संविधान दिवस: देश के संविधान बनाने में डॉ अंबेडकर के साथ इन बिहारियों का था अहम योगदान

आज देशभर में संविधान दिवस मनाया जा रहा है| 26 नवंबर 1949 को इसे अंगीकृत किया गया था| 2 साल 11 महीने 18 दिन में बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर ने कड़ी मेहनत के बाद संविधान को पूर्ण रुप दिया था। डॉ भीमराव अंबेडकर ने आज ही के दिन संसद में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सौंप दिया था।

भारतीय संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार डॉ भीमराव अंबेडकर थे| वहीं संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में हुई थी| डॉ सच्चिदानंद सिन्हा बिहार के थे| यही नहीं संविधान सभा के प्रथम स्थायी अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद बने, जिन्हें 11 दिसंबर 1946 को चुना गया था| वो भी बिहारी थे| बाद में डॉ राजेंद्र प्रसाद हमारे देश के पहले राष्ट्रपति भी बने|

भारतीय संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ भीम राव अम्बेडकर थे और इसे पूर्ण रूप देने में भी में सबसे बड़ा योगदान भी आंबेडकर का ही था इसलिए इन्हें भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है|

ज्ञात हो कि सभी बाधाओं को लाँगकर जब बाबा साहेब संविधान सभा का सदस्यता चुनाव जीत गये तब उनकी प्रतिभा को देखकर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने डॉ. अम्बेडकर को बताया कि उन्हें संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्‍यक्ष बनाया गया है और कहा कि संविधान बहुत आसान और अच्‍छा बने तब डॉ. भीमराव अम्‍बेडकर ने कहा ”आपकी आज्ञा का पालन होगा, राष्‍ट्रपति महोदय” !

विख्यात चित्रकार नंदलाल बोस को भारतीय संविधान की मूल प्रति को अपनी चित्रों से सजाने का मौका मिला। नन्दलाल बोस का जन्म दिसंबर 1882 में बिहार के मुंगेर नगर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा महाराजा दरभंगा की रियासत के मैनेजर थे। 16 अप्रैल 1966 कोलकाता में उनका देहांत हुआ। 221 पेज के इस दस्तावेज के हर पन्नों पर तो चित्र बनाना संभव नहीं था। लिहाजा, नंदलाल जी ने संविधान के हर भाग की शुरुआत में 8-13 इंच के चित्र बनाए। संविधान में कुल 22 भाग हैं। इन 22 चित्रों को बनाने में चार साल लगे। इस काम के लिए उन्हें 21,000 मेहनताना दिया गया। नंदलाल बोस के बनाए इन चित्रों का भारतीय संविधान या उसके निर्माण प्रक्रिया से कोई ताल्लुक नहीं है। वास्तव में ये चित्र भारतीय इतिहास की विकास यात्रा हैं। सुनहरे बार्डर और लाल-पीले रंग की अधिकता लिए हुए इन चित्रों की शुरुआत होती है भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक की लाट से। अगले भाग में भारतीय संविधान की प्रस्तावना है, जिसे सुनहरे बार्डर से घेरा गया है, जिसमें घोड़ा, शेर, हाथी और बैल के चित्र बने हैं। ये वही चित्र हैं, जो हमें सामान्यत: मोहन जोदड़ो की सभ्यता के अध्ययन में दिखाई देते हैं|

देश का संविधान न तो टाइप किया गया था और न ही प्रिंट किया गया था| इसे हाथ से अंग्रेजी और हिंदी भाषा में लिखा गया था| इसकी वास्तविक प्रति प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी थी| इसे इटैलिक स्टाइल में खूबसूरती से लिखा गया था और हर पेज को शांति निकेतन के कलाकारों ने खूबसूरती से सजाया था|

हाथों से लिखे गए संविधान पर 24 जनवरी 1950 को हस्ताक्षर किए गए थे| इस पर 284 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे, जिनमें 15 महिला सांसद थीं| इसके बाद 26 जनवरी से ये संविधान पूरे देश में लागू हो गया|

 

संविधान सभा में बिहार के सदस्‍य

अमियो कुमार घोष
अनुग्रह नारायण सिन्हा
बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला
भागवत प्रसाद
बोनीफेस लाकरा
ब्रजेश्वर प्रसाद
चंडिका राम
के.टी. शाह
देवेन्द्रनाथ सामन्त
दीपनारायण सिन्हा
गुप्तनाथ सिंह
यदुबंस सहाय
जगत नारायण लाल
जगजीवन राम
जयपाल सिंह
कामेश्वर सिंह, दरभंगा
कमलेश्वरी प्रसाद यादव
महेश प्रसाद सिन्हा
कृष्ण बल्लभ सहाय
रघुनन्दन प्रसाद
राजेन्द्र प्रसाद
रामेश्वर प्रसाद सिन्हा
रामनारायण सिंह
सच्चिदानंद सिन्हा
सारंगधर सिन्हा
सत्यनारायण सिन्हा
बिनोदानन्द झा
पी.के. सेन
श्रीकृष्ण सिन्हा
श्रीनारायण महथा
श्यामानन्दन सहाय
हुसैन इमाम
सैयीद जफर इमाम
लतिफुर्रहमान
मोहम्मद ताहिर
ताजमुल हुसैन
यह भारत के संविधान की मूल प्रति है, जो हाथ से लिखी हुई है,इस पन्‍ने में संविधान बनानेवाले कुछ लोगों के हस्‍ताक्षर हैं, जिनमें भारतीय संविधान सभा के सदस्‍य और दरभंगा के महाराजा कामेश्‍वर सिंह और वर्तमान झारखंड के नेता जयपाल सिंह के हस्‍ताक्षर देखे जा सकते हैं|

संविधान पर राजेंद्र प्रसाद की जगह जबरन जवाहर लाल नेहरू का किया हुआ हस्‍ताक्षर। राजेंद्र प्रसाद ने बाद में संविधानसभा के अध्‍यक्ष के रूप में मध्‍य ऊपर स्‍थान पर किया हस्‍ताक्षर।

सच्चिदानंद सिन्‍हा का हस्‍ताक्षर। सच्चिदाबाबू का हस्‍ताक्षर लेने राजेंद्र प्रसाद इस मूल प्रति को लेकर दिल्‍ली से पटना आये थे।

जयपाल सिंह मुंडा का हस्‍ताक्षर।


फोटो साभार- कामेश्‍वर सिंह फाउंडेशन, अरविंद सिंह व जॉन मार्टिन।

 

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