एक बहादुर बेटी ने अपनी जान पर खेल कर अपने बिमार पिता की जान बचाई

माता – पिता भगवान समान होते है,  यहां तक की माता पिता का दर्जा भगवान से भी उपर बनाया गया है तो दुसरी तरफ माता-पिता के लिए उसके बच्चे ही उनके जान होतें है।  माता – पिता ने अपनी जान जोखिम में डालकर अपने बच्चों को बचाने की खबर तो हम सुनते ही रहते है मगर एक बेटी ने अपनी पिता की जान बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दिया यह खबर बहुत कम ही सुनने को मिलता है। 

एक ऐसा ही एक खबर है।

मंगलवार 24 मई,  को बिहार समेत पूरे देश के मिडिया में यह खबर छाई रही कि बिहार के पटना एयरपोर्ट से उडान भरी  बीच किंग एयर का प्लेन सी-90ए दिल्ली में क्रैश होने से बाल-बाल बची और उसे क्रैश लैंडिंग कराया गया।

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क्रैश लैंडिंग होते ही सभी लोग सुरक्षित बाहर भागने लगे। मगर प्लेन में मौजूद 23 वर्षिये राय ने हम सब की तरह अपनी जान बचाने के लिए भागी नहीं बल्कि अपनी जान की चिंता किये बगैर अपने बिमार और लाचार पिता को बचाने की कोशिश की।

 

जैसे ही हमारा प्लेन क्रैश लैंड हुआ तो पायलट ‘भागो-भागो’ चिल्लाया। वह उठा और उसने दरावाजा खोला और सभी प्लेन के बाहर भागने लगे। मगर जूही ने अपने पिता की ओर देखा, वह अपने स्ट्रेचर से हिल गए थे और चुपचाप लेटे हुए थे।

 

पायलट बार-बार चिल्ला रहा था,  ‘भागो प्लेन में कभी भी विस्फोट हो सकता है, जल्दी भागो। ‘

लेकिन उस बहादुर लड़की ने एक ओर से अपने पिता का स्ट्रेचर पकड़ा, लेकिन कई लोग पहले ही प्लेन से भाग गए थे, इसलिए वह मदद के लिए चिल्लाई। तभी पायलट ने दूसरी ओर से स्ट्रेचर पकड़ा और उसने अपने पिता को सुरक्षित बाहर ला पाई।’ दोनों मिलकर उसके पिता को एक पेड़ के नीचे ले गये।

प्लेन में कभी विसफोट हो सकता था।  सभी डरे हुए थे।  सबके लाख मना करने बाद भी वह बहादुर बेटी फिर उस खतरनाक प्लेन की तरफ दौरी ऑक्सीजन का सिलिंडर लेने जिसके सहारे उसके पिता की सांसे चल रही थी।

प्लेन में 400 लीटर उच्च क्षमता वाला ज्वलनशील पदार्थ भार हुआ था और उसके विस्फोट होने का डर था इसलिए सभी उसे बार-बार प्लेन के पास जाने से मना कर रहे थे। लेकिन उसके लिए अपनी जान से बढ़कर उसके पिता थे। जूही पिता की मेडिकल फाइलें, पैसे आदि सामान उठाने के लिए दोबारा से अंदर गई।

 

फिर 100 नंबर पर फोन किया और पुलिस को जगह की सटीक जानकारी देने के लिए स्थानीय लोगों से मदद ली।

 

जूही कहती है हादसे के आखिरी पल का एक-एक बात उसे याद है। पायलट की हिम्मत और अनुभव के कराण हम सुरक्षित हैं। काली मां के आशीर्वाद के कारण हम सुरक्षित हैं। अब किसी के खिलाफ शिकायत करने का कोई औचित्य नहीं है। मेरा यही कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि इस तरह की घटना दोबारा न हो।’

 

उसकी माँ बोलती है ” मेरी बेटी ने अपने पिता को बचाया है। यह जानते हुए कि प्लेन में विस्फोट हो सकता है, उसके अंदर जाकर उसने अदम्सय साहस दिखाया है। वह अभी भी हादसे को लेकर डरी हुई है और पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। डॉक्टरों का कहना है कि उनका ऑपरेशन नहीं किया जा सकता।”

अपने पिता के लिए अपनी जान की बाजी लाने वाली जूही का जीतना भी तारिफ किया जाय कम है।  एक बेटी का अपने पिता के लिए प्यार का मिशाल कायम कर दीया।

जिस पिता ने इस बहादुर बेटी को जीवन दिया, उसी बेटी ने अपने पिता को एक जीवनदान दिया है।

ये केवल प्रशंसा ही नहीं , ये समाज के लिए प्रेरणादायक घटना हिम्मत और बहादुरी का  एक मिशाल है !

 

 

 

 

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