जज का इंसाफ: माँ को खाना खिलाने के लिये की चोरी, सजा की बजाय जज ने दिलाए राशन और कपड़े

आज के समय में कोरोना वायरस इंसानियत का सबसे बड़ा दुशमन बन चुका है| उसके कारण पूरी दुनिया ठहर चुकी है| भारत भी लगभग एक महीने से बंद है, किसके कारण गरीब लोगों के भूखे मरने की नौबत तक आ गयी है| मानव जाति पर मंडरा रहे खतरे के बीच बिहार से इंसानियत का एक बड़ा उदाहरण आया है|

बिहार के नालंदा जिले में बिहारशरीफ में चोरी के आरोप में एक नाबालिग को किशोर न्यायालय में पेश किया गया। उसने भूख से तड़प रही मां के लिए खाना जुटाने के लिए पिछले दिनों चोरी की थी।

जज को यह बात पता चली तो उन्होंने आरोपी को सजा की बजाय राशन और उसकी विक्षिप्त मां लिए कपड़े दिलाए। स्थानीय अदालत में सुनवाई के बाद जज ने यह कहते हुए लड़के पक्ष में निर्णय दिया कि उसे सुधार करने का मौका दिया गया है|

साथ ही अधिकारियों को उसे हर संभव मदद और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ देने का आदेश दिया। अदालत ने हर 4 महीने में किशोर से जुड़ी प्रगति रिपोर्ट सौंपने के निर्देश पुलिस को दिए हैं। इसके अलावा जज ने बीडीओ को परिवार को राशन कार्ड, सभी सदस्यों के आधार कार्ड, किशोर की मां को विधवा पेंशन, गृह निर्माण के लिए अनुदान राशि समेत सभी जरूरी दस्तावेज तैयार कराने के लिए कहा है।

लड़के का नाम नरेंद्र राव है और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था| लड़के ने बताया: “मैं चोरी करके भाग रहा था और पुलिस ने मुझे पकड़ लिया| स्थानीय लोग मुझे पीटने के लिए इकट्ठा हुए थे| मेरी पिटाई की जा रही थी और फिर पुलिस मुझे जेल ले गई” नरेंद्र ने बताया, “बाद में जब मुझे अदालत में पेश किया गया, तो जज ने मेरी हालत को समझा और महसूस किया कि मैं चोरी करने में क्यों उलझ गया| मेरी मां बीमार थी और हमारे पास खाना नहीं था| मैं उसे कुछ खिलाना चाहता था|

इस्लामपुर में रहने वाले नाबालिग के पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। इसके बाद उसकी मां विक्षिप्त हो गई। मां की स्थिति ऐसी है कि वह पूरी तरह से बेटे पर निर्भर है। किशोर का एक छोटा भाई भी है। परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी किशोर पर है। परिवार एक झोपड़ीनुमा घर में रहता है और उनके सामने खाने-पीने का संकट है।

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