सरसत्ती पूजा का तैयारी: माता के मुंह को अखबार लेकर झाँप दो, कल पूजा के बाद आंख खुलेगा

Saraswati Puja, Bihari Festival, Hindu Festival, Culture, Indian Culture, village festival

सरसत्ती पूजा का तइयारी पूरा जोर-शोर से चल रहा है. विद्यादायिनी माता सरस्वती हम सरकारी इस्कूल के विद्यार्थी के लिए सरसत्ती माता हैं. पिछला एक हफ्ता से इस्कूल में मीटिंग पर मीटिंग बैठ रहा है कि इस बार कइसे होगा सरसत्ती पूजा (Saraswati Puja). मूर्ति इस्कूले में बनाया जाएगा कि बाहर से लाया जाएगा. परसादी का बेवस्था कौन देखेगा. बुनिया कितना छनाएगा आ केशौर-गाजर-बेर कितना आएगा. माता के पंडाल में टेंट हॉउस वाला कपड़ा लगाया जाए कि सब अपना-अपना घरे से चमकौआ साड़ी लेकर आ जाएगा. तमाम विषय पर लम्बा गोलमेज सम्मलेन होने के बाद जैसे ही माट साहेब रजिस्टर लेकर आते माहौल थोड़ा ठंडाआ जाता..

– क्या रे मूर्खाधिराज सब. मछली बाजार बनाकर रख दिया है जी तुमलोग एकदम. दू घण्टा से मीटिंगे चल रहा है तुम्हारा.. आ ई हमारा कुर्सियो नहीं झाड़ा है तुमलोग जी. अरे कुतवा भी जहां बैठता है नंगरी लेकर अगल-बगल झाड़ देता है. जा रे भूसकौल विदारथी सब. कैसे सरसत्ती माता विद्या देंगी तुमलोगों को.!

– सरजी ई चिन्टूया कह रहा है इस बार भिसीआर चलाएंगे. रात भर जगरना होता है. बिना टीभी के नहीं जाग पाते हैं. पिछला बार भोरवा में आंख लग गया था तो एक टोकना बुनिया गायब हो गया..

– ना-ना पूजा-पाठ छोड़ दो तुमलोग आ भिसीआरे चला लो. ई महेनवा का बेटा है ना रे. जैसा बाप था ओसने इहो है.. अच्छा सुनो तुमलोग, पहला से तीसरा तक 10 रुपया चंदा, चौथा-पांचवा 21 रुपया, छठा वाला 51 रुपया.. आ चूंकि सातवाँ वाला ई बार हाईइस्कूल (High School) चला जाएगा तो तुमलोग अपना शरधा से जितना दे दो. चलो अब सब तैयारी में लग जाओ.

बहुत आरजू-मिन्नत-धमकी दे-देकर चंदा उसलाया गया. रात भर चार ठो लौंडा मिलकर केशौर आ गाजर छिलने में लगा है. दू ठो उधर कोना में बैठ के लेई से चमकी आ पताका साट रहा है. कुछ लड़का उधर साड़ी में कांटी ठोक-ठाक के पंडाल बना रहा है.

– आरे चिन्टूया माए वाला नएका साड़ी उठा लाया है रे. पूछ के लाया है कि नहीं? फट-ऊट जाएगा त उसका गारंटी हम नहीं लेंगे..

– ना रे एकरा घर के सामान मत छुओ जी. पिछला बार इसका हंसुआ गायब हो गया था त महेन चचा हेडमास्टर साहेब से नया हंसुआ खरीदवाए थे आ चिन्टूआ को भसान में आने भी नहीं दिए थे..

सरसत्ती माता का मूर्ति पूरा बनकर तैयार है. कमाल कर दिया है मूर्ति वाला. झक्कास बनाया है. हंस तो एकदम ओरिजिनले बुझा रहा है. माता के मुंह को अखबार लेकर झाँप दो. कल पूजा के बाद आंख खुलेगा. सारा व्यवस्था टाइट है. मूर्ति-परसादी-पंडाल सब तैयार है. सुबह लड़की सब आकर पूजा वाला जगह को गोबर लेकर लीप जाएगी. माइक-बाजा का भी इंतजाम हो गया है. चलो अब भोरे आया जाएगा.

भोरे-भोर क्लास का मॉनिटर टेंशन में आ गया था. अरे यार सारा जोगाड़ तो कर लिए, पंडिज्जी को त कहबे नहीं किए थे. अभी सारा पंडिज्जी सब कहीं-न-कहीं चले गए हैं, कोई मिलही नहीं रहा. बड़का धोखा हो गया भाई. माट साहेब को पता चलेगा त ऊ अलगे हमलोगों को गरिआएँगे. का होगा अब..का करें.?

– सब ठीक हो जाएगा. ऐ चिन्टूआ इधर आओ त जी. तुम्हारे पप्पा का पूरा नाम क्या है? महेन मिसिर? महेन मिसिरे नाम है ना जी.. जाओ पंडिज्जी का जोगाड़ हो गया. हम लाते हैं पंडिज्जी को. तुम अक्षत-दूब आ गंगाजल ले आओ जल्दी से. आ जोर से बोलो सरसत्ती माता की जय..🙏

– अमन आकाश 

Search Article

Your Emotions