प्रकाश पर्व: गुरु नानक देव जी अपनी पहली धार्मिक यात्रा के दौरान आये थे बिहार

सिख पंथ के प्रथम गुरु नानक देव ने अपने जीवन दर्शन के माध्यम से लोगों को जीने का सही मार्ग बताया। नानक जी ने आमजन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित करने के लिए चार धार्मिक यात्राएं कीं। अपनी पहली धार्मिक यात्रा में अनेक शहरों से गुजरते हुए नानक देव पटना साहिब भी पहुंचे थे। वे यहां चार महीने तक रहे। जिन-जिन स्थानों से गुरु नानक गुजरे वे आज तीर्थस्थल का रूप ले चुके हैं। इन्हीं में एक सिखों का दूसरा सबसे बड़ा तख्त श्री हरिमंदिर साहिब भी है।

पटना साहिब में पड़े थे चरण

गुरु नानक देव ने भारत के कोने-कोने का भ्रमण किया। 30 वर्ष की उम्र में गुरु नानक देव ने पंजाब स्थित सुल्तानपुर में अपने परिवार से अनुमति ली और मरदाना के साथ पूर्व की ओर अपनी प्रथम उदासी यात्रा के लिए प्रस्थान किए। वर्ष 1506 में गुरु नानक ने पूर्व की प्रथम उदासी यात्रा के दौरान बिहार में कदम रखे। तभी वे पटना साहिब भी आए थे।

ज्ञान और मोक्ष की इस भूमि “गया’ में भी हुआ था आगमन 

सन् 1508 ई में सासाराम होते हुए वे गया आए थे। ब्राह्मणी घाट पर डेरा डाला, साथ ही देवघाट स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा “देवघाट संगत’ की नींव रखी थी। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा कोर कमेटी के उपाध्यक्ष सरदार प्रीतम सिंह बग्गा ने बताया कि गया आने पर यहां के पंडितों ने गुरुजी को जनेऊ भेंट किया और पितरों के उद्वार के लिए फल्गु में स्नान व पिंडदान करने को कहा।

नानक जी ने पिंडदान तो नहीं किया पर देश का पश्चिमी हिस्सा हरा-भरा रहे, इसके लिए फल्गु में पूरब के बजाए पश्चिम में जल दिया। इसके बाद नानक जी ने ज्ञान का उपदेश भी दिया। कहा अपने हाथों से किया हुआ दान कभी समाप्त नहीं होता। अपने हाथों से दान करना ही लोक-परलोक में सहायक होता है। पंडों को उपदेश देकर नानकजी गया से पटना की ओर चले। इनके साथ दो शिष्य बाला-मर्दाना भी साथ चल रहे थे। एक शिष्य हिंदू और दूसरा मुस्लिम था।

वर्ष 1952 में स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा का हुआ था निर्माण
गया के स्टेशन रोड स्थित गुरुद्वारा का निर्माण वर्ष 1952 में किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से काफी संख्या में सिख समुदाय के लोग गया आए थे, जिन्होंने इस गुरुद्वारा का निर्माण कराया था। इसके निर्माण में चाचा करतार सिंह, चाचा सरदार सिंह, सरदार हीरा सिंह, सरदार मल, सरदार प्रीतम सिंह के अलावे कई ने योगदान दिया। गुरुद्वारा के निर्माण के बाद यह इलाका गुरुद्वारा रोड से प्रसिद्ध हो गया।

 

देवघाट गुरुद्वारा में हैं नानक जी के पुत्रों की तस्वीर
देवघाट गुरुद्वारा में आज भी गुरुनानक देव जी महाराज के पुत्र श्री चंद्र और लक्ष्मी चंद्र की तस्वीरें उपलब्ध हैं। श्री बग्गा ने बताया कि यह गुरुद्वारा सिख सर्किट से जोड़ा गया है। जिन-जिन स्थानों पर गुरुनानक देव जी गए है, वहां पर वृहद कार्य योजना सरकार द्वारा बनाई गई है। राजगीर में इस दिशा में कार्य हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्टेशन रोड गुरुद्वारा वर्ष 1952 में बना था।

वे बिहार पहुंचने से पूर्व सैय्यदपुर (पाकिस्तान में आधुनिक इमीनाबाद), हरिद्वार, प्रयागराज और बनारस में रुके थे। गुरुनानक देव यात्रा के क्रम में बिहार पहुंचने के बाद गया के विष्णुपद मंदिर के समीप देवघाट में रुके थे। यात्रा के क्रम में रजौली, राजगीर, अकबरपुर, मुंगेर, भागलपुर समेत अन्य स्थानों पर जाने के प्रमाण हैं। हाजीपुर व लालगंज में भी नानकशाही सिख निवास करते हैं।

 

 

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