीडीएस सरीखी सेवाओं को फोकस कर 20 स्टेट्स में हुए सर्वे का कुछ ऐसा ही नतीजा है।

सर्वे रिपोर्ट कहती है कि 2005 में 74% अंकों के साथ भ्रष्टाचार में टॉप पर खड़े बिहार में स्थितियां कन्ट्रोल होने लगी हैं। जहां कभी बिहार था वहां कर्नाटक (77%), आंध्र प्रदेश (74%) तमिलनाडु (68%) जैसे राज्य हैं।

बिहार अब आठवें नंबर पर है। करप्शन के मामले में पुलिस टॉप पर है, तो पीडीएस व जमीन-मकान से जुड़े मसले दूसरे और तीसरे स्थान पर। परसेप्शन इस सर्वे से अलग है। बिहार में 59% लोगों कहते हैं कि करप्शन बढ़ा। 7% ही मानते हैं कि लालफीताशाही कम हुई है। गिरावट 26% का है। इस सब के बीच 34% का कहना है कि स्थितियां जस की तस हैं।

 

नए कानून का हुआ असर 

– करप्शन पर लगाम लगाने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए। विजिलेंस के ट्रैप केस बढ़े, आय से अधिक संपत्ति जब्त की गई, भ्रष्टाचार में लिप्त अफसरों को सजा दी गई। उन्हें बर्खास्त किया गया।

– स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने सचिव से लेकर डीजीपी स्तर के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की।

– जब्त घरों में सरकारी स्कूल खोले गए।

– पब्लिक सर्विस डिलीवरी को आसान बनाया गया।

– सेवा का अधिकार व लोक शिकायत निवारण कानून लागू हुए।

– बिजली के क्षेत्र में सुधार हुए।

जनता भी जागरूक हुई। इन कारणों से भ्रष्टाचार पर लगाम कसी और छवि सुधरी।

 

वैसे करप्शन नियंत्रण के मोर्चे पर स्टेट गवर्मेंट ने बीते दशक में लगातार काम किया है। सूचना जनसंपर्क विभाग के विज्ञापनों के नीचे …भ्रष्टाचारी के दबाव में मत रहें, निगरानी से मिल कर कहें, …वेतन की चादर हो जितनी, फैलाओ लालसा की चादर उतनी, जैसे स्लोगन लिखने के साथ शुरुआत हुई। निगरानी के ट्रैप बढ़े। विशेष कोर्ट गठित हुईं। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) बनी। बड़े लोकसेवकों की संपत्ति जब्त हुई। सेवा का अधिकार जैसा कानून, जनता के हाथ नई लगाम हैं। इन उपायों का ही परिणाम है। लेकिन केरल जैसे स्टेट्स जहां भ्रष्टाचार 4% है, तक पहुंचने और परसेप्शन बदलने के लिए सरकार को कई और ठोस कदम उठाने होंगे।

 

Source: Dainik Bhaskar

 

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