बिहार में शराबबंदी कानून को झटका, इंडस्ट्रियल अल्कोहल के उत्पादन का रास्ता साफ

बिहार में शराबबंदी कानून को बहुत बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट में दायर अवमानना वाद में राज्य सरकार ने बुधवार को कारण बताओ नोटिस का जवाब देते हुए बताया कि इंडस्ट्रियल अल्कोहल के उत्पादन में लगाई गई शर्तों को हटा लिया गया है।

इंडस्ट्रियल अल्कोहल बनाने वाली कंपनी कोर्ट के आदेश के तहत उत्पादन कर सकती है। राज्य से बाहर सप्लाई में लगाई गई शर्तों को हटा दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों से संतुष्ट होने के बाद अदालत ने अवमानना याचिका निष्पादित कर दी। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद करीब डेढ़ साल से बंद डिस्टिलरी स्प्रिट के उत्पादन का रास्ता साफ हो गया है।

विदित हो कि बिहार में ऐसी चार बड़ी कंपनियां हैं, जिनके उत्पादन को बंद करा दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन, न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी एवं न्यायाधीश सुधीर सिंह की पूर्ण पीठ ने उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव एवं आयुक्त को 21 जनवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। खंडपीठ ने सुनवाई की पिछली तिथि में कहा था कि इतनी बंदिशें लगाने से तो बेहतर था कि उत्पादन ही राज्य सरकार बंद कर देती।

मालूम हो कि शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने इंडस्ट्रियल अल्कोहल के उत्पादन पर रोक लगा दी थी। राज्य सरकार के इस फैसले को हाईकोर्ट ने पिछले साल 5 मई को अवैध करार कर दिया। बाद राज्य सरकार ने फिर से नया कानून बना कर स्प्रिट उत्पादक कंपनियों पर पहले की भांति बंदिशें लगा दी। याचिकाकर्ता की मेसर्स ग्लोबल स्प्रिट प्रा. लि. की तरफ से कहा गया कि स्प्रिट को अफ्रीका भेजना था, लेकिन राज्य सरकार यह करने से भी मना कर रहा है। ऐसे में उद्योगपति क्या करें। इस मसले पर हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने बुधवार को सुनवाई की। पूर्ण ने राज्य सरकार से 7 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।

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